भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की मुख्य शाखा है। कुछ विद्वानों के अनुसार भौतिकी ऊर्जा विषयक विज्ञान है और इसमें ऊर्जा के रूपांतरण तथा उसके द्रव्य संबन्धों की विवेचना की जाती है। इसमें प्राकृत जगत और उसकी आन्तरिक क्रियाओं का अध्ययन किया जाता है। जिसमें स्थान, काल, गति, द्रव्य, विद्युत, प्रकाश, ऊष्मा तथा ध्वनि आदि अनेक विषय सम्मिलित हैं। भौतिकी के सिद्धांत समूचे विज्ञान में मान्य हैं और विज्ञान की हर शाखा में लागू होते हैं। न्यूटन और आइंस्टाइन को आधुनिक भौतिकी शास्त्र का जनक माना जाता है।
भौतिकी में पदार्थ और ऊर्जा एक दूसरे के साथ परस्पर क्रिया और अंतरिक्ष के माध्यम से एक दूसरे को कैसे प्रभावित करते हैं, इसका अध्ययन किया जाता है। भौतिकी की दुनिया में हर खोज के साथ चीजें बदलती रहती हैं। जैसे-जैसे सिद्धांत आगे बढ़ते हैं और खोज की जाती है, न केवल उत्तर बल्कि पूरा प्रश्न बदल जाता है।
भौतिकी का मुख्य सिद्धांत
भौतिकी विज्ञान का मूल सिंद्धांत है ‘उर्जा संरक्षण का नियम’ (law of conservation of energy) है। ऊर्जा संरक्षण के लिए सबसे पहला सिद्धान्त साल 1841 में जूलियस रॉबर्ट मेयर (Julius Robert Mayer) ने दिया। उर्जा संरक्षण का नियम के मुताबिक किसी अयुक्त निकाय (isolated system) की कुल उर्जा समय के साथ नियत रहती है। आसान भाषा में इसका मतबल है कि उर्जा का न तो निर्माण किया जा सकता है न ही नष्ट किया जा सकता है। ऊर्जा को केवल एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित किया जा सकता है।
सूत्र (Formula)
K (1) + U (1) = K (2) +U (2)
K (1) = initial kinetic energy
U (1) = initial potential energy
K (2) = final kinetic energy
U (2) = final potential energy
‘उर्जा संरक्षण नियम’ का उदाहरण
‘उर्जा संरक्षण का नियम’ के मुताबिक गतिज उर्जा, स्थितिज उर्जा में बदल सकती है। विद्युत उर्जा, ऊष्मीय ऊर्जा में बदल सकती है। वहीं, यांत्रिक कार्य से उष्मा उत्पन्न हो सकती है। इसका सीधा-सा मतलब है कि ऊर्जा का केवल रूप परिवर्तित किया जा सकता है। किसी भी द्रव्यसमुदाय में ऊर्जा की मात्रा स्थिर होती है। इसे आंतरिक क्रियाओं द्वारा घटाया या बढ़ाया नहीं जा सकता।
भौतिकी और रसायन विज्ञान में संबंध
ऊर्जा के कई रूप हो सकते हैं और उनका एक रूप से दूसरे रूप में रूपांतरण किया जा सकता है, लेकिन ऊर्जा की मात्रा में परिवर्तन करना संभव नहीं हो सकता। ऊर्जा को लेकर आइंस्टीन ने भी एक प्रसिद्ध सिद्धांत दिया था, जिसे सापेक्षता के सिद्धांत के रूप में जाना जाता है। आइंस्टीन सापेक्षता समीकरण (E = mc2) के माध्यम से द्रव्यमान और ऊर्जा की तुल्यता का पता लगाया जा सकता है। इस समीकरण द्वारा द्रव्यमान को भी उर्जा में परिवर्ति किया जा सकता है। आइंस्टीन के इस समीकरण से द्रव्यमान संरक्षण और ऊर्जा संरक्षण दोनों सिद्धांतों का समन्वय हो जाता है। आइंस्टीन के इस इस सिद्धांत से भौतिकी और रसायन विज्ञान एक दूसरे से जुड़ जाते हैं।
भौतिकी विज्ञान का महत्व
विज्ञान जगत में भौतिकी का महत्त्व इसलिये भी अधिक है कि अभियांत्रिकी तथा शिल्पविज्ञान की जन्मदात्री होने के नाते यह इस युग के अखिल सामाजिक एवं आर्थिक विकास की मूल प्रेरक है। वर्षो पहले भौतिकी को दर्शन शास्त्र का अंग मानकर नैचुरल फिलॉसोफी या प्राकृतिक दर्शनशास्त्र के रूप में अध्ययन किया जाता था। साल 1870 के बाद में इसे भौतिकी विज्ञान (फिजिक्स) के रूप मे जाना जाने लगा।
भौतिकी विज्ञान की शाखाएं
भौतिकी विज्ञान में समय के साथ कई नई खोज और बदलाव होते गए। भौतिकी की आधुनिक परिभाषा में उर्जा और पदार्थ ओर उनके बीच के संबंधों का अध्यन किया जाता है। भौतिकी विज्ञान उन्नति और नई-नई खोज के बाद कई शाषाओं मे बंट गया। भौतिकी विज्ञान की प्रमुख शाखाएं निम्न हैं –
भौतिकी विज्ञान को मुख्य दो भागों में बांटा गया है –
- चिरसम्मत भौतिकी (Classical Physics)
- आधुनिक भौतिकी (Modern Physics)
चिरसम्मत भौतिकी (Classical Physics) – साल 1900 तक की भौतिकी विज्ञान को चिरसम्मत भौतिकी माना जाता था। इसकी प्रमुख उपशाखाएं निम्न हैं –
1. ऊष्मा एवं ऊष्मागतिकी (Heat and Thermodynamics) – इसमें ऊष्मा की प्रक्रति, संचरण और उसके कार्य में परिवर्तनों का अध्ययन किया जाता है।
2. ध्वनि एवं तरंग गति (Sound and Wave motion) – इस शाखा में तरंग गति एवं ध्वनि का उत्पादन और उनके संचरण का अध्ययन किया जाता है।
3. यान्त्रिकी (Mechanics) – यान्त्रिकी में प्रकाश की अपेक्षा निम्न चाल से चलने वाली वस्तुओं की गति और द्रव्य के गुणों का अध्ययन किया जाता है।
4. प्रकाशिकी (Optics) – इसमें प्रकाश व उसके उत्पादन, संचरण एवं संसूचन (detection) से होने वाली सभी घटनाओं का अध्ययन शामिल है।
5.विद्युत-चुम्बकत्व (Electromagnetism) – इसमें विद्युत व चुम्बकत्व एवं विद्युत-चुम्बकीय विकिरण का अध्ययन किया जाता है।
आधुनिक भौतिकी (Modern Physics) – आधुनिक भौतिकी में मुख्यत: 20वीं शताब्दी के बाद की खोज का अध्ययन किया जाता है। इसकी प्रमुख उपशाखाएं इस प्रकार हैं –
- क्वांटम यान्त्रिकी (Quantum Physics) – यह भौतिकी की एक विशेष उपशाखा है। इसमें अणु, परमाणु और नाभिकीय कणों के व्यवहार का अध्ययन किया जाता है।
- परमाणु भौतिकी (Atomic Physics) – यह भौतिकी विज्ञान की बेहद अहम शाखा है। इसमें परमाणु की संरचना एवं विकिरण के साथ उसकी परस्पर क्रियाओं (interactions) का अध्ययन किया जाता है।
- नाभिकीय भौतिकी (Nuclear Physics) – इसमें नाभिक की संरचना एवं नाभिकीय कणों की अन्योन्य क्रियाओं (interactions) का अध्ययन किया जाता है।
- आपेक्षिकता का सिद्धांत (Theory of Relativity) – साल 1905 में आइंस्टीन ने आपेक्षिकता के विशिष्ट सिद्धांत प्रतिपादित किया। इसमें उन नियमों का वर्णन है जो बहुत ही उच्च वेग से चलने वाले कणों की गति पर लागू होते हैं। आइंस्टाइन ने बाद में साल 1915 में आपेक्षिकता का व्यापक सिद्धांत प्रस्तुत किया था, जिसमें गुरुत्वाकर्षण की व्याख्या की गई थी।
- विश्वविज्ञान एवं अंतरिक्ष अन्वेषण (Cosmology and Space exploration) – इसमें दुनिया की उत्पत्ति, संरचना एवं विभिन्न खगोलीय पिण्डों की गति का अध्ययन किया जाता है। अंतरिक्ष अन्वेषण में मानव निर्मि उपग्रहों का प्रक्षेपण व उनसे मिलने वाली सुचनाओं का अध्ययन व विश्लेषण किया जाता है।
- मध्याकार भौतिकी (Mesoscopic Physics) – स्थूल (macroscopic) व सूक्ष्म (microscopic) प्रभाव क्षेत्रों के मध्य एक ऐसा क्षेत्र उभर कर आया है, जिसमें सैकड़ों परमाणुओं के समूहों का अध्ययन किया जाता है।