17 जुलाई 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: स्वास्थ्य:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: राजव्यवस्था:
भारतीय समाज:
अर्थव्यवस्था
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
कोविड-19 संक्रमण की व्यापकता का अध्ययन करने के लिए अपशिष्ट जल निगरानी
स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: कोविड-19 का पता लगाने के लिए अपशिष्ट जल आधारित निगरानी
मुख्य परीक्षा: कोविड-19 का पता लगाने के लिए अपशिष्ट जल आधारित निगरानी की प्रक्रिया और इसके लाभ
संदर्भ
- इस आलेख में अपशिष्ट जल के माध्यम से कोविड-19 संक्रमणों को ट्रैक करने की पद्धति पर चर्चा की गई है।
कोविड संक्रमणों की निगरानी के पारंपरिक पद्धति के साथ चुनौतियां
- लोगों के लिए सभी टेस्टिंग प्रोटोकॉल का पालन करना अत्यंत कठिन है।
- लक्षण रहित और हल्के संक्रमणों की अधिक संख्या के कारण टेस्टिंग कम हुआ है जो संक्रमणों की निगरानी के लिए भी एक चुनौती है।
- प्रत्येक दिन बड़ी संख्या में लोगों का टेस्ट करना और संक्रमणों की निगरानी करना आर्थिक रूप से व्यवहार्य नहीं है और बेहद चुनौतीपूर्ण है।
कोविड-19 का पता लगाने के लिए अपशिष्ट जल आधारित निगरानी
- कोविड-19 का पता लगाने के लिए अपशिष्ट जल आधारित निगरानी, संक्रमण दर की निगरानी हेतु एक प्रभावी और विश्वसनीय पद्धति है।
- अपशिष्ट-जल आधारित निगरानी पद्धति से तात्पर्य सीवेज या नाली के जल में रासायनिक संकेतों (chemical signatures) को मापने से है, जैसे कि SARS-CoV-2 के खंडित जैव सूचक को व्यक्तियों के लिए डिज़ाइन किए गए नैदानिक परीक्षण विधियों में संपूर्ण समुदाय के सामूहिक संकेत के रूप में उपयोग करना।
- कोरोनवायरस का पहले ही अपशिष्ट जल में पता लगाया जा चुका है, जिसकी पुष्टि प्रकोप के शुरुआती हफ्तों के दौरान प्राथमिक सीवरेज में SARS-CoV-2 RNA का पता लगाकर की गई थी।
- पोलियो वायरस के उन्मूलन हेतु 1990 के दशक में इस पद्धति का व्यापक रूप से उपयोग किया गया था। चूंकि बड़े पैमाने पर टीकाकरण से पोलियो प्रसार में कमी आई, उस समय पोलियो की निगरानी के पारंपरिक तरीके प्रकोप को रोकने में असमर्थ साबित हुए थे।
चित्र स्रोत: : National Library of Medicine
भारत में कोविड-19 का पता लगाने के लिए अपशिष्ट जल निगरानी के निष्कर्ष
- टाटा इंस्टीट्यूट फॉर जेनेटिक्स एंड सोसाइटी (TIGS), बेंगलुरु और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (CCMB), हैदराबाद के सहयोग से हैदराबाद और बेंगलुरु में अपशिष्ट जल आधारित निगरानी पद्धतियां शुरू की गईं।
- हैदराबाद में एक वर्ष की अवधि के लिए निगरानी की गई, जो जुलाई 2020 से अगस्त 2021 तक हुई और लगभग 2.5 लाख की आबादी के आंकड़े प्राप्त किए गए।
- निगरानी के अध्ययन से शोधकर्ताओं को जल निकासी के पानी में वायरल लोड में अस्थायी गतिशीलता की पहचान करने में मदद मिली, जो जुलाई से नवंबर 2020 तक उच्च था।
- फरवरी 2021 में मामलों में थोड़ी वृद्धि हुई जिससे मार्च 2021 की शुरुआत में दूसरी लहर के बारे में जानकारी मिली।
- बेंगलुरु में यह अध्ययन 28 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (STP) के जल पर किया गया था जबकि हैदराबाद के नमूने मुख्य रूप से ओपन ड्रेनेज से लिए गए थे।
- दोनों नमूनों के लिए भिन्न पद्धति की आवश्यकता होती है, क्योंकि STP में, जल पूरे दिन एकत्र किया जाता है, उपचारित किया जाता है और फिर से बाहर छोड़ दिया जाता है। इसलिए जल को उपचारित होने से पहले इसका नमूना लेना होता है।
- ओपन ड्रेनेज सिस्टम के लिए वायरल लोड दिन के अलग-अलग समय पर अलग-अलग होता है।
- अध्ययन से यह भी पता चला कि सुबह के समय लिए गए नमूने सबसे बेहतर नमूने होते हैं क्योंकि अधिकांश वायरस सुबह के समय मल के नमूनों से आते हैं।
अपशिष्ट जल आधारित निगरानी के लाभ
- इस निगरानी पद्धति से पूरे समुदाय में कोविड-19 संक्रमणों की उपस्थिति का शीघ्रता से पता चल सकता है।
- यह संपूर्ण समुदायों में प्रसार की व्यापकता का सर्वेक्षण करने के सबसे अधिक लागत प्रभावी तरीकों में से एक है।
- यह उन लोगों और क्षेत्रों से डेटा एकत्र करने में मदद करता है जहाँ कुशल स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी है।
- यह भविष्य की लहरों का पता लगाने में सहायक हो सकता है और नए वेरिएंट की पूर्व में पहचान भी कर सकता है क्योंकि यह बीमारी के प्रसार के बारे में रियल टाइम जानकारी प्रदान करता है।
- इस पद्धति का उपयोग विभिन्न विषाणुओं जैसे डेंगू, जीका या टीबी का मुकाबला करने के लिए किया जा सकता है।
- यह रोगाणुरोधी प्रतिरोध जीन की निगरानी में भी मदद कर सकता है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
विशेष रूप से ग्रीन पिट वाइपर के प्रति सजग रहें
स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: ग्रीन पिट वाइपर
मुख्य परीक्षा: भारत में एंटीवेनम के उपयोग से जुड़ी चिंताएं
संदर्भ
- इस आलेख में सर्पदंश के लिए भारत में उपलब्ध एंटीवेनम से संबंधित चिंताओं पर चर्चा की गई है।
विवरण
- ग्रीन पिट वाइपर, रसेल वाइपर से अधिक घातक नहीं होता है, लेकिन यह जो हेमोटोक्सिक ज़हर इंजेक्ट करता है वह शरीर में रक्त के थक्का बनने को रोकता है जिसके परिणामस्वरूप आंतरिक रक्तस्राव होता है।
- अधिकांश मामले घातक नहीं होते हैं, लेकिन यह निष्कर्ष उचित नहीं है क्योंकि देश में इस तरह के सर्पदंश पर बहुत कम आंकड़े उपलब्ध हैं।
- मोनोकल्ड कोबरा, बैंडेड करैत, लेसर ब्लैक करैत, ग्रेट ब्लैक करैत, माउंटेन पिट वाइपर और रेडनेक कीलबैक पूर्वोत्तर भारत में अब तक दर्ज किए गए 64 में से 15 सबसे जहरीले सांप हैं।
ग्रीन पिट वाइपर
- ग्रीन ट्री वाइपर वृक्षों पर रहने वाले पिट वाइपर की एक प्रजाति है जो ट्राइमेरेसुरस वंश से संबंधित है
- यह चमकीला हरा रंग का होता है और इसके शरीर पर काले रंग के धब्बे होते है और पूंछ लाल होती है
- यह आमतौर पर पूर्वोत्तर और दक्षिण भारत के पहाड़ी इलाकों में मुख्यतः बांस और नदियों के पास घने पत्ते में पाया जाता है।
सर्पदंश पर आंकड़े
- उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में सर्पदंश के 1.4 मिलियन से अधिक मामले सामने आते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एक वर्ष में 1,25,000 लोगों की मृत्यु होती हैं।
- भारत में प्रत्येक वर्ष 46,000 से अधिक लोग सर्पदंश के कारण मर जाते हैं जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है।
- जिनमें से 77 फीसदी पीड़ितों की मौत अस्पतालों के बाहर हो गई।
- भारत में ज्यादातर सर्पदंश के मामले जून और सितंबर के बीच दर्ज किए जाते हैं।
- पीड़ितों में लगभग 58% किसान और मजदूर होते हैं।
भारत में एंटीवेनम के उपयोग से जुड़ी चिंताएं
- एंटीवेनम भारत में “बिग फोर” सांपों से लिया जाता है, जैसे रसेल वाइपर, कॉमन करैत, इंडियन कोबरा और सॉ-स्केल्ड वाइपर।
- हालांकि, सांप की प्रजातियों में जहर बेहद भिन्न होते हैं जैसे कि पश्चिम बंगाल के मोनोकल्ड कोबरा के जहर में ज्यादातर न्यूरोटॉक्सिन होते हैं जबकि अरुणाचल प्रदेश में पाई जाने वाली इसी प्रजाति में साइटोटोक्सिन होते हैं।
- न्यूरोटॉक्सिन तंत्रिका तंत्र को प्रभावित करता है जबकि साइटोटोक्सिन शरीर की कोशिकाओं को मारता है।
- इसलिए, भारत में प्रयोग किया जाने वाला एंटीवेनम वन साइज़ फिट्स ऑल दृष्टिकोण पर आधारित है।
- हालांकि, सांप की प्रजातियों में जहर बेहद भिन्न होते हैं जैसे कि पश्चिम बंगाल के मोनोकल्ड कोबरा के जहर में ज्यादातर न्यूरोटॉक्सिन होते हैं जबकि अरुणाचल प्रदेश में पाई जाने वाली इसी प्रजाति में साइटोटोक्सिन होते हैं।
- इसके अलावा, कुल पॉलीवैलेंट एंटीवेनम का 80% तमिलनाडु के एक जिले में पकड़े गए सांपों से प्राप्त होता है जो प्रजातियों में जहर की विविधता को समाहित करने में विफल है।
- इसके अलावा, एंटीवेनम को काफी हद तक अप्रभावी माना जाता है और डॉक्टरों को उत्तर भारत में कोबरा या करैत के काटने के लिए एंटीवेनम की 50 से अधिक शीशियों का उपयोग करना पड़ता है, जिससे रोगियों को साइड इफेक्ट का खतरा होता है।
सिफारिश
- सरकार को सर्पदंश को एक बीमारी घोषित करने का प्रयास करना चाहिए, इससे सर्पदंश और संबंधित मौतों पर विश्वसनीय डेटा दर्ज करने में मदद मिलेगी।
- सरकार को लोगों को सर्पदंश से जुड़े मिथकों के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चलाना चाहिए।
- ऐसे डिजिटल समाधानों को विकसित करने और अपनाने की आवश्यकता है जो आपूर्ति श्रृंखला और रसद में समस्याओं का समाधान करने में मदद करते हैं जो एंटीवेनम तक पहुंच को बढ़ाते हैं।
- विशेषज्ञों ने न केवल “बिग फोर” सांपों वाला बल्कि कई प्रकार के एंटीवेनम के विकास का आग्रह किया है।
सारांश: भारत में सर्पदंश से होने वाली मौतों का आर्थिक और सामाजिक बोझ, भारत में सर्पदंश से निपटने और इसके इलाज से जुड़ी चुनौतियों का समाधान करने हेतु सरकार द्वारा एक व्यापक कार्यक्रम की मांग करता है। |
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
भारतीय राजव्यवस्था
जमानत कानून सुधार
विषय: भारतीय संविधान-भारतीय संवैधानिक योजना की अन्य देशों के साथ तुलना।
मुख्य परीक्षा: भारत में जमानत प्रक्रिया और सीआरपीसी में शामिल प्रमुख मुद्दे।
संदर्भ: हाल ही में, भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने यूनाइटेड किंगडम के जमानत अधिनियम का हवाला देते हुए भारत सरकार से जमानत की प्रक्रिया को सरल बनाने हेतु एक नया कानून लाने का आग्रह किया।
उच्चतम न्यायालय ने क्या कहा ?
- दो न्यायाधीशों की खंडपीठ ने दोषसिद्धि की “बेहद कम” दर को देखते हुए जमानत कानूनों में सुधार हेतु “दबाव की आवश्यकता” को महसूस किया।
- यह बताते हुए कि इस तरह की कैद एक साम्राज्यवादी मानसिकता को दर्शाती है और एक “पुलिस राज्य” की अवधारणा को स्पष्ट करती है, उच्चतम न्यायालय ने अदालतों और जांच एजेंसियों को “अनावश्यक” गिरफ्तारी को रोकने के निर्देश जारी किए।
- उच्चतम न्यायालय ने सतेंद्र कुमार अंतिल बनाम सीबीआई, 2021 मामले में जमानत सुधारों पर जारी अपने निर्णय के लिए कुछ स्पष्टीकरण भी जारी किए।
- इसने दोषी साबित होने तक बेगुनाही की अवधारणा को स्पष्ट किया।
- इसने कहा कि अनुचित गिरफ्तारी सीआरपीसी की धारा 41 और धारा 41A का उल्लंघन है।
जमानत पर वर्तमान कानून, भारत बनाम ब्रिटेन:
- भारत में जमानत दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के प्रावधानों द्वारा नियंत्रित होती है।
- दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में ‘जमानत’ शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है, लेकिन केवल भारतीय दंड संहिता के तहत अपराधों को ‘जमानती’ और ‘गैर-जमानती’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- जमानत धारा 436 के तहत जमानती अपराधों में जमानत का अधिकार है एवं यह पुलिस या अदालत को आरोपी को रिहा करने के लिए बाध्य करता है जब वह जमानत बांड जमा करे जो जमानतदार या बिना जमानतदार के हो।
- गैर-जमानती अपराधों के लिए जमानत देने का विवेकाधिकार न्यायालय के पास होता है। इसलिए, एक आरोपी जमानत का दावा अधिकार के रूप में नहीं कर सकता है।
- धारा 437 उन परिस्थितियों का निर्धारण करती है जिनमें अदालतें गैर-जमानती अपराधों के लिए जमानत दे सकती हैं।
- इस प्रावधान में अदालत को 16 साल से कम उम्र के आरोपी, जो बीमार हो, या एक महिला हो, को जमानत देने पर विचार करने का अधिकार प्रदान किया गया है।
जमानत पर ब्रिटेन का कानून:
- यहां, 1976 का जमानत अधिनियम जमानत के संबंध में प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
- यह जमानत के “सामान्य अधिकार” को मान्यता देता है और इसका उद्देश्य जेलों की भीड़ को रोकने के लिए दोषियों की संख्या को कम करना है।
- इसमें कहा गया है कि किसी आरोपी को तब तक जमानत दी जानी चाहिए जब तक कि उसे मना करने का कोई उचित कारण न हो।
- जमानत को खारिज किया जा सकता है अगर अदालत को यह विश्वास करने के लिए पर्याप्त आधार मिलते हैं कि प्रतिवादी आत्मसमर्पण नही करेगा, अपराध करेगा या जमानत पर रिहा होने पर गवाहों को प्रभावित करेगा। जमानत की शर्तों को रोकने या बदलाव के मामले में अदालत को कारण बताना होगा।
अनुचित गिरफ्तारी के खिलाफ संवैधानिक प्रावधान:
- अनुच्छेद 20: “किसी भी व्यक्ति को अपराध के रूप में आरोपित कार्य के होने के समय लागू कानून के उल्लंघन के अलावा किसी भी अन्य अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया जाएगा, और न ही उस पर उससे अधिक दंड लगाया जाएगा जो अपराध किए जाने के समय लागू कानून के तहत लगाया जा सकता है। “
- अनुच्छेद 21: जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा
- अनुचित गिरफ्तारी जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार के खिलाफ है।.
- अनुच्छेद 22: यह गिरफ्तारी और नजरबंदी के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है।
जमानत सुधारों पर उच्चतम न्यायालय द्वारा जारी दिशा-निर्देश: भावी कदम
- उच्चतम न्यायालय ने भारत सरकार को जमानत सुधारों पर एक नया कानून पारित करने के लिए कहा ताकि गिरफ्तारी और जमानत याचिकाओं के समय पर निपटान के लिए उचित प्रक्रिया को सुगम बनाया जा सके।
- दिशानिर्देशों के अनुसार, जमानत के संबंध में याचिकाओं को 15 दिनों के भीतर निपटाया जाना है, जब तक कि प्रावधान अन्यथा अनिवार्य न हों।
- अग्रिम जमानत के लिए अपील पर छह सप्ताह के भीतर फैसला सुनाया जाना है।
- औपचारिक जमानत आवेदन प्रक्रियाओं को दरकिनार करते हुए आरोपी को कुछ परिस्थितियों में अदालत के अपने विवेक पर जमानत दी जा सकती है।
- इसमें यह नियम लाया गया है कि गिरफ्तारी के समय सीआरपीसी की धारा 41 (पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तारी करने का अधिकार देता है) और धारा 41 A (पुलिस के सामने पेश होने की प्रक्रिया से संबंधित) के साथ जांच एजेंसियों और अधिकारियों का अनुपालन नहीं होने पर आरोपी को जमानत मिल जाएगी।
- शीर्ष अदालत ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को अनुचित गिरफ्तारी से बचने के लिए धारा 41 और 41A के तहत अपनाई जाने वाली प्रक्रिया के लिए स्थायी आदेशों की सुविधा प्रदान करने का भी निर्देश दिया।
- इसने उच्च न्यायालयों को उन विचाराधीन कैदियों की पहचान करने का निर्देश दिया जो जमानत की शर्तों का पालन करने में असमर्थ हैं और उनकी रिहाई के लिए कार्रवाई करने के लिए कहा।
सारांश: सभी हितधारकों के परामर्श से भारत में आपराधिक कानूनों के साथ एक व्यापक परिवर्तन किया जाना चाहिए ताकि सभी को वहनीय और त्वरित न्याय प्रदान किया जा सके एवं एक जन केंद्रित विधिक संरचना तैयार की जा सके।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित
भारतीय समाज
जनसंख्या वृद्धि कहाँ हो रही है?
विषय: जनसंख्या और संबंधित मुद्दे
प्रारंभिक परीक्षा: वैश्विक जनसंख्या संभावना 2022
मुख्य परीक्षा: वैश्विक जनसंख्या संभावना 2022 की मुख्य विशेषताएं और भारत के लिए जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव
संदर्भ: 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस पर संयुक्त राष्ट्र के आर्थिक और सामाजिक मामलों के विभाग ने वैश्विक जनसंख्या संभावना 2022 जारी की, जो वैश्विक जनसंख्या में संभावित रुझानों पर एक अनुमान है।
वैश्विक जनसंख्या संभावनाएं 2022:
- यह 1951 से संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रकाशित वैश्विक जनसंख्या के आधिकारिक आकलनों और अनुमानों का 27 वां संस्करण है।
- ये वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तरों पर जनसंख्या के रुझान का आकलन करने के लिए एक सर्व समावेशी जनसांख्यिकीय डेटा बनाते हैं।
- यह रिपोर्ट 1950 से 2050 की अवधि पर केंद्रित वैश्विक जनसंख्या प्रवृत्तियों का सारांश प्रस्तुत करती है तथा वर्तमान शताब्दी के उत्तरार्ध के दौरान प्रमुख जनसांख्यिकीय संभावनाओं का अवलोकन प्रस्तुत करती है।
- सतत विकास लक्ष्य की उपलब्धि की दिशा में वैश्विक प्रगति की निगरानी के लिए उपयोग किए जाने वाले कई विकास संकेतकों की गणना में इन आंकड़ों का उपयोग किया जाता है।
रिपोर्ट की मुख्य बातें:
- विश्व की जनसंख्या, जो 2021 में लगभग 7.9 बिलियन थी, के 2050 में 9.5 बिलियन तक पहुंचने का अनुमान है, वहीं भारत के 2023 तक चीन से आगे निकलने की उम्मीद है।
- उप-सहारा अफ्रीकी देशों की आबादी के 2100 तक बढ़ते रहने और 2050 तक अनुमानित वैश्विक जनसंख्या वृद्धि में 50% से अधिक योगदान करने का अनुमान है।
- विश्व स्तर पर, 2019 में जीवन प्रत्याशा 72.8 वर्ष है, जिसमें 1990 के बाद से लगभग 9 वर्षों की वृद्धि हुई है।
- महिलाओं के लिए जन्म के समय जीवन प्रत्याशा 73.8 है और पुरुषों के लिए यह 68.4 है।
- 2021 में, औसत प्रजनन क्षमता (अपने प्रजनन जीवनकाल में एक महिला से पैदा हुए बच्चों की संख्या) प्रति महिला 2.3 जन्म थी, जिसके 2050 तक घटकर 2.1 जन्म प्रति महिला होने का अनुमान है।
- 2050 तक विश्व जनसंख्या में अनुमानित पचास प्रतिशत से अधिक वृद्धि केवल 08 देशों में केंद्रित होगी।
स्रोत: संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों का विभाग
जनसंख्या वृद्धि पर कोविड 19 का प्रभाव:
- कोविड 19 महामारी ने क्षेत्रों को अलग-अलग तरह से प्रभावित किया।
- मध्य और दक्षिण एशिया, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में जन्म के समय जीवन प्रत्याशा में लगभग 3 वर्ष की गिरावट आई है। जबकि कम मृत्यु जोखिम के कारण ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड की आबादी में 1.2 साल की वृद्धि हुई है।
- कुल मिलाकर, वैश्विक जीवन प्रत्याशा 2021 में 71.0 वर्ष तक गिर गई, जो 2019 में 72.8 थी, ऐसा महामारी के कारण हुआ।
भारत के लिए जनसंख्या वृद्धि के निहितार्थ:
- संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जनसंख्या 2050 में अपने मौजूदा 1.4 बिलियन से बढ़कर 1.67 बिलियन हो जाने की उम्मीद है और 2064 में इसके 1.7 बिलियन तक पहुंचने की संभावना है।
- 2021 में जारी 5वें राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, भारत में पहली बार कुल प्रजनन दर (TFR) 2.0 को छु गई थी या 2.1 की प्रतिस्थापन दर से नीचे पहुंच गई थी।
- जनसंख्या में गिरावट की यह प्रवृत्ति विकसित देशों के रुझानों के अनुरूप है और उम्मीद है कि प्रति व्यक्ति बेहतर जीवन स्तर और बेहतर लिंग समानता में परिवर्तित होगी।
- क्योंकि कुल प्रजनन दर (TFR) भारत के अधिकांश राज्यों में हासिल किया गया है, वहीं भारत के सबसे अधिक आबादी वाले राज्यों, उत्तर प्रदेश और बिहार में जनसंख्या में गिरावट राज्य की नीतियों के बिना हासिल की जा सकती है।
- अनुमानों के अनुसार, भारत में कामकाजी उम्र के लोगों की पर्याप्त आबादी होगी, जिनसे वृद्धों की बढ़ती संख्या में योगदान की संभावना बनेगी।
- गुणवत्तापूर्ण जलवायु अनुकूल नौकरियां प्रदान करने की बाध्यता केवल बढ़ती रहेगी।
- महिलाओं की श्रम शक्ति की भागीदारी कम हो गई है और प्रजनन क्षमता में गिरावट का अर्थ है कि कई और लोग एक संक्रमणशील अर्थव्यवस्था में बेहतर नौकरियों की मांग करेंगे।
- NFHS डेटा से पता चलता है कि आय के साथ आधुनिक गर्भ निरोधकों का उपयोग बढ़ता गया।
- 66.3% महिलाएं जो कार्यरत हैं, उनके द्वारा कार्य क्षेत्र से बाहर की 53.4% महिलाओं की तुलना में आधुनिक गर्भनिरोधक का उपयोग किए जाने की अधिक संभावना है।
निष्कर्ष: उच्च प्रजनन स्तर वाले राष्ट्रों को बच्चों और युवाओं की बढ़ती संख्या की जरूरतों को पूरा करने के लिए काम करना चाहिए। घटते प्रजनन स्तर के रुझान वाले राष्ट्रों को जनसांख्यिकीय लाभांश के लिए एक अवसर बनाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और सभी उम्र में स्वास्थ्य देखभाल और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच और उत्पादक रोजगार के अवसरों को सुरक्षित करके मानव पूंजी में निवेश करना चाहिए।
सारांश: विश्व जनसंख्या की संभावनाओं और NFHS के व्यापक डेटा से पता चलता है कि विकास सबसे अच्छा गर्भनिरोधक है। असमान और सघन जनसंख्या वृद्धि संसाधनों पर अतिरिक्त दबाव डालती है और सतत विकास लक्ष्यों (SDG) की प्राप्ति के लिए चुनौतियां खड़ी करती है। नीतियों के केंद्र में अब पहचान, भूगोल और वर्ग के आधार पर वंचित, हाशिए के तबकों को शामिल किया जाना चाहिए।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
अर्थव्यवस्था
क्या आरबीआई के कदम से रुपये के माध्यम से होने वाले व्यापार में मदद मिलेगी?
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।
मुख्य परीक्षा: ‘भारतीय अर्थव्यवस्था पर रुपया भुगतान तंत्र का प्रभाव और संबंधित कमियां
संदर्भ: हाल ही में, भारतीय रिजर्व बैंक ने एक सर्कुलर जारी किया जिसमें भारतीय रुपए में निर्यात और आयात के चालान, भुगतान और निपटान हेतु ‘अतिरिक्त व्यवस्था’ करने हेतु कहा गया है।
रुपया भुगतान तंत्र(Rupee Payment Mechanism) क्या है?
- नवीन भुगतान तंत्र के तहत, भारत में आयातक विदेशी विक्रेता से वस्तु या सेवाओं की आपूर्ति हेतु चालान के बदले साझेदार देश के अभिकर्ता बैंक के विशेष वोस्ट्रो खाते (एक खाता जो एक अभिकर्ता बैंक दूसरे बैंक की ओर से रखता है) में रुपए का भुगतान कर सकते हैं।
- वोस्ट्रो खातों का व्यापक रूप से उपयोग नहीं किया जाता है क्योंकि निर्यातक आमतौर पर एक मजबूत और स्थिर मुद्रा में व्यापार करना पसंद करते हैं।
- भारत के निर्यातकों को साझेदार देश के अभिकर्त्ता बैंक के नामित वोस्ट्रो खाते में शेष राशि से रुपए में भुगतान किया जाएगा।
- नए तंत्र के माध्यम से भारतीय निर्यातकों द्वारा विदेशी आयातकों से भारतीय रुपए में निर्यात के लिए अग्रिम भुगतान प्राप्त किया जा सकता है।
इससे यथास्थिति में किस प्रकार परिवर्तन आता है?
- नए सर्कुलर में कम से कम 03 नए पहलू हैं,
- पहला, आरबीआई ने स्पष्ट रूप से कहा है कि विश्वसनीय, सुरक्षित और कुशल तरीके से संदेशों के आदान-प्रदान पर भागीदार देशों के बैंकों के बीच पारस्परिक रूप से सहमति हो सकती है।
- यह प्रावधान साझेदारी करने वाले बैंकों को किसी भी मैसेजिंग सिस्टम का उपयोग करने की अनुमति देता है जिसे वे उपयुक्त समझते हैं और स्वयं को स्विफ्ट प्लेटफॉर्म तक सीमित नहीं रखते हैं।
- स्विफ्ट प्लेटफॉर्म द्वारा रूसी बैंकों पर हालिया प्रतिबंधों की पृष्ठभूमि में यह प्रावधान महत्वपूर्ण है।
- स्विफ्ट प्लेटफॉर्म के विकल्प:
स्रोत: The Hindu
- दूसरा, आरबीआई ने अधिशेष का निवेश करने की अनुमति दी है।
- स्पेशल वोस्ट्रो खाते की शेष राशि का उपयोग निम्नलिखित के लिए किया जा सकता है:
- आयात/निर्यात अग्रिम प्रवाह प्रबंधन
- भारत में विदेशी संस्थाओं द्वारा परियोजनाओं और निवेशों के लिए भुगतान।
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) और इसी तरह के वैधानिक प्रावधानों के अधीन, दिशानिर्देशों और निर्धारित सीमाओं के अनुसार ट्रेजरी बिलों और सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश।
- यह अन्य देशों को विशेष रुपया वोस्ट्रो खाते खोलने के लिए भारत के साथ चालू खाता अधिशेष रखने और रुपए के मूल्यवर्ग की संपत्ति बनाने के लिए अधिशेष का उपयोग करने के लिए प्रेरित करेगा।
- स्पेशल वोस्ट्रो खाते की शेष राशि का उपयोग निम्नलिखित के लिए किया जा सकता है:
- अंततः, आरबीआई ने निर्दिष्ट किया है कि अधिकृत डीलरों के रूप में कार्य करने वाले बैंकों को इस नए तंत्र को स्थापित करने के लिए नियामक से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता है। वोस्ट्रो खातों को पहले अनुमति की आवश्यकता नहीं थी।
- इससे आरबीआई को नई प्रणाली में विभिन्न देशों के हितों और इन खातों के वास्तविक उद्देश्य को समझने में मदद मिलेगी।
व्यापार और भुगतान संतुलन पर प्रभाव:
- इस नवीन तंत्र का उद्देश्य भुगतान को आसान बनाकर रूस के साथ व्यापार को सुगम बनाना है।
- रूस पर बढ़ते प्रतिबंधों के साथ, भुगतान समस्याओं के कारण क्षेत्रवार व्यापार व्यावहारिक रूप से गतिरोध की स्थिति में रहा है।
- अप्रैल 2021-मार्च 2022 के दौरान भारत-रूस के बीच द्विपक्षीय व्यापार 9.1 बिलियन अमरीकी डॉलर का था।
- रूस का भारत के साथ एक व्यापार अधिशेष है और जब वह पश्चिम देशों से प्रतिबंधों का सामना कर रहा है तो डॉलर या यूरो जैसी मुद्राओं में भुगतान को प्राथमिकता देने की संभावना नहीं होगी। साथ ही, इस अधिशेष का उपयोग भारत में भारतीय परिसंपत्तियों में निवेश करने के लिए किया जा सकता है।
नवीन तंत्र किस प्रकार भारत के लिए सहायक है?
- रूस के साथ रुपये में लेनदेन करने से ऐसे लेनदेन हेतु हार्ड मुद्रा के बहिर्वाह को कम करने में मदद मिलेगी।
- रुपए के बाजार पर प्रभाव के संदर्भ में विदेशी मुद्रा का बहिर्वाह हर महीने 3 अरब डॉलर कम होगा जिससे रुपए पर दबाव कम होगा।
- अन्य देशों द्वारा भी इस तंत्र को अपनाने से रुपये में मजबूती आएगी।
नवीन तंत्र की कमी:
- रुपए पर दबाव में कमी केवल मध्यम से लंबी अवधि में देखी जाएगी क्योंकि वर्तमान परिदृश्य में, रूस को भुगतान वैसे भी नहीं हो रहा है और एक क्रेडिट प्रणाली ने व्यापार की निरंतरता में मदद की है।
- रूस में चल रहे संघर्ष के साथ, बड़े बैंक प्रतिबंधों से बचने के लिए तत्काल वोस्ट्रो खाते स्थापित नहीं कर सकते हैं। छोटे बैंक इस उद्देश्य के लिए आदर्श हो सकते हैं और सरकार द्वारा पर्याप्त सहायता के साथ सेवा प्रदान कर सकते हैं।
सारांश: नवीन तंत्र को रुपए को पूरी तरह से परिवर्तनीय बनाने की दिशा में पहला कदम माना जा सकता है। यह अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपए में हुई गिरावट के बाद रुपये को स्थिर करने में भी मदद करेगा। इसका उद्देश्य रुपए के सर्वकालिक निचले स्तर की स्थिति में प्रतिबंधित देशों के साथ वाणिज्य/व्यापार को सुगम बनाना है । यह विशेष रूप से यूरो और रुपए के बीच समानता को देखते हुए मुद्रा में उतार-चढ़ाव के जोखिम को कम करेगा।
प्रीलिम्स तथ्य:
1. उपराष्ट्रपति चुनाव
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: विभिन्न संवैधानिक पदों पर नियुक्ति
प्रारंभिक परीक्षा: उपराष्ट्रपति चुनाव
संदर्भ:
- भारत के 16वें उपराष्ट्रपति के चुनाव हेतु मतदान अगस्त, 2022 में होगा।
उपराष्ट्रपति चुनाव
पात्रता
- एक भारतीय नागरिक उपराष्ट्रपति के पद के लिए अर्हता प्राप्त कर सकता है यदि उसकी आयु 35 वर्ष या उससे अधिक है।
- व्यक्ति को राज्यसभा सदस्य के रूप में चुने जाने के लिए योग्य होना चाहिए।
- उपराष्ट्रपति के पास लाभ का पद नहीं होना चाहिए।
चुनाव प्रक्रिया
- संविधान के अनुच्छेद 66 के अनुसार, उपराष्ट्रपति का चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से एक निर्वाचक मंडल द्वारा किया जाएगा जिसमें शामिल हैं:
- राज्य सभा के सभी सदस्य (निर्वाचित और मनोनीत दोनों)
- लोकसभा के सभी सदस्य
- चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली के अनुसार एकल संक्रमणीय मत (PRSTV) के माध्यम से आयोजित किए जाते हैं और मतदान गुप्त मतदान के माध्यम से होता है।
- भारत का चुनाव आयोग उपराष्ट्रपति के पद के लिए चुनाव आयोजित करता है।
- चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवार को कम से कम 20 सांसदों द्वारा प्रस्तावक के रूप में और कम से कम 20 सांसदों द्वारा समर्थक के रूप में नामित किया जाना आवश्यक है और उम्मीदवार को 15,000/- रुपये की सुरक्षा जमा करना आवश्यक है।
- उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में उत्पन्न होने वाले सभी संदेहों और विवादों की जांच और निर्णय भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है जिसका निर्णय बाध्यकारी होता है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. पनडुब्बी परियोजना के लिए बोली की तिथि फिर बढ़ाई गई
- रक्षा मंत्रालय ने प्रोजेक्ट -75 (I) के तहत छह उन्नत पनडुब्बियों हेतु 40,000 करोड़ रुपए से अधिक के सौदे में प्रस्ताव के लिए अनुरोध (RFP) पर प्रतिक्रिया प्रस्तुत करने की समय सीमा बढ़ा दी है।
- प्रोजेक्ट 75 (इंडिया)-क्लास पनडुब्बियां, या P-75I, संक्षेप में, डीजल-इलेक्ट्रिक पनडुब्बियों का एक नियोजित वर्ग है, जिसे भारतीय नौसेना के लिए बनाया जाना है।
- P-75I वर्ग भारतीय नौसेना की P-75 श्रेणी की पनडुब्बियों का अनुवर्ती है।
- इस परियोजना के तहत, भारतीय नौसेना का लक्ष्य छह पारंपरिक, डीजल-इलेक्ट्रिक अटैक पनडुब्बियों का अधिग्रहण करना है, जिसमें एयर-इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन (AIP), ISR, स्पेशल ऑपरेशंस फोर्स (SOF), एंटी-शिप वारफेयर (AShW), पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW), सतह-विरोधी युद्ध (ASuW), भूमि-हमले की क्षमता जैसी उन्नत क्षमताएं भी होंगी।
- यह परियोजना के हिस्से के रूप में नवीनतम पनडुब्बी डिजाइन और प्रौद्योगिकियों को लाने के अलावा, भारत में पनडुब्बियों की स्वदेशी डिजाइन और निर्माण क्षमता को बढ़ावा देगा।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से किसे चावल और गेहूं जैसे खाद्यान्न की खेती के स्थान पर बाजरा की फसल की खेती के लाभ के रूप में माना जा सकता है?
- कम पानी की आवश्यकता
- इसे कम उपजाऊ मिट्टी में भी उपजाया जा सकता है
- जलवायु दबाव के प्रति प्रतिरोधी
- लघु उपज (growing) चक्र
विकल्प:
- केवल 1, 3 और 4
- केवल 1, 2 और 3
- केवल 2, 3 और 4
- 1, 2, 3 और 4
उत्तर:
विकल्प d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है, बाजरा की खेती के लिए बहुत कम जल की आवश्यकता होती है।
- कथन 2 सही है, बाजरा की खेती कम उपजाऊ और रेतीली मृदा पर की जाती है।
- कथन 3 सही है, बाजरा जलवायु-प्रत्यास्थ फसल है और सूखा, लवणता, प्रकाश और गर्मी जैसे विविध अजैविक तनावों को सहन कर सकती है।
- कथन 4 सही है, बाजरा का उपज चक्र लघु होता है
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- यदि राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती है या इस्तीफा दे देता है या अन्यथा अक्षम हो जाता है और परिणामस्वरूप, राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति अधिकतम एक वर्ष की अवधि के लिए राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा।
- यदि उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए उपलब्ध नहीं है, तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी भारत के मुख्य न्यायाधीश पर आ जाती है।
- एस राधाकृष्णन एकमात्र व्यक्ति हैं जो उपराष्ट्रपति और फिर बाद में भारत के राष्ट्रपति के पद पर रहे।
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2
- केवल 2 और 3
- केवल 3
उत्तर:
विकल्प b
व्याख्या:
- कथन 1 सही नहीं है, यदि राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती है या इस्तीफा दे देता है या अन्यथा अक्षम हो जाता है और परिणामस्वरूप, राष्ट्रपति का पद रिक्त हो जाता है, तो उपराष्ट्रपति केवल छह महीने की अधिकतम अवधि के लिए राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा।
- कथन 2 सही है, यदि उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के कर्तव्यों का निर्वहन करने के लिए उपलब्ध नहीं है और यदि राष्ट्रपति की मृत्यु हो जाती है या इस्तीफा दे देता है, तो ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति पद की जिम्मेदारी भारत के मुख्य न्यायाधीश पर आ जाती है।
- कथन 3 सही नहीं है, अतीत में ऐसे 6 उदाहरण हैं जब भारत के उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति पद पर नियुक्त हुए। इसमें डॉ एस राधाकृष्णन, डॉ जाकिर हुसैन, वी वी गिरी, आर वेंकटरमन, डॉ शंकर दयाल शर्मा और के आर नारायणन शामिल हैं।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से किसे क्वांटम कंप्यूटिंग का अनुप्रयोग माना जा सकता है?
- आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एवं मशीन लर्निंग
- कम्प्यूटेशनल केमिस्ट्री
- दवा डिजाइन एवं विकास
- साइबर सुरक्षा एवं क्रिप्टोग्राफी
- मौसम पूर्वानुमान
विकल्प:
- केवल 1, 2, 3 और 5
- केवल 2, 3, 4 और 5
- 1, 2, 3, 4 और 5
- केवल 1, 3 और 5
उत्तर:
विकल्प c
व्याख्या:
क्वांटम कंप्यूटिंग के अनुप्रयोगों में निम्नलिखित क्षेत्र शामिल हैं:
- कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग
- कम्प्यूटेशनल रसायन विज्ञान
- दवा डिजाइन और विकास
- साइबर सुरक्षा और क्रिप्टोग्राफी
- वित्तीय मॉडलिंग
- रसद अनुकूलन
- मौसम पूर्वानुमान
प्रश्न 4. निम्नलिखित स्थापत्य संबंधी विशेषताओं पर विचार कीजिए।
- अनुप्रस्थ टोडा निर्माण (Trabeat) शैली
- चूना का उपयोग
- सुलेखन (calligraphy) का उपयोग
- पर्चिनकारी (पिएत्रा-ड्यूरा) शैली
- अरबस्क (Arabesque) शैली
उपर्युक्त में से कौन इंडो-इस्लामिक स्थापत्य कला की विशेषताएं हैं?
- केवल 1, 3 और 4
- 1, 2, 3, 4 और 5
- केवल 2 और 5
- केवल 2, 3, 4 और 5
उत्तर:
विकल्प d
व्याख्या:
- इंडो-इस्लामिक स्थापत्य कला में निम्नलिखित विशेषताएं शामिल हैं:
- धनुषाकार शैली (मेहराबों और गुंबदों का उपयोग) न कि अनुप्रस्थ टोडा निर्माण (Trabeat) शैली (बीम और स्तंभों का उपयोग करके भवनों का निर्माण)
- जोड़ने वाले पदार्थ के रूप में चूना का उपयोग
- धार्मिक कला और पैटर्न को चित्रित करने के लिए सुलेखन का उपयोग
- पिएत्रा-ड्यूरा तकनीक (मोज़ेक)
- फर्श की सजावट के लिए अरबस्क शैली
- मीनार, मकबरे और सराय
PYQ (2019)
प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- एशियाई शेर प्राकृतिक रूप से सिर्फ भारत में पाया जाता है।
- दो-कूबड़ वाला ऊँट प्राकृतिक रूप से सिर्फ भारत में पाया जाता है।
- एक-सींग वाला गैंडा प्राकृतिक रूप से सिर्फ भारत में पाया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर:
विकल्प a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है, वर्तमान में गिर राष्ट्रीय उद्यान और वन्यजीव अभयारण्य एशियाई शेरों का एकमात्र निवास स्थान है।
- कथन 2 सही नहीं है, दो-कूबड़ वाला ऊँट गोबी रेगिस्तान का मूल निवासी है, तथा मंगोलिया, चीन, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान, उज्बेकिस्तान और अफगानिस्तान के कुछ हिस्सों में ठंडे-रेगिस्तानी क्षेत्रों में पाया जाता है।
- कथन 3 सही नहीं है, एक सींग वाला गैंडा आमतौर पर नेपाल, भूटान, पाकिस्तान और भारत में पाया जाता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
- जमानत देने पर उच्चतम न्यायालय के क्या निर्देश हैं? इसने एक अलग जमानत अधिनियम की सिफारिश क्यों की है?
(10 अंक, 150 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2, राजव्यवस्था)
- विश्व जनसंख्या संभावना पर टिप्पणी कीजिए और आर्थिक विकास पर भारत की जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव की चर्चा कीजिए।
(10 अंक, 150 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र -1, सामाजिक मुद्दे)