रसायन विज्ञान क्या है?

रसायन विज्ञान या रसायन शास्त्र (Chemistry), विज्ञान की एक महत्वपूर्ण शाखा है। इसमें पदार्थों के संघटन, संरचना, गुणों और रासायनिक प्रतिक्रिया के दौरान परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है। रसायन शब्द का विघटना है – रस+आयन है। इसका मतलब होता है; रसों (द्रवों) का अध्ययन। रसायन शास्त्र में पदार्थों के परमाणुओं, अणुओं, क्रिस्टलों (रवों) और रासायनिक प्रक्रिया के दौरान मुक्त या प्रयुक्त हुई ऊर्जा का भी अध्ययन किया जाता है।

यह विज्ञान मुख्य रूप से परमाणुओं, आयनों और अणुओं पर केंद्रित अध्ययन है, जो बदले में तत्व और यौगिक बनाते हैं। इसमें रासायनिक प्रजातियां रासायनिक बंधों के माध्यम से एक दूसरे के साथ संबंध स्थापित करती हैं। रसायन विज्ञान के बारे में एक और बात है जो बेहद महत्वपूर्ण है वो ये कि रसायन विज्ञान में पदार्थ और ऊर्जा के बीच के संबंधों का भी अध्ययन किया जाता है।

रसायन शास्त्र में तत्वों और यौगिकों की रचना-संरचनाओं के गुणों के साथ उनमें होने वाले परिवर्तनों का भी अध्ययन किया जाता है। साथ ही इन परिवर्तनों के दौरान जो ऊर्जा जारी या अवशोषित होती है, इसका अध्ययन भी रसायन विज्ञान में किया जाता है।

रसायन विज्ञान एक केंद्रीय विज्ञान या आधारभूत विज्ञान है, क्योंकि यह विज्ञान की दूसरी शाखाओं जैसे, खगोल विज्ञान, भौतिकी विज्ञान, पदार्थ विज्ञान, जीव-विज्ञान और भूविज्ञान आदि को आपस में जोड़ता है। रसायन विज्ञान में पदार्थों का संघटन, परमाणु या उप-परमाण्विक कणों जैसे इलेक्ट्रॉन, प्रोटॉन और न्यूट्रॉन से होता है।

रसायनशास्त्र की शाखाएँ

रसायन विज्ञान की शाखाएं (Branches Of Chemistry) – रसायन विज्ञान बेहद व्यापक विषय है। वहीं, दूसरे विषयों के समायोजन से यह प्रतिदिन और विस्तृत होता जा रहा है। रसायन विज्ञान में कई प्रकार के पदार्थों तथा द्रव्यों का अध्ययन किया जाता है, जो एक-दूसरे से बिल्कुल अलग होते हैं। इसी के साथ नए-नए वैज्ञानिक प्रयोगों से रसायन शास्त्र की कुछ नई शाखाओं का उदय भी हुआ है, इसलिए वैज्ञानिकों ने इस विषय के अध्ययन को सरल और सुगम बनाने के लिए इसे कई उपशाखाओं में बांट दिया है। यहां हम आपको रसायन विज्ञान की प्रमुख शाखाओं के बारे में बता रहे हैं –

  • भौतिक रसायन
  • अकार्बनिक रसायन
  • कार्बनिक रसायन
  • वैश्लेषिक रसायन
  • जीव रसायन
  • औद्योगिक रसायन
  • औषधीय रसायन
  • नाभिकीय रसायन
  • कृषि रसायन
  • पर्यावरणीय रसायन
  • हरित रसायन

भौतिक रसायन (Physical Chemistry) – रसायन विज्ञान की इस शाखा में रासायनिक प्रणालियों में घटित होने वाली परिघटनाओं की व्याख्या, भौतिक अवधारणाओं के आधार पर की जाती है। भौतिक रसायन शाखा की नींव द्रव्य की अविनाशिता के नियम के साथ पड़ी थी। हालांकि 19वीं सदी के अंत तक भौतिक रसायन को, रसायन विज्ञान की अलग शाखा नहीं माना गया था। बाद में वांट हॉफ, विल्हेल्म ऑस्टवाल्ड और आरिनियस के कार्यें से भौतिक रसायन की रूपरेखा का निर्धारण हुआ। रसायन की इस शाखा में स्थिर अनुपात, गुणित अनुपात और परस्पर अनुपात के नियमों और आवोगाड्रो नियम, गेलुसैक नियम आदि से परमाणु और अणु की कल्पना को स्थान मिला।

भौतिक रसायन में परमाणु और अणु के भार निकालने की विविध पद्धतियों का विकास हुआ। वहीं, गैस संबंधी बॉयल और चार्ल्स के नियमों (P´V = R T), डाल्टन के आंशिक दाब के नियम (P = p1 + p2 + p3 + ……….) ने और ग्राहम के विसरण नियमों ने भौतिक रसायन की शाखा में क्रांतिकारी भूमिका निभाई। इसी के साथ परासरण दाब (PV = R T ; P = R T C) संबंधी विचारों ने विलयनों की प्रकृति समझने में भौतिक रसायन को नए आयाम दिए। रसायन की इस शाखा में राउल्ट का वाष्पदाब संबंधी समीकरण विलयनों के संबंध में बेहद महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ।

अकार्बनिक रसायन (Inorganic Chemistry) – अकार्बनिक यौगिकों का अध्ययन रसायन विज्ञान का एक उपक्षेत्र है जिसे अकार्बनिक रसायन विज्ञान के रूप में जाना जाता है। यह रसायन विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत कार्बन के अतिरिक्त उन पदार्थों का अध्ययन किया जाता है जिनमें कार्बन अनुपस्थित होता है। एक अकार्बनिक यौगिक आम तौर पर एक रासायनिक यौगिक होता है जिसमें कार्बन-हाइड्रोजन बांड उपस्थित नहीं होता है, यानी एक ऐसा यौगिक जो कार्बनिक यौगिक नहीं है।

अकार्बनिक रसायन विज्ञान यौगिकों के व्यवहार के साथ-साथ उनके गुणों, उनकी भौतिक और रासायनिक विशेषताओं का अध्ययन है। कार्बन और हाइड्रोजन को छोड़कर आवर्त सारणी के सभी तत्व अकार्बनिक यौगिकों की सूची में शामिल हैं। सरल भाषा में, अकार्बनिक रसायन, कार्बनिक रसायन विज्ञान के विपरीत है। जिन पदार्थों में कार्बन-हाइड्रोजन बंधन नहीं होता है वे धातु, लवण, पदार्थ आदि अकार्बनिक होते हैं।

धरती पर करीब 100,000 अकार्बनिक यौगिक मौजूद हैं। इनमें टाइटेनियम, लोहा, निकल और तांबे जैसे कई तत्व बेहद महत्वपूर्ण हैं। अकार्बनिक रसायन विज्ञान का कई उद्योग में भी अनुप्रयोग होता है, जैसे कि कटैलिसीस, सामग्री विज्ञान, रंगद्रव्य, सर्फेक्टेंट, कोटिंग्स, दवाएं, ईंधन और कृषि आदि।

अकार्बनिक रसायन में कार्बन को छोड़ हाइड्रोजन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन आदि सभी तत्वों से बने रासायनिक पदार्थों तथा द्रव्यों के गुणों तथा संगठन आदि का अध्ययन किया जाता है।

अकार्बनिक यौगिकों का वर्गीकरण

अम्ल: अम्ल ऐसे यौगिक हैं जो पानी में घुल जाते हैं और हाइड्रोजन आयन H+ उत्पन्न करते हैं। उदाहरण के लिए, हाइड्रोक्लोरिक एसिड, साइट्रिक एसिड, सल्फ्यूरिक एसिड, सिरका, आदि। अम्लीय प्रतिक्रिया का एक उदाहरण है: HCl+H2O→H++Cl−

क्षार : क्षार वह यौगिक है जो जल में रखने पर हाइड्रॉक्सिल आयन उत्पन्न करता है। उदाहरण के लिए, पोटेशियम हाइड्रॉक्साइड, कैल्शियम हाइड्रॉक्साइड, अमोनिया, सोडियम हाइड्रॉक्साइड पानी में घुलने पर OH− आयन पैदा करते हैं। KOH+H2O→K++OH−

लवण : लवण एक ऐसा पदार्थ है जो अम्ल और क्षार के बीच अभिक्रिया के परिणामस्वरूप प्राप्त होता है। सोडियम हाइड्रॉक्साइड का टेबल सॉल्ट लवण के सामान्य उदाहरणों में से एक है।

ऑक्साइड: ऑक्साइड ऐसे यौगिक होते हैं जिनमें एक ऑक्सीजन परमाणु होता है।

कार्बनिक रसायन (Organic Chemistry) – यह रसायन विज्ञान की एक प्रमुख शाखा है। कार्बनिक रसायन में मुख्यतः कार्बन और हाइड्रोजन के अणुओं वाले रासायनिक यौगिकों के संरचना, गुणधर्म, रासायनिक अभिक्रियाओं एवं उनके निर्माण का वैज्ञानिक अध्ययन किया जाता है। इसमें कार्बन और हाइड्रोजन के साथ-साथ अन्य अणु भी हो सकते हैं, जैसे- नाइट्रोजन, ऑक्सीजन, फॉस्फोरस, सिलिकॉन, सल्फर, हैलोजन आदि। कार्बन अधिकतर तत्वों के साथ सहयोग करके यौगिक तथा अणुओं का निर्माण करता है। इसलिए कार्बन के बहुत सारे यौगिक और अणु हो गए। बाद में इनके अध्ययन के लिए एक अलग शाखा विकसित हो गई। जिसमें कार्बन से बने सभी यौगिकों और पदार्थो के गुणों तथा संगठन का अध्ययन किया जाता है।

औद्योगिक रसायन (Industrial Chemistry) – यह रसायन विज्ञान की महत्वपूर्ण शाखा है। इसमें बहुत बड़े पैमाने पर पदार्थों का निर्माण किया जाता है। इसमें बड़े पैमाने पर औद्योगिक इकाइयों में उत्पादित किए जाने वाले पदार्थों तथा द्रव्यों मैं जितनी भी अभिक्रियें, सिद्धांतों तथा नियमों का उपयोग किया जाता है, उन सभी का अध्ययन रसायन विज्ञान की औद्योगिक रसायन शाखा के अंतर्गत किया जाता है।

औषधि रसायन (Medical Chemistry) – औषधि रसायन वह शाखा है जिसमें रयायनों का उपयोग कर के इंसान के साथ-साथ अन्य जीवों में होने वाले रोगों के निदान के लिए उपयोग होने वाली औषधियों का निर्माण होता है। औषधि विज्ञान में औषधि पदार्थों के गुण, उपयोग, उनके संगठन तथा बनाने की विधियों आदि का अध्ययन किया जाता है।

विश्लेषक रसायन (Analitical Chemistry) – रसायन विज्ञान की इस शाखा में विभिन्न प्राकृतिक एवं कृत्रिम पदार्थों में विद्यमान रासायनिक घटकों की पहचान, प्रमात्रीकरण और परिष्करण किया जाता है। यह दो तरह का होता है – गुणात्मक विश्लेषण तथा मात्रात्मक विश्लेषण विश्लेषण। गुणात्मक विश्लेषण से किसी नमूने में विद्यमान घटकों की पहचान होती है तथा मात्रात्मक विश्लेषण के द्वारा इन घटकों की मात्रा निर्धारित की जाती है। इस विज्ञान का उपयोग फोरेंसिक्स साइंस, जैवविश्लेषण, चिकित्सीय विज्ञान, पर्यावरणीय विज्ञान और पदार्थों के विश्लेषण में किया जाता है।

कृषि रसायन (Agriculture Chemistry) – कृषि रसायन, रसायन विज्ञान की वह शाखा है, जिसके अंतर्गत विभिन्न प्रकार के जैवनाशक पदार्थों का निर्माण किया जाता है। इन पदार्थों के साथ ही मृदा आदि का अध्ययन करके कृषि उपज बढ़ाने के तरीकों की खोज जाती है।

जैव रसायन (Biochemistry) – जैव रसायन में छोटे-छोटे जीवो में उपस्थित रासायनिक गुणों का अध्ययन तथा जंतुओं और वनस्पति में उसे प्राप्त होने वाले रासायनिक द्रव्यों का अध्ययन उनका संगठन तथा गुणों का ज्ञान प्राप्त किया जाता है।

नाभिकीय रसायन (Nuclear Chemistry) – यह रसायन विज्ञान का एक उपक्षेत्र है। इसके अन्तर्गत रेडियोसक्रियता, नाभिकीय प्रक्रम (जैसे नाभिकीय तत्वान्तरण) तथा नाभिकीय गुणधर्मों का अध्ययन किया जाता है। इसमें ऐक्टिनाइडों और रेडियम, रेडॉन आदि रेडियोसक्रिय तत्त्वों के रसायनविज्ञान के अलावा, नाभिकीय रिएक्टर से सम्बन्धित रसायन विज्ञान का अध्ययन किया जाता है। नाभिकीय अपशिष्ट के भण्डारण के बाद उसके व्यवहार का अध्ययन भी इसका मुख्य क्षेत्र है।

पर्यावरण रसायन शास्त्र (Environmental Chemistry) – पर्यावरण रसायन, सामाजिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण विषय है। इसमें पर्यावरण का जीवन पर प्रभाव, प्रदूषण में कमी और प्रबंधन आदि का अध्ययन किया जाता है। पर्यावरण प्रदूषण और हवा, पानी और मिट्टी के वातावरण पर उनके पर्यावरणीय प्रभाव के व्यवहार, साथ ही मानव स्वास्थ्य और प्राकृतिक पर्यावरण पर अपने प्रभाव का अध्ययन पर्यावरणीय रसायन के अंतर्गत आता है।

इसके साथ पर्यावरण शास्त्र में जीव विज्ञान, विष विज्ञान, जैव रसायन, सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारी विज्ञान के साथ जैविक रसायन शास्त्र, विश्लेषणात्मक रसायन विज्ञान, भौतिक रसायन और अकार्बनिक रसायन विज्ञान के पहलुओं को भी शामिल किया गया है।

हरित रसायन (Green Chemistry) – अमेरिकी वैज्ञानिक पॉल अनास्टास के मुताबिक हरित रसायन उन रासायनिक पदार्थों एवं प्रक्रियाओं के उपयोग एवं विकास पर जोर देता है जिसमें जहरीले प्रदूषक कारक पदार्थों का उपयोग एवं उत्पादन न हो या न्यूनतम हो। हरित रसायन प्रदूषण को उसके उद्गम स्थल पर ही रोकने या घटाने पर जोर देता है। वास्तव में हरित रसायन कोई नया रसायन विज्ञान नहीं, बल्कि रसायनों एवं रासायनिक विधियों के दुष्प्रभावों को घटाने की ही विधि है।

रसायन विज्ञान की इन प्रमुख शाखाओं के अलावा कई क्रॉस-डिसिप्लिनरी शाखाएं भी हैं, जैसे – औषधीय रसायन विज्ञान, न्यूरोकैमिस्ट्री, सामग्री रसायन शास्त्र, परमाणु रसायन शास्त्र, पर्यावरण रसायन शास्त्र, बहुलक रसायन शास्त्र, भूरसायन, खगोलरसायन, बहुलक रसायन, क्लस्टर रसायन, विद्युत् रसायन, पर्यावरण रसायन, आहार रसायन, सामान्य रसायन, नैनो रसायन, ठोस अवस्था रसायन, ऊष्मारसायन और थर्मोकैमिस्ट्री आदि।

हमारे दैनिक जीवन में रसायन विज्ञान

हमारे आसपास लगातार रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती रहती हैं। वहीं, हमारे शरीर में भी हर दिन हजारों रासायनिक प्रतिक्रियाएं होती हैं। शरीर में भोजन के पाचन से लेकर मांसपेशियों की गति तक- सभी शारीरिक क्रियाओं में रासायनिक प्रतिक्रियाएं शामिल होती हैं। हमारे दैनिक जीवन में रसायन विज्ञान के कुछ अन्य उदाहरण नीचे दिए गए हैं-

प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया – यह एक रासायनिक प्रतिक्रिया है। इस क्रिया के द्वारा पौधें पानी, सूरज की रोशनी और कार्बन डाइऑक्साइड को ग्लूकोज और ऑक्सीजन में बदल देते हैं। यह प्रक्रिया ही वह नींव है जिस पर संपूर्ण खाद्य श्रृंखला निर्भर करती है।

साबुन और डिटर्जेंट – दैनिक जीवन में स्वच्छता के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले साबुन और डिटर्जेंट एक रासायनिक प्रक्रिया का उपयोग करते हैं जिसे इमल्सीफिकेशन कहा जाता है। साबुन और डिटर्जेंट का उत्पाद भी एक रासायनिक प्रक्रिया के द्वारा ही किया जाता है, जिसे सैपोनिफिकेशन कहा जाता है।

सनस्क्रीन – हम रोजाना सूर्य के हानिकारक यूवी-ए और यूवी-बी विकिरण से खुद को बचाने के लिए सनस्क्रीन का इस्तेमाल करते हैं। यह भी रसायन पर आधारित होते हैं। इन लोशन और क्रीम में अकार्बनिक और कार्बनिक यौगिकों का संयोजन होता है जो पराबैंगनी विकिरण को फिल्टर कर देते हैं, जिससे हमारी त्वचा को कम-से-कम नुकसान पहुंचता है।