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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 01 October, 2022 UPSC CNA in Hindi

01 अक्टूबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. भारतीय पेट्रोकेमिकल कंपनी पर अमेरिकी प्रतिबंध
  2. पुतिन ने चार यूक्रेनी क्षेत्रों को रूस में मिलाया

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. नीतिगत रेपो दरें

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

सामाजिक मुद्दे:

  1. भारत के आगे बढ़ने के साथ ही बुजुर्गों पर ध्यान देने की आवश्यकता

शासन:

  1. दूरसंचार सेवाओं का लोकतंत्रीकरण करने का मौका गंवाना

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. विदेशी न्यायाधिकरण
  2. IPO के लिए सेबी के मानदंड

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. दादा साहब फाल्के पुरस्कार

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारतीय पेट्रोकेमिकल कंपनी पर अमेरिकी प्रतिबंध

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव

मुख्य परीक्षा: भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों का प्रभाव

संदर्भ: अमेरिका ने ईरान से तेल खरीद के संदर्भ में भारतीय पेट्रोकेमिकल कंपनी पर प्रतिबंध लगाया।

भूमिका:

  • हाल ही में अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (OFAC) ने ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों को बेचने के आरोपी विभिन्न संस्थाओं के साथ मुंबई स्थित एक पेट्रोकेमिकल कंपनी पर प्रतिबंध लगाए हैं।
  • OFAC के बयान के अनुसार, उसने “अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के नेटवर्क” जो दक्षिण एशिया और पूर्वी एशिया में “सैकड़ों मिलियन डॉलर” के ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पादों की बिक्री में शामिल थे, पर प्रतिबंध लगाए थे।
  • ट्रेजरी विभाग ने ईरानी दलालों तथा यूएई, हांगकांग और भारत की कई प्रमुख कंपनियों पर आरोप लगाया कि उन्होंने शिपमेंट के “कंट्री ऑफ़ ओरिजिन” को छुपाकर ईरानी पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पादों के वित्तीय हस्तांतरण और शिपिंग की सुविधा प्रदान की है।
  • इसने मुंबई स्थित तिबालाजी पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड पर चीन की शिपमेंट के लिए मेथनॉल और बेस ऑयल सहित हांगकांग स्थित-‘ट्रिलियंस’ ब्रोकर्ड पेट्रोकेमिकल उत्पादों की खरीद को लेकर प्रतिबंध लगाया।
  • ईरान के साथ संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) से बाहर निकलने के अमेरिका के फैसले के बाद, 2018-19 में पारित एकतरफा प्रतिबंधों के तहत अमेरिकी प्रतिबंध का सामना करने वाली यह पहली भारतीय इकाई है।

इस प्रतिबंध का क्या अर्थ है?

  • इस प्रतिबंध के अंतर्गत अमेरिका में कंपनियों की संपत्ति फ्रीज हो जाती है और अमेरिकी नागरिकों के साथ व्यापार करना अवैध हो जाता है।
  • इस प्रतिबंधों के तहत, इसमें शामिल लोगों की अमेरिकी वित्तीय प्रणाली तक पहुंच नहीं होती है या अमेरिकी कंपनियों के साथ सौदा नहीं हो सकता है।

ईरान पर प्रतिबंध:

  • मई 2018 में, अमेरिका ने स्वयं को ईरान परमाणु समझौते (JCPOA) से बाहर कर लिया तथा ईरान और ईरान के साथ बड़ी मात्रा में व्यापार करने वाले देशों पर प्रतिबंध लगा दिए।
  • हालाँकि, इस समझौते के किसी अन्य हस्ताक्षरकर्ता (यूके, चीन, रूस, जर्मनी और फ्रांस) ने अमेरिकी के इस निर्णय का समर्थन नहीं किया और यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र ने भी इस फैसले के बारे में संदेह व्यक्त किया क्योंकि अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी की रिपोर्ट ने स्पष्ट किया कि ईरान का यूरेनियम भंडार और भारी जल, साथ ही अतिरिक्त प्रोटोकॉल का क्रियान्वयन समझौते के “अनुपालन में” थे।
  • संयुक्त राज्य अमेरिका के बाहर निकलने के बाद, अन्य हस्ताक्षरकर्ताओं ने समझौते को बनाए रखने के प्रयास में, यूएस बैंकिंग प्रणाली के बाहर ईरान के साथ लेनदेन की सुविधा के लिए INSTEX नामक वस्तु विनिमय प्रणाली शुरू की।

भारत पर प्रभाव:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका ने भारत सहित आठ देशों को 06 महीनों के लिए अस्थायी रूप से ईरानी तेल की खरीद जारी रखने की छूट दी थी, जिसकी अवधि मई 2019 में समाप्त हो गई थी।
  • भारत ने आधिकारिक तौर पर अमेरिका के “एकतरफा प्रतिबंधों” का समर्थन करने से इनकार कर दिया, केंद्र सरकार ने 2019 में ईरान से होने वाले कुल तेल आयात को समाप्त करने पर सहमति व्यक्त की, जो भारत की आपूर्ति का लगभग 11% था।
  • इराक और सऊदी अरब के बाद ईरान भारत के लिए तेल का तीसरा सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है। प्रतिबंधों के कारण कच्चे तेल की ऊंची कीमतों से भारत का व्यापार घाटा और चालू खाता घाटा दोनों बढ़ेगा।
  • भारत के ईरान में सामरिक हित भी हैं जो प्रतिबंधों से प्रभावित होंगे। भारत ने चाबहार बंदरगाह और अंतर्राष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे में आर्थिक निवेश किया है।

सारांश:

  • अमेरिका ने ईरान के खिलाफ प्रतिबंधों के नवीन क्रम को लागू किया है। इसके अंतर्गत उसने ईरानी तेल और पेट्रोकेमिकल निर्यात को “गंभीर रूप से प्रतिबंधित” करने के प्रयास में “नियमित आधार” पर वित्तीय दंड लगाने की बात की है। रूस-यूक्रेन संघर्ष के आलोक में इन प्रतिबंधों को लगाने का समय “चिंता का विषय” हो सकता है जो कच्चे तेल की आपूर्ति श्रृंखला को बाधित करके ईंधन की कीमतों में वृद्धि के लिए जिम्मेदार है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

पुतिन ने चार यूक्रेनी क्षेत्रों को रूस में मिलाया

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव

मुख्य परीक्षा: जनमत संग्रह द्वारा बलपूर्वक मिलाने की प्रक्रिया

संदर्भ: रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने रूसी सेना द्वारा नियंत्रित यूक्रेन के चार क्षेत्रों को रूस में मिला लिया।

भूमिका:

  • व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के चार कब्जे वाले क्षेत्रों डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया को रूस में मिलाने को औपचारिक रूप देने के लिए “परिग्रहण संधियों (accession treaties)” पर हस्ताक्षर किए ।
  • क्रीमिया जिस पर रूस ने 2014 में कब्जा कर लिया था को मिला कर रूस के नियंत्रण में अब यूक्रेन का 20% क्षेत्र है।
  • रूस में चार क्षेत्रों पर “जनमत संग्रह” होने पर हस्ताक्षर समारोह किया गया था। ये चार क्षेत्र बड़े पैमाने पर या आंशिक रूप से रूसी या रूसी समर्थित बलों के कब्जे में हैं।
  • पश्चिमी देशों और यूक्रेन ने अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने वाले जनमत संग्रह को खारिज कर दिया है, और आरोप लगाया है कि यह कब्जा बलपूर्वक और पूरी तरह से गैर-प्रतिनिधित्वपूर्ण था।
  • रूस ने यू.एस. और अल्बानिया द्वारा प्रस्तुत किए गए संयुक्त राष्ट्र के एक प्रस्ताव जिसमें जनमत संग्रह को “अवैध” घोषित किया गया था, पर भी वीटो कर दिया।

चित्र स्त्रोत:The Guardian

बलपूर्वक इन क्षेत्रों को मिलाने का क्या अर्थ है?

  • यह कार्रवाई यूक्रेन के साथ चल रहे संघर्ष में और वृद्धि को दर्शाती है।
  • ये चार क्षेत्र रूस और क्रीमिया प्रायद्वीप जिस पर 2014 में रूस द्वारा कब्जा कर लिया गया था, के बीच एक महत्वपूर्ण भूमि गलियारा बनाते हैं।
  • रूस पहले ही कब्ज़ा किए गए क्षेत्रों में कई कदम उठा चुका है,
    • इसने 2019 के बाद से यहाँ के निवासियों को हजारों रूसी पासपोर्ट सौंपे हैं।
    • रूस ने यूक्रेन की मुद्रा रिव्निया (hryvnia) को पूरी तरह से रूसी रूबल से प्रतिस्थापित कर दिया है।
  • सभी चार क्षेत्रों के कब्जे वाले क्षेत्रों में, यूक्रेनी टीवी और मोबाइल फोन नेटवर्क को काट दिया गया है और केवल रूसी चैनल और दूरसंचार प्रदाता अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
  • स्कूलों में यूक्रेनी पाठ्यक्रम के स्थान पर एक नया रूसी पाठ्यक्रम अपनाने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

सारांश:

  • हाल ही में चार यूक्रेनी क्षेत्रों के विलय से दोनों देशों के बीच चल रहे संघर्ष पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ेगा। अन्य देशों के अलावा, यू.एस. और यूरोपीय सहयोगियों ने भी इस विलय का विरोध किया है। पूर्व और दक्षिण में यूक्रेन की हालिया जवाबी सफलताओं ने रूस को पीछे धकेल दिया है, जिसने जनमत संग्रह के माध्यम से क्षेत्रीय लाभ का सहारा लेते हुए रूस को अपनी रणनीति में बदलाव लाने के लिए प्रेरित किया है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

नीतिगत रेपो दरें

अर्थव्यवस्था:

विषय: राजकोषीय और मौद्रिक नीति

मुख्य परीक्षा: आर्थिक विकास के लिए मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण का महत्व

संदर्भ: रिजर्व बैंक ने नीतिगत रेपो दरों में 50 आधार अंक की वृद्धि की और सकल घरेलू उत्पाद के अनुमान को घटाकर 7% कर दिया।

भूमिका:

  • भारतीय रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति (MPC) ने नीतिगत रेपो दर को 50 आधार अंक (bps) बढ़ाकर 5.9% कर दिया।
  • मई, 2022 के बाद से चौथी बार रेपो दर में वृद्धि की गई है।
  • आरबीआई ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर के अनुमान को भी घटाकर 7% कर दिया, जो अगस्त 2022 में 7.2 प्रतिशत था, जो वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण को लेकर चिंताओं पर आधारित था।
  • हालांकि, आरबीआई ने खुदरा महंगाई दर का अनुमान 6.7 फीसदी पर बरकरार रखा है।
  • MPC ने मई 2022 से पिछले पांच महीनों में 190-bps की वृद्धि की है।
  • MPC ने 5:1 के बहुमत से “समायोजन(accommodation) को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित किया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि मुद्रास्फीति लक्ष्य के भीतर बनी रहे”।

चित्र स्त्रोत: The Hindu

नीतिगत दर में लगातार वृद्धि के पीछे कारण:

  • निरंतर उच्च मुद्रास्फीति, मुद्रास्फीति अनुमानों को अस्थिर कर सकती है और मध्यम अवधि में विकास को हानि पहुंचा सकती है।
  • मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को स्थिर रखने और दूसरे दौर के प्रभावों को नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक समायोजन को वापस लेना आवश्यक है।
  • मुद्रास्फीति के दबाव व्यापक हैं और मुख्य मुद्रास्फीति ऊंचे स्तर पर बनी हुई है।
  • वैश्विक वित्तीय बाजारों में अस्थिरता मुद्रा बाजार सहित घरेलू वित्तीय बाजारों पर प्रभाव डाल रही है, जिससे आयातित मुद्रास्फीति बढ़ रही है।
  • MPC की कार्रवाइयां मौजूदा वैश्विक मुद्रास्फीति परिदृश्य के अनुरूप हैं और अर्थव्यवस्था की विकास क्षमता की प्राप्ति हेतु समाधान निकालने के लिए मुद्रास्फीति प्रत्याशाओं को स्थिर करने के पक्ष में झुकी हैं।

यह उधारकर्ताओं और जमाकर्ताओं को कैसे प्रभावित करेगा?

  • नीतिगत दर में वृद्धि के परिणामस्वरूप ऋण दरों में वृद्धि होगी जो मौजूदा गृह ऋण ग्राहकों और संभावित उधारकर्ताओं को प्रभावित करेगी।
  • रूढ़िवादी निवेशक जो अपने धन को बैंक में फिक्स करना पसंद करते हैं, उन्हें लाभ होगा क्योंकि बैंकों द्वारा दरों में वृद्धि के बाद जमा दरों में वृद्धि की उम्मीद है।
  • एक्सटर्नल बेंचमार्क लैंडिंग रेट (EBLR) से जुड़े ऋण वाले उधारकर्ताओं पर तत्काल प्रभाव होगा। MCLR के ग्राहकों के लिए दरों का निर्धारण एक अंतराल के साथ होगा।
  • मई 2022 और जून में आरबीआई द्वारा रेपो दर में 90 आधार अंकों की बढ़ोतरी के बाद बैंकों और हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों (HFC) ने पहले ही अपनी उधार दरों को 70 से 90 आधार अंकों के बीच बढ़ा दिया है। अब बैंकों और HFC द्वारा फिर से दरें बढ़ाने की उम्मीद है।
  • उधार दरों में 190 आधार अंकों की वृद्धि की गई है जिसका ईएमआई पर अधिक प्रभाव पड़ेगा।

विकास पर एक नजर:

  • MPC ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) को भी अगस्त 2022 में अनुमानित 7.2% घटाकर 7% कर दिया।
  • विस्तारित भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक वित्तीय स्थितियों को सख्त करना और कुल मांग के बाहरी घटक में संभावित गिरावट विकास के लिए नकारात्मक जोखिम पैदा कर सकती है।

क्या दरों में और अधिक बढ़ोतरी होगी?

  • RBI ने वर्ष 2022-23 के लिए 6.7 प्रतिशत की मुद्रास्फीति का अनुमान लगाया है और कहा है कि Q1FY23 में मुद्रास्फीति घटकर 5 प्रतिशत हो जाएगी।
  • हालांकि, इसने कहा है कि भविष्य की कार्रवाई उभरती स्थिति पर निर्भर करेगी। मुद्रास्फीति को लेकर बढ़ी हुई चिंताओं को देखते हुए, बाजार सहभागियों को लगता है कि केंद्रीय बैंक वर्ष के शेष भाग में दरों में 50-60 आधार अंकों की अतिरिक्त बढ़ोतरी कर सकता है।
  • अपने बयान में, आरबीआई ने कहा, “MPC ने समायोजन की वापसी पर ध्यान केंद्रित करने का भी फैसला किया ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि विकास के साथ मुद्रास्फीति आगे भी लक्ष्य के भीतर बनी रहे।”

सारांश: नीतिगत रेपो दरों में वृद्धि करने का MPC का निर्णय दोहरे उद्देश्य पर आधारित है, जिसमें मूल्य स्थिरता को प्राथमिकता दी गई है जो विकास को ध्यान में रखने की आवश्यकता से प्रेरित है। भारत के अंतर्निहित मूल तत्व लचीले हैं और वर्षों से तैयार किये गए बफर्स ने किसी भी तरह के बाहरी झटके से निपटने में मदद की है।

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित

सामाजिक मुद्दे

भारत के आगे बढ़ने के साथ ही बुजुर्गों पर ध्यान देने की आवश्यकता

विषय: आबादी और संबंधित मुद्दे

प्रारंभिक परीक्षा: अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध व्यक्ति दिवस एवं विश्व जनसंख्या संभावना 2022

मुख्य परीक्षा: भारत में बढ़ती बुजुर्ग आबादी संबंधित मुद्दे और भावी कदम

प्रसंग:

अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध व्यक्ति दिवस (1 अक्टूबर) के अवसर पर, इस आलेख में भारत की बुजुर्ग आबादी से जुड़ी चुनौतियों के बारे में बात की गई है।

पृष्ठभूमि:

  • संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग (UNDESA) की विश्व जनसंख्या संभावना 2022 रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में दुनिया की सबसे बड़ी आबादी होगी जिसमें एक बड़ी बुजुर्ग आबादी शामिल होगी।
  • यहां तक कि संयुक्त राष्ट्र की अन्य रिपोर्टों में भी यह अनुमान लगाया गया है कि भारत की बुजुर्ग आबादी का अनुपात लगभग दो गुना बढ़ जाएगा और 2050 तक कुल आबादी का लगभग 20% तक पहुंच जाएगा।
  • देश की जनसांख्यिकीय संरचना में अनुमानित बदलावों से सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणालियों पर बोझ बढ़ेगा जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवाओं को कुशलतापूर्वक वितरित करने के लिए तैयार नहीं है।
    • इसके अलावा, देश के सामाजिक सुरक्षा उपाय जैसे वृद्धावस्था और दिव्यांगता पेंशन से भी समस्याओं को हल करने में पर्याप्त रूप से मदद मिलने की उम्मीद नहीं है।

बुजुर्गों से संबंधित मुद्दे

  • एल.वी. प्रसाद आई इंस्टीट्यूट हैदराबाद की द हैदराबाद ओकुलर मोर्बिडिटी इन द एल्डरली स्टडी (HOMES) के तहत वृद्धाश्रमों में रहने वाले बुजुर्गों के बीच स्वास्थ्य, जीवन की गुणवत्ता, मानसिक स्वास्थ्य, रुग्णता और विकलांगता जैसे पहलुओं पर अध्ययन और रिपोर्ट की एक श्रृंखला की शुरूआत हो रही है।
  • विभिन्न अध्ययनों में सामाजिक-आर्थिक परिस्थितियों की एक बड़ी श्रृंखला में स्वास्थ्य और सामाजिक मैट्रिक्स के विभिन्न पहलुओं को मापने के लिए प्रवेश बिंदु के रूप में आंखों की देखभाल का उपयोग हो रहा है।
  • भारत में, बुजुर्गों में मधुमेह, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, दृष्टि अक्षमता, श्रवण दोष और गतिशीलता की समस्याओं जैसे गैर-संचारी रोगों के मामलों में वृद्धि हुई है।
  • लगभग 50% प्रतिभागियों में न्यूनतम एक विकलांगता देखी गई और उनमें से लगभग 33% में कई रुग्णताएँ थीं।
  • इसके अलावा, लगभग 70% प्रतिभागियों ने कम से कम एक सहायक उपकरण का उपयोग किया था, जिसमें चश्मा सबसे आम सहायक उपकरण है।

आंखों की देखभाल की चुनौतियां

  • एक अध्ययन के अनुसार, अध्ययन में भाग लेने वाले 30% से अधिक बुजुर्गों को दूर दृष्टि की समस्या थी और 50% से अधिक प्रतिभागियों को निकट दृष्टि दोष की समस्या थी।
  • रिपोर्टों में दृष्टि हानि और मानसिक स्वास्थ्य और बुजुर्गों के आत्मविश्वास के बीच अंतर्संबंध को भी दिखाया गया है।
  • दृष्टि दोष या दोष वाले व्यक्तियों में अधिक भय देखा जाता है और उनके गिरने का खतरा होता है, जिसे बुजुर्ग आबादी में विकलांगता और अस्पताल में भर्ती होने के प्रमुख कारणों में से एक कहा जाता है।
  • इसके अलावा, दृष्टि संबंधित विकार से बुजुर्ग व्यक्तियों की आवाजाही और स्वतंत्रता कम हो गई है जो अक्सर अवसाद का कारण बनता है।
  • मधुमेह और उच्च रक्तचाप जैसी अन्य पुरानी स्वास्थ्य स्थितियां अपरिवर्तनीय दृष्टि हानि का कारण बनती हैं जो एक बड़ी चुनौती भी बन गई है।

भावी कदम

  • हस्तक्षेपों की एक श्रृंखला की शुरुआत की आवश्यकता है जो विभिन्न पहलुओं को शामिल करे जैसे कि दृष्टि श्रवण दोष के लिए सहायक उपकरण तथा अवसाद और अन्य मानसिक स्वास्थ्य मुद्दों के लिए मनोरोग सहायता हेतु गतिशीलता।
  • समग्र नेत्र देखभाल मॉडल के रूप में एक व्यापक राष्ट्रीय नेत्र देखभाल मॉडल स्थापित करने से आवश्यकताओं के अनुसार समग्र बुजुर्ग देखभाल सेवाओं को पुन: व्यवस्थित करने में मदद मिलेगी।
  • बुजुर्गों के वित्तीय मुद्दों के निराकरण में मदद करने के लिए भारत में आंखों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में में क्रॉस-सब्सिडी मॉडल की शुरुआत।
  • उन केंद्रों को प्रोत्साहित करना जो आंखों की जांच कर सकती हैं क्योंकि इस तरह के टेस्ट से बुजुर्गों संबंधित विभिन्न प्रणालीगत मुद्दों की पहचान करने में मदद मिलती है।
  • आधुनिक और उन्नत इमेजिंग तकनीकों, टेली-स्वास्थ्य सुविधाओं, पोर्टेबल उपकरणों और ऐप को अपनाना जो आंखों की देखभाल सुविधाओं तक पहुंच बढ़ाने में सहायक होते हैं।
  • रेफ़रल प्लेटफ़ॉर्म बनाना जिससे आंखों की देखभाल को अन्य स्वास्थ्य विशिष्टताओं से जोड़ने में मदद मिलती है।

सारांश: देश की जनसांख्यिकीय संरचना में बदलाव की रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि आने वाले वर्षों में देश की बुजुर्ग आबादी में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इसके लिए नीति निर्माताओं को एक लंबी अवधि की रणनीति के साथ आगे आने की आवश्यकता है जो व्यापक, सार्वभौमिक, एकीकृत और बुजुर्ग व्यक्तियों के लिए सुलभ हो।

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

दूरसंचार सेवाओं का लोकतंत्रीकरण करने का मौका गंवाना

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास की सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप और उनके डिजाइन और क्रियान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 के मसौदे के बारे में

मुख्य परीक्षा: भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 का समालोचनात्मक मूल्यांकन

संदर्भ

  • संचार मंत्रालय द्वारा भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 मसौदा की अधिसूचना।

भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 मसौदा

  • भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 का मसौदा मंत्रालय द्वारा 21 सितंबर, 2022 को सार्वजनिक परामर्श के लिए अधिसूचित किया गया है।
  • विधेयक का उद्देश्य 21वीं सदी की आवश्यकताओं के अनुरूप एक विधिक ढांचा तैयार करना और भारत के सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना है।

भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 के मसौदे के बारे में अधिक जानने के लिए 30 सितंबर 2022 के विस्तृत समाचार विश्लेषण का अध्ययन करें।

दूरसंचार विधेयक की आलोचना

  • आलोचकों का मत है कि नवीनतम दूरसंचार विधेयक देश के दूरसंचार सेवा क्षेत्र का लोकतंत्रीकरण करने में विफल रहा है क्योंकि इसके माध्यम से नवीन लाइसेंसिंग शासन के संबंध में कड़े नियमों और शक्ति के केंद्रीकरण की ओर बढ़ने का प्रस्ताव किया गया है।
  • आलोचकों का मानना है कि यह विधेयक अदालतों (अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ में), डेटा संरक्षण और अन्य संस्थानों पर बी.एन. श्रीकृष्ण समिति की रिपोर्ट की अनुशंसाओं को शामिल करने में विफल रहा।
    • उनका यह भी कहना है कि नवीन विधेयक में पुराने कानूनों और उनके प्रावधानों को नए कानूनों के रूप में फिर से तैयार किया गया है।
  • इसके अलावा, दूरसंचार सेवा प्रदाताओं (TSP) द्वारा मांग के अनुसार ओवर-द-टॉप (ओटीटी) संचार सेवाओं को शामिल करने के लिए दूरसंचार सेवाओं की परिभाषा का विस्तार किया गया है।
    • आलोचकों का तर्क है कि यह वर्गीकरण त्रुटिपूर्ण है क्योंकि ओटीटी सेवाओं और टीएसपी के स्वाभाविक रूप से अलग-अलग कार्य है। जहाँ टीएसपी ब्रॉडबैंड इंफ्रास्ट्रक्चर के गेट कीपर के रूप में कार्य करते हैं, वहीं ओटीटी सेवाओं को केवल टेल्को-नियंत्रित अवसंरचना के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है।
    • दूरसंचार सेवाओं के दायरे में ओटीटी सेवाओं की शुरुआत से अनिश्चितता पैदा हो सकती है, तदर्थवाद को बढ़ावा मिल सकता है, और सेवा प्रदाताओं पर अत्यधिक अनुपालन व कानूनी लागत का संकट हो सकता है जो नवाचार के लिए हानिकारक हो सकता है।
    • साथ ही, परिभाषा का यह विस्तार भारत में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (E2EE) के लिए एक बाधा हो सकता है।
  • विधेयक में एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की गोपनीयता सुरक्षा अभ्यास को दरकिनार करने का प्रयास किया गया है तथा व्हाट्सएप और सिग्नल जैसी ओटीटी सेवाओं को संदेशों को इंटरसेप्ट करना होगा एवं अधिकृत अधिकारी को दिखाना होगा ।
    • यह सरकार को अत्यधिक विवेकाधीन शक्ति प्रदान करता है, और व्यक्तियों की गोपनीयता को प्रतिकूल रूप से प्रभावित करता है।
  • आलोचकों का यह भी कहना है कि दूरसंचार विभाग भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) द्वारा की गई प्रमुख सिफारिशों को स्वीकार करने में विफल रहा है और ट्राई की जिम्मेदारियों और शक्तियों को भी कम कर दिया गया है।
  • मसौदा विधेयक के खंड 24 (2) (B) के माध्यम से, भारतीय कानूनी ढांचे में पहली बार सरकार को इंटरनेट के निलंबन का आदेश देने के लिए एक विशिष्ट प्रावधान किया गया है।
    • इस प्रावधान की नागरिकों के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार पर इंटरनेट शटडाउन के प्रभाव और ऐसे शटडाउन की उच्च आर्थिक लागत के संबंध में आलोचना की गई है।
  • विशेषज्ञों का कहना है कि मसौदा विधेयक में शुद्ध तटस्थता सुनिश्चित करने वाले सिद्धांतों को प्रस्तुत नहीं करने से सरकार ने वैश्विक मानकों के अनुरूप नियम बनाने का एक मौका गंवा दिया है।

सारांश: संचार मंत्रालय ने भारतीय दूरसंचार विधेयक, 2022 मसौदा को प्रकाशित किया, जिसे सार्वजनिक परामर्श के लिए उपलब्ध कराया गया है। आलोचकों और अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि विधेयक में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाया गया है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. विदेशी न्यायाधिकरण

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

विषय: सांविधिक, नियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर

संदर्भ: असम सरकार ने विदेशी न्यायाधिकरण (FT) के लिए नियुक्त किए गए सदस्यों के कार्यकाल को नहीं बढ़ाने का फैसला किया है।

भूमिका:

  • बॉर्डर पुलिस द्वारा संदर्भित संदिग्ध विदेशियों के मामलों की सुनवाई के लिए असम में 2009 से 100 नियमित विदेशी न्यायाधिकरण हैं।
  • राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से संबंधित मामलों को देखने के लिए मुख्य रूप से 200 अतिरिक्त विदेशी न्यायाधिकरण स्थापित किए गए थे। इन 200 सदस्यों का वार्षिक कार्यकाल 22 सितंबर 2022 को समाप्त हो गया।
  • अगस्त 2019 में एनआरसी का पूरा मसौदा प्रकाशित होने के तुरंत बाद विदेशी ट्रिब्यूनल अधिनियम, 1941 और फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल ऑर्डर, 1984 के तहत न्यायिक अनुभव के साथ सचिव और अतिरिक्त सचिव के पद सेवानिवृत्त होने वाले लोक सेवक, या 35 वर्ष की आयु वाले अधिवक्ता जिन्हें कम से कम सात साल के वकालत का अनुभव हो अतिरिक्त विदेशी न्यायाधिकरण के सदस्य के रूप में नियुक्त किए गए थे।
    • सदस्य असम न्यायिक सेवा का एक सेवानिवृत्त न्यायिक अधिकारी, एक सेवानिवृत्त सिविल सेवक हो सकता है। सदस्य को असम की आधिकारिक भाषाओं (असमिया, बंगाली, बोडो और अंग्रेजी) का उचित ज्ञान होने के साथ-साथ विदेशियों के मुद्दे की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से भी परिचित होना चाहिए।
  • हाल ही में, राज्य सरकार के वकील ने गुवाहाटी उच्च न्यायालय को अतिरिक्त विदेशी न्यायाधिकरण के लिए सदस्यों के कार्यकाल का विस्तार नहीं करने के अपने फैसले के बारे में बताया।

विदेशी न्यायाधिकरण:

  • विदेशी न्यायाधिकरण या FT एक अर्ध-न्यायिक निकाय है और इसके सदस्य का ओहदा एक न्यायाधीश के समान होता है।
  • FT का मुख्य उद्देश्य यह निर्धारित करना है कि अवैध रूप से रहने वाला व्यक्ति “विदेशी” है या नहीं।
  • प्रत्येक व्यक्ति, जिसका नाम अंतिम एनआरसी में नहीं है, अपीलीय प्राधिकारी यानी FT के सामने अपने मामले को रख सकता है।
  • फॉरेनर्स एक्ट 1946 और फॉरेनर्स (ट्रिब्यूनल) ऑर्डर 1964 के प्रावधानों के तहत, केवल विदेशी न्यायाधिकरण को किसी व्यक्ति को विदेशी घोषित करने का अधिकार है।

2. IPO के लिए सेबी के मानदंड

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

प्रारंभिक परीक्षा: सेबी

संदर्भ: हाल ही में, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने विभिन्न नियमों के कई बदलावों को मंजूरी दी।

मुख्य विवरण:

  • सेबी ने सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के विनिवेश के संबंध में खुली पेशकश के लिए मूल्य निर्धारण नियमों में ढील देने का निर्णय लिया।
    • IPO पर विचार करने वाली कंपनियों के पास जल्द ही प्रस्ताव दस्तावेजों की गोपनीय प्री-फाइलिंग का विकल्प होगा।
    • प्री-फाइलिंग तंत्र जारीकर्ताओं को किसी भी संवेदनशील जानकारी को सार्वजनिक किए बिना सीमित संवाद करने में सक्षम बनाता है।
    • जारीकर्ता कंपनियों को लेखापरीक्षित वित्तीय विवरणों के अलावा, ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP) के विभिन्न वर्गों में विभिन्न प्रमुख प्रदर्शन संकेतकों पर अपने आंकड़ों का भी खुलासा करना होता है, जो प्रस्ताव दस्तावेजों के वित्तीय विवरणों में शामिल नहीं होते हैं।
  • प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (IPO) के मानदंडों को सख्त करते हुए, सेबी ने जारीकर्ताओं को पिछले लेनदेन और फंड जुटाने की गतिविधियों के आधार पर प्रस्ताव मूल्य का अनिवार्य खुलासा करने वाले प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
  • रेगुलेटर ने ऑफर फॉर सेल (OFS) के मौजूदा ढांचे में प्रस्तावित बदलावों को भी अपनी मंजूरी दे दी है।
    • सेबी ने गैर-प्रवर्तक शेयरधारकों के लिए ऑफर-फॉर-सेल तंत्र के माध्यम से शेयर बेचने हेतु न्यूनतम 10 प्रतिशत हिस्सेदारी की आवश्यकता को हटा दिया है।
    • इससे पहले, फर्म में 10 प्रतिशत हिस्सेदारी वाले एवं कम से कम ₹25 करोड़ के शेयरों की पेशकश करने के इच्छुक गैर-प्रवर्तक OFS के माध्यम से अपने शेयरों की पेशकश करने के पात्र होते थे।
    • OFS तंत्र सूचीबद्ध REITs / InvIT के यूनिट धारकों/विक्रेताओं को उपलब्ध कराया गया है ताकि वे अपनी शेयर-पूंजी की पेशकश कर सकें।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1.दादा साहब फाल्के पुरस्कार

  • हाल ही में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 68वें समारोह में विभिन्न श्रेणियों के तहत वर्ष 2020 के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार प्रदान किए।
  • दादासाहेब फाल्के पुरस्कार अनुभवी अभिनेता आशा पारेख को प्रदान किया गया, जो एक कुशल भारतीय शास्त्रीय नृत्यांगना हैं, एवं एक निर्देशक और निर्माता भी रही हैं।
  • 1992 में, उन्हें सिनेमा के क्षेत्र में योगदान के लिए भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. समय-पूर्व विघटन के बाद पुनर्गठित नगर पालिका का कार्यकाल पांच साल की पूरी अवधि के लिए नहीं होता है, अपितु पुनर्गठित नगरपालिका शेष अवधि के लिए ही अस्तित्व में रहती है।
  2. संविधान में नगर पालिका में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और महिलाओं के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. दोनों
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है, 74वां संविधान संशोधन अधिनियम, 1992 प्रत्येक नगर पालिका के लिए पांच वर्ष के कार्यकाल का प्रावधान करता है। हालांकि, इसका कार्यकाल पूरा होने से पहले इसे भंग किया जा सकता है।
  • समय से पहले भंग होने की स्थिति में, विघटन की तारीख से 6 महीने के भीतर पुनः चुनाव कराना होता है। समय-पूर्व विघटन के बाद पुनर्गठित नगर पालिका का कार्यकाल पांच साल की पूर्ण अवधि के लिए नहीं होता, अपितु पुनर्गठित नगरपालिका शेष अवधि के लिए ही अस्तित्व में रहती है।
  • कथन 2 गलत है, 74वां संविधान संशोधन अधिनियम 1992 में प्रत्येक नगर पालिका में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए सीटों के आरक्षण का प्रावधान है। यह आरक्षण नगर पालिका क्षेत्र की कुल आबादी एवं अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की आबादी के अनुपात में प्रदान किया जाता है।
    • इसके अलावा, इसमें महिलाओं के लिए सीटों की कुल संख्या (एससी और एसटी से संबंधित महिलाओं के लिए आरक्षित सीटों की संख्या सहित) के कम से कम एक तिहाई आरक्षण का प्रावधान है।
  • राज्य विधायिका अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिलाओं के लिए नगर पालिकाओं में अध्यक्षों के पदों के संदर्भ में आरक्षण के तरीके का प्रावधान कर सकती है।
  • यह पिछड़े वर्गों के लिए किसी भी नगर पालिका या नगर पालिकाओं में अध्यक्षों पदों पर आरक्षण के लिए प्रावधान कर सकता है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:

सुरक्षा बलसीमा

  1. सीमा सुरक्षा बल (BSF) पाकिस्तान एवं बांग्लादेश
  2. आईटीबीपी नेपाल
  3. सशस्त्र सीमा बल (SSB) चीन
  4. असम राइफल्स भारत-म्यांमार

उपर्युक्त युग्मों में से कौन सा/से सुमेलित नहीं है/हैं?

  1. केवल एक युग्म
  2. केवल दो युग्म
  3. केवल तीन युग्म
  4. सभी चारों युग्म

उत्तर: b

व्याख्या:

  • युग्म 1 सुमेलित है, बीएसएफ भारत-पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय सीमा, भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा, साथ ही नियंत्रण रेखा (LOC) पर भारतीय सेना के साथ तैनात रहती है।
  • युग्म 2 सुमेलित नहीं है, ITBP लद्दाख के काराकोरम दर्रे से लेकर अरुणाचल प्रदेश के जचेप दर्रे तक सीमा सुरक्षा पर तैनात है जो 3488 किलोमीटर भारत-चीन सीमा को कवर करता है।
  • युग्म 3 सुमेलित नहीं है, भारत-नेपाल और भारत-भूटान सीमाओं की रक्षा के लिए एसएसबी को तैनात किया गया है।
  • युग्म 4 सुमेलित है, असम राइफल्स केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के अधीन एक केंद्रीय अर्धसैनिक बल है। ये 2002 से 1,643 किलोमीटर लंबी भारत-म्यांमार सीमा की रखवाली कर रहे हैं।

प्रश्न 3. दादा साहब फाल्के पुरस्कार के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. यह सिनेमा के क्षेत्र में भारत का सर्वोच्च पुरस्कार है।
  2. यह फिल्म समारोह निदेशालय द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रतिवर्ष प्रस्तुत किया जाता है।
  3. इस पुरस्कार की पहली प्राप्तकर्ता अभिनेत्री देविका रानी थीं।
  4. 2022 तक, केवल दो प्राप्तकर्ताओं को यह पुरस्कार मरणोपरांत मिला है।

विकल्प:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2, 3 और 4
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2, 3 और 4

उत्तर: d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है, दादा साहब फाल्के पुरस्कार राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का हिस्सा है और इसे भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में सर्वोच्च सम्मान माना जाता है।
  • कथन 2 सही है, इसे फिल्म समारोह निदेशालय द्वारा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में प्रतिवर्ष प्रस्तुत किया जाता है। यह निदेशालय केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा स्थापित एक संगठन है।
  • कथन 3 सही है, पहली पुरस्कार प्राप्तकर्ता अभिनेत्री देविका रानी थीं, जिन्हें 1970 में 17वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।
  • कथन 4 सही है, 2022 तक, दो अभिनेताओं जिन्हें मरणोपरांत इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया सहित 52 लोगों को यह पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।

प्रश्न 4. इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (IPO) प्रक्रिया में प्रारंभिक विवरण-सूची (Preliminary Prospectus) निम्नलिखित में से क्या कहलाती है?

  1. आर्टिकल्स ऑफ़ एसोसिएशन (AoA)
  2. मेमोरेंडम ऑफ एसोसिएशन (MoA)
  3. रेड हेरिंग
  4. अंडरराइटिंग

उत्तर: c

व्याख्या:

  • प्रारंभिक विवरण सूची एक दस्तावेज होता है जिसे जारीकर्ता अपने व्यावसायिक संचालन और पेशकश का वर्णन करने के लिए सामने रखता है एवं इसे संभावित निवेशकों के लिए प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग-IPO) प्रक्रिया में प्रतीक्षा अवधि के दौरान रखा जाता है।
  • प्रारंभिक विवरण सूची को “रेड हेरिंग” के रूप में भी संदर्भित किया जा सकता है।

प्रश्न 5. उत्तरी गोलार्द्ध में, वर्ष का सबसे लंबा दिन आम तौर पर कब होता है?

  1. जून महीने का पहला पखवाड़ा
  2. जून महीने का दूसरा पखवाड़ा
  3. जुलाई महीने का पहला पखवाड़ा
  4. जुलाई महीने का दूसरा पखवाड़ा

उत्तर: b

व्याख्या:

  • उत्तरी गोलार्ध में, वर्ष के सबसे लंबे दिन को ग्रीष्म संक्रांति कहा जाता है।
  • इस अवधि में आमतौर पर 21 या 22 जून को उत्तरी गोलार्ध पर सूर्य का प्रकाश अधिकतम होता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

  1. दूरसंचार विधेयक मसौदे के आलोक में, भारत में ओटीटी प्लेटफॉर्म को दूरसंचार कंपनियों वाले मानदंडों के तहत लाने के प्रभाव का आकलन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र II-शासन)
  2. देश में बुजुर्गों की बढ़ती आबादी से निपटने के लिए भारत कितना तैयार है? उपयुक्त उदाहरण दीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र I- सामाजिक मुद्दे)