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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 13 July, 2022 UPSC CNA in Hindi

13 जुलाई 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राज्यव्यवस्था:

  1. न्याय की धीमी गति:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

रक्षा और आंतरिक सुरक्षा:

  1. भारत-ब्राजील की नौसेना सहयोग के लिए साथ आ सकती है:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

राजव्यवस्था:

  1. ‘पूर्ण न्याय’ के लिए एक नई न्यायिक युक्ति:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. नासा का टेलीस्कोप ब्रह्मांड की गहराइयों में जा रहा है:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. केंद्र के पास बाल श्रम के नये आंकड़े नहीं हैं:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

न्याय की धीमी गति:

राज्यव्यवस्था:

विषय: न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्यप्रणाली।

मुख्य परीक्षा: भारतीय न्यायलयों में लंबित मामलों के कारण और प्रभाव

पृष्ठ्भूमि:

  • न्यायलयों में बहुत अधिक संख्या में मामले लंबित हैं।
  • भारत की निचली अदालतों (जिला और तालुक न्यायालयों) में चार करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं।
  • इन लंबित मामलों में से लगभग 25% मामले अर्थात एक करोड़ पांच वर्षों से अधिक समय से लंबित हैं।

 Image source: The Hindu

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लंबित मामलों के लिए जिम्मेदार कारक:

  • न्यायलयों में लंबित मामलों की बड़ी संख्या न्यायपालिका की मांग और आपूर्ति पक्षों के कारण है।
  • मांग पक्ष में हाल के वर्षों में प्रति व्यक्ति दर्ज मामलों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है।
    • अपेक्षाकृत उच्च न्यायिक पदों की रिक्तियों के परिणामस्वरूप न्याय देने में बाधा उत्पन्न हुई है, जिससे मामलों की सुनवाई में देरी हो रही है।
  • निचली अदालतों में न्यायिक पदों की रिक्तियों की स्वीकृत संख्या 19 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में 20% या उससे अधिक हैं।
  • असंगत भर्ती और नियुक्ति प्रक्रिया के प्रति उदासीनता इसका प्रमुख कारक है।
  • गौरतलब हैं कि उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार और तेलंगाना जैसे कुछ राज्यों में प्रति एक लाख लोगों पर केवल एक न्यायाधीश है।

 Image source: The Hindu

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अधिक संख्या में लंबित मामलों का प्रभाव:

  • लंबित मामलों में त्वरित सुनवाई न होने के कारण जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों की एक बड़ी संख्या पर इसका सबसे स्पष्ट और प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
  • भारतीय संविधान की मान्यता के अनुसार यह उनके मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।
  • वर्ष 2020 में अंडरट्रायल कुल कैदियों की हिस्सेदारी 76 फीसदी तक पहुंच गई हैं।
  • नतीजतन, कुछ जेलों में कैदियों की भीड़ बहुत ज्यादा हो गई है।

 Image source: The Hindu

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  • इस मुद्दे पर अधिक विस्तृत जानकारी और इसके संभावित उपायों के लिए 29 सितम्बर 2021 का व्यापक समाचार विश्लेषण देखें।

सारांश:

  • न्यायपालिका की ओर से न्याय में देरी स्वीकार्य नहीं है क्योंकि न्यायपालिका का कार्य नागरिकों के अधिकारों की सुरक्षा की गारंटी देना है। साथ ही समयबद्ध न्याय वास्तविक न्याय हैं और समय की मांग है क्योंकि न्याय में देरी न्याय से वंचित या अन्याय के समान है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

भारत-ब्राजील की नौसेना सहयोग के लिए साथ आ सकती है:

रक्षा और आंतरिक सुरक्षा:

विषय: रक्षा उपकरण:

प्रारंभिक परीक्षा: स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियां; प्रोजेक्ट 75 और प्रोजेक्ट 75 अल्फा

संदर्भ:

  • भारत में मुंबई के पश्चिमी नौसेना कमान में ब्राजील के नौसेना प्रतिनिधिमंडल की वर्तमान यात्रा के दौरान दोनों देशों की नौसेनाएं स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के रखरखाव के लिए सहयोग के विकल्प तलाश रही हैं।
  • दोनो देशों की नौसेनाएं फ्रेंच स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों का संचालन कर रही हैं।

पनडुब्बी की स्कॉर्पीन श्रेणी:

  • ये डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियां हैं जिन्हें फ्रांस से लिया गया है, और इन्हे प्रोजेक्ट -75 के तहत नौसेना की सहायता से देश में निर्मित किया गया है।
  • स्कॉर्पीन-श्रेणी की पनडुब्बियां सतह-विरोधी युद्ध, पनडुब्बी-रोधी युद्ध, खुफिया जानकारी एकत्र करना, विस्फोटक उपकरण बिछाना (विस्फोटक उपकरण जो संपर्क करने पर फट जाता है) और सम्बंधित क्षेत्र की निगरानी जैसे कई मिशनों को अंजाम दे सकती हैं।
  • इस पनडुब्बी को सभी युद्ध क्षेत्रों में इस्तेमाल के लिए डिज़ाइन किया गया है।
  • स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों के निर्माण में उपयोग की जाने वाली अत्याधुनिक तकनीकी के कारण इनमें रेडार से बच निकलने की क्षमता है।
  • यह एक मजबूत मंच है, जो पनडुब्बी संचालन में पीढ़ीगत बदलाव का प्रतीक है।
  • स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बियों में आईएनएस कलवरी, आईएनएस खंडेरी, आईएनएस करंज, आईएनएस वेला,आईएनएस वागीर और आईएनएस वाग्शीर शामिल हैं।

विवरण:

  • दोनों देशों के वरिष्ठ नौसेना अधिकारियों ने रक्षा और पनडुब्बी प्रौद्योगिकी, ‘मेक इन इंडिया’, नौसेनाओं के बीच पेशेवर सहयोग और सभी समान विचारधारा की नौसेनाओं/राष्ट्रों के साथ साझा समुद्री हितों के प्रति भारतीय नौसेना के दृष्टिकोण सहित सामान्य हित के विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की।

नौसेना रक्षा उपकरणों के विकासक्रम:

  • गौरतलब हैं कि भारत ने अतीत में रूस से परमाणु हमले वाली पनडुब्बियां (SSN) लीज पर ली हैं और वर्तमान में वह प्रोजेक्ट 75 अल्फा के तहत स्वदेशी रूप से SSN बनाने की प्रक्रिया में है।
  • भारत पहले से ही परमाणु बैलिस्टिक पनडुब्बियों (SSBN) में अरिहंत श्रेणी की पनडुब्बियों का संचालन कर रहा है।
  • इन जहाजों को भारत द्वारा ‘रणनीतिक प्रहार परमाणु पनडुब्बियों’ (strategic strike nuclear submarines’ ) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

सारांश:

  • भारत और ब्राजील के बीच रक्षा सहयोग भारत-ब्राजील द्विपक्षीय साझेदारी में एक नए आयाम का प्रतीक है।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

‘पूर्ण न्याय’ के लिए एक नई न्यायिक युक्ति:

विषय: भारतीय न्यायिक प्रणाली।

मुख्य परीक्षा: न्यायिक प्रणाली की चुनौतियों पर चर्चा करें।

संदर्भ:

  • इस लेख में ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक के हालिया मामले के संदर्भ में न्यायपालिका की शक्तियों और चुनौतियों पर चर्चा की गई है।

पृष्टभूमि:

  • पिछले साल नवंबर में धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में दायर एक शिकायत में, उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी की एक अदालत ने ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को 11 जुलाई 2022 को तलब किया था।
  • लखीमपुर खीरी पुलिस ने धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में सीतापुर में उनके खिलाफ दायर एक मामले में 8 जुलाई 2022 को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिलने के तुरंत बाद जुबैर को अदालत में पेश होने के लिए समन जारी किया।
  • सुनवाई के दौरान, UP सरकार ने तर्क दिया कि मोहम्मद जुबैर एक ऐसे सिंडिकेट का हिस्सा है जिसका उद्देश्य देश को अस्थिर करना है और हो सकता है कि वह भारत के प्रति शत्रुतापूर्ण संस्थाओं से धन प्राप्त कर रहे हों।
  • उन पर IPC की धारा 295-A और आईटी एक्ट, 2000 की धारा 67 के तहत आरोप लगाए गए थे।
  • यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक दिल्ली पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दायर एक मामले में 16 जुलाई तक पुलिस हिरासत में रहेंगे।

सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियां:

भारत के सर्वोच्च न्यायालय की प्रमुख शक्तियाँ निम्नलिखित हैं:

सर्वोच्च न्यायालय:

  • सर्वोच्च न्यायालय, सर्वोच्च अपीलीय न्यायालय है जिसे भारत के शीर्ष न्यायालय और अंतिम न्यायायिक उपाय के रूप में भी जाना जाता है, जहां भारतीय नागरिक उच्च न्यायालय के फैसले से असंतुष्ट होने पर न्याय की मांग कर सकते हैं।

मौलिक अधिकारों के रक्षक:

  • यदि भारत के नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है तो वे संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत सीधे रिट के माध्यम से SC में अपील कर सकते हैं।

मूल क्षेत्राधिकार:

  • संविधान के अनुच्छेद 131 के अनुसार, SC उन मामलों पर मूल क्षेत्राधिकार के रूप में कार्य करता है जहां विवाद या तो केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार या दो या दो से अधिक राज्य सरकारों के बीच हैं।

अपीलीय क्षेत्राधिकार:

  • संविधान के अनुच्छेद 132, 133 और 134 के अनुसार, दीवानी, आपराधिक या संविधान से संबंधित मामलों में सुप्रीम कोर्ट का अपीलीय क्षेत्राधिकार है।

अद्वितीय शक्ति:

  • अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को पार्टियों (समूहों) के बीच “पूर्ण न्याय” करने की एक अद्वितीय शक्ति प्रदान करता है, जहां कभी-कभी कानून या अधिनियम में ऐसा कोई प्रावधान नहीं होता हैं।
  • उन स्थितियों में, न्यायालय विवाद को हल करने के लिए इन तरीकों को अपना सकता है जो मामले के तथ्यों के अनुकूल हो।

न्यायपालिका के समक्ष चुनौतियां:

व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मुद्दा:

  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय की शक्तियों की ऊपर चर्चा की गई है। ऐसी शक्तियों के बावजूद, जब भी व्यक्तिगत स्वतंत्रता का मुद्दा सामने आता है, तब शीर्ष अदालत ने खुद को असहाय दिखाया है।

न्यायालय के ऊपर कार्यपालिका:

  • कई मामलों में अलग-अलग अदालतों द्वारा जब बार-बार जमानत याचिकाएं खारिज की जाती हैं। तब असंतुष्ट को जेल से रिहा न किया जाए, यह सुनिश्चित करने हेतु कार्यपालिका द्वारा राज्य के विभिन्न हिस्सों में कई प्राथमिकी दर्ज की जाती हैं।
  • कार्यपालिका के जेल न्यायशास्त्र ने न्यायालय की जमानत व्यवस्था को त्याग दिया है। यह देश के आपराधिक न्यायशास्त्र में एक नई धारणा तथा न्यायपालिका के सामने एक बड़ी चुनौती है।
  • इस प्रकार के मामलों से निपटने में सुप्रीम कोर्ट का पारंपरिक दृष्टिकोण मदद नहीं करेगा।
  • श्री जुबैर के मामले में, भारत के सॉलिसिटर जनरल का तर्क था कि “(सुप्रीम) न्यायालय (इस मामले में) द्वारा पारित कोई भी आदेश दो अदालतों द्वारा पारित चार न्यायिक आदेशों को बाधित करेगा जिन्हें चुनौती नहीं दी गई है”।
    • यह अनुच्छेद 142 की भावना को लागू करने में न्यायालय की अक्षमता को प्रदर्शित करता है, जिसके कारण श्री जुबैर को ‘अंतरिम जमानत’ देने के बावजूद जेल में रहना पड़ा।

विधि के शासन का सिद्धांत:

  • देश में आपराधिक न्याय प्रणाली अब विधि के शासन से संचालित होती है न कि कानून के शासन से।
  • कानून अब सरकार के हाथ का एक प्रभावी उपकरण बन गया है और यह विरोधियों के खिलाफ काम करता है। यदि अदालत यह मानती है कि कानूनी व्यवस्था विधि के शासन के सिद्धांत द्वारा शासित है, तो कुछ परिणाम अन्यायपूर्ण क्यों हैं?

असंवैधानिकता:

  • देश के संविधानवाद में परिवर्तन हुए हैं और इस कठोर वास्तविकता को कोई भी न्यायालय नजरअंदाज नहीं कर सकता है।
  • ऐसी कठिन परिस्थितियों में भी, संवैधानिक न्यायालय को देश की संवैधानिकता को बनाए रखने हेतु सक्षम होना चाहिए।

कुछ देशों के उदाहरण:

  • अदालतें लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और प्रतिबद्धताओं को मजबूत करने के लिए भी जिम्मेदार हैं।
  • कोलंबिया और ब्राजील की संवैधानिक अदालतों में “राज्य के असंवैधानिक मामलों” के संबंध में एक नवीन सिद्धांत विकसित किया गया है।
  • जैसा कि शब्द से पता चलता है, मामलों की असंवैधानिक स्थिति विशेष रूप से ऐसी स्थिति होती है जहां अधिकारों का उल्लंघन व्यक्तिगत नहीं होता है, बल्कि संरचनात्मक होता है।
  • मामलों की असंवैधानिक स्थिति एक कानूनी निर्णय है जो न्यायालय को मौलिक अधिकारों के व्यापक और प्रणालीगत उल्लंघन के खिलाफ सार्वजनिक नीतियों को लागू करने हेतु सरकार की विधायी और कार्यकारी दोनों शाखाओं की विफलता को स्वीकार करने की अनुमति देता है।
  • इसलिए, यह उल्लंघन के संरचनात्मक कारणों का मुकाबला करने हेतु संविधान के अनुरूप न्यायिक हस्तक्षेप को सही ठहराता है।
  • यह कुछ हद तक संयुक्त राज्य अमेरिका की संरचनात्मक निषेधाज्ञा और भारत में जनहित याचिका (PIL) के समान है।

भावी कदम:

न्यायिक माहौल:

  • एक ऐसा न्यायिक माहौल बनाया जाना चाहिए जो व्यक्तिगत स्वतंत्रता का समर्थन करता हो।

पूर्ण न्याय:

  • जब भी कोई ऐसा मामला आता है जहाँ संवैधानिक न्याय कमजोर पड़ता है, तो सर्वोच्च न्यायालय को संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत पूर्ण न्याय की शक्ति का उपयोग करना चाहिए।
  • इस प्रावधान का दायरा अलग-अलग मामलों में अलग-अलग है। कुछ मामलों में, इसका उपयोग प्रतिबंधात्मकता तो कुछ मामलों में उदार और प्रासंगिक है।
  • दिल्ली विकास प्राधिकरण बनाम स्किपर कंस्ट्रक्शन कंपनी (1996) में, शीर्ष अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 142 के तहत शक्ति “अवांछित और असूचीबद्ध रहनी चाहिए ताकि यह दी गई स्थिति के अनुरूप ढाला जाने योग्य बनी रहे”।

निष्कर्ष:

  • पूर्ण न्याय हेतु प्रभावी न्यायशास्त्र विकसित करने की आवश्यकता है ताकि देश की लोकतांत्रिक विरासत को संरक्षित किया जा सके।

सारांश:

  • सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर के खिलाफ दर्ज एक मामले में उनकी अंतरिम जमानत अगले आदेश तक रद्द कर दी है। यह दर्शाता है कि व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मुद्दे पर शीर्ष अदालत असहाय है। न्यायपालिका भी लोकतांत्रिक प्रतिबद्धताओं की सुरक्षा के लिए जवाबदेह और जिम्मेदार है, इसलिए इसे पूर्ण न्याय सुनिश्चित करना चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. नासा का टेलीस्कोप ब्रह्मांड की गहराइयों में जा रहा है:

संदर्भ:

  • नासा ने हाल ही में जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप से ली गई छवियों का अनावरण किया है।

जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (James Webb Space Telescope):

  • यह अब तक की सबसे बड़ी और सबसे शक्तिशाली कक्षीय वेधशाला है।
  • यह वैज्ञानिकों को आकाशगंगा के विकास, सितारों और ग्रहों के निर्माण और एक्सोप्लैनेटरी सिस्टम का निरीक्षण करने में मदद करेगी।
  • हबल टेलीस्कोप का उत्तराधिकारी जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) है।
  • यह एक अवरक्त स्पेक्ट्रम आधारित दूरबीन है।
  • यह नासा द्वारा निर्मित अंतरिक्ष दूरबीन है,जिसमें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी का योगदान भी शामिल है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. केंद्र के पास बाल श्रम के नये आंकड़े नहीं हैं:

  • भारत में बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम जैसे कानून के बावजूद, बाल श्रम का खतरा लगातार जारी है।
  • कुछ ऐसी रिपोर्टें सामने आई हैं जिनसे पता चलता हैं कि महामारी के बाद बाल श्रम में वृद्धि हुई है।
  • हालांकि, केंद्र सरकार के पास देश में बाल श्रम के आंकड़ें उपलब्ध नहीं है और इसका एक प्रमुख कारण राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (National Child Labour Project (NCLP)) के लिए बजटीय आबंटन में कटौती है।
  • राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (NCLP) को 2016 में समग्र शिक्षा अभियान में मिला दिया गया था।
  • वर्तमान में उपलब्ध आंकड़े वर्ष 2011 की जनगणना के हैं, जिसके अनुसार भारत में दस लाख से अधिक बाल मजदूर हैं।
  • बाल श्रम पर आंकड़ों की कमी बाल श्रम में फंसे बच्चों की मदद करने के किसी भी प्रयास को बाधित करेगी।
  • बाल श्रम के कारण उत्पन्न एक चिंता यह है कि बाल मजदूरों के लिए राष्ट्रीय बाल श्रम परियोजना (NCLP) के तहत बनाए गए स्कूलों की स्थिति दयनीय है। धन की कमी के कारण कमोबेश ये स्कूल बंद हो गए हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. विगत दशक में, यूरोपीय संघ के देशों के साथ भारत का निर्यात देश के समग्र निर्यात की तुलना में काफी तेजी से बढ़ा है।
  2. भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते के तहत, कम टैरिफ अर्हता प्राप्त करने के लिए निर्यातक देश में 40% मूल्यवर्धन या 40% तक का पर्याप्त प्रसंस्करण आवश्यक है।
  3. यूएस-मेक्सिको-कनाडा समझौते में एक “सूर्यास्त” खंड है जो समय-समय पर समीक्षा करता है। समझौता 16 वर्षों में स्वचालित रूप से समाप्त हो जाएगा यदि भागीदार देश इस पर फिर से बातचीत नहीं करते हैं।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • यूरोपीय संघ काफी लम्बे समय बाद भारतीय वस्तुओं और सेवाओं के एक प्रमुख निर्यात गंतव्य के रूप में उभरा है।
    • पिछले दशक में, यूरोपीय संघ के देशों को भारत का निर्यात देश के समग्र निर्यात की तुलना में बहुत तेज गति से बढ़ा है।
  • भारत-यूएई व्यापक आर्थिक भागीदारी समझौते के तहत, कम टैरिफ के लिए अर्हता प्राप्त करने के लिए निर्यातक देश में 40% मूल्यवर्धन या 40% तक का पर्याप्त प्रसंस्करण आवश्यक है।
    • यह इस तथ्य को सुनिश्चित करने में मदद करने के लिए है कि चीन जैसे अन्य देश इस समझौते का उपयोग अपने उत्पादों को दूसरे देश में डंप करने के लिए न करे।
  • यूएस-मेक्सिको-कनाडा व्यापार समझौते में “सूर्यास्त” खंड है।

प्रश्न 2. जलवायु परिवर्तन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. NDCs (राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान) का अगला दौर केवल 2025 में होने वाला है।
  2. केवल मिस्र और न्यूजीलैंड ने आह्वान किया है कि देशों को 2022 के अंत तक अपने NDCs को मजबूत करने के लिए फिर से साथ आना चाहिए।
  3. लाइक माइंडेड ग्रुप के सदस्य देशों में बेलारूस, भूटान, चीन और भारत शामिल हैं।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: c

व्याख्या:

  • केवल मिस्र और ऑस्ट्रेलिया ने आह्वान किया है कि देशों को 2022 के अंत तक अपने NDCs को मजबूत करने के लिए फिर से साथ आना चाहिए।

प्रश्न 3. भारत में जमानत के नियमो के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. CrPC जमानत शब्द को परिभाषित नहीं करता है, केवल भारतीय दंड संहिता के तहत अपराधों को ‘जमानती’ और ‘गैर-जमानती’ के रूप में वर्गीकृत करता है।
  2. गैर-जमानती अपराध संज्ञेय हैं, जो पुलिस अधिकारी को बिना वारंट के गिरफ्तार करने में सक्षम बनाता है।
  3. CrPC मजिस्ट्रेटों को अधिकार के तहत जमानती अपराधों के लिए जमानत देने का अधिकार देता है।

सही कथन का चयन कीजिए:

(a) केवल 1 और 2

(b) केवल 2 और 3

(c) केवल 1 और 3

(d) उपर्युक्त सभी

उत्तर: d

व्याख्या:

  • हालाँकि CrPC जमानत शब्द को परिभाषित नहीं करता है, लेकिन यह केवल भारतीय दंड संहिता के तहत अपराधों को ‘जमानती’ और ‘गैर-जमानती’ के रूप में वर्गीकृत करता है।
  • CrPC मजिस्ट्रेटों को अधिकार के रूप में जमानती अपराधों के लिए जमानत देने का अधिकार देता है।
  • गैर-जमानती अपराधों के मामले में, दो अधिकारियों को जमानत के प्रश्न पर विचार करने का अधिकार है,अर्थात् (1) एक अदालत और (2) पुलिस थाने का प्रभारी अधिकारी जिसने गैर-जमानती अपराध के आरोपी या संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार या हिरासत में लिया है।
  • गैर-जमानती अपराधों के मामले में, पुलिस अधिकारी बिना वारंट के गिरफ्तार कर सकता है।

प्रश्न 4. नासा ने वेब की पहली डीप फील्ड छवि को ” ब्रह्मांड की अब तक की सबसे रहस्य पूर्ण और सबसे तेज _____________ छवि” के रूप में वर्णित किया है, यह SMACS0723 नामक एक आकाशगंगा के समूह के अतिरिक्त और भी बहुत कुछ प्रदर्शित करती है।

रिक्त स्थान को भरें-

(a) अवरक्त

(b) पराबैंगनी

(c) एक्स-रे

(d) आभासी

उत्तर: a

व्याख्या:

  • जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) एक अंतरिक्ष दूरबीन है जिसे मुख्य रूप से अवरक्त खगोल विज्ञान की खोजबीन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।

प्रश्न 5. सिंधु नदी प्रणाली के संदर्भ में, निम्नलिखित चार नदियों में से तीन नदियां इनमें से किसी एक नदी में मिलती हैं, जो सीधे सिंधु नदी में मिलती है। निम्नलिखित में से वह नदी कौन सी है जो सिन्धु नदी में सीधे मिलती है?

(a) चेनाब

(b) झेलम

(c) रावी

(d) सतलुज

उत्तर: d

व्याख्या:

  • चिनाब, झेलम, रावी नदियाँ सतलुज नदी में मिलती हैं। सतलुज नदी वह है जो सीधे सिंधु नदी में मिलती है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. ‘न्याय में देरी न्याय से वंचित होना है। न्यायपालिका के सभी स्तरों पर बड़े पैमाने पर लंबित मामलों के कारण यह कहावत भारत में एक दुर्भाग्यपूर्ण वास्तविकता बन गई है। समालोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस पेपर 2- राजनीति)

प्रश्न 2. प्रासंगिक उदाहरणों के साथ नए आईटी नियमों और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार के बीच विवाद का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस पेपर 2- राजनीति)