18 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
शासन:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
आर्कटिक का तापमान बढ़ने के कारण क्या है?
पारिस्थितिकी एवं पर्यावरण:
विषय: पर्यावरण प्रदूषण और निम्नीकरण।
प्रारंभिक परीक्षा: आर्कटिक प्रवर्धन (Arctic amplification)।
मुख्य परीक्षा: आर्कटिक प्रवर्धन (Arctic amplification)-कारण और परिणाम।
संदर्भ:
- फ़िनिश मौसम विज्ञान संस्थान (Finnish Meteorological Institute) (फ़िनलैंड) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में कहा गया है कि आर्कटिक महाद्वीप पृथ्वी ग्रह की तुलना में चार गुना तेजी से गर्म हो रहा है।
Image Source: The Hindu
- ध्यान देने योग्य बात यह है कि आर्कटिक का तापमान आर्कटिक के यूरेशियन भाग में अधिक बढ़ रहा है, जिसमें रूस और नॉर्वे के उत्तर में बैरेंट्स सागर शामिल है। यह क्षेत्र वैश्विक औसत से लगभग सात गुना तेजी से गर्म हो रहा है।
Image Source: The Hindu
- कई अध्ययनों में उष्मीकरण (warming) की विभेदक दर (differential rate) की प्रवृत्ति को देखा है और इसे ध्रुवीय प्रवर्धन या आर्कटिक प्रवर्धन के रूप में वर्णित किया गया है।
- जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल ने वर्ष 2019 में ‘बदलती जलवायु में महासागर और क्रायोस्फीयर पर विशेष रिपोर्ट’ में आर्कटिक प्रवर्धन (Arctic amplification) के बारे में बताया हैं।
- आर्कटिक मॉनिटरिंग एंड असेसमेंट प्रोग्राम (The Arctic Monitoring and Assessment Programme (AMAP)) ने अपनी वर्ष 2021 की रिपोर्ट में वैश्विक औसत की तुलना में तेजी से आर्कटिक उष्मीकरण (warming) का उल्लेख किया है।
- इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस क्षेत्र में औसत वार्षिक तापमान पृथ्वी के 1 डिग्री सेल्सियस की तुलना में 3.1 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है।
ध्रुवीय प्रवर्धन और आर्कटिक प्रवर्धन (Polar amplification and arctic amplification):
- ध्रुवीय प्रवर्धन वह परिघटना है जिसमे पृथ्वी की सतह की हवा के तापमान में कोई भी परिवर्तन और भूमंडलीय उष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) को बढ़ावा देने वाले शुद्ध विकिरण का संतुलन इस ग्रह के औसत तापमान की तुलना में ध्रुवों के पास तापमान में बड़ा बदलाव का कारण बनता है।
- इसे आमतौर पर ध्रुवीय उष्मीकरण से उष्णकटिबंधीय उष्मीकरण के अनुपात के रूप में जाना जाता है।
- विशेष रूप से, ये परिवर्तन उत्तरी अक्षांशों पर अधिक स्पष्ट होते हैं, और इन्हें ही आर्कटिक प्रवर्धन के रूप में जाना जाता है।
आर्कटिक प्रवर्धन के कारण:
आइस-अल्बेडो प्रतिक्रिया (Ice-albedo feedback):
- समुद्री बर्फ में उच्च एल्बिडो होता है।
- अल्बेडो प्रकाश का वह अंश है जो किसी पिंड या सतह से परावर्तित होता है और यह सतह की परावर्तनशीलता का एक माप है।
- विशेष तौर पर आर्कटिक में विस्तृत समुद्री बर्फ का आवरण भूमंडलीय उष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) के कारण लगातार घट रहा है। ऐसे में खुला पानी समुद्री बर्फ की तुलना में सूर्य के प्रकाश को कम परावर्तित करता है और सौर विकिरण को अधिक अवशोषित करता है।
चूक/पतन दर प्रतिक्रिया (Lapse rate feedback):
- क्षोभमंडल में ऊंचाई के साथ वातावरण का तापमान घटता जाता है। इसे चूक/पतन दर के रूप में जाना जाता है।
- चूंकि अवरक्त विकिरण का उत्सर्जन तापमान के साथ बदलता रहता है,अपेक्षाकृत ठंडे ऊपरी वायुमंडल से अंतरिक्ष में जाने वाली लंबी तरंग विकिरण निचले वायुमंडल से जमीन की ओर उत्सर्जित होने वाली तरंग की तुलना में कम होती है।
- इस प्रकार, ग्रीनहाउस प्रभाव की प्रभावकारिता ऊंचाई के साथ वातावरण के तापमान में कमी की दर पर निर्भर करती है।
- चूक या पतन दर वह दर हैं,जिस पर तापमान में वृद्धि के साथ गिरावट आती है, तापमान बढ़ने के साथ घटती जाती है।
- हालांकि, ध्रुवीय जैसे मजबूत व्युत्क्रम वाले क्षेत्रों में, एक सकारात्मक चूक दर प्रतिक्रिया देखी जाती है क्योंकि सतह उच्च ऊंचाई की तुलना में तेजी से गर्म होती है, जिसके परिणामस्वरूप इनएफ़्फीसिएंट लॉन्गवेव कूलिंग (inefficient longwave cooling) होती है।
- यह कारक ध्रुवीय प्रवर्धन में योगदान देता है।
- अध्ययनों से पता चला है कि बर्फ-अल्बेडो प्रतिक्रिया और चूक/पतन दर प्रतिक्रिया क्रमशः 40% और 15% ध्रुवीय प्रवर्धन के लिए जिम्मेदार हैं।
जल वाष्प प्रतिक्रिया (Water vapour feedback):
- जेट स्ट्रीम में वृहद बदलावों की वजह से बहुत अधिक जल वाष्प को उत्तर की ओर ले जाया जा रहा है।
- चूंकि जल वाष्प एक ग्रीनहाउस गैस है जिसके कारण वातावरण से गर्मी बाहर नहीं निकल पाती है।
- यह ध्रुवीय/आर्कटिक प्रवर्धन में योगदान दे रहा है।
- इसके अलावा जल वाष्प वायुमंडल में बूंदों के रूप में संघनित हो जाता है और इससे बादल का निर्माण होता है।
- चूंकि स्वच्छ आकाश की बजाय बादल वातावरण से गर्मी बाहर नहीं निकलने देते हैं, यह घटना भी ध्रुवीय प्रवर्धन में योगदान दे रही है।
महासागरीय ताप परिवहन (Ocean heat transport):
- भूमंडलीय उष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) के कारण वायुमंडलीय और महासागरीय परिसंचरण में परिवर्तन को देखा गया है। महासागरीय धाराओं के एक अधिक स्पष्ट ध्रुवीय प्रवाह पर भी ध्यान दिया जा रहा है जो आर्कटिक प्रवर्धन में योगदान दे सकता है।
परिणाम:
घटती समुद्री बर्फ:
- सामान्य रूप से भूमंडलीय उष्मीकरण और आर्कटिक प्रवर्धन के परिणामस्वरूप गर्मियों में इस क्षेत्र से समुद्री बर्फ गायब हो सकती है।
- यह आइस-अल्बेडो प्रतिक्रिया तंत्र के माध्यम से तापमान में और अधिक वृद्धि कर सकता है।
ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर का पिघलना:
- वैश्विक स्तर पर समुद्र के स्तर में वृद्धि में ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर के पिघलने का बड़ा योगदान है।
- यदि बर्फ की यह चादर पूरी तरह से पिघल जाती है, तो वैश्विक समुद्र का स्तर सात मीटर बढ़ जाएगा।
- जिसकी वजह से कुछ द्वीपीय देश और प्रमुख तटीय शहर जलमग्न हो जाएंगे।
- अंटार्कटिका के बाद ग्रीनलैंड की बर्फ की चादर दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी बर्फ की चादर है।
- भारत जैसे देश जिसकी एक लंबी तटरेखा हैं और इसकी तटीय सीमा के साथ पर्याप्त आबादी वाले प्रमुख शहर हैं, के लिए यह अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
- विश्व मौसम विज्ञान संगठन की रिपोर्ट, ‘स्टेट ऑफ ग्लोबल क्लाइमेट इन 2021’ के अनुसार, भारतीय तट के साथ समुद्र का स्तर वैश्विक औसत दर की तुलना में तेजी से बढ़ रहा है।
वनस्पतियों और जीवों पर प्रभाव:
- ध्रुवीय ऊष्मीकरण कई पारिस्थितिक तंत्रों को भी प्रभावित करती है, जिनमें समुद्री और स्थलीय पारिस्थितिक तंत्र शामिल हैं।
- इसका समुद्री,भूमि और आश्रित प्रजातियों सहित क्षेत्र के जीवों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। इससे क्षेत्र की जैव विविधता प्रभावित होगी।
पर्माफ्रॉस्ट विगलन (Permafrost thawing):
- ध्रुवीय प्रवर्धन के कारण आर्कटिक में पर्माफ्रॉस्ट पिघल रहा है।
- (भूविज्ञान में स्थायीतुषार या पर्माफ़्रोस्ट (permafrost) ऐसी धरती,जिसमें मिट्टी लगातार कम-से-कम दो वर्षों तक पानी जमने के तापमान (यानि शुन्य सेंटीग्रेड) से कम तापमान पर रही हो।)
- इससे मिथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन होगा जो भूमंडलीय उष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) को और बढ़ाएगी।
- इसकी गलन एवं पिघलने से लंबे समय से निष्क्रिय बैक्टीरिया और वायरस भी इससे निकल सकते है जो पर्माफ्रॉस्ट में फंस गए थे और ये कारक संभावित रूप से नई बीमारियों को जन्म दे सकते हैं।
जलवायु प्रणालियों पर प्रभाव:
- आर्कटिक का विस्तार मौजूदा जलवायु प्रणाली जैसे भारतीय उपमहाद्वीप में मानसून में बदलाव कर सकता है।
- भारतीय और नार्वे के वैज्ञानिकों के एक समूह द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया है कि बैरेंट्स-कारा समुद्री क्षेत्र में कम बर्फ सितंबर और अक्टूबर में मानसून के उत्तरार्ध में अत्यधिक वर्षा की घटनाओं को जन्म दे सकती है।
- लगातार और अधिक तीव्र चरम मौसम की घटनाओं की संभावना के कारण और पानी एवं खाद्य सुरक्षा पर उनके प्रभाव के कारण भारत के लिए इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
इंडएआरसी (IndARC):
- इंडएआरसी (IndARC) आर्कटिक क्षेत्र में भारत की पहली अंडरवाटर मूर्ड ऑब्जर्वेटरी (underwater moored observatory) है।
- इसे वर्ष 2014 में कोंग्सफजॉर्डन फोजर्ड, स्वालबार्ड, नॉर्वे में तैनात किया गया था जो नॉर्वे और उत्तरी ध्रुव के बीच में स्थित है।
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- इसके द्वारा किये जाने वाले शोध का लक्ष्य आर्कटिक जलवायु और मानसून पर इसके प्रभाव का अध्ययन करना है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
चौथे ताइवान संकट की भू-राजनीति
विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: हिन्द-प्रशांत नीति।
संदर्भ:
- हाल ही में यूनाइटेड स्टेट्स हाउस की स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा के बाद चीन ने ताइवान के आसपास बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास किए।
ताइवान-चीन संबंध:
- ताइवान एक द्वीप है, जो आधिकारिक तौर पर चीन गणराज्य (ROC) के रूप में जाना जाता है तथा ताइवान जलडमरूमध्य इसे चीन से अलग करता है।
- यह 1949 में चीन से स्वतंत्र हुआ था। पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना, द्वीप को एक पाखण्डी प्रांत (renegade province) मानता है और अंततः ताइवान को मुख्य भूमि के साथ “एकीकृत” करने के लिए प्रतिबद्ध है।
- ताइवान की अपनी लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार है तथा यहां 23 मिलियन लोग निवास करते हैं, ताइवान के नेताओं के द्वीप की स्थिति और मुख्य भूमि के साथ संबंधों पर अलग-अलग विचार हैं।
- चीन ताइवान द्वारा विदेशी सरकारों या अधिकारियों के साथ किसी भी तरह के जुड़ाव का विरोध करता है। दुनिया भर के लगभग 15 छोटे और सुदूर द्वीप देश ने ताइवान को मान्यता दी हैं।
- चीन संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों और अन्य अंतरराष्ट्रीय संगठनों में सदस्य के रूप में ताइवान की भागीदारी को भी खारिज करता है।
- शीत युद्ध के दौरान चीन के खिलाफ ताइवान (ROC) गैर-कम्युनिस्ट बन हुआ था।
चित्र स्रोत: Cfr.org
यूएस-ताइवान और चीन:
- 1971 में अमेरिका ने राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार हेनरी किसिंजर की गुप्त कूटनीति के माध्यम से PRC के साथ संबंधों की शुरुवात की थी।
- अमेरिका की ताइवान के प्रति “नीति अस्पष्ट” है। इसका मतलब है कि यह ताइपे के साथ संबंध बनाए रखता है तथा इसे हथियार बेचता है, लेकिन आधिकारिक तौर पर PRC की “वन चाइना पॉलिसी” का सदस्य भी है, जो ताइवान को अलग देश के रूप में मान्यता नहीं देती।
पहला और दूसरा ताइवान संकट:
- 1954-55 और 1958 में, PRC ने ताइवान के नियंत्रण में माजू, जिनमेन और दचेन द्वीपों पर बमबारी की, जिससे अमेरिका को अपनी पैठ ज़माने का मौका मिला।
- अमेरिकी कांग्रेस ने फॉर्मोसा प्रस्ताव पारित कर राष्ट्रपति ड्वाइट डी आइजनहावर को ROC क्षेत्र की रक्षा हेतु अधिकृत किया।
तीसरा ताइवान संकट:
- 1995 में, ताइवान के राष्ट्रपति ली टेंग-हुई ने अमेरिका में कॉर्नेल विश्वविद्यालय का दौरा किया जिससे चीन ने ताइवान जलडमरूमध्य में सैन्य अभ्यास और मिसाइल परीक्षण किए, जिससे तीसरा जलडमरूमध्य संकट शुरू हुआ।
- अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन ने अमेरिकी विमानवाहक पोतों को जलडमरूमध्य में भेजकर जवाब दिया, अंततः चीन को डी-एस्केलेट करने के लिए मजबूर किया।
चौथा ताइवान जलडमरूमध्य संकट:
- अमेरिका ने ताइवान को 18 अरब डॉलर से अधिक मूल्य के हथियार बेचकर और ताइपे में अपने वास्तविक दूतावास के लिए 250 मिलियन डॉलर के परिसर का अनावरण करके राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ताइवान के साथ संबंधों को मजबूत किया।
- ट्रंप ने प्रशासन के कई वरिष्ठ अधिकारियों को ताइवान भी भेजा।
- बिडेन प्रशासन ने हथियारों की बिक्री जारी रखते हुए और अमेरिकी अधिकारियों को ताइवान के अधिकारियों के साथ अधिक स्वतंत्रतापूर्वक मिलने की अनुमति देने के ट्रम्प प्रशासन के फैसले को जारी रखते हुए एक समान दृष्टिकोण अपनाया है।
- नवीनतम प्रस्तावित कानून, ताइवान नीति अधिनियम 2022 जिसमें ताइवान को एक प्रमुख गैर-नाटो सहयोगी के रूप में नामित करना तथा नैन्सी पेलोसी की हालिया यात्रा शामिल है।
- उपरोक्त घटनाक्रम पर चीन की प्रतिक्रिया चौथे ताइवान जलडमरूमध्य संकट के रूप में प्रकट हो रही है।
ताइवान की चीन से प्रासंगिकता:
- चीन और ताइवान की अर्थव्यवस्थाएं अविभाज्य रूप से जुड़ी हुई हैं। 2017 से 2022 तक 515 बिलियन डॉलर के निर्यात मूल्य के साथ चीन ताइवान का सबसे बड़ा निर्यात भागीदार है, जो उसके दूसरे सबसे बड़े भागीदार यू.एस. के दोगुने से अधिक है।
- ताइवान अन्य द्वीपों की तुलना में मुख्य भूमि चीन के बहुत करीब है तथा बीजिंग का दावा है कि 1949 में चीनी क्रांति के दौरान राष्ट्रवादियों को वहां से खदेड़ दिया गया था।
- भू-राजनीतिक रूप से, चीन के लिए क्षेत्रीय आधिपत्य स्थापित करने और वैश्विक महाशक्ति बनने के लिए ताइवान महत्वपूर्ण है।
- चीन, अपनी सैन्य क्षमताओं के बावजूद, भीड़-भाड़ वाले पड़ोस में एक बंद नौसैनिक शक्ति है।
- ताइवान पर नियंत्रण करना एक ऐतिहासिक वादे को पूरा करता है और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में एक महान शक्ति के रूप में अपने भू-राजनीतिक कद का निर्माण करता है।
चीन की भावी बाधाएं:
- ताइवान 1949 से चीन के नियंत्रण से बाहर है।
- ताइवान की स्थलाकृति और राष्ट्रवादी समूहों को देखते हुए एक बार चीन द्वारा द्वीप पर कब्जा कर लेने के बाद स्थिति को नियंत्रण में रखना मुश्किल होगा।
- मुख्य भूमि से ताइवान तक कोई भौगोलिक निकटता नहीं है, जो सुरक्षा चुनौतियों का सामना करना जारी रख सकती है।
- कोई भी रणनीतिक चूक इस क्षेत्र में चीन की स्थिति के प्रतिकूल साबित होगी।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
शासन:
भारत में गोद लेने से संबंधित कानून
विषय: विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप।
मुख्य परीक्षा: गोद लेने को नियंत्रित करने वाला कानूनी ढांचा।
संदर्भ:
- हाल ही में, “संरक्षकता और दत्तक ग्रहण कानूनों की समीक्षा” शीर्षक वाली संसदीय स्थायी समिति की एक रिपोर्ट ने बच्चों को गोद लेने के इच्छुक लोगों की संख्या और गोद लेने के लिए कानूनी रूप से उपलब्ध बच्चों की संख्या के बीच चौंका देने वाले अंतर की ओर इशारा किया है।
रिपोर्ट के निष्कर्ष:
- सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) के आंकड़ों के मुताबिक, देश में गोद लिए गए बच्चों की संख्या 2010 में 5,693 से घटकर 2020-21 में 3142 हो गई।
चित्र स्रोत: द हिंदू
- अंतर-देशीय दत्तक ग्रहण में लिए गए बच्चों की संख्या 2010 में 628 से घटकर 2020-21 में 417 हो गई।
- 2021 में CARA के साथ 27,939 संभावित माता-पिता पंजीकृत थे, जो 2017 में लगभग 18,000 थे।
- गोद लेने योग्य माने जाने वाले चाइल्डकैअर संस्थानों में रहने वाले 6,996 अनाथ, परित्यक्त और आत्मसमर्पण करने वाले बच्चे थे, लेकिन केवल 2,430 को ही बाल कल्याण समितियों द्वारा गोद लेने के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित किया गया था।
- भावी दत्तक माता-पिता को बच्चों के लिए एक रेफरल प्राप्त करने में औसतन लगभग 03 वर्ष लगते हैं।
- 2020 वर्ल्ड अनाथ रिपोर्ट में भारत में 31 मिलियन अनाथों की संख्या का अनुमान लगाया गया है।
- यूनिसेफ के आंकड़े बताते हैं कि प्रत्येक दिन करीब 10,000 बच्चे अनाथ हो जाते हैं। वर्तमान में दुनिया में लगभग 140 मिलियन अनाथ हैं।
अंतर का कारण:
- देश में गोद लेने की कानूनी प्रक्रिया कठिन है।
- बृहद पैमाने पर दुष्कर्म तथा अंतर्देशीय गोद लेने वाले समूह।
- कभी-कभी चाइल्ड केयर होम में बच्चे विभिन्न कारणों से गोद लेना नहीं चाहते हैं।
चिंता:
- पिछले कुछ वर्षों में गोद लेने वाली एजेंसियों में आने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट, तस्करी या अवैध बच्चे गोद लेने वाले बाजार की ओर इशारा करती है।
- 2018 और 2019 के बीच केवल 40 विकलांग बच्चों को गोद लिया गया था, जो इस वर्ष में गोद लिए गए बच्चों की कुल संख्या का लगभग 1% है।
- LGBTQI+ परिवारों का बहिष्करण, उनकी प्रजनन स्वायत्तता और गोद लेने की प्रक्रिया से वंचित करना।
संसदीय पैनल की सिफारिशें:
- समिति ने कहा है कि एक नए कानून की जरूरत है जो किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 और हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम (HAMA), 1956 में सामंजस्य स्थापित करे तथा इस तरह के कानून में LGBTQI समुदाय को शामिल किया जाना चाहिए।
- पैनल ने यह सुनिश्चित करने की भी सिफारिश की कि सड़क पर भीख मांगने वाले परित्यक्त और अनाथ बच्चों को जल्द से जल्द गोद लेने हेतु उपलब्ध कराया जाए। ऐसा करने हेतु तथा उन बच्चों की पहचान करने हेतु समय-समय पर जिला सर्वेक्षण करने का सुझाव दिया है।
- अवैध रूप से गोद लेने और बाल तस्करी से निपटने के लिए तस्करी के पिछले रिकॉर्ड वाले अपंजीकृत बाल देखभाल संस्थानों और गोद लेने वाली एजेंसियों/अस्पतालों पर निगरानी बढ़ाएं।
भारत में गोद लेने को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढांचे (Legal Framework) के बारे में अधिक जानकारी के लिए पढ़ें:
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
शासन:
AIS अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति
विषय: लोकतंत्र में सिविल सेवाओं की भूमिका।
मुख्य परीक्षा: AIS अधिकारियों की कमी के कारण।
संदर्भ:
- हाल ही में भारत सरकार ने इस बात को स्वीकार किया है कि अखिल भारतीय सेवा (AIS) अधिकारी प्रतिनियुक्ति (deputation) पर केंद्र सरकार के साथ काम करने के इच्छुक नहीं होते है।
AIS अधिकारियों का संघीय चरित्र:
- AIS अधिकारियों की भर्ती केंद्र सरकार द्वारा की जाती है तथा उनकी सेवाओं को विभिन्न राज्य संवर्गों के तहत आवंटित किया जाता है। संवर्ग (कैडर) नियंत्रण का अधिकार केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों के पास है।
- भारतीय प्रशासनिक सेवा-कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग।
- भारतीय पुलिस सेवा- केंद्रीय गृह मंत्रालय।
- भारतीय वन सेवा-पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय।
AIS अधिकारी की प्रतिनियुक्ति:
- केंद्र सरकार हर साल केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर जाने के इच्छुक अखिल भारतीय सेवाओं के अधिकारियों की “सूची” मांगती है, जिसके बाद वह उस सूची से अधिकारियों का चयन करती है।
- राज्यों को केंद्र सरकार के कार्यालयों में अखिल भारतीय सेवा (AIS) अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति करनी होती है, जो कुल संवर्ग की संख्या के 40% से अधिक नहीं हो सकती है।
कुल कमी के कारण:
- उदारीकरण के बाद IAS अधिकारियों की वार्षिक भर्ती में इस धारणा के कारण उल्लेखनीय कमी आई है कि आर्थिक उदारीकरण के कारण सरकार की भूमिका कम हो जाएगी।
- जनवरी 2021 तक अखिल भारतीय स्तर पर IAS अधिकारियों की 23% कमी थी। IAS अधिकारियों की वार्षिक भर्ती को कुछ वर्षों तक लगभग 200 तक बढ़ाया जाना चाहिए।
- खराब “कैडर समीक्षा” अर्थात् राज्य और केंद्र सरकारें राज्यों में कुछ रणनीतिक पदों को “कैडर पोस्ट” के रूप में नामित करती हैं तथा उन्हें विशेष रूप से IAS अधिकारियों के लिए निर्धारित करती हैं। सभी राज्यों में एक उचित कैडर समीक्षा कई IAS अधिकारियों को गैर-रणनीतिक पदों से मुक्त करेगी और कमी को कम करेगी।
- वर्ष 2000 से समूह B कार्यक्रम के तहत केंद्रीय सचिवालय सेवा में अधिकारियों की सीधी भर्ती को बंद करना और केंद्रीय सचिवालय में IAS रैंक के अधिकारियों की नियमित पदोन्नति में देरी में सुधार करना था।
- राज्य सिविल सेवा से पदोन्नति या चयन द्वारा IAS में नियुक्त अधिकारियों की सेवाओं का पूर्ण उपयोग न करना।
- अत्यधिक प्रतिबंधात्मक शर्तों, ऑफ़र सूचियों की वार्षिक समाप्ति, अनिवार्य कूलिंग-ऑफ़ अवधि आदि केंद्र द्वारा लगाए गए कई प्रशासनिक अवरोध।
इन कमी का प्रभाव:
- केंद्र सरकार के मंत्रालयों (उप सचिवों और निदेशकों के स्तर पर जो आम तौर पर IAS आते हैं) में IAS की मांग बढ़ रही है।
- लेटरल एंट्री अधिकारियों की संख्या इतनी कम है कि केंद्र में रिक्त पदों की स्थिति में मामूली अंतर भी नहीं किया जा सकता है।
- केंद्रीय पुलिस प्रतिष्ठान में बहुत अधिक रिक्तियां हैं जिनमें अर्धसैनिक बल और CBI और NIA जैसी जांच एजेंसियां शामिल हैं।
भावी कदम:
- केंद्र सरकार ने विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा IAS अधिकारियों की कमी को दूर करने के लिए IAS (कैडर) नियम, 1954 के नियम 6 में कुछ संशोधनों का प्रस्ताव किया है। संशोधन के अनुसार, सभी IAS, IPS, IFS अधिकारी सीधे केंद्र के दायरे में आएंगे।
- इससे केंद्र इन अधिकारियों को राज्य सरकारों के आरक्षण को दरकिनार करते हुए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर तैनात कर सकेगा।
- केंद्रीय प्रतिनियुक्ति को उनके राज्य संवर्ग में प्रधान सचिव ग्रेड के पात्र होना अनिवार्य किया जा सकता है। जो इन प्रतिनियुक्तियों को एक स्थिर, पर्याप्त बनाएगा।
- संविधान के अनुच्छेद 263 के तहत गठित अंतर्राज्यीय परिषद में समय पर प्रतिनियुक्ति की उचित प्रक्रिया तैयार की जा सकती है।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. रिस्ट वंडर (Wrist wonder):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
विषय: जीआई उत्पाद (GI products)।
प्रारंभिक परीक्षा: तेलंगाना राज्य के जीआई उत्पाद।
संदर्भ:
- क्रीसेंट हैंडीक्राफ्ट आर्टिसन वेलफेयर एसोसिएशन ने हैदराबाद में निर्मित लाख की चूड़ियों हेतु जीआई टैग (GI tag) हासिल करने के लिए एक आवेदन दायर किया है।
विवरण:
- हैदराबाद के ‘लाड बाजार’ में पिघले हुए लाख से चूड़ियों पर दस्तकारी की जाती है।
- पिघला हुआ लाख जम जाता है और फिर चूड़ियों का आकार ले लेता है और उसके बाद क्रिस्टल, मोतियों, दर्पणों या पत्थरों से अलंकृत किया जाता है।
- इन जटिल लाख की चूड़ियों को बनाने की कला 500 साल से अधिक पुरानी है और इसे लाड बाजार में कलाकारों द्वारा अपनी आने वाली पीढ़ियों को सौंप दिया जाता है।
- वारंगल दर्री, निर्मल टॉयज और करीमनगर फिलीग्री, पोचमपल्ली इकत कुछ अन्य उत्पाद हैं जिन्होंने तेलंगाना राज्य में जीआई टैग हासिल किया है।
2. तेलंगाना में गोदावरी खतरे के निशान से ऊपर:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
भूगोल:
विषय: भारत की प्रमुख नदी प्रणाली
प्रारंभिक परीक्षा: गोदावरी नदी से सम्बंधित तथ्य।
संदर्भ:
- गोदावरी नदी इंद्रावती और प्राणहिता सहित अपनी सहायक नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों से भारी प्रवाह के कारण भद्राचलम शाखा में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है।
- इससे क्षेत्र में बाढ़ की समस्या पैदा हो गई है।
गोदावरी नदी:
- गोदावरी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है।
- इसका उद्गम त्र्यंबकेश्वर, नासिक, महाराष्ट्र से होता है तथा यह बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
- यह महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा राज्यों में बहती है।
- इसकी प्रमुख सहायक नदियों में प्राणहिता (वेनगंगा, पेंगंगा, वर्धा का संयुक्त प्रवाह), इंद्रावती, सबरी (बाएं किनारे की सहायक नदियां) और मंजीरा (दाएं किनारे की सहायक नदी) शामिल हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- नागरिक कार्रवाई से असम राइफल्स ने तस्करी को विफल करने में सफलता पाई:
- मणिपुर के एक कस्बे सुगनू में असम राइफल्स द्वारा की गई कार्रवाई से न केवल स्थानीय लोगों के जीवन में सुधार हुआ है, बल्कि सुरक्षा बलों को भी इसका भरपूर लाभ मिला है।
- सुगनू को म्यांमार से आने-जाने वाले चरमपंथियों के “पारगमन शिविर” (transit camp) के रूप में जाना जाता है।
- यह शहर नशीले पदार्थों, लकड़ी और वन्यजीवों के अंगों के तस्करों का एक जंक्शन भी रहा है।
- इस नागरिक कार्रवाई ने सुरक्षा बलों को लोगों का विश्वास और सहयोग हासिल करने में मदद की है और इससे बल को स्थानीय लोगों से महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी हासिल करने में मदद मिली है।
- यह बलों द्वारा किए गए आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए अत्यधिक महत्व रखता है,क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में ₹20 करोड़ की नशीली दवाओं को भी जब्त किया गया है।
- ‘दिल्ली का PM2.5 स्तर दुनिया में सबसे खराब’:
- अमेरिका स्थित स्वास्थ्य प्रभाव संस्थान द्वारा जारी रिपोर्ट जिसमे शहरों में स्वास्थ्य के आधार पर वायु गुणवत्ता के विश्लेषण में पाया कि भारत के शहरों के सम्बन्ध पार्टिकुलेट मैटर उत्सर्जन (PM2.5) रिकॉर्ड करते हुए, जो दुनिया में सबसे अधिक हैं, के बावजूद नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) उत्सर्जन में अपेक्षाकृत बेहतर प्रदर्शन करते हैं।
- PM 2.5 के स्तर के मामले में शीर्ष 10 सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में दिल्ली और कोलकाता पहले और दूसरे स्थान पर थे।
- रिपोर्ट में पाया गया कि जहां PM 2.5 प्रदूषण का जोखिम निम्न और मध्यम आय वाले देशों के शहरों में अधिक है, वहीं उच्च आय वाले शहरों के साथ-साथ निम्न और मध्यम आय वाले देशों में NO2 का जोखिम अधिक है।
- उनकी अत्यधिक प्रतिक्रियाशील प्रकृति के कारण, नाइट्रोजन ऑक्साइड ओजोन और पार्टिकुलेट मैटर सहित अन्य प्रदूषकों के निर्माण में भी योगदान करते हैं।
- NO2 की उच्च प्रतिक्रियाशीलता के कारण, अन्य प्रदूषकों की तुलना में इसका जीवनकाल कम है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. वेस्ट नील वायरस (West Nile Virus) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं? (स्तर – मध्यम)
- वेस्ट नील वायरस के मुख्य मेजबान पक्षी हैं।
- वेस्ट नील वायरस एकरेशीय RNA वायरस है।
- यह मादा एनोफिलीज मच्छर द्वारा मनुष्यों में फैलता है।
विकल्प:
- केवल 1 और 3
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: b
व्याख्या:
- वेस्ट नील वायरस (WNV) उत्तरी अमेरिका महाद्वीप में मच्छर जनित बीमारी का प्रमुख कारण है। यह आमतौर पर संक्रमित मच्छर के काटने से लोगों में फैलता है।
- क्यूलेक्स जीनस के मच्छरों को आमतौर पर वेस्ट नील वायरस का प्रमुख वाहक माना जाता है।
- मच्छर तब संक्रमित हो जाते हैं जब वे संक्रमित पक्षियों को खाते हैं, जो वेस्ट नील वायरस के मुख्य वाहक होते हैं।
- वेस्ट नील वायरस एक एकरेशीय RNA वायरस है जो वेस्ट नील बुखार का कारण बनता है। जीनस फ्लैविवायरस, फ्लैविविरिडे परिवार का है, जिसमें ज़िका वायरस, डेंगू वायरस और पीले बुखार का वायरस भी शामिल हैं।
प्रश्न 2. गोदावरी नदी के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कितने सही हैं/हैं? (स्तर – मध्यम)
- नदी का उद्गम महाराष्ट्र में रत्नागिरी के पास मध्य भारत के पश्चिमी घाट से होता है।
- प्रणहिता नदी गोदावरी नदी की सबसे लंबी सहायक नदी है।
- यह उत्तर में सतमाला पहाड़ियों से घिरी है।
विकल्प:
- केवल एक कथन
- केवल दो कथन
- तीनों कथन
- उपर्युक्त कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- गोदावरी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे बड़ी नदी है। नदी का उद्गम महाराष्ट्र में रत्नागिरी के पास मध्य भारत के पश्चिमी घाट से होता है।
- इसकी प्रमुख सहायक नदियों में प्राणहिता (वेनगंगा, पेंगंगा, वर्धा का संयुक्त प्रवाह), इंद्रावती, सबरी (बाएं किनारे की सहायक नदियां) और मंजीरा (दाएं किनारे की सहायक नदी) शामिल हैं। प्राणहिता सबसे लंबी नहीं बल्कि सबसे बड़ी सहायक नदी है।
- बेसिन सतमाला पहाड़ियों, अजंता श्रेणी और उत्तर में महादेव पहाड़ियों, दक्षिण और पूर्व में पूर्वी घाटों से घिरा है।
प्रश्न 3. निम्नलिखित में से तेलंगाना राज्य में किस उत्पाद को GI टैग प्राप्त हुआ है? (स्तर – कठिन)
- लाख की चूड़ियाँ (Lac bangles)
- पोचमपल्ली फैब्रिक (Pochampally Ikat)
- वारंगल दरियां (Warangal Durries)
- करीमनगर जरदोजी (Karimnagar filigree)
- कसुती कढ़ाई (Kasuti Embroidery)
विकल्प
- केवल 1, 3 और 4
- केवल 1, 2, 3 और 4
- केवल 2, 4 और 5
- केवल, 2, 3 और 4
उत्तर: d
व्याख्या:
- कसुती कर्नाटक राज्य में प्रचलित लोक कढ़ाई का एक पारंपरिक रूप है।
- हैदराबाद की लाख की चूड़ियों को अभी भी जीआई टैग नहीं मिला है।
प्रश्न 4. हाल ही में चर्चा में रहा “लम्पी वायरस (Lumpy Virus)” किसे प्रभावित करता है? (स्तर – मध्यम)
- नवजात
- मवेशी और पशुधन
- चावल के पौधे
- वन्यजीव
उत्तर: b
व्याख्या:
- गांठदार त्वचा रोग पॉक्सविरिडे परिवार के जीनस कैप्रिपोक्स वायरस के कारण होता है, जो मवेशियों को प्रभावित करता है
प्रश्न 5. भारतीय इतिहास के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन भावी बुद्ध है, जिसका दुनिया को बचाने के लिए आना बांकी है? (स्तर – कठिन)
- अवलोकितेश्वर
- लोकेश्वर
- मैत्रेय
- पद्मपाणि
उत्तर: c
व्याख्या:
- मैत्रेय गौतम बुद्ध के उत्तराधिकारी होंगे। मैत्रेय एक बोधिसत्व हैं जो भविष्य में पृथ्वी पर प्रकट होंगे और उन्हें इस दुनिया का भावी बुद्ध माना जाता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. “व्यापक डेटा सुरक्षा ढांचे के माध्यम से किए गए पर्याप्त सार्वजनिक सुरक्षा उपायों के बिना कोई भी डेटा पहुंच और उपयोग नीति अधूरी है”। डेटा संरक्षण विधेयक को पारित करने के लिए भारत सरकार के प्रयासों के संदर्भ में इस कथन का विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस-3, विज्ञान और प्रौद्योगिकी)
प्रश्न 2. गोद लेने के इच्छुक लोगों की संख्या और गोद लेने के लिए उपलब्ध बच्चों की संख्या के बीच अंतर, सरकार की नीतियों में कमी की ओर इशारा करता है, टिप्पणी कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (जीएस-2, सामाजिक न्याय)