A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था एवं सामाजिक न्याय:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण:
राजव्यवस्था एवं सामाजिक न्याय:
विषय: संघ और राज्यों के कार्य एवं जिम्मेदारियाँ, संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ, स्थानीय स्तर पर शक्तियों और वित्त का हस्तांतरण एवं उसमें चुनौतियाँ। केंद्र और राज्यों द्वारा आबादी के कमजोर वर्गों के लिए कल्याणकारी योजनाएं।
मुख्य परीक्षा: अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण का मुद्दा (SCs)।
प्रसंग:
- तेलंगाना में अनुसूचित जाति (SC) के उप-वर्गीकरण का पता लगाने की प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिज्ञा ने ऐतिहासिक प्रयासों और न्यायिक पेचीदगियों के साथ इस मुद्दे पर कानूनी और राजनीतिक बहस फिर से शुरू कर दी है।
विवरण:
- तेलंगाना में अनुसूचित जाति (SC) के उप-वर्गीकरण का पता लगाने के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के वादे ने इस मुद्दे के कानूनी और राजनीतिक पहलुओं पर चर्चा शुरू कर दी है।
उप-वर्गीकरण की वैधता:
1. ऐतिहासिक प्रयास:
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- पंजाब, बिहार और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने कानूनी चुनौतियों का सामना करते हुए राज्य-स्तरीय आरक्षण कानूनों के माध्यम से अनुसूचित जाति के उप-वर्गीकरण का प्रयास किया है।
- सुप्रीम कोर्ट अनुसूचित जाति उप-वर्गीकरण की वैधता पर निर्णय लेने के लिए एक बड़ी संविधान पीठ बनाने की प्रक्रिया में है।
2. न्यायिक इतिहास:
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- वर्ष 2004 में, सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि राज्य एकतरफा अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति को उप-वर्गीकृत नहीं कर सकते; केवल संसद ही ऐसी सूचियों पर निर्णय ले सकती है और उन्हें अधिसूचित कर सकती है।
- वर्ष 2020 के एक फैसले ने सुझाव दिया कि पहले से ही अधिसूचित सूचियों के भीतर लाभों पर निर्णय लेने की अनुमति हो सकती है, जिससे स्पष्टता के लिए एक बड़ी पीठ को संदर्भित किया जा सकता है।
3. कानूनी राय:
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- वर्ष 2005 में, भारत के महान्यायवादी ने राय दी कि इस प्रकार का उप-वर्गीकरण “निर्विवाद साक्ष्य” के साथ संभव हैं।
- केंद्र सरकार ने एक राष्ट्रीय आयोग का गठन किया एवं अनुच्छेद 341 में संवैधानिक संशोधन की सिफारिश की गई।
सरकारी पहल और आयोग की राय:
1. केंद्र सरकार द्वारा प्रयास:
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- केंद्र सरकार ने कानून मंत्रालय के साथ बातचीत शुरू की और उप-वर्गीकरण के लिए एक संवैधानिक संशोधन पर विचार किया।
- राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग (National Commission for Scheduled Castes (NCSC)) और राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (National Commission for Scheduled Tribes (NCST)) ने एक संवैधानिक संशोधन के खिलाफ राय दी।
2. प्रमुख तर्क:
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- उप-वर्गीकरण के लिए मुख्य तर्क अनुसूचित जाति समुदायों के बीच वर्गीकृत असमानताएं हैं, जो हाशिए पर रहने वाले समूहों के भीतर असमानताओं को संबोधित करते हैं।
- इस विचार का लक्ष्य अनुसूचित जाति श्रेणी के भीतर अधिक पिछड़े समुदायों के लिए अलग आरक्षण प्रदान करना है।
3. विपरीत तर्क:
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- अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोगों का तर्क है कि अलग-अलग आरक्षण समस्या के मूल कारण का समाधान नहीं कर सकता है।
- वे उप-वर्गीकरण से पहले अत्यधिक पिछड़े वर्गों तक पहुंचने के लिए मौजूदा योजनाओं और सरकारी लाभों की आवश्यकता पर जोर देते हैं।
चुनौतियाँ और भावी कदम:
- कानूनी विशेषज्ञ उप-वर्गीकरण निर्णयों का समर्थन करने के लिए ठोस जनसांख्यिकी संख्या और सामाजिक-आर्थिक डेटा की आवश्यकता पर प्रकाश डालते हैं।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
चुनावी बांड योजना को चुनौती:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं, पारदर्शिता और जवाबदेही।
प्रारंभिक परीक्षा: चुनावी बांड का प्रावधान।
मुख्य परीक्षा: चुनावी बांड से जुड़े मुद्दे।
प्रसंग:
- चल रही कानूनी लड़ाइयाँ भारत की चुनावी बॉन्ड योजना को चुनौती देती हैं, जो राजनीतिक वित्त पोषण में अस्पष्टता और निष्पक्ष चुनावों पर इसके संभावित प्रभाव को उजागर करती हैं।
चुनावी बांड के बारे में:
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पारदर्शिता वकालत बनाम राजनीतिक वित्तपोषण गोपनीयता:
- राजनीतिक दलों के बीच धन के स्रोतों का खुलासा करने के लिए पारंपरिक प्रतिरोध मौजूद है, जिससे पारदर्शिता में बाधा उत्पन्न होती है।
- नागरिक समाज (Civil society) ने राजनीतिक वित्तपोषण में अधिक पारदर्शिता प्राप्त करने के साधन के रूप में जनहित याचिका (PIL) का उपयोग करते हुए मतदाताओं को जानकारी के साथ सशक्त बनाने के लिए सक्रिय रूप से अभियान चलाया है।
करचोरी की रणनीति: चुनावी ट्रस्ट से लेकर चुनावी बांड तक:
- राजनीतिक प्रतिष्ठान ने चुनावी न्यास योजना और बाद में अधिक महत्वाकांक्षी चुनावी बॉन्ड योजना (EBS) की शुरुआत करते हुए रणनीतिक कदम उठाए।
- कॉर्पोरेट दाताओं की पहचान को छिपाने के लिए विधायी संशोधनों को लागू किया गया था, जो राजनीतिक वित्तपोषण गोपनीयता की रक्षा के लिए एक ठोस प्रयास को दर्शाता है।
संशोधनों के विरुद्ध कानूनी चुनौती:
- ईबीएस के कार्यान्वयन से महीनों पहले, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और कॉमन कॉज ने कॉर्पोरेट दान के कानूनी ढांचे में किए गए संशोधनों की संवैधानिकता को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका दायर की।
- जनहित याचिका में तर्क दिया गया कि इन संशोधनों ने देश की स्वायत्तता के साथ समझौता किया, भ्रष्ट आचरण को बढ़ावा दिया और पारदर्शिता के लिए खतरा पैदा किया, इस प्रकार नागरिकों के सूचना के मौलिक अधिकार का उल्लंघन हुआ।
चुनावी बांड का प्रभाव और प्रभुत्व:
- समय के साथ, चुनावी बॉन्ड राजनीतिक दान के पसंदीदा साधन के रूप में उभरे, जिसमें कई किश्तों में एक महत्वपूर्ण कुल मूल्य बेचा गया।
- एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) के शोध से पता चला है कि राजनीतिक चंदे में चुनावी बांड का बड़ा हिस्सा होता है, जिसमें भाजपा को विशेष रूप से बहुमत प्राप्त होता है।
न्यायिक प्रतिक्रिया और चुनौतियाँ:
- चुनावी बांड के बढ़ते प्रभाव के बावजूद, इन बांड की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका को लंबी कानूनी लड़ाई का सामना करना पड़ा।
- सर्वोच्च न्यायालय ने 23 जून, 2021 के एक आदेश में योजना पर अंतरिम रोक लगाने के याचिकाकर्ता के अनुरोध को यह सुझाव देते हुए अस्वीकार कर दिया कि मतदाता राजनीतिक दल के खातों के साथ कॉर्पोरेट फाइलिंग में प्रकट किए गए चुनावी बांड व्यय को क्रॉस-रेफरेंस करके योजना की गोपनीयता को संभावित रूप से भेद सकते हैं।
गुमनामी के लिए तर्क और समाधान की आशा:
- सरकार ने गोपनीयता अधिकारों और उन्हें संभावित प्रतिशोध से बचाने की आवश्यकता का हवाला देते हुए दानदाताओं की गुमनामी का बचाव किया है।
- इस बारे में सवाल बने रहते हैं कि कॉर्पोरेट दानदाताओं को अधिक सुरक्षा क्यों मिलती है और पारदर्शिता पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है।
सारांश:
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चुनावों का राज्य द्वारा वित्त पोषण:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएं, पारदर्शिता और जवाबदेही।
मुख्य परीक्षा: चुनाव का राज्य द्वारा वित्त पोषण व्यवहार्य है या नहीं।
प्रसंग:
- यह चर्चा पारदर्शिता बढ़ाने के एक साधन के रूप में भारत में चुनावों में सार्वजनिक फंडिंग की व्यवहार्यता के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें चुनावी बांड योजना की हालिया न्यायिक जांच और चुनावी फंडिंग पर इसके प्रभाव पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
सार्वजनिक बनाम राज्य वित्त पोषण:
- स्पष्ट शब्दावली: “राज्य वित्त पोषण” को “सार्वजनिक फंडिंग” के रूप में अधिक जाना जाता है, इस बात पर जोर देते हुए कि यह चुनावों के लिए आवंटित लोगों का पैसा है।
- पारदर्शिता क्षमता: सार्वजनिक वित्त पोषण पारदर्शिता ला सकता है, लेकिन कार्यान्वयन की प्रक्रिया इसकी प्रभावशीलता के लिए महत्वपूर्ण है।
व्यवहार्यता और शर्तें:
- रिपोर्ट अंतर्दृष्टि: इंद्रजीत गुप्ता समिति की रिपोर्ट, 1999 की भारत के विधि आयोग की रिपोर्ट, 2008 में दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग की रिपोर्ट और 2001 की संविधान की कार्यप्रणाली की समीक्षा करने के लिए राष्ट्रीय आयोग की रिपोर्ट जैसी उल्लेखनीय रिपोर्टें कुछ हद तक सार्वजनिक वित्त पोषण की वकालत करती हैं।
- वे सफल कार्यान्वयन के लिए आवश्यक शर्तों के रूप में आंतरिक पार्टी लोकतंत्र और वित्तीय पारदर्शिता जैसी स्थितियों पर जोर देते हैं।
- वित्त पोषण की मात्रा निर्धारित करना: आवंटित राशि का निर्धारण करने के लिए चुनाव आयोग और राजनीतिक संस्थाओं दोनों को पिछले चुनाव खर्चों को समझने की आवश्यकता होती है।
तंत्र और वितरण:
- वस्तुगत वित्त पोषण: मुफ़्त परिवहन जैसे गैर-नकद समर्थन के लिए सुझाव मौजूद हैं, लेकिन विस्तृत योजना बनाना आवश्यक है।
- वितरण मॉडल: धन कैसे आवंटित किया जाए, यह तय करने में पार्टियों की भागीदारी महत्वपूर्ण है, लेकिन वितरण के मानदंडों पर स्पष्टता एक चुनौती बनी हुई है।
चुनौतियाँ और तुलना:
- वर्तमान पार्टी गतिशीलता: बढ़ती परिवार-उन्मुख क्षेत्रीय पार्टियाँ निष्पक्ष धन वितरण पर सवाल उठाती हैं।
- वैश्विक प्रथाएँ: अन्य लोकतंत्रों की अंतर्दृष्टि राज्य वित्त पोषण के अलग-अलग मॉडल दिखाती है, जो अक्सर कड़े पारदर्शिता नियमों से बंधे होते हैं।
निष्कर्ष:
- जवाबदेही और पारदर्शिता: सार्वजनिक वित्त पोषण के लिए पार्टियों या उम्मीदवारों से पूर्ण वित्तीय प्रकटीकरण की आवश्यकता होती है, जो चुनावी वित्त में जवाबदेही और पारदर्शिता की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. चिकनगुनिया के लिए दुनिया की पहली वैक्सीन:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी
प्रारंभिक परीक्षा: चिकनगुनिया के वैक्सीन/टीके से सम्बन्धित जानकारी।
विवरण:
- 9 नवंबर, 2023 को, अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (Food and Drug Administration (FDA)) ने चिकनगुनिया के लिए दुनिया के पहले टीके को मंजूरी दे दी हैं, जिसे यूरोपीय वैक्सीन निर्माता वलनेवा ने इक्सिक (Ixchiq) ब्रांड के तहत विकसित किया हैं।
चिकनगुनिया: एक उभरता हुआ वैश्विक स्वास्थ्य खतरा
- विशेषताएँ:
- चिकनगुनिया एक वायरल संक्रमण है जो एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस मच्छरों द्वारा फैलता है, जिससे जोड़ों में गंभीर दर्द, बुखार और चलने-फिरने में दिक्कत होती है।
- यह अफ्रीका, एशिया और अमेरिका में प्रचलित है, विश्व स्तर पर छिटपुट प्रकोप की सूचना मिलती है।
- लक्षण:
- जोड़ों का दर्द, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द, मतली, थकान, शरीर पर दाने।
- रोकथाम एवं नियंत्रण:
- मच्छर नियंत्रण के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य आउटरीच और नागरिक रखरखाव।
- मच्छरों के प्रजनन से बचने के लिए औषधीय मच्छरदानी का उपयोग करें और जल जमाव की रोकथाम करनी चाहिए।
इक्सिक (Ixchiq)वैक्सीन: संयोजन और अनुमोदन
- मांसपेशियों में एक इंजेक्शन के रूप में दिए जाने पर, इसमें चिकनगुनिया वायरस का एक जीवित, क्षीण रूप शामिल होता है, जो वास्तविक बीमारी के समान लक्षण उत्पन्न करता है।
नैदानिक अध्ययन और दुष्प्रभाव:**
- लगभग 3,500 व्यक्तियों पर नैदानिक इसके अध्ययन में सुरक्षा का मूल्यांकन किया गया। आमतौर पर बताए गए साइड इफेक्ट्स में सिरदर्द, थकान, मांसपेशियों और जोड़ों में परेशानी, बुखार, मतली और इंजेक्शन स्थल पर कोमलता शामिल हैं।
दक्षता मूल्यांकन:
- 18 वर्ष और उससे अधिक उम्र के व्यक्तियों में एक अमेरिकी अध्ययन से प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया डेटा के आधार पर मूल्यांकन किया गया।
- गैर-मानव प्राइमेट्स/नरवानरों में सुरक्षात्मक माने जाने वाले एंटीबॉडी के स्तर के माध्यम से प्रभावशीलता का प्रदर्शन किया जाता है।
वैक्सीन की भूमिका:
- अतृप्त चिकित्सा आवश्यकता:
- यह अनुमोदन सीमित उपचार विकल्पों वाली किसी बीमारी की अधूरी चिकित्सा आवश्यकता को संबोधित करता है।
- यह संभावित रूप से दुर्बल करने वाली बीमारी चिकनगुनिया को रोकने में महत्वपूर्ण प्रगति प्रदान करता है।
ग्लोबल रोलआउट:
- इस टीके के तीव्र अनुमोदन से ब्राज़ील, पैराग्वे, भारत और पश्चिमी अफ्रीका के कुछ हिस्सों सहित उन देशों में कार्यान्वयन में तेजी आ सकती है जहां चिकनगुनिया प्रचलित है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. अमेरिका-चीन संबंधों में फेंटेनाइल समस्या:
विवरण:
- अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने दोनों देशों के बीच तनाव कम करने के उद्देश्य से एक शिखर सम्मेलन आयोजित किया।
- वार्ता में सैन्य संचार, ताइवान और फेंटेनाइल के उत्पादन जैसे मुद्दे शामिल थे, जो अमेरिका के लिए एक प्रमुख चिंता का विषय है।
फेंटेनाइल प्रोडक्शन क्रैकडाउन पर समझौता:
- दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि चीन फेंटेनाइल के उत्पादन पर रोक लगाएगा।
- शी ने समुदायों पर दवा के विनाशकारी प्रभाव से प्रभावित अमेरिकी पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की हैं।
अमेरिका में फेंटेनाइल का खतरा:
- फेंटेनाइल अमेरिका में ओपिओइड के दुरुपयोग से होनेवाली घातक महामारी के लिए जिम्मेदार है।
- इसने पूरे देश में समुदायों को तबाह कर दिया है।
- नशीली दवाओं के अत्यधिक सेवन से एक ही वर्ष में देश भर में 100,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई।
- उन मौतों में से, 66% से अधिक मामले फेंटेनाइल से जुड़े थे, जो की एक सिंथेटिक ओपिओइड जो हेरोइन से 50 गुना अधिक शक्तिशाली है।
- फेंटेनाइल एक फार्मास्युटिकल दवा है जिसे गंभीर दर्द के इलाज के लिए डॉक्टर द्वारा नियत किया जाता है।
- हालाँकि, आपराधिक संगठन दवा के अवैध उत्पादन और वितरण में संलग्न हैं।
- संयुक्त राज्य अमेरिका में अवैध रूप से उत्पादित अधिकांश फेंटेनाइल को चीन से प्राप्त रसायनों का उपयोग करके मेक्सिको से ले जाया जाता है।
2. गिनी की खाड़ी में भारतीय नौसेना:
- भारतीय नौसेना ने अटलांटिक महासागर में गिनी की खाड़ी में अपनी दूसरी समुद्री डकैती रोधी गश्त समाप्त कर ली है।
- आईएनएस सुमेधा जो एक एक अपतटीय गश्ती जहाज है, ने हाल ही में विस्तारित रेंज परिचालन तैनाती के हिस्से के रूप में 31-दिवसीय समुद्री डकैती रोधी गश्त की।
- गिनी की खाड़ी में समुद्री डकैती रोधी पहली गश्त सितंबर-अक्टूबर 2022 में आईएनएस तरकश द्वारा आयोजित की गई थी।
- यह क्षेत्र भारत के राष्ट्रीय हितों के लिए महत्वपूर्ण है,साथ ही यह देश की ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत के रूप में कार्य करता है।
- आईएनएस सुमेधा की तैनाती राष्ट्रीय हितों को मजबूत करती है और नाइजीरिया, घाना, सेनेगल, टोगो, अंगोला और नामीबिया सहित क्षेत्रीय नौसेनाओं के साथ नौसेना से नौसेना के संबंधों को बढ़ाती है।
- इस तैनाती में पश्चिम अफ्रीका और अटलांटिक में मिशन आधारित तैनाती के हिस्से के रूप में भारत-यूरोपीय संघ के पहले संयुक्त अभ्यास और नामीबिया के वाल्विस बे में एक पोर्ट कॉल में भागीदारी भी शामिल थी।
- तैनाती में पहले भारत-यूरोपीय संघ संयुक्त अभ्यास में भागीदारी और पश्चिम अफ्रीका और अटलांटिक में मिशन आधारित तैनाती के हिस्से के रूप में वाल्विस बे, नामीबिया में एक पोर्ट कॉल (port call) भी शामिल था। (पोर्ट ऑफ कॉल वह स्थान है जहां यात्रा के दौरान जहाज रुकता है।)
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. विदेशी चंदा प्राप्त करने वाले एनजीओ को एफसीआरए के तहत पंजीकृत होना चाहिए।
2. एफसीआरए पत्रकारों और न्यायाधीशों द्वारा विदेशी धन प्राप्त करने पर रोक लगाता है।
3. एफसीआरए पंजीकरण 5 वर्षों के लिए वैध है, और समाप्ति के छह महीने के भीतर नवीनीकरण आवश्यक होती है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: d
व्याख्या:
- एफसीआरए विदेशी दान प्राप्त करने वाले गैर सरकारी संगठनों के लिए पंजीकरण अनिवार्य करता है, कुछ संस्थाओं को विदेशी धन प्राप्त करने से रोकता है और हर 5 साल में नवीनीकरण की आवश्यकता होती है।
प्रश्न 2. हाल ही में खबरों में रहा ‘फेंटेनाइल’ किससे संबंधित है?
(a) डीआरडीओ द्वारा विकसित एक नई मिसाइल
(b) एक सिंथेटिक ओपिओइड मॉर्फिन से 100 गुना अधिक मजबूत
(c) भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान-3 पेलोड
(d) चीन द्वारा विकसित एक नया स्टील्थ लड़ाकू विमान
उत्तर: b
व्याख्या:
- फेंटेनाइल एक सिंथेटिक ओपिओइड है जो मॉर्फिन से लगभग 100 गुना अधिक शक्तिशाली है, जिसका उपयोग गंभीर दर्द के इलाज के लिए किया जाता है। अन्य विकल्प फेंटेनल से पूरी तरह से असंबंधित हैं।
प्रश्न 3. चिकनगुनिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. चिकनगुनिया का प्रमुख लक्षण जोड़ों में गंभीर दर्द होता है और यह मुख्य रूप से एडीज मच्छरों द्वारा फैलता है।
2. वायरल अनुकूलन के कारण चिकनगुनिया का प्रकोप अधिक हो गया है।
3.चिकनगुनिया के टीके इक्सिक (Ixchiq) में वायरस का एक जीवित, कमजोर संस्करण होता है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: c
व्याख्या:
- चिकनगुनिया का प्रमुख लक्षण जोड़ों में गंभीर दर्द होता है, जो एडीज मच्छरों द्वारा फैलता है, वर्ष 2004 के बाद से इसका प्रकोप लगातार बढ़ गया है, और इक्सिक (Ixchiq) वैक्सीन में वायरस का एक जीवित, कमजोर संस्करण होता है।
प्रश्न 4. इंद्रजीत गुप्ता समिति का संबंध है:
(a) भारत में पुलिस सुधार
(b) चुनावों में राज्य वित्त पोषण
(c) कृषि नीति सिफारिशें
(d) चुनावी सीमा परिसीमन
उत्तर: b
व्याख्या:
- इंद्रजीत गुप्ता समिति ने वर्ष 1998 में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए भारत में चुनावों के लिए राज्य द्वारा वित्त पोषण की सिफारिश की थी।
प्रश्न 5. गिनी की खाड़ी (Gulf of Guinea (GoG)) के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
1. यह अफ्रीका के पूर्वी तट से दूर, उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर का सबसे उत्तरपूर्वी भाग है।
2. गिनी की खाड़ी ग्रीनविच रेखा और भूमध्य रेखा के जंक्शन पर 0°0’N और 0°0’E पर स्थित है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- गिनी की खाड़ी उष्णकटिबंधीय अटलांटिक महासागर का सबसे उत्तरपूर्वी भाग है, जो अफ्रीका के पश्चिमी तट से दूर, ग्रीनविच रेखा/प्रधान मध्याह्न रेखा/प्राइम मेरिडियन एवं भूमध्य रेखा के जंक्शन पर स्थित है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. चुनावी बांड से जुड़े विवाद का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – II, राजव्यवस्था) (Critically evaluate the controversy surrounding electoral bonds. (250 words, 15 marks) (General Studies – II, Polity))
प्रश्न 2. क्या भारत में चुनावों के लिए सरकारी वित्त पोषण व्यवहार्य है? चर्चा कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – II, राजव्यवस्था) (Is state funding of elections viable in India? Discuss. (250 words, 15 marks) (General Studies – II, Polity))
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)