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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 09 September, 2022 UPSC CNA in Hindi

09 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

विश्व इतिहास:

  1. क्वीन एलिजाबेथ II:

आधुनिक इतिहास:

  1. राजपथ:

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

  1. ईडब्ल्यूएस कोटे पर सुप्रीम कोर्ट:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. वैश्विक महामारी संधि:

सामाजिक न्याय:

  1. शिक्षा में पढ़ाई का माध्यम

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. मानव विकास सूचकांक (Human Development Index):

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

क्वीन एलिजाबेथ II

विश्व इतिहास:

विषय: औपनिवेशीकरण और राष्ट्रीय सीमाओं का पुनर्निर्धारण:

मुख्य परीक्षा: संवैधानिक राजशाही की विशेषताएं।

प्रसंग:

  • महारानी एलिजाबेथ द्वितीय का 96 वर्ष की आयु में 08 सितंबर, 2022 को निधन हो गया।

परिचय:

  • एलिजाबेथ द्वितीय अपने पिता जॉर्ज VI की मृत्यु के बाद 6 फरवरी, 1952 को 25 वर्ष की आयु में ब्रिटेन के सिंहासन पर बैठी।
  • वह 17 वीं शताब्दी के फ्रांसीसी राजा लुई XIV के बाद ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक और इतिहास में दूसरी सबसे लंबे समय तक राज करने वाली सम्राट/साम्राज्ञी थीं।
  • वर्ष 1952 में एलिजाबेथ द्वितीय के महारानी बनने की प्लेटिनम जयंती अर्थात 70 वीं वर्षगांठ हाल ही में मनाई गयी थी।
  • वह वर्ष 2015 में ब्रिटेन की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली सम्राट/साम्राज्ञी बनीं, क्योंकि उन्होंने उसी वर्ष महारानी विक्टोरिया के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ दिया, जिन्होंने 1837 से 1901 सन तक शासन किया था।

राजशाही की भूमिका:

  • राजशाही यूनाइटेड किंगडम में सरकार का सबसे पुराना रूप है, जिसमें एक राजा या रानी देश का प्रमुख (Head of State) होता है।
  • ब्रिटिश राजशाही को एक संवैधानिक राजतंत्र के रूप में जाना जाता है।
  • संवैधानिक राजतंत्र में, राजा/सम्राट राज्य (देश) का प्रमुख होता है, तथा कानून बनाने और पारित करने के लिए एक निर्वाचित संसद होती है।
  • राज्य (देश) के प्रमुख के रूप में, सम्राट कुछ संवैधानिक और प्रतिनिधित्व संबंधी कर्तव्यों का पालन करता है।
  • सम्राट की ‘राष्ट्र प्रमुख’ के रूप में भूमिका कम औपचारिक होती है।
  • देश का सम्राट राष्ट्रीय पहचान, एकता और गौरव के केंद्र बिंदु के रूप में कार्य करता है; जो स्थिरता और निरंतरता की भावना के साथ आधिकारिक तौर पर सफलता और उत्कृष्टता को मान्यता और स्वैच्छिक सेवा के आदर्श को प्रोहत्साहन देता है।
  • इन सभी कामों के लिए सम्राट को उनके परिवार के सदस्यों द्वारा सहयोग दिया जाता है।

एलिजाबेथ द्वितीय सम्राट/साम्राज्ञी के रूप में:

  • रानी को उनकी संवैधानिक भूमिका के लिए जाना जाता था, और राजनीति में गहरी रुचि होने के बावजूद भी (जैसे कि उनके प्रधानमंत्रियों के साथ नियमित वार्ताओं के माध्यम से स्पष्ट होता हैं) भी उन्होंने अपने शासनकाल के दौरान राजनीतिक तटस्थता बनाए रखते हुए अपनी प्रतिष्ठा बनाये रखी।
  • 56 देशों के राष्ट्रमंडल के निर्माण में उनका महत्वपूर्ण योगदान था।
  • संवैधानिक रूप से, ब्रिटिश संप्रभु के पास कुछ व्यावहारिक शक्तियाँ होती हैं और उनसे गैर-पक्षपातपूर्ण व्यवहार करने की उम्मीद की जाती है।
  • हालांकि,महारानी ने “नरम” शक्ति का उपयोग किया और महान सामाजिक विभाजनों के बीच राजशाही को राष्ट्र के लिए एकीकृत कर एक केंद्र बिंदु बना दिया,जो कि COVID-19 महामारी की शुरुआत में जनता को आश्वस्त करने के लिए उनके द्वारा दिए गए सम्बोधन में प्रकट होता है।

महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और भारत:

  • वह 1952 में अंग्रेजों से भारत की स्वतंत्रता के बाद सिंहासन पर बैठने वाली पहली ब्रिटिश सम्राट/साम्राज्ञी थीं।
  • उन्होंने अपने शासनकाल में तीन बार वर्ष 1961, 1983 और 1997 में भारत का दौरा किया था।
  • वर्ष 1961 में, तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निमंत्रण पर रानी और उनके पति, दिवंगत प्रिंस फिलिप गणतंत्र दिवस परेड में विशिष्ट अतिथि थे।
  • वर्ष 1983 में, उन्होंने राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक के दौरान भारत का दौरा किया था।
  • अपनी इस यात्रा के दौरान, उन्होंने मदर टेरेसा को मानद ऑर्डर ऑफ द मेरिट (honorary Order of the Merit) प्रदान किया।
  • वह वर्ष 1997 में भारत की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ समारोह में शामिल होने के लिए भारत आईं थीं।तब उन्होंने पहली बार औपनिवेशिक इतिहास के “कठोर प्रकरणों” (difficult episodes) का हवाला देते हुए कहा कि “यह कोई रहस्य नहीं है कि हमारे अतीत में कुछ दुष्कर घटनाएं घटित हुई हैं।जलियांवाला बाग उसका एक उदाहरण है।
  • साम्राज्ञी और उनके पति ने उस समय भारत यात्रा के दौरान अमृतसर,पंजाब में वर्ष 1919 में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड के स्थल का दौरा किया था।

सारांश:

  • एलिजाबेथ द्वितीय ने एक साम्राज्ञी के रूप में सबसे लंबे समय तक यानि 70 वर्षों तक गरिमा और अनुग्रह के साथ राज किया और संवैधानिक प्रधान बनी रही। उनके शासन काल में आधुनिक ब्रिटेन कई उतार-चढ़ावों से गुजरते हुए खूब फला-फूला।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

राजपथ:

आधुनिक इतिहास:

विषय: महत्वपूर्ण घटनाएं, व्यक्तित्व एवं मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: सियासत में नाम बदलने का महत्व।

संदर्भ:

  • हाल ही में, दिल्ली में ‘राजपथ’ का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ कर दिया गया हैं,और इंडिया गेट के मंडप के नीचे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का अनावरण किया गया।

परिचय:

  • इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक दो किलोमीटर का खंड जो कि दिल्ली में संशोधित सेंट्रल विस्टा एवेन्यू का हिस्सा हैं, का नाम बदलकर कर्तव्य पथ कर दिया गया हैं।
  • हाल ही में नई दिल्ली नगर परिषद (New Delhi Municipal Council (NDMC)) ने एक विशेष बैठक में सर्वसम्मति से इस नाम परिवर्तन को मंजूरी दी।
  • प्रधान मंत्री मोदी ने पुनर्विकसित सड़क का उद्घाटन किया और इंडिया गेट के छत्र के नीचे जिसमें ब्रिटिश शासन के दौरान किंग जॉर्ज पंचम की एक प्रतिमा लगी हुई थी,नेताजी सुभाष चंद्र बोस ( Netaji Subhas Chandra Bose)की एक प्रतिमा का अनावरण किया, जिसमें ब्रिटिश शासन के दौरान किंग जॉर्ज पंचम की एक प्रतिमा लगी हुई थी।

‘किंग्सवे’ से ‘राजपथ’ तक:

  • किंग जॉर्ज पंचम के नाम पर अंग्रेजों ने इसका नाम “किंग्सवे” रखा, जिन्होंने वर्ष1911 के दिल्ली दरबार के दौरान दिल्ली का दौरा किया और राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली स्थानांतरित कर दिया था।
  • आज़ादी के बाद वर्ष 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, सेंट्रल विस्टा को दिल्ली के केंद्र के रूप में चुना गया और इसका नाम बदलकर राजपथ कर दिया गया।

भव्य मंडप (Grand Canopy) के नीचे नेताजी की मूर्ति:

  • भव्य मंडप (Grand Canopy) के नीचे इंडिया गेट पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 28 फीट लंबी ग्रेनाइटसे बनी प्रतिमा का अनावरण किया गया।
  • इस प्रतिमा ने नेताजी की 23 जनवरी, 2022 को 125वीं जयंती पर पहले रखी गई उनकी होलोग्राम प्रतिमा की जगह ली है।
  • भव्य मंडप (Grand Canopy) एडविन लुटियंस द्वारा बनाया गया था और वर्ष 1936 में भारत के तत्कालीन दिवंगत सम्राट किंग जॉर्ज पंचम को श्रद्धांजलि के रूप में इंडिया गेट परिसर में लगाया गया था, जहाँ उनकी 50 फुट की संगमरमर की मूर्ति रखी गई थी।
  • स्वतंत्रता के बाद किंग जॉर्ज की प्रतिमा को लेकर हुए व्यापक विरोध के बाद, इसे वर्ष 1968 में उत्तरी दिल्ली में कोरोनेशन पार्क में स्थानांतरित कर दिया गया था।

नामकरण का महत्व:

  • राजपथ मार्ग (अर्थात् राज्य का मार्ग) जनपथ नामक सड़क (जिसका अर्थ है बीच में लोगों का पथ) द्वारा विभाजित किया गया था।
  • दो मार्गों को कार्टोग्राफिक शब्दों में नए गणराज्य के सामाजिक अनुबंध के रूप में परिभाषित किया गया है जिसमें संप्रभुता अब अपने नागरिकों में निहित है।
  • राजपथ का नाम बदलकर ‘कर्तव्य पथ’ या ‘ड्यूटी रोड’, अधिकारों पर कर्तव्यों की महत्ता का प्रतीक है।
  • राजपथ का नामकरण दिल्ली के 40 गांवों और वहां के इलाकों के नाम बदलने के प्रस्तावों के मद्देनजर -किया गया है, जिनमें कुछ विदेशी या ‘मुगल’ नाम शामिल हैं।

सियासी नाम बदलना: (Renaming Politics:)

  • आधिकारिक तौर पर भारत में शहरों का नामकरण आज़ादी के बाद वर्ष 1947 पहली बार किया गया,जब शहरों के अंग्रेजी औपनिवेशिक नामों का नाम बदलने पर खासा जोर दिया गया था।
  • देशी शब्दों के साथ विदेशी नामों को बदलना, शहरों के पुराने भारतीय नामों को बहाल करना और इनमे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों और शासकों या भारतीय इतिहास से संबंधित अन्य व्यक्तित्वों के नामों का उपयोग करने को भारत में 200 से अधिक वर्षों तक अंग्रेजों के शासन करने के बाद अंग्रेजों की औपनिवेशिक छाया से मुक्ति के रूप में देखा जा रहा है ।
  • अपने 2022 स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, पीएम मोदी ने कहा था कि “औपनिवेशिक मानसिकता” से संबंधित “प्रतीकों” को खत्म करने के लिए अधिकांश नामों को बदल दिया गया है।

सारांश:

  • राजपथ का नाम बदलकर कर्तव्य पथ करना और किंग जॉर्ज की प्रतिमा को बदलना गुलामी की मानसिकता के परित्याग को दर्शाता है,जो मन और आत्मा की स्वतंत्रता के लक्ष्य को प्राप्त करने के दृढ़ संकल्प की निरंतर यात्रा है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

ईडब्ल्यूएस कोटे पर सुप्रीम कोर्ट:

राजव्यवस्था:

विषय: सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप।

मुख्य परीक्षा: ईडब्ल्यूएस से सम्बंधित चिंताएं।

संदर्भ:

  • हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने यह जांचने के लिए तीन प्रमुख मुद्दों को अंतिम रूप दिया कि क्या 103वां संविधान संशोधन संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है।

परिचय:

  • भारत के मुख्य न्यायाधीश यू.यू. ललित ने जांच के लिए तीन प्रमुख मुद्दों को अंतिम रूप दिया हैं जिसमे इस बात पर प्रकाश डाला गया हैं की क्या 103वें संविधान संशोधन ( 103rd constitutional amendment ) द्वारा प्रदत्त सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को 10% कोटा संविधान के मूल ढांचे का उल्लंघन है या नहीं।
  • कोर्ट में जाँच के लिए इन तीन मुद्दों को भारत के महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल द्वारा कोर्ट में प्रेषित किया गया था।
  • इस मामले की शुरुआत कई नीट (NEET) उम्मीदवारों ने 29 जुलाई, 2021 को केंद्र की अधिसूचना को चुनौती देने के साथ हुई थी जिसमें ओबीसी को 27% कोटा और नीट के लिए अखिल भारतीय कोटा में ईडब्ल्यूएस को 10% आरक्षण देने की घोषणा की गई थी।
  • सुप्रीम कोर्ट ने यह पूछते हुए ईडब्ल्यूएस निर्धारित करने के लिए ₹ 8 लाख की आय मानदंड के आधार पर सवाल उठाया कि क्या यह आंकड़ा “थिन एयर” (thin air-रहस्यमय तरीके से गायब या प्रकट होना) से निकला है या ओबीसी के लिए इस मानदंड को स्वचालित रूप से अपनाया गया हैं।

बुनियादी ढांचे के उल्लंघन के तीन मुद्दे:

  • सुप्रीम कोर्ट की बेंच इस बात की जांच करेगी कि क्या 103वें संशोधन ने आर्थिक मानदंडों के आधार पर राज्य को आरक्षण सहित विशेष प्रावधान करने की अनुमति देकर बुनियादी ढांचे ( Basic Structure ) का उल्लंघन किया है।
  • क्या यह राज्य को निजी गैर-सहायता प्राप्त संस्थानों में प्रवेश के संबंध में विशेष प्रावधान करने की अनुमति देना मूल संरचना का उल्लंघन है।
  • क्या एसईबीसी/ओबीसी/एससी/एसटी समुदायों को ईडब्ल्यूएस कोटे के दायरे से बाहर करके संवैधानिक संशोधन द्वारा मूल संरचना को कुचला गया है।

आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (Economically Weaker Section(EWS)):

  • ईडब्ल्यूएस बिल में आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को 10% आरक्षण देने का प्रावधान है।
  • व्यक्ति की आय सीमा ₹8 लाख प्रति वर्ष होनी चाहिए।

सारांश:

  • सर्वोच्च न्यायालय को इस बात की जांच करनी चाहिए कि क्या ईडब्ल्यूएस कोटा समानता और गैर-भेदभाव के नियम का उल्लंघन है, और क्या इस संविधान संशोधन के तहत अगड़ी जातियों (ईडब्ल्यूएस या अन्य) को आरक्षण देने का कदम नाजायज था।
  • ईडब्ल्यूएस मुद्दे पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:EWS Issue

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

अंतरराष्ट्रीय संबंध:

वैश्विक महामारी संधि

विषय: वैश्विक समूह और भारत से सम्बन्धित अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले कारक।

मुख्य परीक्षा: भविष्य की महामारी का प्रभावी प्रबंधन

संदर्भ: कोविड-19 महामारी की गंभीरता , इसके प्रभाव और हाल ही में मंकीपॉक्स के प्रकोप ने महामारी से निपटने के लिए एक वैश्विक संधि की आवश्यकता को उजागर किया है।

परिचय:

  • कोविड-19 पिछले 100 वर्षों में दुनिया की सबसे गंभीर महामारियों में से एक है।
  • विभिन्न अनुमानों के अनुसार, कोविड-19 से लगभग 18 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई है,जो कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से अब तक का सबसे अधिक संख्या हो सकती है।
  • महामारी ने 120 मिलियन से अधिक लोगों को अत्यधिक गरीबी में धकेल दिया है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स के प्रकोप को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) घोषित किया है।अगस्त 2022 तक यह बीमारी 80 से अधिक देशों में फ़ैल गई है और इससे 32,000 से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। इसके कारण दुनिया पर एक और स्वास्थ्य संकट का खतरा पैदा हो गया है।

व्यापक स्वास्थ्य असमानता:

  • दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर उनकी क्षमता से अधिक बोझ है और टीकों, निदान और चिकित्सा के वितरण में अधिक असमानता है।
  • मार्च 2022 तक, कम आय वाले देशों में केवल 3% लोगों को कम से कम एक टीका लगाया गया था, जबकि उच्च आय वाले देशों में यह टीका 60.18% लोगो को लगाया गया हैं।
  • 2022 के मध्य तक कोविड-19 के खिलाफ दुनिया की 70% आबादी का टीकाकरण करने का अंतर्राष्ट्रीय लक्ष्य हासिल नही किया गया है क्योंकि अधिकांश देशों ने गरीब देशों की उपेक्षा करते हुए “मैं-पहले” वाले दृष्टिकोण का पालन किया है।
  • इसके अलावा, वैक्सीन पेटेंट को लेकर फार्मा कंपनियों की लंबी लड़ाई, ने विशेष रूप से अफ्रीकी देशों में, वैश्विक टीकाकरण अभियान को रोक दिया।
  • निम्न और मध्यम आय वाले देशों में महामारी के आर्थिक परिणाम अपरिवर्तनीय हैं।
  • वैश्विक स्वास्थ्य प्रणालियों की इन असमानताओं और कमियों को दूर करने के लिए, दिसंबर 2021 में WHO के तहत विश्व स्वास्थ्य सभा (WHA) ने महामारी संधि का मसौदा तैयार करने के लिए एक वैश्विक प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति व्यक्त की थी।

महामारी संधि:

  • WHA के निर्णय के तहत, स्वास्थ्य संगठन ने WHO के संविधान के अनुच्छेद 19 के अनुपालन में महामारी संधि का मसौदा तैयार करने और बातचीत करने के लिए एक अंतर सरकारी वार्ता निकाय (INB) की स्थापना की।
  • महामारी संधि में उभरते हुए वायरस के डेटा साझाकरण,जीनोम अनुक्रमण ,टीकों ,दवाओं के समान वितरण और दुनिया भर में संबंधित अनुसंधान जैसे पहलुओं को शामिल करने की उम्मीद है।
  • यूरोपीय संघ (EU) भी चाहता है कि वन्यजीव बाजारों पर प्रतिबंध को संधि में शामिल किया जाए।
  • यूरोपीय संघ चाहता है कि संधि कानूनी रूप से बाध्यकारी हो,जबकि अमेरिका, ब्राजील और भारत ने इस पर आपत्ति जताई है। संधि की कानूनी प्रकृति को अभी तक परिभाषित नहीं किया गया है।

भारत की प्रमुख भूमिका:

  • भारत ने महामारी के दौरानसमय पर और प्रभावी प्रतिक्रिया के साथ वैश्विक शक्तियों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण स्थापित किया है।
  • भारत दुनिया के लगभग 60% टीकों का उत्पादन करता है और कहा जाता है कि संयुक्त राष्ट्र की वार्षिक वैक्सीन खरीद का 60% -80% हिस्सा है जो स्वास्थ्य असमानता के खिलाफ प्रतिबद्धता के साथ अपनी “वैक्सीन कूटनीति” के अनुरूप है।
  • 2021 तक, भारत ने ‘मेड-इन-इंडिया’ कोविड-19 टीकों की 594.35 लाख खुराक 72 देशों को दी।
  • इनमें से 81.25 लाख टीके उपहार और 339.67 लाख टीके व्यावसायिक रूप से वितरित किए गए थे और 173.43 लाख टीके गावी, वैक्सीन एलायंस के तत्वावधान में कोवैक्स कार्यक्रम के माध्यम से वितरित किए गए थे।
  • विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में दक्षिण अफ्रीका के साथ भारत ने 2020 में एक प्रस्ताव रखा जिसमें ‘सभी देशों से जब तक वैश्विक स्तर पर सामूहिक प्रतिरक्षा हासिल नहीं हो जाती तब तक COVID-19 से संबंधित दवाओं, टीकों, निदान और अन्य तकनीकों से संबंधित पेटेंट और अन्य बौद्धिक संपदा को न तो अनुदान दिया जाय और न ही इन्हें लागू करने का अनुरोध किया था ‘।
  • इस प्रस्ताव का कई प्रमुख देशों ने कड़ा विरोध किया था। विश्व व्यापार संगठन ने जून 2022 में अंततः भारत और भागीदार देशों के कठोर प्रयासों के बाद कोविड-19 टीकों के निर्माण में बौद्धिक संपदा प्रतिबंधों को कम करने का निर्णय लिया।

भावी कदम:

  • WHO की छत्रछाया में एक संधि एकता लाएगी और विखंडन से बचाएगी।
  • इस तरह की संधि में उभरते हुए वायरस के डेटा साझाकरण और जीनोम अनुक्रमण के संबंध में प्रावधान होना चाहिए।
  • संधि को औपचारिक रूप से सरकारों और संसदों को एक प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली और उचित रूप से वित्त पोषित त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध करना चाहिए।
  • इसके तहत राष्ट्र राज्यों को स्वास्थ्य निवेश से संबंधित सामान्य मेट्रिक्स के एक सेट पर सहमत होने के लिए प्रेरित करना चाहिए जिसका उद्देश्य सार्वजनिक-निजी क्षेत्र के अंतर को कम करना है।
  • भारत को इस संधि को एक वैश्विक महामारी संधि के रूप में विकसित करने में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए। यह संधिन केवल राष्ट्र राज्यों में सामाजिक आर्थिक असमानताओं को कम करेगी बल्कि भविष्य की स्वास्थ्य आपात स्थितियों से भी निपटेगी।

सारांश: कोविड-19 महामारी के कारण व्यापक गरीबी और वैश्विक मंदी आई है और कोई भी सरकार या संस्थान अकेले इस आपात स्थिति से निपटने में सक्षम नहीं है। व्यापक स्वास्थ्य असमानता और विफल वैश्विक शासन ने एक वैश्विक महामारी संधि को आवश्यक बना दिया है। यह भविष्य की चुनौतियों को कम करने के लिए मजबूत राजनीतिक प्रतिबद्धता सुनिश्चित करेगी।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:

सामाजिक न्याय:

शिक्षा में पढ़ाई का माध्यम

विषय:बच्चे और शिक्षा से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: शिक्षा में भाषा नीति

संदर्भ: राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) का मातृभाषा में शिक्षण का कदम एक ऐतिहासिक निर्णय हो सकता है जो भारत में सीखने के तरीके को बदल सकता है।

परिचय:

  • NEP 2020 में वकालत की है कि “जहां भी संभव हो, शिक्षा का माध्यम कम से कम ग्रेड 5 तक, अधिकतम ग्रेड 8 और उससे आगे तक, सार्वजनिक और निजी स्कूलों में घरेलू भाषा / मातृभाषा / स्थानीय भाषा / क्षेत्रीय भाषा हो”।
  • वर्षों से, शिक्षाविदों ने बच्चे की शिक्षा को बढ़ाने और स्पष्ट असमानताओं को दूर करने के लिए मातृभाषा में सीखने के महत्व पर जोर दिया है, लेकिन कई राज्यों में अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों की समान रूप से लगातार मांग रही है।
  • माता-पिता के दबाव को सहन करने और छात्रों को निजी स्कूलों में जाने से रोकनेके लिए सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम को बढ़ावा दिया जा रहा है।

शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी के खिलाफ तर्क:

  • शैक्षिक रूप से मातृभाषा या पहली भाषा का अर्थ वह भाषा है जिसका उपयोग बच्चा दुनिया से जुड़ने और हर चीज का बोध करने के लिए कर रहा है।
  • यह भाषा बच्चे को हर तरह से निर्माण, बढ़ने और विकसित करने में मदद करती है। पहली भाषा घर की भाषा होनी चाहिए, वह भाषा जिसमें बच्चा संवाद कर रहा हो और अपने आसपास की दुनिया से बातचीत कर रहा हो।
  • यह सीखने की प्रक्रिया में छात्रों के पूरे दिल से जुड़ाव को प्रोत्साहित करता है और उनके आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  • शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी का आज भारतीय शिक्षा पर गंभीर प्रभाव है क्योंकि भारतीय आबादी का विशाल बहुमत अंग्रेजी को सीखने में असमर्थता के कारण अपने आप को हीन समझता है।
  • शिक्षा के अंग्रेजी माध्यम ने सबसे कम और सबसे कम वेतन वाली नौकरियों को छोड़कर सभी अवसरों से विशाल जनसंख्या को वंचित कर दिया है।

शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी के पक्ष में तर्क:

  • अंग्रेजी एक वैश्विक भाषा के रूप में करियर के कई अवसर खोलती है।
  • चूंकि अधिकांश तकनीकी और वैज्ञानिक पुस्तकें केवल अंग्रेजी में उपलब्ध हैं और उच्च शिक्षा भी अंग्रेजी में ही दी जाती है। इससे सरकारी स्कूलों के छात्रों की STEM और उच्च शिक्षा तक पहुंच में बाधा आ सकती है।
  • भारत में, भाषाई स्कूलों (क्षेत्रीय भाषाओं) में शिक्षा की गुणवत्ता बेहद खराब है, जिससे उनको अपने उन साथियों के साथ प्रतिस्पर्धा करना मुश्किल हो जाता है, जिनकी पढाई अंग्रेजी में हुई है।

NEP के साथ चिंताएं:

  • शिक्षा के माध्यम पर NEP का सुझाव सही नही है क्योंकि इसे लागू करने के लिए दृढ इच्छाशक्ति का होना जरुरी है।
  • इससे शिक्षा के माध्यम से उत्पन्न होने वाली असमानता कम नहीं होगी।
  • शिक्षा और विपणन के निजीकरण का NEP का समग्र दर्शन, जिसमें राज्य पर कोई नियामक नियंत्रण नहीं है, शिक्षा के माध्यम के रूप में मातृभाषा के प्रवर्तन को और कमजोर करता है।

भावी कदम:

  • अन्य गैर-अंग्रेजी भाषी देशों की तर्ज पर अंग्रेजी को दूसरी भाषा के रूप में प्रभावी ढंग से पढ़ाया जाना चाहिए।1980 और 1990 के दशक तक भारत में ऐसे ही पढ़ाया जाता था।
  • बहुभाषावाद सभी भाषाओं को समान दर्जा देता है और जैसे-जैसे बच्चे अलग-अलग पृष्ठभूमि से आते हैं, बहुभाषी दृष्टिकोण बहुत अधिक लचीला, बच्चे के करीब और समावेशी बन जाता है।
  • उदाहरण के लिए, केरल में कक्षाओं में इस्तेमाल की जाने वाली मलयालम हर बच्चे की भाषा नहीं थी, और उत्तरी केरल की भाषा दक्षिण की भाषा से अलग है। इसलिए, उन्होंने भाषा के पाठ्यक्रम को बदल दिया।
  • स्थानीय स्तर के स्कूलों में अंग्रेजी-अध्यापन के लिए विशेष धन उपलब्ध कराने से भी मदद मिल सकती है। स्कूली शिक्षा को अधिक समतावादी बनाने की दिशा में कुछ नये कदम उठाये जा सकते हैं।

सारांश: सरकार को तदर्थ फैसलों के बजाय भाषा नीति पर काम करना चाहिए। NEP की चुनौती इसे अक्षरश: लागू करने की है। व्यापक, कुशल और यथार्थवादी दिशानिर्देश और रूपरेखा तैयार करने की आवश्यकता है। सीखने की भाषा को लोकतांत्रिक तरीके से चुनने के लिए एक शक्तिशाली राजनीतिक आंदोलन आवश्यक है।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में पढने के लिए यहाँ क्लिक करें:

https://byjus.com/free-ias-prep/national-policy-education/

प्रीलिम्स तथ्य:

1.मानव विकास सूचकांक (Human Development Index):

विषय: समावेशी विकास और इससे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: एचडीआई और यूएनडीपी (HDI and UNDP)।

संदर्भ:

  • संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme(UNDP)) ने हाल ही में अपनी मानव विकास रिपोर्ट 2021-2022 जारी की हैं।

मानव विकास सूचकांक (Human Development Index (HDI)) 2021:

  • यह सूचकांक यूएनडीपी द्वारा जारी मानव विकास रिपोर्ट 2021-2022 का एक हिस्सा है।
  • एचडीआई चार संकेतकों का उपयोग करके मानव विकास के तीन बुनियादी आयामों के आधार पर किसी देश की औसत उपलब्धि को मापता है।
  • एक लम्बे और स्वस्थ जीवन- ‘जन्म के समय जीवन प्रत्याशा’ के आधार पर गणना की जाती है।
  • शिक्षा- ‘स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष’ और ‘विद्यालय के अपेक्षित वर्ष’ पर आधारित हैं।
  • ‘सकल राष्ट्रीय आय (Gross National Income (GNI)) प्रति व्यक्ति’ के आधार पर सभ्य जीवन स्तर।
    • (दूसरे शब्दों यह रैंक किसी देश के स्वास्थ्य, शिक्षा और औसत आय की स्थिति को दर्शाता है। इसे चार मापदंडों के आधार पर मापा जाता है – प्रथम-जन्म के समय जीवन प्रत्याशा, द्वितीय-स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष, तृतीय-स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष और चतुर्थ-प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI))

भारत और एचडीआई:

  • भारत 2021 के सूचकांक में 191 देशों में 132वें स्थान पर है।
  • भारत ने तीन दशकों में पहली बार लगातार दो वर्षों में अपने स्कोर में गिरावट दर्ज की है।
  • यह गिरावट COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद से वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप है, जिसके दौरान 90% देश मानव विकास में पिछड़ गए हैं।
  • इसके साथ ही COVID-19 संकट, यूक्रेन में युद्ध और पर्यावरणीय चुनौतियों जैसे विभिन्न कारणों से मानव विकास में गिरावट आई है।
  • एचडीआई की हालिया गिरावट में एक बड़ा योगदान जीवन प्रत्याशा में वैश्विक गिरावट है, जो 2019 में 72.8 साल से घटकर 2021 में 71.4 साल हो गया है।
  • भारत का एचडीआई स्कोर 0.633 है जो इसे मध्यम मानव विकास श्रेणी में रखता है, जो 2018 में इसके 0.645 के मूल्य से कम है।
  • एचडीआई में आई इस गिरावट को जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में 70.7 वर्ष से 67.2 वर्ष तक आई इस कमी को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है।
  • भारत में स्कूली शिक्षा के अपेक्षित वर्ष 11.9 वर्ष हैं, और स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष 6.7 वर्ष हैं।
  • GNI प्रति व्यक्ति स्तर $6,590 है।

लैंगिक असमानता सूचकांक (Gender Inequality Index):

  • विश्व स्तर पर लैंगिक असमानता विशेष रूप से COVID-19 महामारी के कारण बढ़ गई है। यह वैश्विक स्तर पर 6.7% बढ़ी है।
  • हालांकि,वर्ष 2019 (0.486 बनाम 0.493) के लैंगिक असमानता में आई इस गिरावट के बाद, भारत ने वर्ष 2020 के सूचकांक (0.490 बनाम 0.493) में अपने लिंग असमानता सूचकांक मूल्य में थोड़ा सुधार दिखाया है।
  • यह तीन सूचकांक आयामों में प्रजनन स्वास्थ्य, सशक्तिकरण और श्रम बाजार में महिलाओं और पुरुषों की उपलब्धि में असमानता को मापता है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. मानव विकास सूचकांक (HDI) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही हैं? (स्तर- मध्यम)

  1. इसे संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) द्वारा जारी किया जाता हैं।
  2. एचडीआई (HDI) मानव विकास के तीन बुनियादी आयामों के आधार पर देश की औसत उपलब्धियों को लम्बे एवं स्वस्थ जीवन, रोजगार और एक सभ्य जीवन स्तर के आधार पर मापता है।

विकल्प:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) दोनों

(d) कोई भी नहीं

उत्तर: a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: मानव विकास सूचकांक यूएनडीपी द्वारा जारी मानव विकास रिपोर्ट 2021-2022 का एक भाग है।
  • कथन 2 गलत है: एचडीआई चार संकेतकों का उपयोग कर मानव विकास के तीन बुनियादी आयामों के आधार पर किसी देश की औसत उपलब्धि को मापता है।
  • एक लंबा और स्वस्थ जीवन- ‘जन्म के समय जीवन प्रत्याशा’ के आधार पर गणना की जाती है।
  • शिक्षा- ‘स्कूली शिक्षा के औसत वर्ष’ और ‘विद्यालय के अपेक्षित वर्ष’ पर आधारित।
  • ‘प्रति व्यक्ति सकल राष्ट्रीय आय (GNI)’ के आधार पर सभ्य जीवन स्तर।

प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)

  1. दिल्ली दरबार वर्ष 1897, 1903 और 1911 में तीन बार आयोजित किया गया था।
  2. वर्ष 1911 के दिल्ली दरबार का आयोजन किंग जॉर्ज पंचम के राज्याभिषेक के उपलक्ष्य में किया गया था।
  3. जॉर्ज पंचम भारत में अपने सम्मान में आयोजित समारोह में शामिल होने वाले एकमात्र ब्रिटिश सम्राट थे।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2

(c) केवल 2 और 3

(d) केवल 1 और 3

उत्तर: c

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: दिल्ली दरबार भारत के एक सम्राट या महारानी के उत्तराधिकार के उपलक्ष्य पर अंग्रेजों द्वारा आयोजित एक भारतीय शाही शैली की जन सभा थी।
  • इसे इंपीरियल दरबार/शाही दरबार के रूप में भी जाना जाता है।यह वर्ष 1877, 1903 और 1911 में तीन बार आयोजित कि गयी थी।
  • कथन 2 सही है: वर्ष 1911 के दिल्ली दरबार का आयोजन उस वर्ष जून में लंदन में किंग जॉर्ज पंचम और क्वीन मैरी के राज्याभिषेक के ऐतिहासिक क्षण को मनाने के लिए किया गया था।
  • कथन 3 सही है: 1911 का दरबार एकमात्र ऐसा दरबार था जिसमें एक संप्रभु, जॉर्ज पंचम ने भाग लिया था।

प्रश्न 3. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर-कठिन)

  1. भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान को रामसर स्थल के रूप में नामित किया गया है।
  2. भीतरकनिका ब्राह्मणी-बैतरनी नदियों के मुहाने में स्थित है।
  3. भीतरकनिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यवहार्य मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र है।
  4. भीतरकनिका राष्ट्रीय उद्यान खारे पानी के मगरमच्छों का घर है।

विकल्प:

(a) केवल 1, 2 और 3

(b) केवल 2, 3 और 4

(c) केवल 1 और 4

(d) 1, 2, 3 और 4

उत्तर: d

व्याख्या:

  • भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान पूर्वी भारत में ओडिशा के पूर्वोत्तर केंद्रपाड़ा जिले में एक बड़ा राष्ट्रीय उद्यान है। भितरकनिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र है।
  • यह लुप्तप्राय खारे पानी के मगरमच्छों का प्रजनन स्थल है।
  • इसे 19 अगस्त, 2002 को रामसर स्थल का दर्जा प्राप्त हुआ था।
  • यह ब्राह्मणी-बैतरनी के मुहाने में और बंगाल की खाड़ी के पूर्व में स्थित है।
  • भितरकनिका राष्ट्रीय उद्यान के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Bhitarkanika National Park

प्रश्न 4. मियावाकी विधि एक प्रसिद्ध तकनीक है: (स्तर-मध्यम)

(a) कृत्रिम रूप से झींगे एवं श्रिम्प पैदा करना।

(b) घने जंगल बनाना।

(c) समुद्री प्रदूषण पर ध्यान देना।

(d) रसायनों का उपयोग करने के बजाय प्राकृतिक प्रक्रिया के माध्यम से फसलों का उत्पादन करना।

उत्तर: b

व्याख्या:

  • मियावाकी 1980 के दशक में जापानी वनस्पतिशास्त्री अकीरा मियावाकी के काम पर आधारित एक वनीकरण/वनरोपण विधि है।
  • किसी घर,ऑफिस या किसी अन्य ऐसे स्थान की पीछे की खाली जगह में जंगल उगाकर शहरी वनरोपण के लिए दुनिया भर में इस अनूठी विधि का उपयोग किया जाता है। इसमें छोटे-छोटे स्थानों पर छोटे-छोटे पौधे रोपे जाते हैं जो साधारण पौधों की तुलना में दस गुणा तेजी से बढ़ते हैं।
  • मियावाकी विधि के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Miyawaki method

प्रश्न 5. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए: (स्तर-कठिन)

जलाशय राज्य

  1. घटप्रभा – तेलंगाना
  2. गांधी सागर – मध्य प्रदेश
  3. इंदिरा सागर – आंध्र प्रदेश
  4. मैथन – छत्तीसगढ़

उपर्युक्त में से कितने युग्म सही सुमेलित नहीं हैं?

(a) केवल एक युग्म

(b) केवल दो युग्म

(c) केवल तीन युग्म

(d) सभी चारों युग्म

उत्तर: c

व्याख्या:

  • युग्म 1 सही सुमेलित नहीं है: घटप्रभा जलाशय कर्नाटक के बेलगावी में स्थित है। घटप्रभा नदी कृष्णा नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है।
  • युग्म 2 सही सुमेलित है: गांधी सागर बांध चंबल नदी पर बने चार प्रमुख बांधों में से एक है। यह मध्य प्रदेश के मंदसौर में स्थित एक चिनाई वाला बांध है।
  • युग्म 3 सही सुमेलित नहीं है: जलाशय में संग्रहीत पानी की मात्रा के मामले में इंदिरा सागर बांध भारत का सबसे बड़ा बांध है। यह मध्य प्रदेश में नर्मदा नदी पर स्थित है।
  • युग्म 4 सही सुमेलित नहीं है: मैथन बांध झारखंड के धनबाद में बराकर नदी के तट पर स्थित है।यह भूमिगत पावर स्टेशन वाला बांध पूरे दक्षिण पूर्व एशिया में अपनी तरह का इकलौता बांध है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. औपनिवेशिक विरासत केवल औपनिवेशिक युग के बुनियादी ढांचे में ही नहीं, बल्कि औपनिवेशिक युग के कानूनों में भी निहित है। विस्तार से समझाइये। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II-राजव्यवस्था)

प्रश्न 2.कम कीमतों पर कोविड-19 वैक्सीन की विश्वव्यापी उपलब्धता सुनिश्चित करने में भारत द्वारा निभाई गई भूमिका का आकलन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस II-अंतर्राष्ट्रीय संबंध)