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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 06 November, 2022 UPSC CNA in Hindi

06 नवंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

  1. भारत में सर्पदंश से होने वाली मौत

शासन:

  1. सीलबंद हलफनामे पर उच्चतम न्यायालय

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

सामाजिक न्याय:

  1. भारत किस प्रकार बाल विवाह को समाप्त करने की योजना बना रहा है?

F. प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. घेम 100 (Ghaem 100):
  2. “इतालवी पिरामिड”
  3. विश्व धरोहर हिमनद

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

भारत में सर्पदंश से होने वाली मौत

सामाजिक न्याय:

विषय: भारत में स्वास्थ्य अवसंरचना

मुख्य परीक्षा: भारत में स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र की चुनौतियाँ और क्षमता।

संदर्भ: एक अध्ययन में अनुमान लगाया गया है कि वैश्विक स्तर पर सर्पदंश से होने वाली 78,600 मौतों में से 64,100 मौतें भारत में होती है।

भूमिका:

  • जॉर्ज इंस्टीट्यूट फॉर ग्लोबल हेल्थ, इंडिया के 21 अन्य देशों के शोधकर्ताओं के साथ किए गए एक अध्ययन जिसे हाल ही में नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित किया गया है, में अनुमान लगाया है कि वैश्विक स्तर पर सर्पदंश से होने वाली 78,600 मौतों में से 64,100 मौतें भारत में होती हैं।
  • सर्पदंश (एक उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोग) भारत और कई अन्य निम्न और मध्यम आय वाले देशों में एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती है।
  • अध्ययन में यह भी बताया गया है कि 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों की संख्या को आधा करने के वैश्विक लक्ष्य के पूरा होने की संभावना नहीं है।

भारत में सर्पदंश से होने वाली मौतें:

  • इस अध्ययन में ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज 2019 के लिए सर्पदंश से होने वाली मौतों का अनुमान लगाने के लिए वर्बल ऑटोप्सी और नागरिक पंजीकरण विवरण के डेटा का उपयोग किया गया है।
  • सर्पदंश से होने वाली मौतों का पिछला वैश्विक अनुमान 2008 में किया गया था।
  • इस अध्ययन से पता चलता है कि भारत में सर्पदंश से होने वाली मौतें वैश्विक मौतों का लगभग 80 फीसदी हैं।
  • भारत में सर्पदंश से सबसे अधिक मौतें उत्तर प्रदेश में हुई हैं, जिसके 16,100 तक होने का अनुमान है, इसके बाद क्रमशः मध्य प्रदेश (5,790 मौतें) और राजस्थान (5,230 मौतें) का स्थान है।
  • इस अध्ययन में यह अनुमान लगाया गया है कि भारत में आयु-मानकीकृत मृत्यु दर(age-standardised death rate) (जो विभिन्न देशों में अलग-अलग आयु-वर्ग के लिए उत्तरदायी है और देशों के बीच तुलना की अनुमति देता है), प्रति 1,00,000 पर 4.0 है, जो वैश्विक स्तर पर प्रति 1,00,000 पर 0.8 मौतों की तुलना में विश्व स्तर पर सबसे अधिक है।
    • भारत के भीतर, छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में प्रति 1,00,000 पर क्रमशः 6.5, 6.0, और 5.8 उच्च आयु-मानकीकृत मृत्यु दर है।

सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में सर्पदंश:

  • भारत की तुलना में केवल सोमालिया में उच्च आयु-मानक मृत्यु दर प्रति 1,00,000 पर 4.5 है, जो भारत में एक विफल स्वास्थ्य प्रणाली को इंगित करती है जिससे जहरीले सांपों द्वारा काटे जाने वालों की मृत्यु हो जाती है।
  • भारत में सर्पदंश की चुनौती से निपटने के लिए भारत के पास विशिष्ट राष्ट्रीय रणनीति का अभाव है। इसका तात्पर्य यह है कि सरकार द्वारा सर्पदंश को रोकने या सर्पदंश से होने वाली मौतों या विकलांगता को रोकने के लिए कोई कार्यक्रम नहीं है।
  • सर्पदंश को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य चुनौती के रूप में स्वीकार करते हुए, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद ने हाल ही में बोझ का अनुमान लगाने के लिए एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण शुरू किया।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में चिकित्सा कर्मचारियों, अवसंरचना और कनेक्टिविटी की कमी है। ग्रामीण क्षेत्रों में डॉक्टर जनसंख्या अनुपात 1:1800 है और 78% डॉक्टर शहरी भारत (30% आबादी) में सेवा प्रदान करते हैं।
  • सर्पदंश वाले व्यक्ति प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के बजाय इलाज के लिए पारंपरिक चिकित्सक के पास जाते हैं जो मृत्यु में वृद्धि का एक अन्य कारक है।
  • भारत में निर्मित एंटी वेनम विशेष रूप से सांप की चार प्रमुख प्रजातियों के जहर के प्रति प्रतिरोधक है, और विभिन्न क्षेत्रों में प्रचलित अन्य जहरीली प्रजातियों के विरुद्ध प्रभावी नहीं है।

भावी कदम:

  • वर्तमान समय की मांग है कि सर्पदंश की रोकथाम और स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने पर केंद्रित रणनीति विकसित की जाए ।
    • चूंकि सर्पदंश मुख्य रूप से ग्रामीण क्षेत्र के गरीब लोगों को प्रभावित करता है इसलिए सर्पदंश के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति अन्य उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों पर भी ध्यान देगी, जो समान समुदायों को प्रभावित करते हैं।
  • सर्पदंश के मूल कारण में कई सामाजिक-सांस्कृतिक-धार्मिक पहलुओं से जुड़े सर्प-मानव-पर्यावरण संघर्ष है। इसलिए, इस संघर्ष को समझना और सर्पदंश की रोकथाम के लिए समुदाय आधारित कार्यक्रमों पर ध्यान देना आवश्यक है।
  • प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली को व्यापक रूप से मजबूत करने की आवश्यकता है, जो सभी स्वास्थ्य प्रणालियों के ब्लॉक में देखभाल की पहुंच और गुणवत्ता दोनों पर केंद्रित हो न कि केवल सांप के एंटी वेनम की उपलब्धता पर केंद्रित हो ।
  • सर्पदंश से निपटने के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति समुदाय आधारित कार्यक्रमों को मजबूत करने वाली स्वास्थ्य प्रणालियों में निवेश ला सकती है।

सारांश: हाल के अध्ययन से पता चलता है कि सर्पदंश के कारण होने वाली वैश्विक मौतों में से लगभग 80% मौतें भारत में होती हैं। बिना कार्रवाई के 2030 तक सर्पदंश से होने वाली मौतों को आधा करने का वैश्विक लक्ष्य, भारत में प्राप्त नहीं किया जा सकता है। सतत विकास लक्ष्यों के ढांचे के तहत उपेक्षित उष्णकटिबंधीय रोगों को समाप्त करने के लक्ष्य ने सर्पदंश की चुनौती को चर्चा में ला दिया है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

सीलबंद हलफनामे पर उच्चतम न्यायालय

अभिशासन:

विषय: शासन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के उपाय

मुख्य परीक्षा: सीलबंद हलफनामे के न्यायिक प्रथा के खिलाफ तर्क और आलोचना

संदर्भ: हाल ही में उच्चतम न्यायालय ने अपने सुझाव में सरकार और उसकी एजेंसियों को सीलबंद हलफनामे से बचने का एक तरीका सुझाया।

भूमिका:

  • उच्चतम न्यायालय ने विशेष रूप से राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों में नियमित रूप से सीलबंद लिफाफे में दस्तावेज दाखिल करने से बचने का एक तरीका सुझाया है।
  • न्यायालय ने कहा कि सरकार संवेदनशील भाग को संशोधित कर सकती है और अन्य सूचना को याचिकाकर्ताओं को दिखा सकती है।
  • यह “राष्ट्रीय सुरक्षा” को लेकर राज्य और याचिकाकर्ताओं के “जानने के अधिकार” की चिंताओं को दूर करेगा।
  • उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि सरकार को याचिकाकर्ताओं को बताए बिना सामग्री को गोपनीय रूप से न्यायालय में भेजने से पहले “लघुकारी परिस्थितियों(extenuating circumstances)” को प्रस्तुत करना होगा।
  • केरल स्थित मीडिया वन टीवी चैनल के प्रसारण पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की गई।
    • सरकार अपनी आंतरिक फाइलों को सीलबंद लिफाफे में देना चाहती थी। सरकार मीडिया वन टीवी चैनल के साथ विवरण साझा करने के लिए अनिच्छुक थी क्योंकि जनवरी, 2022 में “राष्ट्रीय सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था” के आधार पर इसकी सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी गई थी।
  • मीडिया वन टीवी चैनल के तर्क के अनुसार, एक सीलबंद हलफनामा न्यायाधीशों को राज्य के मत को स्वीकार करने के लिए मजबूर करेगा, वह भी उन मामलों में, जिनमें सरकार के निर्णय को चुनौती दी गई है और याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकार दांव पर हैं।

सीलबंद कवर न्यायशास्त्र:

  • यह सर्वोच्च न्यायालय और कभी-कभी निचली अदालतों द्वारा उपयोग की जाने वाली एक प्रथा है, जो सरकारी एजेंसियों से सीलबंद लिफाफों में जानकारी मांगी जाती है और यह स्वीकार किया जाता है कि केवल न्यायाधीश ही इस सूचना को प्राप्त कर सकते हैं।
  • यद्यपि कोई विशिष्ट कानून ‘सीलबंद कवर’ के सिद्धांत को परिभाषित नहीं करता है।
  • सर्वोच्च न्यायालय इसे सर्वोच्च न्यायालय के नियमों के आदेश XIII के नियम 7 और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 से उपयोग करने की शक्ति प्राप्त करता है।
  • नियम के अनुसार, यदि मुख्य न्यायाधीश या अदालत कुछ सूचनाओं को सीलबंद लिफाफे में रखने का निर्देश देते हैं या इसे गोपनीय प्रकृति का मानते हैं, तो किसी भी पक्ष को ऐसी जानकारी की सामग्री तक पहुँच की अनुमति नहीं दी जाएगी, सिवाय इसके कि मुख्य न्यायाधीश स्वयं आदेश दे कि विपरीत पक्ष को इसे एक्सेस करने की अनुमति दी जाए।
    • इसमें यह भी उल्लेख किया गया है कि सूचना को गोपनीय रखा जा सकता है यदि इसके प्रकाशन को जनता के हित में नहीं माना जाता है।
  • साक्ष्य अधिनियम के अनुसार, राज्य के मामलों से संबंधित आधिकारिक अप्रकाशित दस्तावेज की रक्षा की जाती हैं और एक सार्वजनिक अधिकारी को ऐसे दस्तावेजों का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है।
  • अन्य उदाहरण जहाँ गोपनीयता या विश्वास के तहत जानकारी मांगी जा सकती है, इसका प्रकाशन जाँच में बाधा डालता है जैसे- विवरण (Details) जो पुलिस केस डायरी का हिस्सा है।

सीलबंद कवर न्यायशास्त्र की आलोचना:

  • यह भारतीय न्याय प्रणाली की पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों के अनुकूल नहीं है, क्योंकि यह एक खुली अदालत के विचार के विरुद्ध है, जहाँ निर्णय सार्वजनिक जाँच के अधीन हो सकते हैं।
  • यह न्यायालय के फैसलों में स्‍वेच्‍छाचारिता के दायरे को बढ़ाता है, क्योंकि न्यायाधीशों को अपने फैसलों के लिये तर्क देना होता है
  • आरोपी पक्षों को ऐसे दस्तावेजों तक पहुंच प्रदान नहीं करना उनके निष्पक्ष परीक्षण और न्यायनिर्णयन के मार्ग में बाधा डालता है।
  • आगे इसका विरोध किया जाता है कि जब कैमरे के समक्ष सुनवाई जैसे मौजूदा प्रावधान पहले से ही संवेदनशील जानकारी को पर्याप्त सुरक्षा प्रदान करते हैं तो क्या राज्य को गोपनीयता के साथ जानकारी प्रस्तुत करने का ऐसा विशेषाधिकार दिया जाना चाहिए।

न्यायपालिका का दृष्टिकोण:

  • पी. गोपालकृष्णन बनाम केरल राज्य के मामले में 2019 के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि आरोपी द्वारा दस्तावेज़ों का खुलासा करना संवैधानिक रूप से अनिवार्य है, भले ही जाँच जारी हो क्योंकि दस्तावेज़ों से मामले की जाँच में सफलता मिल सकती है।
  • वर्ष 2019 में INX मीडिया मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा सीलबंद लिफाफे में जमा किये गए दस्तावेज़ों के आधार पर पूर्व केंद्रीय मंत्री को जमानत देने से इनकार करने के अपने फैसले को आधार बनाने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय की आलोचना की थी। क्योंकि यह निष्पक्ष सुनवाई की अवधारणा के खिलाफ होगा।
  • एसपी वेलुमणि मामले 2022 में, उच्चतम न्यायालय ने मद्रास उच्च न्यायालय के निर्णय की आलोचना की, जब राज्य ने किसी विशेष विशेषाधिकार का दावा भी नहीं किया था,तब भी एक रिपोर्ट को “सीलबंद कवर में” रहने की अनुमति दी गई थी।
  • अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ मामला 2020 में, न्यायालय ने कहा कि सरकारी रिकॉर्ड में संवेदनशील भागों को “बदला जा सकता है या ऐसी सामग्री को विशेषाधिकार के रूप में दावा किया जा सकता है, अगर राज्य इस तरह के संशोधन को कानून के तहत अनुमति के आधार पर उचित ठहराता है”।

सारांश: उच्चतम न्यायालय ने सीलबंद हलफनामा देने की सरकार की प्रथा के बारे में आलोचना करते हुए सुझाव दिया कि सरकार संवेदनशील हिस्सों को संशोधित कर सकती है और अन्य को याचिकाकर्ताओं को दिखा सकती है। यह सूचना के अधिकार को वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के एक महत्वपूर्ण पहलू के रूप में उजागर करता है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

सामाजिक न्याय

भारत किस प्रकार बाल विवाह को समाप्त करने की योजना बना रहा है?

विषय: बच्चों से संबंधित मुद्दे

प्रारंभिक परीक्षा: बाल विवाह के वर्तमान रुझान

मुख्य परीक्षा: बाल विवाह

संदर्भ: UNFPA-UNICEF ग्लोबल प्रोग्राम टू एंड चाइल्ड मैरिज की टीम भारत का दौरा करेगी।

पृष्ठभूमि विवरण:

  • बाल विवाह को समाप्त करने के लिए वैश्विक कार्यक्रम की संचालन समिति भारत में बाल विवाह की स्थिति का आकलन करने के लिए भारत का दौरा करेगी। यह विशेष रूप से बाल विवाह की संख्या पर महामारी के प्रभाव का अध्ययन करेगा।
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि UNFPA-UNICEF के अनुसार, विश्व स्तर पर कोविड-19 महामारी के परिणामस्वरूप वैश्विक स्तर पर 10 मिलियन से अधिक लड़कियां बाल वधू बन सकती हैं।
  • भारत में बाल विवाह से संबंधित वर्तमान रुझान:
    • भारत में बाल विवाह वर्ष 2005-06 में 47.4% से घटकर वर्ष 2015-16 में 26.8% हो गया। एक दशक में इसमें लगभग 21% की कमी दर्ज की गई।
    • राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 5 (NFHS-5) के अनुसार, यह पांच वर्षों में लगभग 3.5% कम होकर 2020-21 में 23.3% हो गया है।

दुनिया भर में बाल विवाह की स्थिति:

  • यूनिसेफ के अनुसार, दुनिया भर में हर साल लगभग 12 मिलियन लड़कियों की शादी बचपन में ही कर दी जाती है। और यदि त्वरित प्रयास नहीं किए गए, तो वर्ष 2030 तक 18 वर्ष की आयु से पहले ही लगभग 150 मिलियन और लड़कियों की शादी कर दी जाएगी।
  • हालांकि दक्षिण एशिया ने पिछले दशक में महत्वपूर्ण प्रगति की है, जहां बाल विवाह की संख्या लगभग 50% से घटकर 30% हो गई है, लेकिन क्षेत्र में इस दिशा में होने वाली प्रगति असमान है।
  • स्वास्थ्य विशेषज्ञों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के अनुसार, बाल विवाह न केवल बच्चों के अधिकारों के विरुद्ध है, बल्कि इससे अधिक संख्या में मातृ और शिशु मृत्यु भी होती है। इसके अलावा, किशोर माताओं से पैदा होने वाले बच्चों में विकास के अवरुद्ध होने की संभावना अधिक होती है, क्योंकि जन्म के समय उनका वजन कम होता है। NFHS के अनुसार 2019-21 में बच्चों में बौनापन की दर 35.5% थी।
  • सतत विकास लक्ष्य (SDGs) के तहत निर्धारित लक्ष्य को प्राप्त करने और 2030 तक इस प्रथा को समाप्त करने के लिए बाल विवाह को कम करने के प्रयासों में काफी तेजी लाई जानी की आवश्यकता है।

भारत से संबंधित आँकड़े:

  • हालाँकि बाल विवाह के संबंध में भारत में गिरावट की प्रवृत्ति देखी जा रही है, फिर भी लगभग 141.2 करोड़ की आबादी वाले देश में 23.3% की दर अत्यधिक उच्च प्रतिशत को दर्शाती है।
  • भारत में 8 राज्यों में राष्ट्रीय औसत की तुलना में बाल विवाह के अधिक मामले हैं। बाल विवाह के उच्च मामले वाले राज्य पश्चिम बंगाल, बिहार और त्रिपुरा हैं। यह पाया गया है कि 20-24 वर्ष के आयु वर्ग की 40% से अधिक महिलाओं की शादी 18 वर्ष की आयु से पहले कर दी गई थी।
  • बड़े राज्यों में, बिहार और पश्चिम बंगाल में बालिका-विवाह का प्रचलन बहुत अधिक है। बड़ी आबादी वाले आदिवासी राज्यों में भी बाल विवाह बहुत लोकप्रिय हैं। उदाहरण के लिए, झारखंड में 32.2% महिलाएं (20-24 आयु वर्ग में) हैं, जो बाल वधू बनीं। यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि शिशु मृत्यु दर 37.9% है और 15 से 19 आयु वर्ग की महिलाओं में एनीमिया की दर 65.8% (NFHS-5 के अनुसार) है।
  • इसी तरह, असम में बाल विवाह की घटनाओं में में वृद्धि दर्ज की गई है। यहाँ बाल विवाह की दर 2015-16 में दर्ज 30.8% से बढ़कर 2019-20 में 31.8% हो गई।
  • जिन राज्यों ने बाल विवाह के मामलों में गिरावट दर्ज की गई है, वे हैं:
    • मध्य प्रदेश: 2015-16 में दर्ज 32.4% से घटकर 2020-21 में 23.1% हो गया।
    • राजस्थान: इसी अवधि के दौरान यहाँ भी गिरावट दर्ज की गई और बाल विवाह की दर 35.4 फीसदी से घटकर 25.4 फीसदी हो गई।
    • ओडिशा: 2015-16 में दर्ज 21.3 फीसदी से घटकर 20.5 फीसदी हो गया। यह आँकड़ा राष्ट्रीय औसत से ठीक नीचे है।
  • बेहतर साक्षरता दर, स्वास्थ्य परिणाम और सामाजिक सूचकांक वाले राज्यों का प्रदर्शन अन्य राज्यों की तुलना में काफी बेहतर है। उदाहरण के लिए:
    • केरल में 18 साल की उम्र से पहले शादी करने वाली महिलाओं की संख्या साल 2019-20 में महज 6.3 फीसदी थी। वर्ष 2015-16 में यह दर 7.6% थी।
    • इसी तरह, तमिलनाडु में 2015-16 में दर्ज 16.3% के मुकाबले वर्ष 2019-20 में यह आँकड़ा 12.8% दर्ज किया गया।
  • आंकड़ों से यह स्पष्ट है कि बाल विवाह उच्च प्रजनन, खराब मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य और महिलाओं की निम्न सामाजिक स्थिति का एक प्रमुख निर्धारक है।
  • आँकड़ों से पता चलता है कि प्राथमिक स्तर या उससे कम शिक्षा प्राप्त लड़कियों में बाल विवाह का उच्च स्तर है।

भारत में बाल विवाह से निपटने हेतु नीतिगत हस्तक्षेप:

  • बच्चों को मानव और अन्य अधिकारों के उल्लंघन से बचाने के लिए विभिन्न कानून हैं। इनमें से कुछ कानून हैं : बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम, 2012
  • इसके अलावा, एक संसदीय स्थायी समिति महिलाओं की विवाह योग्य आयु को बढ़ाकर 21 करने पर विचार कर रही है। केंद्रीय कैबिनेट पहले ही इस प्रस्ताव को मंजूरी दे चुकी है।
  • भारत में विवाह विभिन्न पर्सनल लॉ द्वारा नियंत्रित हैं और सरकार उनमें संशोधन करने पर विचार कर रही है। हालांकि, कई विशेषज्ञों का तर्क है कि यह बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
  • बेटी बचाओ बेटी पढाओ जैसी कई केंद्रीय योजनाएं भी हैं जो बाल विवाह से जुड़े कारकों पर काम कर रही है। इसके अलावा, कई राज्यों ने बच्चे के भविष्य के समग्र विकास के लिए अपनी योजनाएँ शुरू की हैं। उदाहरण के लिए,
    • पश्चिम बंगाल की कन्याश्री योजना उच्च शिक्षा प्राप्त करने की इच्छुक लड़कियों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
    • बिहार और अन्य राज्य छात्राओं को साइकिल प्रदान करते हैं।
    • उत्तर प्रदेश द्वारा भी लड़कियों को स्कूल आने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु एक योजना की शुरुआत की गई है।

भावी कदम का सुझाव:

  • बाल विवाह जैसी समस्या का समाधान उचित सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करने और सामाजिक मानदंडों को संबोधित करने के अलावा लड़कियों के सशक्तिकरण में निहित है।
  • मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और कल्याण अधिकारियों का सुझाव है कि बाल विवाह से से जुड़े कारकों पर अधिक ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है। इनमें से कुछ उपाय निम्नलिखित हैं:
    • गरीबी उन्मूलन
    • बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा और सार्वजनिक बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था
    • असमानताओं, प्रतिगामी सामाजिक मानदंडों, स्वास्थ्य और पोषण के बारे में सामाजिक जागरूकता बढ़ाना।
    • उचित क्रियान्वयन के साथ सख्त कानून।
    • आर्थिक रूप से स्वतंत्रत होने के लिए बालिकाओं को पर्याप्त शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
  • यह सुनिश्चित किया जाए कि बाल संरक्षण समितियां एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी ग्राम पंचायत स्तर पर प्रभावी ढंग से कार्य कर रहे हैं और सामुदायिक सहायता समूहों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस तरह के प्रयासों से ओडिशा की तरह बाल विवाह मुक्त गांवों का निर्माण हो सकता है। ओडिशा में अब ऐसे ग्रामों की संख्या 12000 से अधिक हैं।
  • उल्लेखनीय है कि कर्नाटक में इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति दर्ज की गई, जहां बाल विवाह के मामले 2005-06 में दर्ज 42% से घटकर 2019-20 में 21.3 % रह गए। शिवराज पाटिल समिति की रिपोर्ट (2011) से महत्वपूर्ण नीतिगत हस्तक्षेप और सिफारिशों को कर्नाटक सरकार द्वारा बाल विवाह के प्रसार को कम करने के लिए अपनाया गया था। अपनाए गए कुछ उपाय इस प्रकार हैं:
    • कई हजार बाल विवाह निषेध अधिकारियों को अधिसूचित किया गया।
    • लगभग 90,000 स्थानीय ग्राम पंचायत सदस्यों को बाल विवाह की अवैधता और मातृ तथा बच्चे के स्वास्थ्य पर इसके परिणाम के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए शामिल किया गया था।

सारांश:

बाल विवाह की समस्या दुनिया भर में अत्यधिक प्रचलित है। महामारी के कारण यह स्थिति और विकट हो गई है। भारत ने पिछले दशकों में इस दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है, लेकिन 2030 तक बाल विवाह की प्रथा को समाप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए और अधिक प्रयासों की आवश्यकता है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1.घेम 100 (Ghaem 100):

  • हाल ही में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने घेम 100 का परीक्षण किया।
  • यह तीन चरणों वाला ठोस ईंधन रॉकेट है जो 80 किलो वजन के उपग्रहों को पृथ्वी की सतह से 500 किमी ऊपर कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है।
  • इस नए रॉकेट का इस्तेमाल भविष्य में ईरान के नाहिद संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए किया जाएगा।
  • यह 2022 में अगस्त में रूस द्वारा एक ईरानी सैन्य जासूसी उपग्रह के प्रक्षेपण और 2021 में देश के ज़ोलजाना सबऑर्बिटल रॉकेट की पहली उड़ान तथा 2020 में कसद रॉकेट पर एक सैन्य उपग्रह का देश का पहला घरेलू प्रक्षेपण का अगला चरण है।
  • अमेरिका को डर है कि उपग्रहों को कक्षा में स्थापित करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली लंबी दूरी की बैलिस्टिक तकनीक का इस्तेमाल परमाणु हथियार लॉन्च करने के लिए भी किया जा सकता है।

2. “इतालवी पिरामिड”

  • यह विश्व की सबसे लंबे समय तक चलने वाली उच्च ऊंचाई वाली शोध सुविधा है। यह प्रयोगशाला सितंबर 1990 में स्थापित और चालू की गई।
  • पिरामिड इंटरनेशनल ऑब्जर्वेटरी एक उच्च ऊंचाई वाला वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र है, जो नेपाली पक्ष के एवरेस्ट के आधार पर खुंबू घाटी, सागरमाथा राष्ट्रीय उद्यान में 16,568 फीट पर स्थित है।
  • 1990 के बाद से, यह अंतरराष्ट्रीय वैज्ञानिक समुदाय को एक दूरस्थ पर्वत संरक्षित क्षेत्र में पर्यावरण, जलवायु, मानव शरीर विज्ञान और भू-विज्ञान का अध्ययन करने का अवसर प्रदान कर रहा है।
  • इस पिरामिड का प्रबंधन संयुक्त रूप से Ev-K2-CNR समिति और नेपाल विज्ञान और प्रौद्योगिकी अकादमी (NAST) द्वारा किया जाता है।
  • आज तक, कई देशों के 143 विभिन्न वैज्ञानिक संस्थानों के 220 शोधकर्ताओं द्वारा 520 वैज्ञानिक मिशन किए गए हैं।
  • इसकी अवस्थिति जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, उच्च तुंगता वाले शरीर विज्ञान और प्रदूषण के प्रभावों जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर शोध करना महत्वपूर्ण बनाता है।
  • यह स्थानीय आबादी और पर्यटकों के लिए एक संदर्भ बिंदु के रूप में भी कार्य करता है जो काठमांडू या विदेशों में तत्काल संदेश भेजने के लिए वहां उपलब्ध उन्नत दूरसंचार प्रणालियों का लाभ उठा सकते हैं।
  • इस सुविधा में कमी आ रही है क्योंकि 2014 में इस सुविधा के लिए धन में कटौती की गई थी, और मौजूदा प्रयोगशाला उपकरणों का रखरखाव अब एक प्रयोगशाला प्रबंधक द्वारा किया जाता है।
  • शोधकर्ताओं का कहना है कि इस क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों का अध्ययन करने के लिए वेधशाला अभी भी सीमित डेटा एकत्र करती है।

3. विश्व धरोहर हिमनद

  • अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के साथ साझेदारी में यूनेस्को द्वारा हाल के अध्ययन के अनुसार, तापमान में वृद्धि को सीमित करने के विभिन्न प्रयासों के बावजूद यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल एक तिहाई हिमनद संकट में हैं।
    • 50 विश्व धरोहर स्थलों पर 18,600 हिमनदों का अध्ययन करने के बाद यह चेतावनी जारी की गई है।
    • इस अध्ययन से पता चला है कि ये हिमनद CO2 उत्सर्जन जो तापमान में वृद्धि कर रहा है के कारण 2000 से त्वरित दर से पिघल रहे हैं ।
    • वर्तमान में इन हिमनदों से हर साल 58 बिलियन टन बर्फ पिघल रही है जो फ्रांस और स्पेन के संयुक्त वार्षिक जल उपयोग के बराबर है और वैश्विक समुद्र स्तर में लगभग 5% वृद्धि के लिए उत्तरदायी है।
  • हालांकि, अध्ययन में कहा गया है कि पूर्व-औद्योगिक युग की तुलना में वैश्विक तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक की वृद्धि नहीं होने पर अन्य दो-तिहाई हिमनदों को बचाना अभी भी संभव है।
  • पृथ्वी पर जीवन को बनाए रखने के लिए हिमनद महत्वपूर्ण है जो पृथ्वी की सतह के लगभग 10% भाग को कवर करते हैं ।
    • हिमनद पारिस्थितिकी तंत्र अपनी उच्च जैविक विविधता और पारिस्थितिक तंत्र सेवाओं जैसे तलछट सिंक, मीठे पानी के जलाशय और जैव विविधता के आवासों के कारण वैश्विक आबादी के एक महत्वपूर्ण संख्या को संसाधन प्रदान करते हैं।
    • पृथ्वी पर वैश्विक जैव विविधता हॉटस्पॉट का लगभग 50% हिमनदों द्वारा निर्मित घाटियों में स्थित है और इसमें संपूर्ण स्थलीय प्रजातियों की विविधता का एक तिहाई हिस्सा रहता है।
    • इसे प्रायः प्राकृतिक “वाटर टावर्स” के रूप में जाना जाता है, पहाड़ों में हिमनद आवश्यक मीठे पानी की आपूर्ति प्रदान करते हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. ‘हाल ही में खबरों में रहा ‘घेम 100 (Ghaem 100)’ क्या है:(स्तर: कठिन)

  1. ईरान का पहला तीन चरणों वाला उपग्रह प्रक्षेपण यान
  2. ईरान का नवीनतम बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम
  3. रूस की थर्मोन्यूक्लियर-आर्म्ड इंटरकांटिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM)
  4. उत्तर कोरिया द्वारा परीक्षण की गई अब तक की सर्वाधिक लंबी दूरी की मिसाइल।

उत्तर: a

व्याख्या:

  • हाल ही में ईरान ने घेम 100 का परीक्षण किया है।
  • यह तीन चरणों वाला ठोस ईंधन रॉकेट है जो 80 किलो वजन के उपग्रहों को पृथ्वी की सतह से 500 किमी ऊपर कक्षा में स्थापित करने में सक्षम है।
  • इस नए रॉकेट का इस्तेमाल भविष्य में ईरान के नाहिद संचार उपग्रहों के प्रक्षेपण के लिए किया जाएगा।

प्रश्न 2. सुंडा जलडमरूमध्य स्थित है:(स्तर: मध्यम)

  1. जावा और सुमात्रा के मध्य
  2. मलय प्रायद्वीप और सुमात्रा के मध्य
  3. जावा और मलय प्रायद्वीप के मध्य
  4. सुमात्रा और बोर्नियो के मध्य

उत्तर: a

व्याख्या: सुंडा जलडमरूमध्य इंडोनेशियाई द्वीपों सुमात्रा और जावा के बीच स्थित है। यह जलडमरूमध्य जावा सागर को हिंद महासागर से जोड़ता है।

चित्र स्रोत-Wikipedia

प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:(स्तर: मध्यम)

  1. भारत में 1952 में चीता को विलुप्त घोषित कर दिया गया था।
  2. एशियाई चीता को IUCN की रेड लिस्ट में “गंभीर रूप से संकटग्रस्त” प्राणी के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  3. चीता पुनर्बहाली कार्यक्रम के तहत एशियाई चीतों को कुनो राष्ट्रीय उद्यान में लाया गया है।

दिए गए कथनों में से कितने गलत है/हैं?

  1. केवल एक कथन
  2. केवल दो कथन
  3. सभी तीनों कथन
  4. उपरोक्त में से कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है, भूमि पर सबसे तेज दौड़ने वाला जानवर चीता 1952 में भारत में अंधाधुंध शिकार गतिविधियों के कारण विलुप्त हो गया।
  • कथन 2 गलत है, एशियाई चीतों का जनसंख्या आधार बहुत संकीर्ण है और संकटग्रस्त प्रजातियों की (IUCN) लाल सूची में गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों के रूप में सूचीबद्ध हैं।
  • कथन 3 सही है, एशियाई चीता – जो भारत से विलुप्त हो गए थे, को चीता पुनर्बहाली परियोजना के तहत कुनो राष्ट्रीय उद्यान में लाया गया है।
    • उन्हें नामीबिया से लाया गया था – प्रोजेक्ट चीता के तहत उन्हें भारत में लाया जा रहा है, जो विश्व की पहली अंतर-महाद्वीपीय जंगली मांसाहारी जीव रिलोकेशन परियोजना है।

प्रश्न 4. राजा राम मोहन राय के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:(स्तर: कठिन)

  1. उन्होंने इंग्लैंड में अकबर द्वितीय का पक्ष रखा और उसके लिए पेंशन और भत्तों की मांग की।
  2. उन्होंने मूर्ति पूजा और अंधविश्वास के विरुद्ध एक प्रयास के रूप में 1814 में आत्मीय सभा की शुरुआत की।
  3. राजा राम मोहन राय और अलेक्जेंडर डफ द्वारा संयुक्त रूप से महिलाओं की शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कलकत्ता यूनिटेरियन कमेटी की स्थापना की गई।

दिए गए कथनों में से कितने गलत है/हैं?

  1. केवल एक कथन
  2. केवल दो कथन
  3. सभी तीनों कथन
  4. उपरोक्त में से कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है, राजा राम मोहन राय ने मुगल राजा अकबर शाह द्वितीय (बहादुर शाह के पिता) के राजदूत के रूप में इंग्लैंड का दौरा किया, जहां उन्होंने उनकी पेंशन और भत्तों की मांग की।
  • अकबर द्वितीय ने उन्हें ‘राजा’ की उपाधि दी।
  • कथन 2 सही है, आत्मीय सभा भारत में एक दार्शनिक विचार-विमर्श मंडली थी जिसकी शुरुआत राम मोहन राय ने 1814 में कलकत्ता में की थी। इसमें दार्शनिक विषयों पर बहस और चर्चा सत्र आयोजित होते थे, और स्वतंत्र और सामूहिक सोच एवं सामाजिक सुधार को बढ़ावा देने के लिए भी इसका इस्तेमाल करते थे।
  • कथन 3 गलत है, कलकत्ता यूनिटेरियन कमेटी की स्थापना संयुक्त रूप से विलियम एडम और राममोहन रॉय ने सितंबर 1821 में की थी।
    • इसने उन प्रमुख ब्राह्मणों को एक साथ लाने की मांग की जो रॉय के मित्र थे और धार्मिक एकेश्वरवाद और सामाजिक सुधार को बढ़ावा देने के लिए उनके एजेंडे के समर्थक थे।

(PYQ-CSE-2016)

प्रश्न 5. ‘अक्सर चर्चा में रहने वाले अभिप्रेत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान’ शब्द किस संदर्भ में है ?(स्तर: मध्यम)

  1. युद्ध प्रभावित मध्य पूर्व के शरणार्थियों के पुनर्वास हेतु यूरोपीय देशों द्वारा लिया गया संकल्प\
  2. जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए विश्व के देशों द्वारा तैयार की गई कार्य योजना
  3. एशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट बैंक की स्थापना में सदस्य देशों द्वारा किया गया पूंजी योगदान
  4. सतत विकास लक्ष्यों के संबंध में विश्व के देशों द्वारा बनाई गई कार्य योजना

उत्तर: b

व्याख्या:

  • अभिप्रेत राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (INDC) संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन ऑन क्लाइमेट चेंज (UNFCCC) के तहत ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन में लक्षित कटौती है।
  • INDCs संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते के टॉप-डाउन सिस्टम को बॉटम-अप सिस्टम-इन तत्वों के साथ जोड़ते हैं, जिसके माध्यम से देश ग्रीनहाउस उत्सर्जन को कम करने के लक्ष्य के साथ अपनी राष्ट्रीय क्षमताओं, परिस्थितियों और प्राथमिकताओं के संदर्भ में अपने समझौतों को आगे बढ़ाते हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

  1. बाल विवाह बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन करता है और उन्हें हिंसा, शोषण और दुर्व्यवहार के उच्च जोखिम के प्रति सुभेध बनाता है। इस कथन के आलोक में, सभी अनुचित प्रथाओं, जैसे कि बाल विवाह, समय से पूर्व विवाह और जबरन विवाह को समाप्त करने के लिए किए जाने वाले उपायों पर चर्चा कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र I -सामाजिक मुद्दे)
  2. भारत सर्पदंश से अत्यधिक प्रभावित देशों में शामिल है। सर्पदंश के खतरे की रोकथाम और नियंत्रित करने के लिए भारत के प्रयासों पर टिप्पणी कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र II- स्वास्थ्य)