09 जुलाई 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
पर्यावरण:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
अंतरराष्ट्रीय संबंध
इजराइल और ईरान के बीच शैडो वॉर
विषय: विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव
मुख्य परीक्षा: पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक घटनाक्रम और ईरान-इजरायल संबंधों का विकास
संदर्भ
इस आलेख में इजरायल और ईरान के बीच संबंधों के विकास के बारे में बात की गई है।
ऐतिहासिक अवलोकन
- 1977 में, ईरान के शाह मोहम्मद रज़ा पहलवी ने अपने उप युद्ध एवं आयुध मंत्री को इज़राइल की नवगठित सरकार के साथ चर्चा करने के लिए इज़राइल भेजा।
- उप मंत्री को यह सुनिश्चित करने का कार्य सौंपा गया था कि इज़राइल में सरकार के परिवर्तन से उन समझौतों पर असर नहीं पड़ेगा जिन पर पहले हस्ताक्षर किए गए थे।
- इससे पहले, ईरान के शाह ने पिछली सरकार के साथ ‘हथियारों के लिए तेल’ वाले 6 अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे।
- इसमें एक अनुबंध, कोड-नाम ‘फ्लावर’ शामिल है, जिसमें कहा गया था कि इज़राइल अपनी उन्नत सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों में बदलाव करेगा और उन्हें ईरान को बेचेगा।
- दोनों देशों के नेता एक सैन्य सह-उत्पादन लाइन बनाने के लिए सहमत हुए जिसमें इजराइल को तकनीकी जानकारी साझा करनी थी और ईरान धन और परीक्षण स्थल प्रदान करेगा।
- इसके अलावा, इज़राइल ने ईरान को सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई, जिसकी मारक क्षमता 700 किलोमीटर थी और जो परमाणु हथियार ले जा सकती थी।
पश्चिम एशियाई भू-राजनीति और ईरान-इज़राइल संबंधों में परिवर्तन
- 1979 में हुई इस्लामी क्रांति या ईरानी क्रांति ने मोहम्मद रज़ा पहलवी के शासन वाली पश्चिमी समर्थक पहलवी वंश को उखाड़ फेंका।
- इस क्रांति ने पूरे पश्चिम एशिया में भू-राजनीति की गतिशीलता को बदल दिया।
- इस क्रांति ने ईरान (जो संसाधनों, भूगोल और जनसंख्या के मामले में इस क्षेत्र की प्रमुख शक्तियों में से एक है) को एक बार अमेरिका का दुश्मन बना दिया।
- इस शिया क्रांति से खाड़ी क्षेत्र में सुन्नी बहुल राजतंत्रों के लिए भू-राजनीतिक और वैचारिक चुनौतियों उत्पन्न हुई।
- इस क्रांति से ईरान-इज़राइल संबंध भी टूट गए और इज़राइल जो इस क्षेत्र में एकमात्र परमाणु शक्ति था, के सामने अब ईरान के रूप में एक नया चुनौती था।
ऑक्टोपस सिद्धांत
- इज़राइल ने ईरान के अंदर गुप्त अभियान चलाया जो ईरान के परमाणु और मिसाइल कार्यक्रमों को लक्षित करता था और इसे इजरायल के पूर्व प्रधान मंत्री द्वारा “ऑक्टोपस सिद्धांत” कहा गया था।
- ऑक्टोपस सिद्धांत: ऑक्टोपस के सिर पर प्रहार करता है, न कि केवल उसके स्पर्शक पर।
- ईरान ने ड्रोन हमलों के साथ जवाबी कार्रवाई की, जिसमें उत्तरी इराक में इजरायली ऑपरेटिव द्वारा इस्तेमाल किए गए एक परिसर को निशाना बनाया गया।
- इसके अलावा, इज़राइल ने हवाई हमलों का सहारा लिया एवं सीरिया में ईरानी आपूर्ति और प्रॉक्सी को लक्षित किया तथा उन देशों के बीच नौसैनिक संघर्ष भी होता है, जहां उनसे जुड़े जहाजों पर खाड़ी, अरब और भूमध्य सागर में एक दूसरे द्वारा हमला किया गया है।
- ईरान विरोधी धुरी (यू.एस., इज़राइल और खाड़ी के राज्य) का मानना है कि ईरान के परमाणु कार्यक्रम ईरान को परमाणु क्षमता हासिल करने में मदद करेंगे, जिसमें उस क्षेत्र में शक्ति संतुलन को बदलने की क्षमता है जो वर्तमान में इज़राइल की ओर झुका हुआ है।
संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) से जुड़ी राजनीति
- अमेरिकी प्रशासन ने अन्य P5 सदस्यों और जर्मनी के साथ 2015 में ईरान के साथ संयुक्त व्यापक कार्य योजना (JCPOA) परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किए।
- इस कार्रवाई ने व्यावहारिक रूप से परमाणु क्षमता की ओर ईरान के रास्ते को काट दिया।
- हालाँकि, इज़राइल और अन्य खाड़ी देशों ने JCPOA पर नाराजगी व्यक्त की क्योंकि इसमें ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम को प्रतिबंधित करने के लिए आर्थिक रिवॉर्ड देने का वादा किया गया था।
- इज़राइल ने महसूस किया कि इससे ईरान को पश्चिम एशिया में एक गैर-परमाणु पारंपरिक शक्ति बनने में मदद मिल सकती है।
- इज़राइल ने क्षेत्रीय शक्ति के रूप में ईरान के उदय को सीमित करने की मांग की।
- 2018 में, अमेरिकी प्रशासन ने JCPOA सौदे से बाहर निकलने का फैसला किया और ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगा दिए।
- इस कदम के माध्यम से, अमेरिका ईरान पर हथियार कार्यक्रमों और क्षेत्रीय सक्रियता पर रियायतें स्वीकार करने का दबाव बनाना चाहता था।
- हालाँकि, ईरान ने सऊदी अरब और खाड़ी के जल क्षेत्र में हमले करके, यमन में हौथी विद्रोहियों को अपना समर्थन बढ़ाकर और उच्च शुद्धता के लिए बड़ी मात्रा में यूरेनियम को समृद्ध करने और उन्नत सेंट्रीफ्यूज विकसित करके अमेरिकी दबाव के खिलाफ प्रतिरोध दिखाया।
- हाल के दिनों में JCPOA सौदे को पुनर्जीवित करने का प्रयास किया गया है, लेकिन गतिरोध अभी तक हल नहीं हुआ है क्योंकि ईरान अमेरिका से “गारंटी” चाहता है कि वह अपने वादों से फिर से पीछे नहीं हटेगा।
विभिन्न हितधारकों की मांग
- ईरान: अपनी 2015 की प्रतिबद्धताओं पर वापस लौटने के लिए देश पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने की मांग क्योंकि वह अपने घरेलू आर्थिक संकट को हल करना चाहता है।
- अमेरिका: वार्ता के माध्यम से ईरान के परमाणु क्षमता संवर्धन कार्यक्रम को सीमित करना चाहता है, तथा यह एक “मजबूत एवं दीर्घकालीन” सौदा भी चाहता है जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम और क्षेत्र में इसकी “अस्थिर करने वाली” गतिविधियों का समाधान प्रदान करेगा।
- इजराइल: यह ईरान की परमाणु क्षमताओं को प्रतिबंधित करना चाहता है, इसके सैन्य कार्यक्रमों को कमजोर करना चाहता है, ईरान के खिलाफ एक मजबूत क्षेत्र-व्यापी प्रतिरक्षा विकसित करना और इसके उदय को रोकना चाहता है।
भावी कदम
- इज़राइल ने एक बहु-दिशात्मक दृष्टिकोण का पालन किया है जिसमें ईरान के साथ शैडो वॉर को बढ़ाना और अन्य खाड़ी देशों के साथ मजबूत सुरक्षा साझेदारी की मांग करना शामिल है जो पूर्ण पैमाने पर युद्ध के मामले में इज़राइल के लिए सहायक होगा।
- इस दृष्टिकोण से इज़राइल को इस क्षेत्र में एक नए सुरक्षा प्रदाता के रूप में अपनी भूमिका को आगे बढ़ाने में मदद मिली है क्योंकि पश्चिमी शक्तियां यूरोप और इंडो-पैसिफिक में अपनी प्राथमिकताओं में व्यस्त हैं।
- हालाँकि, इज़राइल के ये प्रयास ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने से नहीं रोक पाए हैं और अब यह ग्रेड स्तर के हथियार और उन्नत सेंट्रीफ्यूज विकसित करने के करीब है।
सारांश: पश्चिम एशिया की भू-राजनीति में परिवर्तन ने ईरान और इज़राइल के बीच संबंधों को शत्रुतापूर्ण बना दिया है जिनके बीच कभी साझा मैत्रीपूर्ण संबंध थे। दोनों देशों के बीच चल रहे शैडो वॉर का क्षेत्र की शांति और स्थिरता पर गंभीर परिणाम होगा यदि यह समानुपात से बाहर हो जाता है।
संपादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण:
एक योजना जो केवल वृक्ष लगाने से कहीं अधिक है
विषय: संरक्षण।
मुख्य परीक्षा: भारत में किए गए वन परिदृश्य बहाली और वनीकरण उपायों का महत्व
संदर्भ:
- इस आलेख में वन परिदृश्य बहाली रणनीति और इसके महत्व पर चर्चा की गई है।
पृष्ठभूमि
- अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के अनुसार, वनोन्मूलन और वन क्षरण वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन के लगभग 12% हेतु उत्तरदायी है।
- ग्लोबल फॉरेस्ट वॉच के अनुसार, 2002 से 2021 के बीच भारत में आर्द्र प्राथमिक वन का कुल क्षेत्रफल 3.6% कम हो गया था।
वन परिदृश्य बहाली दृष्टिकोण
- परंपरागत रूप से, विभिन्न संगठन और सरकारें रिक्त भूमि पर वृक्ष उगाने के लिए वनीकरण और पुनर्वनीकरण उपायों पर बहुत अधिक निर्भर हैं।
- हालाँकि, इन उपायों में बदलाव आया है, अब वन परिदृश्य बहाली रणनीतियों पर जोर दिया जा रहा है।
- वन परिदृश्य बहाली पारिस्थितिक कार्यक्षमता को पुनर्प्राप्त करने और वनोन्मूलन या अवक्रमित वन परिदृश्य में मानव कल्याण को बढ़ाने की एक प्रक्रिया है।
- यह भूमि के विभिन्न उपयोगों तथा लोगों की छोटी और लंबी अवधि की आवश्यकताओं को पूरा करता है।
वन परिदृश्य बहाली दृष्टिकोण का महत्व
- इस दृष्टिकोण में भूदृश्य के उन्नयन के लिए पारस्परिक रूप से लाभप्रद हस्तक्षेपों को डिजाइन करने और निष्पादित करने की प्रक्रिया में स्थानीय समुदायों की भागीदारी शामिल है।
- दुनिया में दो अरब हेक्टेयर से अधिक और भारत में लगभग 14 करोड़ हेक्टेयर निम्नीकृत भूमि को वन भूमि के रूप में बहाल किया जा सकता है।
- यह दृष्टिकोण यह भी सुनिश्चित करता है कि प्रजातियों की विविधता को बनाए रखा जाए क्योंकि प्राकृतिक वनों में विविध देशी वृक्षों की प्रजातियां होती हैं।
- चूंकि इसमें विविध प्रकार के वृक्षों की प्रजातियां अधिक होती हैं, इसलिए यह दृष्टिकोण ऐसे वन निर्मित करने में सहायक होता है जो कार्बन पृथक्करण में अधिक कुशल होते हैं।
- इसके अलावा, विविध प्रजातियां स्थानीय समुदायों और उनकी आजीविका के लिए भी लाभदायक हैं क्योंकि अध्ययनों से पता चलता है कि वन वृक्षारोपण में विविध प्रजातियों का वनों की गुणवत्ता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- उदाहरण: पंजाब में, झंड, देसी किकर और फरवान जैसी स्थानीय प्रजातियों को बड़े पैमाने पर लगाया जाता है जो कि स्थानीय परिस्थितियों के अनुकूल और लोचशील होती हैं।
वृक्षारोपण के लाभ
- वृक्षारोपण के कई पर्यावरणीय और पारिस्थितिकी लाभ हैं क्योंकि ये कार्बन पृथक्करण और जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
- वन प्रत्येक वर्ष लगभग 2.6 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने में सहायक होते हैं।
- वैश्विक स्तर पर कई जीवन और आजीविका भी वनों पर निर्भर हैं।
- वन स्थानीय समुदायों के लिए आजीविका के स्रोत के रूप में कार्य करते हैं और इस प्रकार विभिन्न वस्तुओं और सेवाओं के लिए संसाधन आधार के रूप में कार्य करते हैं।
- विश्व संसाधन संस्थान के एक अध्ययन से पता चलता है कि वन पारिस्थितिकी तंत्र मृदा की उर्वरता, जल की उपलब्धता में सुधार करते हैं और अपरदन को रोकते हैं जिससे कृषि उत्पादकता में सुधार होता है तथा ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ़ होती है।
- इसके अलावा, वन पोषण आहार और आय के नवीन स्रोत प्रदान करके खाद्य सुरक्षा और महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारत में की गई पहल
- वन महोत्सव दिवस – यह प्रत्येक वर्ष जुलाई के महीने में मनाया जाने वाला एक अखिल भारतीय वृक्षारोपण उत्सव है।
- बॉन चैलेंज – इसे 2030 तक 350 मिलियन हेक्टेयर निम्नीकृत भूमि को बहाल करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था और भारत 2015 में बॉन चैलेंज में शामिल हुआ तथा 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर निम्नीकृत और वनहीन भूमि को बहाल करने के प्रति संकल्प लिया।
- प्रतिपूरक वनीकरण– इसमें गैर वन भूमि या निम्नीकृत वन भूमि की पहचान, कार्य अनुसूची, वृक्षारोपण की लागत संरचना, धन का प्रावधान, धन का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए तंत्र और निगरानी तंत्र आदि शामिल हैं।
- राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम – यह एक प्रमुख वनरोपण योजना है। इसे 2000 में जन-भागीदारी और विकेन्द्रीकृत वन शासन के साथ चिन्हित निम्नीकृत वन क्षेत्रों में वनीकरण हेतु शुरू किया गया था।
- हरित भारत के लिए राष्ट्रीय मिशन (ग्रीन इंडिया मिशन) – इस मिशन की शुरुआत 2014 में की गई थी और इसका उद्देश्य भारत के घटते वन आवरण की रक्षा, पुनर्स्थापना और वृद्धि करना है। यह मिशन जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना की छत्र योजना के अंतर्गत आता है
- नगर वन योजना – यह योजना शहरी वानिकी पर जोर देती है और पूरे देश में लगभग 200 शहरी वन विकसित किए जाने हैं।
- वन अग्नि निवारण और प्रबंधन योजना – यह केंद्र द्वारा वित्त पोषित एकमात्र कार्यक्रम है जो विशेष रूप से वनाग्नि से निपटने में राज्यों की सहायता के लिए समर्पित है।
- हरित कौशल विकास कार्यक्रम – यह पहल उन युवाओं की मदद करती है जो पर्यावरण और वन क्षेत्रों में रोजगार प्राप्त करने की इच्छा रखते हैं।
- तेलंगाना सरकार की हरिता हरम – इसे 2015 में लॉन्च किया गया था और यह तेलंगाना सरकार का एक बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण कार्यक्रम है।
भावी कदम
- वन परिदृश्य बहाली के लाभों को ध्यान में रखते हुए इसे व्यापक रूप से लागू किया जाना चाहिए।
- सभी हितधारकों जैसे समुदायों, सरकारों और भूमि मालिकों के बीच वृक्षारोपण अभियान में सक्रिय भागीदारी और समन्वयन की आवश्यकता है।
- प्राकृतिक वन पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली, पुनरुद्धार और सुदृढ़ीकरण पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।
- ऐसे समुदाय जो वन पारिस्थितिकी प्रणालियों पर अत्यधिक निर्भर हैं और जलवायु परिवर्तन के प्रति संवेदनशील हैं, उन्हें संरक्षित किया जाना चाहिए।
सारांश: जैसा कि दुनिया भर के देशों को भूमि क्षरण के परिणामों से निपटने के लिए विभिन्न वनीकरण रणनीति को अपनाते हुए देखा जाता है, इसलिए वन परिदृश्य बहाली दृष्टिकोण को अपनाया जाना चाहिए क्योंकि यह वन पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करता है और यह सुनिश्चित करता है कि ये टिकाऊ और सतत हैं।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण:
बढ़ते तापमान को कम करना
विषय: पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण।
मुख्य परीक्षा: भारत में बढ़ते तापमान और उसके परिणामों के बारे में विवरण
संदर्भ
- सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (CSE) द्वारा पिछले 50 वर्षों में मौसम की स्थिति के विश्लेषण से पता चलता है कि मानसून के महीनों (जून-सितंबर) के दौरान अखिल भारतीय औसत तापमान गर्मियों के महीनों (मार्च-मई) की तुलना में अधिक होता है।
इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए 08 जुलाई 2022 के विस्तृत समाचार विश्लेषण का अध्ययन करें।
प्रीलिम्स तथ्य:
1. पोलावरम बांध:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
भूगोल:
विषय: जल संसाधन।
प्रारंभिक परीक्षा: पोलावरम बांध।
संदर्भ:
- महाराष्ट्र में भारी बारिश के कारण पोलावरम सिंचाई परियोजना में बाढ़ के पानी का प्रवाह बढ़ गया है।
पोलावरम बाँध
- यह आंध्र प्रदेश में गोदावरी नदी पर निर्मित एक बहुउद्देश्यीय सिंचाई परियोजना है।
- यह परियोजना आंध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी, विशाखापत्तनम, पश्चिम गोदावरी और कृष्णा जिलों में सिंचाई, जल विद्युत और पेयजल सुविधाओं के विकास में सहायक है।
- पापिकोंडा राष्ट्रीय उद्यान इस जलाशय के अंतर्गत आता है।
- पोलावरम सिंचाई परियोजना को केंद्र सरकार द्वारा “राष्ट्रीय परियोजना” का दर्जा दिया गया है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1.रक्षा निर्यात ₹13,000 करोड़ तक पहुंचा:
- 2021-22 के लिए भारत का रक्षा निर्यात ₹13,000 करोड़ तक पहुंच गया जो अब तक का सबसे अधिक है। भारत से आयात करने वाले प्रमुख देशों में अमेरिका, दक्षिण पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका के देश शामिल हैं।
- कुल निर्यात में निजी क्षेत्र की हिस्सेदारी लगभग 70% और सार्वजनिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 30% थी।
- जनवरी 2022 में, भारत ने ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल के तट-आधारित एंटी-शिप संस्करण की तीन बैटरियों की आपूर्ति हेतु फिलीपींस के साथ $ 374.96 मिलियन के समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह भारत का अब तक का सबसे बड़ा रक्षा निर्यात ऑर्डर है।
2. G-20 बैठक में रूस पर मतभेद के मुद्दे हावी
- G-20 विश्व के 20 सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियों का एक समूह है जिसमें अमेरिका, रूस, यूरोपीय संघ, भारत, इंडोनेशिया और जापान शामिल हैं।
- इस बैठक में अनिवार्य रूप से वैश्विक आर्थिक मामलों पर चर्चा की जाती है, लेकिन बाली में नवीनतम विदेश मंत्रियों की बैठक में पश्चिमी देशों द्वारा रूस की आलोचना के मुद्दे हावी थे।
- यद्यपि पश्चिमी देशों ने “वैश्विक खाद्य असुरक्षा” के लिए रूस को दोषी ठहराया, लेकिन रूस ने संयुक्त राज्य अमेरिका पर यूरोप और अन्य देशों को सस्ते ऊर्जा स्रोतों को त्यागकर और अधिक महंगे ऊर्जा स्रोतों को अपनाने हेतु मजबूर करने का आरोप लगाया।
- बैठक में इस मुद्दे पर इसलिए चर्चा की गई क्योंकि भारत पश्चिमी देशों के दबाव की परवाह किए बिना रूसी कच्चे तेल के अपने आयात में वृद्धि जारी रखे हुए है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- राष्ट्रीय महत्व का स्मारक नामित करने की घोषणा, राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण द्वारा की जाती है।
- राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की सबसे अधिक संख्या कर्नाटक में है, इसके बाद तमिलनाडु राज्य का स्थान है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर:
विकल्प d
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा “राष्ट्रीय महत्व के स्मारक” को नामित किया जाता है।
- कथन 2 सही नहीं है, राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों की संख्या सबसे अधिक उत्तर प्रदेश में है, इसके बाद क्रमशः कर्नाटक और तमिलनाडु का स्थान है।
प्रश्न 2. किसान क्रेडिट कार्ड योजना के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए।
- यह योजना वर्ष 2016 में शुरू की गई थी।
- इस योजना के तहत क्रेडिट न केवल फसलों की खेती हेतु ऋण आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रदान किए जाते हैं, अपितु इससे किसान परिवारों के उपभोग व्यय की भी पूर्ति हो सकती है।
- इस योजना के तहत पट्टेदार किसान, मौखिक पट्टेदार और बटाईदार भी पात्र हैं।
निम्नलिखित कथनों में से कौन से सही हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर:
विकल्प b
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है, नाबार्ड द्वारा तैयार की गई एक मॉडल योजना के आधार पर 1998 में किसान क्रेडिट योजना (KCC) शुरू की गई थी।
- कथन 2 सही है, इसमें फसल के बाद के व्यय, खपत की आवश्यकताएं, कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए ऋण आवश्यकताओं में निवेश को भी शामिल किया गया है।
- कथन 3 सही है, व्यक्तिगत किसान जो मालिक/किसान, बटाईदार, काश्तकार किसान, बटाईदारों के स्वयं सहायता समूह, किसान, काश्तकार किसान हैं। सभी इस योजना के तहत पात्र हैं।
प्रश्न 3. वेक्टर जनित रोग और उनके संबंधित वाहकों के निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए।
रोग वाहक
- लसीका फाइलेरिया मच्छर
- जापानी एन्सेफलाइटिस किलनी (Tick)
- कालाजार बालू मक्खी (सैंड फ्लाई)
उपर्युक्त युग्मों में से कौन से सुमेलित हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर:
विकल्प c
व्याख्या:
- युग्म 1 सही है, लसीका फाइलेरिया जिसे आमतौर पर एलिफेंटिएसिस के रूप में जाना जाता है, संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है।
- युग्म 2 सही नहीं है, जापानी इंसेफेलाइटिस एक वायरल मस्तिष्क संक्रमण है और यह मच्छरों के काटने से फैलता है।
- युग्म 3 सही है, कालाजार (काला ज्वर) मादा फेलोबोटोमाइन सैंडफ्लाई के काटने से फैलता है।
प्रश्न 4.निम्नलिखित में से कौन हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति की विशेषताएं हैं?
- विभिन्न हाइड्रोकार्बन के लिए अलग लाइसेंस
- उत्पादन साझाकरण अनुबंध (PSC)
- रॉयल्टी दरों की एक वर्गीकृत प्रणाली
- खुला रकबा लाइसेंसिंग (OAL)
- विपणन और मूल्य निर्धारण की स्वतंत्रता
विकल्प:
- 1, 4 और 5
- 1, 3 और 4
- 3, 4 और 5
- 2, 3 और 5
उत्तर:
विकल्प c
व्याख्या:
- हाइड्रोकार्बन अन्वेषण और लाइसेंसिंग नीति की विशेषताओं में निम्नलिखित शामिल हैं:
- सभी हाइड्रोकार्बन के अन्वेषण, उत्पादन और उसके बाद के विपणन के लिए एकल लाइसेंसिंग प्रारूप।
- अन्वेषण ब्लॉक देने के लिए खुली रकबा नीति।
- कम रॉयल्टी दरों की वर्गीकृत प्रणाली
- एक राजस्व साझाकरण मॉडल प्रदान करता है
- सुगम राजस्व बंटवारे का मॉडल जिसे प्रशासित करना भी आसान हो।
- इस तरह के अन्वेषण से उत्पादित हाइड्रोकार्बन पर मूल्य निर्धारण और विपणन में सरकारी विनियमन से मुक्ति।
PYQ (2019)
प्रश्न 5. जून की 21वीं तारीख को सूर्य
- उत्तर ध्रुवीय वृत्त पर क्षितिज के नीचे नहीं डूबता है।
- दक्षिण ध्रुवीय वृत्त पर क्षितिज के नीचे नहीं डूबता है।
- मध्यान्ह में भूमध्य रेखा पर ऊर्ध्वाधर रूप से व्योमस्थ चमकता है।
- मकर-रेखा पर ऊर्ध्वाधर रूप से व्योमस्थ चमकता है।
उत्तर:
विकल्प a
व्याख्या:
- 21 जून (ग्रीष्म संक्रांति) पर, उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर झुका हुआ होता है।
- सूर्य की किरणें सीधे कर्क रेखा पर पड़ती हैं। परिणामस्वरूप, इन क्षेत्रों में अधिक ऊष्मा प्राप्त होती है।
- इसके अलावा, सूर्य उत्तर ध्रुवीय वृत्त पर क्षितिज के नीचे नहीं डूबता है और उत्तर ध्रुवीय वृत्त से परे के स्थान में लगातार दिन का उजाला रहता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
- पिछले कुछ वर्षों में भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ाने में किन कारकों की भूमिका महत्वपूर्ण रही है? साथ ही उन बाधाओं का भी उल्लेख कीजिए, जो अभी भी बनी हुई हैं।
(250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र III – अर्थव्यवस्था)
- पर्यावरण की कीमत पर किया गया विकास एक हानिकारक समझौता है। भारत में विभिन्न नगरीय ऊष्मा द्वीपों (Urban Heat Islands) के उद्भव के संदर्भ में विस्तृत चर्चा कीजिए।
(250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र III – पर्यावरण)