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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 06 August, 2023 UPSC CNA in Hindi

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन, सामाजिक न्याय

  1. अंगों की कमी के चलते लोगों की जान जा रही है

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

भारतीय राजव्यवस्था

  1. डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक
  2. रोहिणी पैनल के निष्कर्ष क्यों महत्वपूर्ण हैं?

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. जंगल में लुका-छिपी करते क्लाउडेड लेपर्ड

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. अमेज़ॅन सहयोग संधि संगठन (ACTO)
  2. 340 टन वज़न वाली व्हेल प्रजाति 39 मिलियन वर्ष पहले अस्तित्व में थी
  3. भारतीय ईगल उल्लू

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

अंगों की कमी के चलते लोगों की जान जा रही है

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

शासन, सामाजिक न्याय

विषय: सरकारी हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन।

मुख्य परीक्षा: अंगदान।

  • वर्तमान आँकड़े:
    • भारत में अंग प्रत्यारोपण के लिए 3 लाख से अधिक रोगियों की प्रतीक्षा सूची है। अंग के इंतजार में हर दिन कम से कम 20 लोग मर जाते हैं।
    • अंग दाताओं (शवों सहित) की संख्या 2014 के 6,916 से बढ़कर 2022 में 16,041 हो गई।
    • भारत में मृतक अंग दान की दर वर्तमान में प्रति दस लाख जनसंख्या पर 1 दाता से कम है, लेकिन अंगों की मांग को पूरा करने के लिए इसे प्रति दस लाख जनसंख्या पर 65 दान तक बढ़ाने की जरूरत है। स्पेन और अमेरिका में बेहतर अंग दान प्रणाली है, जहां दान की दर प्रति दस लाख पर 30-50 है।
  • अंग दाताओं की निम्न दर का कारण?
    • जागरूकता की कमी: भारत में बहुत से लोग अंग दान के महत्व या अंग दान करने की प्रक्रिया के बारे में नहीं जानते हैं। जागरूक होने पर भी, यह जीवित दाताओं (उदाहरण के लिए – किडनी प्रत्यारोपण) तक ही सीमित है। भारत में, सभी दानदाताओं में से 85% जीवित दानदाता हैं।
    • धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएँ: कुछ धार्मिक मान्यताएँ अंगदान को हतोत्साहित करती हैं। यह विचार कि अंतिम संस्कार करने के लिए शरीर “संपूर्ण” होना चाहिए, उन्हें अंग दान करने से रोक सकता है।
    • शोषण का डर: कुछ लोगों को डर है कि मृत्यु के बाद उनका अंग दान एक शोषणकारी अनुभव होगा।
    • चिकित्सा प्रणाली में विश्वास की कमी: कुछ लोग चिकित्सा प्रणाली पर भरोसा नहीं करते हैं और डरते हैं कि उनके अंगों का उपयोग इच्छित उद्देश्य के लिए नहीं किया जाएगा और इसके बजाय काले बाजारों में बेच दिया जाएगा।
    • बुनियादी ढांचे की कमी: भारत में अंगदान के लिए बुनियादी ढांचा अन्य देशों की तरह विकसित नहीं है। केवल 250 अस्पतालों ने भारत के राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (NOTTO) के साथ पंजीकरण कराया है, जो देश के अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम का समन्वय करता है।
    • डॉक्टरों के लिए प्रोत्साहन की कमी: उदाहरण के लिए, डॉक्टर मृत परिवार के सदस्यों से अंग दान के लिए कहने को तैयार नहीं हैं। यह भी डर है कि इस तरह के अनुरोध के कारण उनके ख़िलाफ़ मारपीट हो सकती है।

भावी कदम:

  • मरीजों के परिवारों को आगे आने और दान करने में मदद करने के लिए ट्रॉमा और आईसीयू डॉक्टरों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता है।
  • मृत दाताओं की मांग काफी है क्योंकि कई परिवारों में उपयुक्त जीवित दाताओं की कमी है। इसलिए, मृत दाताओं पर निर्भरता से अंगों की मांग को आंशिक रूप से पूरा करने में मदद मिल सकती है।
  • भारत में अंग दान के संकल्पों को वास्तविक दान में तब्दील करने की जरूरत है और इसके लिए चिकित्सा कर्मचारियों को शिक्षित करने की जरूरत है। जागरूकता अभियान (जैसा कि रक्तदान के लिए किया जाता है) बढ़ाया जा सकता है।
  • अस्पतालों को अंगदान SOP और परामर्श केंद्र स्थापित करने चाहिए। उन्हें ब्रेन डेथ और अंग दान के महत्व के बारे में परिवारों को मान्यता देने, पहचानने, सूचित करने और परामर्श देने में सक्षम होना चाहिए।
  • राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रत्यारोपण संगठन से पंजीकृत अस्पतालों की संख्या बढ़ाई जानी चाहिए।

सारांश:

  • भारत में अंग दाताओं की भारी कमी है। अंग दाताओं की संख्या में वृद्धि हुई है लेकिन यह अभी भी अंगों की मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। अंग दाताओं की कमी के कई कारण हैं, जिनमें जागरूकता की कमी, धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं, शोषण का डर और चिकित्सा प्रणाली में विश्वास की कमी शामिल है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

भारतीय राजव्यवस्था

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।

प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड।

मुख्य परीक्षा: मौलिक अधिकार, निजता का अधिकार, डेटा संरक्षण विधेयक 2023

प्रावधान:

  • दायरा: डेटा संरक्षण विधेयक भारत में व्यक्तिगत डेटा की प्रोसेसिंग या भारत में वस्तुओं या सेवाओं की पेशकश पर लागू होता है।
  • व्यक्तिगत डेटा: व्यक्तिगत डेटा को केवल सहमति से प्रोसेस किया जा सकता है, सिवाय वैध उपयोगों जैसे कि सरकार से सेवाएं प्राप्त करना, चिकित्सा आपात स्थिति आदि के।
  • डेटा प्रिंसिपल (DP): इस विधेयक के तहत डेटा प्रिंसिपल (DP) पर कर्तव्यों और अधिकारों का समावेशन है।
    • डेटा प्रिंसिपल: ऐसे व्यक्ति जिनका व्यक्तिगत डेटा किसी कंपनी या संगठन द्वारा प्रोसेस किया जा रहा है।
    • अधिकार: डेटा प्रिंसिपलों को अपने डेटा के बारे में जानकारी प्राप्त करने, सुधार करने या मिटाने, एक प्रतिनिधि को नामांकित करने और शिकायत दर्ज करने का अधिकार है।
    • कर्तव्य: डेटा प्रिंसिपलों को झूठी शिकायतें दर्ज नहीं करनी चाहिए, झूठी या भ्रामक जानकारी नहीं देनी चाहिए, या उन कंपनियों या संगठनों जो उनके डेटा को प्रोसेस कर रहे हैं, के साथ संपर्क के समय किसी अन्य व्यक्ति का प्रतिरूपण नहीं करना चाहिए। इनका उल्लंघन करने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
    • शिकायत निवारण का अधिकार: डेटा प्रिंसिपलों को भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड (DPB) के पास शिकायत दर्ज करने का भी अधिकार है यदि उन्हें लगता है कि उनके डेटा का दुरुपयोग किया गया है।
  • डेटा फिड्यूशरी (DF): डेटा फिड्यूशरी (DF) ऐसी संस्थाएं हैं जो डेटा प्रोसेसिंग के उद्देश्य और साधन का निर्धारण करती हैं। डेटा फिड्यूशरी (DF) को डेटा की सटीकता और पूर्णता सुनिश्चित करनी होगी, सुरक्षा उपाय तैयार करने होंगे, डेटा उल्लंघनों की सूचना देनी होगी और आवश्यक होने पर डेटा मिटाना होगा। सरकारी संस्थाओं को भंडारण सीमा और मिटाने के अधिकार से छूट दी गई है।
  • भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड (DPB) डेटा संरक्षण कानूनों के अनुपालन की निगरानी, जुर्माना लगाने और शिकायतें सुनने के लिए केंद्र सरकार द्वारा DPB की स्थापना की जाएगी।
  • जुर्माना: इस विधेयक के तहत डेटा उल्लंघनों और बाल संरक्षण प्रावधानों का अनुपालन न करने पर 250 करोड़ तक के जुर्माने को निर्दिष्ट किया गया है।

निहित समस्याएँ

  • डेटा उल्लंघन: भारत में डेटा उल्लंघन आम होता जा रहा है। उदाहरण के लिए, जून 2023 में, टीका लगवा चुके उपयोगकर्ताओं के व्यक्तिगत विवरण CoWIN पोर्टल से लीक हो गए थे, और जुलाई 2023 में, SBI कर्मचारियों के गोपनीय रिकॉर्ड लीक हो गए थे। सरकारी स्रोतों से लीक होने पर आलोचकों ने शिकायत निवारण की कमी पर सवाल उठाया है।
  • सूचना का अधिकार अधिनियम: यह विधेयक सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत “व्यक्तिगत जानकारी से संबंधित सूचना” की आड़ में छिपाई जा सकने वाली सूचना के दायरे को बढ़ाता है। इसका सरकारी कार्यों की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने पर प्रभाव पड़ता है।
  • मुआवज़ा: किसी उपयोगकर्ता को उनके डेटा के उल्लंघन के लिए मुआवज़ा देने का प्रावधान उपलब्ध नहीं है।
  • तीसरे पक्ष का उपयोग: DF के लिए तीसरे पक्ष के उपयोग, भंडारण की अवधि आदि के बारे में जानकारी साझा करना भी अनिवार्य नहीं है।
  • व्यक्तिगत डेटा और संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा: यह विधेयक “व्यक्तिगत डेटा” और “संवेदनशील व्यक्तिगत डेटा” के बीच अंतर करने में विफल है। जैविक और आनुवंशिक डेटा जैसे संवेदनशील डेटा के मामले में, पहचान की चोरी आदि को रोकने के लिए बढ़ी हुई सुरक्षा की आवश्यकता हो सकती है।
  • DPB की स्वतंत्रता: आलोचकों द्वारा DPB की स्वतंत्रता पर सवाल उठाया गया है क्योंकि DPB के सभी सदस्यों की नियुक्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाती है।

भावी कदम:

  • GDPR के साथ संरेखण: कुछ प्रावधानों को सामान्य डेटा संरक्षण विनियम (GDPR) के अनुसार संरेखित किया जा सकता है जैसा कि EU में देखा गया है।
  • DPB की स्वतंत्रता: भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड (DPB) की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए, नियुक्ति के बाद उनके वेतन, भत्ते और सेवा की शर्तों में उनके अहित के अनुसार परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए।

सारांश:

  • भारत के डेटा संरक्षण विधेयक में प्रोसेसिंग के लिए सहमति की आवश्यकता, डेटा प्रिंसिपलों को कुछ अधिकार देने और अनुपालन की निगरानी के लिए भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड (DPB) की स्थापना करके व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा का प्रस्ताव है। हालाँकि, निजता की पर्याप्त सुरक्षा की कमी, डेटा उल्लंघनों के लिए पर्याप्त मुआवजा प्रदान करने में विफलता और भारतीय डेटा संरक्षण बोर्ड के लिए स्वतंत्रता की कमी के कारण इस विधेयक की आलोचना की गई है।

रोहिणी पैनल के निष्कर्ष क्यों महत्वपूर्ण हैं?

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

भारतीय राजव्यवस्था

विषय: भारतीय संविधान- ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएँ, संशोधन, महत्त्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना। सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: मौलिक अधिकार, आरक्षण के लिए आधार।

मुख्य परीक्षा: मौलिक अधिकार, OBC का उप-वर्गीकरण, रोहिणी आयोग की सिफारिशें।

संदर्भ:

अन्य पिछड़ा वर्ग समूहों के उप-वर्गीकरण पर न्यायमूर्ति जी. रोहिणी के नेतृत्व वाले आयोग ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस आयोग का गठन अक्टूबर 2017 में किया गया था।

  • विचारार्थ विषय :
    • आयोग को यह परीक्षण करने के लिए कहा गया था कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की केंद्रीय सूची में शामिल विभिन्न जातियों और समुदायों के बीच आरक्षण का लाभ समान रूप से कैसे वितरित किया गया है।
    • OBC को उनकी सामाजिक और आर्थिक स्थिति जैसे कारकों के आधार पर छोटे समूहों में उप-वर्गीकृत करने के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित करना।
    • OBC की केंद्रीय सूची में विभिन्न जातियों, समुदायों, उप-जातियों और पर्यायवाची शब्दों की वर्तनी में सुधार और प्रतिस्थापन का सुझाव देकर केंद्रीय OBC सूची को तर्कसंगत बनाना और उन्हें उनकी संबंधित उप-श्रेणियों में वर्गीकृत करना।
  • उपवर्गीकरण की आवश्यकता?
    • चिंता यह है कि आरक्षण का लाभ कम जाति समूहों को जा रहा है।
    • उदाहरण के लिए, कुछ प्रारंभिक निष्कर्षों के अनुसार, सभी नौकरियों और शैक्षणिक सीटों में से 97% OBC के रूप में वर्गीकृत सभी उप-जातियों में से केवल 25% के पास गई हैं। केंद्रीय OBC सूची के तहत 37% समूहों का नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में शून्य प्रतिनिधित्व है।
    • रिपोर्ट का पूरा विवरण अभी आम जनता के लिए जारी नहीं किया गया है।

निष्कर्षों का प्रभाव?

  • आयोग के निष्कर्ष से उन OBC समुदायों का डेटा प्राप्त होगा जिन्होंने 1992 में आरक्षण शुरू होने के बाद से लाभ उठाया है।
  • डेटा सेट से OBC समुदायों जो ऐतिहासिक रूप से लाभ प्राप्त करने में सक्षम रहे हैं, की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में आवश्यक परिवर्तन भी दिखेगा।
  • डेटा का उन राजनीतिक दलों पर प्रभाव पड़ेगा जो विभिन्न समुदायों के वोटों पर निर्भर हैं। विभिन्न समुदायों में विकास या इसकी कमी के मुद्दों को अब औचित्य देने के लिए डेटा की उपलब्धता होगी।

देरी के कारण?

  • आयोग को शुरू में अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए 12 सप्ताह का समय दिया गया था, लेकिन सरकार इसे विस्तार देती रही।
  • सरकार ने कहा कि आयोग को कोविड-19 महामारी के कारण समय लग रहा है, लेकिन बाद में उसने कहा कि पैनल अभी भी केंद्रीय OBC सूची को तर्कसंगत बनाने पर काम कर रहा है।

सारांश:

  • जस्टिस जी. रोहिणी आयोग ने OBC के उप-वर्गीकरण पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। रिपोर्ट अभी जनता के लिए जारी नहीं की गई है, लेकिन आरक्षण लाभ के वितरण पर इसका बड़ा प्रभाव पड़ने की संभावना है।

प्रीलिम्स तथ्य:

  1. जंगल में लुका-छिपी करते क्लाउडेड लेपर्ड:
  • संरक्षण की स्थिति
    • IUCN रेड लिस्ट – सुभेद्य, CITES परिशिष्ट I में शामिल
  • यह मेघालय का राज्य पशु भी है।
  • क्लाउडेड लेपर्ड का वैज्ञानिक नाम: नियोफ़ेलिस नेबुलोसा।
  • क्लाउडेड लेपर्ड एक आर्बरियल कैट है (अपना अधिकांश समय पेड़ों पर बिताता है)।
  • क्लाउडेड लेपर्ड का औसत जीवनकाल 12 से 15 वर्ष होता है।
  • भारत में वे राष्ट्रीय उद्यान जहां यह यह पाया जाता है:
    • बलफकरम राष्ट्रीय उद्यान, मेघालय।
    • बक्सा राष्ट्रीय उद्यान, पश्चिम बंगाल।
    • क्लाउडेड लेपर्ड राष्ट्रीय उद्यान, त्रिपुरा।
    • डिब्रू सैखोवा राष्ट्रीय उद्यान, असम।
    • कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान, सिक्किम।
    • मानस राष्ट्रीय उद्यान, असम।
    • फौंगपुई राष्ट्रीय उद्यान, मिजोरम।

महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. अमेज़ॅन सहयोग संधि संगठन (ACTO):
    • यह एक अंतरसरकारी संगठन है जिसकी स्थापना 1978 में अमेज़ॅन सहयोग संधि के एक भाग के रूप में की गई थी।
    • इसके 8 सदस्य देश हैं – बोलीविया, ब्राज़ील, कोलंबिया, इक्वाडोर, गुयाना, पेरू, सूरीनाम और वेनेज़ुएला।
    • इसका लक्ष्य दक्षिण-दक्षिण सहयोग को आगे बढ़ाना और अमेज़ॅन क्षेत्र का सतत विकास करना है।
    • ACTO का स्थायी सचिवालय ब्राज़ील के ब्रासीलिया में स्थापित है।
  2. 340 टन वज़न वाली व्हेल प्रजाति 39 मिलियन वर्ष पहले अस्तित्व में थी:
    • पेरुसेटस कोलोसस एक प्राचीन व्हेल प्रजाति है जो अब तक का खोजा गया सबसे बड़ा जानवर हो सकता है।
    • इसका वजन 85 से 340 टन के बीच हो सकता था।।
  3. भारतीय ईगल उल्लू:
    • IUCN रेड लिस्ट में इसे संकटमुक्त (Least Concern) माना गया है और यह CITES परिशिष्ट सूची II का भाग है।
    • इसका वैज्ञानिक नाम बुबो बेंगालेंसिस है।
    • पर्यावास: वे पूरे भारतीय मुख्य भूमि में मुख्यतः चट्टानी क्षेत्रों में हल्के-मध्यम जंगलों में पाए जाते हैं।
    • सांस्कृतिक महत्व: पक्षी विज्ञानी सलीम अली ने ईगल उल्लू के बारे में एक लोककथा का जिक्र किया। कहानी के अनुसार, यदि एक ईगल उल्लू फंस जाए और उसे भूखा रखा जाए, तो वह मानवीय आवाज में बोलेगा और सुनने वालों के भविष्य की भविष्यवाणी करेगा।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. क्लाउडेड लेपर्ड के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?

  1. इसे IUCN की लाल सूची में संकटग्रस्त (Endangered) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
  2. क्लाउडेड लेपर्ड असम का राज्य पशु है।
  3. यह भारत में पाई जाने वाली बिल्ली की सबसे बड़ी प्रजाति है।
  4. ये दक्षिण-पूर्व एशिया के वर्षावनों में पाए जाते हैं।

उत्तर: d

व्याख्या:

  • क्लाउडेड लेपर्ड भारत में पाई जाने वाली सबसे बड़ी बिल्ली प्रजाति नहीं है, यह दक्षिण-पूर्व एशिया के वर्षावनों में पाया जाता है, तथा इसे IUCN लाल सूची में सुभेद्य (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

प्रश्न 2. साहित्य अकादमी के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. साहित्य अकादमी भारत में साहित्यिक संवाद, प्रकाशन और प्रचार-प्रसार के लिए केंद्रीय संस्था है।
  2. यह केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन एक स्वायत्त निकाय है।
  3. यह एकमात्र संस्था है जो अंग्रेजी सहित 24 भारतीय भाषाओं में साहित्यिक गतिविधियाँ चलाती है।

उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं?

  1. केवल एक
  2. केवल दो
  3. सभी तीनों
  4. इनमें से कोई नहीं

उत्तर: d

व्याख्या:

  • यह भारत की राष्ट्रीय साहित्य अकादमी है। इसने भारतीय संविधान में शामिल 22 भाषाओं के साथ-साथ अंग्रेजी और राजस्थानी को भी मान्यता दी है।

प्रश्न 3. अमेज़ॅन सहयोग संधि संगठन (ACTO) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?

  1. यह आठ अमेजोनियन देशों का एक सैन्य गठबंधन है।
  2. ACTO अमेजोनियन देशों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है।
  3. इसका गठन अमेज़ॅन क्षेत्र में सतत विकास प्राप्त करने के लिए किया गया था।
  4. यह सरकारों और बहुपक्षीय संगठनों के बीच दक्षिण-उत्तर सहयोग पर केंद्रित है।

उत्तर: c

व्याख्या:

  • इसका गठन अमेज़ॅन क्षेत्र में सतत विकास हासिल करने के लिए किया गया था।

प्रश्न 4. निम्नलिखित में से कौन-सी रिकॉर्ड पर सबसे बड़े और भारी जानवरों में से एक माने जाने वाले व्हेल की हाल ही में खोजी गई प्राचीन प्रजाति है?

  1. जिजेंटिकस मैरिटाईमस
  2. ब्लू टाइटन
  3. पेरुसेटस कोलोसस
  4. लेवाईथान मैक्सिमस

उत्तर: c

व्याख्या:

  • हाल ही में खोजी गई व्हेल की प्रजाति, पेरुसेटस कोलोसस, रिकॉर्ड पर सबसे बड़े और भारी जानवरों में से एक मानी जाती है।

प्रश्न 5. भारतीय ईगल-उल्लू (बुबो बेंगालेंसिस) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा सही है?

  1. यह भारत के पश्चिमी घाट क्षेत्र की मूल स्थानिक उल्लू की एक छोटी प्रजाति है।
  2. भारतीय ईगल-उल्लू को IUCN द्वारा संकटग्रस्त (endangered) प्रजाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  3. यह मुख्य रूप से दिनचर उल्लू प्रजाति है, जो दिन के दौरान सक्रिय रहती है।
  4. भारतीय ईगल-उल्लू अपनी गहरी, गूंजती आवाज़ के लिए जाना जाता है।

उत्तर: d

व्याख्या:

  • यह पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है। यह मुख्य रूप से रात्रिचर उल्लू है, तथा अपनी विशिष्ट और जोरदार आवाज़ के लिए जाना जाता है। इसे IUCN द्वारा “संकट मुक्त” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

  1. डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2023 का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  2. (250 शब्द, 15 अंक) (GS-II ; भारतीय राजव्यवस्था )

  3. अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के उप-वर्गीकरण पर रोहिणी समिति की सिफारिशों का परीक्षण कीजिए।

(250 शब्द, 15 अंक) (GS-II ; भारतीय राजव्यवस्था )