A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन एवं सामाजिक न्याय:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: सामाजिक न्याय:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारत में जाति जनगणना का मामला:
शासन एवं सामाजिक न्याय:
विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के उद्देश्य से सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप, उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे; आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं, इन कमजोर वर्गों की सुरक्षा और बेहतरी के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थान और निकाय।
मुख्य परीक्षा: जाति बोध: ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, वर्तमान मांग और भावी कदम।
प्रसंग:
- इस लेख में भारत में राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की मांग पर चर्चा की गई है, जिसमें सामाजिक-आर्थिक असमानताओं, शैक्षिक और रोजगार असमानताओं और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला गया है।
विवरण:
- भारत में राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना की मांग ने हाल के दिनों में जोर पकड़ लिया है।
- देश में सामाजिक-आर्थिक विषमताएँ और असमानताएँ को समझने और संबोधित करने के लिए जाति-आधारित आंकड़े महत्वपूर्ण है।
- यह लेख जाति आधारित जनगणना के ऐतिहासिक संदर्भ, सामाजिक-आर्थिक निहितार्थ और सटीक जाति डेटा की आवश्यकता की पड़ताल करता है।
सामाजिक-आर्थिक डेटा और जाति-आधारित वंचितता:
- आंकड़ों से पता चलता है कि अनुसूचित जनजाति (ST), अनुसूचित जाति (SC) और अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को आर्थिक असमानताओं का सामना करना पड़ता है।
- अनुमानों से संकेत मिलता है कि एसटी, एससी और ओबीसी देश के गरीबों के एक महत्वपूर्ण हिस्से के साथ बहुआयामी गरीबी से असमान रूप से प्रभावित हैं।
- जाति-आधारित भेदभाव और बहिष्कार गरीबी और अभाव से जुड़े हुए हैं, जैसा कि विभिन्न अध्ययनों में परिलक्षित होता है।
शिक्षा और रोजगार असमानताएँ:
- आधिकारिक आंकड़ों से जाति के आधार पर शिक्षा और रोजगार में असमानता का पता चलता है।
- ओबीसी, एससी और एसटी की तुलना में सामान्य श्रेणी में साक्षरों, स्नातकों और स्नातकोत्तरों का अनुपात अधिक है।
- रोज़गार के आँकड़े भी अनौपचारिक, कम वेतन वाली नौकरियों में एसटी, एससी और ओबीसी की एकाग्रता दर्शाते हैं, जबकि सामान्य वर्ग में औपचारिक रोज़गार के अधिक अवसर हैं।
ऐतिहासिक संदर्भ:
- जाति सर्वेक्षण ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के दौरान शुरू किए गए थे और 1931 की जनगणना तक जारी रहे।
- स्वतंत्र भारत ने जाति विभाजन और जाति व्यवस्था के मजबूत होने जैसी चिंताओं के कारण पूर्ण जाति गणना बंद कर दी थी।
- 1980 में मंडल आयोग की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया कि ओबीसी भारत की आबादी का 52% है, जिससे ओबीसी के लिए 27% आरक्षण प्रदान किया गया।
इंद्रा साहनी निर्णय और ओबीसी आरक्षण:
- 1992 में इंद्रा साहनी फैसले ने 27% ओबीसी आरक्षण को बरकरार रखा।
- हालाँकि, ओबीसी श्रेणी में जाति समूहों की सटीक जनसंख्या हिस्सेदारी अज्ञात है, जो जाति जनगणना की मांग के लिए एक प्रेरक शक्ति है।
- सामान्य वर्ग के लिए 10% ईडब्ल्यूएस आरक्षण जैसे हालिया घटनाक्रम ने भी ओबीसी आरक्षण के विस्तार के बारे में चर्चा शुरू कर दी है।
भावी कदम:
- ओबीसी के भीतर उप-वर्गीकरण के लिए वैज्ञानिक मानदंड विकसित करने के लिए सटीक जाति आंकड़े महत्वपूर्ण है।
- एक राष्ट्रव्यापी सामाजिक-आर्थिक जाति जनगणना ओबीसी श्रेणी के भीतर व्यक्तिगत जाति समूहों की संख्या और अनुपात की पहचान करने में मदद कर सकती है।
- आरक्षण और लाभ विशिष्ट प्रभावशाली जाति समूहों के बीच केंद्रित होने की चिंताओं को दूर करने के लिए आवश्यक है।
- जाति संरचना में विविधता को देखते हुए, ऐसे आंकड़े उन राज्यों के लिए भी महत्वपूर्ण होंगे जिनकी अपनी राज्य-स्तरीय ओबीसी सूची है।
सारांश:
|
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के लिए बिहार का एक महत्वपूर्ण कदम:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
सामाजिक न्याय:
विषय: आबादी के कमजोर वर्गों की सुरक्षा और बेहतरी के लिए गठित तंत्र, कानून, संस्थान और निकाय।
मुख्य परीक्षा: जाति आधारित जनगणना का महत्व।
प्रसंग:
- 2 अक्टूबर, 2023 को, बिहार सरकार ने जाति-आधारित सर्वेक्षण के आंकड़े जारी किये, जिसे बिहार जाति आधारित गणना के नाम से जाना जाता है। यह जाति-आधारित जनगणना भारत में सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस सर्वेक्षण के माध्यम से प्राप्त आंकड़े साक्ष्य-आधारित नीति निर्माण और कार्यान्वयन के लिए महत्वपूर्ण है।
जाति सर्वेक्षण की उत्पत्ति:
|
जाति-आधारित भेदभाव और अन्याय को संबोधित करना:
- जाति-आधारित भेदभाव और उत्पीड़न:
- भारत में जाति-आधारित भेदभाव और उत्पीड़न का एक लंबा इतिहास रहा है।
- जनगणना समाज में मौजूद ऐतिहासिक अन्यायों और असमानताओं की सीमा को माप सकती है।
- प्रभावकारिता के लिए सटीकता:
- लक्षित कल्याण कार्यक्रमों और प्रगति पर नज़र रखने के लिए सटीक जाति-आधारित आंकड़े आवश्यक है।
- यह विभिन्न क्षेत्रों में हाशिए पर रहने वाले समुदायों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करता है।
- दुरुपयोग रोकना:
- सटीक आंकड़ों के बिना, जाति प्रमाणपत्रों के दुरुपयोग का खतरा होता है।
- जाति-आधारित जनगणना व्यक्तियों की जाति की स्थिति को सत्यापित करने, धोखाधड़ी को कम करने में मदद कर सकती है।
महत्व:
- सटीक डेटा सरकार को विभिन्न जाति समूहों की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप अधिक प्रभावी और लक्षित कल्याण कार्यक्रम विकसित करने में सक्षम बनाता है।
- यह संसाधनों और अवसरों के समान वितरण को सुनिश्चित करते हुए नीतियों और सकारात्मक कार्रवाई के मूल्यांकन की अनुमति देता है।
- सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने के सरकारी प्रयासों में पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है।
भावी कदम:
- सरकारी हस्तक्षेप: सरकार को जाति-आधारित भेदभाव और ऐतिहासिक अन्याय को दूर करने के लिए प्रतिबद्ध कदम उठाने चाहिए।
- संवैधानिक अधिदेशः भारतीय संविधान जाति-आधारित भेदभाव को मान्यता देता है और सकारात्मक कार्रवाई उपायों का प्रावधान करता है।
- मानवाधिकारः जाति के आधार पर भेदभाव मानवाधिकारों का उल्लंघन है, और सरकार को नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करनी चाहिए।
- सामाजिक सामंजस्यः सामाजिक सद्भाव और एकता को बढ़ावा देने के लिए सरकारी हस्तक्षेप आवश्यक है।
- आर्थिक विकास: सकारात्मक कार्रवाई नीतियां आर्थिक असमानताओं को पाट सकती हैं और आर्थिक विकास को बढ़ावा दे सकती हैं।
- शिक्षा: सरकारी हस्तक्षेप सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच सुनिश्चित करता है और भेदभाव को समाप्त करता है।
- रोजगार: सरकार को भेदभाव विरोधी कानून लागू करना चाहिए और निष्पक्ष रोजगार प्रथाओं को बढ़ावा देना चाहिए।
- राजनीतिक प्रतिनिधित्व: हाशिए पर मौजूद समूहों की चिंताओं को दूर करने के लिए राजनीतिक भागीदारी और प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।
- जागरूकता और संवेदनशीलता: सरकार जागरूकता पैदा करने और समावेशिता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
- कानूनी ढांचा: भेदभाव-विरोधी कानूनों को मजबूत करना और लागू करना आवश्यक है।
सारांश:
|
प्रीलिम्स तथ्य:
1. वैश्विक भूख सूचकांक में भारत 111वें स्थान पर:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: अर्थव्यवस्था
प्रारंभिक परीक्षा: वैश्विक भूख सूचकांक से सम्बन्धित तथ्यात्मक जानकारी।
विवरण:
- ग्लोबल हंगर इंडेक्स (GHI) 2023 में भारत का स्थान 125 देशों में से 111 पर है।
- जीएचआई भूख का एक मापक है जो भूख और कुपोषण को संबोधित करने में देश के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए कई संकेतकों को जोड़ता है।
भारत की जीएचआई रैंक और स्कोर:
- भारत की GHI रैंकिंग 111 है, 0 से 100 के पैमाने पर भारत का GHI स्कोर 28.7 है।
- 0 का स्कोर भूखमरी नहीं होने की स्थिति को दर्शाता है, जबकि 100 सबसे खराब (बदतर) भूख/भूखमरी की स्थिति को दर्शाता है।
- भारत का स्कोर भूख की गंभीरता को “गंभीर” के रूप में वर्गीकृत करता है।
जीएचआई में प्रमुख संकेतक:
- जीएचआई एक सूत्र का उपयोग करता है जो भूख का आकलन करने के लिए चार प्रमुख संकेतकों पर विचार करता है: अल्पपोषण, बच्चों का बौनापन, बच्चों का कमज़ोर होना और बाल मृत्यु दर।
- ये संकेतक भूख और कुपोषण की बहुआयामी प्रकृति को दर्शाते हैं।
भारत की जीएचआई रैंकिंग पर विवाद:
- भारत सरकार ने कार्यप्रणाली संबंधी खामियों का हवाला देते हुए लगातार तीसरे वर्ष अपनी जीएचआई रैंकिंग का विरोध किया है।
- महिला एवं बाल विकास मंत्रालय भारत की वास्तविक भूख की स्थिति का प्रतिनिधित्व करने में जीएचआई की सटीकता पर सवाल उठाता है।
वैश्विक संदर्भ:
- अफगानिस्तान, हैती और 12 उप-सहारा देशों ने जीएचआई पर भारत से भी बदतर प्रदर्शन किया हैं।
- धीमी प्रगति की वैश्विक प्रवृत्ति के अनुरूप, भूख के खिलाफ भारत का प्रदर्शन 2015 से लगभग रुका हुआ है।
विवाद पर प्रतिक्रिया:
- जीएचआई के वरिष्ठ नीति सलाहकार मिरियम वाइमर्स ने सूचकांक की कार्यप्रणाली का बचाव करते हुए कहा कि यह सभी देशों के लिए समान डेटा स्रोतों और तुलनीय पद्धतियों का उपयोग करता है।
2. IIP 14 महीने के उच्चतम स्तर पर पहुंचा:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: अर्थव्यवस्था
प्रारंभिक परीक्षा: औद्योगिक उत्पादन सूचकांक से सम्बन्धित तथ्यात्मक जानकारी।
विवरण:
- भारत के औद्योगिक उत्पादन में अगस्त में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई, जो 14 महीने का उच्चतम स्तर है।
- औद्योगिक उत्पादन में यह वृद्धि विभिन्न कारकों से प्रभावित थी, जिसमें एक अनुकूल आधार प्रभाव और मजबूत विनिर्माण प्रदर्शन शामिल थे।
प्रमुख औद्योगिक उत्पादन आंकड़े:
- भारत में औद्योगिक उत्पादन अगस्त में 10.3% बढ़ गया, जबकि जुलाई में संशोधित 6% वृद्धि हुई थी।
- अनुकूल आधार प्रभाव को पिछले साल के उत्पादन स्तरों के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है, जिसमें 0.7% की गिरावट आई थी।
- यह अप्रैल के बाद से सबसे अच्छे विनिर्माण प्रदर्शन का प्रतीक है।
क्षेत्र-विशिष्ट विकास:
- बिजली और खनन क्षेत्रों में क्रमशः 15.3% और 12.3% की वृद्धि के साथ पर्याप्त वृद्धि देखी गई।
- अगस्त में विनिर्माण उत्पादन में 9.3% की वृद्धि हुई, अधिकांश प्रमुख क्षेत्रों में जुलाई की तुलना में वृद्धि और कम संकुचन दिखा।
- परिधान, रसायन और कंप्यूटर/इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे कुछ क्षेत्रों में उत्पादन में गिरावट देखी गई।
उपभोक्ता वस्तुओं का उत्पादन:
- उपभोक्ता वस्तुओं के उत्पादन में मिश्रित (वृद्धि एवं संकुचन) रुझान दिखा।
- टिकाऊ वस्तुओं के उत्पादन में 5.7% की वृद्धि हुई, जो सितंबर 2022 के बाद से अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया हैं।
- गैर-टिकाऊ उपभोक्ता वस्तुओं में साल-दर-साल 9% की वृद्धि हुई, लेकिन जुलाई के स्तर की तुलना में 3.9% कम थी।
उपयोग-आधारित खंड:
- छह उपयोग-आधारित खंडों में से तीन में दोहरे अंक की वृद्धि दर्ज की गई, जो बुनियादी ढांचे और निर्माण वस्तुओं द्वारा संचालित है, जिसमें लगातार वृद्धि देखी गई है।
- पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन 12.6% बढ़ गया, जो निवेश की बढ़ी हुई मांग को दर्शाता है।
- प्राथमिक वस्तुओं और मध्यवर्ती वस्तुओं में भी क्रमशः 12.4% और 6.5% की वृद्धि देखी गई।
आर्थिक दृष्टिकोण:
- अर्थशास्त्री और विशेषज्ञ बारीकी से देख रहे हैं कि क्या यह औद्योगिक उछाल भारतीय कंपनियों की दूसरी तिमाही के नतीजों में उनकी बिक्री और प्रदर्शन में दिखाई देगा।
- सतत विकास के लिए ग्रामीण मांग का पुनरुद्धार एक महत्वपूर्ण कारक है।
- आने वाले महीनों में बाहरी वातावरण चुनौतियों का सामना कर सकता है क्योंकि प्रमुख पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं में गिरावट आ रही है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. पी-20 शिखर सम्मेलन:
- लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने नौवें जी-20 संसदीय अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन (P-20) से पहले ‘लाइफः लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ विषय पर संसदीय मंच को संबोधित किया।
- उन्होंने जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए नीतियों और कानूनों से परे सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता पर जोर दिया।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पी-20 शिखर सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे।
- पी-20 शिखर सम्मेलन से पहले के कार्यक्रम में जी-20 देशों और आमंत्रित देशों के पीठासीन अधिकारी शामिल हुए और मिशन जीवन शैली पर ध्यान केंद्रित किया गया।
- श्री बिड़ला ने इस बात पर प्रकाश डाला कि हालांकि कानून और नीतियां महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वे अकेले जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को हल नहीं कर सकते हैं।
- उन्होंने भारतीय संसद में चर्चाओं और दैनिक दिनचर्या को बदलने के लिए सामूहिक योगदान की आवश्यकता का उल्लेख किया।
- मिशन लाइफस्टाइल पर्यावरण की रक्षा के लिए कम उपयोग करने (reduce), पुनः उपयोग (reuse) और पुनर्चक्रण (recycle) के सिद्धांतों को प्रोत्साहित करता है।
- श्री बिड़ला ने इस बात पर जोर दिया कि पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने से बचने के लिए ऐसी जीवनशैली अपनाना व्यक्तिगत और सामूहिक जिम्मेदारी है।
2.सरस्वती सम्मान:
विवरण:
- प्रसिद्ध तमिल लेखिका शिवशंकरी को वर्ष 2022 के ‘सरस्वती सम्मान’ से सम्मानित किया गया है।
- यह प्रतिष्ठित पुरस्कार उनके संस्मरण “सूर्य वामसम” (Surya Vamsam) के लिए प्रदान किया गया है।
- ‘सरस्वती सम्मान’ की स्थापना के.के. बिड़ला फाउंडेशन द्वारा की गई है और इसमें पुरस्कार के तौर पर एक प्रशस्ति पत्र, एक स्मारक पट्टिका और ₹15 लाख का नकद पुरस्कार शामिल है।
संस्मरण “सूर्य वामसम”:
- संस्मरण “सूर्य वामसम” दो खंडों वाला एक संस्मरण है जो लेखक की जीवन यात्रा और पिछले सात दशकों में विकसित होते समाज पर एक अनूठा दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।
- यह संस्मरण एक मासूम बच्चे को एक प्रसिद्ध लेखक में परिवर्तित होने की कहानी को बताता हैं साथ ही इस अवधि के दौरान सामाजिक परिवर्तनों को भी दर्शाता है।
शिवशंकरी के बारे में:
- 1942 में जन्मे शिवशंकरी का साहित्यिक करियर पांच दशकों से अधिक का है।
- उनके व्यापक कार्य में 36 उपन्यास, 48 नोवेलेट्स (novelettes-एक विस्तारित गद्य कथा कहानी या लघु उपन्यास), 150 लघु कथाएँ, पाँच यात्रा वृतांत, सात निबंध संग्रह और तीन जीवनियाँ शामिल हैं।
- वह अपने चार खंडों वाले काम “निट इंडिया थ्रू लिटरेचर” (Knit India Through Literature) के लिए जानी जाती हैं, जो भारतीय साहित्य का एक व्यापक संकलन है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. 13-14 अक्टूबर 2023 को नई दिल्ली में आयोजित होने वाले नौवें P20 शिखर सम्मेलन का विषय है:
(a) वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए संसद
(b) सतत विकास के लिए संसद
(c) एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के लिए संसद
(d) लोकतंत्र और सुशासन के लिए संसद
उत्तर: c
व्याख्या:
- नौवें P20 शिखर सम्मेलन का विषय “एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य के लिए संसद” होगा। यह विषय वसुधैव कुटुंबकम के प्राचीन भारतीय दर्शन से प्रेरित है, जिसका अर्थ है “विश्व एक परिवार है (“The World is One Family”)।”
प्रश्न 2. संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन गलत है/हैं?
1. इसने सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (EWS) को 10% आरक्षण प्रदान किया।
2. इसने सरकार को “आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों” की उन्नति के लिए अतिरिक्त प्रावधान करने की अनुमति देने के लिए अनुच्छेद 15 में भी संशोधन किया।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: d
व्याख्या:
- संविधान (103वां संशोधन) अधिनियम, 2019 ने अनुच्छेद 15 और अनुच्छेद 16 में संशोधन किया और सामान्य श्रेणी में आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को 10% आरक्षण प्रदान किया।
प्रश्न 3. संस्मरणों की पुस्तक सूर्य वामसम के लिए 2022 का ‘सरस्वती सम्मान’ पुरस्कार किसने जीता?
(a) शिवशंकरी
(b) इंदिरा पार्थसारथी
(c) महाश्वेता देवी
(d) आशापूर्णा देवी
उत्तर: a
व्याख्या:
- शिवशंकरी एक तमिल लेखिका हैं जिन्होंने अपने संस्मरणों की पुस्तक सूर्य वामसम के लिए सरस्वती सम्मान 2022 पुरस्कार जीता हैं।
प्रश्न 4. भारत में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन गलत है/हैं?
1. यह प्रत्येक औद्योगिक क्षेत्र के विशिष्ट उत्पादन का माप प्रदान करता है।
2. IIP को राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा प्रतिवर्ष प्रकाशित किया जाता है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- आईआईपी Industrial Production (IIP)औद्योगिक गतिविधि का एक समग्र संकेतक है और यह व्यक्तिगत क्षेत्रों के विशिष्ट आउटपुट को नहीं मापता है। इसकी गणना और प्रकाशन NSO द्वारा हर महीने किया जाता है।
प्रश्न 5. वैश्विक भूख सूचकांक (GHI) 2023 के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. यह एक वार्षिक रिपोर्ट है, जिसे कंसर्न वर्ल्डवाइड और वेल्थुंगरहिल्फे द्वारा संयुक्त रूप से प्रकाशित किया गया है।
2. जीएचआई अपनी गणना में केवल बच्चे का बौनापन (child stunting) और बच्चों ऊंचाई के अनुरूप कम वजन (child wasting) के संकेतकों को शामिल करता है।
3. GHI 2023 रिपोर्ट में भारत शीर्ष 10 देशों में शामिल है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 3 गलत है, जीएचआई 2023 रिपोर्ट में भारत 111वें स्थान पर है, शीर्ष 10 में नहीं। ग्लोबल हंगर इंडेक्स की गणना में अल्पपोषण, बाल विकास में कमी, बाल विकास और बाल मृत्यु दर जैसे संकेतक शामिल हैं।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. ‘वैश्विक भूख सूचकांक’ की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले पैरामीटर क्या हैं? संकेतकों के नवीनतम सेट में भारत के निराशाजनक प्रदर्शन पर टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) [जीएस- II: सामाजिक न्याय] (What are the parameters used to calculate the ‘Global Hunger Index’? Comment on India’s abysmal performance in the latest set of indicators. (250 words, 15 marks) [GS- II: Social Justice])
प्रश्न 2. भारत में जाति जनगणना की उत्पत्ति पर चर्चा करें। देश भर में जाति जनगणना कराने के फायदे और नुकसान के बारे में विस्तार से बताएं। (250 शब्द, 10 अंक) [जीएस- II: राजव्यवस्था एवं शासन] (Discuss the genesis of the caste census in India. Elaborate upon the pros and cons of holding a caste census across the country.(250 words, 10 marks) [GS- II: Polity & Governance])
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)