16 जुलाई 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शिक्षा:

  1. देश के उच्च शिक्षा संस्थान में IIT-M का शीर्ष स्थान

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

राजव्यवस्था:

  1. हेट स्पीच को बढ़ावा देने वाले नेटवर्क को रोकना

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. मंकीपॉक्स रोग

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. असम, अरुणाचल के मुख्यमंत्री 1960 के कागजात के आधार पर सीमा पुनर्संरेखण के लिए सहमत
  2. ईरान, बेलारूस SCO के सबसे नए सदस्य होंगे

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

देश के उच्च शिक्षा संस्थान में IIT-M का शीर्ष स्थान

शिक्षा:

विषय: शिक्षा से संबंधित सामाजिक क्षेत्र एवं सेवाओं का प्रबंधन।

प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2022

मुख्य परीक्षा: NIRF का महत्त्व

संदर्भ

  • राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) 2022।

राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF)

  • यह भारत में उच्च शिक्षा के संस्थानों को रैंक करने के लिए शिक्षा मंत्रालय द्वारा अपनाई गई एक पद्धति है।
  • इसकी शुरुआत सितंबर 2015 में मानव संसाधन विकास मंत्री द्वारा की गई थी।
  • इसे भारत में उच्च शिक्षा संस्थानों के प्रदर्शन पर वार्षिक रिपोर्ट कार्ड के रूप में तैयार किया जाता है।
  • यह विभिन्न श्रेणियों जैसे विश्वविद्यालयों, चिकित्सा, विधि, इंजीनियरिंग, प्रबंधन, समग्र((ओवरऑल), आदि के तहत शिक्षा संस्थानों को रैंक प्रदान करता है।
  • इसमें मुख्य रूप से शिक्षा संस्थानों का आकलन करने के लिए पांच प्रमुख मानकों का उपयोग होता है, ये इस प्रकार हैं:
    • अध्यापन, शिक्षण और संसाधन
    • अनुसंधान और व्यावसायिक अभ्यास
    • स्नातक के परिणाम
    • लोक संपर्क और समावेशिता
    • सहकर्मी धारणा

स्रोत: PIB

स्रोत: PIB

राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF), 2022

  • NIRF 2022 राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) का सातवां संस्करण है।
  • पांच प्रमुख मानकों के आधार पर करीब 4,786 संस्थानों का मूल्यांकन किया गया।
  • भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (IIT-M) को भारत में शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थान के रूप में स्थान दिया गया था, जिसके बाद भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु और IIT बॉम्बे का स्थान है।
  • शिक्षा मंत्री ने NIRF 2022 का शुभारंभ करते हुए कहा कि प्रत्येक उच्च शिक्षा संस्थान की मान्यता और मूल्यांकन अनिवार्य किया जाएगा और सभी संस्थान NIRF रैंकिंग प्रणाली का हिस्सा होंगे।
  • इसके अलावा, उन्होंने घोषणा की कि दो मौजूदा मान्यता प्रणाली अर्थात् NAAC और NBA का विलय कर दिया जाएगा तथा संस्थानों के पास सरकारी वित्त प्राप्त करने के लिए NAAC मान्यता या NIRF रैंक होना चाहिए।
  • उन्होंने यह भी कहा कि NIRF की तर्ज पर देश में स्कूलों की मान्यता के लिए एक प्रणाली शुरू की जाएगी। आईटीआई और पॉलिटेक्निक की रैंकिंग पर भी काम चल रहा है।

राष्ट्रीय संस्थागत रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF), 2022 रैंकिंग

श्रेणी

शीर्ष रैंक वाले संस्थान

समग्र (ओवरऑल)

1. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (IIT-M)

2. भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc), बेंगलुरु

3. आईआईटी बॉम्बे

4. आईआईटी दिल्ली

5. आईआईटी कानपुर

विश्वविद्यालय

1. IISc, बेंगलुरु

2. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

3. जामिया मिलिया इस्लामिया

4. जादवपुर विश्वविद्यालय

5. अमृता विश्व विद्यापीठम

चिकित्सा

1. अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स)

2. पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, चंडीगढ़

3. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर

4. राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु

5. बनारस हिंदू विश्वविद्यालय

प्रबंधन

1. भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) अहमदाबाद

2. आईआईएम बेंगलुरु

3. आईआईएम कोलकाता

4. आईआईटी दिल्ली

5. आईआईएम कोझिकोड

कॉलेज

1. मिरांडा हाउस

2. हिंदू कॉलेज

3. प्रेसीडेंसी कॉलेज

4. लोयोला कॉलेज

5. लेडी श्रीराम कॉलेज फॉर वूमेन

सारांश:

  • NIRF भारत सरकार द्वारा देश में उच्च शिक्षा संस्थानों को रैंक करने का पहला प्रयास है और यह शिक्षा संस्थानों को अपनी रैंकिंग को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक उपाय करने हेतु महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है जो भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी शिक्षण संस्थान निर्मित करने में सहायक है।

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

राजव्यवस्था

हेट स्पीच को बढ़ावा देने वाले नेटवर्क को रोकना

विषय: विभिन्न घटकों के बीच शक्तियों का पृथक्करण, कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन, क्रिया-पद्धति

मुख्य परीक्षा: ‘हेट स्पीच’ किस प्रकार ‘स्पष्ट हिंसा’ के अलावा ‘संरचनात्मक हिंसा’ का कारण बनती है, इस पर विश्लेषण

संदर्भ: इस आलेख में ऑनलाइन हेट स्पीच के बढ़ते नेटवर्क तथा न्यायपालिका और पत्रकारिता जैसे स्थापित संस्थानों के खिलाफ ट्रोलिंग पर चर्चा की गई है।

हेट स्पीच और ट्रोलिंग क्या होता है?

  • हेट स्पीच मूल रूप से ऐसा भाषण, व्यवहार या लेखन है जिसका उद्देश्य किसी के धर्म, जातीयता, नस्ल, रंग, लिंग या अन्य कारकों के आधार पर हमला या नुकसान (विशेष रूप से, भेदभाव, शत्रुता या हिंसा) करना होता है।
  • हेट स्पीच तनाव पर निर्भर करती है, और इसे बढ़ाने के प्रयास पर केंद्रित होती है।
  • एक ट्रोल एक ऐसे व्यक्ति के लिए इंटरनेट स्लैंग है जो जानबूझकर एक ऑनलाइन सामाजिक समुदाय में संघर्ष, शत्रुता या तर्क को भड़काने की कोशिश करता है।
  • ट्रोल में अक्सर लोगों की भावनात्मक प्रतिक्रियाओं को भड़काने के लिए भड़काऊ संदेशों का उपयोग होता है, अन्यथा नागरिक चर्चा को बाधित करते हैं।
  • ट्रोलिंग कहीं भी हो सकती है, जहां एक खुला क्षेत्र हो जहां लोग स्वतंत्र रूप से अपने विचार और राय पोस्ट कर सकें।

‘हेट स्पीच’ प्रणालीगत, संचयी और लोकतंत्र के लिए खतरा है:

  • एक प्रमुख राष्ट्रीय राजनीतिक दल के आईटी सेल द्वारा हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के एक न्यायाधीश पर टिप्पणी की गई जो नूपुर शर्मा पर उनकी टिप्पणी को लेकर थी, ज्ञात हो कि नुपूर शर्मा ने पैगंबर पर टिप्पणी की थी जिसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का सामना करना पड़ा था।
  • इस घटना से यह धारणा मिलती है कि पर्याप्त संख्या में ऐसे लोग हैं जो न्यायिक आलोचना का विरोध करते हैं।
    • जज की ये ट्रोलिंग हेट स्पीच में लिप्त लोगों के नेटवर्क के लिए मुहैया कराए गए वित्तीय और वैचारिक प्रोत्साहन के स्रोत को लेकर अहम सवाल खड़े करती है
  • राजनीतिक दलों ने स्वयंसेवकों और वेतनभोगी कार्यकर्ताओं को शामिल किया है और उनके पास ‘केंद्रीय आईटी सेल द्वारा बनाए गए बॉट हैं जो एक ही संदेश को एक साथ ट्वीट करते हैं’ ताकि वे ‘एक वास्तविक उपयोगकर्ता की तरह दिखें’।
    • इन खातों (एकाउंट्स) का उपयोग जनमत को सार्वजनिक नीतियों और मुद्दों के पक्ष या विपक्ष में प्रभावित करने के लिए किया जाता है।
  • दुनिया भर में चुनावों की हालिया प्रवृत्ति चुनावों के भाग्य का निर्धारण करने में सोशल मीडिया के महत्वपूर्ण प्रभाव को दर्शाती है।
    • वैश्विक प्रवृत्ति की तरह, भारतीय चुनाव भी सोशल मीडिया से प्रभावित हुए हैं और यह लोगों की राय को किसी न किसी तरह से प्रभावित करने के लिए जिम्मेदार रहा है।
    • जनता का पक्ष हासिल करने हेतु तर्कसंगत और रचनात्मक भाषणों के बजाय महत्वाकांक्षी राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए पत्रकारों, सरकार या न्यायपालिका के राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ सोशल मीडिया का उपयोग करने के अनैतिक तरीके।
    • इससे नकली कंटेंट और गलत सूचना और दुष्प्रचार के प्रवाह में वृद्धि हुई है।

भारतीय संविधान में हेट स्पीच पर प्रावधान:

  • भारत में भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और अन्य कानूनों के विभिन्न खंडों के माध्यम से हेट स्पीच पर प्रतिबंध लगाया जाता है जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीमाएं लगाते हैं।
  • संवैधानिक रूप से, अनुच्छेद 19 सभी नागरिकों को वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार देता है लेकिन उक्त अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता “युक्तियुक्त निर्बंधन (reasonable restriction)” के तहत आता है।
    • अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर युक्तियुक्त निर्बंधन (reasonable restriction) हैं जब इसके हिंसा में परिणत होने की संभावना दिखती है, जिसे 1989 के उच्चतम न्यायालय के फैसले में “स्पार्क इन अ पाउडर केग” स्थिति कहा गया था।
  • भारतीय दंड संहिता 1860 की धारा 153A, 153B, 295A, 298, 505 ऐसे भाषण या शब्दों से संबंधित हैं जो शरारत पैदा कर सकते हैं, धार्मिक विश्वासों को ठेस पहुंचा सकते हैं या राष्ट्रीय एकता के लिए समस्या खड़ी कर सकते हैं।
  • विधि आयोग ने प्रस्ताव दिया है कि भड़काऊ कृत्यों और भाषणों से संबंधित मौजूदा धाराओं में शामिल करने के बजाय विशेष रूप से हेट स्पीच को अपराध के तहत लाने के लिए IPC में अलग-अलग अपराध जोड़े जाने चाहिए।
    • इसमें दो नई धाराएं, धारा 153C और धारा 505A जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है।

हेट स्पीच पर न्यायिक हस्तक्षेप की सीमा:

  1. हेट स्पीच पर अंकुश लगाने और न्याय सुनिश्चित करने का कर्तव्य काफी हद तक उच्च न्यायपालिका पर आता है। हालाँकि, इस चुनौती को पूरा करने के लिए अदालतों की प्रतिक्रिया मिली-जुली रही है।
  2. हेट स्पीच के प्रसार पर, सर्वोच्च न्यायालय ने बताया कि समस्या का मुख्य कारण कानूनों की कमी नहीं है, बल्कि उनके प्रभावी क्रियान्वयन की कमी है।
    1. इसलिए, कार्यपालिका और साथ ही नागरिक समाज को पहले से मौजूद कानूनी व्यवस्था को लागू करने में अपनी भूमिका निभानी होगी।
  3. भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने जोर देकर कहा कि सोशल मीडिया के रुझान संस्थानों को कैसे प्रभावित कर सकते हैं, इस पर चर्चा शुरू करना अनिवार्य है।
  4. भारतीय संविधान में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आड़ में हेट स्पीच को रोकने का प्रयास है। यह उन अभिव्यक्तियों को प्रतिबंधित करता है जो युक्तियुक्त निर्बंधन (reasonable restriction) के प्रावधान के तहत दूसरों के लिए अपमानजनक हो सकती हैं।
  5. अनुच्छेद 51A(h) के तहत मौलिक कर्तव्य में नागरिकों से आग्रह है कि उन्हें वैज्ञानिक स्वभाव, मानवतावाद और जांच और सुधार की भावना विकसित करनी चाहिए।
  6. अभिव्यक्ति को प्रतिबंधित करते समय कई कारकों पर विचार किया जाना चाहिए जैसे मजबूत विचार की संख्या, कुछ समुदायों के लिए आक्रामक, गरिमा, स्वतंत्रता और समानता के मूल्यों पर प्रभाव।
  7. सुप्रीम कोर्ट ने ‘एएम माथुर बनाम प्रमोद कुमार गुप्ता, 1990’ मामले में कहा कि न्यायाधीशों को पार्टियों या उनके गवाहों के आचरण की आलोचना करते समय कठोर और ढीली भाषा का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। उन्हें बुद्धिमता, समभाव और संयम से काम लेना चाहिए।

निष्कर्ष:

सोशल मीडिया अनावश्यक बिंदुओं के साथ बंट सकता है जो निर्णयों की स्वस्थ और सही समझ को खतरे में डालते हैं। भारत, दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में न्यायिक अतिरेक के उदाहरण नहीं दे सकता, विशेष रूप से अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर। अगर ठीक से सुरक्षा नहीं की गई, तो इसके कटौती से लोकतंत्र का विनाश हो सकता है।

इसलिए वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बीच संतुलन होना चाहिए। यह सभी हितधारकों के हित में है कि न्यायाधीशों का आचरण हमेशा बोर्ड से ऊपर और संतुलित हो। सामाजिक शिष्टाचार को परिभाषित करने वाले पर्याप्त संकेतकों के साथ अस्पष्ट, नैतिक आचरण न्यायाधीशों और निर्णयों के लिए सम्मान सुनिश्चित करेगा।

सारांश: जैसा कि केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में कहा था, “इस देश में संवैधानिक न्यायालय वाक् और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की रक्षा के लिए उत्साही रहे हैं, लेकिन यह आधे-अधूरे तथ्यों से लैस व्यक्तियों के लिए अधिकार नहीं हो सकता है, जिसके पास बहुत कम जानकारी हो कि न्यायपालिका कैसे काम करती है या जिसके पास मौलिक कानूनी सिद्धांतों का अल्प या ज्ञान हो ही नहीं जिसके तहत ये संचालित होते हैं, ऐसे व्यक्ति न्याय वितरण प्रणाली का दुरुपयोग करते हैं।”

प्रीलिम्स तथ्य:

1. मंकीपॉक्स रोग:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

स्वास्थ्य:

प्रारंभिक परीक्षा: मंकीपॉक्स रोग

संदर्भ:

केरल से भारत के पहले मंकीपॉक्स मामले की रिपोर्ट हुई है।

मंकीपॉक्स रोग

  • मंकीपॉक्स एक वायरल जूनोटिक रोग है (एक रोग जो एक रोगज़नक़ के कारण होता है जिसका प्रसार एक जानवर से होता है)।
  • मंकीपॉक्स रोग के लक्षण, चेचक के रोगियों में देखे गए लक्षणों के समान थे लेकिन यह चिकित्सकीय रूप से कम गंभीर है।
  • विभिन्न जानवरों की प्रजातियों को मंकीपॉक्स वायरस के मेजबान(होस्ट) के रूप में चिन्हित किया गया है जैसे कि रोप गिलहरी, ट्री गिलहरी, गैम्बियन पाउच चूहे, डॉर्मिस (dormice), गैर-मानव प्राइमेट और अन्य प्रजातियां।
  • मंकीपॉक्स को मनुष्यों में पहली बार 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में देखा गया था और यह मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीकी देशों में शुरू हुआ था।

चित्र स्रोत: The Hindu

चित्र स्रोत: The Hindu

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. असम, अरुणाचल के मुख्यमंत्री 1960 के कागजात के आधार पर सीमा पुनर्संरेखण के लिए सहमत

  • असम और अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने 123 गांवों से जुड़े हुए अंतर-राज्य सीमा विवाद को कम करने के लिए नामसाई घोषणा पर हस्ताक्षर किया।
    • 1960 में एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति द्वारा 29 टोपो-शीट्स पर दर्शायी गई सीमा रेखा को दशकों के विवाद को हल करने करने हेतु अरुणाचल प्रदेश-असम सीमा के पुनर्गठन के आधार के रूप में लिया जाएगा।
    • इस घोषणा के अनुसार, असम और अरुणाचल प्रदेश के बीच सभी सीमा मुद्दे 2007 में स्थानीय आयोग के समक्ष उठाए गए मुद्दों तक ही सीमित रहेंगे।
  • अरुणाचल प्रदेश को फरवरी 1987 में राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ जो पहले भारत के राष्ट्रपति के एजेंट के रूप में असम के राज्यपाल द्वारा प्रशासित नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर ट्रैक्ट हुआ करता था।
    • इसका नाम बदलकर नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी कर दिया गया और 1954 में इसे केंद्र सरकार के नियंत्रण में लाया गया।
  • दोनों राज्यों के नेताओं ने सहमति व्यक्त की है कि 33 सीमावर्ती गांवों को अरुणाचल प्रदेश में और तीन को असम में रहना चाहिए और अंतिम निर्णय क्षेत्रीय समितियों की सिफारिशों पर आधारित होगा।
  • ये समितियां अंतरराज्यीय सीमा को निर्धारित करने के लिए ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य, प्रशासनिक सुविधा, निकटता और लोगों की इच्छा को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों को सिफारिशें करेंगी।

2. ईरान, बेलारूस SCO के सबसे नए सदस्य होंगे

  • शंघाई सहयोग संगठन (SCO) समूह में दो नए सदस्य के रूप में ईरान और बेलारूस के शामिल होने की संभावना है, जिसमें चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देश जैसे कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान संस्थापक सदस्य थे।
    • भारत और पाकिस्तान 2017 में इस समूह में शामिल हुए।
  • यह विस्तार दर्शाता है कि SCO अपने अंतरराष्ट्रीय प्रभाव का विस्तार कर रहा है और इसके सिद्धांतों की व्यापक स्वीकृति है।
  • विशेषज्ञ बताते हैं कि यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के बाद चीन और रूस इस समूह को पश्चिमी प्रभुत्व वाले नाटो के जवाबी कार्रवाई के रूप में तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं।
  • भारत द्वारा 2023 में SCO शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने की उम्मीद है, और वाराणसी को SCO क्षेत्र की पहली “पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी” के रूप में चुना गया है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. निम्नलिखित में से कौन भारत में सबसे अधिक उगाई जाने वाली खरीफ दाल है?

  1. अरहर
  2. मूंग
  3. उड़द
  4. मोठ

उत्तर:

विकल्प a

व्याख्या:

indian express

प्रश्न 2. अमेरिका द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरोध हेतु बनाए गए दंडात्मक अधिनियम (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह 2017 में अधिनियमित एक अमेरिकी संघीय कानून है।
  2. इस अधिनियम से अमेरिकी राष्ट्रपति को रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ “महत्वपूर्ण लेनदेन” में शामिल व्यक्तियों पर 12 सूचीबद्ध प्रतिबंधों में से कम से कम पांच प्रतिबंध लगाने का अधिकार प्राप्त होता है।
  3. अमेरिकी सीनेट को 2018 में मामला – दर – मामला (case-by-case) आधार पर CAATSA प्रतिबंधों से छूट देने का अधिकार दिया गया था।

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. उपर्युक्त सभी

उत्तर:

विकल्प a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है, अमेरिका द्वारा अपने प्रतिद्वंद्वियों के विरोध हेतु बनाए गए दंडात्मक अधिनियम(CAATSA) संयुक्त राज्य अमेरिका का एक संघीय कानून है जिसे 27 जुलाई 2017 को पारित किया गया था।
  • कथन 2 सही है, CAATSA अमेरिकी राष्ट्रपति को रूसी रक्षा और खुफिया क्षेत्रों के साथ “महत्वपूर्ण लेनदेन” में शामिल व्यक्तियों पर 12 सूचीबद्ध प्रतिबंधों में से कम से कम पांच प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है।
  • कथन 3 सही नहीं है, अमेरिकी राष्ट्रपति को 2018 में मामला-दर-मामला आधार पर CAATSA प्रतिबंधों से छूट देने का अधिकार दिया गया था।

प्रश्न 3. शंघाई सहयोग संगठन के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. चीन, रूस और चार मध्य एशियाई राज्य – कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान – इस संगठन के संस्थापक सदस्य थे।
  2. इस समूह में जल्द ही ईरान और बेलारूस भी सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
  3. वाराणसी को शंघाई सहयोग संगठन क्षेत्र की पहली “पर्यटन एवं सांस्कृतिक राजधानी” के रूप में चुना गया है।

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 3
  4. उपर्युक्त सभी

उत्तर:

विकल्प b

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है, चीन, रूस और चार मध्य एशियाई देश – कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और तजाकिस्तान – SCO के संस्थापक सदस्य थे।
  • भारत और पाकिस्तान 2017 में इस समूह में शामिल हुए।
  • कथन 2 सही है, शंघाई सहयोग संगठन (SCO) में जल्द ही ईरान और बेलारूस भी सदस्य के रूप में शामिल होंगे।
  • कथन 3 सही है, वाराणसी को SCO क्षेत्र की पहली “पर्यटन और सांस्कृतिक राजधानी” के रूप में चुना गया है।

प्रश्न 4. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, भारत में 30 लाख बच्चों को महामारी के कारण 2020 में DTP की खुराक नहीं मिल पायी। इस संदर्भ में DTP क्या है?

  1. डिप्थीरिया, टेटनस और काली खांसी
  2. डिप्थीरिया, टाइफाइड और काली खांसी
  3. डिप्थीरिया, टिटनेस और पोलियो
  4. डिप्थीरिया, टाइफाइड और पोलियो

उत्तर:

विकल्प a

व्याख्या:

  • DTP का अर्थ डिप्थीरिया-टेटनस-पर्टुसिस (काली खांसी) होता है।
  • डिप्थीरिया, टेटनस और पर्टुसिस गंभीर जीवाणु जनित रोग हैं। वयस्कों और बच्चों में DTP टीके के माध्यम से इसकी रोकथाम की जा सकती है।

PYQ (2021)

प्रश्न 5. भारत के संदर्भ में डीडवाना, कुचामन, सरगोल और खाटू किनके नाम हैं?

  1. हिमनद
  2. गरान (मैंग्रोव) क्षेत्र
  3. रामसर क्षेत्र
  4. लवण झील

उत्तर:

विकल्प d

व्याख्या:

  • डीडवाना, कुचामन, सरगोल और खाटू राजस्थान की लवणीय झीलें हैं।
  • डीडवाना, कुचामन, सरगोल और खाटू झीलें प्लाया हैं।
    • प्लाया छोटी झीलें होती हैं जिनका अधस्तल सम-सतही और बेसिन सूखा होता है जिनमें बारिश के बाद पानी इकट्ठा होता है और जल्दी ही वाष्पित हो जाता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

  1. सोशल मीडिया के माध्यम से चलाए जा रहे अभियान कानून और संविधान से संबंधित मुद्दों पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहे हैं। व्याख्या कीजिए।

(सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र -2, राजव्यवस्था)

  1. भारतीय तटों पर मत्स्यन में हो रही कमी के संभावित कारणों पर चर्चा कीजिए और इसमें सुधार हेतु उपायों को लेकर सुझाव दीजिए।

(सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-3, अर्थव्यवस्था)