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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 08 October, 2022 UPSC CNA in Hindi

08 अक्टूबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

  1. प्राथमिक कृषि ऋण समिति
  2. आईडीबीआई में रणनीतिक विनिवेश

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

सामाजिक मुद्दे:

  1. द्रविड़ियन शहरीकरण की वृद्धि और सीमाएं

समाज:

  1. भारत में नव-बौद्ध आंदोलन का अपकर्ष

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. अंतरिक्ष वेधशाला को स्थापित करने के आदर्श क्षेत्र

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. नोबेल शांति पुरस्कार
  2. भारत के मुख्य न्यायाधीश
  3. धर्मांतरण के बाद दलितों की अनुसूचित जाति की स्थिति का अध्ययन करने हेतु पैनल का गठन

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

प्राथमिक कृषि ऋण समिति

विषय: समावेशी विकास

मुख्य परीक्षा: वित्तीय समावेशन और किसानों के लिए सेवा वितरण को सुदृढ़ करना ।

संदर्भ: केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री ने देश की प्रत्येक पंचायत में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) की स्थापना का निर्णय लिया है।

मुख्य विवरण:

  • हाल ही में केंद्रीय गृह और सहकारिता मंत्री ने अगले पांच वर्षों में विभिन्न कृषि संबंधी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए देश की प्रत्येक पंचायत में प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) की स्थापना के केंद्र सरकार के निर्णय से अवगत कराया।
  • मंत्री महोदय ने कहा कि वर्तमान में देश में केवल 65,000 सक्रिय प्राथमिक कृषि ऋण समितियां हैं, और यह जरूरी है कि जमीनी स्तर पर कृषि और डेयरी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए 2027 तक सभी पंचायतों में एक ऐसा निकाय होना चाहिए।
  • ये समितियां गरीबी को कम करने और महिलाओं को सशक्त बनाने के उद्देश्य से गैस और पेट्रोल की बिक्री तथा डेयरी और कृषि उत्पादों के भंडारण एवं विपणन जैसी गतिविधियों का संचालन करेगी।
  • केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों की स्थापना से पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों को सबसे अधिक लाभ होगा क्योंकि इनके कृषि और डेयरी उत्पादों का विपणन कुशलतापूर्वक किया जाएगा, इस प्रकार पशुपालन और संबद्ध क्षेत्रों में लगे लोगों को इष्टतम वित्तीय लाभ होगा।

प्राथमिक कृषि ऋण समितियाँ(PACS):

  • ये जमीनी स्तर की सहकारी ऋण संस्थाएँ हैं जो किसानों को कृषि और कृषि गतिविधियों के लिए अल्पकालिक और मध्यम अवधि के कृषि ऋण प्रदान करती हैं।
  • ये आमतौर पर अपने सदस्यों को निम्नलिखित सुविधाएं प्रदान करती हैं:
  1. नकद या इस तरह के घटक के रूप में इनपुट सुविधाएं
  2. किराए पर कृषि उपकरण उपलब्ध कराना
  3. भंडारण की सुविधा
  • यह ग्राम पंचायत और ग्राम स्तर पर कार्य करती है।
  • 1904 में पहली प्राथमिक कृषि ऋण समिति का गठन किया गया था।
  • जून 2022 में, आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2,516 करोड़ रुपए की लागत से लगभग 63,000 प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को डिजिटाइज करने की मंजूरी दी।
  • प्रत्येक प्राथमिक कृषि ऋण समितियों को अपनी क्षमता को उन्नत करने के लिए लगभग 4 लाख रुपए मिलेंगे और यहां तक कि पुराने लेखा रिकॉर्ड को भी डिजिटल किया जाएगा व क्लाउड आधारित सॉफ्टवेयर से जोड़ा जाएगा।
  • प्राथमिक कृषि ऋण समितियों के डिजिटलीकरण का उद्देश्य उनकी दक्षता में वृद्धि करना, उनके संचालन में पारदर्शिता और जवाबदेही लाना तथा व्यवसाय में विविधता और विभिन्न सेवाओं को शुरू करने की सुविधा प्रदान करना है।
  • डिजिटाइजेशन सॉफ्टवेयर स्थानीय भाषा में होगा जिसमें राज्यों की आवश्यकता के अनुसार लचीलापन होगा।

चित्र स्त्रोत: Medium.com

सारांश:

  • वित्तीय संस्थानों के रूप में प्राथमिक कृषि ऋण समितियां स्थानीय क्षेत्रों के विकास में जमीनी स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। ये बहु क्रियाशील संगठन हैं जो बैंकिंग (लघु और मध्यम अवधि के ऋण), विपणन उत्पाद और उपभोक्ता वस्तुओं के व्यापार जैसी गतिविधियों की मेजबानी करते हैं। इसलिए प्राथमिक कृषि सहकारी ऋण समितियों का प्रभावी प्रदर्शन महत्वपूर्ण है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

सुरक्षा:

आईडीबीआई में रणनीतिक विनिवेश

विषय: बैंकिंग क्षेत्र और NBFCs

मुख्य परीक्षा: रणनीतिक विनिवेश

संदर्भ: भारत सरकार ने भारतीय औद्योगिक विकास बैंक (IDBI) के रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया शुरू की।

पृष्ठभूमि:

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने मई 2021 में आईडीबीआई बैंक लिमिटेड में प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ-साथ रणनीतिक विनिवेश के लिए अपनी सैद्धांतिक मंजूरी दे दी।
  • भारत सरकार और भारतीय जीवन बीमा निगम के पास आईडीबीआई बैंक की 94 प्रतिशत से अधिक इक्विटी है।
    • भारतीय जीवन बीमा निगम की हिस्सेदारी 49.24%, सरकार की हिस्सेदारी 45.48%, जबकि सार्वजनिक शेयरधारकों की हिस्सेदारी 5.28% है।
  • वर्तमान में एलआईसी प्रबंधन नियंत्रण के साथ आईडीबीआई बैंक का प्रवर्तक है और जबकि भारत सरकार सह-प्रवर्तक है।
  • सरकारी इक्विटी के रणनीतिक विनिवेश के माध्यम से प्राप्त संसाधनों का उपयोग नागरिकों को लाभान्वित करने वाले सरकार के विकास कार्यक्रमों के वित्तपोषण हेतु किया जाएगा।

प्रारंभिक सूचना ज्ञापन:

  • सरकार ने संभावित खरीदारों को आशय पत्र को जमा करने के लिए प्रारंभिक सूचना ज्ञापन जारी करके प्रबंधन नियंत्रण के हस्तांतरण के साथ-साथ आईडीबीआई बैंक के रणनीतिक विनिवेश की प्रक्रिया शुरू की।
  • भारत सरकार बैंक में अपनी 30.48% की हिस्सेदारी बेचेगी, और एलआईसी 30.24% की हिस्सेदारी बेचेगी, जो कि आईडीबीआई बैंक की शेयर पूंजी का 60.72% है, साथ ही आईडीबीआई बैंक में नियंत्रण हिस्सेदारी भी संभावित खरीदार को स्थानांतरित हो जाएगी।।
  • बैंक का अधिग्रहण करने के इच्छुक रणनीतिक निवेशकों को 28 अक्टूबर तक का समय दिया गया है कि वे ज्ञापन पर अपने किसी भी प्रश्न को प्रस्तुत करें और 16 दिसंबर तक आशय पत्र (expressions of interest) को जमा करें।
  • लेनदेन के दूसरे चरण में केवल पात्र बोलीदाताओं को RFP (प्रस्ताव के लिए अनुरोध) दस्तावेज दिया जाएगा।
  • व्यक्तिगत रूप से या एक कंसोर्टियम के माध्यम से बोली लगाने वाली फर्मों के लिए न्यूनतम 22,500 करोड़ रुपये का शुद्ध मूल्य निर्धारित किया गया है, जिसमें कम से कम 40% हिस्सेदारी रखने वाले प्रमुख सदस्य के साथ अधिकतम चार संस्थाएं शामिल हो सकती हैं।

सारांश:

  • आईडीबीआई बैंक लिमिटेड में रणनीतिक विनिवेश से व्यापार क्षमता और विकास हेतु वित्त, नई तकनीक और सर्वोत्तम प्रबंधन प्रथाओं को शामिल करने के साथ-साथ एलआईसी और सरकारी सहायता पर निर्भरता के बिना अधिक व्यवसाय करने की उम्मीद है।

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

सामाजिक मुद्दे

द्रविड़ियन शहरीकरण की वृद्धि और सीमाएं

विषय: शहरीकरण, समस्याएं और उपचार

मुख्य परीक्षा: तमिलनाडु में शहरीकरण के द्रविड़ियन मॉडल की सफलता की कहानी और इससे जुड़ी प्रमुख सीमाएं।

संदर्भ

इस लेख में तमिलनाडु में शहरीकरण के द्रविड़ियन मॉडल के बारे में चर्चा की गई है।

पृष्ठभूमि

  • विशेषज्ञों के अनुसार, तमिलनाडु में द्रविड़ों की लामबंदी पर अध्ययन मुख्य रूप से आर्थिक विकास और कल्याणकारी परिणामों की उपलब्धि पर केंद्रित रहा है।
    • हालांकि, वृद्धि और विकास के लाभों को समावेशी रूप से वितरित करने में शहरीकरण की भूमिका पर बहुत कम ध्यान दिया गया है।
  • देश के अन्य राज्यों की तुलना में तमिलनाडु का शहरी प्रक्षेपवक्र बहुत भिन्न रहा है:
    • तमिलनाडु राज्य ने आम लोगों के ऊर्ध्वगामी विकास को सुविधाजनक बनाने और उन्हें शहरी परिवर्तन के अभिकर्ता बनाने के लिए पारंपरिक जाति-आधारित पदानुक्रमों को समाप्त करने की लगातार कोशिश की है।
    • माना जाता है कि तमिलनाडु में शहरीकरण आधार व्यापक है, जो केवल कुछ महानगरीय शहरी केंद्रों के बजाय अनेक शहरी केंद्रों द्वारा संचालित होता है जैसा कि महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों में देखा जाता है।
  • तमिलनाडु की क्रमिक सरकारों ने आम लोगों को शहरी परिवर्तन के अभिकर्ता के रूप में बदलने के लिए विभिन्न बहुआयामी रणनीतियों को अपनाया है जिसमें भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचे का निर्माण, शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में पुनर्वितरण नीतियां और एक उत्पादक लोकाचार का प्रसार शामिल है।

तमिलनाडु में शहरीकरण का विस्तार

  • 2011 की जनगणना के अनुसार 34% की भारतीय औसत की तुलना में तमिलनाडु में 48.4% से अधिक आबादी शहरों में केंद्रित है।
  • इसके अलावा, राज्य में आठ परिवारों में से लगभग सात अपनी आय के लिए गैर-कृषि गतिविधियों पर निर्भर हैं।
  • राज्य में दलित और अन्य पिछड़े समुदायों के उद्यमियों का अनुपात सबसे अधिक है।
  • अन्य राज्यों की तुलना में, शहरी केंद्र केवल एक या दो बड़े महानगरों में केंद्रित नहीं हैं, बल्कि कई शहरी केंद्र हैं जो छोटे शहरों के नेटवर्क और एक मजबूत ग्रामीण-शहरी जुड़ाव द्वारा समर्थित हैं।

तमिलनाडु में शहरीकरण का इतिहास

  • आजादी से पहले भी, मद्रास (चेन्नई) प्रमुख औपनिवेशिक शहरों में से एक था और यहाँ औद्योगिक और भौतिक अवसंरचना का विकास हो गया था।
  • बुनियादी ढांचे, औद्योगिक समूहों और जन शिक्षा के विकास के प्रयासों से राज्य को और अधिक लाभ हुआ।
  • उन्नत सिंचाई विधियों और मोटर चालित विद्युत प्रौद्योगिकी के उपयोग से कृषि क्षेत्र का भी आधुनिकीकरण किया गया, जिसके परिणाम स्वरूप विभिन्न क्षेत्रों में फसल पैटर्न में विविधता और अलग-अलग फसलों में विशेषज्ञता का उदय हुआ।
  • इसके अलावा, कृषि में इस प्रगति ने “कृषि-कस्बों” (agro-towns) का विकास किया, जिसमें प्रमुख उद्यमिता गतिविधियाँ जैसे प्रसंस्करण, विपणन और बिक्री बड़े पैमाने पर की गईं।
  • सरकार द्वारा हस्तक्षेप के साथ-साथ एक प्रमुख व्यापारिक समुदाय की अनुपस्थिति जिसे “वैश्य निर्वात” के रूप में माना जाता है, ने निचले तबके के व्यक्तियों को उद्यमिता करने में मदद की, जिसके परिणामस्वरूप “पूंजी का लोकतंत्रीकरण” हुआ।
  • बुनियादी ढांचे में बड़े पैमाने पर निवेश और विकास ने मैकेनिकों, बढ़ई और लोहारों जैसे कारीगरों की मदद की, जिसने अंततः लार्ज ट्रक बॉडी-बिल्डिंग उद्योग को जन्म दिया जो कई जिलों में औद्योगिक क्लस्टर बन गया है।
  • इसके अतिरिक्त, परिवहन संपर्क, बिजली, स्वास्थ्य देखभाल और शैक्षिक सुविधाओं जैसी महत्वपूर्ण सुविधाओं के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है और यह पूरे राज्य में व्यापक रूप से फैली हुई है।
    • इससे ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों को जोड़ने में मदद मिली है, जिससे गैर-कृषि आय विकल्पों का दायरा बढ़ा है, बेहतर रोजगार विकल्पों तक पहुंच प्राप्त हुई है और जाति पदानुक्रम में बदलाव आया है।
  • पिछले कुछ वर्षों में, ग्रामीण क्षेत्रों से पिछड़ी जातियों के व्यक्तियों की सरकारी सेवाओं में भर्ती में वृद्धि हुई है जिससे पिछड़े समुदायों की आकांक्षाओं के लिए बेहतर प्रशासनिक प्रतिक्रिया का निर्माण हुआ है।
  • राज्य ने कल्याणकारी वितरण सुनिश्चित करने के लिए कई प्रयास किए हैं जिसमें उन कमजोर वर्गों के लिए सामाजिक सुरक्षा का विस्तार शामिल है जो जातिबद्ध व्यवसायों से बाहर निकलने में विफल रहे हैं।
  • कपड़ा और चमड़ा जैसे विनिर्माण उद्योगों के लिए हानिकारक होने के बावजूद 1990 के दशक की उदारीकरण की नीतियों ने सेवा क्षेत्र को बढ़ावा देकर शहरीकरण को और बढ़ाने में मदद की है।

भावी कदम

  • द्रविड़ियन शहरीकरण ने शहरी केंद्रों के अनौपचारिक क्षेत्र में अनियत नौकरियों के विकास के साथ गरीबी युक्त शहरीकरण को जन्म दिया। यह इस तथ्य पर प्रकाश डालता है कि कृषि आधारित नौकरियों से निर्वासन की दर शहरी क्षेत्रों में अच्छी नौकरियों के सृजन की तुलना में अधिक रही है, जिस पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • जाति आधारित पदानुक्रम एक हद तक बाधित होने के बावजूद, न केवल ग्रामीण क्षेत्रों में बल्कि शहरी क्षेत्रों में भी जाति आधारित अलगाव एक प्रमुख समस्या बनी हुई है।
  • इसके अलावा, तमिलनाडु की क्रमिक सरकारों ने शहरीकरण को एक आदर्श परिणाम बनाने पर अधिक ध्यान केंद्रित किया है और शहरी प्रक्रियाओं पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया है।
    • 74वें संशोधन (शहरी स्थानीय निकाय) के क्रियान्वयन जैसे सहभागी शासन तंत्र की कमी लोगों को सशक्त बनाने में विफल रही है और इसके बजाय इसने उन्हें नौकरशाही पर अत्यधिक निर्भर बना दिया है।

सारांश: तमिलनाडु को शहरीकरण की भिन्न भिन्न नीतियों को लागू करने में अग्रणी माना जाता है, जिसने राज्य में कई शहरी केंद्रों और औद्योगिक समूहों के विकास में मदद की है। हालाँकि, शहरीकरण के द्रविड़ियन मॉडल को अब विभिन्न संरचनात्मक चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर संबोधित किया जाना है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

समाज

भारत में नव-बौद्ध आंदोलन का अपकर्ष

विषय: भारत की विविधता

प्रारंभिक परीक्षा: नव बौद्ध धर्म के बारे में

मुख्य परीक्षा: -भारत में नव-बौद्ध आंदोलन और उनके सामने आने वाली प्रमुख समस्याएं

संदर्भ

इस लेख में नव-बौद्ध धर्म के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की गई है।

नव-बौद्ध धर्म

  • 14 अक्टूबर, 1956 को डॉ. बी.आर. अम्बेडकर और उनके कई अनुयायियों ने बौद्ध धर्म ग्रहण किया। उन्हें नव-बौद्ध के रूप में जाना जाता है।
  • कहा जाता है कि डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ने सामाजिक रूप से हाशिए पर स्थित समुदायों के लोगों को शोषक जाति व्यवस्था से मुक्त करने की धर्मों की क्षमता को समझने के लिए विभिन्न धर्मों का अध्ययन करने के बाद बौद्ध धर्म ग्रहण किया।
  • अम्बेडकर का मानना था कि बौद्ध धर्म भारत की सभ्यता में निहित है, आधुनिक नैतिक मूल्यों का समर्थन करता है और सामाजिक पदानुक्रम और पितृसत्तात्मक वर्चस्व के खिलाफ है।
  • नव-बौद्ध धर्म को एक जन आंदोलन कहा जाता था जो अछूतों के जीवन को बेहतर बनाने और इन समुदायों में सम्मान और आत्म-सम्मान हासिल करने में मदद करेगा।
  • नव-बौद्ध धर्म ने संघर्षरत दलित समुदाय के व्यक्तियों को मजबूत मनोवैज्ञानिक सहायता प्रदान करने में मदद की।
  • अधिकांश नव-बौद्ध वर्तमान में महाराष्ट्र राज्य में रहते हैं।
  • नव-बौद्धों ने विभिन्न सामाजिक और शैक्षणिक संस्थानों की स्थापना की, कई सांस्कृतिक आंदोलन शुरू किए, और बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक उत्सवों का आयोजन किया।
  • इसके अलावा, जापान, थाईलैंड और यूके जैसे देशों के बौद्ध संघों ने भारत के नव-बौद्धों के साथ घनिष्ठ संबंध स्थापित किए हैं।

नव-बौद्धों की विभिन्न समस्याएं

  • वर्तमान में, देश में बौद्ध आबादी अल्पसंख्यकों में सबसे छोटी है।
  • इसके अलावा, हिंदू सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ बौद्ध धर्म की प्रमुख वैचारिक चुनौतियों को अक्सर उपेक्षित या अनदेखा किया गया है।
  • लगभग 80% भारतीय बौद्ध केवल महाराष्ट्र राज्य में रहते हैं।
    • हालाँकि, मुख्य रूप से महार समुदाय तथा मतंग और मराठा समुदायों के अन्य छोटे वर्गों ने खुद को नव-बौद्ध कहा है, जबकि कई अन्य सामाजिक रूप से हाशिए पर स्थित समुदायों को अभी भी हिंदू जाति के व्यापक दायरे के अंतर्गत परिभाषित किया जाता है।
  • दलितों के बीच भी बौद्ध धर्म में परिवर्तन को सामाजिक मुक्ति प्राप्त करने के लिए उपयुक्त साधन के रूप में नहीं देखा जाता है।
    • उत्तर प्रदेश, बिहार, तमिलनाडु, कर्नाटक, पंजाब, पश्चिम बंगाल और ओडिशा जैसे राज्यों में दलितों ने बौद्ध धर्म अपनाने में रुचि नहीं दिखाई है।
  • इसके अलावा, नव-बौद्ध आंदोलन को शासक अभिजात वर्ग के प्रमुख सामाजिक और राजनीतिक विचारों के लिए एक वैचारिक चुनौती के रूप में देखा जाता है और अक्सर इसे दबाया जाता है।

सारांश: अम्बेडकर के नव-बौद्ध आंदोलन के सिद्धांतों में सामाजिक पदानुक्रमों और पितृसत्तात्मक वर्चस्व को चुनौती देने की क्षमता है और दमन के चंगुल से आंदोलन को पुनर्जीवित करने के लिए प्रभावी सांस्कृतिक रणनीतियां तैयार करने की आवश्यकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंध

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

अंतरिक्ष वेधशाला को स्थापित करने के आदर्श क्षेत्र

पाठ्यक्रम: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता

प्रारंभिक परीक्षा: डार्क स्काई रिजर्व, वेणु बप्पू वेधशाला और हानले अंतरिक्ष वेधशाला के बारे में।

संदर्भ:

  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा लद्दाख में देश के पहले डार्क स्काई रिजर्व की स्थापना की घोषणा के साथ ही, देश की विभिन्न अंतरिक्ष वेधशालाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

अंतरिक्ष वेधशालाएं

  • अंतरिक्ष वेधशालाएं खगोलविदों को तारों और विभिन्न ब्रह्मांडीय घटनाओं जैसे सुपरनोवा और नेबुला की पहचान करने में मदद करती हैं जो कई प्रकाश वर्ष दूर हैं।
  • इन अंतरिक्ष वेधशालाओं की अवस्थिति खगोलविदों को सबसे मंद तारों और उनके विकिरण का पता लगाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जो आमतौर पर दृश्य प्रकाश की सीमा से बाहर होते हैं।
  • ब्रह्मांडीय विकिरणों को जल वाष्प द्वारा आसानी से अवशोषित कर लिया जाता है और इसलिए टेलिस्कोपों को उन वेधशालाओं में स्थापित किया जाना चाहिए जो धरातल से ऊपर हों और जहां वातावरण शुष्क हो तथा एक शुष्क, उच्च तुंगता वाला रेगिस्तान एक आदर्श स्थान होता है।
  • भारत में अंतरिक्ष वेधशाला स्थापित करने के लिए ऐसे स्थानों की पहचान करने के लिए विभिन्न अभियान शुरू किए गए हैं।

वेणु बप्पू वेधशाला

  • वेणु बप्पू वेधशाला भारत की अग्रणी वेधशालाओं में से एक है और इसका संचालन भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA), बेंगलुरु द्वारा किया जाता है।
  • वेणु बप्पू वेधशाला तमिलनाडु के कवलूर में जावदी पहाड़ियों में स्थित है।
    • इस स्थान का चयन समुद्र तल से 750 मीटर की तुंगता के कारण 1960 के दशक में किया गया था, यह स्थान जंगल के बीच में अवस्थित है जो रात्रि के आकाश में अबाधित दृश्यता प्रदान करता है।
  • आर. राजमोहन के नेतृत्व में खगोलविदों ने वेणु बप्पू वेधशाला में स्थित 45-सेमी श्मिट टेलिस्कोप की मदद से “4130 रामानुजन” नाम के क्षुद्रग्रह की खोज की।
  • हालांकि, इस वेधशाला का स्थान आदर्श नहीं है क्योंकि कवलूर को उस क्षेत्र में रखा गया है जो मानसूनी बादलों (जून-सितंबर) के साथ-साथ प्रत्यावर्तित होते पूर्वोत्तर मानसून (नवंबर) दोनों के रास्ते में पड़ता है, जिसके कारण इन समयों में वेधशाला को बंद करना पड़ता है।
    • मानसून या बारिश के बादल ब्रह्मांडीय पिंडों से उत्सर्जित होने वाले विकिरणों को अवशोषित करते हैं जिसके कारण उन्हें टेलीस्कोप से देखने में बाधा उत्पन्न हो सकती है।

हानले अंतरिक्ष वेधशाला

चित्र स्रोत: The Better India

  • लद्दाख में चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य (लेह) के पास हानले में स्थित भारतीय खगोलीय वेधशाला (IAO) को विश्व स्तर पर सबसे आशाजनक वेधशाला स्थलों में से एक कहा जाता है।
  • हानले समुद्र तल से 14,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर स्थित एक छोटा सा गांव है। वेधशाला को सरस्वती पर्वत नामक दिग्पा-रत्सा री में सबसे ऊंची चोटी पर स्थापित किया गया है।
  • इस क्षेत्र के कईं लाभ हैं जैसे कि अधिक साफ़ रातें, न्यूनतम प्रकाश प्रदूषण, पृष्ठभूमि एरोसोल संकेन्द्रण, अत्यंत शुष्क वायुमंडलीय स्थिति और वर्षा बाधा से मुक्त।
  • वेधशाला में एक बहुरंगी डिश है जिसे मेजर एटमॉस्फेरिक चेरेनकोव एक्सपेरिमेंट टेलीस्कोप (MACE) कहा जाता है, जिसे संयुक्त रूप से भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, इलेक्ट्रॉनिक्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और IIA द्वारा बनाया गया था।
    • 21 मीटर के व्यास के साथ डिश, दुनिया में अपनी तरह का दूसरी सबसे बड़ी डिश है और जिसका लक्ष्य चेरेनकोव विकिरण का पता लगाना है।
      • चेरेनकोव विकिरण गामा किरणों, या विकिरण के सबसे ऊर्जावान स्रोतों से उत्सर्जित होने वाला एक विशेष प्रकार का प्रकाश है, जो मर रहे तारों या कई गांगेय घटनाओं के परिणामस्वरूप उत्पन्न हो सकता है।
  • वेधशाला में सात-टेलिस्कोपों का दस्ता भी शामिल है, जिसे HAGAR (हाई एल्टिट्यूड गामा रे) कहा जाता है, जो चेरेनकोव विकिरण का भी अवलोकन करता है।
  • इसके अलावा, उच्चतम स्थान पर अवस्थित वेधशाला हिमालय चंद्र टेलिस्कोप (HCT) है, जो वर्ष 2000 से सक्रिय है।
    • HCT एक ऑप्टिकल-इन्फ्रारेड टेलीस्कोप है जिसमें 2-मीटर व्यास का लेंस होता है जिसे विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम की दृश्य सीमा और अवरक्त स्पेक्ट्रम के नीचे से भी प्रकाश का पता लगाने के लिए डिज़ाइन किया गया है है।
  • दूसरा कैप्सूल जो HCT से नीचे स्थित है वह ग्रोथ-इंडिया टेलीस्कोप है जो IIA और IIT-मुंबई द्वारा बनाया गया 70 सेमी व्यास का टेलिस्कोप है जो विभिन्न ब्रह्मांडीय घटनाओं का पता लगाने और निगरानी करने में मदद करता है।
  • IAO में टेलिस्कोपों को दूर से बेंगलुरु के पास स्थित IIA के सेंटर फॉर रिसर्च एंड एजुकेशन इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी (CREST) से एक उपग्रह लिंक के माध्यम से नियंत्रित किया जाता है।

डार्क स्काई रिजर्व

  • एक डार्क स्काई रिजर्व सार्वजनिक या निजी भूमि होती है जहाँ एक विशिष्ट रात्रि वातावरण और तारों से पूर्ण रातें होती हैं, इन स्थानों को प्रकाश प्रदूषण को रोकने के लिए विकसित किया जाता है।
  • इंटरनेशनल डार्क स्काई एसोसिएशन (IDSA) के अनुसार, डार्क स्काई रिजर्व में आकाश की गुणवत्ता और प्राकृतिक अंधकार के लिए न्यूनतम मानदंड वाला एक मुख्य क्षेत्र और एक परिधीय क्षेत्र जो मुख्य क्षेत्रों में डार्क स्काई रिज़र्व का समर्थन करता है, शामिल होते हैं।
  • डार्क स्काई रिजर्व के प्रमुख उद्देश्य हैं:
    • एक स्थायी और पर्यावरण अनुकूल तरीके से खगोल विज्ञान पर्यटन को बढ़ावा देना।
    • खगोलीय प्रेक्षणों को सुगम बनाना।
    • रात्रिचर प्रजातियों की रक्षा करना जो शिकार और चारे के लिए अंधेरे पर निर्भर हैं।
    • रात्रि के आकाश को लगातार बढ़ते प्रकाश प्रदूषण से बचाने के लिए विभिन्न वैज्ञानिक विधियों का प्रयोग करना।

भारत में डार्क स्काई रिजर्व

  • देश का पहला “डार्क स्काई रिजर्व” लद्दाख के हानले में चांगथांग वन्यजीव अभयारण्य के हिस्से के रूप में अवस्थित होगा।
  • हांनले डार्क स्काई रिजर्व (HDSR) समुद्र तल से 4,500 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित होगा।
  • इस उद्देश्य के लिए, भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान (IIA), लद्दाख स्वायत्त पहाड़ी विकास परिषद (LAHDC) लेह और UT प्रशासन के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए।
  • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग तथा बेंगलुरु में IIA के विशेषज्ञ इस सुविधा को विकसित करने में वैज्ञानिक और तकनीकी सहायता प्रदान करेंगे।
  • हानले वेधशाला के आसपास 22 किलोमीटर के दायरे में, जहां कोर डार्क स्काई रिजर्व स्थापित किया जाएगा, बाहरी प्रकाश व्यवस्था पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे।
    • वाहनों को हाई-बीम हेडलाइट्स का उपयोग करने से प्रतिबंधित किया जाएगा और इस क्षेत्र के घरों में गहरे रंगों के पर्दे का उपयोग करने, प्रकाश परावर्तक शील्ड्स लगाने और सभी अवांछित रोशनी को बंद करने का आग्रह किया जाएगा।
  • डार्क स्काई रिजर्व की स्थापना से एस्ट्रो-पर्यटन को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी जो स्थानीय पर्यटन और क्षेत्र की समग्र अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करेगा।

नट ग्राफ: लद्दाख के हानले में देश के पहले डार्क स्काई रिजर्व की स्थापना ने बहुत महत्व प्राप्त किया है क्योंकि इस सुविधा की स्थापना से हानले में भारतीय खगोलीय वेधशाला की अनुसंधान क्षमताओं में सुधार करने में मदद मिलेगी और अंतरिक्ष-पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।

प्रीलिम्स तथ्य:

  1. नोबेल शांति पुरस्कार

विषय: राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय महत्व की समसामयिक घटनाएं।

प्रारंभिक परीक्षा: नोबेल पुरस्कार 2022

संदर्भ: हाल ही में नोबेल समिति ने वर्ष 2022 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा की।

मुख्य विवरण:

  • 2022 के लिए नोबेल शांति पुरस्कार बेलारूस के मनवाधिकार कार्यकर्ता एलेस बियालियात्स्की, रूसी मानवाधिकार संगठन ‘मेमोरियल’ और यूक्रेन के संगठन ‘सेंटर फॉर सिविल लिबर्टीज़’ को दिया गया है।
  • उन्हें युद्ध अपराधों, मानव अधिकारों के हनन और सत्ता के दुरुपयोग का दस्तावेजीकरण करके सत्ता की आलोचना करने और नागरिकों के मौलिक अधिकारों की रक्षा करने के अधिकार को बढ़ावा देने हेतु शांति पुरस्कार से सम्मानित किया जाता है।
  • यह शांति और लोकतंत्र के लिए नागरिक समाज के महत्व को दर्शाता है।

चित्र स्रोत: The Hindu

  1. भारत के मुख्य न्यायाधीश

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

विषय: भारत के मुख्य न्यायाधीश

प्रारंभिक परीक्षा: भारत का सर्वोच्च न्यायालय

संदर्भ: केंद्र सरकार ने अगले मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति पर CJI की सिफारिश मांगी।

मुख्य विवरण:

  • हाल ही में विधि और न्याय मंत्रालय ने भारत के मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित से उनके उत्तराधिकारी की नियुक्ति के लिए सिफारिश की।
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति पर MoP [मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर] के अनुसार सिफारिश मांगी गई थी।
  • इसके माध्यम से भारत के 50 वें मुख्य न्यायाधीश के लिए नियुक्ति प्रक्रिया शुरू हुई।
  • वरिष्ठता के मानदंड के अनुसार न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ भारत के मुख्य न्यायाधीश बनने की कतार में हैं।
    • द्वितीय न्यायाधीश मामले (1993) में सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि केवल सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश को CJI के पद पर नियुक्त किया जाना चाहिए।

नियुक्ति की प्रक्रिया:

  • ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर ऑफ अपॉइंटमेंट ऑफ सुप्रीम कोर्ट जज’ के अनुसार, यह प्रक्रिया केंद्रीय कानून मंत्री द्वारा अगले मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के बारे में वर्तमान मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश के साथ शुरू होती है।
  • मंत्री को “उचित समय पर” CJI की सिफारिश लेनी होगी। मेमोरेंडम में समय-सीमा को निर्दिष्ट नहीं किया गया है।
  • आमतौर पर कानून मंत्री अपना अनुरोध भेजते हैं और वर्तमान CJI अपनी सेवानिवृत्ति से एक महीने पहले अपनी सिफारिश प्रस्तुत करते हैं।
  • केंद्रीय कानून मंत्री प्रधानमंत्री को सिफारिश भेजता है, जो राष्ट्रपति को इस संदर्भ में सलाह देता है।
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) के तहत की जाती है।
  1. धर्मांतरण के बाद दलितों की अनुसूचित जाति की स्थिति का अध्ययन करने हेतु पैनल का गठन

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

विषय: सामाजिक मुद्दे

प्रारंभिक परीक्षा: महत्वपूर्ण आयोग

संदर्भ: हाल ही में केंद्र सरकार ने धर्मांतरण के बाद दलितों की अनुसूचित जाति की स्थिति का अध्ययन करने के लिए एक जांच आयोग का गठन किया।

मुख्य विवरण:

  • केंद्र सरकार ने सिख धर्म या बौद्ध धर्म के अलावा अन्य धर्मों में धर्मांतरण करने वाले दलितों को अनुसूचित जाति (SC) का दर्जा दिए जाने के संबंध में जाँच हेतु भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के.जी. बालकृष्णन की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच आयोग का गठन किया।
  • तीन सदस्यीय आयोग में यूजीसी की सदस्य प्रोफेसर सुषमा यादव और सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रविंद्र कुमार जैन भी शामिल हैं।
  • न्यायमूर्ति बालकृष्णन द्वारा आयोग का कार्यभार संभालने के साथ आयोग को इस मुद्दे पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए दो साल का समय दिया गया है।
  • आयोग अपनी जांच में उन परिवर्तनों पर गौर करेगा जिनसे एक अनुसूचित जाति का व्यक्ति दूसरे धर्म में परिवर्तित होने के बाद से गुजरता है साथ ही आयोग उन्हें अनुसूचित जाति के रूप में शामिल करने के निहितार्थ पर भी गौर करेगा।
    • इनमें उनकी परंपराओं, रीति-रिवाजों, सामाजिक और भेदभाव के अन्य रूपों तथा धर्मान्तरण के परिणामस्वरूप वे कैसे बदल गए हैं, की जांच करना शामिल होगा।
    • आयोग को इन मौजूदा अनुसूचित जाति समुदायों पर इस तरह के निर्णय के प्रभाव की जांच करने का भी काम सौंपा गया है।
  • हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने 1950 के संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सरकार की स्थिति को स्पष्ट करने को कहा है, जिसमें केवल हिंदू, सिख और बौद्ध धर्मों के सदस्यों को अनुसूचित जाति के रूप में मान्यता देने का प्रावधान है।
    • याचिकाओं में दलित ईसाइयों और दलित मुसलमानों को शामिल करने और अनुसूचित जाति के रूप में शामिल किए जाने के मानदंड के रूप में धर्म को हटाने की मांग की गई है।
    • याचिकाओं में 1955 में काका कालेलकर की अध्यक्षता वाले प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग के बाद के कई स्वतंत्र आयोगों की रिपोर्ट का हवाला दिया गया है, जिसने भारतीय ईसाइयों और भारतीय मुसलमानों के बीच जातिगत भेदभाव के अस्तित्व का दस्तावेजीकरण किया है, तथा यह निष्कर्ष दिया कि दलित हिंदू धर्म को छोड़कर अन्य धर्म में धर्मांतरित होने के बाद भी उसी सामाजिक असमानता का सामना कर रहा है।

चित्र स्त्रोत: The Hindu

संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950:

  • वर्तमान में, 1950 का आदेश केवल हिंदू, सिख या बौद्ध समुदायों से संबंधित लोगों को अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत करने का प्रावधान करता है।
  • अधिनियमित होने के पश्चात इस आदेश ने केवल हिंदू समुदायों को सामाजिक अक्षमताओं और अस्पृश्यता के कारण होने वाले भेदभाव के आधार पर अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत करने की अनुमति दी।
  • अनुसूचित जाति के रूप में सिख समुदायों को शामिल करने के लिए 1956 में और बौद्ध समुदायों को शामिल करने के लिए 1990 में इसमें संशोधन किए गए थे।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. जुआ समवर्ती सूची का एक विषय है, जिसका विनियमन केंद्र और राज्य दोनों सरकारों द्वारा किया जाता है।
  2. तीन पत्ती एक संयोग का खेल (game of chance) है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. दोनों
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है, जुआ भारतीय संविधान की अनुसूची 7 के तहत एक राज्य सूची का विषय है। केवल राज्य विधानमंडल अपने संबंधित राज्यों में जुआ गतिविधियों के लिए कानून बना सकते हैं।
  • कथन 2 सही है, भारत में खेलों की व्यापक रूप से दो मुख्य श्रेणियां है- गेम ऑफ चांस या गेम ऑफ स्किल।
    • गेम ऑफ चांस: गेम ऑफ चांस में वे सभी खेल शामिल होते हैं जो बेतरतीब ढंग से खेले जाते हैं। ये खेल किस्मत पर आधारित हैं। एक व्यक्ति इन खेलों को बिना पूर्व ज्ञान या समझ के खेल सकता है। उदाहरण के लिए, तीन पत्ती, पासे का खेल, एक नंबर चुनना आदि। ऐसे खेलों को भारत में अवैध माना जाता है।
    • गेम ऑफ स्किल: गेम ऑफ स्किल में वे सभी खेल शामिल होते हैं जो किसी व्यक्ति के खेल के पूर्व ज्ञान या अनुभव के आधार पर खेले जाते हैं। इसके लिए एक व्यक्ति को विश्लेषणात्मक निर्णय लेने, तार्किक सोच, क्षमता आदि जैसे कौशल की आवश्यकता होगी। अधिकांश भारतीय राज्यों द्वारा ऐसे खेलों को कानूनी माना जाता है।

प्रश्न 2. बसवन्ना के संबंध में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. बसवन्ना कलचुरी-वंश के राजा बिज्जल प्रथम के शासनकाल के दौरान 12 वीं शताब्दी के दार्शनिक और एक समाज सुधारक थे।
  2. बसवन्ना का अंकित नाम या उपनाम चन्नामल्लिकार्जुन था।
  3. उन्होंने अनुभव मंडप नामक एक सार्वजनिक सभा और समारोह का शुभारंभ किया जिसने जीवन के आध्यात्मिक, आर्थिक और सामाजिक मुद्दों पर खुलकर चर्चा करने के लिए दूर-दराज के विभिन्न पुरुषों और महिलाओं को आकर्षित किया।

विकल्प:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: बसवन्ना कर्नाटक में कलचुरी-वंश के राजा बिज्जल प्रथम के शासनकाल के दौरान 12 वीं शताब्दी के दार्शनिक, राजनेता, कन्नड़ कवि और एक समाज सुधारक थे।
  • कथन 2 गलत है: बसवन्ना की अंकित नाम ‘कुदलसंगमदेव’ है।
  • कथन 3 सही है: बसवन्ना ने अनुभव मंडप की स्थापना की, जो सभी के लिए व्यक्तिगत समस्याओं के साथ-साथ धार्मिक और आध्यात्मिक सिद्धांतों सहित सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्तर की मौजूदा समस्याओं पर चर्चा करने के लिए एक सामान्य मंच था।
    • यह भारत की पहली और सबसे महत्वपूर्ण संसद थी, जहां शरण (Sharanas ) एक साथ बैठेते थे और लोकतांत्रिक व्यवस्था के समाजवादी सिद्धांतों पर चर्चा करते थे।

प्रश्न 3. निम्नलिखित में से किसको एक लघु वनोपज (MFP) के रूप में माना जाता है?

  1. अर्जुन की छाल
  2. बांस
  3. चंदन
  4. तेंदूपत्ता
  5. टसर

विकल्प:

  1. केवल 1 और 4
  2. केवल 2, 3 और 5
  3. केवल 1, 2, 4 और 5
  4. केवल 2, 4 और 5

उत्तर: c

व्याख्या:

  • लघु वनोपज में पौधे से प्राप्त होने वाले सभी गैर-काष्ठ वन उत्पाद शामिल होते हैं और इसमें बांस, बेंत, चारा, पत्ते, गोंद, मोम, रंग, रेजिन और कई प्रकार के खाद्य पदार्थ शामिल हैं जिनमें नट, जंगली फल, शहद, लाख, टसर आदि शामिल हैं।
  • इसमें चंदन शामिल नहीं है

प्रश्न 4. निम्नलिखित द्वीपों को उत्तर से दक्षिण की ओर व्यवस्थित कीजिए:

  1. फ़िजी
  2. न्यू केलेडोनिया
  3. सोलोमन आइलैंड

विकल्प:

  1. 1-2-3
  2. 2-3-1
  3. 3-1-2
  4. 1-3-2

उत्तर: c

व्याख्या:

चित्र स्त्रोत: twinkl.com

प्रश्न 5. भारतीय इतिहास के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः

  1. भारत पर पहला मंगोल आक्रमण जलालुद्दीन खिलजी के शासनकाल में हुआ।
  2. अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल के दौरान, एक मंगोल आक्रमण दिल्ली तक आ पहुंचा और शहर को घेर लिया।
  3. मुहम्मद-बिन-तुगलक मंगोलों के हाथों अपने राज्य के कुछ उत्तर-पश्चिम भाग अस्थायी रूप से हार गया था।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. 1 और 2
  2. केवल 2
  3. 1 और 3
  4. केवल 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है, भारत पर पहला मंगोल आक्रमण सुल्तान शम्स-उद-दीन इल्तुतमिश के शासनकाल में हुआ था।
  • कथन 2 सही है, मंगोलों ने अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल के दौरान आक्रमण किया। मंगोलों ने दिल्ली और आसपास के इलाकों पर हमला किया और लूटपाट की।
  • कथन 3 गलत है, अगला प्रमुख मंगोल आक्रमण तुगलक वंश के आगमन के बाद हुआ। 1327 में तरमाशरीन के अधीन चगताई मंगोलों ने दिल्ली की घेराबंदी की और तुगलक द्वारा उसे एक बड़ी फिरौती का भुगतान करने के बाद इसे हटाया गया। मुहम्मद-बिन-तुगलक मंगोलों के हाथों अपने राज्य के कुछ उत्तर-पश्चिम भाग अस्थायी रूप से हार गया था।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

  1. चेरेनकोव विकिरण क्या है? इसके महत्व और संभावित अनुप्रयोग को स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र III-विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी)
  2. डॉ. बी.आर. अम्बेडकर द्वारा बौद्ध धर्म को अत्यधिक बढ़ावा देने के बावजूद यह अभी भी भारत में सबसे छोटे अल्पसंख्यक समूहों में से एक है। इसके पीछे के संभावित कारणों की पहचान कीजिए । (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र I-भारतीय समाज )