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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 05 August, 2023 UPSC CNA in Hindi

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आंतरिक सुरक्षा

  1. अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

  1. हिरोशिमा की घटना से मिले सबक व्यर्थ नहीं जाने चाहिए
  2. सऊदी-इज़राइल निकटता के लिए अमेरिका का प्रयास

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. कालबेलिया नृत्य

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. कुरुवई फसल का मौसम
  2. कट्टुपल्ली बंदरगाह
  3. नोवोरोस्सिएस्क बंदरगाह
  4. नाइजर में तख्तापलट

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित

आंतरिक सुरक्षा

विषय: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन; विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।

प्रारंभिक परीक्षा: एकीकृत सेवा संगठन, संयुक्त कमान।

मुख्य परीक्षा: एकीकृत थिएटर कमांड, सीमा प्रबंधन सुधार, अंतर-सेवा संगठन (कमांड, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक, 2023।

उद्देश्य:

  • विधेयक अंतर-सेवा संगठनों (ISOs) के कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को उन सभी कर्मियों को अनुशासित और प्रबंधित करने की शक्ति देता है जो उन संगठनों में काम करते हैं या उनसे जुड़े हैं।

कवर की गई सेवाओं का दायरा:

  • अंडमान और निकोबार कमांड, रक्षा अंतरिक्ष एजेंसी और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी जैसे मौजूदा अंतर-सेवा संगठन भी विधेयक के प्रावधानों के तहत आएंगे।

प्रावधान:

  • केंद्र सरकार एक अंतर-सेवा संगठन का गठन कर सकती है जिसमें सेना, नौसेना और वायु सेना: इन तीन सेनाओं में से कम से कम दो से संबंधित कर्मी हों।
  • यह विधेयक ISO में सेवारत या उससे जुड़े सभी कर्मियों (सेना, नौसेना, वायु सेना आदि जैसी सेवाओं से) पर लागू होता है।
  • यह विधेयक कमांडर-इन-चीफ, ऑफिसर-इन-कमांड या केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किसी अन्य अधिकारी को ISO में सेवारत या उससे जुड़े कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक और प्रशासनिक कार्रवाई करने की शक्ति देता है।
  • यह विधेयक ISO के कमांडिंग ऑफिसर को उस ISO में सेवारत या उससे जुड़े कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक और प्रशासनिक कार्रवाई करने का अधिकार देता है।
  • विधेयक मौजूदा सेवा अधिनियमों/नियमों/विनियमों में बदलाव नहीं लाता है, लेकिन यह ISO के प्रमुखों को कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अधिक शक्ति देता है।

अंतर-सेवा संगठनों की आवश्यकता:

  • अंतर-सेवा संगठन थिएटर कमांड का एक उदाहरण हैं। यह भारत की सेना के आमूलचूल परिवर्तन का हिस्सा है जो सेना के अलग-अलग बलों को एक एकीकृत कमांड संरचना के तहत लाएगा।
  • थिएटर कमांड सेना को संसाधनों को संयोजित करने तथा आक्रामक और रक्षात्मक अभियानों के लिए उनका बेहतर उपयोग करने में सक्षम बनाएगा।
  • थिएटर कमांड के लिए चल रही कुछ योजनाओं में शामिल हैं: एक चीन के साथ उत्तरी मोर्चे के लिए, एक पाकिस्तान के साथ पश्चिमी सीमाओं के लिए, और एक दक्षिणी भारत की ओर समुद्री कमान के लिए।

लाभ:

  • बेहतर अनुशासन: यह विधेयक ISO के प्रमुखों को कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अधिक शक्ति देकर अंतर-सेवा प्रतिष्ठानों में प्रभावी अनुशासन बनाए रखने में मदद करेगा।
  • कर्मियों को वापस भेजने की कोई आवश्यकता नहीं: विधेयक में अब अनुशासनात्मक कार्यवाही के तहत कर्मियों को उनकी मूल सेवा इकाइयों में वापस भेजने की आवश्यकता नहीं होगी। इससे समय और धन की बचत होगी और ISO के प्रमुखों को नियम तोड़ने वालों के खिलाफ अधिक प्रभावी कार्रवाई करने की भी सुविधा मिलेगी।
  • मामलों का शीघ्र निपटान: यह विधेयक दुष्कर्म या अनुशासनहीनता के मामलों के शीघ्र निपटान में मदद करेगा। इससे यह सुनिश्चित होगा कि मामलों को तुरंत और निष्पक्षता से निपटाया जाए और सशस्त्र बलों की प्रतिष्ठा की रक्षा करने में भी मदद मिलेगी।
  • सार्वजनिक धन और समय की बचत: यह विधेयक कई कार्यवाहियों से बचकर सार्वजनिक धन और समय बचाने में मदद करेगा। ऐसा इसलिए है क्योंकि ISO के प्रमुख मामले को उनकी मूल सेवा इकाइयों को संदर्भित किए बिना कर्मियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करने में सक्षम होंगे।
  • अधिक एकीकरण और संयुक्तता: यह विधेयक तीनों सेनाओं के बीच अधिक एकीकरण और संयुक्तता का मार्ग प्रशस्त करेगा। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि सशस्त्र बल भविष्य में अधिक प्रभावी ढंग से काम करने में सक्षम हैं।
  • सेवा इकाइयों के बीच बेहतर लॉजिस्टिक्स प्रबंधन और संचार प्रक्रियाएं।

चुनौतियां

  • परिचालनात्मक SOP और कमांड को पुनः व्यवस्थित करने के लिए मौजूदा सेवाओं की ओर से अरुचि।
  • एक सुसंगत राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (NSS) का अभाव जो जिम्मेदारियों आदि पर स्पष्टता प्रदान करती है।

सारांश:

  • अंतर-सेवा संगठन विधेयक, 2023 अंतर-सेवा संगठनों (ISO) के कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को उन सभी कर्मियों को अनुशासित और प्रबंधित करने की शक्ति देता है जो उन संगठनों में काम करते हैं या उनसे जुड़े हैं। इससे अनुशासन में सुधार करने, मामलों के निपटान में तेजी लाने, सार्वजनिक धन और समय बचाने में मदद मिलेगी और तीनों सेनाओं के बीच अधिक एकीकरण और संयुक्तता का मार्ग प्रशस्त होगा।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

हिरोशिमा की घटना से मिले सबक व्यर्थ नहीं जाने चाहिए

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।

प्रारंभिक परीक्षा: परमाणु प्रतिरोध, परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि।

मुख्य परीक्षा: परमाणु प्रतिरोध, परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि, संयुक्त राष्ट्र और निरस्त्रीकरण में भूमिका।

  • अगस्त, 1945 में हिरोशिमा पर परमाणु हथियार गिराए गए थे। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि इस क्षण ने युद्ध और हथियारों के उपयोग की प्रकृति को मौलिक रूप से बदल दिया है।

प्रतिरोध

  • प्रतिरोध एक ऐसी रणनीति है जो प्रतिद्वंद्वी को यह विश्वास दिलाकर आक्रामकता को रोकने के लिए बनाई जाती है कि हमले की कीमत इससे होने वाले किसी भी लाभ से अधिक होगी। यह संभावित सैन्य प्रतिक्रिया के पैमाने पर जोर देकर किया जाता है।
  • दूसरे शब्दों में, प्रतिरोध का अर्थ यह विश्वास दिलाना है कि वे आक्रामकता के माध्यम से अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर पाएंगे, क्योंकि इसके परिणाम बहुत गंभीर होंगे।
  • प्रतिरोध विभिन्न तरीकों से प्राप्त किया जा सकता है, जैसे परमाणु प्रतिशोध का खतरा, बड़े सैन्य बलों की तैनाती, या मिसाइल प्रणालियों जैसी उन्नत सैन्य प्रौद्योगिकी का विकास।
  • जहां परमाणु हथियारों का विकास बढ़ा है, वहीं इससे जुड़ी वर्जनाएं भी बढ़ी हैं। राजनीतिक वैज्ञानिक नीना टैननवाल्ड ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि परमाणु हथियारों के उपयोग पर वैश्विक निषेध में वृद्धि के कारण हिरोशिमा और नागासाकी घटना के बाद से परमाणु हथियारों का उपयोग नहीं किया गया है। यह निषेध नैतिकता और परमाणु हथियारों की विनाशकारी क्षमता पर आधारित है।
  • उपयोग के हिसाब से देखा जाए, तो परमाणु बम युद्ध में शामिल लोगों और आम जनता के बीच कोई भेदभाव नहीं करते हैं, पर्यावरणीय क्षति बड़े पैमाने पर होती है, एवं व्यक्तियों की पीढ़ियों पर उनका प्रभाव जैसे आनुवंशिक प्रभाव भी अधिक होते हैं। इसलिए ये ‘असीम हथियार’ हैं और इनका उपयोग भी एक वैश्विक समस्या माना जाता है।
  • हालाँकि, इन वर्जनाओं की कोई कानूनी स्थिति नहीं है तथा ये नैतिक, मानवीय और दार्शनिक निषेधों पर आधारित हैं।

क्या इन नैतिक धारणाओं और परमाणु प्रतिरोध का परीक्षण किया जा रहा है?

  • हाल ही में यूक्रेन संकट में रूस ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल पर कई परमाणु धमकियाँ दी हैं। रूस ने युद्धक ड्यूटी के लिए परमाणु बलों को फिर से संगठित करने का भी आदेश दिया है।
  • इन धमकियों ने यूरोप में परमाणु आर्मागेडॉन (महायुद्ध) की संभावनाओं को बढ़ा दिया है।
  • यूक्रेन संकट में नतीजे अनुकूल नहीं होने के कारण रूस द्वारा सामरिक परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने की अटकलें बढ़ रही हैं।
  • राष्ट्र इस वर्जना को दूर करने के लिए पारंपरिक और सामरिक परमाणु हथियारों के बीच अंतर करने की कोशिश कर रहे हैं। इस बात पर कोई सहमति नहीं है कि सामरिक परमाणु हथियार क्या होता है जिसका उपयोग युद्ध के मैदान में किया जा सकता है।
  • उदाहरण के लिए: हिरोशिमा पर गिरा बम 15 kt (किलोटन) का था, जबकि अमेरिका के पास 1 kt से लेकर 170 kt तक के सामरिक हथियार हैं। इसलिए, भले ही इन्हें सामरिक हथियार कहा जाता है, फिर भी इससे होने वाली तबाही बहुत बड़ी हो सकती है।

इस खतरे पर वैश्विक प्रतिक्रिया?

  • अमेरिका ने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी परमाणु प्रयोग पर कड़ी और अनुरूप प्रतिक्रिया दी जाएगी, लेकिन यह निर्दिष्ट नहीं किया कि प्रतिक्रिया परमाणु होगी।
  • अमेरिका ने भी अपनी परमाणु तैयारियों के स्तर में बदलाव नहीं किया, इसलिए यूरोप में परमाणु अटकलों को हवा देने से परहेज किया जा रहा है।
  • चीन ने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी का विरोध करने का भी आह्वान किया है।
  • हालाँकि, रूस द्वारा बेलारूस में सामरिक परमाणु हथियारों की आवाजाही से पता चला है कि यूरोप में परमाणु खतरा अभी ख़त्म नहीं हुआ है।

भावी कदम:

  • शीत युद्ध के चरम पर, दुनिया भर में लगभग 70,000 परमाणु हथियार थे। हिरोशिमा से मिले सबक और कुछ हद तक किस्मत ने परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को रोक दिया है।
  • परमाणु वर्जना अपने आप में एक बीमा पॉलिसी नहीं हो सकती। परमाणु हथियारों के निषेध पर संधि जैसे वैश्विक प्रयासों को और अधिक मजबूती दी जानी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राष्ट्र अपने राजनीतिक उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए परमाणु हमले की धमकी का उपयोग न करें।

सारांश:

  • हिरोशिमा में परमाणु हथियारों के उपयोग ने युद्ध और हथियारों के उपयोग की प्रकृति को मौलिक रूप से बदल दिया है। परमाणु हथियारों के उपयोग के विरुद्ध निषेध ने 1945 से उनके उपयोग को रोक दिया है, लेकिन यह निषेध कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है और इसे तोड़ा जा सकता है। यूक्रेन संकट में रूस द्वारा परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की हालिया धमकियों ने यूरोप में परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की आशंका बढ़ा दी है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को परमाणु हथियारों के खिलाफ वर्जना को मजबूत करने और उनके उपयोग को रोकने के लिए काम करना चाहिए।

सऊदी-इज़राइल निकटता के लिए अमेरिका का प्रयास

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।

प्रारंभिक परीक्षा:अब्राहम समझौते, ओपेक+, नाटो

मुख्य परीक्षा: भारत-पश्चिम एशिया संबंध, सऊदी-इज़राइल निकटता का भारत पर प्रभाव।

  • संयुक्त राज्य अमेरिका गुपचुप कूटनीति के माध्यम से सऊदी अरब और इज़राइल को एक साथ लाने के लिए काम कर रहा है। इसका क्षेत्रीय शक्ति संतुलन और उससे परे महत्वपूर्ण प्रभाव हो सकता है।
  • ये चर्चाएँ चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में हो रही हैं। जमाल ख़ाशोज्जी की हत्या को लेकर अमेरिका ने सऊदी अरब की आलोचना की थी। वेस्ट बैंक क्षेत्र में यहूदी बस्तियों का विस्तार करने और इज़राइल में न्यायिक स्वतंत्रता को कम करने के प्रधानमंत्री नेतन्याहू के प्रयासों का भी अमेरिका ने विरोध किया है।

पश्चिम एशिया में बदलाव?

  • 1945 से, अमेरिका और सऊदी अरब के बीच एक समझौता हुआ है जिसके तहत अमेरिका तेल और ऊर्जा सुरक्षा के बदले में सऊदी अरब को सैन्य सुरक्षा प्रदान करेगा।
  • हालाँकि, ईरान परमाणु समझौते (ईरान के परमाणुकरण के खतरे को रोकने के लिए) पर हस्ताक्षर करने के अमेरिका के प्रयासों और यमन में अपने युद्ध प्रयासों में सऊदी अरब के लिए लगातार समर्थन की कमी के सऊदी अरब के लिए अच्छे परिणाम नहीं रहे।
  • परिणामस्वरूप, सऊदी अरब अपने विकल्पों में विविधता ला रहा है, जिसमें चीन की मध्यस्थता के साथ ईरान के साथ सामंजस्य स्थापित करना, लाभकारी वैश्विक तेल की कीमतों को बनाए रखने में रूस के साथ सहयोग करना आदि शामिल है।
  • अमेरिका में आगामी चुनावों के साथ, बाइडन प्रशासन सऊदी अरब को इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने तथा सऊदी अरब और इजरायल दोनों को अपने प्रभाव क्षेत्र में लाने के लिए मनाने की कोशिश कर रहा है।
  • सऊदी अरब ने वही सुरक्षा गारंटी, उन्नत अमेरिकी हथियारों तक पहुंच, नागरिक परमाणु ऊर्जा के लिए प्रौद्योगिकी हासिल करने की अनुमति जो नाटो सदस्यों को अमेरिका से मिलती है, और दो-राज्य समाधान (फिलिस्तीन के साथ) के लिए इजरायल की प्रतिबद्धता की माँग की है।

इस निकटता की प्रेरणाएँ क्या हैं?

  • अमेरिका
    • संयुक्त राज्य अमेरिका मध्य पूर्व में अपना प्रभाव फिर से स्थापित करना चाहता है।
    • चीन की मध्यस्थता से ऐतिहासिक सऊदी-ईरान समझौते के हिस्से के रूप में रियाद और तेहरान के बीच राजनयिक संबंध फिर से शुरू हो गए हैं।
    • दूसरी ओर, सीरिया और यमन में शत्रुता के कारण रूस ने भी अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है।
    • सऊदी अरब और इज़राइल के बीच संभावित सुलह से बाइडन को आगामी चुनावों में सत्ता में वापस आने में मदद मिल सकती है।
  • सऊदी अरब
    • सऊदी अरब एक शक्तिशाली क्षेत्रीय कारक के रूप में उभरना चाहता है।
    • संयुक्त अरब अमीरात ने पहले ही अब्राहम समझौते के हिस्से के रूप में इज़राइल के साथ सुलह के प्रयास शुरू कर दिए हैं। सऊदी अरब की इज़राइल के साथ निकटता पश्चिम एशियाई राजनीति को अंदर से आकार देने में मदद करेगा।
    • सऊदी अरब इज़राइल के साथ राजनयिक संबंधों के जरिए ईरान और सीरिया के साथ अपनी निकटता को भी संतुलित करना चाहता है। इससे पता चलेगा कि सऊदी अरब हर संभव तरीके से अपने राष्ट्रीय हित के लिए खड़ा रहेगा। इससे भविष्य में इज़राइल से महत्वपूर्ण उन्नत प्रौद्योगिकी तक पहुंच भी प्राप्त हो सकती है।
  • इज़राइल
    • इज़राइल पश्चिम एशिया में मुस्लिम दुनिया द्वारा एक वैध राज्य के रूप में स्वीकार किया जाना चाहता है।
    • इससे इज़राइल को एशिया तक सीधी पहुंच भी मिलेगी, जिससे इस क्षेत्र के साथ आर्थिक संबंधों को गहरा करने में मदद मिलेगी।

वैश्विक व्यवस्था के लिए निहितार्थ

  • इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष के कारण, पाकिस्तान और इंडोनेशिया जैसे देशों के इज़राइल के साथ संबंध नहीं हैं। इस स्थित में बदलाव आ सकता है।
  • इससे फ़िलिस्तीनी मुद्दे का ध्रुवीकरण भी गहरा हो सकता है। ईरान और सीरिया जैसे देश, हमास और हिजबुल्लाह जैसे अन्य तत्वों के साथ, इस मुद्दे को कट्टरपंथी बना सकते हैं, जिससे हिंसा हो सकती है।
  • सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के साथ संतुलन बनाने के कारण भारत के इज़राइल के साथ संबंधों की गहराई सवालों के घेरे में थी। सुलह के प्रयासों से भारत और इज़राइल के बीच जुड़ाव और बढ़ सकता है। अमेरिका भी इसका समर्थन करेगा।

सारांश:

  • संयुक्त राज्य अमेरिका मध्य पूर्व में अपना प्रभाव फिर से स्थापित करने के लिए सऊदी अरब और इज़राइल को एक साथ लाने पर काम कर रहा है। इसका क्षेत्रीय शक्ति संतुलन के साथ-साथ वैश्विक व्यवस्था पर भी महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

कालबेलिया नृत्य:

  • कालबेलिया नृत्य एक पारंपरिक लोक नृत्य है जो राजस्थान की कालबेलिया संस्कृति का अभिन्न अंग है।
  • इस नृत्य को सपेरा नृत्य के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि कालबेलिया अपने पारंपरिक साँप पकड़ने के कौशल के लिए जाने जाते हैं।
  • इस नृत्य में पुरुष और महिलाएँ दोनों भाग लेते हैं, जिसमें महिलाएँ मुख्य नर्तक होती हैं और पुरुष विभिन्न संगीत वाद्ययंत्रों पर संगत करते हैं।
  • नृत्य में विभिन्न प्रकार के वाद्ययंत्र जैसे पखावज, ढोलक, झांझर, हारमोनियम और सारंगी शामिल होते हैं।
  • पुंगी या बीन नृत्य का विशिष्ट संगीत वाद्ययंत्र है।
  • इन कलाओं को भारत के लोक और जनजातीय अभिव्यक्तियों के राष्ट्रीय उत्सव “उत्कर्ष” और अंतर्राष्ट्रीय साहित्य महोत्सव “उन्मेष” के हिस्से के रूप में मनाया जा रहा है।
  • केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय की संगीत नाटक अकादमी और साहित्य अकादमी मध्य प्रदेश सरकार के साथ मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन कर रही है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. कुरुवई फसल का मौसम
    • यह कावेरी डेल्टा क्षेत्र में कृषि बुआई और खेती के मौसम में से एक है।
    • इस मौसम में कावेरी नदी के पानी का उपयोग करके ज्यादातर धान उगाया जाता है।
    • इस कृषि मौसम की अवधि 120 दिनों से कम है और बुआई जून-जुलाई से शुरू होती है।
  2. कट्टुपल्ली बंदरगाह
    • यह तमिलनाडु में एन्नोर के पास स्थित है।
    • यह एक छोटा बंदरगाह है जिसे वर्तमान में अदानी कट्टुपल्ली पोर्ट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित किया जा रहा है।
  3. नोवोरोस्सिएस्क बंदरगाह
    • यह क्रीमिया क्षेत्र के करीब काला सागर क्षेत्र में स्थित है जिस पर यूक्रेन और क्रीमिया के बीच विवाद चल रहा है।
  4. नाइजर में तख्तापलट
    • नाइजर एक भू-आबद्ध देश है जिसकी सीमा लीबिया, नाइजीरिया, माली, बुर्किना फासो और अल्जीरिया जैसे देशों से लगती है।
    • नाइजर नदी इस देश से होकर बहती है।
    • हौसा, ज़र्मा, सोंगहे और तुआरेग देश के कुछ प्रमुख जातीय समूह हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. “यह बाघ अभयारण्य प्रोजेक्ट टाइगर के तहत देश के पहले बाघ अभयारण्यों में से एक होने के लिए प्रसिद्ध है, और पोर्कुला साल्वेनिया, कैप्रोलागस हेपिडस इत्यादि जैसी लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है। इसे 1985 में यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल (प्राकृतिक) के रूप में भी नामित किया गया था, और हाथियों की सुरक्षा में इसके महत्व के कारण 2003 में इसे हाथी रिजर्व बनाया गया था।

हाल ही में चर्चा में रहे निम्नलिखित बाघ अभ्यारण्यों में से किस एक का वर्णन उपर्युक्त परिच्छेद में किया गया है?

  1. बांदीपुर बाघ अभयारण्य
  2. रणथंभौर बाघ अभयारण्य
  3. मानस बाघ अभयारण्य
  4. कान्हा बाघ अभयारण्य

उत्तर: (c)

व्याख्या:

  • परिच्छेद में उल्लिखित बाघ अभयारण्य मानस बाघ अभयारण्य है, जो भारत का पहला प्रोजेक्ट टाइगर अभयारण्य और यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। 2003 में इसे हाथी रिजर्व भी घोषित किया गया था।

प्रश्न 2. राजस्थान के कालबेलिया नृत्य के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. कालबेलिया नृत्य मुख्य रूप से पुरुष नर्तकों द्वारा पारंपरिक वाद्ययंत्रों का उपयोग करके किया जाता है।
  2. कालबेलिया नृत्य को यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता प्राप्त है।
  3. कालबेलिया नर्तक पारंपरिक काली पोशाक धारण करते हैं, जिस पर चांदी के धागे से सांप जैसी कढ़ाई की जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है क्योंकि कालबेलिया नृत्य पुरुष नर्तकों द्वारा नहीं, अपितु महिला नर्तकों द्वारा किया जाता है।

प्रश्न 3. आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM) के तहत डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना (DHIS) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सत्य है?

  1. इसका उद्देश्य पूरे भारत में गैर-डिजिटल स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ावा देना है।
  2. यह स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं को प्रोत्साहन देकर डिजिटल स्वास्थ्य समाधान अपनाने के लिए प्रोत्साहित करता है।
  3. यह प्रयोगशाला/रेडियोलॉजी डायग्नोस्टिक्स केंद्रों को छोड़कर, डिजिटल स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रोत्साहन प्रदान करता है।
  4. सभी स्वास्थ्य सुविधाओं को प्रोत्साहन अर्जित करने से बाहर करने के लिए DHIS की नीति को संशोधित किया गया है।

उत्तर: (b)

व्याख्या:

  • ABDM के तहत डिजिटल स्वास्थ्य प्रोत्साहन योजना (DHIS) का उद्देश्य स्वास्थ्य सुविधाओं और प्रदाताओं द्वारा डिजिटल स्वास्थ्य समाधान अपनाने को प्रोत्साहित करना है।

प्रश्न 4. तमिलनाडु में कुरुवई फसलों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. ये मुख्य रूप से तमिलनाडु के कावेरी डेल्टा क्षेत्र में उगाई जाती हैं।
  2. कुरुवई फसलों की खेती 150 दिनों से अधिक समय तक चलती है।
  3. इनकी बुआई फरवरी माह में की जाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: (a)

व्याख्या:

  • कथन 2 और 3 गलत हैं क्योंकि कुरुवई फसलों की खेती 120 दिनों से कम समय तक चलती है। इसकी बुआई जून-जुलाई माह में की जाती है।

प्रश्न 5. नोवोरोस्सिएस्क बंदरगाह निम्नलिखित में से किस देश में स्थित है?

  1. जॉर्जिया
  2. यूक्रेन
  3. तुर्की
  4. रूस

उत्तर: (d)

व्याख्या:

  • नोवोरोसिस्क बंदरगाह रूस में स्थित है। यह काला सागर क्षेत्र के सबसे बड़े बंदरगाहों में से एक है तथा समुद्री व्यापार और परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

  1. परमाणु प्रतिरोध और परमाणु वर्जना की अवधारणाओं पर रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव का समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए।
  2. (250 शब्द, 15 अंक) (GS-2; अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

  3. अंतर-सेवा संगठन विधेयक, 2023 के प्रावधानों का मूल्यांकन कीजिए।

(250 शब्द, 15 अंक) (GS-3; आंतरिक सुरक्षा)