A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: भूगोल
B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था
आपदा प्रबंधन
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
अगस्त में भारत में सदी की सबसे कम वर्षा हुई
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित
भूगोल
विषय: महत्वपूर्ण भूभौतिकीय घटनाएँ, वर्षा
प्रारंभिक परीक्षा: वर्षा
मुख्य परीक्षा: भारत में वर्षा पैटर्न
प्रसंग:
- मौसम विभाग ने जुलाई में संकेत दिया था कि अगस्त में वर्षा ‘सामान्य से कम’ होगी और सितंबर में वर्षा 16.7 सेमी की 10% विंडो के भीतर होने की संभावना है जो कि इस महीने के लिए सामान्य है।
स्रोत: The hindu
विवरण:
- अल नीनो मध्य प्रशांत क्षेत्र के गर्म होने को संदर्भित करता है, जिसका मतलब आमतौर पर भारत में मानसूनी वर्षा की कमी होता है।
- अगस्त में वर्षा एक सदी से भी अधिक समय में सबसे कम रही है, भारत में इस महीने में आमतौर पर होने वाली वर्षा की तुलना में 36% कम वर्षा हुई है। चार मानसून महीनों में से, जुलाई में 28 सेमी के बाद अगस्त में आमतौर पर सबसे अधिक वर्षा (25.4 सेमी) होती है।
- अल नीनो के मजबूत होने और अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण, पूर्वोत्तर भारत, हिमालयी राज्यों और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों को छोड़कर, भारत के अधिकांश हिस्सों में अगस्त में वर्षा में उल्लेखनीय रूप से कमी आई है, जैसा कि भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के आंकड़ों से पता चलता है।
- पिछली बार भारत ने अगस्त में इतनी गंभीर कमी 2005 में दर्ज की थी, जब कमी सामान्य से लगभग 25% थी, और 2009 में, जब भारत में आधी सदी में सबसे बड़ा सूखा पड़ा था और अगस्त में वर्षा सामान्य से 24% कम थी।
- अगस्त में वर्षा के कारण कुल राष्ट्रीय न्यूनता 10% हो गई है, क्षेत्रीय न्यूनता पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में 17%, मध्य भारत में 10% और दक्षिणी भारत में 17% है।
‘सामान्य से कम’ वर्षा:
- IMD ने 31 जुलाई को संकेत दिया था कि अगस्त में बारिश “सामान्य से कम” होगी, लेकिन इसके मौसम मॉडल ने यह संकेत नहीं दिया कि कमी इतनी तेज होगी जितनी अभी अनुभव की गई है।
- एजेंसी के पूर्वानुमान के अनुसार, सितंबर – चार मानसून महीनों में से अंतिम – में मानसून वर्षा 16.7 सेमी की 10% विंडो के भीतर होने की संभावना है जो कि इस महीने के लिए सामान्य है।
2023 में वर्षा पैटर्न:
- 24 अगस्त 2023 को, औसत समुद्र तल पर मानसून द्रोणी फिरोजपुर, करनाल, मेरठ, आजमगढ़, पटना, देवघर, डायमंड हार्बर से होकर गुजरी और फिर दक्षिण-पूर्व की ओर पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी और गोरखपुर, पटना, बांकुरा, दीघा से होते हुए 25 तारीख को दक्षिण-पूर्व की ओर पूर्व-मध्य बंगाल की खाड़ी तक पहुंची।
- 28-29 के दौरान यह द्रोणी हिमालय की तलहटी में स्थानांतरित हो गई। लेकिन, 30 तारीख को, इसका पूर्वी छोर दक्षिण की ओर स्थानांतरित हो गया और गोरखपुर, पटना, बांकुरा, दीघा से होते हुए पूर्व-दक्षिणपूर्व की ओर बंगाल की पूर्वोत्तर खाड़ी तक विस्तारित हो गया।
निष्कर्ष:
- भारतीय कृषि काफी हद तक मानसून पर निर्भर है और इस वजह से, मानसून के दौरान कम वर्षा के कारण आम तौर पर फसल की पैदावार औसत से कम होती है। इस प्रकार, ENSO को ट्रैक करना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
एक प्रगतिशील समान नागरिक संहिता (UCC) में बच्चे के सर्वोत्तम हितों की रक्षा करनी चाहिए की जानी चाहिए
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
राजव्यवस्था
विषय: भारतीय संविधान-ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
मुख्य परीक्षा: यूसीसी और बाल संरक्षण की आवश्यकता
भूमिका:
- सितंबर 2023 में संसद के निर्धारित विशेष सत्र के संदर्भ में, भारत में समान नागरिक संहिता (UCC) के पुरःस्थापन को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं।
- इस चर्चा में बहुविवाह और तलाक जैसी पारंपरिक चिंताओं, जो UCC की जटिलता को उजागर करती हैं, से परे बाल संरक्षकता के मुद्दों को संबोधित करने के महत्व पर जोर दिया गया है।
- माता-पिता की वैवाहिक स्थिति या धार्मिक मान्यताओं के बावजूद, बच्चों की अभिरक्षा (Custody) को लेकर सभी विवादों में ‘ सर्वोत्तम बाल हित’ सिद्धांत को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है।
- अभिरक्षा (Custody) के मामलों में दत्तक माता-पिता की तुलना में जैविक माता-पिता के पूर्ण अधिकारों से इनकार करने की वकालत की गई है।
वर्तमान कानूनों के तहत बच्चों की अभिरक्षा (Custody):
- अभिभावक और प्रतिपाल्य अधिनियम, 1890 जैसे मौजूदा कानून, अभिरक्षा निर्धारण में बच्चे के कल्याण को प्रमुख विचार मानते हैं।
- हिंदू अल्पसंख्यक और अभिभावकता अधिनियम, 1956, जो बच्चे के पांच वर्ष की आयु तक पहुंचने तक पिता को प्राकृतिक अभिभावक और मां को संरक्षक के रूप में नामित करता है।
- इस्लामी कानून के विभिन्न मतों के तहत संरक्षण व्यवस्था इस बात पर जोर देती है कि संरक्षण बच्चे का अधिकार है, जिसमें पिता प्राथमिकता में छठे स्थान पर होता है।
- भारतीय कानूनी प्रणाली में बच्चे के सर्वोत्तम हितों की परवाह किए बिना, अभिरक्षा संबंधी विवादों में जैविक माता-पिता को प्राथमिकता दी जाती है।
दत्तकग्रहण के बाद अभिरक्षा विवाद – गीता हरिहरन (1999) निर्णय:
- यह मामला एक हालिया मामले से जुड़ा था जहां बलात्कार के आरोप के बाद एक बच्चे को गोद लिया गया था।
- बॉम्बे उच्च न्यायालय के फैसले की आलोचना:
- बच्चे के सर्वोत्तम हितों या जैविक मां के दृष्टिकोण पर विचार किए बिना, जैविक पिता (बलात्कार का आरोपी) को बच्चे की अभिरक्षा सौंप दी गई।
- ऐसे मामलों में बलात्कारी पिता की सहमति की आवश्यकता के माध्यम से एक समस्याग्रस्त मिसाल कायम करने को लेकर चिंता जाहिर की गई।
दत्तक माता-पिता से जुड़ा अभिरक्षा विवाद – नसरीन बेगम (2022) निर्णय:
- यह उस मामले से संबंधित है जहां एक लड़की की अभिरक्षा को लेकर जैविक और दत्तक माता-पिता के बीच विवाद था।
- इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले की आलोचना:
- बच्चे की वास्तविक पहचान जानने के अधिकार के आधार पर जैविक माता-पिता को अभिरक्षा प्रदान की गई। न्यायालय ने बच्चे और उसके दत्तक माता-पिता को हुए भावनात्मक आघात को नजरअंदाज कर दिया।
सारांश:
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क्या प्राकृतिक आपदाएँ मानव निर्मित हैं?
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
आपदा प्रबंधन
विषय: आपदा एवं आपदा प्रबंधन।
मुख्य परीक्षा: आपदाएँ मानव जनित हैं या प्राकृतिक? भारत को आपदा-रोधी बनाने के लिए एक नीति सुझाएं।
भूमिका:
- बाढ़ और भूस्खलन जैसी प्राकृतिक आपदाएँ नियमित रूप से आती रहती हैं और उसके विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।
- कई मामलों में, इन आपदाओं से जुड़ी क्षति और जीवन की हानि खराब नियोजन और मानवीय कार्यों के कारण बढ़ जाती है।
- इससे यह सवाल उठता है कि किस हद तक प्राकृतिक आपदाओं को उनकी गंभीरता और प्रभाव पर मानवीय गतिविधियों के प्रभाव को देखते हुए मानव निर्मित माना जा सकता है।
मानवीय क्रियाओं की भूमिका:
- प्राकृतिक आपदाओं के पैमाने और प्रभाव को बढ़ाने में मानव निर्मित कारक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- सुभेद्य आबादी, जो अक्सर हाशिए और उच्च जोखिम में होती है, को विशेष फोकस और अनुरूप समाधान की आवश्यकता होती है।
- प्राकृतिक आपदाओं से उत्पन्न चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सामूहिक और बॉटम-अप दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया गया है।
मानव जनित जलवायु परिवर्तन:
- मानवीय गतिविधियाँ, विशेष रूप से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में योगदान देने वाली गतिविधियाँ, मानव जनित जलवायु परिवर्तन में सहायक रही हैं।
- इस वैश्विक घटना के कारण अधिक वर्षा और चरम मौसमी घटनाओं जैसे जलवायु संबंधी खतरों की आवृत्ति और तीव्रता में वृद्धि हुई है।
- जलवायु परिवर्तन के अलावा, मानवीय कार्यों में बाढ़ के मैदानों पर निर्माण, जल निकायों पर अतिक्रमण, और वहनीयता पर विचार किए बिना शहरों की योजना बनाना शामिल है, जो सभी प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सुभेद्यता में योगदान करते हैं।
- हालाँकि इन आपदाओं के लिए केवल मनुष्य उत्तरदायी नहीं हैं, उन्होंने समस्या को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। समाधान खोजने और पूर्व की गलतियों से सीखने के लिए इस जिम्मेदारी को पहचानना महत्वपूर्ण है।
आपदा-तत्परता का विकास:
- भारत में प्राकृतिक आपदाओं का एक लंबा इतिहास रहा है, जो ऐसी घटनाओं के लिए उत्प्रेरक के रूप में जलवायु परिवर्तन के उद्भव से पूर्व का है।
- शहरीकरण और जनसंख्या घनत्व ने प्राकृतिक परिदृश्य को बदल दिया है, जिससे आपदा पैटर्न में बदलाव आया है।
- शहरी विकास और नियोजन को विनियमित करने के लिए जिम्मेदार सरकारी एजेंसियों को इन बदलते परिदृश्यों के अनुरूप ढलना होगा।
- मुंबई का मामला आपदा-तत्परता के विभिन्न स्तरों को दर्शाता है, जहां शहर ने दिल्ली, जो बार-बार बाढ़ का सामना करता है, जैसे अन्य क्षेत्रों की तुलना में बाढ़ के मुद्दों को संबोधित करने के प्रयास किए हैं।
विकास और वहनीयता में संतुलन:
- विकास अक्सर बुनियादी ढांचे के विकास में तब्दील हो जाता है, जो आर्थिक प्रगति और नागरिकों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए आवश्यक है।
- हालाँकि, सतत विकास में न केवल आर्थिक कारक बल्कि समाज और पर्यावरण के विचार भी शामिल होने चाहिए।
- वहनीयता प्राप्त करने के लिए पर्यावरणीय प्रभावों पर ध्यान देने के साथ सावधानीपूर्वक शहरी नियोजन की आवश्यकता होती है, ताकि प्राकृतिक आपदा जोखिमों को बढ़ने से रोका जा सके।
ज्ञान को लागू करने में चुनौतियाँ:
- यद्यपि प्राकृतिक आपदाओं के बारे में ज्ञान मौजूद है, लेकिन यह स्थिर नहीं है और निरंतर विकसित होता रहता है।
- एक आम चुनौती अधूरे या पुराने डेटा तथा डेटा संग्रह और निगरानी के लिए मजबूत बुनियादी ढांचे की कमी के कारण आपदा जोखिमों को कम आंकना है।
- उदाहरण के लिए, हिमालय क्षेत्र में, अपर्याप्त अवलोकन नेटवर्क के कारण वर्षा के पैटर्न और जोखिमों की समझ सीमित है।
- डेटा की उपलब्धता और सटीकता आपदा जोखिमों का अनुमान लगाने और उनका शमन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
निर्णय लेने में असंगतता:
- भारत में वर्षा पैटर्न और आपदा जोखिमों सहित जलवायु संकट की निगरानी और उन्हें समझने के लिए समर्पित संस्थान हैं।
- हालाँकि, निर्णय लेने की प्रक्रिया में असंगतता होती है, जहाँ राजनीतिक, आर्थिक और विकासात्मक हित पर्यावरण संरक्षण के साथ टकरा सकते हैं।
- आपदा लचीलेपन की योजना बनाते समय निर्णय निर्माताओं को दीर्घकालिक जोखिम मूल्यांकन, भेद्यता आकलन और सामाजिक आर्थिक कारकों पर विचार करना चाहिए।
- इस अंतर को पाटने के लिए वर्तमान आपदा जोखिमों और चुनौतियों के अनुरूप आधुनिक समाधान विकसित करने के लिए सार्वजनिक और निजी दोनों एजेंसियों के विशेषज्ञों की भागीदारी की आवश्यकता है। अंततः, राजनीतिक इच्छाशक्ति इन समाधानों को प्रभावी ढंग से लागू करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
- अर्थव्यवस्था में 7.8% की दर से वृद्धि हुई:
- भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और अर्थव्यवस्था में सकल मूल्य वर्धन (GVA) की वृद्धि इस वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में चार-तिमाही के उच्चतम स्तर 7.8% पर पहुंच गई।
- लेकिन अर्थशास्त्रियों को चिंता है कि कमजोर मानसून, उच्च मुद्रास्फीति और वैश्विक प्रतिकूलताएं 2023-24 के बाकी समय में विकास की गति को धीमा कर सकती हैं।
- आधे साल के संकुचन के बाद, विनिर्माण GVA में लगातार दूसरी तिमाही में वृद्धि हुई, वर्ष की पहली तिमाही (Q1) में विकास की गति थोड़ी बढ़कर 4.7% हो गई, जो पिछली तिमाही में 4.5% थी।
- अप्रैल और जून के बीच कृषि, वानिकी और मत्स्ययन का GVA 3.5% बढ़ा, लेकिन सेवा क्षेत्र में सबसे तेज वृद्धि देखी गई और राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा जारी अनुमानों को ऊपर उठा दिया।
- भारत के बाद फिलीपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया ने चीन के मानचित्र का विरोध किया:
- फिलीपींस, मलेशिया और इंडोनेशिया ने 2023 के लिए चीन के नए “मानक मानचित्र” पर अपना विरोध व्यक्त करते हुए अलग-अलग बयान जारी किए, जिसका भारत ने भी कड़ा विरोध किया है।
- लेकिन भारत, मलेशिया और फिलीपींस के विरोध के बारे में पूछे जाने पर चीन ने 28 अगस्त को मानचित्र जारी करने का फिर से बचाव किया।
- चीन के सक्षम अधिकारी नियमित रूप से हर साल विभिन्न प्रकार के मानक मानचित्र प्रकाशित करते हैं, जिसका उद्देश्य समाज के सभी क्षेत्रों के लिए मानक मानचित्र उपलब्ध कराना और मानचित्रों के मानकीकृत उपयोग के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाना है।
- मानचित्र में भारतीय राज्य अरुणाचल प्रदेश, अक्साई चिन और साथ ही पूरे दक्षिण चीन सागर को चीन की सीमाओं के भीतर दिखाया गया है। जबकि इन्हें चीन के आधिकारिक मानचित्र के पिछले संस्करणों पर भी प्रदर्शित किया गया था, नए मानचित्र जारी करने को चीन के पड़ोसियों द्वारा क्षेत्रीय विवादों को जटिल बनाने के रूप में देखा गया है जिन पर बातचीत जारी है।
- फिलीपींस के विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि वह चीन के “मानक मानचित्र” के 2023 संस्करण और तथाकथित नाइन-डैश लाइन को शामिल करने को “अस्वीकार” करता है।
- फिलीपीन स्थलों और समुद्री क्षेत्रों पर चीन की कथित संप्रभुता और अधिकार क्षेत्र को वैध बनाने के इस नवीनतम प्रयास का अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से 1982 की संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि (UNCLOS) के तहत कोई आधार नहीं है।
- मलेशियाई सरकार ने भी मानचित्र का विरोध करते हुए कहा कि वह उस मानचित्र को “अस्वीकार” करती है “जो मलेशिया के समुद्री क्षेत्र पर एकतरफा दावा दिखाता है” जिसमें मलेशियाई विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) के कुछ हिस्से भी शामिल हैं।
- ‘संयुक्त राष्ट्र के मानदंडों का सम्मान करें’
- इंडोनेशिया एक बयान जारी करने वाला तीसरा आसियान देश था, इसमें कहा गया था कि “चीन के मानक मानचित्र के 2023 संस्करण सहित क्षेत्रीय रेखाओं का चित्रण, संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि 1982 (UNCLOS1982) के अनुसार होना चाहिए।”
- खींची गई कोई भी रेखा और किया गया कोई भी दावा 1982 के UNCLOS के अनुसार होना चाहिए।
- भारत ने मंगलवार को मानचित्र पर कड़ा विरोध दर्ज कराया और इसे क्षेत्र पर “बेतुके दावे” बताया।
- ऑन्कोलॉजिस्ट (कैंसर चिकित्सा विज्ञानी) रवि कन्नन ने रेमन मैग्सेसे पुरस्कार जीता:
- असम में कछार कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र (CCHRC) के निदेशक, सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट आर. रवि कन्नन, 2023 के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेताओं में से एक हैं।
- उन्हें जन-केंद्रित और गरीब-समर्थक स्वास्थ्य देखभाल के माध्यम से असम में कैंसर उपचार में क्रांति लाने का श्रेय दिया जाता है।
- डॉ. कन्नन चेन्नई के रहने वाले हैं, जहां उन्होंने 2007 में सिलचर जाने से पहले कैंसर संस्थान, अड्यार में काम किया था। वह 2022 में CCHRC के निदेशक बने।
- रेमन मैग्सेसे पुरस्कार की स्थापना उन लोगों को सम्मानित करने के लिए की गई थी जिन्होंने नस्ल, लिंग या धर्म की परवाह किए बिना एशियाई लोगों की सेवा में महान भावना का प्रदर्शन किया है।
- इसका नाम फिलीपींस के पूर्व राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे के नाम पर रखा गया है, जिनकी 1957 में दुखद मृत्यु हो गई थी।
- 1957 में रेमन मैग्सेसे पुरस्कार की स्थापना की गई। 1958 से हर साल इसे विजयी लोगों को सौंपा जाता रहा है।
- कुछ लोगों ने रेमन मैग्सेसे पुरस्कार को “एशिया का नोबेल पुरस्कार” कहा है।
- चंद्रयान को चंद्रमा पर प्लाज्मा मिला:
- चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम के पेलोड ने दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र में सरफेस-बाउंड चंद्र प्लाज्मा वातावरण का पहला इन-सीटू मापन पूरा कर लिया है।
- रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फियर-लैंगमुइर प्रोब (RAMBHA-LP), एक उपकरण है जिसका उपयोग प्लाज्मा को चिह्नित करने के लिए किया जाता है।
- प्रारंभिक मूल्यांकन से संकेत मिलता है कि चंद्र सतह को घेरने वाला प्लाज्मा अपेक्षाकृत विरल है, जिसकी संख्या घनत्व लगभग 5 से 30 मिलियन इलेक्ट्रॉन प्रति घन मीटर है।
- यह मूल्यांकन विशेष रूप से चंद्र दिवस के शुरुआती चरणों से संबंधित है।
- प्रोब बिना किसी रुकावट के चल रहा है, जिसका लक्ष्य पूरे चंद्र दिवस के दौरान नियर-सरफेस प्लाज्मा वातावरण में होने वाले परिवर्तनों का पता लगाना है।
- जुलाई में राजकोषीय घाटा FY24 लक्ष्य के 33.9% तक पहुंच गया:
- सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि 2023-24 के पहले चार महीनों में केंद्र का राजकोषीय घाटा पूरे साल के लक्ष्य के 33.9% तक पहुंच गया।
- लेखा महानियंत्रक (CGA) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई के अंत तक राजकोषीय घाटा – व्यय और राजस्व के बीच का अंतर – निरपेक्ष रूप से ₹6.06 लाख करोड़ था।
- वित्त वर्ष 23 की इसी अवधि में घाटा बजट अनुमान (BE) का 20.5% था।
- केंद्रीय बजट में, सरकार ने वित्त वर्ष 24 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 5.9% तक लाने का अनुमान लगाया है। 2022-23 में घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 6.40% रहा जबकि पहले अनुमान 6.71% था।
स्रोत: The hindu
रेमन मैग्सेसे पुरस्कार |
महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. सकल मूल्यवर्धन (GVA) के संदर्भ में, कौन-सा/से कथन गलत है/हैं?
- GVA किसी अर्थव्यवस्था में उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के कुल मूल्य को मापता है।
- इसकी गणना आउटपुट से मध्यवर्ती खपत को घटाकर की जाती है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: d
व्याख्या:
- दोनों कथन सही हैं: सकल मूल्यवर्धन (GVA) मध्यवर्ती उपभोग को घटाने के बाद उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं का कुल मूल्य है।
प्रश्न 2. रेमन मैग्सेसे पुरस्कार के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह प्रतिवर्ष एशिया में उन व्यक्तियों या संगठनों को दिया जाता है जिन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
- 2009 से इमर्जेंट लीडरशिप को छोड़कर, इसे अब निश्चित पुरस्कार श्रेणियों में नहीं दिया जा रहा है।
- सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट आर. रवि कन्नन 2023 के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेताओं में से एक हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीनों
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- सभी तीनों कथन सही हैं।
प्रश्न 3. हाल ही में चर्चा में रही ‘रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फियर (RAMBHA-LP)’ किससे संबंधित है?
- यह चंद्रमा की सतह के पास परिवेशीय इलेक्ट्रॉन घनत्व और तापमान का अध्ययन कर रहा है।
- यह लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंपीयता को मापता है।
- यह पृथ्वी और चंद्रमा के बीच संचार संकेतों का परीक्षण करेगा।
- खनिज संरचना के लिए चंद्र चट्टान के नमूनों का विश्लेषण करेगा।
उत्तर: a
व्याख्या:
- RAMBHA-LP को चंद्र सतह के पास इलेक्ट्रॉन घनत्व और तापमान के इन-सीटू माप और प्लाज्मा विकास का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
प्रश्न 4. राजकोषीय घाटे के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- यह कुल राजस्व में सरकारी व्यय के आधिक्य को दर्शाता है।
- राजकोषीय घाटा यह दर्शाता है कि सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए किस हद तक उधार लेने की आवश्यकता है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- दोनों कथन सही हैं।
प्रश्न 5. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिए:
- चीन
- वियतनाम
- मलेशिया
- फिलीपींस
- लाओस
- ब्रुनेई
उपर्युक्त में से कितने देशों या क्षेत्रों की सीमाएँ दक्षिण चीन सागर से लगती हैं?
- केवल दो
- केवल तीन
- केवल चार
- केवल पाँच
उत्तर: d
व्याख्या:
- जिन देशों या क्षेत्रों की सीमा दक्षिण चीन सागर से लगती है वे हैं – चीन, ताइवान, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया और वियतनाम।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- अल नीनो के लक्षणों और हिंद महासागर के गुणों के कारण भारतीय मानसून प्रणाली में आई परिवर्तनशीलता पर चर्चा कीजिए।
- बच्चों के लिए बेहतर परिणाम प्राप्त करने में समान नागरिक संहिता जैसे कानून की भूमिका पर चर्चा कीजिए।
[250 शब्द, 15 अंक] [जीएस-1, भूगोल]
[150 शब्द, 10 अंक] [जीएस-2, राजव्यवस्था]
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं।)