A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आंतरिक सुरक्षा
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं। E. संपादकीय: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं। F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं।
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
ट्रक ड्राइवरों ने हड़ताल का आह्वान क्यों किया है?
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
शासन
विषय: विभिन्न क्षेत्रों के विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप
मुख्य परीक्षा: भारत में ट्रक ड्राइवरों के मुद्दे
प्रसंग: भारत के कई राज्यों में ट्रक ड्राइवरों ने 2023 के नव अधिनियमित भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत हिट-एंड-रन मामलों के लिए कड़ी सजा के विरोध में 1 जनवरी से एक महीने की हड़ताल की घोषणा की है।
- हड़ताल के कारण सड़क जाम और प्रदर्शन हुए, जिससे ईंधन की संभावित कमी को लेकर चिंताएं बढ़ गईं।
- आंदोलन का केंद्र बिंदु BNS की धारा 106 है, जो अन्धाधुन्ध या लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण होने वाली मौत के लिए गंभीर दंड का प्रावधान करती है।
समस्याएँ
- BNS में हिट-एंड-रन की धारा
- धारा 106 (1): अन्धाधुन्ध या लापरवाही से किए गए कार्य के कारण होने वाली मौत के लिए पांच साल तक के कारावास का प्रावधान है।
- धारा 106 (2): तेज गति और लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण मौत होने साथ ही घटना की तुरंत रिपोर्ट किए बिना भाग जाने की घटना के लिए दस साल तक के कारावास का प्रावधान है।
मौजूदा कानूनों के साथ तुलना
- BNS ने भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 304A को प्रतिस्थापित किया है, जहां लापरवाही के कारण होने वाली मौत के लिए सजा दो साल की कैद या जुर्माना या दोनों है।
- BNS में मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 134 में राहत प्रावधान का अभाव है, जो ड्राइवरों को दुर्घटना की स्थिति में घायल व्यक्ति के लिए चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने का आदेश देता है।
ट्रक चालकों की शिकायत
- नये कानून को लागू करने से पहले ट्रक चालकों से परामर्श नहीं किया गया।
- मामूली मासिक आय अर्जित करने वाले ड्राइवरों द्वारा कारावास और जुर्माने के कठोर दंड को अवहनीय माना जा रहा है।
- विस्तृत दुर्घटना जांच प्रोटोकॉल के अभाव के कारण ट्रक ड्राइवरों के खिलाफ पूर्वाग्रहपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं।
हड़ताल पर भारत सरकार की प्रतिक्रिया
- भारत सरकार ने वादा किया कि कानून अभी लागू नहीं किया जाएगा, और BNS की धारा 106 (2) को लागू करने का कोई भी निर्णय ट्रांसपोर्टर्स यूनियन से परामर्श के बाद लिया जाएगा।
- लेकिन कई राज्यों में ट्रक चालक संघ अभी भी सड़क जाम कर प्रदर्शन कर रहे हैं और उन्होंने धमकी दी है कि अगर सरकार जुर्माने के प्रावधान वापस लेने में विफल रहती है तो आने वाले दिनों में वे अपना विरोध प्रदर्शन और तेज़ कर देंगे।
ट्रक ड्राइवरों द्वारा उठाए गए मुद्दे
- ट्रकों में ओवरलोडिंग जैसे यातायात उल्लंघनों का बेहतर ढंग से प्रवर्तन करने और सड़कों पर ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की आवाजाही, जो कि निषिद्ध है, पर रोक लगाने की आवश्यकता है, और मोटर परिवहन कामगार अधिनियम, 1961 के तहत निर्धारित अनुमेय कार्य घंटों को लागू करने की आवश्यकता है, जो इसे आठ घंटे तक सीमित करता है।
सड़क दुर्घटनाओं के आंकड़े
- कैलेंडर वर्ष 2022 में देश भर में कुल 4,61,312 सड़क दुर्घटनाएँ हुईं, जिनमें 1,68,491 लोगों की जान चली गई। इनमें से 56% दुर्घटनाएँ और 60.5% मौतें राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों पर हुईं।
- कुल दुर्घटना मौतों में ट्रकों की हिस्सेदारी 9% और बसों की संख्या 3.5% थी। हिट-एंड-रन के मामले कुल दुर्घटना मौतों का 18.1% थे।
भारत में सड़क परिवहन का महत्व
- जीडीपी में योगदान: भारत की जीडीपी में सड़क परिवहन का योगदान 3.6% है, जिसमें बसें 85% यात्री यातायात और ट्रक लगभग 70% माल ढुलाई करते हैं।
- बढ़ी हुई निर्भरता: अधिक राजमार्गों और एक्सप्रेसवे के विकास के साथ इस क्षेत्र का महत्व बढ़ गया है।
- खराब होने वाली वस्तुओं के लिए आवश्यक: ट्रक खराब होने वाली वस्तुओं के परिवहन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, हड़ताल के केवल दो दिनों के भीतर कुछ उत्पादों की कीमतों में वृद्धि देखी गई है।
भारत में ट्रक ड्राइवरों की कमी
- ट्रक के सापेक्ष चालक अनुपात में गिरावट: 1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक की शुरुआत में ट्रक के सापेक्ष चालक अनुपात 1:1.3 से गिरकर 1:0.65 हो गया है, जिसके कारण लगभग 25-28% ट्रक अक्सर बेकार पड़े रहते हैं।
- उच्च त्याग दर: लगभग 60% ट्रक चालक 15 वर्षों के भीतर उद्योग छोड़ देते हैं, जिससे कमी और बढ़ जाती है।
- स्थिर वेतन: मांग-आपूर्ति असंगतता के बावजूद, ट्रक ड्राइवरों के वेतन में उल्लेखनीय वृद्धि नहीं हुई है, शहरों में कैब और टैक्सी चालकों को बेहतर वेतन मिलता है।
भावी कदम:
- परामर्श और समावेशन: ट्रक चालक कानून बनाने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी की मांग कर रहे हैं और इस बात पर जोर दे रहे हैं कि उनके दृष्टिकोण पर विचार किया जाना चाहिए।
- प्रवर्तन सुधार: यातायात नियमों को बेहतर ढंग से लागू करने, ओवरलोडिंग को संबोधित करने और ट्रैक्टर-ट्रॉली की आवाजाही की निगरानी करने का आह्वान किया गया।
- कार्य घंटों का विनियमन: मोटर परिवहन कामगार अधिनियम, 1961 द्वारा निर्धारित अनुमेय कार्य घंटों को लागू करने की वकालत।
- दुर्घटना जांच प्रोटोकॉल: निष्पक्ष निर्णय सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक दुर्घटना जांच प्रोटोकॉल की आवश्यकता।
सारांश:
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लाल सागर संकट ने भारत को कैसे प्रभावित किया है?
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव।
प्रारंभिक परीक्षा: लाल सागर।
मुख्य परीक्षा: लाल सागर संकट का भारत पर प्रभाव।
प्रसंग:
- नवंबर से यमन के हूती मिलिशिया द्वारा मालवाहक जहाजों पर हमलों की एक श्रृंखला के कारण लाल सागर असुरक्षा का केंद्र बन गया है। परिणामी अस्थिरता ने मालवाहक जहाजों को लाल सागर मार्ग को छोड़ने के लिए मजबूर कर दिया है, इसके बजाय जहाज केप ऑफ गुड होप से होते हुए लंबी यात्रा का विकल्प चुन रहे हैं।
समस्याएँ
- असुरक्षित लाल सागर मार्ग
- लाल सागर में हूती मिलिशिया के हमलों ने स्वेज नहर से होते हुए पारंपरिक समुद्री मार्ग को असुरक्षित बना दिया है।
- मालवाहक जहाज लंबे केप ऑफ गुड होप मार्ग की ओर रुख कर रहे हैं, जिससे शिपिंग लागत और डिलीवरी समय बढ़ रहा है।
- भारतीय व्यापार पर प्रभाव
- पश्चिमी गोलार्ध में भारत का लगभग 90% माल, जो यूरोप, यू.एस. पूर्वी तट और उत्तरी अफ्रीका के लिए जाता है, केप ऑफ गुड होप से होते हुए भेजा जा रहा है।
- विभिन्न खरीदार-विक्रेता अनुबंध (FOB, CIF, C&F) माल ढुलाई के बोझ के वितरण को प्रभावित करते हैं, जिससे खेप की आवाजाही प्रभावित होती है।
- मोटे तौर पर 20-25% खेप रोकी जा रही है, जिसका असर मुख्य रूप से निम्न-मूल्य तथा उच्च मात्रा वाले कार्गो और खराब होने वाली वस्तुओं पर पड़ रहा है।
ऑपरेशन समृद्धि संरक्षक
- अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन ने लाल सागर में वाणिज्य की रक्षा के लिए ऑपरेशन समृद्धि संरक्षक को लॉन्च करने की घोषणा की। यह ऑपरेशन यमन के ईरान समर्थित हूतियों द्वारा मिसाइल और ड्रोन हमलों के बाद लॉन्च किया गया है।
- शामिल देश: यू.के., बहरीन, कनाडा, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, नॉर्वे, सेशेल्स और स्पेन भाग ले रहे हैं।
- संयुक्त गश्त: ये देश दक्षिणी लाल सागर और अदन की खाड़ी में संयुक्त गश्त करेंगे।
भावी कदम:
- अंतरराष्ट्रीय सहयोग
- संयुक्त राष्ट्र ने वैश्विक समर्थन की आवश्यकता पर बल देते हुए नौवहन की स्वतंत्रता पर हूती हमलों की निंदा की।
- अमेरिका खुले और भय मुक्त समुद्री मार्ग सुनिश्चित करने के लिए ‘ऑपरेशन समृद्धि संरक्षक’ का समर्थन करने का आग्रह करता है।
- राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
- आधिकारिक और व्यापार निकाय स्तर पर चर्चा के साथ, भारत स्थिति पर बारीकी से नजर रख रहा है।
- समुद्री सुरक्षा के लिए राजनयिक समाधानों की खोज और प्रभावित देशों के साथ सहयोग।
सारांश:
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उग्रवादियों के पतन का प्रारंभिक चरण
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
आंतरिक सुरक्षा
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका।
मुख्य परीक्षा: यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) शांति समझौते का महत्व।
प्रसंग:
- यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) के इर्द-गिर्द के हालिया घटनाक्रम असम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाते हैं। जहां वार्ता समर्थक गुट ने केंद्र सरकार के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, वहीं दूसरा गुट ‘सशस्त्र संघर्ष’ के लिए प्रतिबद्ध है।
समस्याएँ
- उल्फा की उत्पत्ति
- मतदाता सूची में “अवैध आप्रवासियों” के बड़े पैमाने पर नामांकन के बारे में चिंताओं के जवाब में “संप्रभु समाजवादी असम” की स्थापना के लक्ष्य के साथ 1979 में इसका गठन किया गया था।
- उल्फा ने शुरू में असम आंदोलन (1979-1985) के दौरान क्रांतिकारी जोश वाले व्यक्तियों की भर्ती की।
- विस्तार एवं गतिविधियाँ
- प्रशिक्षण और हथियारों के लिए नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN) और म्यांमार की काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी के साथ संबंध स्थापित किए।
- हथियारों की खेप के लिए सहायक बनते हुए बांग्लादेश और भूटान में शिविर स्थापित किए।
- उल्फा ने विध्वंसक गतिविधियों को अंजाम दिया, सरकार ने उग्रवाद विरोधी कदम उठाए और 1990 में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
- बदलाव और झटके
- 1990 के दशक की शुरुआत में उग्रवाद विरोधी अभियानों और गिरफ्तारियों के बावजूद उल्फा का आतंक शासन जारी रहा।
- आत्मसमर्पण किए हुए उल्फा (सुल्फा) के गठन के कारण कथित तौर पर राज्य-प्रायोजित गुप्त हत्याएं (1998-2001) हुईं।
- 2003 में भूटान से निष्कासन और उसके बाद बांग्लादेश में स्थानांतरण एक महत्वपूर्ण झटका था।
- शांति के प्रयास
- 2005 में पीपुल्स कंसल्टेटिव ग्रुप द्वारा मध्यस्थता सहित शांति के लिए पहल, जो असफल साबित हुई।
- भूटान से निष्कासन से कमजोर होकर, उल्फा नेताओं ने वार्ता समर्थक और कट्टरपंथी गुटों में विभाजित होकर 2011 में युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- वार्ता समर्थक गुट ने 2023 में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने “ऐतिहासिक” करार दिया।
महत्व
- शांति समझौते को एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर माना जाता है, जिससे असम में 90% उग्रवाद समाप्त हो गया।
- म्यांमार-चीन सीमा से सक्रिय परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उल्फा (स्वतंत्र) गुट के साथ अनसुलझा संघर्ष स्थायी शांति के लिए चुनौतियां पैदा करता है।
- उल्फा (आई) द्वारा चल रही भर्ती और कम तीव्रता वाले विस्फोट संगठन द्वारा लगातार अपील और संभावित खतरों का संकेत देते हैं।
उल्फा शांति समझौता
- विकासात्मक उपाय- इसमें विभिन्न विकासात्मक परियोजनाओं के प्रावधान और लंबे समय से चले आ रहे मुद्दों को हल करने की प्रतिबद्धता शामिल है। सरकार ने क्रमबद्ध तरीके से 1.5 लाख करोड़ रुपये के निवेश का वादा किया है।
- राजनीतिक समावेशन- यह समझौता स्वदेशी लोगों के बीच राजनीतिक असुरक्षा के मुद्दे को संबोधित करता है, हालिया परिसीमन में उनके लिए 126 में से 97 सीटें आरक्षित की गई हैं। यह राजनीतिक असुरक्षाओं को दूर करने के उद्देश्य से भविष्य की परिसीमन प्रक्रियाओं में इस सिद्धांत की निरंतरता सुनिश्चित करता है।
- अहिंसा- उल्फा हिंसा छोड़ने, निशस्त्रीकरण करने, सशस्त्र संगठन को भंग करने, अपने कब्जे वाले शिविरों को खाली करने और कानून द्वारा स्थापित शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने पर सहमत हुआ है।
नोट- अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व में उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, जबकि परेश बरुआ के नेतृत्व वाला दूसरा गुट (जिसे उल्फा-आई के नाम से जाना जाता है) शांति प्रक्रिया में शामिल नहीं हुआ है।
समाधान:
- असम में व्यापक और स्थायी शांति के लिए परेश बरुआ के उल्फा (आई) के साथ बातचीत महत्वपूर्ण है।
- असम की संप्रभुता से संबंधित मुद्दों को संबोधित करना और शांति प्रक्रिया में सभी हितधारकों की चिंताओं को शामिल करना।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
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प्रीलिम्स तथ्य
- आदित्य-एल1 गंतव्य तक, L1 के गिर्द कक्षा में, पहुंच गया:
- इसरो वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा अंतरिक्ष यान को सावधानीपूर्वक पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर एक आवधिक हेलो कक्षा में स्थापित किया गया है।
- ISTRAC, बेंगलुरु में इसरो वैज्ञानिकों द्वारा किए गए एक फायरिंग मनुवर के माध्यम से आदित्य-एल 1 को हेलो कक्षा में स्थापित किया गया था।
- लैग्रेंजियन बिंदु के चारों ओर इच्छित हेलो कक्षा में अंतरिक्ष यान की सटीक स्थिति सुनिश्चित करने के लिए सटीक गणना और संशोधन किए गए थे।
- हेलो कक्षा आवधिक है, जिसमें सूर्य, पृथ्वी और अंतरिक्ष यान की निरंतर गति शामिल है।
- पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी दूर स्थित चयनित कक्षा की कक्षीय अवधि लगभग 177.86 पृथ्वी दिवस है।
- विशिष्ट हेलो कक्षा स्टेशन-कीपिंग मनुवर की आवश्यकता को कम करती है, ईंधन की खपत को कम करती है और सूर्य का निरंतर, अबाधित दृश्य सुनिश्चित करती है।
- मिशन जीवनकाल और दक्षता
- चुनी गई हेलो कक्षा 5 साल के मिशन जीवनकाल को सुनिश्चित करती है, जिससे सूर्य का लंबे समय तक अवलोकन किया जा सकता है।
- स्टेशन-कीपिंग मनुवर की आवश्यकता को कम करने से ईंधन संसाधनों को संरक्षित करके मिशन दक्षता बढ़ जाती है।
- उन्नत वैज्ञानिक अवलोकन
- आदित्य-एल1 में प्रकाशमंडल, क्रोमोस्फीयर और सूर्य की सबसे बाहरी परत (कोरोना) का निरीक्षण करने के लिए डिज़ाइन किए गए सात पेलोड हैं।
- विद्युत चुम्बकीय और कण डिटेक्टरों का उपयोग सौर घटनाओं की वैज्ञानिक समझ को बढ़ाता है।
- इसरो के अनुसार, द्वि-पिंड गुरुत्वाकर्षण प्रणाली के लिए, लैग्रांजे बिंदु अंतरिक्ष में वे स्थान हैं जहां यदि एक छोटी वस्तु रखी जाती है, तो वह उसी स्थिति में बनी रहती है।
- सूर्य और पृथ्वी जैसी द्वि-पिंड प्रणाली के लिए अंतरिक्ष में इन बिंदुओं का उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा कम ईंधन खपत के साथ इन स्थानों पर बने रहने के लिए किया जा सकता है। द्वि-पिंड गुरुत्वाकर्षण प्रणालियों के लिए, कुल पाँच लैग्रेंज बिंदु हैं, जिन्हें L1, L2, L3, L4 और L5 के रूप में दर्शाया गया है।
- L1 सूर्य-पृथ्वी रेखा के बीच स्थित है जो पृथ्वी से लगभग 1.5 मिलियन किमी दूर है। पृथ्वी से L1 की दूरी पृथ्वी-सूर्य की दूरी का लगभग 1% है।
- L1 बिंदु के गिर्द हेलो कक्षा में उपग्रह को रखने का प्रमुख लाभ यह है कि यहाँ से सूर्य को बिना किसी प्रच्छादन/ग्रहण के लगातार देखा जा सकता है।
- इससे सौर गतिविधियों को लगातार देखने का अधिक लाभ मिलेगा।
- वर्तमान में L1 पर चार परिचालन अंतरिक्ष यान हैं जो WIND, सोलर एंड हेलिओस्फेरिक ऑब्जर्वेटरी (SOHO), एडवांस्ड कम्पोजीशन एक्सप्लोरर (ACE) और डीप स्पेस क्लाइमेट ऑब्जर्वेटरी (DSCOVER) हैं।
- कश्मीरी लिपि को बचाने के लिए डिजिटल टूल सेट
- इस पहल से केंद्र शासित प्रदेश में 70 लाख कश्मीरी भाषियों को लाभ होने, भाषा को संरक्षित करने और लोकप्रिय बनाने की उम्मीद है, जिसे ऐतिहासिक कारकों और सामाजिक पूर्वाग्रहों के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
- ऐतिहासिक उपेक्षा
- ऐतिहासिक रूप से स्कूलों और घरों में पढ़ाई जाने वाली कश्मीरी भाषा को उपेक्षा का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण लिपि लिखने वालों की संख्या में गिरावट आई, जो 2013 तक केवल 5% तक पहुंच गई।
- औपचारिक शिक्षा और प्रचार के अभाव के परिणामस्वरूप भाषा की पहुंच सीमित हो गई।
- सामाजिक पूर्वाग्रह
- कश्मीरी बोलने के ख़िलाफ़ सामाजिक पूर्वाग्रह, भाषा के साथ जुड़ी हीनता की धारणाएँ।
- अपनी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के बावजूद, कश्मीरी को व्यापक स्वीकृति और उपयोग प्राप्त करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा।
- भाषा का क्षरण
- कश्मीरी लिपि लिखने में कुशल व्यक्तियों की संख्या कम हो रही है।
- प्रचार और औपचारिक शिक्षा की कमी के परिणामस्वरूप भाषा के अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है।
- तकनीकी हस्तक्षेप
- माइक्रोसॉफ्ट का एमएस ट्रांसलेटर और गूगल ट्रांसलेट में कश्मीरी भाषा का संभावित समावेश भाषा के लिए एक तकनीकी विकास दर्शाता है।
- पहल का उद्देश्य मौखिक परंपराओं और लिखित लिपियों के बीच अंतर को पाटना है, जिससे भाषा अधिक सुलभ हो सके।
- सांस्कृतिक संरक्षण
- अनुवाद उपकरणों में कश्मीरी का समावेश भाषा की सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत को संरक्षित करता है।
- प्रौद्योगिकी तक पहुंच कश्मीरी और अंग्रेजी के बीच अनुवाद की सुविधा प्रदान करती है, जिससे कश्मीरी साहित्य के दर्शकों का विस्तार होता है।
- भाषा पुनरुद्धार
- अदबी मरकज़ कामराज़ (एएमके) जैसे सांस्कृतिक संगठनों के प्रयासों और ऑनलाइन अभियानों ने भाषा पुनरुद्धार में योगदान दिया है।
- माइक्रोसॉफ्ट और गूगल की पहल को कश्मीरी भाषा को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका के रूप में देखा जा रहा है।
- केंद्र ने फार्मा उत्पादों की गुणवत्ता नियंत्रण के लिए संशोधित नियमों को अधिसूचित किया
- पुराने नियम
- 1988 से GMP को शामिल करने वाली मौजूदा अनुसूची M में हालिया अपडेट का अभाव था, जिसके कारण GMP के सिद्धांतों और अवधारणाओं को संशोधित करने की आवश्यकता पड़ी।
- वैश्विक संरेखण
- फार्मास्युटिकल उद्योग के तेजी से विकसित होने के साथ, विश्व स्तर पर स्वीकार्य गुणवत्ता मानकों को पूरा करने वाली दवाओं के उत्पादन को सुनिश्चित करने के लिए GMP सिफारिशों को वैश्विक मानकों, विशेष रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के साथ संरेखित करने की आवश्यकता थी।
- गुणवत्ता नियंत्रण चुनौतियाँ
- सुसंगत और उच्च गुणवत्ता वाले फार्मास्युटिकल उत्पादों को सुनिश्चित करने के लिए मौजूदा नियमों के तहत चुनौतियों का सामना कर रही सामग्रियों, विधियों, मशीनों, प्रक्रियाओं, कर्मियों और इकाईयों के व्यापक नियंत्रण की आवश्यकता है।
- वैश्विक मानकों का पालन
- संशोधन GMP को वैश्विक मानकों के साथ संरेखित करता है, जिससे भारत के फार्मास्युटिकल क्षेत्र को गुणवत्ता के लिए वैश्विक बेंचमार्क के रूप में बढ़ावा मिलता है।
- प्रमुख तत्वों का समावेश
- संशोधित अनुसूची एम में फार्मास्युटिकल गुणवत्ता प्रणाली (PQS), गुणवत्ता जोखिम प्रबंधन (QRM), उत्पाद गुणवत्ता समीक्षा (PQR), और उपकरणों की योग्यता और सत्यापन जैसे तत्व शामिल हैं।
- सभी दवा उत्पादों के लिए एक कम्प्यूटरीकृत भंडारण प्रणाली शुरू की गई है, जिससे दक्षता और पता लगाने की क्षमता में वृद्धि हुई है।
- रोगी सुरक्षा और प्रभावकारिता
- निर्माताओं को फार्मास्युटिकल उत्पाद की गुणवत्ता की जिम्मेदारी लेने के लिए बाध्य किया गया है, यह सुनिश्चित करते हुई कि उत्पाद इच्छित उपयोग के लिए उपयुक्त हैं, लाइसेंस आवश्यकताओं का अनुपालन करते हैं, और रोगी की सुरक्षा, गुणवत्ता या प्रभावकारिता से समझौता नहीं करते हैं।
- GMP यह सुनिश्चित करने के लिए एक प्रणाली है कि उत्पादों का गुणवत्ता मानकों के अनुसार लगातार उत्पादन और नियंत्रण किया जाता है। इसे किसी भी दवा उत्पादन में शामिल ऐसे जोखिमों को कम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जिन्हें अंतिम उत्पाद के परीक्षण के माध्यम से हटाया नहीं जा सकता है।
- मुख्य जोखिम:
- उत्पादों का अप्रत्याशित संदूषण
- स्वास्थ्य को नुकसान या यहां तक कि मौत का कारण बनना
- कंटेनरों पर गलत लेबल लगना, जिसका अर्थ यह हो सकता है कि रोगियों को गलत दवा प्राप्त होगी।
- अपर्याप्त या बहुत अधिक सक्रिय घटक, जिसके परिणामस्वरूप अप्रभावी उपचार या प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
- WHO (विश्व स्वास्थ्य संगठन) ने GMP के लिए विस्तृत दिशानिर्देश स्थापित किए हैं। कई देशों ने WHO GMP के आधार पर GMP के लिए अपनी आवश्यकताएँ तैयार की हैं। भारत में GMP प्रणाली को पहली बार 1988 में औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 की अनुसूची M में शामिल किया गया था और अंतिम संशोधन जून 2005 में किया गया था। WHO-GMP मानक अब संशोधित अनुसूची M का हिस्सा हैं।
- क्या भारत को मलेरिया, डेंगू को ट्रैक करने के लिए अपशिष्ट जल का अध्ययन करना चाहिए?
प्रसंग: भारत के पहले सौर मिशन, आदित्य-एल1 ने 2 सितंबर, 2023 को लॉन्च होने के 127 दिनों बाद लैग्रेंजियन बिंदु (एल1) पर पहुंचकर एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।
कक्षा में सटीक स्थापना
कक्षा की विशेषताएँ
महत्व
लैग्रांजे बिंदु
L1 बिंदु क्या है?
प्रसंग: माइक्रोसॉफ्ट और गूगल अपने अनुवाद टूल में कश्मीरी भाषा को पेश करने के लिए तैयार हैं, जो उस भाषा के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है जो मौखिक परंपराओं के माध्यम से काफी हद तक बची हुई है।
समस्याएँ
महत्व
प्रसंग: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 की अनुसूची M के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया है, जिसका उद्देश्य फार्मास्युटिकल और बायोफार्मास्युटिकल उत्पादों के लिए ठोस गुणवत्ता नियंत्रण सुनिश्चित करना है। संशोधित अनुसूची M अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (GMP) को निर्धारित करती है और फार्मास्युटिकल क्षेत्र में गुणवत्ता मानकों को ऊंचा करने के लिए परिसर, संयंत्र और उपकरण की आवश्यकताओं को प्रस्तुत करती है।
समस्याएँ
महत्व
अच्छी विनिर्माण प्रथाएँ (GMP)
प्रसंग: अपशिष्ट जल निगरानी विशिष्ट रोगज़नक़ों की उपस्थिति की निगरानी में एक प्रभावी उपकरण साबित हुई है, जो लागत प्रभावी और अर्ली-डिटेक्शन विधि प्रदान करती है। जबकि पोलियो जैसे जल-जनित वायरस पर नज़र रखने के लिए इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है, शोधकर्ताओं ने इसके अनुप्रयोग को मलेरिया और डेंगू जैसी वाहक-जनित बीमारियों तक विस्तारित करने का प्रस्ताव दिया है।
समस्याएँ
- रोग संदर्भ
- मलेरिया और डेंगू जैसी वाहक जनित बीमारियाँ भारत में स्थानिक हैं, जिनमें रोगज़नक़ का संचरण लगभग साल भर होता रहता है।
- मलेरिया और डेंगू में गैर-मानव प्राइमेट सहित परजीवाश्रय होते हैं, जो मानव मलोत्सर्जन के ज्ञात रोगज़नक़ों के विशेष गुण को जटिल बना देते हैं।
- निम्न वायरस शेडिंग
- मनुष्यों द्वारा डेंगू का वायरल बहाव कम है, जिससे SARS-CoV-2 जैसे अन्य रोगजनकों की तुलना में अपशिष्ट जल में वायरल RNA का पता लगाना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- मौसमी संचरण
- विकसित देशों से शायद ही कभी मलेरिया और डेंगू की रिपोर्ट आती हैं, क्योंकि ये बीमारियाँ भारत के विपरीत मौसमी संचरण पैटर्न प्रदर्शित करती हैं, जहाँ ये पूरे वर्ष बनी रहती हैं।
महत्व
- महामारी का अनुभव
- कोविड-19 महामारी के दौरान अपशिष्ट जल निगरानी ने वायरस वेरिएंट का पता लगाने और समुदायों में वायरस के प्रसार की सीमा का आकलन करने में अपनी प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया।
- अनुसंधान के अवसर
- विकसित देशों के शोधकर्ताओं ने डेंगू, मलेरिया, जीका और टाइफाइड जैसी बीमारियों की निगरानी के लिए अपशिष्ट जल निगरानी का विस्तार करने का सुझाव दिया है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. आदित्य-एल1 मिशन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- आदित्य के कोरोनाग्राफ में मंगल ग्रह को बहुत करीब से देखने की क्षमता है।
- इसकी यात्रा भारत के पिछले मंगल कक्षीय मिशन, मंगलयान की तुलना में छोटी है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1 और न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
आदित्य-एल1 मिशन-आदित्य के कोरोनाग्राफ में सूर्य को बहुत करीब देखने की क्षमता है।
भारत की पहली सौर वेधशाला, आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक अंतिम कक्षा में स्थापित किया गया, जो इसका वांछित गंतव्य है, जहां से यह अगले पांच वर्षों तक सूर्य का अवलोकन करेगा। इसकी यात्रा भारत के पिछले मंगल कक्षीय मिशन, मंगलयान की तुलना में छोटी है।
प्रश्न 2. चिल्का झील के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह एशिया का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा लैगून है।
- 1981 में, इसे रामसर सम्मेलन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व की पहली भारतीय आर्द्रभूमि नामित किया गया था।
- यह खारे पानी की सबसे बड़ी झील और पक्षियों का शीतकालीन प्रवास स्थल है।
उपर्युक्त में से कितने कथन गलत हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- कोई भी नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
चिल्का झील: यह एशिया की सबसे बड़ी और दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी लैगून है। 1981 में, इसे रामसर सम्मेलन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्व की पहली भारतीय आर्द्रभूमि नामित किया गया था।
यह खारे पानी की सबसे बड़ी झील और पक्षियों का शीतकालीन प्रवास स्थल है।
प्रश्न 3. स्वामित्व योजना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- इसका उद्देश्य केवल राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और उत्तर-पूर्वी राज्यों के आदिवासी लोगों को संपत्ति कार्ड जारी करना है।
- यह एक केन्द्र प्रायोजित योजना है।
- इसे 2021 में राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर लॉन्च किया गया था।
उपर्युक्त में से कितने कथन गलत हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- केवल तीन
- कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या: 9 राज्यों में योजना के पायलट चरण (2020-2021) के सफल समापन के बाद 24 अप्रैल 2021 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर माननीय प्रधानमंत्री द्वारा स्वामित्व (पंचायती राज मंत्रालय की एक केंद्रीय क्षेत्र योजना) को राष्ट्रव्यापी तौर पर लॉन्च किया गया था। यह योजना केवल 6 राज्यों के लिए लागू है: हरियाणा, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड।
प्रश्न 4. पीएम गति शक्ति योजना के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- इसका उद्देश्य जम्मू-कश्मीर और केरल में रक्षा गलियारे स्थापित करना है।
- इसे विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों में मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचा प्रदान करने के लिए 2021 में लॉन्च किया गया था।
- इसका उद्देश्य रसद लागत को कम करना, कार्गो हैंडलिंग क्षमता को बढ़ाना और बंदरगाहों पर टर्नअराउंड समय को कम करना है।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या: 2021 में शुरू की गई गति शक्ति राष्ट्रीय मास्टर प्लान का लक्ष्य विविध आर्थिक क्षेत्रों के लिए मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी बुनियादी ढांचा स्थापित करना है।
यह रणनीतिक योजना आर्थिक विकास में तेजी लाने, बुनियादी ढांचे के विकास को आगे बढ़ाने और परियोजनाओं के समय पर समापन को सुनिश्चित करने के लिए एक परिवर्तनकारी पहल का प्रतिनिधित्व करती है।
इसके अतिरिक्त, इसका उद्देश्य 11 औद्योगिक गलियारे स्थापित करना और दो नए रक्षा गलियारे निर्मित करना है, जिनमें से एक तमिलनाडु में और दूसरा उत्तर प्रदेश में स्थित है।
रसद लागत को कम करने के अलावा, यह पहल कार्गो हैंडलिंग क्षमता को बढ़ाने और बंदरगाहों पर टर्नअराउंड समय को कम करने, और अंततः व्यापार वृद्धि को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- भारत के संविधान के अनुसार, राज्यों की आंतरिक अशांति से रक्षा करना केंद्र सरकार का कर्तव्य है।
- भारत का संविधान राज्यों को निवारक निरोध में रखे गए व्यक्ति को कानूनी सलाह प्रदान करने की छूट देता है।
- आतंकवाद निरोधक कानून, 2002 के मुताबिक पुलिस के सामने आरोपी का कबूलनामा साक्ष्य के तौर पर प्रयोग नहीं किया जा सकता।
उपर्युक्त में से कितने कथन सही हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
कथन 1 सही है: अनुच्छेद 355 स्पष्ट रूप से रेखांकित करता है कि “यह संघ का कर्तव्य होगा कि वह प्रत्येक राज्य की बाह्य आक्रमण और आंतरिक अशांति से रक्षा करे और यह सुनिश्चित करे कि प्रत्येक राज्य की सरकार इस संविधान के प्रावधानों के अनुसार चले। ”
कथन 2 सही है: अनुच्छेद 22 के अनुसार (कुछ मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत के खिलाफ संरक्षण): (1) किसी व्यक्ति को जो गिरपतार किया गया है, ऐसी गिरफ्तारी के कारणों से यथाशीघ्र अवगत कराए बिना अभिरक्षा में निरुद्ध नहीं रखा जाएगा या अपनी रुचि के विधि व्यवसायी से परामर्श करने और प्रतिरक्षा कराने के अधिकार से वंचित नहीं रखा जाएगा।
(2) प्रत्येक व्यक्ति को, जो गिरफ्तार किया गया है और अभिरक्षा में निरुद्ध रखा गया है, गिरफ्तारी के स्थान से मजिस्ट्रेट के न्यायालय तक यात्रा के लिए आवश्यक समय को छोड़कर ऐसी गिरफ्तारी से चौबीस घंटे की अवधि में निकटतम मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया जाएगा और ऐसे किसी व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के प्राधिकार के बिना उक्त अवधि से अधिक अवधि के लिए अभिरक्षा में निरुद्ध नहीं रखा जाएगा।
(3) खंड (1) और खंड (2) की कोई बात किसी ऐसे व्यक्ति को लागू नहीं होगी जो-
(a) तत्समय शत्रु अन्यदेशीय है या
(b) निवारक निरोध का उपबंध करने वाली किसी विधि के अधीन गिरपतार या निरुद्ध किया गया है।
इसलिए, भारत के संविधान में अनुच्छेद 22 के खंड (3) के अनुसार, राज्य निवारक कारणों से हिरासत में लिए गए व्यक्तियों को कानूनी सलाह तक पहुंच प्रदान करने के लिए बाध्य नहीं हैं।
कथन 3 गलत है: आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा) 2002 की धारा 32 (1) निर्दिष्ट करती है कि “संहिता 12 या भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) में किसी बात के बावजूद, लेकिन इस धारा के प्रावधानों के अधीन, किसी व्यक्ति द्वारा पुलिस अधीक्षक से कम रैंक के पुलिस अधिकारी के समक्ष किया गया इकबालिया बयान ऐसे व्यक्ति के मुकदमे में स्वीकार्य होगा।”
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- केवल हिट-एंड-रन कानून में बदलाव से भारत की सड़क सुरक्षा समस्या का समाधान नहीं हो सकता। क्या आप सहमत हैं? समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (Changes in hit-and-run law alone can’t solve India’s road safety problem. Do you agree? Critically analyze.)
- देश के विभिन्न हिस्सों में विद्रोही संगठनों से बातचीत करने के लिए भारत सरकार द्वारा उपयोग की जाने वाली कुछ रणनीतियाँ क्या हैं? साथ ही, ऐसी रणनीतियों की सफलता का भी आकलन कीजिए। (What are some of the strategies used by the Government of India to negotiate with the insurgent organizations in different parts of the nation? Also, assess the success of such strategies.)
(250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – II, शासन)
(250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – III, सुरक्षा)
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)