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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 18 July, 2022 UPSC CNA in Hindi

18 जुलाई 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

  1. केरल सुप्रीम कोर्ट की ESZ अधिसूचनाओं का विरोध क्यों कर रहा है?
  2. कर्नाटक का PSI भर्ती घोटाला और शीर्ष अधिकारीयों के शामिल होने का संदेह:

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

कृषि:

  1. कर्जमाफी से सिर्फ 50 फीसदी किसानों को फायदा:

पर्यावरण:

  1. दक्षिण पश्चिम यूरोप में जंगल की आग का प्रकोप:

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

  1. पश्चिम एशिया में बाइडेन:

राजव्यवस्था:

  1. भारत में लोकतंत्र की रक्षा:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. भारतीय नौसेना ने पनडुब्बी आईएनएस सिंधुध्वज को सेवामुक्त किया:
  2. पैकेट वाले दही, पनीर, आटे पर 5% जीएसटी लगेगा:

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

केरल सुप्रीम कोर्ट की ESZ अधिसूचनाओं का विरोध क्यों कर रहा है?

शासन:

विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के उद्देश्य से सरकार की नीतियां,हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

प्रारंभिक परीक्षा: पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESZ)।

मुख्य परीक्षा: केरल के विकास पर ESZ अधिसूचना का प्रभाव।

संदर्भ:

  • हाल ही में, केरल राज्य विधानसभा ने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया हैं जिसमे केंद्र सरकार पर केरल के सार्वजनिक संस्थानों, मानव बस्तियों और कृषि भूमि को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों (ESZ) के दायरे से बाहर करने के लिए दबाव डाला गया हैं।
    • गौरतलब हैं कि कुछ समय पूर्व भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा इस बात को अधिसूचित किया गया था की देश में सभी संरक्षित वनों के आसपास पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों (ESZ) को स्थापित किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट का आदेश:

  • 3 जून को सुप्रीम कोर्ट की 03 जजों की बेंच ने अपने एक आदेश में कहा की वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों और ऐसे संरक्षित क्षेत्रों में उनकी सीमाओं से कम से कम एक किमी का क्षेत्र पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESZ) होना चाहिए।
  • शीर्ष अदालत ने यह भी कहा की संबंधित राज्यों और अधिकारियों को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा जारी 2011 के दिशानिर्देशों का सख्ती से पालन करना चाहिए, जिसमें ईएसजेड के भीतर मानव गतिविधियों को प्रतिबंधित या विनियमित किये जाने की बात की गई है।
  • ESZ पर अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: ESZ

केरल में ESZ की वर्तमान स्थिति:

  • केरल में 23 संरक्षित वन क्षेत्र हैं, जिनमें से बारह वन्यजीव अभयारण्य, तीन पक्षी अभयारण्य, 05 राष्ट्रीय उद्यान और 02 बाघ अभयारण्य हैं।
  • केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा एक मसौदा अधिसूचना में केरल के 23 संरक्षित क्षेत्रों में से 20 को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों के रूप में अधिसूचित किया गया है।
  • मथिकेतन शोला राष्ट्रीय उद्यान (Mathikettan Shola National Park ) की अंतिम अधिसूचना दिसंबर 2020 में जारी की गई थी।
  • हालांकि,पेरियार राष्ट्रीय उद्यान की मसौदा अधिसूचना अभी तक राज्य सरकार द्वारा प्रकाशित नहीं की गई है जिसने पहले यह प्रस्ताव प्रस्तुत किया था।
  • केरल सरकार ने अभी तक मलप्पुरम जिले में स्थित नवीनतम करीमपुझा वन्यजीव अभयारण्य के लिए ESZ का मसौदा प्रस्तुत नहीं किया है।

केरल के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का महत्व:

  • वर्ष 2019-20 से उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार, केरल का वन क्षेत्र 11,521 वर्ग किमी है, जो राज्य के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 29.65 प्रतिशत है।
  • कुल भौगोलिक क्षेत्रों में वनों का यह अनुपात राष्ट्रीय औसत 6.09 प्रतिशत से बहुत अधिक है।
  • इस राज्य के 48% हिस्से पर पश्चिमी घाट का क्षेत्र हैं, जो एक अनूठा परिदृश्य है।
  • इसके अलावा इस राज्य में नहरों, आर्द्रभूमियों, झीलों और 590 किलोमीटर लंबी तटरेखा का एक बड़ा तंत्र विधमान है, जो सभी पर्यावरण संरक्षण और संरक्षण कानूनों और विनियमों की एक श्रृंखला के दायरे में आते हैं, जिसके कारण यहाँ की 35 मिलियन आबादी के निवास हेतु लिए बहुत कम जगह बची है।
  • 900 प्रति वर्ग किलोमीटर के साथ केरल का जनसंख्या घनत्व राष्ट्रीय औसत 382 प्रति वर्ग किलोमीटर से बहुत अधिक है।
  • यह अधिसूचित ईएसजेड (ESZ) क्षेत्रों के आलावा शेष भूमि पर अत्यधिक दबाव डालता है।
  • केरल कैथोलिक बिशप्स काउंसिल के अनुसार, शीर्ष अदालत का यह आदेश केरल में 23 संरक्षित क्षेत्रों के आसपास 04 लाख एकड़ को प्रभावी ढंग से बफर जोन में बदल देगा, जिसके कारण लगभग 1.5 लाख परिवार प्रभावित होंगे।
  • राज्य सरकार को चिंता है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी हालिया अधिसूचना से जमीनी स्थिति और खराब हो सकती है क्योंकि इससे संरक्षित क्षेत्रों के पास रहने वाले करोड़ों लोगों का जीवन प्रभावित होने के अलावा राज्य के हितों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

भावी कदम:

  • केरल राज्य विधानसभा ने केंद्र सरकार से विचार करके इन जोनों को अधिसूचित करने का आह्वान किया है,क्योंकि राज्य सरकार ने अपने प्रस्तावों के माध्यम से राज्य के 10 संरक्षित क्षेत्रों के आसपास ESZ को शून्य चिह्नित किया हैं, अतः इस उद्देश्य के लिए उसने केंद्र सरकार से इससे सम्बंधित कानून बनाने का आग्रह किया हैं।
  • जैसा कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में निर्देश दिया है,केरल सरकार मानव निवास के क्षेत्रों में पारिस्थितिक शून्य संवेदनशील क्षेत्रों को बनाए रखने की आवश्यकता को समझाने के लिए केंद्रीय अधिकार प्राप्त समिति से भी संपर्क कर सकती है।
  • यह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खट खटा सकती है और जहां भी आवश्यक हो अदालत द्वारा निर्दिष्ट 01-किलोमीटर की ईएसजेड (ESZ) की सीमा के विपरीत इसे शून्य तक सीमित कर सकती है।

सारांश:

  • जब संरक्षण और विकास के सतत एवं एकीकृत विकास की बात आती है, तो बॉटम-अप कार्यक्रम और क्षेत्र विशिष्ट समाधान जैसे उपाय भारत में सहभागी वन प्रबंधन का समाधान हो सकते हैं।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

कर्नाटक का PSI भर्ती घोटाला और शीर्ष अधिकारीयों के शामिल होने का संदेह:

शासन:

विषय: शासन के महत्वपूर्ण पहलू, पारदर्शिता एवं जवाबदेही, ई-गवर्नेंस- अनुप्रयोग, मॉडल, सफलताएं, सीमाएं और क्षमता; नागरिक चार्टर, पारदर्शिता तथा जवाबदेही और संस्थागत एवं अन्य उपाय।

प्रारंभिक परीक्षा: भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of corruption act)।

मुख्य परीक्षा: भ्रष्टाचार के परिणामस्वरूप प्रशासनिक अक्षमता बढ़ती है, और राष्ट्र के विकास के मार्ग में रुकावट आती है।

संदर्भ:

  • कर्नाटक के अपराध जांच विभाग (Crime Investigation Department (CID)) ने राज्य में सबसे बड़े भर्ती घोटालों में से एक (पुलिस सब-इंस्पेक्टर (PSI) के लिए) की जांच की, जिसमे खुलासा हुआ की इस भर्ती परीक्षा में रिश्वत के तौर पर लाखों रूपए दिए गए और 60 से अधिक उम्मीदवार, स्थानीय राजनेताओं और कर्नाटक पुलिस भर्ती प्रकोष्ठ के शीर्ष पुलिस अधिकारी, जिसमें इसके तत्कालीन प्रमुख अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) अमृत पॉल भी शामिल हैं,को गिरफ्तार किया गया।

जांच क्या कहती है:

  • प्रारंभिक जांच के अनुसार, 30 उम्मीदवारों ने ओएमआर शीट से छेड़छाड़ करने और अंतिम सूची में शामिल होने के लिए 30 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये के बीच भुगतान किया था।
  • प्रारंभिक जांच के अनुसार, परीक्षा के दिन,एजेंट के निर्देशानुसार उम्मीदवारों ने ओएमआर शीट खाली छोड़ दी और इस ओएमआर शीट को एजेंट द्वारा शेष राशि लेने के बाद ही उम्मीदवारों को परिणाम के दिन ही सौंपा गया ।
  • कथित तौर पर परीक्षा केंद्र पर ही ओएमआर शीट जाली (नकली) थी।
  • जांच से यह भी पता चला कि कॉलेज में लगे सीसीटीवी कैमरों को निष्क्रिय कर दिया गया था ताकि सबूतों को मिटाया जा सकें।
  • इसके अलावा, कुछ परीक्षा केंद्रों में छात्रों द्वारा ब्लूटूथ डिवाइस का उपयोग करने की भी शिकायतें मिली हैं।

शीर्ष स्तर पर भ्रष्टाचार की बू:

  • जांच से पता चला है कि जिस व्यवस्थित तरीके से पूरी भर्ती प्रक्रिया में धांधली की गई थी, वह शीर्ष स्तर के अधिकारीयों के इसमें लिप्त होने का संकेत दे रही हैं।
  • इन गिरफ्तार किए गए लोगों में उम्मीदवार(अभ्यर्थी), सरगना, निरीक्षक, बिचौलिए, पुलिस कर्मी और भर्ती प्रकोष्ठ के अधिकारी शामिल हैं।
  • घोटाले की व्यापकता पुलिस बल में उच्च स्तर पर भ्रष्टाचार को दर्शाती है।
  • हाल ही में, कर्नाटक उच्च न्यायालय ने कहा कि, घोटाले में वरिष्ठ स्तर के पुलिस अधिकारियों की कथित संलिप्तता “फसल खाने वाली बाड़” (“fence eating the crop”) का मामला है।
  • भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, आरटीआई, डब्ल्यूपीए और लोकपाल जैसे सुधारों को प्रभावी ढंग से लागु करने के लिए राजनीतिक इच्छा की कमी, जनहित की कीमत पर सरकारी अधिकारियों को मनमानी करने की छूट देती है।
  • लगभग सभी राज्यों में भ्रष्टाचार के मामलों में दोषसिद्धि दर न्यूनतम है।

भर्ती प्रक्रिया पर प्रभाव:

  • कर्नाटक की राज्य पुलिस में 30% से अधिक रिक्तियां है, जिसे भरने के लिए वर्ष 2016 से एक आक्रामक भर्ती अभियान चल रहा है।
  • जिसका उद्देश्य वर्ष 2023-24 तक सभी रिक्तियों को भरना हैं। हालांकि, घोटाले ने इस भर्ती अभियान को रोक दिया है जिससे उम्मीदवारों और विभाग दोनों को असुविधा हो रही है।

सारांश:

  • भ्रष्टाचार के परिणामस्वरूप राजनीतिक संस्थानों में जनता का विश्वास लगातार कम हो सकता है, जिससे राजनीतिक भागीदारी कम हो सकती है, चुनावी प्रक्रिया में विकृति आ सकती है, मतदाताओं के लिए सीमित राजनीतिक विकल्प उपलब्ध हो सकते हैं और लोकतांत्रिक व्यवस्था की वैधता समाप्त हो सकती है। अतः घरेलू समाधानों के माध्यम से भ्रष्टाचार से प्रभावी ढंग से निपटना चाहिए।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

कर्जमाफी से सिर्फ 50 फीसदी किसानों को फायदा:

कृषि:

विषय: प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सब्सिडी एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य, तथा बैंकिंग क्षेत्र और एनबीएफसी से संबंधित मुद्दे।

मुख्य परीक्षा : कृषि ऋण माफी के पक्ष और विपक्ष में तर्क।

संदर्भ:

  • भारतीय स्टेट बैंक के हालिया अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2014 के बाद से 09 राज्यों द्वारा घोषित कृषि ऋण माफी के इच्छित लाभार्थियों में से केवल 50% को ही वास्तव में कृषि ऋण माफी का लाभ मिला।

अध्ययन के निष्कर्ष:

  • यह अध्ययन 09 राज्यों द्वारा घोषित लगभग 2.53 लाख करोड़ रुपये के दस कृषि ऋण माफी के परिणाम पर आधारित था, जिसकी शुरुआत वर्ष 2014 में तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से हुई थी।
  • कर्जमाफी के लाभार्थियों में से आंध्र प्रदेश के 42 लाख किसानों में से लगभग 92% किसानों को लाभ हुआ, जबकि तेलंगाना के सिर्फ 5% लाभार्थियों को इसका लाभ मिला है।
  • मार्च 2022 तक, घोषित लाभ प्राप्त करने वाले पात्र किसानों के अनुपात के मामले में कृषि ऋण माफी योजनाओं का सबसे खराब निष्पादन तेलंगाना (5%) में था।

Image Source: The Hindu

  • जबकि छत्तीसगढ़ में 100% और महाराष्ट्र में 91% पात्र किसानों को क्रमशः 2018 और 2022 में कृषि ऋण माफी मिली।
  • इसी तरह की कृषि ऋण माफ़ी का वादा महाराष्ट्र सरकार द्वारा वर्ष 2017 में किया गया था, जिसकी कीमत 34,000 करोड़ रुपये थी, जिसका लाभ केवल 68% किसान लाभार्थियों को मिला था।
  • “वर्ष 2014 से, लगभग 3.7 करोड़ पात्र किसानों में से, लगभग 50% किसानों को मार्च 2022 तक ऋण माफी की राशि प्राप्त हुई।

ऋण माफी के खराब प्रदर्शन के संभावित कारण:

  • इस अध्ययन में निम्नलिखित कारणों की पहचान की गई है:
  1. सरकारों द्वारा लाभार्थियों के दावों की अस्वीकृति।
  2. वादों को पूरा करने के लिए सीमित राजकोषीय क्षमता।
  3. बाद के वर्षों में सत्ताधारी दल में परिवर्तन के बाद वादों से मुकर जाना।

कृषि ऋण माफी के पीछे के मुद्दे:

  • अध्ययन में बताया गया हैं कि ऋण माफ़ी का लाभ लाभार्थी किसानों को नहीं मिलने के अलावा, इस बात पर भी प्रकाश डाला गया हैं कि संकटग्रस्त किसानों की मदद करने के लक्ष्य को प्राप्त करने में काफी दिक्क्तों का सामना करना पड़ा ।
  • कृषि ऋण माफी के लिए पात्र कुल खातों में से लगभग 80% खाते मानक श्रेणी में थे।
  • ऋण माफी ऋण संस्कृति को बर्बाद कर देती है जो मध्यम से लंबी अवधि में किसानों के हितों को नुकसान पहुंचा सकती है।
  • वे प्रशासन के वित्तीय अंतराल को भी बढ़ाते हैं, और कृषि बुनियादी ढांचे में उत्पादक निवेश से धन को हटाते हैं।
  • कृषि ऋण माफी के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: Farm loan Waiver

सारांश:

  • तमाम प्रचार और राजनीतिक संरक्षण के बावजूद, राज्य सरकारों द्वारा ऋण माफी संकटग्रस्त किसानों को राहत देने में विफल रही है और इसने ऋण अनुशासन को नष्ट कर दिया है जिससे बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर और अधिक ऋण देने का दबाव पैदा हो गया है। इसे राज्य द्वारा अपने ही लोगों पर दागा गया ” सेल्फ गोल कहा जा सकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

दक्षिण पश्चिम यूरोप में जंगल की आग का प्रकोप

पर्यावरण:

विषय: पर्यावरण प्रदूषण और निम्नीकरण एवं आपदा प्रबंधन।

मुख्य परीक्षा: हीट वेव्स और जंगल की आग पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव।

संदर्भ:

  • दक्षिण पश्चिमी यूरोपीयन देश जंगल में भीषण आग के कारण हीट वेव्स का सामना कर रहे हैं। लगभग 14000 लोग अपने घरों और शिविरों से भागने को मजबूर हो गए हैं क्योंकि, हजारों हेक्टेयर वन भूमि जल गई हैं।

जंगल की आग बढ़ने के कारण:

  • जंगल की आग को सही जलवायु परिस्थितियों, ज्वलनशील ईंधन और एक चिंगारी की आवश्यकता होती है।
    • इन सभी शर्तों को उच्च तापमान पूरा करता है,तापमान की अधिकता से पौधों से नमी ख़तम हो जाती हैं, और सूखे पौधे ईंधन बन जाते हैं।
  • अनावृष्टि और तेज गर्मी पौधों को समाप्त कर देती है, और मृत घास और जंगल की अन्य सामग्री को सुखा सकती है जो आग को हवा देती है।
  • इन शुष्क वनस्पतियों को आग कभी बिजली गिरने से, तो कभी दुर्घटनावश स्थानीय लोगों की लापरवाही के कारण लगती है।
  • यूरोप में जलवायु परिवर्तन के कारण पैदा हुए असामान्य सूखे ने मिट्टी को सूखा दिया है।
  • इसके अलावा, कुछ हिस्सों में सामान्य से अधिक बढे तापमान और सूखे ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

जलवायु परिवर्तन जंगल की आग को कैसे प्रभावित करता है?

  • लगभग 100 साल पहले की हीट वेव्स की तुलना में जलवायु परिवर्तन ने हीट वेव्स को 5 से 10 गुना तेज कर दिया है।
  • अकाल, गर्म तापमान, बारिश, सूखा और बाढ़ जैसी चरम मौसम की घटनाएं भूमंडलीय उष्मीकरण (ग्लोबल वार्मिंग) का परिणाम हैं।
  • वर्ष 2022 में यूरोप में पहली हीटवेव ने तापमान को लगभग 40 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा दिया हैं।
  • जंगल की आग की बढ़ती घटनों के साथ, बिजली गिरने की आवृत्ति भी बढ़ जाती है।
  • बिजली गिरने से आग लगने की घटनाएं उत्तरी अमेरिका और उत्तरी साइबेरिया के उत्तरी जंगलों में आम है।

हीट वेव्स और जंगल की आग का प्रभाव:

  • पिछले हफ्तों में दक्षिण-पश्चिम यूरोप के कुछ हिस्सों में दूसरी हीटवेव आई है।
  • पुर्तगाल और स्पेन में लू से अब तक करीब 1000 लोगों की मौत हो चुकी है।
  • यह आग लोगों की संपत्ति और जीवन के लिए एक सीधा खतरा पैदा करती है, जबकि धुआं, विशेष रूप से 2.5 माइक्रोन और उससे कम आकार के कण, श्वसन और हृदय प्रणाली को भी प्रभावित कर सकते हैं।
  • इसने कई देशों में पर्यटन क्षेत्र को प्रभावित किया है।
  • फ्रांसीसी आल्प्स के अधिकारियों ने “असाधारण जलवायु परिस्थितियों” और “सूखे” के कारण बार-बार चट्टान गिरने से यूरोप के सबसे ऊंचे पर्वत, मोंट ब्लांक के पर्वतारोहियों से अपनी यात्रा स्थगित करने का आग्रह किया हैं।

भावी कदम:

जंगल की आग की निगरानी एवं उसके प्रबंधन के तरीके:

  • संवेदनशील समूहों को शामिल करके प्रतिक्रियाशील दृष्टिकोण के स्थान पर एक निवारक दृष्टिकोण, जंगल की आग को काबू पाने में मदद मददगार साबित होगा,
  • स्वदेशी अग्नि प्रबंधन तकनीकों से त्वरित समाधान में मदद मिलेगी।
  • दीर्घकालिक मौसम पूर्वानुमान पर ध्यान दें।
  • दूरसंवेदी प्रौद्योगिकियों जैसे उपग्रहों, भू-आधारित राडार और बिजली गिरने का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

सारांश:

  • दुनिया भर में जंगल की आग की आवृत्ति और तीव्रता बढ़ती जा रही है।इन घटनाओं को रोकने के लिए लड़ने के दृष्टिकोण की बजाय शमन उपायों में बदलना होगा। अग्निशामक क्षमताओं में सुधार करते हुए, ऐसे कारकों के समाधान खोजने की आवश्यकता है जो आग की घटनाओं को और भी विकराल बना देते हैं।

संपादकीय-द हिन्दू

सम्पादकीय:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

पश्चिम एशिया में बाइडेन:

विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा:पश्चिम एशिया के लिए अमेरिका की विदेश नीति और भारत के लिए इसके निहितार्थ।

संदर्भ:

  • अमेरिकी राष्ट्रपति की पश्चिम एशियाई क्षेत्र की पहली आधिकारिक यात्रा।

विवरण:

अमेरिका की विदेश नीति की प्राथमिकताएं:

  • पश्चिम एशियाई क्षेत्र की पहली यात्रा के दौरान, अमेरिकी राष्ट्रपति ने जरायल और अरब देशों के साथ अमेरिका की पारंपरिक भागीदारी और गठबंधन को मजबूत करने की मांग की।
    • अमेरिका ने ईरान को परमाणु बम प्राप्त करने से रोकने के अपने संकल्प को दोहराया, जो हाल के दिनों में इज़राइल की एक प्रमुख मांग रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने फिलिस्तीनी क्षेत्र की यात्रा के दौरान फिलिस्तीन के लिए सहायता का वादा किया, लेकिन उन्होंने फिलिस्तीनी क्षेत्रों पर इजरायल के कब्जे की आलोचना नहीं की।
    • सऊदी अरब में, अमेरिकी राष्ट्रपति ने सऊदी विरोधी पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या के आरोपी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात की। यह कदम प्रिंस मोहम्मद को उनके मानवाधिकारों के घोर उल्लंघन के लिए अलग-थलग करने के यू.एस. के शुरुआती प्रयासों के अंत का संकेत है।
    • जेद्दा में अरब नेताओं के साथ एक शिखर सम्मेलन में बोलते हुए, अमेरिकी राष्ट्रपति ने अमेरिकी सहयोगियों को आश्वासन दिया कि यू.एस. पश्चिम एशिया से दूर नहीं हुआ है। उसने केवल उस क्षेत्र में एक शक्ति शून्यता छोड़ी थी जिसे भरने की कोशिश चीन, रूस या ईरान कर रहे है।

बैक बर्नर पर समस्याएं:

  • पहले के यू.एस. की विदेश नीति के एजेंडे में इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दा हावी था लेकिन हाल के दिनों में, यू.एस. ने फिलिस्तीन के प्रश्न और फिलिस्तीनियों से ध्यान हटा लिया है।
  • ईरान परमाणु वार्ता जिसे बराक ओबामा की अध्यक्षता के दौरान प्राथमिकता मिली, वर्तमान अमेरिकी प्रशासन के लिए प्राथमिकता नहीं रह गई है।

अमेरिकी विदेश नीति के उद्देश्य:

क्षेत्रीय संतुलन:

  • अमेरिका इस क्षेत्र में रूस, चीन के बढ़ते प्रभाव को या तो प्रत्यक्ष या ईरान जैसे प्रॉक्सी के माध्यम से कम करना चाहता है। इस संबंध में, इजरायल और सुन्नी अरब देशों के बीच संबंधों का सामान्यीकरण पश्चिम एशिया में अमेरिकी विदेश नीति का एक प्रमुख पहलू रहा है। इसे अब्राहम समझौते के माध्यम से मुख्यधारा में लाया गया था और ऐसा लगता है कि इसे नए यू.एस. प्रशासन ने भी पूरे दिल से इसे अपनाया है।
  • ईरान परमाणु वार्ता में गतिरोध और ईरान के खिलाफ एक ब्लॉक/समूह बनाने की मांग करने वाले यू.एस. के बीच यह अधिक प्रासंगिक है।

ऊर्जा सुरक्षा:

  • रूस के खिलाफ अमेरिकी नेतृत्व वाले प्रतिबंधों ने विश्व स्तर पर तेल आपूर्ति श्रृंखलाओं को बाधित कर दिया है और कच्चे तेल की कीमतों को ऐतिहासिक रूप से बढ़ा दिया है।
  • रूस पर पश्चिमी तेल प्रतिबंधों के कारण पैदा होने वाले आपूर्ति व्यवधान को दूर करने के लिए, अमेरिका अंतरराष्ट्रीय बाजार में अधिक तेल की आपूर्ति हेतु सऊदी अरब की मदद चाहता है।

सारांश:

  • अमेरिका के नए प्रशासन के तहत पश्चिम एशिया में अमेरिकी विदेश नीति क्षेत्रीय संतुलन और ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से इस क्षेत्र के पारंपरिक सहयोगियों- इजरायल एवं सुन्नी अरब देशों तथा ईरान जैसे अलग-थलग देशों के साथ अमेरिका की साझेदारी को मजबूत करने की मांग कर रही है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

भारत में लोकतंत्र की रक्षा:

विषय: संसद और राज्य विधानमंडल की संरचना, कार्य संचालन, शक्तियां, विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।

मुख्य परीक्षा: भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा।

पृष्टभूमि:

  • भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता और सर्वोच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष दुष्यंत दवे द्वारा लिखे गए लेख में हाल के दिनों में निम्नलिखित घटनाओं के संबंध में चिंता व्यक्त की गई है।
    • मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में सत्ताधारी पार्टियों द्वारा दलबदल को प्रोत्साहित करने जैसी संदिग्ध रणनीति के माध्यम से सरकारों को गिराना।
    • विपक्षी सदस्यों को निशाना तथा बंदी बनाना।
  • इसे लेखक ने सरकार के द्वारा विपक्ष को समाप्त करने के प्रयासों के रूप में देखता है और चेतावनी देता है कि इस तरह के घटनाक्रम देश के हित में नहीं हैं।

विपक्ष का महत्व:

लोकतंत्र की विशेषता:

  • किसी एक पार्टी की सरकार, कार्यपालिका में स्थिरता लाती है, पर सरकार के कामकाज के संबंध में विविध विचारों के दायरे को कम करती है जो कि लोकतंत्र के लिए अच्छा नहीं है।
    • लोकतंत्र, संविधान की मूल विशेषता है।
  • एक प्रभावी विपक्ष के बिना, लोकतंत्र कमजोर हो जाएगा। इसलिए एक जीवंत लोकतंत्र के लिए विपक्ष की उपस्थिति आवश्यक है।

संसदीय लोकतंत्र की विशेषता:

  • भारत में यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत में एक जिम्मेदार कार्यपालिका है तथा भारत ने संसदीय शासन प्रणाली को अपनाया है। इसके द्वारा दैनिक आधार पर कार्यपालिका की जिम्मेदारी का आकलन/मूल्यांकन किया जाता है।
  • दैनिक मूल्यांकन संसद सदस्यों द्वारा प्रश्नों, प्रस्तावों, अविश्वास प्रस्तावों, स्थगन प्रस्तावों और वाद-विवाद के माध्यम से किया जाता है।
  • एक प्रभावी विपक्ष के बिना, विधायिका निरंकुश हो जाएगी। यह विधायिका और सामान्य रूप से भारतीय लोकतंत्र में जनता के विश्वास को कम कर सकता है।

सुझाव:

  • न्यायपालिका को देश में विपक्ष को दबाने के किसी भी कदम की जांच करनी चाहिए।
  • विपक्ष को सभी मुद्दों पर केवल सरकार पर हमला करने के बजाय सरकार के साथ मिलकर काम करके अपनी विश्वसनीयता बढ़ाने की कोशिश करनी चाहिए।

सारांश:

  • भारत जैसे संसदीय लोकतंत्र के कामकाज में विपक्ष द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए, भारत में एक जीवंत लोकतंत्र सुनिश्चित करने हेतु विपक्ष को दबाने के किसी भी कदम का विरोध किया जाना चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. भारतीय नौसेना ने पनडुब्बी आईएनएस सिंधुध्वज को सेवामुक्त किया:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

सुरक्षा:

विषय: विभिन्न सुरक्षा बल और एजेंसियां और उनके जनादेश।

संदर्भ:

  • भारतीय नौसेना की किलो क्लास (Kilo class) पनडुब्बी आईएनएस सिंधुध्वज को 35 साल की सेवा के बाद विशाखापत्तनम में सेवा से हटा दिया गया हैं।

आईएनएस सिंधुध्वज:

  • यह 1986 से 2000 के बीच रूस से भारत को प्राप्त दस किलो वर्ग (ten Kilo class ) की पनडुब्बियों में से एक थी।
  • इसे 1987 में नौसेना में शामिल किया गया था।
  • इस पनडुब्बी को श्रेय जाता है कि कई चीजें इसने पहली बार कीं-जैसे हमारे स्वदेशी सोनार यूएसएचयूएस, स्वदेशी उपग्रह संचार प्रणाली रुकमणी और एमएमएस, जड़त्वीय नेविगेशन प्रणाली और स्वदेशी टॉरपीडो फायर कंट्रोल सिस्टम का परिचालन इस पनडुब्बी पर ही हुआ।
  • यह एकमात्र पनडुब्बी थी जिसे इनोवेशन के लिए चीफ ऑफ नेवल स्टाफ रोलिंग ट्रॉफी से सम्मानित किया गया था।
  • 2020 में आईएनएस सिंधुवीर को म्यांमार (म्यांमार की पहली पनडुब्बी) को स्थानांतरित करने के साथ, नौसेना के पास अब सेवा में 15 पारंपरिक पनडुब्बियां हैं।

2. पैकेटवाली दही, पनीर,व आटे पर 5% जीएसटी लगेगा:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

अर्थव्यवस्था:

विषय: संसाधनों का संग्रहण-कराधान।

प्रारंभिक परीक्षा: GST परिषद,जीएसटी।

प्रसंग:

  • हाल ही में, GST परिषद ने छूट सूची में कुछ बदलाव कर कई वस्तुओं और सेवाओं पर कर लगाया।

कर संरचना में किए गए परिवर्तन:

  • आटा, पनीर और दही जैसे पैक, लेबल वाले खाद्य पदार्थों पर 5% वस्तु और सेवा कर लगाया गया हैं।
  • 5,000 रुपये से अधिक के किराए वाले अस्पताल के कमरों पर भी 5% जीएसटी लगेगा।
  • एक दिन में 1,000 रुपये तक के शुल्क वाले होटल के कमरे, मानचित्र और चार्ट, जिसमें एटलस भी शामिल है, पर 12% जीएसटी लगाया जायेगा।
  • बैंकों द्वारा जारी किये जाने वाले चेक पर और कार्टन (डिब्बे-cartons) पर 18% जीएसटी लगाया जाएगा।
  • मंत्रियों के समूह की एक अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर उन सामानों पर शुल्क व्युत्क्रमण जहां इनपुट पर कर आउटपुट करों से अधिक थे, उन्हें हटा दिया गया है।
  • सड़कों, पुलों, रेलवे, मेट्रो सुविधाओं, अपशिष्ट उपचार संयंत्रों और श्मशान जैसी सेवाओं पर कर मौजूदा 12% से बढ़कर 18% हो जाएगा।

कमी और छूट:

  • ओस्टोमी (अस्थि-पंजर-ostomy) उपकरणों पर और रोपवे द्वारा माल और यात्रियों के परिवहन पर जीएसटी 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है।
  • RBI, IRDA और SEBI जैसे संगठनों द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाओं पर 18% कर लगेगा।

बायोमेडिकल अपशिष्ट पर 12% टैक्स लगेगा:

  • बिना इनपुट टैक्स क्रेडिट के 5,000 रुपये प्रतिदिन से अधिक के गैर-आईसीयू अस्पताल के कमरे के किराए के रूप में ली जाने वाली राशि पर 5% जीएसटी लगाया जाएगा।
  • कला, संस्कृति या खेल से संबंधित मनोरंजक गतिविधियों के प्रशिक्षण या कोचिंग पर जीएसटी पर छूट मिल सकती हैं।
  • इलेक्ट्रिक वाहन (बैटरी पैक के साथ या बिना) पर 5% की रियायती जीएसटी दर लागु होगी ।

महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. “अर्थव्यवस्था की स्थिति (State of the economy)” रिपोर्ट किसके द्वारा जारी की जाती है:(स्तर-मध्यम)

  1. वित्त मत्रांलय
  2. वित्तीय स्थिरता और विकास परिषद (FSDC)
  3. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI)
  4. नीति आयोग

उत्तर: c

व्याख्या: RBI ने ‘स्टेट ऑफ इकोनॉमी’ रिपोर्ट जारी की।

  • रिपोर्ट में, इसने आगाह किया है कि बढ़ती कमोडिटी की कीमतें, खासकर आयात में वृद्धि से मुद्रास्फीति के जोखिम पैदा कर रही हैं।
  • रिपोर्ट के अनुसार, मुख्य रूप से खाद्य और पेय पदार्थों की मुद्रास्फीति के कारण मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 6.95 प्रतिशत हो गई है।
  • रिपोर्ट ने मुद्रास्फीति में वृद्धि के मुख्य कारणों में से एक के रूप में युद्ध और संबंधित प्रतिशोधी प्रतिबंधों को जिम्मेदार ठहराया है।

प्रश्न 2. निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. भारत में एक महिला राष्ट्रपति रह चुकी है, लेकिन अब तक कोई महिला उपराष्ट्रपति नहीं रही है।
  2. राज्यसभा और लोकसभा की संयुक्त बैठक में पारित प्रस्ताव द्वारा उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकता है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. 1 और 2 दोनों
  4. न तो 1, न ही 2

उत्तर: a

व्याख्या:

  • प्रतिभा देवीसिंह पाटिल ने 25 जुलाई 2007 से जुलाई 2012 तक भारत के 14वें राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया और वह भारत की पहली और अब तक की एकमात्र महिला राष्ट्रपति भी रही है।
  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 के अनुसार, उपराष्ट्रपति अपने कार्यकाल की समाप्ति से पहले राष्ट्रपति को इस्तीफा देकर पद छोड़ सकता है, या उसे राज्य सभा के एक ऐसे संकल्प द्वारा पद से हटाया जा सकता है, जिसे राज्य सभा के तत्कालीन सदस्यों ने बहुमत से पारित किया हो और जिससे लोक सभा सहमत हो।
  • अत: विकल्प a सही है।

प्रश्न 3. ‘संडा (Sanda)’ खेती की विधि निम्नलिखित में से किस फसल से संबंधित है? (स्तर-कठिन)

  1. गन्ना
  2. चावल
  3. गेहूँ
  4. दाल

उत्तर: b

व्याख्या:

  • संडा खेती की विधि, धान की खेती का एक पारंपरिक तरीका है।
  • इस विधि में 18-20 दिन पुरानी धान पौधे अलग-अलग खेतों में सघन रूप से लगाई जाती है।
  • चूंकि इसे पर्याप्त पानी की आवश्यकता नहीं होती तथा पौधे मानसून के आने तक 20-25 दिनों तक जीवित रह सकते है, बाद में इन पौधों को खेतों में रोपा जाता है।
  • इस विधि में पानी का उपयोग कम होता है लेकिन उत्पादन 30-35 प्रतिशत तक अधिक होता है।

प्रश्न 4. स्थानीय त्योहार और संबंधित राज्य के निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए। (स्तर-कठिन)

त्योहार राज्य

  1. बोनालु तेलंगाना
  2. लोसर नागालैंड
  3. खरची पूजा त्रिपुरा
  4. गणगौर महोत्सव गुजरात

उपर्युक्त में से कितने युग्म सुमेलित हैं?

  1. केवल एक युग्म
  2. केवल दो युग्म
  3. केवल तीन युग्म
  4. सभी युग्म

उत्तर: b

व्याख्या:

  • बोनालू हिंदू देवी महाकाली का पारंपरिक त्योहार है। यह साल में एक बार तेलंगाना, खासकर हैदराबाद और सिकंदराबाद शहरों में मनाया जाता है।
  • लोसार को तिब्बती नव वर्ष के रूप में भी जाना जाता है, तिब्बती बौद्धों द्वारा नव वर्ष की छुट्टीयों में मनाया जाने वाला त्योहार है, जो चंद्र-सौर तिब्बती कैलेंडर के पहले दिन मनाया जाता है।
  • खरची पूजा त्रिपुरा राज्य में मनाया जाने वाला एक हिंदू त्योहार है जिसमें 14 देवताओं की पूजा शामिल है जो त्रिपुरी लोगों के वंश देवता हैं।
  • गणगौर भारतीय राज्य राजस्थान और मध्य प्रदेश, गुजरात और पश्चिम बंगाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाने वाला त्योहार है।
  • अतः विकल्प b सही है।

प्रश्न 5. निम्नलिखित पर विचार कीजिए:

  1. बुद्ध का देवीकरण
  2. बोधिसत्वों के मार्ग पर चलना
  3. प्रतिमा पूजन और अनुष्ठान

उपर्युक्त में से कौन-सा/से महायान बौद्ध धर्म की विशेषता/विशेषताएं हैं/हैं? (स्तर-मध्यम)

  1. केवल 1
  2. केवल 1 और 2
  3. केवल 2 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: d

व्याख्या:

  • महायान बौद्ध धर्म में बुद्ध को एक महान शिक्षक की बजाय भगवान मानना शुरू किया इसलिए उन्होंने प्रतिमा पूजन और अनुष्ठानों पर ध्यान केंद्रित किया।
  • महायान बौद्ध धर्म की शिक्षाएं बोधिसत्व के मार्ग पर चलने पर केंद्रित हैं।
  • अत: विकल्प d सही है |

महायान और हीनयान बौद्ध धर्म के बीच अंतर के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:(Difference between Mahayan and Hinayana Buddhism)

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

प्रश्न 1. लोकतंत्र में सरकार के कामकाज के लिए एक मजबूत और रचनात्मक विपक्ष आवश्यक है। चर्चा कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द)

प्रश्न 2. इको-सेंसिटिव जोन (ESZ) से आप क्या समझते हैं ? संरक्षित क्षेत्रों के आसपास ESZ स्थापित करने के सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के खिलाफ केरल में विरोध क्यों हो रहे हैं? (10 अंक, 150 शब्द)