09 अक्टूबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: भूगोल
B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आंतरिक सुरक्षा:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी :
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
निर्वाचन प्रतीक
विषय: चुनाव आयोग और राजनीतिक दल
मुख्य परीक्षा: चुनाव आयोग की शक्तियां
संदर्भ:
- हाल ही में भारतीय चुनाव आयोग (EC) ने शिवसेना के दो गुटों द्वारा दल के निर्वाचन प्रतीक और नाम के उपयोग को लेकर एक अंतरिम आदेश दिया है।
भूमिका:
- भारतीय चुनाव आयोग ने निर्णय किया है कि शिवसेना के विभाजित दो गुटों को आगामी 3 नवंबर को होने वाले उपचुनाव में और जब तक कि उनके बीच विवाद पर अंतिम आदेश पारित नहीं हो जाता तब तक दल के नाम और उसके निर्वाचन प्रतीक का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
- अंतरिम आदेश में, चुनाव आयोग ने कहा कि दोनों समूहों को मौजूदा उपचुनाव के लिए उनकी पसंद के अलग-अलग नामों से जाना जाएगा और चुनाव आयोग द्वारा अधिसूचित मुक्त निर्वाचन प्रतीकों की सूची से वैकल्पिक प्रतीक आवंटित किए जाएंगे।
पृष्ठभूमि:
- शिवसेना में हालिया विभाजन के बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले खेमे और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे समूह के बीच निर्वाचन प्रतीक “धनुष और तीर” और पार्टी के नाम को लेकर गुटबाजी चल रही है।
- चुनाव आयोग द्वारा यह आदेश निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आबंटन) आदेश, 1968 के तहत आधिकारिक शिवसेना के रूप में अपने गुट को मान्यता के लिए महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे समूह द्वारा दायर एक याचिका पर पारित किया गया है।
निर्वाचन प्रतीक क्या है?
- निर्वाचन प्रतीक एक राजनीतिक दल को आवंटित एक मानकीकृत प्रतीक है।
- इनका उपयोग राजनीतिक दलों द्वारा अपने प्रचार अभियान के दौरान किया जाता है और यह प्रतीक इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) पर बना होता है, जिसको देखकर मतदाता संबंधित पार्टी को वोट देता है।
- जब किसी प्रमुख पार्टी में टूट होती है, तो प्रायः निर्वाचन प्रतीक को लेकर संघर्ष होता है, क्योंकि प्रतीक उस दल की पहचान का प्रतीक और मतदाताओं के साथ उसके मौलिक संबंध को दर्शाता है।
चुनाव आयोग किस प्रकार यह तय करता है कि निर्वाचन प्रतीक किसे मिलेगा?
- निर्वाचन प्रतीक (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 चुनाव आयोग को राजनीतिक दलों को मान्यता देने और निर्वाचन प्रतीक आवंटित करने का अधिकार देता है।
- वर्ष 1968 से पहले, चुनाव आयोग निर्वाचनों का संचालन नियम, 1961 के तहत अधिसूचना और कार्यकारी आदेश जारी करता था।
- आदेश के पैरा 15 के तहत, चुनाव आयोग दल के नाम और प्रतीक पर दावा करने वाले किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के प्रतिद्वंद्वी वर्गों के बीच विवादों का फैसला कर सकता है।
- आदेश के तहत विवाद या विलय के मुद्दों का फैसला करने के लिये निर्वाचन आयोग एकमात्र प्राधिकरण है। सर्वोच्च न्यायालय (SC) ने वर्ष 1971 में सादिक अली और अन्य बनाम भारतीय चुनाव आयोग मामले में इसकी वैधता को बरकरार रखा था।
- चुनाव आयोग मामले के सभी उपलब्ध तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए और गुटों के प्रतिनिधियों की सुनवाई के बाद अपना फैसला देता है और आयोग का निर्णय ऐसे सभी प्रतिद्वंद्वी वर्गों या समूहों पर बाध्यकारी होता है।
- ECI मुख्य रूप से एक राजनीतिक दल के भीतर अपने संगठनात्मक इकाई और उसके विधायी इकाई में दावेदार द्वारा प्राप्त समर्थन का पता लगाता है।
- यह मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और राज्य दलों के बीच विवादों पर लागू होता है।
- पंजीकृत लेकिन गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों में विभाजन के लिये चुनाव आयोग आमतौर पर युद्धरत गुटों को अपने मतभेदों को आंतरिक रूप से हल करने या अदालत जाने की सलाह देता है।
- पार्टी से अलग हुए समूह – उस समूह के अलावा जिसे पार्टी का प्रतीक मिला है – को स्वयं को एक अलग पार्टी के रूप में पंजीकरण कराना होता है और पंजीकरण के बाद ही वह राज्य या संघ चुनावों में प्रदर्शन के आधार पर राष्ट्रीय या राज्य पार्टी के दर्जे हेतु दावा कर सकता है।
- निर्वाचन आयोग के पास दलों के विलय को एक इकाई दल के रूप में मान्यता देने का भी अधिकार है। यह मूल पार्टी के प्रतीक और नाम को पुनर्स्थापित कर सकता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
आंतरिक सुरक्षा:
बांग्लादेश के प्रवासी
विषय: सीमावर्ती क्षेत्रों में सुरक्षा चुनौतियाँ एवं उनका प्रबंधन
मुख्य परीक्षा: बांग्लादेश से अवैध प्रवास का मुद्दा
संदर्भ:
- सीमा सुरक्षा बल (BSF) के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि 5 अक्टूबर 2022 तक बांग्लादेश के 287 प्रवासियों को बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड को सौंप दिया गया था।
मुद्दा:
- BSF के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर के आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 में, 5 अक्टूबर तक इस विंग ने 287 व्यक्तियों को वापस लौटाया था, जिसमें 146 पुरुष, 102 महिलाएं, 38 बच्चे और एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति शामिल थे।
- जेलों में कैदियों की अधिक संख्या जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती है, के कारण कई मामलों में BSF सीमा पार करने वालों को गिरफ्तार नहीं कर रही है बल्कि उन्हें बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश को सौंप रही है, जिसे “मानवता और सद्भावना के भाव” के रूप में देखा जाता है।
- केवल वे लोग जो नशीले पदार्थों, कफ सिरप, नकली मुद्रा, सोना और अन्य निषिद्ध वस्तुओं की तस्करी में शामिल नहीं हैं, को ही बांग्लादेश के बॉर्डर गार्ड को सौंपा जाता है।
आंकड़े क्या दर्शाते हैं:
- BSF के दक्षिण बंगाल फ्रंटियर द्वारा प्रत्येक वर्ष अवैध रूप से सीमा पार करने वाले हजारों लोगों को पकड़ा जाता है।
- यह विंग भारत-बांग्लादेश सीमा पर 913.324 किलोमीटर की सुरक्षा करता है, जो पूरे पूर्वी क्षेत्र में भारत की सीमाओं का सबसे संवेदनशील क्षेत्र है।
- सीमा का 40% से अधिक भाग नदी के अंतर्गत आता है, जहाँ नदियाँ दोनों देशों के बीच सीमाओं का काम करती हैं।
- भारतीय कारागार सांख्यिकी (PSI), 2021 की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि देश के सुधार गृहों में बंद 5,565 विदेशी कैदियों में से 1,746 (31%) कैदी अकेले पश्चिम बंगाल में हैं।
- रिपोर्ट के अनुसार, पश्चिम बंगाल की जेलों में सबसे ज्यादा विदेशी कैदी (30.5% या 329 व्यक्ति) बंद हैं। यहाँ विचाराधीन विदेशी कैदियों की संख्या भी सबसे अधिक (28.4% या 1,179 व्यक्ति) है।
- रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया गया है कि विदेशी कैदियों में, बांग्लादेशी नागरिक सभी विदेशी कैदियों का 40.5% हैं।
- इससे पता चलता है कि अधिकांश विदेशी नागरिकों को अवैध रूप से सीमा पार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
- 2021 में, दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने 2,036 बांग्लादेशियों और 860 भारतीयों को अवैध रूप से सीमा पार करने के लिए गिरफ्तार किया था।
- राज्य के सुधार गृहों के अधिकारियों के अनुसार, दोषियों और विचाराधीन कैदियों के अलावा, कई बांग्लादेशी नागरिक ऐसे हैं जिन्होंने अपना समय पूरा कर लिया है लेकिन दोनों देशों की लंबी निर्वासन प्रक्रियाओं के कारण अभी भी जेलों में बंद हैं।
- PSI के अनुसार, पश्चिम बंगाल में जेल अधिभोग दर (prison occupancy rate) 120 है।
- जनता की धारणा के विपरीत अधिक गिरफ्तारियां की जाती हैं, जबकि बांग्लादेशी नागरिक भारत से बांग्लादेश की ओर जा रहे हैं।
सामान्य प्रक्रिया:
- अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों का पता लगाने और उनके निर्वासन तथा तस्करी के पीड़ितों के प्रत्यावर्तन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया मौजूद है।
- जो लोग बांग्लादेश से अवैध रूप से भारत में प्रवेश करते हैं, उन्हें बीएसएफ/राज्य/संघ राज्य क्षेत्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है और कई वर्षों तक जेल में बंद रखा जाता है।
- उनके विरुद्ध कानूनी कार्रवाई पूरी होने के बाद उन्हें बांग्लादेश भेज दिया जाता है।
- तस्करी से मुक्त कराए गए पीड़ितों के मामले में, पीड़ितों का राष्ट्रीयता सत्यापन किया जाता है और यात्रा दस्तावेज प्राप्त होने पर, उन्हें एक गैर-सरकारी संगठन की उपस्थिति में स्वदेश भेजा जाता है।
- केंद्र सरकार के पास विदेशी अधिनियम, 1946 की धारा 3 (2) (c) के तहत अवैध रूप से देश में रह रहे किसी विदेशी नागरिक को निर्वासित करने की शक्ति है।
- अवैध रूप से रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान करने और उन्हें निर्वासित करने की ये शक्तियाँ राज्य सरकार/संघ राज्य क्षेत्र प्रशासनों को भी प्रत्यायोजित की गई हैं।
- तस्करी की रोकथाम और बचाए गए पीड़ितों के प्रत्यावर्तन से संबंधित मुद्दों के लिए, 2009 से भारत और बांग्लादेश के बीच एक टास्क फोर्स का गठन किया गया है।
अवैध प्रवास के कारण:
- बांग्लादेश के लोग काम की तलाश में सीमा पार करते हैं और भारत में काम करके घर लौट जाते हैं।
- उनमें से कुछ रिश्तेदारों से मिलने के लिए सीमा पार करते हैं।
- कुछ लोग चिकित्सा उपचार हेतु सीमा पार करते हैं, जबकि घरों से भगाने वाले कुछ बच्चे भी सीमा पार करते हैं।
- हाल के दशकों में, महिलाओं और मानवों की सीमा पार तस्करी की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
भूगोल:
ग्रीष्म लहर की पूर्व चेतावनी से भारी सुधार
विषय: ग्रीष्म लहर जैसी महत्त्वपूर्ण भू-भौतिकीय घटनाएँ
प्रारंभिक परीक्षा: ग्रीष्म लहर और उसका पूर्वानुमान।
मुख्य परीक्षा: ग्रीष्म लहर।
संदर्भ: भारत में ग्रीष्म लहर परिघटना का पूर्वानुमान।
विवरण:
- ग्रीष्म लहर को असामान्य रूप से गर्म मौसम की अवधि के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें तापमान सामान्य से अधिक होता है। ग्रीष्म लहर आमतौर पर 3 या उससे अधिक दिनों तक बनी रहती है।
- भारत में आमतौर पर मार्च से जून के दौरान ग्रीष्म लहर की स्थिति उत्पन्न होती है। एक सीजन के दौरान दो या तीन बार ग्रीष्म लहर की घटनाएँ होती हैं। ये आमतौर पर दो क्षेत्रों में दिखाई देती हैं:
- मध्य और उत्तर पश्चिम भारत
- तटीय ओडिशा और आंध्र प्रदेश
- जलवायु परिवर्तन के कारण ग्रीष्म लहर की आवृत्ति, तीव्रता और अवधि में वृद्धि हुई है। उदाहरण के लिए, पिछले तीस वर्षों के दौरान ग्रीष्म लहर की कुल अवधि में लगभग तीन दिनों की वृद्धि हुई है।
- इसमें 2060 तक 12-18 दिनों की वृद्धि का अनुमान है। भविष्य में भारत के दक्षिणी हिस्सों सहित नए क्षेत्रों में इसके प्रसार का भी अनुमान है।
- बड़े पैमाने पर वायुमंडलीय परिसंचरण विसंगतियाँ जैसे ऊपरी-क्षोभमंडल, उच्च दबाव वाले क्षेत्र, जेट धाराएं आदि भी ग्रीष्म लहर के लिए उत्तरदायी हैं।
- इसके अलावा, अल नीनो दक्षिणी दोलन (ENSO) जैसी वैश्विक परिघटना और हिंद महासागर भी भारत में ग्रीष्म लहर की अवधि और आवृत्ति को नियंत्रित करती हैं।
- इसके अलावा स्थानीय कारकों जैसे कि गर्मी में वृद्धि और मृदा की नमी में कमी से यह स्थिति और भी बढ़ जाती है।
ग्रीष्म लहर का प्रभाव:
- ग्रीष्म लहर का कृषि, पारिस्थितिकी तंत्र, मानव और पशु स्वास्थ्य, जल, ऊर्जा और देश की अर्थव्यवस्था पर व्यापक और कैस्केडिंग प्रभाव होता है।
- मार्च-अप्रैल 2022 में पाकिस्तान और भारत में ग्रीष्म लहर के कारण 90 से अधिक मौतें हुईं थीं।
- उत्तरी पाकिस्तान में ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड भी ग्रीष्म लहर का परिणाम था।
ग्रीष्म लहर से निपटने के उपाय:
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली, जागरूकता कार्यक्रम और तकनीकी हस्तक्षेपों के साथ एक प्रभावी और व्यापक हीट प्रतिक्रिया योजना ग्रीष्म लहर के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकती है।
- भारत ने स्थानीय निकायों के अलावा भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD), राज्य और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों की भागीदारी के साथ एक मजबूत ढांचा विकसित किया है। पूर्व चेतावनी प्रणाली इस हीट कार्य योजना का एक महत्वपूर्ण तत्व है।
- भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) वांछित सटीकता के साथ 4-5 दिन पूर्व घटना की उत्पत्ति, उसकी अवधि और तीव्रता का अनुमान लगा सकता है।
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MoES) ने राष्ट्रीय मानसून मिशन के तहत ग्रीष्म लहर की प्रारंभिक चेतावनियों के लिए एक उन्नत भविष्यवाणी प्रणाली स्थापित की थी।
- भारतीय उष्णदेशीय मौसम विज्ञान संस्थान (IITM), पुणे द्वारा प्रकाशित एक हालिया वैज्ञानिक अध्ययन में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि लगभग दो सप्ताह पूर्व भारत में ग्रीष्म लहर की उत्पत्ति और अवधि का अनुमान सटीकता के साथ लगाया जा सकता है।
- इसके लिए वैज्ञानिक पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के एक्सटेंडेड रेंज प्रेडिक्शन सिस्टम (ERPS) की गणनाओं का उपयोग करते हैं, जिसमें चार वायुमंडलीय सामान्य परिसंचरण मॉडल के संयोजन विधि का उपयोग किया जाता है।
- इसी प्रकार, IMD, IITM, और पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (इंटरनेशनल जर्नल ऑफ क्लाइमेटोलॉजी ऑफ द रॉयल मेट्रोलॉजी सोसायटी में प्रकाशित) के वैज्ञानिकों ने एक अन्य अध्ययन में बताया है कि भारत में ग्रीष्म लहर का पूर्वानुमान एक सीजन पूर्व भी किया जा सकता है।
- इस अध्ययन हेतु वैज्ञानिकों ने मानसून मिशन कपल्ड क्लाइमेट फोरकास्ट मॉडल (MMCFS) के 37 साल (1981-2017) के आंकड़ों का इस्तेमाल किया।
- उन्होंने इस डेटा का उपयोग ग्रीष्म लहर की आवृत्ति और अवधि के मौसमी पूर्वानुमान का दस्तावेजीकरण करने के लिए किया।
- यह ग्रीष्म लहर की आवृत्ति और स्थानिक वितरण को भी दर्शा सकता है। इसके अलावा, मॉडल विभिन्न महीनों के लिए ग्रीष्म लहर की विशेषताओं का पूर्वानुमान करने में भी सक्षम है।
- मौसमी पूर्वानुमान, एक सीजन पूर्व ही ग्रीष्म लहर पर पूर्वानुमान प्रदान कर सकते हैं। क्षेत्र-वार केंद्रित शमन और अनुकूलन रणनीतियों के लिए लघु-अवधि और विस्तृत-अवधि के पूर्वानुमानों का उपयोग करके इसे और मजबूत किया जा सकता है।
- इसके अलावा, मौसमी पूर्वानुमान में एक मल्टी मॉडल एन्सेंबल पूर्वानुमान रणनीति का उपयोग किया जा सकता है। इसी तरह, लघु-अवधि के एन्सेंबल पूर्वानुमानों में उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाले वैश्विक मॉडल के साथ-साथ माइक्रोवेव उपग्रहों और आईएमडी के मृदा नमी नेटवर्क के माध्यम से मृदा की नमी पर प्राप्त डेटा का उपयोग करना चाहिए। इस प्रकार, भविष्य में पूर्वानुमान प्रणाली का लाभ उठाना चाहिए।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
चंद्रयान-2 ने चंद्रमा की सतह पर सोडियम की मात्रा का पता लगाया
विषय: अंतरिक्ष के क्षेत्र में जागरूकता।
मुख्य परीक्षा: चंद्र सतह पर सोडियम तत्व की उपस्थिति।
प्रारंभिक परीक्षा: चंद्रयान-2 और क्लास (CLASS) उपकरण।
विवरण:
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिकों ने चंद्रमा की सतह पर सोडियम के वितरण का पता लगाने के लिए चंद्रयान-2 लार्ज एरिया सॉफ्ट एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (क्लास – CLASS) उपकरण का इस्तेमाल किया था। क्लास उपकरण को दूसरे भारतीय चंद्र मिशन, चंद्रयान-2, में लगाया गया था।
- एक्स-रे फ्लोरोसेंट स्पेक्ट्रा (X-ray fluorescent spectra) का उपयोग करके चंद्रमा की सतह पर सोडियम का पता लगाने का यह पहला प्रयास है। इसके परिणाम एस्ट्रोफिजिकल जर्नल में प्रकाशित किए गए थे।
- एक्स-रे फ्लोरोसेंस (X-ray fluorescence) आमतौर पर सामग्री की संरचना का अध्ययन करने के लिए प्रयोग किया जाता है। यह एक गैर-विनाशकारी पद्धति (गैर-विनाशकारी पद्धति एक परीक्षण और विश्लेषण तकनीक है जिसका उपयोग उद्योग द्वारा मूल भाग को नुकसान पहुंचाए बिना किसी सामग्री के गुणों का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।) है।
- जब सूर्य से सौर प्रज्वाल निर्मुक्त होते हैं, तो काफी अधिक संख्या में एक्स-रे विकिरण चंद्र सतह से टकराती हैं जिससे एक्स-रे फ्लोरोसेंस की घटना शुरू हो जाती है। क्लास उपकरण चंद्रमा से आने वाले एक्स-रे फोटॉन की ऊर्जा की गणना करता है और इसकी कुल संख्या का अनुमान लगाता है। फोटॉन की ऊर्जा परमाणु की पहचान करने में मदद करती है, उदाहरण के लिए, सोडियम परमाणु 1.04 keV के एक्स-रे फोटॉन उत्सर्जित करते हैं। तीव्रता का अनुमान परमाणुओं की संख्या से लगाया जाता है।
- यह देखा गया है कि पृथ्वी के विपरीत, चंद्रमा पर सोडियम जैसे वाष्पशील तत्वों की कमी होती है।
- वैज्ञानिकों के अनुसार, वाष्पशील तत्वों की मात्रा पृथ्वी-चंद्रमा प्रणाली के परीक्षण निर्माण परिदृश्य ( test formation scenario) का विश्लेषण करने में मदद कर सकती है।
हालिया निष्कर्ष:
- चंद्रयान द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन से पता चला है कि चंद्रमा पर सोडियम परमाणुओं का एक पतला आवरण मौजूद है। ये परमाणु एक दुर्बल बल द्वारा चंद्रमा की सतह से बंधित होते हैं। इसके अलावा, चन्द्रमा पर इन परमाणुओं की उपस्थिति चंद्र चट्टानों में पाए जाने वाले सोडियम की आंशिक मात्रा के अतिरिक्त है।
- सतह पर बंधित ये सोडियम परमाणु सौर पवन आयनों और सौर पराबैंगनी विकिरण से पर्याप्त मात्रा में ऊर्जा प्राप्त करने के फलस्वरूप मुक्त हो जाते हैं।
- पोटेशियम के अलावा, सोडियम एकमात्र ऐसा तत्व है जिसे दूरबीन का उपयोग करके चंद्र बाह्यमंडल में देखा जा सकता है। चन्द्रमा पर सोडियम की खोज सतह-बाह्यमंडल संबंध (surface-exosphere relationship) को समझने में मददगार साबित होगी।
- इसके अलावा, चूंकि सौर चक्र अपने आरोही चरण में है, इसलिए और अधिक मात्रा में सौर प्रज्वाल के उत्सर्जन का अनुमान है। इससे क्लास उपकरण द्वारा चंद्र सतह पर मौजूद सभी तत्वों का पता लगाने में मदद मिलेगी।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।
प्रीलिम्स तथ्य:
- हल्के उबले चावल का निर्यात
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: अर्थव्यवस्था
प्रारंभिक परीक्षा: उबले चावल।
संदर्भ:
- सीमा शुल्क गतिरोध के कारण हल्के उबले चावल का निर्यात प्रभावित हुआ है।
मुख्य विवरण:
- इडली बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले लगभग 1,000 टन हल्के उबले चावल को कथित तौर पर सितंबर 2022 से तमिलनाडु के बंदरगाहों पर रोककर रखा गया है।
- ऐसा भारत सरकार के उस आदेश के कारण हुआ है जिसमें टूटे चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाते हुए कच्चे चावल के निर्यात पर 20% शुल्क लगाया गया था।
- बंदरगाहों पर सीमा शुल्क अधिकारी इस चावल को ‘हल्के उबले चावल’ के रूप में स्वीकार नहीं कर रहे हैं क्योंकि इसमें सफेद दाने हैं। हालाँकि, अधिकारी इस तथ्य के बावजूद भी इसे स्वीकार नहीं कर रहे हैं कि चावल सामान्य रूप से ऐसा ही दिखाई देता है।
- अधिकारी इसे कच्चा चावल मानते हुए निर्यातकों को 20 फीसदी शुल्क देने को कह रहे हैं।
- हल्के उबले चावल मुख्य रूप से दुबई, जापान, कनाडा और सिंगापुर को निर्यात किए जाते हैं।
हल्का उबला चावल (parboiled rice) क्या है?
- हल्का उबला चावल उस चावल को संदर्भित करता है जिसे मिलिंग (दराई) करने से पहले आंशिक रूप से उबाला गया होता है।
- चावल को उबालना कोई नई प्रथा नहीं है और भारत में प्राचीन काल से इसका पालन किया जाता रहा है। हालांकि, भारतीय खाद्य निगम या खाद्य मंत्रालय की ओर से हल्के उबले चावल की कोई विशेष परिभाषा निर्धारित नहीं गई है।
- इस प्रक्रिया में आम तौर पर तीन चरण शामिल होते हैं- भिगोना, भाप देना और सुखाना। इन चरणों से गुजरने के बाद धान को मिलिंग (दराई) के लिए ले जाया जाता है।
- वर्तमान में, चावल को उबालने की कई प्रक्रियाएँ हैं।
- सबसे अधिक लोकप्रिय विधि के विपरीत, जिसमें धान को आठ घंटे तक भिगोकर रखा जाता है, केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (CFTRI), मैसूरु, एक ऐसी विधि का उपयोग करता है जिसमें धान को केवल तीन घंटे के लिए गर्म पानी में भिगोया जाता है। पानी निथारने के बाद धान को 20 मिनट के लिए भाप में पकाया जाता है।
- इसके अलावा, धान को केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (CFTRI) द्वारा प्रयोग की जाने वाली विधि में छाँव में सुखाया जाता है, लेकिन पारम्परिक तरीके में धूप में सुखाया जाता है।
- क्रोमेट में भिगोने की प्रक्रिया (Chromate soaking process) धान प्रसंस्करण अनुसंधान केंद्र (PPRC), तंजावुर में उपयोग की जाने वाली एक प्रक्रिया है। भीगे हुए चावल की गंध को दूर करने के लिए, इस विधि में क्रोमेट का उपयोग किया जाता है। क्रोमेट एक प्रकार का लवण है जिसमें ऋणायन में ही क्रोमियम और ऑक्सीजन दोनों होते हैं।
लाभ और हानि:
- उबालने से चावल सख्त हो जाते हैं जिससे मिलिंग के दौरान चावल के टूटने की संभावना कम हो जाती है।
- हल्का उबालने से चावल में पोषक तत्व की मात्रा भी बढ़ जाती हैं।
- हल्के उबले चावल में कीड़ों और फंगस के प्रति अधिक प्रतिरोध क्षमता होती है।
- हालांकि, हल्का उबालने से चावल गहरे भूरे रंग के हो जाते हैं और लंबे समय तक भिगोने के कारण इससे अप्रिय गंध आ सकती हैं। इसके अलावा, कच्चे चावल के लिए मिल इकाई स्थापित की तुलना में हल्के उबले चावल के लिए मिल इकाई स्थापित करने हेतु अधिक निवेश की आवश्यकता होती है।
- केर्च जलडमरूमध्य
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: भारत और विश्व का भूगोल।
प्रारंभिक परीक्षा: मानचित्र आधारित प्रश्न।
संदर्भ:
- हाल ही में हुए एक शक्तिशाली विस्फोट के कारण क्रीमिया को रूस से जोड़ने वाला सड़क और रेल पुल क्षतिग्रस्त हो गया है।
मुख्य विवरण:
- विस्फोट के कारण क्रीमिया प्रायद्वीप को रूस से जोड़ने वाला एक पुल आंशिक रूप से ढह गया है। यह दक्षिणी यूक्रेन में जारी युद्ध में रूस के लिए एक प्रमुख आपूर्ति मार्ग है।
- काला सागर और आज़ोव सागर को जोड़ने वाले केर्च जलडमरूमध्य में 19 किलोमीटर का पुल वर्ष 2018 में खोला गया और यह यूरोप में सबसे लंबा पुल है।
- 3.6 बिलियन डॉलर की यह परियोजना क्रीमिया पर मास्को के कब्जे का एक वास्तविक प्रतीक है और यह प्रायद्वीप के लिए रूस का एकमात्र भूमि लिंक था, जिसे रूस ने 2014 में यूक्रेन से जीत लिया था।
चित्र स्रोत: BBC
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. केर्च जलडमरूमध्य किन दो जल निकायों को जोड़ता है?
- एड्रियाटिक सागर और आयोनियन सागर को
- आज़ोव सागर और काला सागर को
- मेक्सिको की खाड़ी और कैरेबियन सागर को
- काला सागर और मरमारा सागर को
उत्तर: b
व्याख्या:
- केर्च जलडमरूमध्य, काला सागर और आज़ोव सागर के बीच एकमात्र संपर्क कड़ी है और दो महत्वपूर्ण यूक्रेनी बंदरगाहों, मारियुपोल तथा बर्डियांस्क, तक पहुंचने का एकमात्र मार्ग है।
- यह क्रीमिया के केर्च प्रायद्वीप को रूस के क्रास्नोडार क्राय के तमन प्रायद्वीप से अलग करता है।
प्रश्न 2. वन गुर्जरों के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- ये हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे हिमालयी राज्यों के गिरिपाद में रहने वाले भैंस-चरवाहे हैं।
- ये अर्द्ध घुमन्तु पशुचारक समुदाय से संबंधित हैं, जो ऋतु-प्रवास करते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से गलत है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
- वन गुर्जर उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू और कश्मीर जैसे हिमालयी राज्यों के गिरिपाद में रहने वाले जंगल निवासी खानाबदोश समुदाय हैं।
- ये परंपरागत रूप से भैंस पालते हैं और ऋतु-प्रवास करते हैं।
प्रश्न 3. मुद्रास्फीति के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) प्रत्येक पांच वर्ष में एक बार उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के आधार पर मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करता है।
- मुद्रास्फीति, मुद्रा की क्रय शक्ति को कम करती है।
- बढ़ती कीमतों की अवधि के दौरान, देनदारों को लाभ और लेनदारों को हानि होती है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 3
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है: लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण (FIT) को वर्ष 2016 में अपनाया गया था। लचीली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे के लिए वैधानिक आधार प्रदान करने हेतु भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 को संशोधित किया गया था।
- संशोधित अधिनियम में हर पांच साल में एक बार भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से भारत सरकार द्वारा मुद्रास्फीति लक्ष्य निर्धारित करने का प्रावधान है।
- कथन 2 सही है: मुद्रास्फीति, मुद्रा की क्रय शक्ति (अर्थात उस मुद्रा से सामग्री की कितनी मात्रा खरीदी जा सकती है) को कम करती है। मुद्रा की क्रय शक्ति में कमी का प्रभाव कीमतों में वृद्धि के रूप में परिलक्षित होता है।
- कथन 3 सही है: बढ़ती कीमतों की अवधि के दौरान, देनदार को लाभ और लेनदारों को हानि होती है।
- जब कीमतें बढ़ती हैं, तो मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है। हालांकि, देनदार उतनी ही राशि लौटाते हैं, लेकिन वे वस्तुओं और सेवाओं के संदर्भ में कम भुगतान करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि मुद्रा का मूल्य उस समय से कम होता है जब उन्होंने पैसे उधार लिए थे। इस प्रकार कर्ज का बोझ कम हो जाता है और देनदारों को लाभ होता है।
- दूसरी ओर, लेनदार को नुकसान होता है। हालाँकि उन्हें उतनी ही राशि वापस मिलती है जो उन्होंने उधार दी थी, लेकिन वास्तविक रूप से उन्हें कम मिलता है क्योंकि मुद्रा का मूल्य कम हो जाता है। इस प्रकार, मुद्रास्फीति से लेनदारों की कीमत पर देनदारों के पक्ष में वास्तविक धन का पुनर्वितरण होता है।
प्रश्न 4. मतदाता सत्यापित पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- मतदाता पर्ची तीस सेकंड के लिए मतदाता के समक्ष प्रदर्शित की जाती है।
- मशीनों को मतदान अधिकारियों द्वारा एक्सेस किया जा सकता है, लेकिन मतदाता द्वारा नहीं किया जा सकता है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है:
- VVPAT मशीन को एक पारदर्शी कांच के बॉक्स में रखा जाता है। यह एक पर्ची प्रिंट करती है जिसमें उम्मीदवार का नाम और संबंधित चुनाव चिह्न होता है जिससे मतदाता यह देख सकता है कि उसने किसको वोट दिया है। इसके बाद, मतदाता पर्ची लगभग सात सेकंड के लिए मतदाता के समक्ष प्रदर्शित की जाती है और बाद में स्वचालित रूप से एक सीलबंद बॉक्स में चली जाती है।
- कथन 2 सही है: एक EVM में दो इकाइयां होती: नियंत्रण इकाई और मतदान इकाई।
- ये इकाइयां एक केबल द्वारा आपस में जुडी रहती हैं। EVM की नियंत्रण इकाई पीठासीन अधिकारी या मतदान अधिकारी के पास रखी जाती है। मतदान इकाई को मतदान कक्ष के भीतर मतदाताओं के वोट डालने के लिए रखा जाता है।
- इसलिए मशीनों को मतदान अधिकारियों द्वारा एक्सेस किया जा सकता है, लेकिन मतदाता द्वारा नहीं किया जा सकता है।
प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा एक, मानव शरीर में B और T कोशिकाओं की भूमिका का सर्वोत्तम वर्णन करता है?
- ये शरीर को पर्यावरणीय प्रत्यूर्जकों से संरक्षित करती हैं।
- ये शरीर के दर्द और सूजन को उपशमन करती हैं।
- ये शरीर में प्रतिरक्षा-निरोधकों की तरह काम करती हैं।
- ये शरीर को रोगजनकों द्वारा होने वाले रोगों से बचाती हैं।
उत्तर: d
व्याख्या:
- B कोशिकाएं और T कोशिकाएं प्रतिरक्षा प्रणाली की श्वेत रक्त कोशिकाएं हैं जो किसी जीव में अनुकूली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया के लिए जिम्मेदार होती हैं। दोनों कोशिकाएं अस्थि मज्जा में बनती हैं। B कोशिकाएं अस्थि मज्जा में परिपक्व होती हैं जबकि T कोशिकाएं थाइमस तक यात्रा करती हैं और वहां परिपक्व होती हैं। ये कोशिकाएं संरचनात्मक रूप से समान होती हैं और एक जीव में अनुकूली प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में शामिल होती हैं।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- दल के चुनाव चिन्ह विवादों पर चुनाव आयोग किस प्रकार निर्णय लेता है? प्रासंगिक उदाहरणों के साथ स्पष्ट कीजिए (10 अंक, 150 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र II- भारतीय राजव्यवस्था)
- बांग्लादेश से अवैध प्रवास की समस्या कई दशकों से बनी हुई है। समग्र और पारदर्शी तरीके से इस समस्या से निपटने के लिए ठोस कदमों पर चर्चा कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र II -अंतर्राष्ट्रीय संबंध)