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A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं। E. संपादकीय: पर्यावरण
शासन
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं।
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
भारत ने COP-33 की मेजबानी की पेशकश की
पर्यावरण
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण
प्रारंभिक परीक्षा: COP-33
मुख्य परीक्षा: COP-33 में भारत की भूमिका
सन्दर्भ: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने COP-28 में अपने संबोधन के दौरान 2028 में पार्टियों के सम्मेलन (COP) के 33वें संस्करण की मेजबानी करने की भारत की पेशकश की घोषणा की।
- भारत की “ग्रीन क्रेडिट पहल” के माध्यम से वैश्विक सहयोग की आवश्यकता पर जोर।
निहित मुद्दे:
- वैश्विक शोषण और जलवायु प्रभाव:
- मोदी ने कुछ लोगों द्वारा प्रकृति के निर्मम दोहन के प्रभाव पर प्रकाश डाला, जिससे पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है।
- ग्लोबल साउथ के निवासियों पर पड़ रहे असंगत बोझ का उल्लेख किया गया।
- कार्बन स्पेस और विकसित देश:
- मोदी ने विकसित देशों से 2050 से पहले कार्बन स्पेस खाली करने का आह्वान किया।
- वैश्विक तापमान वृद्धि को रोकने के लिए किसी नई प्रतिबद्धता की घोषणा नहीं की गई।
- ग्रीन क्रेडिट पहल:
- मोदी ने देशों से भारत की “ग्रीन क्रेडिट पहल” में शामिल होने का आग्रह किया।
- इसे कार्बन सिंक बनाने के “गैर-व्यावसायिक” प्रयास के रूप में व्यक्त किया गया है।
- इस पहल का उद्देश्य बंजर या निम्नीकृत भूमि और नदी-जलग्रहण क्षेत्रों पर वृक्षारोपण के लिए ऋण उपलब्ध कराना है।
महत्त्व:
- भारत में COP-33 की मेजबानी:
- COP-33 की मेजबानी का प्रस्ताव जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।
- इसका उद्देश्य जलवायु मुद्दों पर वैश्विक सहयोग और बातचीत को सुविधाजनक बनाना है।
- ग्रीन क्रेडिट पहल के पर्यावरणीय प्रभाव:
- ग्रीन क्रेडिट पहल के लिए मोदी का दृष्टिकोण सतत और पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन के वैश्विक प्रयासों के अनुरूप है।
- विभिन्न क्षेत्रों में स्वैच्छिक पर्यावरणीय कार्यों को प्रोत्साहित करने पर ध्यान
- वित्तीय प्रतिबद्धताएँ और लक्ष्य:
- कम से कम $500 मिलियन की वित्तीय प्रतिबद्धताओं के साथ हानि और क्षति कोष की स्वीकृति।
- यूएई द्वारा 30 अरब डॉलर के जलवायु निवेश कोष के लिए समर्थन की घोषणा की गई।
- जलवायु वित्त प्रतिबद्धताओं के लिए नए सामूहिक परिमाणित लक्ष्य (NCQG) को अंतिम रूप देने का आह्वान।
समाधान:
- कार्बन तटस्थता और उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य:
- COP-26 से भारत की प्रतिबद्धताओं को दोहराया गया, जिसमें 2030 तक उत्सर्जन तीव्रता में 45% की कमी और गैर-जीवाश्म ईंधन की 50% हिस्सेदारी शामिल है।
- 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन हासिल करने की आकांक्षा।
- जलवायु वित्त:
- विकसित देशों के लिए हरित जलवायु कोष (GCF) और अनुकूलन कोष के प्रति वित्तीय प्रतिबद्धताओं को पूरा करने पर जोर दिया गया।
- विकासशील देशों को सहयोग प्रदान करने के लिए बहुपक्षीय विकास बैंकों से किफायती वित्त का आह्वान।
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सारांश: COP-28 में मोदी का दृष्टिकोण वैश्विक सहयोग के लिए महत्वपूर्ण तंत्र की रूपरेखा तैयार करता है, विशेष रूप से ग्रीन क्रेडिट पहल के माध्यम से। सतत पहलों पर सहयोग के लिए दुनिया को आमंत्रण पर्यावरण के प्रति जागरूक रहने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। |
संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
हानि एवं क्षति निधि
पर्यावरण
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण
मुख्य परीक्षा: हानि एवं क्षति निधि
सन्दर्भ: हानि एवं क्षति (L&D) निधि का संचालन, जो जलवायु चर्चाओं में लंबे समय से चली आ रही मांग थी, जलवायु परिवर्तन के अपरिहार्य प्रभावों के समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
- यह निधि, जिस पर COP27 में सहमति हुई थी और अब इसे संयुक्त अरब अमीरात में COP28 में लॉन्च किया गया है, जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों से निपटने में अन्य देशों की सहायता करने के लिए विकसित देशों द्वारा पुनः तैयार किया गया एक कोष है।
मुद्दे:
- विश्व बैंक अंतरिम मेज़बानी:
- L&D निधि की मेजबानी चार साल की अंतरिम अवधि के लिए विश्व बैंक द्वारा की जाएगी, जिससे चिंताएं बढ़ गई हैं।
- विकासशील देशों ने शुरू में महत्वपूर्ण ऊपरी शुल्क जो एक जटिल बातचीत प्रक्रिया का संकेत देता है, के कारण इस व्यवस्था का विरोध किया।
- अपर्याप्त प्रतिबद्धताएँ:
- कुछ देशों (उदाहरण के लिए, जापान, जर्मनी, संयुक्त अरब अमीरात) ने इस निधि (फंड) के लिए राशि देने की प्रतिबद्धता जताई है, कुल प्रतिबद्धता $450 मिलियन है।
- यह राशि कई अरब डॉलर की वास्तविक मांग से कम है, जो फंडिंग अंतर को दर्शाती है।
- स्वैच्छिक योगदान और फंडिंग की अंतिम तिथि चूक गई:
- समय-समय पर पुनःपूर्ति के लिए अस्पष्ट प्रतिबद्धताओं के साथ, इस निधि में योगदान स्वैच्छिक है।
- विकसित देश जलवायु वित्त में 100 अरब डॉलर जुटाने की 2020 की समय सीमा से चूक गए, और 2021 में केवल 89.6 अरब डॉलर ही दे पाए।
- विश्व बैंक प्रबंधन पर शर्तें:
- इस निधि की देखरेख करने वाले विश्व बैंक को पारदर्शिता की शर्तों को पूरा करना होगा और पेरिस समझौते के पक्षों को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
- यदि इसके प्रबंधन को अनुपयुक्त समझा जाता है तो इस निधि के विश्व बैंक से ‘बाहर निकलने’ की संभावना अतिरिक्त जटिलताओं को सामने रखती है।
महत्त्व:
- आशावाद और कूटनीतिक विजय का प्रतीक:
- COP28 में L&D निधि का संचालन अमीरात के राष्ट्रपति के लिए आशावाद और कूटनीतिक जीत का प्रतीक है।
- यह जलवायु न्याय की चुनौतियों से निपटने की दिशा में सकारात्मक कदम को दर्शाता है।
- अपरिहार्य जलवायु प्रभावों का समाधान करना:
- वित्तीय सहायता और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के महत्व पर जोर देते हुए, जलवायु परिवर्तन के अधिक अपरिहार्य प्रभावों से निपटने के लिए L&D निधिं आवश्यक है।
- वित्तपोषण अंतर और स्वैच्छिक योगदान:
- वित्तपोषण अंतर और योगदान की स्वैच्छिक प्रकृति कमजोर देशों के लिए पर्याप्त वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने में चुनौतियों को उजागर करती है।
- यह जलवायु वित्त लक्ष्यों को पूरा करने में विकसित देशों की प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है।
समाधान:
- बढ़ी हुई और आवधिक पुनःपूर्ति:
- विकसित देशों को इस निधि में अधिक पर्याप्त राशि देने के लिए प्रोत्साहित करना।
- जलवायु वित्त की वास्तविक मांग को पूरा करने हेतु आवधिक पुनःपूर्ति के लिए एक स्पष्ट रूपरेखा स्थापित करना।
- फंडिंग दृष्टिकोण में रणनीतिक बदलाव:
- केवल स्वैच्छिक प्रतिबद्धताओं पर निर्भर रहने के बजाय अनिवार्य योगदान मॉडल की ओर बढ़ना।
- वैकल्पिक होस्टिंग व्यवस्थाओं का पता लगाना जो पहुंच, पारदर्शिता और कुशल निधि प्रबंधन सुनिश्चित करती हैं।
- सार्वजनिक निजी साझेदारी:
- निधि की वित्तीय क्षमता बढ़ाने हेतु सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- वित्तपोषण अंतर को पाटने और जलवायु न्याय लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए निजी संस्थाओं के साथ सहयोग की सुविधा प्रदान करना।
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सारांश: जहां COP28 में L&D फंड का संचालन एक सकारात्मक विकास है, वहीं विश्व बैंक द्वारा अंतरिम मेजबानी, अपर्याप्त प्रतिबद्धताओं और योगदान की स्वैच्छिक प्रकृति सहित कई चुनौतियाँ बनी हुई हैं। |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
भारतीय राज्य की क्षमता में सुधार
शासन
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय
मुख्य परीक्षा: भारतीय राज्य की क्षमता में सुधार
सन्दर्भ: भारतीय राज्य एक विरोधाभास से जूझ रहा है जो कि प्रमुख मेट्रिक्स में अपेक्षाकृत लघु होते हुए भी बहुत विस्तृत है।
- जटिल नियामक ढाँचे व्यवसाय और नागरिक गतिविधियों में बाधा डालते हैं, जिससे नागरिकों के लिए अनिश्चितताएँ पैदा होती हैं।
- राज्य का आकार, जैसा कि प्रति व्यक्ति सिविल सेवक और सार्वजनिक क्षेत्र के रोजगार से संकेत मिलता है, सामाजिक जरूरतों को पूरा करने में पर्याप्तता को लेकर चिंताएं पैदा करता है।
मुद्दे:
- नौकरशाही लालफीताशाही:
- लाइसेंस, परमिट, मंजूरी और अनुमतियाँ व्यवसायों और नागरिकों के लिए एक चुनौतीपूर्ण नौकरशाही वातावरण बनाती हैं।
- नियमों की भूलभुलैया व्यवसाय करने में आसानी और कानून के अनुपालन में बाधा उत्पन्न करती है।
- आकार विसंगति:
- भारत में प्रति व्यक्ति सिविल सेवक जी-20 में सबसे कम है, जो राज्य की प्रभावशीलता को प्रभावित करता है।
- कुल रोजगार और प्रमुख सेवा क्षेत्रों में सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी अन्य देशों की तुलना में काफी कम है।
- संसाधन की कमी:
- भारत आवश्यक सार्वजनिक वस्तुओं, कल्याणकारी प्रावधानों और न्याय प्रणाली में अभाव का सामना कर रहा है।
- राज्य की सीमित क्षमता के कारण सेवाओं की आउटसोर्सिंग होती है, जिससे प्राथमिक स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र प्रभावित होते हैं।
महत्त्व:
- राज्य की भूमिका पर बहस:
- राज्य की भूमिका पर बहस सार्वजनिक खर्च बढ़ाने की वकालत करने वाले समर्थकों और छोटे राज्य की मांग करने वाले विरोधियों के बीच चलती रहती है।
- दोनों दृष्टिकोण में प्रभावी शासन में बाधा डालने में प्रोत्साहन, संस्थागत संरचनाओं और कौशल अंतराल की महत्वपूर्ण भूमिका को नजरअंदाज किया गया है।
- विकृत प्रोत्साहन और कौशल अंतर:
- सार्वजनिक संस्थानों में विकृत प्रोत्साहन और अधिकारियों के बीच कौशल का अंतर अच्छी नीतियों को बनाने और लागू करने की क्षमता को खत्म कर देता है।
- शीर्ष स्तर पर तकनीकी कौशल की कमी के कारण कंसल्टेंसी फर्मों को पर्याप्त आउटसोर्सिंग की आवश्यकता होती है, जो आंतरिक विशेषज्ञता की आवश्यकता का संकेत देता है।
समाधान:
- अधिकारों का विभाजन:
- ऑस्ट्रेलिया, मलेशिया और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों से मिले अनुभव बताते हैं कि नीति निर्माण और कार्यान्वयन की जिम्मेदारियों को अलग करने से कार्यान्वयन में तेजी आती है और नवाचारों को बढ़ावा मिलता है।
- जवाबदेही बढ़ाने के लिए कार्यान्वयन संबंधी मुद्दों को अग्रिम पंक्ति के कर्मियों को सौंपा जाना चाहिए।
- पार्श्व प्रवेश और कौशल विकास:
- मध्य और वरिष्ठ स्तर पर संस्थागत पार्श्व प्रवेश सिविल सेवाओं के आकार और तकनीकी अंतर को पाट सकता है।
- मिशन कर्मयोगी के तहत विषय-विशिष्ट प्रशिक्षण सिविल सेवकों के कौशल सेट को बढ़ा सकता है।
- निगरानी एजेंसियों को मजबूत बनाना:
- सेबी और आरबीआई जैसी निगरानी एजेंसियों में पेशेवर कर्मचारियों की संख्या बढ़ाना।
- अनावश्यक देरी और विवादों को कम करने, नीतिगत निर्णयों के संदर्भ की सराहना करने के लिए निगरानी एजेंसियों को संवेदनशील बनाना।
- नियामक नियुक्तियों में सुधार:
- नियामक निकायों और न्यायाधिकरणों में सेवानिवृत्त अधिकारियों की नियुक्ति से संबंधित मुद्दों का समाधान करना।
- राजनीतिक हेरफेर को रोकने के लिए सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाना तथा सभी नियुक्तियों के लिए एक पूर्ण ऊपरी सीमा निर्धारित करना।
- सार्वजनिक क्षेत्र के वेतन को पुनः व्यवस्थित करना:
- भविष्य के वेतन आयोगों द्वारा मध्यम वेतन वृद्धि और ऊपरी आयु सीमा में कमी से नियुक्तियों में भ्रष्टाचार का समाधान किया जा सकता है।
- सहज रूप से प्रेरित व्यक्तियों को आकर्षित करने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के वेतन को निजी क्षेत्र में जोखिम-समायोजित वेतन के साथ संरेखित करना।
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सारांश: भारतीय राज्य की क्षमता में सुधार के क्रम में नौकरशाही जटिलताओं, आकार की विसंगतियों और संसाधनों की कमी को दूर करने के लिए व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है। |
प्रीलिम्स तथ्य:
1. उच्चतम न्यायालय ने कहा, राज्यपाल पुनःअधिनियमित विधेयकों को राष्ट्रपति के पास नहीं भेज सकते
सन्दर्भ: तमिलनाडु सरकार ने 13 नवंबर को सहमति रोके जाने के बाद 10 पुन: अधिनियमित विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने को लेकर राज्यपाल आरएन रवि की आलोचना की।
- मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने दोबारा पारित विधेयकों को विधानसभा में वापस भेजने की राज्यपाल की संवैधानिक बाध्यता पर जोर दिया।
मुद्दे:
- राज्यपाल द्वारा संवैधानिक हठधर्मिता:
- तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल रवि पर सहमति रोककर विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने के मामले में “संवैधानिक हठ” प्रदर्शन का आरोप लगाया।
- स्थापित विधिक सिद्धांतों के आलोक में राज्यपाल की कार्रवाई पर सवाल उठाया गया था।
- राज्यपाल का अधिकार और रोकी गई सहमति:
- सीजेआई चंद्रचूड़ ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक बार जब राज्यपाल सहमति रोक देते हैं, तो विधेयकों को अनुच्छेद 200 के पहले प्रावधान के तहत विधानसभा में वापस भेजा जाना चाहिए।
- विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजने के राज्यपाल के प्रयास की स्थापित कानूनी मिसालों के साथ विरोधाभासी बताकर आलोचना की गई।
- अनुच्छेद 200 की व्याख्या:
- अटॉर्नी-जनरल का तर्क है कि राज्यपाल ने केवल सहमति रोकी और विधेयकों को पुनर्विचार के लिए वापस नहीं भेजा।
- अनुच्छेद 200 की व्याख्या और दी गई परिस्थितियों में राज्यपाल के अधिकार पर विवाद उत्पन्न होता है।
महत्त्व:
- कानूनी मिसालें और 10 नवंबर का फैसला:
- सीजेआई ने उच्चतम न्यायालय के 10 नवंबर के फैसले पर जोर दिया, जिससे यह कानून तय हो गया कि दोबारा पारित होने वाले विधेयकों को राज्यपाल की सहमति मिलनी चाहिए।
- संवैधानिक प्रक्रियाओं के सुचारू संचालन के लिए स्थापित कानूनी सिद्धांतों के पालन का महत्व।
- विधानसभा द्वारा पुनः पारित किया जाना और राज्यपाल का अधिकार:
- इस बात को लेकर विवाद है कि विधानसभा द्वारा 18 नवंबर को विधेयकों को दोबारा पारित करना वैध था या निरर्थक।
- सहमति रोकने के राज्यपाल के अधिकार और विधानसभा की प्रतिक्रिया के बारे में सवाल उठाए गए।
समाधान:
- संवाद के माध्यम से समाधान:
- मुख्य न्यायाधीश ने मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच गतिरोध को बातचीत के जरिये सुलझाने का सुझाव दिया
- राज्यपाल से सौहार्दपूर्ण समाधान के लिए मुख्यमंत्री से संवाद करने का आग्रह किया.
- राज्यपाल की भूमिका पर कानूनी स्पष्टता:
- रोकी गई सहमति और पुनः अधिनियमित विधेयकों के मामलों में राज्यपाल की भूमिका की स्पष्ट समझ की आवश्यकता।
- टकराव से बचने के लिए कार्यों को संवैधानिक प्रावधानों के अनुरूप बनाने पर जोर।
2. इंटरपोल बैठक में भारत
सन्दर्भ: सीबीआई निदेशक प्रवीण सूद और एनआईए महानिदेशक दिनकर गुप्ता के नेतृत्व में एक उच्च पदस्थ भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 91वीं इंटरपोल महासभा को संबोधित किया।
- सदस्य देशों से अपराधियों, अपराध और अपराध की आय को सुरक्षित पनाहगाह देने से अस्वीकार करने का आग्रह किया गया।
- कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों से कथित आतंकवादियों और वांछित व्यक्तियों के प्रत्यर्पण या निर्वासन के लिए भारत के चल रहे प्रयासों के संदर्भ को रखा गया।
मुद्दे:
- वैश्विक प्रत्यर्पण चुनौतियाँ:
- भारत को विभिन्न देशों से कथित आतंकवादियों और अपराधियों के प्रत्यर्पण में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
- खालिस्तान समर्थक तत्वों और अन्य वांछित व्यक्तियों का विशिष्ट संदर्भ।
- अपराधियों के लिए सुरक्षित ठिकाना:
- कुछ राष्ट्रों द्वारा अपराधियों और अपराध से होने वाली आय को सुरक्षित पनाहगाह उपलब्ध कराने को लेकर चिंताएँ।
- ऐसे सुरक्षित पनाहगाहों को रोकने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया गया।
महत्त्व:
- सहयोग में वृद्धि और प्रत्यर्पण सफलता:
- इस वर्ष भारतीय एजेंसियों द्वारा वांछित 24 अपराधियों और भगोड़ों की विदेश से वापसी देखी गई है।
- विभिन्न देशों में 184 अपराधियों की भू-स्थिति इंटरपोल चैनलों के बढ़ते लाभ और वैश्विक सहयोग को दर्शाती है।
- इंटरपोल की शताब्दी और विज़न 2030:
- वियना में महासभा द्वारा इंटरपोल की 100वीं वर्षगांठ मनाई गई।
- इंटरपोल के विज़न 2030 के लिए भारत का समर्थन अंतरराष्ट्रीय अपराध से निपटने में समन्वित रणनीतियों के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
समाधान:
- समन्वित रणनीतियाँ:
- प्रतिनिधिमंडल अंतरराष्ट्रीय सीमाओं के पार सक्रिय आपराधिक संगठनों पर नकेल कसने के लिए समन्वित रणनीतियों की वकालत करता है।
- सदस्य देशों से आपराधिक गतिविधियों के लिए अपने क्षेत्रों के दुरुपयोग को रोकने के लिए मिलकर काम करने का आग्रह किया गया
- इंटरपोल के विज़न 2030 को वैश्विक रूप से अपनाना:
- विज़न 2030 के लिए भारत का समर्थन उभरती चुनौतियों के साथ कानून प्रवर्तन प्रयासों को संरेखित करने की सामूहिक प्रतिबद्धता को इंगित करता है।
- विज़न 2030 संभवतः वैश्विक सुरक्षा को बढ़ाने के लिए तकनीकी प्रगति और सहयोग पर जोर देता है।
3. यूएई ने जलवायु निवेश को बढ़ावा देने के लिए 30 अरब डॉलर के फंड की घोषणा की
सन्दर्भ: COP-28 के मेजबान संयुक्त अरब अमीरात ने ALTÉRRA निवेश कोष के लिए $30 बिलियन की महत्वपूर्ण प्रतिबद्धता को सामने रखा।
- COP-28 के अध्यक्ष सुल्तान अहमद अल जाबेर की अध्यक्षता में निजी तौर पर प्रबंधित फंड ALTÉRRA का लक्ष्य 2030 तक वैश्विक स्तर पर $250 बिलियन जुटाना है।
- यह फंड जलवायु निवेश पर केंद्रित है और इसका लक्ष्य उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में बदलाव लाना है।
मुद्दे:
- जलवायु निवेश चुनौतियाँ:
- उभरते बाजारों और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के लिए अधिक वार्षिक आवश्यकता के साथ, जलवायु परिवर्तन से निपटने के वैश्विक प्रयासों को वित्तीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
- जलवायु परिवर्तन से निपटने और अंतरराष्ट्रीय समझौतों में निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने के लिए पर्याप्त निवेश की आवश्यकता है।
- दोहरी भूमिका की आलोचना:
- सीओपी-28 अध्यक्ष और अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के सीईओ के रूप में दोहरी भूमिका निभाने को लेकर सुल्तान अहमद अल जाबेर को आलोचना का सामना करना पड़ रहा है।
- हितों के संभावित टकराव और सीओपी में सफल परिणाम देने की क्षमता को लेकर चिंताएँ उठाई गईं।
महत्त्व:
- वित्तीय प्रतिबद्धता और वैश्विक गतिशीलता:
- ALTÉRRA के लिए $30 बिलियन की प्रतिबद्धता जलवायु कार्रवाई और वैश्विक सहयोग के लिए यूएई की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- 2030 तक वैश्विक स्तर पर $250 बिलियन जुटाने का लक्ष्य है, जिससे यह जलवायु निवेश पर केंद्रित अपनी तरह का सबसे बड़ा फंड बन जाएगा।
- भारत का स्वच्छ ऊर्जा विकास:
- 6 गीगावॉट से अधिक नई स्वच्छ ऊर्जा क्षमता विकसित करने के लिए आवंटित अनिर्दिष्ट राशि के साथ, भारत को प्रारंभिक किश्त से लाभ होगा।
- भारत में 1,200 मेगावाट की पवन और सौर परियोजनाएं स्थापित करने पर विशेष ध्यान, जो देश के नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों में योगदान देगा।
समाधान:
- निजी पूंजी आकर्षण:
- ALTÉRRA जलवायु-केंद्रित निवेशों में गुणक प्रभाव पैदा करते हुए, महत्वपूर्ण पैमाने पर निजी पूंजी को आकर्षित करने पर केंद्रित है।
- इसका उद्देश्य एक परिवर्तनकारी समाधान बनना है, जो सीओपी प्रेसीडेंसी के एक्शन एजेंडा और जलवायु वित्त को सुलभ बनाने के प्रति यूएई की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- समावेशी सहयोग:
- सुल्तान अहमद अल जाबेर सरकारों, निजी क्षेत्र, नवीकरणीय ऊर्जा कंपनियों और तेल और गैस कंपनियों सहित कई प्रकार की संस्थाओं को शामिल करने पर जोर देते हैं।
- सीओपी में सफल परिणाम देने और तापमान वृद्धि को सीमित करने के प्रयासों को आगे बढ़ाने के लिए समावेशी सहयोग का आह्वान किया गया।
4. फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर में नया निगरानी अड्डा स्थापित किया
सन्दर्भ: फिलीपींस ने विवादित दक्षिण चीन सागर में थिटू द्वीप पर एक नए तट रक्षक निगरानी अड्डे का उद्घाटन किया।
- रणनीतिक जलमार्ग में चीन की कार्रवाइयों का मुकाबला करने के लिए अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त गश्त बढ़ाने की योजना।
- उच्च समुद्र में टकराव बढ़ने से अमेरिका से जुड़े संभावित बड़े संघर्ष को लेकर चिंता बढ़ गई है।
मॉनिटरिंग बेस की स्थापना:
- स्थान और उद्देश्य:
- नया निगरानी बेस फिलीपींस बलों के कब्जे वाले थिटू द्वीप पर स्थित है।
- इसका उद्देश्य दक्षिण चीन सागर में बढ़ते तनाव के जवाब में समुद्री चौकसी और निगरानी क्षमताओं को बढ़ाना है।
- मुख्य विशेषताएं :
- दो मंजिला केंद्र रडार, जहाज-ट्रैकिंग सिस्टम और अन्य निगरानी उपकरणों से सुसज्जित है।
- विवादित जल क्षेत्र में चीन की गतिविधियों की निगरानी तथा समुद्री दुर्घटनाओं सहित समुद्री चुनौतियों से निपटने पर ध्यान केंद्रित करना।
संयुक्त गश्ती का विस्तार:
- अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग:
- फिलीपींस अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ संयुक्त गश्त का विस्तार करने की योजना बना रहा है।
- इन संयुक्त प्रयासों का उद्देश्य चीन की कथित आक्रामकता का मुकाबला करना और तनाव को और बढ़ने से रोकना है।
- चीन की हरकतों पर प्रतिक्रिया:
- इसे दक्षिण चीन सागर में चीन के “पूर्ण उकसावे” की प्रतिक्रिया के रूप में वर्णित किया गया है।
- संयुक्त गश्त को क्षेत्रीय सुरक्षा पर जोर देने और फिलीपिंस हितों की रक्षा के लिए एक रणनीतिक कदम के रूप में देखा जाता है।
महत्त्व:
- क्षेत्रीय सुरक्षा सुदृढ़ीकरण:
- निगरानी अड्डे की स्थापना बढ़ते तनाव की स्थिति में क्षेत्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए फिलीपींस की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- उन्नत निगरानी क्षमताएं समुद्री गतिविधियों की सक्रिय निगरानी में योगदान करती हैं।
- रणनीतिक गठबंधन:
- अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के साथ सहयोग भू-राजनीतिक चुनौतियों से निपटने में रणनीतिक गठबंधन के महत्व को रेखांकित करता है।
- संयुक्त गश्त क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित करने के सामूहिक प्रयास का प्रतीक है।
5. वियतनाम और सिएरा लियोन में चीनी परियोजनाएं
विवरण:
- चीन, वियतनाम रेयर अर्थ हार्टलैंड के माध्यम से रेल लिंक पर विचार कर रहे हैं
- चीन और वियतनाम अपने अविकसित रेल संपर्कों के संभावित महत्वपूर्ण उन्नयन पर काम कर रहे हैं ताकि एक ऐसी लाइन को बढ़ावा दिया जा सके जो वियतनाम के रेयर अर्थ हार्टलैंड को पार करे और उत्तर में देश के शीर्ष बंदरगाह तक पहुंचे। यह वार्ता चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की आने वाले हफ्तों में हनोई की संभावित यात्रा की तैयारियों का हिस्सा है।
- सिएरा लियोन ने फ़्रीटाउन ब्रिज के लिए चीन की कंपनी के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए
- सिएरा लियोन ने लगभग 1.5 बिलियन डॉलर की अनुमानित लागत के साथ 8 किलोमीटर लंबा पुल बनाने के लिए चाइना रोड एंड ब्रिज कॉरपोरेशन और एटेपा ग्रुप की आर्किटेक्चरल फर्म के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। यह पुल राजधानी फ़्रीटाउन को हवाई अड्डा केंद्र लुंगी (Lungi) शहर से जोड़ेगा।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
1. इंटरपोल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. इसकी स्थापना 1923 में वैश्विक आपराधिक जांच के लिए एक सुरक्षित सूचना-साझाकरण मंच के रूप में की गई थी।
2. इसका उद्देश्य विभिन्न अपराधों के लिए विशेष निदेशालयों के साथ आपराधिक पुलिस बलों के बीच पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देना है।
3. भारत में, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) सर्वोच्च जांच निकाय के रूप में कार्य करती है, जो सूचनाओं के संकलन और इंटरपोल के साथ संपर्क को देखती है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या: सभी तीनों कथन सही हैं। इंटरपोल कानून प्रवर्तन एजेंसियों के बीच वैश्विक सहयोग की सुविधा प्रदान करता है।
2. निम्नलिखित परिच्छेद पर विचार कीजिए:
“यह पश्चिम अफ़्रीका के दक्षिण-पश्चिमी तट पर स्थित एक देश है। इस देश की राजधानी, फ़्रीटाउन की स्थापना 18वीं शताब्दी के अंत में मुक्त दासों के लिए एक बस्ती के रूप में की गई थी। इस देश में, टेम्ने और मेंडे सबसे बड़े जातीय समूह हैं। यह प्राकृतिक संसाधनों, विशेष रूप से हीरा, सोना, बॉक्साइट और एल्युमीनियम से समृद्ध है। यहाँ रूटाइल के दुनिया के सबसे बड़े भंडारों में से एक मौजूद है, रूटाइल एक टाइटेनियम अयस्क है जिसका उपयोग पेंट पिगमेंट और वेल्डिंग रॉड कोटिंग्स के रूप में किया जाता है।
उपर्युक्त परिच्छेद में हाल ही में चर्चा में रहे किस देश का वर्णन किया गया है?
(a) घाना
(b) लाइबेरिया
(c) नाइजीरिया
(d) सिएरा लियोन
उत्तर: d
व्याख्या: सही उत्तर है: (d) सिएरा लियोन।
3. राज्यपाल के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
1. राज्यपाल पुनः पारित विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेज सकते हैं।
2. भारतीय संविधान में राज्यपाल को पद से हटाने के लिए कोई प्रक्रिया निर्धारित नहीं की गई है।
निम्नलिखित कूट का उपयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या: अनुच्छेद 200 के प्रथम प्रावधान में राज्यपाल को यह अधिदेशित किया गया है कि वे सहमति के लिए अपने पास वापस भेजे गए पुन: अधिनियमित विधेयकों पर अपनी सहमति न रोके।
4. हाल ही में चर्चा में रहा, थिटू द्वीप निम्नलिखित में से कहाँ स्थित है?
(a) पूर्वी चीन सागर
(b) अरब सागर
(c) दक्षिण चीन सागर
(d) बंगाल की खाड़ी
उत्तर: c
व्याख्या: थिटू द्वीप दक्षिण चीन सागर में स्थित स्प्रैटली द्वीप समूह में प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला दूसरा सबसे बड़ा द्वीप है।
5. ALTÉRRA के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. ALTÉRRA का लक्ष्य 2030 तक वैश्विक स्तर पर $250 बिलियन जुटाना है।
2. यह संयुक्त अरब अमीरात सरकार द्वारा स्थापित किया गया है, और अबू धाबी ग्लोबल मार्केट में स्थित है।
3. यह केवल दो प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है: ऊर्जा संक्रमण और जलवायु प्रौद्योगिकी।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीन
(d) इनमें से कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या: यह ल्यूनेट (एक स्वतंत्र वैश्विक निवेश प्रबंधक) का एक फंड है। यह ऊर्जा परिवर्तन, औद्योगिक डीकार्बोनाइजेशन, सतत जीवन और जलवायु प्रौद्योगिकियों पर केंद्रित है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
1. हाल ही में COP-28 में शुरू हुए हानि एवं क्षति निधि की भूमिका और महत्व का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन III, पर्यावरण)
2. भारत की राज्य नौकरशाही क्षमता और इसकी कमियों का विस्तार से परीक्षण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन II – शासन)
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)