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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 05 November, 2023 UPSC CNA in Hindi

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

भूगोल

  1. नेपाल भूकंप
  2. दुर्लभ मृदा तत्वों पर अल्पाधिकार नियंत्रण

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

  1. भारत ने इजराइल पर मतदान से परहेज क्यों किया?

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना
  2. राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक
  3. IL-38 डिकमिशन किया गया
  4. बटलर पैलेस
  5. H. पाइलोरी बैक्टीरिया
  6. तमिलनाडु की कोराई पाई घास की चटाई

G. महत्त्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित

नेपाल भूकंप

भूगोल

विषय: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखीय हलचल, चक्रवात आदि जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनके स्थान- अति महत्त्वपूर्ण भौगोलिक विशेषताओं (जल-स्रोत और हिमावरण सहित) और वनस्पति एवं प्राणिजगत में परिवर्तन और इस प्रकार के परिवर्तनों के प्रभाव

प्रारंभिक परीक्षा: भूकंप संबंधित मूल तथ्य

मुख्य परीक्षा: भूकंप के कारण एवं प्रभाव

सन्दर्भ: नेपाल में 6.4 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया है, जिसके परिणामस्वरूप जानमाल की हानि, व्यापक क्षति और चोटें आई हैं। यह भूकंप 2015 के विनाशकारी भूकंप, जिसके विनाशकारी परिणाम हुए थे, के बाद से देश में आया सबसे बड़ा भूकंप है।

विवरण:

  • तीव्रता और भूकंप का केंद्र: भूकंप की तीव्रता 6.4 थी और इसका केंद्र काठमांडू से लगभग 500 किमी पश्चिम में जाजरकोट जिले में था। इसकी तीव्रता से सुदूर पर्वतीय क्षेत्र में बड़े स्तर पर विनाश हुआ।
  • मानव हताहत: कम से कम 157 लोगों की जान चली गई है, 160 से अधिक लोग घायल हुए हैं। बचाव एवं राहत कार्य जारी रहने से मरने वालों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
  • दूरदराज के इलाकों पर प्रभाव: सबसे गंभीर प्रभाव पश्चिमी नेपाल के जाजरकोट और रुकुम जिलों में महसूस किया गया, जहां बड़ी संख्या में लोग हताहत हुए और विनाश हुआ। ये पहुंच के मामले में सुदूर और चुनौतीपूर्ण क्षेत्र हैं।
  • बाद के झटके (Aftershocks): मुख्य भूकंप के बाद, कई झटके आए हैं, जिससे प्रभावित क्षेत्रों में भय और अनिश्चितता बढ़ गई है।

नेपाल में भूकंप का खतरा क्यों रहता है?

  • खतरनाक हिमालयी भूकंपीय क्षेत्र पर स्थित, नेपाल एक अत्यधिक भूकंप-प्रवण देश है।
  • सक्रिय सबडक्शन क्षेत्र: भारतीय और यूरेशियाई प्लेटों का टकराना।
  • दुनिया की सबसे नई पर्वत श्रृंखला, हिमालय यूरेशियाई प्लेट, इसके दक्षिणी किनारे पर तिब्बत और भारतीय महाद्वीपीय प्लेट के टकराव के परिणामस्वरूप ऊपर उठी है और सदियों से टेक्टोनिक रूप से विकसित होती रही है, जैसा कि भूकंपविज्ञानी कहते हैं, प्रत्येक शताब्दी में यह दो मीटर आगे बढ़ता है जिसके परिणामस्वरूप पृथ्वी के अंदर सक्रिय भूगर्भीय भ्रंश में संग्रहीत लोचदार ऊर्जा अचानक मुक्त हो जाती है जिससे भूपर्पटी में हलचल होती है।

भावी कदम:

  • तत्काल राहत: नेपाल सरकार ने तत्काल राहत उपाय के रूप में प्रभावित जिलों को वित्तीय सहायता आवंटित की है। प्रभावित आबादी को आश्रय, चिकित्सा सहायता और भोजन प्रदान करने के लिए अतिरिक्त वित्तीय सहायता और संसाधनों को प्रभावित क्षेत्रों में लगाया जाना चाहिए।
  • आपदा तैयारी: नेपाल को अपनी आपदा तैयारी और प्रतिक्रिया तंत्र को बढ़ाने की जरूरत है, विशेषकर भूकंप की आशंका वाले दूरदराज के इलाकों में। इसमें बेहतर बुनियादी ढांचा, प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और आपदा प्रबंधन प्रशिक्षण शामिल हैं।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: नेपाल को आपदा प्रतिक्रिया और समन्वय बढ़ाने के लिए पड़ोसी देशों, विशेषकर भारत के साथ सहयोग करना चाहिए। अंतर्राष्ट्रीय एजेंसियों और संगठनों को भी राहत और रिकवरी के लिए सहायता प्रदान करनी चाहिए।
  • झटके के बाद की निगरानी: संभावित आगे के नुकसान का अनुमान लगाने और प्रबंधन करने के लिए झटकों की निरंतर निगरानी और विश्लेषण महत्त्वपूर्ण है।

सारांश: नेपाल भूकंप एक दुखद घटना है जिसके परिणामस्वरूप बड़े स्तर पर जीवन का नुकसान और विनाश हुआ है, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में। इस आपदा की प्रतिक्रिया में तत्काल राहत, बेहतर आपदा तैयारियों और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित

दुर्लभ मृदा तत्वों पर अल्पाधिकार नियंत्रण

भूगोल

विषय: विश्व भर के मुख्य प्राकृतिक संसाधनों का वितरण (दक्षिण एशिया और भारतीय उपमहाद्वीप को शामिल करते हुए), विश्व (भारत सहित) के विभिन्न भागों में प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक क्षेत्र के उद्योगों को स्थापित करने के लिये ज़िम्मेदार कारक

प्रारंभिक परीक्षा: दुर्लभ मृदा तत्वों की अवधारणा

मुख्य परीक्षा: दुर्लभ मृदा तत्वों पर नियंत्रण में निहित समस्याएं

सन्दर्भ: अल्पाधिकारों द्वारा दुर्लभ मृदा तत्वों का नियंत्रण हरित प्रौद्योगिकियों की ओर वैश्विक परिवर्तन में महत्त्वपूर्ण बाधा उत्पन्न करता है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन ने दुर्लभ मृदा तत्वों से जुड़ी चिंताओं और ऊर्जा परिवर्तन प्रयासों पर उनके संभावित प्रभाव के साथ-साथ विकासशील देशों के लिए बाहरी फंडिंग से जुड़े जोखिमों पर प्रकाश डाला है।

स्रोत: The hindu

अल्पाधिकार:

  • अल्पाधिकार (oligopoly) एक प्रकार की बाजार संरचना है जहां कम संख्या में आपूर्तिकर्ता बाजार को नियंत्रित करते हैं।
  • उत्पादकों की ये छोटी संख्या आउटपुट और/या कीमतों को स्थिर करने के लिए काम करती है ताकि वे सामान्य बाजार रिटर्न से अधिक प्राप्त कर सकें।

मुद्दे:

  • दुर्लभ मृदा तत्वों पर अल्पाधिकार नियंत्रण: दुर्लभ मृदा तत्वों के खनन और प्रोसेसिंग पर कुछ प्रमुख कंपनियों का नियंत्रण है, जिससे अल्पाधिकार बाजार संरचना का निर्माण होता है। यह नियंत्रण हरित प्रौद्योगिकियों को बढ़ाने के लिए आवश्यक इन महत्त्वपूर्ण खनिजों की उपलब्धता को सीमित करता है।
  • हरित परिवर्तन में अनिश्चितता: दुर्लभ मृदा तत्वों के लिए सीमित संख्या में आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता हरित प्रौद्योगिकियों के संक्रमण में अनिश्चितता पैदा करती है, क्योंकि आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान प्रगति में बाधा डाल सकता है।
  • बाहरी फंडिंग का हथियारीकरण (Weaponization): CEA ने चेतावनी दी है कि विकासशील देशों को जीवाश्म ईंधन से हटने में मदद करने के लिए प्रदान की जाने वाली बाहरी फंडिंग को हथियार बनाया जा सकता है, जिससे संभावित रूप से प्राप्तकर्ता देशों के लिए निर्भरता और कमजोरियां पैदा हो सकती हैं।
  • हरित निवेश में लालच: हरित परिवर्तन में निवेशकों को आम भलाई की कीमत पर उच्च रिटर्न को प्राथमिकता देने के प्रति आगाह किया गया है। CEA ने नैतिक निवेश प्रथाओं के महत्त्व पर जोर दिया।
  • सार्वजनिक निवेश की भूमिका: सार्वजनिक निवेश हरित परिवर्तन का समर्थन करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। CEA के अनुसार ऐतिहासिक रूप से, बड़े परिवर्तन प्रयास, जैसे द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पुनर्निर्माण, अंतरिक्ष अन्वेषण और इंटरनेट का विकास, सार्वजनिक क्षेत्र द्वारा संचालित थे।

महत्त्व:

  • दुर्लभ मृदा तत्व और हरित प्रौद्योगिकियां: दुर्लभ मृदा तत्वों की उपलब्धता इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों और ऊर्जा भंडारण समाधानों सहित हरित प्रौद्योगिकियों को आगे बढाने के लिए महत्त्वपूर्ण है। इन संसाधनों पर अल्पाधिकारी नियंत्रण हरित संक्रमण की प्रगति में बाधा डाल सकता है।
  • ऊर्जा संक्रमण अनिश्चितता: दुर्लभ मृदा तत्वों के अल्पाधिकारी नियंत्रण के कारण होने वाली अनिश्चितता जलवायु परिवर्तन से निपटने के प्रयासों को प्रभावित करते हुए, ऊर्जा स्रोतों के लिए वैश्विक संक्रमण को धीमा या बाधित कर सकती है।
  • नैतिक निवेश प्रथाएं: अत्यधिक लाभ पर आम भलाई को प्राथमिकता देने के लिए निवेशकों को प्रोत्साहित करना अधिक सतत और न्यायसंगत हरित संक्रमण को बल दे सकता है।
  • सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी: कार्बन अनुक्रम, बैटरी भंडारण और हरित हाइड्रोजन जैसी प्रौद्योगिकियों में निवेश करने में सार्वजनिक क्षेत्र की सक्रिय भूमिका बौद्धिक संपदा के मुद्दों को हल करने और इन समाधानों की वैश्विक सार्वजनिक प्रकृति को सामने रखने में मदद कर सकती है।

भावी कदम:

  • दुर्लभ मृदा तत्व संबंधी आपूर्ति का विविधीकरण: कुछ प्रमुख कंपनियों पर निर्भरता कम करते हुए, दुर्लभ मृदा तत्वों के स्रोतों में विविधता लाने के प्रयास किए जाने चाहिए। विभिन्न क्षेत्रों में अन्वेषण और खनन को प्रोत्साहित करने से आपूर्ति श्रृंखला जोखिमों को कम किया जा सकता है।
  • जिम्मेदार निवेश प्रथाएँ: हरित संक्रमण में निवेशकों को नैतिक निवेश प्रथाओं को अपनाना चाहिए जो अल्पकालिक लाभ पर दीर्घकालिक आम भलाई को प्राथमिकता देते हैं, जहां यह सुनिश्चित हो कि हरित प्रौद्योगिकियों के लाभ व्यापक रूप से सुलभ हैं।
  • हरित प्रौद्योगिकियों में सार्वजनिक निवेश: सरकारों को कार्बन पृथक्करण, बैटरी भंडारण और हरित हाइड्रोजन जैसी महत्त्वपूर्ण हरित प्रौद्योगिकियों में सक्रिय रूप से निवेश करना चाहिए। यह सार्वजनिक सहयोग बौद्धिक संपदा चुनौतियों को कम कर सकता है और इन समाधानों तक न्यायसंगत पहुंच को बढ़ावा दे सकता है।
  • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: दुर्लभ मृदा तत्वों पर अल्पाधिकार नियंत्रण की चुनौती से निपटने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहयोग आवश्यक है। राजनयिक प्रयास इस क्षेत्र में निष्पक्ष और पारदर्शी व्यापार प्रथाओं को प्रोत्साहित कर सकते हैं।

सारांश: अल्पाधिकारों द्वारा दुर्लभ मृदा तत्वों का नियंत्रण वैश्विक हरित संक्रमण के लिए बड़ी बाधा प्रस्तुत करता है। दुर्लभ मृदा तत्वों से जुड़े मुद्दों का समाधान करना, जिम्मेदार निवेश प्रथाओं को बढ़ावा देना और महत्त्वपूर्ण हरित प्रौद्योगिकियों में सार्वजनिक निवेश को प्रोत्साहित करना आवश्यक है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

भारत ने इजराइल पर मतदान से परहेज क्यों किया?

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव

मुख्य परीक्षा: भारत-इज़राइल संबंध

सन्दर्भ: इजरायल-फिलिस्तीनी संघर्ष में युद्धविराम को लेकर लाए गए संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के प्रस्ताव से दूर रहने के भारत के फैसले ने बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं।

  • भारत के ऐतिहासिक मतदान (वोटिंग) पैटर्न से विचलन को दर्शाने वाले इस मतदान से अनुपस्थित रहने को लेकर इस कदम के पीछे के कारणों पर बहस छिड़ गई है।

मुद्दे:

  • आतंकवाद पर भारत का रुख: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बताया कि भारतीय नागरिकों पर आतंकवाद के बड़े प्रभाव को देखते हुए, भारत का मत (वोट) आतंकवाद के खिलाफ उसके मजबूत रुख के अनुरूप था। भारत ने हमास द्वारा किए गए आतंकी हमलों की अधिक स्पष्ट निंदा की मांग की, जिसे UNGA प्रस्ताव में शामिल नहीं किया गया था।
  • ऐतिहासिक मतदान (वोटिंग) रिकॉर्ड: भारत का मत (वोट) संयुक्त राष्ट्र में इसकी पिछली स्थिति की तुलना में एक उल्लेखनीय बदलाव है। ऐतिहासिक रूप से, भारत ने फिलिस्तीन का समर्थन किया है और लगातार इज़राइल के खिलाफ मतदान किया है। हालाँकि, मतदान (वोटिंग) पैटर्न 1990 के दशक में विकसित हुआ, 2000 के दशक में और अधिक सूक्ष्म हो गया, और विशेष रूप से 2019 के बाद से, वोटिंग से परहेज़ करने और यहां तक कि इज़राइल के आलोचनात्मक प्रस्तावों के खिलाफ मतदान करने की ओर स्थानांतरित हो गया।
  • वैश्विक समीकरण: कुछ पर्यवेक्षकों का सुझाव है कि भारत का मतदान (वोटिंग) से परहेज एक व्यापक प्रवृत्ति का हिस्सा हो सकता है जहां भारत वैश्विक मुद्दों पर उतनी स्पष्ट बातों से दूर रहने का चयन करता है, वहीं किसी भी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय साझेदार के विरोध से बचने के लिए परस्पर विरोधी पक्षों के बीच संतुलन बनाए रखता है। यह दृष्टिकोण रूस-यूक्रेन संघर्ष और म्यांमार संकट जैसे मुद्दों पर भारत के रुख से स्पष्ट है।

इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थिति:

  • भारत ने शुरू में सांप्रदायिक विभाजन का विरोध किया। भारत ने 1948 में फिलिस्तीन के विभाजन और एक अलग इज़राइल राज्य के निर्माण के खिलाफ मतदान किया।
  • बाद में, भारत ने दो-राज्य समाधान को एकमात्र व्यवहार्य विकल्प के रूप में स्वीकार किया और लगातार इसका समर्थन किया।
  • 1950-1991: इजराइल द्वारा असंगत बल प्रयोग के खिलाफ कई मौकों पर इजराइल के खिलाफ मतदान किया गया।
  • भारत पहला गैर-अरब राज्य था जिसने फिलिस्तीन मुक्ति संगठन (PLO) को लोगों के प्रतिनिधि के रूप में मान्यता दी और 1988 में फिलिस्तीन को मान्यता दी, और संयुक्त राष्ट्र में लगातार इज़राइल के खिलाफ मतदान किया।

1991 के बाद भारत की स्थिति

  • हालाँकि, 1990 के दशक में, विशेष रूप से जब भारत ने इज़राइल के साथ पूर्ण राजनयिक संबंध स्थापित किए, तो संयुक्त राष्ट्र में इसके वोट अधिक सूक्ष्म हो गए, कई मौकों पर मतदान (वोट) से परहेज किया गया जिनमें सीधे तौर पर आलोचना निहित थी।
  • इज़राइल, या वेस्ट बैंक और गाजा के अधिकृत क्षेत्रों में फ़िलिस्तीनियों के साथ इसके व्यवहार पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरण का आह्वान।।
  • दिसंबर 1991 में, भारत और इज़राइल द्वारा अपने दूतावास खोलने से कुछ हफ्ते पहले, भारत उस बहुमत का हिस्सा था जिसने संयुक्त राष्ट्र महासभा में पहले के प्रस्ताव को रद्द करने के लिए मतदान किया था। पहले के प्रस्ताव में ज़ायोनीवाद को “नस्लवाद और नस्लीय भेदभाव” के बराबर बताया गया था।
  • बाद के दशकों में, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के प्रस्तावों के दौरान गाजा पर इजरायली बमबारी और उसकी नाकाबंदी की निंदा करना जारी रखा।
  • लेकिन अन्य इजराइल विरोधी प्रस्तावों पर, विशेषकर अन्य मंचों पर, अपने वोटों को संयमित किया।

2014 के बाद भारत की स्थिति

  • 2014 के बाद, और अधिक स्पष्ट रूप से 2019 के बाद, एक और अधिक स्पष्ट बदलाव आया है, जहां इज़राइल के आलोचनात्मक प्रस्तावों पर भारत ने अतीत में “के लिए” मतदान किया था, अब उसने “विरोध” करना शुरू कर दिया है, और यहां तक कि उनके खिलाफ भी मतदान करना शुरू कर दिया है, यदि उनमें अधिक दखल देने वाली अंतर्राष्ट्रीय जांच पड़ताल शामिल होती है।
  • हालाँकि, ऐसा प्रतीत होता है कि यह व्यवस्था कब्जे और इजरायली बमबारी के खिलाफ फिलिस्तीनी अधिकारों से संबंधित सभी मतदानों (वोटों) पर फिलिस्तीन के साथ है।
  • भारत ने फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र राहत एवं कार्य एजेंसी (UNRWA) को अपना वार्षिक योगदान प्रति वर्ष एक मिलियन डॉलर से बढ़ाकर पाँच मिलियन डॉलर प्रति वर्ष कर दिया।
  • भारत ने येरूशलम को इजरायली राजधानी के रूप में मान्यता देने और अपना दूतावास वहां स्थानांतरित करने के अमेरिका के फैसले के खिलाफ UNGA में मतदान किया।
  • लेकिन, भारत ने 2015 में उस रिपोर्ट पर लाए गए संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (UNHRC) के एक प्रस्ताव पर मतदान करने से परहेज किया, जिसमें गाजा में हिंसा को लेकर हमास की तुलना में इज़राइल की अधिक आलोचना की गई थी।
  • 2016 में, भारत ने UNHRC के एक प्रस्ताव के खिलाफ भी मतदान किया था जिसमें इजरायली युद्ध अपराधों की अंतर्राष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (ICC) जांच का आह्वान किया गया था।
  • भारत ने 2019 में संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक परिषद में हमास से जुड़े NGO को पर्यवेक्षक का दर्जा प्राप्त करने से रोकने के लिए इज़राइल के साथ मतदान भी किया था।

महत्त्व:

  • भारत-इज़राइल संबंध: भारत के अनुपस्थित रहने का इज़राइल ने स्वागत किया, जो दोनों देशों के बीच संबंधों में संभावित गर्माहट का संकेत देता है। जहां भारत के फ़िलिस्तीन के साथ लंबे समय से संबंध हैं, वहीं इज़राइल के साथ उसके विकसित होते संबंधों ने इस मतदान (वोट) को प्रभावित किया हो सकता है।
  • भू-राजनीतिक निहितार्थ: ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया और कुछ नाटो सदस्यों जैसे प्रस्ताव से दूर रहने वाले अन्य देशों के साथ भारत का गठबंधन, अंतर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भारत के गठबंधनों में बदलाव का संकेत दे सकता है। इसके व्यापक भू-राजनीतिक निहितार्थ हो सकते हैं।
  • संतुलन कार्य: भारत का यहाँ अनुपस्थित रहना एक ध्रुवीकृत दुनिया में परस्पर विरोधी पक्षों के बीच “संतुलन” बनाए रखने के उसके इरादे को दर्शाता है। यह दृष्टिकोण भारत को विभिन्न देशों के साथ अपने हितों और संबंधों की रक्षा करने की सुविधा प्रदान करता है।

समाधान:

  • स्थिति में स्पष्टता: भारत को अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर अपने रुख को अधिक स्पष्ट रूप से बताना चाहिए, साथ ही यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि उसकी असहमति या वोट उसके रणनीतिक हितों और सिद्धांतों के अनुरूप हों। इससे गलत व्याख्या और भ्रम से बचने में मदद मिल सकती है।
  • प्रमुख साझेदारों के साथ जुड़ाव: भारत को अपने वोटिंग निर्णयों को स्पष्ट करने तथा उन्हें साझा लक्ष्यों एवं मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को लेकर आश्वस्त करने के लिए अपने अंतर्राष्ट्रीय साझेदारों के साथ जुड़ना चाहिए।
  • संतुलित कूटनीति: मजबूत साझेदारी और सहयोग के अवसरों की खोज करते हुए भारत के ऐतिहासिक संबंधों को बनाए रखने के लिए इज़राइल और फिलिस्तीन दोनों के साथ जुड़ना जारी रखना होगा।

सारांश: UNGA के संघर्ष विराम प्रस्ताव से भारत का अनुपस्थित रहना उसके ऐतिहासिक मतदान पैटर्न से बड़े विचलन को दर्शाता है। यह निर्णय भारत की विकसित होती विदेश नीति को दर्शाता है, जहां वह परस्पर विरोधी हितों के बीच संतुलन बनाए रखने पर केंद्रित होता है।

संपादकीय-द हिन्दू

आज संपादकीय उपलब्ध नहीं हैं।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना

सन्दर्भ: प्रधानमंत्री ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (PMGKAY) को अगले पांच साल के लिए बढ़ाने की घोषणा की है। यह योजना, शुरुआत में 2020 में एक महामारी राहत उपाय के रूप में शुरू की गई थी, जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत आवंटित 5 किलोग्राम सब्सिडी वाले खाद्यान्न के अलावा, 80 करोड़ लाभार्थियों को मासिक 5 किलोग्राम मुफ्त खाद्यान्न प्रदान किया जाता है।

महत्त्व:

  • निरंतर खाद्य सुरक्षा: PMGKAY का विस्तार 80 करोड़ भारतीयों विशेष रूप से आर्थिक रूप से वंचित के लिए खाद्य सुरक्षा की निरंतरता को सुनिश्चित करता है, वह भी ऐसे समय के दौरान जब आर्थिक अनिश्चितताएं और चुनौतियां हैं।
  • महामारी राहत: यह योजना मूल रूप से कोविड -19 महामारी के कारण होने वाली आर्थिक कठिनाइयों की प्रतिक्रिया के रूप में शुरू की गई थी। इसका विस्तार-बाद की रिकवरी चरण में राहत और सहायता प्रदान करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
  • गरीबी का उन्मूलन: गरीबी को कम करने के सरकार के प्रयासों में PMGKAY महत्त्वपूर्ण साधन रहा है। पीएम ने 13.5 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर निकालने में सरकार की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला, कमजोर समुदायों को सशक्त बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया।

2. राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानक

सन्दर्भ: दिल्ली की वायु गुणवत्ता संकट बदतर हो गया है, जहां खतरनाक प्रदूषक PM2.5 के संकेंद्रण में आनंद विहार में निर्धारित सुरक्षा सीमा से 33 गुना से अधिक की वृद्धि हुई है।

  • चूंकि शहर लगातार पांचवें दिन विषाक्त हवा से जूझ रहा है, तो दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव के साथ एक आपातकालीन बैठक का अनुरोध किया है ताकि इस मुद्दे का समाधान किया जा सके।

मुद्दे:

  • खतरनाक PM2.5 स्तर: PM2.5 एक विषाक्त कण पदार्थ है जो साँस में जाने पर गंभीर स्वास्थ्य जोखिम पैदा करता है। आनंद विहार में दर्ज किए गए स्तरों में आंकड़े सुरक्षित सीमा से बहुत ऊपर हैं जिसके निवासियों के लिए तत्काल और दीर्घकालिक स्वास्थ्य निहितार्थ हैं।
  • हवा की गुणवत्ता बिगड़ना: दिल्ली में हवा की गुणवत्ता की निरंतर गिरावट एक संबंधित मुद्दा है जो आबादी की भलाई को प्रभावित करता है, विशेष रूप से श्वसन और हृदय की स्थिति वाले लोगों को।
  • वाहन प्रदूषण: हवा की गुणवत्ता बिगड़ने में वाहनों के प्रदूषण की भूमिका महत्त्वपूर्ण चिंता का विषय है। केवल CNG, इलेक्ट्रिक और BS VI- अनुरूप वाहनों की अनुमति देने का अनुरोध प्रदूषण के इस स्रोत के समाधान की आवश्यकता को दर्शाता है।

3. IL-38 डिकमिशन किया गया

सन्दर्भ: भारतीय नौसेना ने अपने IL-38 सी ड्रैगन विमान को सेवामुक्त कर दिया, जिसके साथ ही गोवा में भारतीय नौसेना एयर स्क्वाड्रन (INAS) 315 के कमीशन होने के साथ 1 अक्टूबर, 1977 को शुरू हुई उल्लेखनीय यात्रा का अंत होता है।

स्रोत: the hindu

विवरण:

  • विमान डी-इंडक्शन (Aircraft De-Induction): IL-38 सी ड्रैगन की सेवानिवृत्ति भारतीय नौसेना की लंबी दूरी की समुद्री निगरानी क्षमताओं में एक युग के अंत को दर्शाती है।
  • रखरखाव की चुनौतियां: वर्षों से, पुराने विमान को बनाए रखना मुश्किल हो गया, जिससे इसकी सेवानिवृत्ति की आवश्यकता हो गई।
  • नई प्रौद्योगिकियों के लिए संक्रमण: नौसेना वृहत स्तर की निगरानी के लिए P-8I और नजदीकी निगरानी के लिए डॉर्नियर विमान के एक बेड़े को अपना रही है। इसके अतिरिक्त, यह मध्यम-रेंज मैरीटाइम पैट्रोल के लिए C-295 विमानों को शामिल करने और लंबे समय तक चलने वाले मानव रहित हवाई वाहनों के साथ अपनी क्षमताओं को बढ़ाने की योजना बना रही है।

4. बटलर पैलेस

सन्दर्भ: बटलर पैलेस, जो कभी लखनऊ में एक भव्य तीन मंजिला इमारत थी, लंबे समय से वीरान और अफवाह में ‘हॉन्टेड’ इमारत से एक पर्यटक आकर्षण केंद्र में बदलने के लिए तैयार है।

  • यह महल, शुरुआत में एक सदी पहले राजस्थानी और इंडो-मुगल स्थापत्य शैली के मिश्रण से बनाया गया था, इसका पुराना इतिहास महमूदाबाद के शाही परिवार से जुड़ा हुआ है। हालाँकि, इसे 1960 के दशक में भारत सरकार द्वारा “शत्रु संपत्ति” घोषित किया गया था।

स्रोत: The hindu

विवरण:

  • परित्याग और उपेक्षा: बटलर पैलेस कई दशकों से वीरान और अंधेरे में रहा है, इसके ‘भूतिया’ होने की अफवाहें हैं। यह मूल्यवान हिस्सों की तलाश में अतिक्रमणकारियों द्वारा बर्बरता और चोरी का भी विषय रहा है।
  • कानूनी लड़ाई: संपत्ति का स्वामित्व लंबे समय से चली आ रही कानूनी लड़ाई का विषय रहा है, “शत्रु संपत्ति” के रूप में इसके वर्गीकरण ने मामले को जटिल बना दिया है।
  • ऐतिहासिक और सांस्कृतिक उपेक्षा: यह महल, जिसमें कभी जवाहरलाल नेहरू और स्वतंत्रता के बाद के राजनीतिक नेता जैसी उल्लेखनीय हस्तियां आया करती थीं, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत स्थल के रूप में खड़ा है जिसे नजरअंदाज कर दिया गया है।

महत्त्व:

  • ऐतिहासिक प्रासंगिकता: बटलर पैलेस का ऐतिहासिक महत्त्व है, जिसने आजादी से पहले और बाद के युगों के दौरान प्रमुख व्यक्तियों की मेजबानी की है।
  • विरासत पुनरुद्धार: पुनरुद्धार परियोजना क्षेत्र की वास्तुकला और सांस्कृतिक विरासत को पुनर्जीवित और संरक्षित करने की क्षमता रखती है।
  • पर्यटन आकर्षण: महल और आसपास के क्षेत्रों का नवीनीकरण और विकास स्थानीय पर्यटन में योगदान दे सकता है, जिससे क्षेत्र को आर्थिक रूप से लाभ होगा।

5. H. पाइलोरी बैक्टीरिया

सन्दर्भ: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉलरा एंड एंटरिक डिजीज (NICED), कोलकाता ने हेलिकोबैक्टर पाइलोरी (H. पाइलोरी) संक्रमण का पता लगाने, क्लैरिथ्रोमाइसिन-प्रतिरोधी बैक्टीरिया की पहचान करने और दवा-संवेदनशील स्ट्रेन को अलग करने के लिए दो-चरणीय PCR-आधारित परख विकसित की है।

  • H. पाइलोरी एक जीवाणु है जो भारतीय आबादी के एक बड़े हिस्से को प्रभावित करता है तथा पेप्टिक अल्सर, गैस्ट्रिक कैंसर और अन्य गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों से संबंधित है।

स्रोत: The hindu

महत्त्व:

  • त्वरित जांच: नई PCR-आधारित परख H. पाइलोरी संक्रमण का तेजी से पता लगाने की सुविधा प्रदान करती है एवं छह से सात घंटों में दवा प्रतिरोधी और दवा-संवेदनशील स्ट्रेन के बीच अंतर करती है, जिससे निदान और उपचार में देरी में काफी कमी आती है।
  • उच्च संवेदनशीलता और विशिष्टता: यह परख 100% संवेदनशीलता और विशिष्टता प्रदर्शित करती है, जिससे सटीक परिणाम सुनिश्चित होते हैं।
  • प्रभावी उपचार: दवा-प्रतिरोधी स्ट्रेन की समय पर पहचान H. पाइलोरी संक्रमण के लिए अधिक लक्षित और प्रभावी उपचार संभव बनाती है।

6. तमिलनाडु की कोराई पाई घास की चटाई

सन्दर्भ: दक्षिण भारत के अंदरूनी हिस्सों में, तमिलनाडु के करूर जिले में कावेरी नदी के किनारे उगाई जाने वाली सूखी घास से बनी चटाइयाँ घरों में अनूठी स्थान रखती हैं।

  • ये चटाइयाँ, जिन्हें तमिल में “कोराई पाई” के नाम से जाना जाता है, कुशल शिल्प कौशल और पारंपरिक बुनाई प्रथाओं का एक प्रमाण हैं जो पीढ़ियों से दक्षिण भारतीय संस्कृति का हिस्सा रही हैं।

विवरण:

  • लुप्त होती पारंपरिक शिल्प: युवा पीढ़ी के बीच इस शिल्प को सीखने और जारी रखने में रुचि की कमी के कारण पुआल की चटाई बुनने की पारंपरिक पद्धति धीरे-धीरे लुप्त होती जा रही है।
  • आर्थिक व्यवहार्यता: बुनकरों को इस शिल्प को आर्थिक रूप से व्यवहार्य बनाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिसने इसके पतन में और योगदान दिया है।

स्रोत: the hindu

  • सांस्कृतिक विरासत: सूखी घास की चटाइयाँ बनाना दक्षिण भारतीय सांस्कृतिक विरासत का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा दर्शाता है, जो क्षेत्र की पारंपरिक प्रथाओं और कौशल को दर्शाता है।
  • कार्यात्मक कला: ये चटाई केवल सजावटी नहीं हैं; ये विशेष रूप से तेज गर्मी की रातों के दौरान आराम प्रदान करके व्यावहारिक उद्देश्य पूरा करतीहैं।
  • विवाह की परंपरा: इस क्षेत्र में विवाह के उपहार के लिए घास की चटाई लोकप्रिय विकल्प है, जो दक्षिण भारतीय परंपराओं में इस शिल्प के महत्त्व का प्रतीक है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

1. H. पाइलोरी संक्रमण निम्नलिखित में से किसके लिए प्रबल ज्ञात जोखिम कारकों में से एक है?

(a) गैस्ट्रिक कैंसर

(b) ल्यूकेमिया

(c) क्षय रोग

(d) पुरानी श्वसन संबंधी बीमारियाँ

उत्तर: a

व्याख्या:

H. पाइलोरी संक्रमण अक्सर बचपन के दौरान होता है और अगर एंटीबायोटिक दवाओं से प्रभावी ढंग से इलाज न किया जाए तो यह जीवन भर पेट में बना रहता है। यह गैस्ट्रिक कैंसर के लिए सबसे मजबूत ज्ञात जोखिम कारकों में से एक है।

2. ‘कोराई पाई’ सूखी घास से तैयार की गई चटाइयाँ हैं जो निम्नलिखित में से कहाँ उगाई जाती है ?

(a) कर्नाटक

(b) असम

(c) नागालैंड

(d) तमिलनाडु

उत्तर: d

व्याख्या:

कोराई पाई चटाई तमिलनाडु के करूर जिले में कावेरी नदी के किनारे उगाई जाने वाली सूखी घास से तैयार की जाती है।

3. राष्ट्रीय परिवेश वायु गुणवत्ता मानकों (NAAQS) के सन्दर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. ये वायु गुणवत्ता के मानक हैं जो केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा निर्धारित किए जाते हैं।

2. ये पूरे देश पर लागू होते हैं।

3. वर्तमान मानकों (2009) में 12 प्रदूषक शामिल हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: d

व्याख्या:

सभी तीनों कथन सही हैं।

4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

कथन I: नेपाल एक अत्यधिक भूकंप-प्रवण देश है।

कथन II: नेपाल, हिमालयी भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है।

उपर्युक्त कथनों के सन्दर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?

(a) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है।

(b) कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या नहीं है।

(c) कथन-I सही है, लेकिन कथन-II गलत है।

(d) कथन-I गलत है, लेकिन कथन-II सही है।

उत्तर: a

व्याख्या: नेपाल एक अत्यधिक भूकंप-प्रवण देश है क्योंकि यह खतरनाक हिमालयी भूकंपीय क्षेत्र में स्थित है।

5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. अल्पाधिकार (Oligopoly) एक प्रकार की बाजार संरचना है जहां कम संख्या में आपूर्तिकर्ता बाजार को नियंत्रित करते हैं।

2. द्वयाधिकार (Duopolies) एक प्रकार का अल्पाधिकार है।

3. एकाधिकार बाजार वह होता है जहां एक विक्रेता और बड़ी संख्या में खरीदार होते हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

(a) केवल एक

(b) केवल दो

(c) सभी तीन

(d) इनमें से कोई नहीं

उत्तर: c

व्याख्या:

सभी तीनों कथन सही हैं। द्वयाधिकार बाजार वह है जहां दो विक्रेता और बड़ी संख्या में खरीदार होते हैं। यह एक प्रकार का अल्पाधिकार है जहाँ बाज़ार में केवल दो कंपनियाँ कार्यरत होती हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

1. इज़राइल-फिलिस्तीन संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र में भारत की सूक्ष्म (nuanced) स्थिति का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – II, अंतर्राष्ट्रीय संबंध)

“Examine India’s nuanced position at the UN over the Israel-Palestine conflict. (250 words, 15 marks) [GS-II: International Relation]

2. हिमालय की भूकंपीय संवेदनशीलता का वर्णन कीजिए तथा भारत और नेपाल के लिए खतरे की धारणा पर चर्चा कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – II, अंतर्राष्ट्रीय संबंध)​

Illustrate the seismic vulnerability of the Himalayas and discuss the hazard perception for India and Nepal. GS II – (250 words, 15 marks) [GS- II: International Relation]

(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)