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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 01 november, 2023 UPSC CNA in Hindi

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था और शासन

  1. कर्मचारियों की कमी और वित्तीय निर्भरता स्थानीय शासन को प्रभावित करती है

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

  1. मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति का भारत के प्रति रुख

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

राजव्यवस्था

  1. नैतिकता, संसदीय आचरण और भारतीय सांसद

पर्यावरण

  1. जलवायु वित्त का आकलन – प्रबंधित करने के तरीकों में स्पष्टता की कमी

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. भारत का ‘डीप ओशन मिशन’

G. महत्त्वपूर्ण तथ्य:

  1. रोहिणी नैय्यर पुरस्कार
  2. एक राष्ट्र, एक पंजीकरण मंच
  3. अखौरा-अगरतला रेल लिंक

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

कर्मचारियों की कमी और वित्तीय निर्भरता स्थानीय शासन को प्रभावित करती है

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

राजव्यवस्था और शासन

विषय: सरकारी नीतियां और स्थानीय स्तर पर उनका कार्यान्वयन, शहरी स्थानीय शासन के मुद्दे, स्थानीय वित्तीय स्वायत्तता और पारदर्शिता।

मुख्य परीक्षा: स्थानीय सरकारों से संबंधित शासन और प्रशासनिक मुद्दे और राज्य सरकारों पर उनकी वित्तीय निर्भरता।

प्रसंग

  • भारत की शहरी-प्रणालियों का वार्षिक सर्वेक्षण (ASICS) 2023 भारतीय शहरी सरकारों की वित्तीय निर्भरता और सीमित स्वायत्तता पर प्रकाश डालता है, जिससे शहरी प्रशासन में महत्वपूर्ण चुनौतियों की जानकारी मिलती है।

भूमिका

  • हाल ही में हुए भारत की शहरी-प्रणालियों के वार्षिक सर्वेक्षण (ASICS) 2023 से वित्तीय सहायता के लिए राज्य सरकारों पर भारतीय शहरी सरकारों की निर्भरता की जानकारी मिलती है।
  • जनाग्रह सेंटर फॉर सिटिजनशिप एंड डेमोक्रेसी द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट, भारत में शहरी सरकारों द्वारा अनुभव की जाने वाली शक्ति की विषमता और सीमित स्वायत्तता को रेखांकित करती है।

शहर की स्वायत्तता और वित्तीय निर्भरता

  • अधिकांश भारतीय शहर वित्तीय सहायता के लिए अपनी-अपनी राज्य सरकारों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
  • पांच राज्यों – बिहार, ओडिशा, झारखंड, मेघालय और राजस्थान – में शहरी सरकारों को पैसे उधार लेने के लिए राज्य की मंजूरी लेनी पड़ती है।
  • केवल असम ही अपनी शहर सरकारों को स्वतंत्र रूप से प्रमुख कर एकत्र करने का अधिकार देता है।

स्वायत्तता बनाम शासन का आकार

  • सर्वेक्षण शहरों को उनकी जनसंख्या के आकार (मेगासिटी, बड़े शहर, मध्यम शहर, छोटे शहर) के आधार पर वर्गीकृत करता है।
  • मेगासिटीज़ का अपने वित्त पर अधिक नियंत्रण होता है, लेकिन उनके महापौरों के लिए पांच साल के कार्यकाल और प्रत्यक्ष चुनाव का अभाव होता है।
  • छोटे शहरों में महापौर का कार्यकाल लंबा होता है और प्रत्यक्ष चुनाव होते हैं लेकिन वित्त पर न्यूनतम नियंत्रण होता है।

कर्मचारियों की नियुक्ति के मामले में सीमित शक्तियाँ

  • महापौरों और नगर परिषदों का कर्मचारियों की नियुक्तियों और पदोन्नति पर सीमित प्रभाव होता है।
  • कुछ राज्य शहरी सरकारों को नगर निगम आयुक्तों की नियुक्ति का अधिकार देते हैं।
  • राज्य सरकारों द्वारा प्रतिनियुक्त वरिष्ठ प्रबंधन टीमें शहरी सरकारों के नियंत्रण से बाहर हैं, जो जवाबदेही में बाधा बन रही हैं।

पारदर्शिता और जवाबदेही

  • नागरिकों के लिए सुलभ नागरिक जानकारी प्रकाशित करने में पारदर्शिता की कमी एक उल्लेखनीय मुद्दा है।
  • 35 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में से केवल 11 ने सार्वजनिक प्रकटीकरण कानून लागू किया है, जो प्रमुख नागरिक डेटा प्रकाशित करना अनिवार्य करता है।
  • वित्तीय पारदर्शिता एक चिंता का विषय बनी हुई है, क्योंकि बहुत कम शहर त्रैमासिक लेखापरीक्षित वित्तीय विवरण प्रकाशित करते हैं।

रिक्त पदों पर प्रभाव

  • कर्मचारियों की नियुक्तियों पर सीमित नियंत्रण के कारण स्थानीय सरकारों में उच्च स्तर पर रिक्त पदों की स्थिति और भी बदतर हो गई है।
  • भारत के नगर निगमों में 35% पद खाली हैं, नगर पालिकाओं और नगर पंचायतों में स्थिति बदतर है।

अंतर्राष्ट्रीय तुलना

  • न्यूयॉर्क, लंदन और जोहान्सबर्ग जैसे शहरों के साथ तुलना करने से भारतीय शहरों के सामने आने वाली अनोखी चुनौतियों पर प्रकाश पड़ता है।
  • इन विदेशी महानगरों में प्रति जनसंख्या अधिक कर्मचारी, अधिक वित्तीय स्वायत्तता और कर लगाने, बजट स्वीकृत करने, निवेश करने और बाहरी अनुमोदन के बिना उधार लेने की क्षमता है।

सारांश:

  • ASICS 2023 रिपोर्ट से पता चलता है कि वित्तीय मामलों और कर्मचारियों की नियुक्तियों में सीमित शक्तियों के साथ, भारतीय शहरी सरकारें राज्य के समर्थन पर बहुत अधिक निर्भर हैं। पारदर्शिता के मुद्दे और उच्च रिक्ति दरें भी शहरी प्रशासन को प्रभावित करती हैं।

मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति का भारत के प्रति रुख

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विषय: भारत एवं इसके पड़ोसी – अंतर्राष्ट्रीय संबंध; भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।

मुख्य परीक्षा: भारत-मालदीव संबंध

प्रसंग

  • मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मुइज्जू का लक्ष्य विपक्ष के ‘इंडिया आउट’ अभियान के साथ जुड़कर चीनी सहायता को महत्त्व देते हुए भारतीय सैन्य उपस्थिति को हटाना है।

भूमिका

  • मालदीव के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू, जिन्होंने सितंबर 2023 का चुनाव जीता लिया है, ने देश से भारतीय सैनिकों को हटाने के अपने इरादे पर जोर दिया है।
  • उनका रुख मुख्य विपक्षी गुट के ‘इंडिया आउट’ अभियान के साथ संरेखित है, जो निवर्तमान राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की भारत समर्थक विदेश नीति का विरोध करता है।

भारतीय सैन्य उपस्थिति

  • मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (MNDF) के अनुसार, 75 भारतीय सैन्यकर्मी मालदीव में भारतीय द्वारा प्रदान किए गए डोर्नियर विमान और हेलीकॉप्टर संचालित करते हैं।
  • इन संपत्तियों का उपयोग चिकित्सा निकासी, खोज और बचाव, प्रशिक्षण, निगरानी और गश्त सहित विभिन्न कार्यों के लिए किया जाता है।

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मुइज्जू भारतीय सैनिकों का विरोध क्यों करते हैं?

  • राष्ट्रपति यामीन के नेतृत्व में पिछला प्रशासन चीन की ओर झुक गया था, जिससे मालदीव-भारत संबंधों में तनाव आ गया था।
  • इस राजनीतिक खेमे से जुड़े मुइज्जू चीन के प्रति ऋण दायित्वों सहित मालदीव के ऋण दायित्वों पर चर्चा करने से बचते हुए चीनी सहायता के लाभों पर जोर देना चाहते हैं।
  • भारतीय सैन्य उपस्थिति को हटाने की उनकी बारंबार प्रतिज्ञा चुनाव पूर्व वादों को पूर्ण करने के अलावा, अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा चुनाव को भारत और चीन पर जनमत संग्रह के रूप में पेश करने से जुड़ी हुई प्रतीत होती है।

निर्वाचित राष्ट्रपति मुइज्जू के लिए चुनौतियाँ

  • जहाँ, निर्वाचित राष्ट्रपति मुइज्जू भारतीय सैनिकों को हटाने का इरादा रखते हैं, वहीं उन्हें महत्वपूर्ण आर्थिक चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। मालदीव भारी कर्ज के बोझ से जूझ रहा है, जिससे कर्ज संकट से निपटने के लिए भारत और चीन जैसे प्रमुख ऋणदाताओं और विकास साझेदारों के साथ सहयोग महत्वपूर्ण हो गया है।

भारत के हित

  • हाल के वर्षों में, भारत मालदीव का प्राथमिक सुरक्षा और आर्थिक भागीदार बन गया है, जो सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए पर्याप्त धनराशि प्रदान कर रहा है।
  • मालदीव में भारत के हित हिंद महासागर क्षेत्र में उसकी सुरक्षा चिंताओं से निकटता से जुड़े हुए हैं, खासकर चीन की बढ़ती उपस्थिति के संबंध में।

सारांश:

  • मालदीव में भारत की भूमिका को लेकर चिंताओं के बीच, नए राष्ट्रपति को विदेश नीति में संतुलन और आसन्न ऋण संकट जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

नैतिकता, संसदीय आचरण और भारतीय सांसद

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

राजव्यवस्था

विषय: भारतीय राजनीति और शासन – संविधान, राजनीतिक व्यवस्था, पंचायती राज, सार्वजनिक नीति, अधिकार मुद्दे, आदि।

मुख्य परीक्षा: संसद और राज्य विधायिका- संरचना, कार्य, कार्य-संचालन, शक्तियाँ एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय।

प्रसंग:

  • लोकसभा आचार समिति ने अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ उन आरोपों की जाँच के लिए कार्यवाही शुरू की है कि उन्होंने संसद में सवाल पूछने के लिए एक व्यवसायी से पैसे लिए थे।

इसी तरह के आरोपों के पूर्व उदाहरण:

  • संसद में प्रश्न पूछने के लिए पैसे लेना विशेषाधिकार का उल्लंघन और सदन की अवमानना है।
  • इस प्रकृति की शिकायतों को जाँच के लिए विशेषाधिकार समिति को भेजा जाता है और समिति जाँच करेगी और संबंधित सांसद के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश के साथ निष्कर्षों के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
  • आरोप सिद्ध होने पर संबंधित सांसद को सदन से निष्कासित कर दिया जाएगा। लोकसभा में ऐसे उदाहरण सामने आए हैं जहां सांसदों को इस आधार पर सदन से निष्कासित किया गया है।
  • 1951 में एक सांसद एच.जी. मुद्गल को वित्तीय लाभ के बदले में एक व्यापारिक संघ के हितों को बढ़ावा देने का दोषी पाया गया था। सदन की एक विशेष समिति ने पाया कि उनका आचरण सदन की गरिमा के लिए अपमानजनक था और उन मानकों के साथ असंगत था जिनकी संसद अपने सदस्यों से अपेक्षा करने का हकदार है।
  • 2005 में, एक स्टिंग ऑपरेशन में पाया गया कि लोकसभा के 10 सदस्य संसद में प्रश्न पूछने के लिए पैसे ले रहे थे और उन सभी को निष्कासित कर दिया गया।
  • लोकसभा की आचार समिति एक अपेक्षाकृत नई समिति है जिसे 2000 में स्थापित किया गया था, जिसे सांसदों के अनैतिक आचरण से संबंधित हर शिकायत की जाँच करने और कार्रवाई की सिफारिश करने का अधिकार दिया गया था। इसे सांसदों के लिए आचार संहिता तैयार करने का भी काम सौंपा गया था।

‘अनैतिक’ शब्द की अपरिभाषित प्रकृति:

  • ‘अनैतिक आचरण’ शब्द को कहीं भी परिभाषित नहीं किया गया है और किसी विशेष आचरण की जाँच करना और यह तय करना समिति का विवेक है कि यह अनैतिक है या नहीं।
  • अतीत में समिति ने एक सांसद को सदन की 30 बैठकों के लिए निलंबित कर दिया था जब उसे अपनी करीबी महिला साथी को अपनी पत्नी बताकर संसदीय दौरे पर अपने साथ ले जाने का दोषी पाया गया था।
  • उन्हें उस लोकसभा के कार्यकाल के अंत तक किसी भी आधिकारिक दौरे पर किसी साथी या अपने जीवनसाथी को ले जाने से भी रोक दिया गया था।
  • गंभीर कदाचार से जुड़े अधिक गंभीर मामलों को या तो विशेषाधिकार समिति या विशेष समितियों द्वारा निपटाया जाता है, न कि आचार समिति द्वारा।
  • सुश्री मोइत्रा के मामले में, आरोप अवैध परितोषण के बारे में है जो विशेषाधिकार के उल्लंघन से अधिक जुड़ा हुआ है और इसका निपटान आचार समिति द्वारा नहीं किया जा सकता है।
  • चूंकि किसी लोक सेवक द्वारा रिश्वत लेना एक आपराधिक अपराध है, इसलिए इसकी जाँच आम तौर पर सरकार की आपराधिक जाँच एजेंसियों द्वारा की जाती है। जिन 10 सांसदों को लोकसभा से निष्कासित किया गया था, उन पर अभी भी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा चल रहा है।

संसदीय जाँच की प्रकृति:

  • संसदीय जाँच न्यायिक जाँच से भिन्न होती है। न्यायिक जाँच न्यायिक रूप से प्रशिक्षित व्यक्तियों द्वारा की जाती है और यह क़ानूनों और नियमों पर आधारित होती है।
  • संसदीय समितियों में संसद सदस्य शामिल होते हैं जो विशेषज्ञ नहीं होते हैं। चूँकि संसद के पास कार्यपालिका की संवीक्षा करने की शक्ति है, जो उसके प्रति जवाबदेह है, उसके पास जाँच की शक्ति भी है।
  • जाँच के मामले में संसद द्वारा अपनाए जाने वाले तरीके न्यायपालिका से भिन्न होते हैं और संसदीय समिति सदन के नियमों के तहत कार्य करती है।
  • सामान्य तरीकों में शिकायतकर्ता और गवाहों द्वारा समिति के समक्ष रखे गए लिखित दस्तावेजों की जाँच, सभी प्रासंगिक गवाहों का मौखिक परीक्षण, विशेषज्ञों की गवाही, यदि आवश्यक समझा जाए, तो समिति के समक्ष रखे गए साक्ष्यों की पूरी मात्रा की छानबीन करना और साक्ष्यों के आधार पर निष्कर्ष पर पहुंचना शामिल है।
  • अंततः समिति सामान्य ज्ञान के आधार पर निर्णय लेती है और साक्ष्य अधिनियम के तहत साक्ष्य के नियम संसदीय समिति की जाँच पर लागू नहीं होते हैं।
  • सभापति ही किसी व्यक्ति या दस्तावेज़ के साक्ष्य की प्रासंगिकता के प्रश्न का निर्णय करता है।

अनुच्छेद 105:

  • संविधान का अनुच्छेद 105 सदन के अंदर सांसदों के लिए बोलने की स्वतंत्रता सुनिश्चित करता है।
  • इस अधिकार में संसद के अंदर प्रश्न पूछने और विधेयक या प्रस्ताव तैयार करने के लिए किसी भी स्रोत का उपयोग करने का अधिकार भी शामिल होना चाहिए।
  • अनुच्छेद 105 के आलोक में, किसी सांसद की जानकारी के स्रोत की जाँच को कानूनी मंजूरी नहीं मिल सकती है।

सारांश:

  • किसी सांसद के खिलाफ संसदीय कार्यवाही न्यायिक जाँच के समान नहीं है क्योंकि साक्ष्य अधिनियम संसदीय समिति द्वारा की जाने वाली जाँच पर लागू नहीं होता है।

जलवायु वित्त का आकलन – प्रबंधित करने के तरीकों में स्पष्टता की कमी

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित

पर्यावरण

विषय: पर्यावरण पारिस्थितिकी, जैव विविधता और जलवायु परिवर्तन से संबंधित सामान्य मुद्दे – जिनके लिए विषय विशेषज्ञता की आवश्यकता नहीं है।

मुख्य परीक्षा: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव का आकलन।

प्रसंग:

  • जलवायु परिवर्तन 2023 के संदर्भ में: COP – पक्षकारों के सम्मेलन (COP 28) की बैठक (30 नवंबर-12 दिसंबर) – में वैश्विक मूल्यांकन के लिए मुख्य वैज्ञानिक इनपुट प्रदान करने वाली संश्लेषण रिपोर्ट महत्व रखती है।

जलवायु परिवर्तन 2023: संश्लेषण रिपोर्ट:

  • रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूदा तापमान में 1.1 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि लगातार खतरनाक होते मौसम के लिए जिम्मेदार है।
  • भविष्य में जलवायु परिवर्तन वार्ता में विकासशील देशों का विश्वास बनाए रखने में जलवायु वित्त की महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • विकसित देशों और जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील देशों से यह मांग करने की अपेक्षा की जाती है कि विकासशील देश अपनी शमन कार्रवाई में तेजी लाएँ।
  • विकासशील देश जलवायु वित्त में 100 अरब डॉलर जुटाने में विकसित देशों की विफलता को भी इंगित करेंगे।
  • साझा लेकिन विभेदित ज़िम्मेदारियाँ और संबंधित क्षमताएँ सिद्धांत के तहत, विकसित देश विकासशील देशों को वित्त प्रदान करके सहायता करने के लिए बाध्य हैं।

जलवायु वित्त:

  • जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के अनुच्छेद 9 के तहत, विकसित देशों के लिए यह अनिवार्य है कि वे अपने द्वारा प्रदान किए गए वित्तीय संसाधनों से संबंधित जानकारी प्रदान करें और साथ ही, विकासशील देशों को उनके द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (BUR) में प्रदान किए जाने वाले सार्वजनिक वित्तीय संसाधनों के अनुमानित स्तर के बारे में जानकारी प्रदान करें।
  • 2009 में कोपेनहेगन जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में विकसित देशों ने 2020 तक प्रति वर्ष 100 अरब डॉलर जुटाने की प्रतिबद्धता जताई थी।
  • विकसित देशों को, पेरिस समझौते के साथ लिए गए निर्णय के अनुसार, 2025 तक सामूहिक रूप से 100 बिलियन डॉलर जुटाने की आवश्यकता है, इससे पहले कि 2024 के अंत तक प्रति वर्ष 100 बिलियन डॉलर के स्तर से एक नया सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) निर्धारित किया जाए।
  • विकसित देशों ने उल्लेख किया कि वे 2021 में ग्लासगो में 26वें संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में कुल 79.6 बिलियन डॉलर ही जुटाने में सक्षम रहे।

आवश्यक वित्त:

  • वैश्विक दक्षिण के देशों को अपने NDC को पूरा करने के लिए 2030 तक करीब 6 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता है।
  • भारत की तीसरी द्विवार्षिक अद्यतन रिपोर्ट (BUR) के अनुसार, 2015-30 के लिए अनुकूलन और शमन उद्देश्यों के लिए BUR से प्राप्त वित्तीय आवश्यकताएं क्रमशः 206 अरब डॉलर और 834 अरब डॉलर हैं।
  • पारंपरिक प्रणालियों से निम्न-कार्बन, स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों की ओर संक्रमण के लिए अधिकांश वित्तीय आवश्यकताओं की जरुरत होती है, जिसे जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) के किसी भी वित्तीय तंत्र द्वारा वित्त पोषित नहीं किया जाएगा।
  • इसके अलावा, ‘भारत के 159 जिलों में 3.6 मिलियन लोग जो कोयला खनन और बिजली क्षेत्र से संबंधित प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष नौकरियों के माध्यम से जीवाश्म ईंधन अर्थव्यवस्था में शामिल हैं, उन्हें भी संक्रमण के दौरान उपयुक्त आर्थिक अवसरों और आजीविका के साथ समर्थन दिया जाएगा।’

बोझ साझा करने का फॉर्मूला:

  • विकसित देशों के बीच उस वित्तीय बोझ को साझा करने के लिए कोई सहमत फॉर्मूला नहीं है जो उन्हें विकासशील देशों को प्रदान करना अनिवार्य है।
  • एक विश्लेषण से पता चलता है कि संयुक्त राज्य अमेरिका ने 2020 में अपनी न्यायोचित हिस्सेदारी का केवल 5% प्रदान किया।
  • किसी अनिवार्य फॉर्मूले के अभाव में, यह स्पष्ट नहीं है कि नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) के लिए वित्त कैसे जुटाया जाएगा।
  • न तो UNFCCC और न ही पेरिस समझौते में संसाधन जुटाने की कसौटी का उल्लेख है। इसके बजाय, पुनःपूर्ति प्रक्रिया की सहायता से जुटाव किया जाता है।
  • वैश्विक पर्यावरण सुविधा की हर चार साल में पुनःपूर्ति की जाती है और यह विकासशील देशों को अनुदान और रियायती ऋण प्रदान करने में शामिल है।
  • इस पुनःपूर्ति मॉडल का अनुसरण हरित जलवायु कोष (GCF) द्वारा भी किया जाता है, जिसे विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों को निम्न उत्सर्जन और जलवायु-सुनम्य विकास पथ पर बदलाव करने के लिए धन प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया था।
  • GCF में नौ विकासशील देशों का स्वैच्छिक योगदान भी शामिल है।

सारांश:

  • विकसित देश पर्यावरण को बचाने के लिए जलवायु वित्त हस्तांतरण में तत्परता नहीं दिखा रहे हैं, जो कि एक साझा हित है, इसी तरह जब G20 सरकारों ने 2009-2010 में वैश्विक संकट के प्रति प्रतिक्रिया व्यक्त की थी जब उन्होंने वैश्विक वित्तीय प्रणाली को बचाने के लिए 1.1 ट्रिलियन डॉलर जुटाए थे। यह भी एक सार्वजनिक हित (वैश्विक वित्तीय स्थिरता) है।

प्रीलिम्स तथ्य:

भारत का ‘डीप ओशन मिशन’

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

प्रारंभिक परीक्षा: भारत का गहरे महासागर मिशन

भूमिका

  • डीप ओशन मिशन (DOM) समुद्र की गहराई में छिपी व्यापक संभावनाओं की खोज और दोहन के लक्ष्य के साथ भारत सरकार द्वारा किया गया एक उल्लेखनीय प्रयास है।
  • भारत का लक्ष्य तीन सदस्यीय दल के साथ स्वदेशी पनडुब्बी का उपयोग करके 6,000 मीटर की समुद्र की गहराई तक पहुंचना है, जो देश के लिए इस तरह का पहला मिशन है।

DOM के प्रमुख पहलू

  • DOM को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 2021 में पांच साल के चरणबद्ध कार्यान्वयन के लिए लगभग ₹4,077 करोड़ के बजट के साथ मंजूरी दी थी।
  • मिशन में छह स्तंभ शामिल हैं:
  1. गहरे समुद्र में खनन और मानवयुक्त पनडुब्बी के लिए प्रौद्योगिकियों का विकास।
  2. महासागरीय जलवायु परिवर्तन परामर्श सेवाएँ।
  3. गहरे समुद्र में जैव विविधता की खोज और संरक्षण के लिए तकनीकी नवाचार।
  4. बहु-धातु हाइड्रोथर्मल सल्फाइड की पहचान करने के लिए गहरे समुद्र का सर्वेक्षण।
  5. समुद्र से ऊर्जा और मीठे पानी का दोहन।
  6. महासागर जीव विज्ञान के लिए एक उन्नत समुद्री स्टेशन की स्थापना।

राष्ट्रीय एवं वैश्विक लक्ष्यों के साथ तालमेल

  • यह मिशन भारत के ‘न्यू इंडिया 2030’ प्रलेख के अनुरूप है, जो नीली अर्थव्यवस्था को मुख्य उद्देश्य के रूप में प्रमुखता देता है।
  • संयुक्त राष्ट्र ने सतत समुद्री संसाधन उपयोग के महत्व पर जोर देते हुए 2021-2030 को ‘समुद्र विज्ञान दशक’ घोषित किया है।
  • DOM प्रधानमंत्री की विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (PMSTIAC) के तहत नौ मिशनों में से एक है।

प्रगति और चुनौतियाँ

  • राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) गहरे समुद्र में खोज और खनन के लिए स्वदेशी तकनीक विकसित कर रहा है।
  • समुद्र तल से 6,000 मीटर की गहराई तक पहुंचने के लिए पनडुब्बी ‘मत्स्य6000’ का उपयोग किया जाएगा।
  • मिशन का उद्देश्य तांबा, मैंगनीज, निकल और कोबाल्ट जैसे बहुमूल्य खनिजों वाले पॉलीमेटेलिक नोड्यूल की संभावना का पता लगाना है।
  • चुनौतियों में उच्च दबाव, मुलायम और कीचड़युक्त समुद्र तल, मजबूत उपकरणों की आवश्यकता और सीमित दृश्यता शामिल हैं।

मत्स्य6000 की वैश्विक स्थिति

  • मत्स्य6000 भारत की गहरे समुद्र में संचालित होने वाली प्रमुख मानव पनडुब्बी है, जिसे समुद्र तल की अन्वेषण की सुविधा के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • भारत गहरे समुद्र में सफल मिशनों के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और जापान जैसे देशों की श्रेणी में शामिल होने के लिए तैयार है।
  • मत्स्य6000 में दूरस्थ संचालित वाहनों (ROVs) और स्वचालित दूरस्थ वाहनों (AUVs) की विशेषताएँ शामिल हैं और इसे गहरे समुद्र में अवलोकन मिशन के लिए डिज़ाइन किया गया है।

मत्स्य6000 की अनूठी विशेषताएं

  • मत्स्य6000 मजबूत टाइटेनियम मिश्र धातु से निर्मित 2.1 मीटर व्यास वाले विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए गोलक में चालक दल के तीन सदस्यों को समायोजित कर सकती है।
  • इसमें उन्नत संचार प्रणालियाँ, नेविगेशन, पोजिशनिंग सिस्टम, कैमरे, लाइटें और अंडरवाटर थ्रस्टर्स शामिल हैं।
  • मत्स्य6000 ऊर्जा दक्षता सुनिश्चित करते हुए लगभग 5.5 किमी/घंटा की गति के साथ एक फ्री-फ्लोटिंग सिस्टम के रूप में काम करेगी।
  • भारत एकमात्र ऐसा देश बन जाएगा जिसके पास गहरे पानी वाले ROVs, ध्रुवीय ROVs, AUVs और अन्य सुविधाओं सहित पानी के भीतर वाहनों का संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र होगा।

महत्त्वपूर्ण तथ्य:

  1. रोहिणी नैय्यर पुरस्कार :
  2. भूमिका

    • समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता दीनानाथ राजपूत को छत्तीसगढ़ में ग्रामीण विकास में उत्कृष्ट योगदान के लिए रोहिणी नैय्यर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
    • आदिवासी महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने में उनके असाधारण प्रयासों के लिए पहचाने जाने वाले राजपूत ने 2018 में एक किसान उत्पादक संगठन (FPO) की स्थापना की थी।

    पुरस्कार विवरण

    • दीनानाथ राजपूत को एक कार्यक्रम में पुरस्कार प्रदान किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पंद्रहवें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन. के. सिंह शामिल थे।
    • पुरस्कार में ₹10 लाख का नकद पुरस्कार, एक ट्रॉफी और एक प्रशस्ति पत्र शामिल है। यह पुरस्कार रोहिणी नैय्यर पुरस्कार का दूसरा संस्करण है, जिसे प्रतिष्ठित अर्थशास्त्री रोहिणी नैय्यर के सम्मान में स्थापित किया गया था, जिनका 2021 में दुखद निधन हो गया।

    दीनानाथ राजपूत की उपलब्धियाँ

    • 2018 में, 33 साल की उम्र में, दीनानाथ राजपूत ने छत्तीसगढ़ के जगदलपुर, बस्तर, में एक किसान उत्पादक संगठन (FPO) के गठन की शुरुआत की।
    • FPO की शुरुआत क्षेत्र की 337 आदिवासी महिलाओं की प्रारंभिक सदस्यता के साथ हुई।

    FPO का प्रभाव

    • किसान उत्पादक संगठन (FPO) छत्तीसगढ़ में आदिवासी महिलाओं के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है।
    • इसने स्थानीय समुदाय के लिए आर्थिक सशक्तिकरण और बेहतर आजीविका के अवसर प्रदान किए हैं।
  3. एक राष्ट्र, एक पंजीकरण मंच :
  4. भूमिका

    • राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (NMC) डॉक्टरों के पंजीकरण को सुव्यवस्थित करने और उनकी जानकारी तक सार्वजनिक पहुंच बढ़ाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी मंच शुरू करने की तैयारी कर रहा है।
    • “एक राष्ट्र, एक पंजीकरण” मंच का उद्देश्य दोहराव और नौकरशाही को खत्म करते हुए चिकित्सकों के लिए प्रक्रिया को सरल बनाना है।

    NMC की पहल की मुख्य विशेषताएं

    • NMC आने वाले छह महीनों के भीतर राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर (NMR) का एक परीक्षण संस्करण लॉन्च करने के लिए तैयार है।
    • इस प्रणाली के तहत डॉक्टरों को एक विशिष्ट पहचान संख्या प्राप्त होगी।
    • चिकित्सा व्यवसायी अपने स्थान के आधार पर किसी भी भारतीय राज्य में चिकित्सा का अभ्यास करने के लिए लाइसेंस के लिए आवेदन कर सकते हैं।
    • NMC ने “2023 में मेडिकल प्रैक्टिशनर्स के पंजीकरण और प्रैक्टिस मेडिसिन के लाइसेंस के लिए विनियम” शीर्षक से एक आधिकारिक राजपत्र अधिसूचना जारी की, जिसमें इस पहल का विवरण दिया गया।

    राष्ट्रीय चिकित्सा रजिस्टर (NMR) का उद्देश्य

    • NMC का उद्देश्य NMR के माध्यम से स्नातक मेडिकल छात्रों को एक पहचान संख्या प्रदान करना है।
    • यह आईडी योग्यताओं और अतिरिक्त प्रमाणपत्रों को ट्रैक करने के लिए एकल संदर्भ बिंदु के रूप में काम करेगी।
    • सिस्टम में पंजीकृत लगभग 14 लाख डॉक्टरों का डेटा व्यापक डेटाबेस के लिए NMR में स्थानांतरित कर दिया जाएगा।

    चिकित्सा संस्थानों का गुणवत्ता मूल्यांकन

    • NMC ने भारतीय गुणवत्ता परिषद के साथ एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किया है।
    • शैक्षणिक सत्र 2024-25 से, सरकारी और निजी दोनों मेडिकल कॉलेज अपने द्वारा दी जाने वाली शिक्षा की गुणवत्ता के आधार पर रेटिंग प्रक्रिया से गुजरेंगे।
  5. अखौरा-अगरतला रेल लिंक :
  6. भूमिका

    • एक ऐतिहासिक घटनाक्रम में, बांग्लादेश और पूर्वोत्तर भारत साढ़े सात दशक के अंतराल को समाप्त करते हुए, त्रिपुरा से होते हुए रेल कनेक्टिविटी को फिर से स्थापित करने के लिए तैयार हैं।
    • भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना द्वारा वर्चुअल रूप उद्घाटित अखौरा-अगरतला रेल लिंक, बांग्लादेश से होते हुए त्रिपुरा को कोलकाता से जोड़ने में एक महत्वपूर्ण कदम है।

    रेल लिंक का महत्व

    • वर्तमान में, अगरतला के लिए ट्रेनों को गुवाहाटी और जलपाईगुड़ी स्टेशनों से होते हुए लंबा मार्ग लेना पड़ता है। नया लिंक कोलकाता से त्रिपुरा, दक्षिणी असम और मिजोरम तक पहुंचने के लिए यात्रा के समय और दूरी को काफी कम कर देगा।
    • यह कृषि उत्पादों, चाय, चीनी, निर्माण सामग्री, लोहा और इस्पात, उपभोक्ता वस्तुओं में भारत-बांग्लादेश व्यापार को सुविधाजनक बनाएगा और लोगों से लोगों के बीच संबंधों को बढ़ाएगा।
    • इस परियोजना को भारत सरकार द्वारा बांग्लादेश को दी गई ₹392.52 करोड़ की अनुदान सहायता से समर्थन प्राप्त था।

    तकनीकी विवरण

    • अखौरा-अगरतला क्रॉस-बॉर्डर रेल लिंक 12.24 किमी तक फैला है, जिसमें बांग्लादेश में 6.78 किमी और त्रिपुरा में 5.46 किमी दोहरी गेज लाइन शामिल है।
    • उद्घाटन से पहले बांग्लादेश से आई एक मालगाड़ी ने दोनों स्टेशनों के बीच ट्रायल रन किया।

    ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व

    • बांग्लादेश के ब्राह्मणबारिया जिले में अखौरा जंक्शन का औपनिवेशिक युग से ही भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र के साथ वाणिज्यिक और सांस्कृतिक संबंधों का एक समृद्ध इतिहास रहा है।
    • 19वीं सदी के अंत में जंक्शन का प्रारंभिक निर्माण असम के चाय उद्योग की मांग से प्रेरित था, जिसके लिए चटगांव बंदरगाह से कनेक्शन की मांग की गई।
    • इस कनेक्शन को फिर से स्थापित करने की परियोजना को 2010 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के कार्यकाल के दौरान पुनर्जीवित किया गया था।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. लोकसभा आचार समिति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. कोई भी व्यक्ति संसद सदस्य (सांसद) के खिलाफ एक अन्य लोकसभा सांसद के माध्यम से कदाचार के साक्ष्य और एक शपथ पत्र के साथ, जिसमें कहा गया है कि शिकायत झूठी नहीं है, शिकायत दर्ज कर सकता है।
  2. एक सदस्य किसी अन्य सदस्य के खिलाफ साक्ष्य के साथ, बिना किसी शपथ पत्र की आवश्यकता के, शिकायत कर सकता है।
  3. सदन का अध्यक्ष किसी सांसद के खिलाफ किसी भी शिकायत को समिति के पास भेज सकता है।

इनमें से कितने कथन सही हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीन
  4. कोई भी नहीं

उत्तर: c

व्याख्या: तीनों कथन सही हैं।

प्रश्न 2. वैश्विक पर्यावरण सुविधा (GEF) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. इसकी स्थापना 2010 में कानकुन समझौते के तहत की गई थी।
  2. यह UNFCCC द्वारा नामित फंडिंग एजेंसी है जो विकासशील देशों को अनुदान और रियायती ऋण प्रदान करती है।
  3. यह पाँच प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय अभिसमयों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

इनमें से कितने कथन सही हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीन
  4. कोई भी नहीं

उत्तर: b

व्याख्या: GEF की स्थापना 1992 के रियो पृथ्वी शिखर सम्मेलन की पूर्व संध्या पर की गई थी। हरित जलवायु कोष (GCF) की स्थापना 2010 में कानकुन समझौते के तहत की गई थी।

प्रश्न 3. भारत की शहरी प्रणालियों का वार्षिक सर्वेक्षण (ASICS) 2023 प्रकाशित किया गया:

  1. नीति आयोग द्वारा
  2. जनाग्रह सेंटर फॉर सिटीजनशिप एंड डेमोक्रेसी द्वारा
  3. प्रथम द्वारा
  4. आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा

उत्तर: b

व्याख्या: भारत की शहरी प्रणालियों का वार्षिक सर्वेक्षण (ASICS) 2023, रिपोर्ट, एक गैर-लाभकारी संस्थान, जनाग्रह सेंटर फॉर सिटिजनशिप एंड डेमोक्रेसी द्वारा प्रकाशित की गई।

प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कितने देश कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव (CSC) के सदस्य हैं?

  1. भारत
  2. श्रीलंका
  3. मालदीव
  4. मॉरीशस
  5. सेशेल्स

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. केवल दो
  2. केवल तीन
  3. केवल चार
  4. सभी पाँच

उत्तर: c

व्याख्या: कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव की स्थापना 2011 में एक त्रिपक्षीय समुद्री सुरक्षा समूह के रूप में की गई थी जिसमें भारत, श्रीलंका और मालदीव शामिल थे। CSC में अब तीन सदस्यों के अलावा मॉरीशस भी शामिल है।

प्रश्न 5. मैत्री सुपर थर्मल पावर परियोजना विकसित किया जा रही है:

  1. बांग्लादेश भारत मैत्री विद्युत कंपनी द्वारा।
  2. नेपाल भारत मैत्री विद्युत कंपनी द्वारा।
  3. श्रीलंका – भारत मैत्री विद्युत कंपनी द्वारा।
  4. दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के सदस्य राष्ट्रों द्वारा।

उत्तर: a

व्याख्या: मैत्री सुपर थर्मल पावर परियोजना बांग्लादेश भारत मैत्री विद्युत कंपनी द्वारा विकसित की जा रही है, जो भारत के राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम और बांग्लादेश विद्युत विकास बोर्ड के बीच 50:50 का संयुक्त उद्यम है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

  1. जब तक जलवायु वित्तपोषण का प्रश्न हल नहीं हो जाता, हमें अंधकारमय भविष्य ही दिखाई देता है। टिप्पणी कीजिए। (Unless the question of climate financing is resolved, we are staring at a bleak future. Comment.)
  2. (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस- III: पर्यावरण]

  3. भारत के स्थानीय शासन संस्थान संसाधनों की कमी के मुद्दों से ग्रस्त हैं, लेकिन असमानता के कारण स्थिति और भी खराब हो जाती है। क्या आप सहमत हैं? अपने दावे के समर्थन में उचित उदाहरण प्रस्तुत कीजिए। (India’s local governance institutions are plagued by issues of lack of resources, but the situation gets even worse due to disparity. Do you agree? Give appropriate examples to support your claim.)

(250 शब्द, 15 अंक) [जीएस- II: राजव्यवस्था और शासन]

(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)