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A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: भारतीय राजव्यवस्था
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: भारतीय अर्थव्यवस्था
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
लोकसभा, राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनावों का अध्ययन करने के लिए सरकारी पैनल
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
भारतीय राजव्यवस्था
विषय: संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ
प्रारंभिक परीक्षा- एक साथ चुनाव पर पैनल, जीवन रेड्डी आयोग, विधि आयोग
मुख्य परीक्षा: लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव, संघीय ढांचे पर एक साथ चुनावों का प्रभाव
भूमिका:
- केंद्र सरकार ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के एक साथ चुनावों का अध्ययन करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक पैनल का गठन किया है। एक साथ चुनाव, राष्ट्रीय, राज्य और स्थानीय चुनाव एक साथ कराने के विचार को संदर्भित करता है। इस अवधारणा ने हाल के दिनों में विभिन्न कारणों से लोगों का ध्यान आकर्षित किया है।
अवधारणा का विकास
- 1983: चुनाव आयोग ने सुझाव दिया कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ होने चाहिए।
- 1999: न्यायमूर्ति बी पी जीवन रेड्डी की अध्यक्षता वाले विधि आयोग ने अपनी 170 वीं रिपोर्ट में सिफारिश की कि भारत को लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की प्रणाली पर पुनर्विचार करना चाहिए।
- 2015: कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय पर संसदीय स्थायी समिति ने लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की व्यवहार्यता पर एक रिपोर्ट संकलित की।
- 2019: चुनाव आयुक्त ने यह बताते हुए कि यह एक वांछनीय लक्ष्य है, एक साथ चुनाव के लिए चुनाव आयोग का समर्थन व्यक्त किया, लेकिन इस बात पर भी प्रकाश डाला कि राज्य विधानसभाओं की अवधि संसद की अवधि के साथ संरेखित हो, यह सुनिश्चित करने के लिए सिस्टम को कदम उठाने की आवश्यकता होगी।
लाभ
- व्यय में कमी: अलग-अलग चुनाव कराने से बड़े पैमाने पर व्यय होता है, एक साथ चुनाव कराने पर इसमें कमी हो सकती है। उदाहरण के लिए, नीति आयोग के बिबेक देबरॉय और किशोर देसाई ने लिखा कि 2009 के चुनावों में सरकारी खजाने पर लगभग 1,115 करोड़ रुपये और 2014 के चुनावों में लगभग 3,870 करोड़ रुपये का व्यय आया था।
- बेहतर शासन: बार-बार होने वाले चुनाव होने से आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है, जिससे सरकार के समुचित कामकाज में बाधा आती है। एक साथ चुनाव होने से सरकार नागरिकों को बिना किसी रुकावट के सेवाएं देने पर ध्यान केंद्रित कर सकती है।
- मतदाता मतदान में वृद्धि: विधि आयोग के विश्लेषण के अनुसार, एक साथ मतदान से मतदाता मतदान में वृद्धि हो सकती है। जब मतदाताओं को अलग-अलग दिनों में कई मतपत्र डालने पड़ते हैं, तो कुछ लोग बाद के दौर में मतदान करना छोड़ सकते हैं, विशेषकर वे जो मतदान केंद्रों से दूर रहते हैं।
- संसाधनों का बेहतर उपयोग: यदि एक साथ चुनाव कराए जाते हैं, तो सभी सरकारी अधिकारियों का एक ही समय में उपयोग किया जा सकता है, जिससे काले धन और बूथ कैप्चरिंग जैसी गड़बड़ियों की संभावना कम हो जाती है।
चुनौतियाँ:
- राज्य-विशिष्ट मुद्दों के समाधान में कठिनाई: विधानसभा चुनाव प्रत्येक राज्य के विशिष्ट मुद्दों जैसे कानून और व्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और पानी और बिजली जैसी आवश्यक सेवा पर आधारित होते हैं। एक साथ चुनाव से मतदाताओं का ध्यान इन स्थानीय चिंताओं से हट सकता है, जिससे संभावित रूप से उनके मतदान निर्णय प्रभावित हो सकते हैं।
- जवाबदेही की कमी: प्रत्येक पांच साल में चुनाव कराने से राजनीतिक नेताओं की जवाबदेही कम हो सकती है। बार-बार होने वाले चुनाव उन्हें सक्रिय रखते हैं और वे सार्वजनिक हितों के प्रति प्रतिबद्ध रहते हैं।
- त्रिशंकु विधानसभाओं से निपटने में चुनौतियाँ: त्रिशंकु विधानसभाओं की प्रवृत्ति को देखते हुए, यदि कोई राज्य या लोकसभा जल्दी भंग हो जाती है, तो सभी राज्यों में फिर से अनावश्यक चुनाव कराने या कुछ राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने की आवश्यकता होगी जहां राज्य विधानसभा समय से पहले भंग हो गई है। यह भारत के संसदीय लोकतंत्र और संघीय ढांचे के बुनियादी सिद्धांतों के विरुद्ध होगा।
- छोटी पार्टियों को दरकिनार करना: राष्ट्रीय पार्टियाँ क्षेत्रीय मुद्दों को उठाने वाली छोटी पार्टियों की आवाज़ को दबा सकती हैं, क्योंकि उनके पास अधिक प्रभाव और संसाधन हैं। इसके परिणामस्वरूप छोटे दल हाशिए पर जा सकते हैं जिनका निर्माण किसी विशेष राज्य के लोगों के सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों से निपटने के लिए हुआ है।
- अन्य चुनौतियाँ: मध्यावधि परिवर्तन, जैसे किसी पार्टी का सत्ता खोना, किसी मंत्री को हटाया जाना या उनकी मृत्यु, या एक सीट खाली हो जाना, को वर्तमान प्रणाली के तहत संभालना आसान होगा
भावी कदम
- न्यायमूर्ति बीएस चौहान के नेतृत्व वाले विधि आयोग ने 30 अगस्त, 2018 को एक मसौदा रिपोर्ट में निष्कर्ष प्रस्तुत किया कि वर्तमान संवैधानिक ढांचे के तहत एक साथ चुनाव नहीं कराए जा सकते।
- एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 और लोकसभा और राज्य विधानसभाओं की प्रक्रिया के नियमों में संशोधन की आवश्यकता होगी। उदाहरण के लिए, कुछ संवैधानिक परिवर्तन इस प्रकार हैं:
- अनुच्छेद 83: संसद के सदनों की अवधि से संबंधित परिवर्तन।
- अनुच्छेद 85: राष्ट्रपति द्वारा लोकसभा को भंग करने से संबंधित परिवर्तन।
- अनुच्छेद 172: राज्य विधान मंडलों की अवधि से संबंधित परिवर्तन।
- अनुच्छेद 174: राज्य विधानसभाओं के विघटन से संबंधित परिवर्तन।
- अनुच्छेद 356: राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाने से संबंधित परिवर्तन।
- कम से कम 50% राज्यों को संवैधानिक संशोधनों की पुष्टि करनी होगी।
- आयोग ने एक कैलेंडर वर्ष में होने वाले सभी चुनाव एक साथ कराने का सुझाव दिया।
- आयोग ने यह सुनिश्चित करते हुए कि किसी सरकार को केवल तभी हटाया जा सके जब वैकल्पिक सरकार में विश्वास हो उचित संशोधनों के माध्यम से “अविश्वास प्रस्ताव” को “रचनात्मक अविश्वास मत” से बदलने का प्रस्ताव रखा है ।
निष्कर्ष
पैनल को इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर सर्वसम्मति सुनिश्चित करने के लिए पारदर्शिता और खुलेपन के साथ सभी राजनीतिक दलों को विश्वास में लेकर काम करना चाहिए, जिसका संसदीय लोकतंत्र और संघीय सरकार दोनों पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
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सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
असमान सकारात्मक प्रतिक्रिया
अर्थव्यवस्था
विषय- भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन जुटाने, वृद्धि, विकास और रोजगार से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा- राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय, नाममात्र और वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद, सकल स्थिर पूंजी निर्माण
मुख्य परीक्षा- वैश्विक आर्थिक मंदी, समावेशी विकास, सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में भारत
संदर्भ: सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने 2023-24 की अप्रैल-जून तिमाही (Q1) के लिए सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान जारी किया है।
- भारत की Q1 जीडीपी वृद्धि: 7.8%, RBI के अनुमान 8% से थोड़ा कम।
- भारत सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना हुआ है: इसकी तुलना में, चीन ने 6.3% की वृद्धि दर्ज की है, लेकिन उसे मंदी की नवीन चिंताओं का भी सामना करना पड़ रहा है।
- Q1 में कृषि क्षेत्र का GVA: विकास दर 3.5% पर बरकरार, औसत से कम मानसून और जलाशय के निम्न स्तर के कारण रबी की फसल पर प्रभाव को लेकर संभावित मंदी की आशंका है।
- Q1 में सेवा क्षेत्र: व्यापार, होटल और परिवहन जैसे क्षेत्रों में मजबूत वृद्धि देखी गई है, लेकिन पूर्ण रूप से, यह अभी भी पूर्व-कोविड-19 स्तरों से 1.9% नीचे है।
- सरकारी पूंजी व्यय: सकल स्थिर पूंजी निर्माण सरकारी व्यय से प्रेरित है और निजी क्षेत्र का निवेश अभी भी सुस्त है।
- विनिर्माण GVA: लगातार दूसरी तिमाही में वृद्धि, 4.5% से बढ़कर 4.7% हो गई।
- निजी उपभोग व्यय: 6% की वृद्धि, लेकिन निम्न-आय वर्ग लगातार मुद्रास्फीति से प्रभावित हो सकता है, विशेषकर खाद्य पदार्थों में।
- मुद्रास्फीति में हस्तक्षेप: चावल और प्याज पर निर्यात प्रतिबंध विकास और बाहरी व्यापार संतुलन को नुकसान पहुंचा सकता है।
- LPG सिलेंडर की कीमतों में ₹200 की कटौती जैसे राहत उपाय राजकोषीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा करते हैं और इस प्रक्रिया में, भविष्य में विकास केंद्रित निवेश होता है।
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सारांश: 2023-24 की पहली तिमाही में भारत की जीडीपी वृद्धि 7.8% रही, जो आरबीआई के 8% अनुमान से थोड़ा कम है। कृषि क्षेत्र की 3.5% की वृद्धि बनी रही। सरकारी पूंजीगत व्यय ने पूंजी निर्माण को बढ़ावा दिया, जबकि निर्यात पर अंकुश और LPG की कीमत में कटौती जैसे मुद्रास्फीति हस्तक्षेप राजकोषीय स्थिरता के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं। |
प्रीलिम्स तथ्य:
- पुलिकली
- पुलिकली (बाघ नृत्य) केरल की एक लोक कला है।
- ऐसा माना जाता है कि इसकी शुरुआत लगभग 200 साल पहले कोचीन के शासक महाराजा राम वर्मा सकथन थंपुरन ने की थी।
- यह नृत्य आमतौर पर ओणम त्योहार के दौरान किया जाता है।
- कलाकार अपने शरीर को बाघ की तरह पीले, लाल और काली धारियों से रंगते हैं।
- ये थाकिल, उडुक्कू और चेंडा जैसे पारंपरिक ताल वाद्य यंत्रों की धुन पर नृत्य करते हैं।
- त्रिशूर जिले के स्वराज ग्राउंड में एक कार्निवल का आयोजन होता है जहां इस कला का प्रदर्शन किया जाता है।
- भारत का पहला सौर वेधशाला मिशन आज लॉन्च किया जाएगा
- भारत का पहला सौर वेधशाला मिशन, आदित्य-एल 1, श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) के माध्यम से लॉन्च होगा।
- PSLV-C57/आदित्य-L1 मिशन इस प्रक्षेपण यान के सबसे लंबे मिशनों में से एक है।
- लॉन्च के बाद, आदित्य-एल1 आवश्यक वेग प्राप्त करने के लिए पांच युक्तियों का संचालन करते हुए, पृथ्वी की कक्षाओं में 16 दिन व्यतीत करेगा।
- इसके बाद, आदित्य-एल1 एक ट्रांस-लाग्रांजियन इंसर्शन युक्ति करेगा एवं यह अपने गंतव्य के लिए 110-दिवसीय प्रक्षेपवक्र पर निकलेगा।
- आदित्य-एल1 पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर सूर्य की ओर स्थित होगा।
- आदित्य-एल1 पेलोड को कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर, फ्लेयर्स, अंतरिक्ष मौसम की गतिशीलता, कण और क्षेत्र प्रसार और संबंधित घटनाओं पर महत्वपूर्ण जानकारी इकट्ठा करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- उपग्रह, प्रभामंडल कक्षा में, बिना किसी आच्छादन या ग्रहण के लगातार सूर्य का निरीक्षण कर सकता है।
- सात साल बाद भी गंगा को साफ करने का मिशन प्रगति पर है
- नमामि गंगे मिशन का उद्देश्य राष्ट्रीय नदी गंगा के प्रदूषण को कम करना, संरक्षण और कायाकल्प करना है।
- गंगा बेसिन में कुल सीवेज उत्पादन लगभग 11,765 मिलियन लीटर प्रतिदिन (MLD ) होने का अनुमान है, जिसमें से 7,000 MLD के 2026 तक उपचारित होने की उम्मीद है।
- जुलाई 2023 तक, 2,665 MLD उपचार करने में सक्षम सीवेज उपचार संयंत्र (STP) चालू हो चुके हैं और कार्यात्मक हैं।
- भूमि अधिग्रहण के मुद्दों के कारण कई संयंत्रों को चालू होने में समय लगा।
- स्थापित या उन्नत किए गए संयंत्रों की सबसे अधिक संख्या उत्तराखंड में है, इसके बाद उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल का स्थान है।
- NMCG 20,000 करोड़ रुपये का मिशन है, लेकिन सरकार ने 37,396 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को मंजूरी दी है, जिसमें से बुनियादी ढांचे के काम के लिए राज्यों को केवल 14,745 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।
- नदी के जल की गुणवत्ता अब अधिसूचित प्राथमिक स्नान जल गुणवत्ता की निर्धारित सीमा के भीतर है।
- डॉल्फिन की आबादी 2,000 से बढ़कर लगभग 4,000 हो गई है, जो पानी की गुणवत्ता में सुधार का संकेत है।
- NMCG नदी के जल की गुणवत्ता के बारे में बेहतर जानकारी देने के लिए एक जल गुणवत्ता सूचकांक विकसित करने पर भी काम कर रहा है, जिसमें घुलित ऑक्सीजन, जैव रासायनिक ऑक्सीजन की मांग और मल कोलीफॉर्म आदि जैसे पैरामीटर शामिल होंगे।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- मालती मेम
- मालती मेम (मंगरी ओरंग) एक आदिवासी महिला थीं, जिन्होंने असम के दरांग जिले में विदेशी शराब और अफीम के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया था।
- 1921 में, शराबबंदी अभियान में कांग्रेस स्वयंसेवकों का समर्थन करने के कारण दरांग जिले के लालमाटी में सरकारी समर्थकों द्वारा उनकी हत्या कर दी गई।
- मंगरी ओरंग को ब्रिटिश शासन से आजादी के लिए भारत के संघर्ष का एक गुमनाम नायिका माना जाता है और माना जाता है कि वह स्वतंत्रता आंदोलन की पहली महिला शहीद थीं।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
1.केरल के पुलिकली (बाघ नृत्य) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- पुलिकली का आयोजन ओणम त्योहार के पहले दिन के दौरान होता है।
- कलाकार अपने शरीर को पीले, लाल और काले रंग की धारियों से बाघ की तरह रंगते हैं।
- पुलिकली का मुख्य विषय बाघ का शिकार है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या: कथन 1 गलत है क्योंकि पुलिकली का आयोजन पहले दिन नहीं, अपितु ओणम त्योहार के चौथे दिन किया जाता है।
2. भारत के स्वतंत्रता संग्राम की गुमनाम नायिका मंगरी ओरंग (Mangri Orang) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही है?
- मंगरी ओरंग को औपनिवेशिक काल के दौरान विदेशी शराब और अफीम की बिक्री के खिलाफ विरोध करने के लिए जाना जाता है।
- मालती मेम एक नाटक है जिसमें मंगरी ओरंग की क्रांतिकारी भावना और जीवन का वर्णन है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: c
व्याख्या: औपनिवेशिक काल के दौरान विदेशी शराब और अफीम के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व करने के कारण मंगरी ओरंग को 1921 में गोली मार दी गई थी।
3. दक्षिण काकेशस में नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर निम्नलिखित में से किन दो देशों के बीच संघर्ष चल रहा है?
- आर्मेनिया और जॉर्जिया
- अजरबैजान और ईरान
- आर्मेनिया और अजरबैजान
- रूस और तुर्की
उत्तर: c
व्याख्या: नागोर्नो-काराबाख दक्षिण काकेशस में मौजूद भू-आबद्ध (landlocked) क्षेत्र है, जहाँ मुख्य रूप से अर्मेनियाई लोग बसे हुए हैं लेकिन यह अजरबैजान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर स्थित है।
4. भारत में चुनाव याचिकाएँ दायर करने के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही है?
- चुनाव याचिकाएं किसी भी उच्च न्यायालय में दायर की जा सकती हैं, भले ही चुनाव किसी भी राज्य में हुआ हो।
- चुनाव याचिकाओं पर निर्णय लेने का अधिकार केवल उच्चतम न्यायालय के पास है।
- चुनाव याचिकाएं उस राज्य के उच्च न्यायालय में दायर की जाती हैं जहां चुनाव हुआ हो।
- चुनाव याचिकाएं उस निर्वाचन क्षेत्र के जिला न्यायालय में दायर की जा सकती हैं जहां चुनाव हुआ हो।
उत्तर: c
व्याख्या: चुनाव याचिकाएँ उस विशेष राज्य के उच्च न्यायालय में दायर की जाती हैं जिसमें चुनाव आयोजित हुआ हो। इसलिए, चुनाव याचिकाओं पर निर्णय लेने का मूल अधिकार क्षेत्र केवल उच्च न्यायालयों के पास है।
5. आदित्य L1 मिशन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- आदित्य L1 को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लैग्रेंज बिंदु 2 (L2) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा।
- अंतरिक्ष यान बिना किसी आच्छादन/ग्रहण के लगातार सूर्य का निरीक्षण करेगा।
- यह सूर्य के प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और कोरोना का निरीक्षण करने के लिए पांच पेलोड ले गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या: आदित्य L1, सूर्य-पृथ्वी L2 की नहीं अपितु L1 की परिक्रमा करेगा। यह सूर्य (जिसमें प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और कोरोना शामिल हैं) का अध्ययन करने के लिए 5 नहीं, अपितु 7 पेलोड ले गया है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की व्यवहार्यता का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (GS-II; भारतीय राजव्यवस्था)
- राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन की प्रगति का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (GS- II; शासन)
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेबसाइट पर अपलोड कर सकते हैं।)