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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 18 November, 2023 UPSC CNA in Hindi

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था

  1. राज्यपाल आर एन रवि द्वारा सहमति रोके जाने के कारण तमिलनाडु सरकार विधेयकों को ‘फिर से अधिनियमित’ करने की योजना बना रही है

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं।

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं।

E. संपादकीय:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

  1. आपसी संबंधों में आधार का निर्माण

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. छत्तीसगढ़, एमपी चुनाव में मतदान प्रतिशत 74% के पार
  2. HC ने हरियाणा में निजी क्षेत्र में 75% स्थानीय कोटा रद्द कर दिया
  3. पीएम मोदी ने डीपफेक के खिलाफ चेताया
  4. दुबई जलवायु सम्मेलन में भारत की अहम भूमिका है

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं।

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

राजव्यवस्था

राज्यपाल आर एन रवि द्वारा सहमति रोके जाने के कारण तमिलनाडु सरकार विधेयकों को ‘फिर से अधिनियमित’ करने की योजना बना रही है

विषय: भारतीय संविधान, संघीय ढांचे से संबंधित मुद्दे और चुनौतियाँ

प्रारंभिक परीक्षा: राज्यपाल की शक्तियाँ

मुख्य परीक्षा: राज्यपाल द्वारा विधेयक पारित करने में समस्याएँ

सन्दर्भ: तमिलनाडु के राज्यपाल ने विधान सभा द्वारा पारित कुछ विधेयकों को पुनर्विचार के लिए लौटाने के बजाय “सहमति रोकने” का विकल्प चुना है। यह कदम राज्य सरकार के लिए एक चुनौती पेश करता है, क्योंकि इन विधेयकों को सदन द्वारा आसानी से “दोबारा अपनाया” नहीं जा सकता है। संभावना है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री सदन के विशेष सत्र के दौरान एक प्रस्ताव में इस मुद्दे को संबोधित करेंगे।

अन्य राज्यों में भी ऐसी ही स्थिति:

  • केरल – दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गईं – राज्यपाल महत्वपूर्ण विधेयकों को अनिश्चित काल तक विलंबित करके लोगों के अधिकारों को कमजोर कर रहे हैं – ये विधेयक कोविड के बाद सार्वजनिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं के समाधान को लेकर हैं।
  • पंजाब – इसके सात विधेयक जून से राज्यपाल के विचार का इंतजार कर रहे हैं, जो प्रशासन के कामकाज के लिए खतरा पैदा करते हैं।
  • पश्चिम बंगाल – पूर्व कुलपतियों सहित शिक्षाविदों के एक समूह ने हाल ही में सरकार से राज्यपाल के पास लंबित विधेयकों के संबंध में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने का आग्रह किया – जिसके कारण 31 विश्वविद्यालयों के लिए खोज और चयन समितियों की गतिविधियों में रुकावट आई।

मुद्दे

  • सहमति रोकना असामान्य: राज्यपाल द्वारा सहमति रोकना अपेक्षाकृत असामान्य है, और इसके निहितार्थ महत्वपूर्ण हैं। यह कदम विधायी प्रक्रिया को बाधित करता है और निर्वाचित विधायिका के अधिकार के लिए चुनौती पैदा करता है।
  • विश्वविद्यालय विधियों पर विधेयक: विचाराधीन विधेयक कुछ राज्य विश्वविद्यालयों की विधियों में प्रस्तावित संशोधन से संबंधित हैं। मुख्य विवाद में राज्यपाल की जगह इस पद पर मुख्यमंत्री को कुलाधिपति की भूमिका निभाना शामिल है।
  • संवैधानिक प्रावधान (अनुच्छेद 200): संविधान के अनुच्छेद 200 के तहत राज्यपाल को अनुमति देने, अनुमति रोकने, राष्ट्रपति द्वारा विचार के लिए विधेयक को आरक्षित करने या सदन द्वारा पुनर्विचार के लिए विधेयक को वापस करने की शक्ति है। सहमति रोकने के असामान्य विकल्प को लेकर सावधानीपूर्वक परीक्षण की आवश्यकता होती है।
  • संवैधानिक दुविधा: सहमति को रोकना निर्वाचित विधायिका और राज्यपाल की नियुक्त स्थिति के बीच संवैधानिक संतुलन को चुनौती देता है। इससे राज्य विधानमंडल की स्वायत्तता पर सवाल उठता है।
  • राज्यपाल का अधिकार: राज्यपाल की कार्रवाई में विधायी व्यवस्था जो निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा प्राप्त लोकतांत्रिक जनादेश का एक उत्पाद है, की प्रभावशीलता को सीमित करने की क्षमता है।
  • शासन पर प्रभाव: यदि विधेयक अधिनियमित नहीं हुआ, तो इसका शासन संरचना पर प्रभाव पड़ सकता है, विशेष रूप से विश्वविद्यालय प्रशासन तथा मुख्यमंत्री और राज्यपाल के बीच शक्तियों के वितरण के संदर्भ में।

सहमति देने की प्रक्रिया क्या है?

  • विधानमंडल से पारित विधेयक को कानून बनने के लिए राज्यपाल या राष्ट्रपति की मंजूरी जरूरी है।
  • संविधान स्पष्ट रूप से धन विधेयकों को संबोधित करता है, और मानता है कि उन पर स्वतः राज्यपाल की सहमति होती है।
  • विधेयक – विधानमंडल के दोनों सदनों द्वारा अनुमोदित – अनुमोदन के लिए राज्यपाल को प्रस्तुत किया जाता है।
  • अनुच्छेद 200 – राज्यपाल को चार विकल्पों में से चुनने का अधिकार देता है – सहमति देना, सहमति से बचना, विधेयक को पुनर्विचार के लिए विधान सभा में वापस भेजना, या राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करना।
  • राज्यपाल – सहमति रोकना, विधेयक को ‘जितनी जल्दी हो सके’ लौटाना, विधानसभा से प्रस्तावित कानून या किसी निर्दिष्ट प्रावधान पर पुनर्विचार करने या संशोधन का सुझाव देने का अनुरोध करना।
  • विधानसभा इन सिफारिशों को स्वीकार करने के लिए बाध्य नहीं है और विधेयक को उसके मूल स्वरूप में फिर से पारित कर सकती है।
  • राज्यपाल संवैधानिक रूप से इस पर सहमति देने या राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखने के लिए बाध्य है।
  • विधायी अभ्यास में राज्य के संवैधानिक प्रमुख के ऊपर जनता के निर्वाचित प्रतिनिधियों को शामिल करने वाली विधायिका की प्रधानता।

राज्यपालों/राष्ट्रपति के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है

  • कानून में देरी करने के लिए अक्सर लूपहोल का दुरुपयोग किया जाता है – ‘पॉकेट वीटो’ के रूप में जानी जाने वाली रणनीति का उपयोग करना।
  • यदि राष्ट्रपति किसी विधेयक को सदन में वापस भेजने का निर्णय लेते हैं तो राज्य विधानसभा को किसी विधेयक पर पुनर्विचार करने के लिए छह महीने की समयावधि निर्धारित की जाती है।
  • राज्य–
    • तमिलनाडु की याचिका में उच्चतम न्यायालय से एक समय सीमा तय करने का आग्रह किया गया है जिसके दौरान राज्यपालों को किसी विधेयक पर सहमति देनी चाहिए या उसे वापस करना चाहिए।
    • केरल ने पिछले साल 30 नवंबर के केरल उच्च न्यायालय के फैसले को भी चुनौती दी है, जिसमें यह कहते हुए इसके लिए समयसीमा तय करने से इनकार कर दिया गया था कि अनुच्छेद 200 राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियों के अंतर्गत आता है।

क्या राज्यपाल सहमति रोकने के लिए विवेकाधीन शक्तियों का उपयोग कर सकते हैं?

  • किसी विधेयक पर सहमति रोकने के लिए राज्यपाल किस हद तक अपने विवेक का प्रयोग कर सकते हैं, यह न्यायिक जांच का विषय है, लेकिन इस संबंध में किसी आधिकारिक घोषणा का अभाव है।
  • पुरूषोत्तम नंबूदिरी बनाम केरल राज्य (1962) – उच्चतम न्यायालय – अनुच्छेद 200 के तहत कोई समय सीमा निर्धारित नहीं है।
  • शमशेर सिंह बनाम पंजाब राज्य (1974) – अनुच्छेद 200 का दूसरा प्रावधान (राष्ट्रपति के विचार के लिए विधेयकों को आरक्षित करने की राज्यपाल की शक्ति) कि राज्यपाल मंत्री परिषद से स्वतंत्र होकर विवेकाधिकार का प्रयोग करता है। इसने इस बात पर भी प्रकाश डाला कि विवेक का ऐसा प्रयोग केवल असाधारण परिस्थितियों में ही किया जाना चाहिए।
  • नबाम रेबिया और बमांग फेलिक्स बनाम स्पीकर (2016) – राज्यपाल केवल इस संबंध में विवेक का प्रयोग करते हैं कि किसी विधेयक को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित किया जाना चाहिए या नहीं।

विधेयकों को पुनर्विचार के लिए राज्य विधानसभा को कब तक लौटाया जाना चाहिए?

  • अनुच्छेद 200 का पहला प्रावधान यह निर्धारित करता है कि राज्यपाल को विधेयकों को ‘जितनी जल्दी हो सके’ पुनर्विचार के लिए विधानसभा को वापस भेजना चाहिए – हालाँकि, इस वाक्यांश का वास्तव में क्या अर्थ है, अस्पष्ट है।
  • दुर्गा पद घोष बनाम पश्चिम बंगाल राज्य (1972) – उच्चतम न्यायालय ने इस वाक्यांश की व्याख्या करते हुए कहा कि इसका अर्थ है “परिहार्य देरी के बिना जितनी जल्दी संभव हो सके”।
  • 1988 केंद्र-राज्य संबंधों पर सरकारिया आयोग की रिपोर्ट – विधेयक के प्रारूपण के चरण में ही राज्यपाल के साथ पूर्व परामर्श और इसके निपटान के लिए समय सीमा निर्धारित करना।
  • 2000 में संविधान के कार्यकरण की समीक्षा करने की दृष्टि से राष्ट्रीय आयोग की स्थापना
    • (a) 6 महीने – किसी विधेयक को सहमति देना या राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित करना।
    • (b) 3 महीने – विधेयक राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित है

क्या न्यायिक समीक्षा की अनुमति है?

  • अनुच्छेद 361 – न्यायालयों को राज्यपाल या राष्ट्रपति द्वारा अपने अधिकारों के प्रयोग में किए गए किसी भी कार्य के लिए राज्यपाल या राष्ट्रपति के खिलाफ कार्यवाही शुरू करने से रोकता है।
  • अनुच्छेद 361(1) – दुर्भावना के आधार पर कार्रवाई की वैधता की जांच करने की अदालत की शक्ति को नहीं छीनता।
  • नबाम रेबिया मामले में उच्चतम न्यायालय ने यह विचार व्यक्त किया कि सहमति रोकने की राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियाँ न्यायिक समीक्षा के अधीन हैं।

समाधान

  • कानूनी चुनौती: सहमति रोकने की असामान्य प्रकृति को देखते हुए, राज्य सरकार इस कार्रवाई को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देने पर विचार कर सकती है। कानूनी विशेषज्ञ इस तरह के कदम की संवैधानिक वैधता का पता लगा सकते हैं।
  • विधायी प्रतिक्रिया: चुनौती देते समय, राज्यपाल के निर्णय से असहमति व्यक्त करने के लिए एक विधायी प्रतिक्रिया की खोज की जा सकती है, हालाँकि इसकी प्रभावशीलता सीमित हो सकती है।
  • संवाद और व्याख्या: मुख्यमंत्री विधेयकों के पीछे सरकार के तर्क की व्यापक व्याख्या प्रदान करने के लिए विशेष सत्र का उपयोग कर सकते हैं। खुला संवाद कार्यपालिका और राज्यपाल के बीच की दूरी को पाटने में मदद कर सकता है।

निष्कर्ष: विधेयकों पर सहमति रोकने का राज्यपाल का निर्णय तमिलनाडु सरकार के लिए संवैधानिक चुनौती पेश करता है। विशेष सत्र के दौरान मुख्यमंत्री द्वारा पेश किया जाने वाला प्रस्ताव इस मुद्दे के समाधान में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है।

सारांश: किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा विधेयकों पर सहमति रोकने के संभावित कानूनी और संवैधानिक निहितार्थ सावधानीपूर्वक विचार करने और संभवतः, लोकतांत्रिक शासन के सिद्धांतों को बनाए रखने के लिए न्यायपालिका द्वारा हस्तक्षेप को आवश्यक बनाते हैं।

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

अंतर्राष्ट्रीय संबंध

आपसी संबंधों में आधार का निर्माण

विषय: विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियों एवं राजनीति का भारत के हितों पर प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: अमेरिका-चीन संबंधों का भारत पर प्रभाव

सन्दर्भ:​ सन फ्रांसिस्को में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच इस सप्ताह हुई शिखर बैठक से दुनिया की दो सबसे बड़ी शक्तियों के बीच रिश्तों को प्रभावित करने वाले किसी भी बड़े मतभेद के सुलझने की संभावना नहीं है। लेकिन, इस बैठक ने दो वैश्विक शक्तियों के बीच के अस्थिर संबंधों को स्थिर करने का आशा दिखाया है।

  • ठोस समझौतों के साथ-साथ उनके रिश्ते में एक लक्ष्य स्थापित करने का कदम, भारत के लिए मायने रखता है, खासकर जब यह अपने और चीन संबंधों में अपनी चुनौतियों से जूझ रहा है।
  • एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) में भाग लिया

पृष्ठभूमि

  • “जासूसी गुब्बारा” घटना ने बाली आम सहमति को तोड़ दिया
  • चीनी निगरानी गुब्बारे को गिराने की अमेरिकी सेना की कार्रवाई – गहरा अविश्वास।
  • “जासूसी गुब्बारा” – गैस, आमतौर पर हीलियम से भरे हल्के गुब्बारे से बने होते हैं, और लंबी दूरी के कैमरे जैसे जासूसी उपकरण से लैस होते हैं।
  • जमीन से लॉन्च किया गया. 60,000 फीट से 150,000 फीट।
  • एक बार हवा में उड़ने के बाद, ये वायु धाराओं और दबाव वाली वायु क्षेत्रों के संयोजन का उपयोग करके संचालित होते हैं।

मुद्दे

  • जटिल यू.एस.-चीन संबंध: यू.एस.-चीन शिखर सम्मेलन का उद्देश्य संबंधों को स्थिर करना है, जिसमें कई तरह के तनाव और चिंताएं निहित हैं। हालांकि ठोस समझौते हुए, लेकिन बुनियादी मतभेद कायम रहे, जिसमें यह सवाल भी शामिल था कि वे प्रतिद्वंद्वी हैं या भागीदार।
  • संभावित विघटनकारी घटनाएँ: शिखर सम्मेलन में हासिल की गई स्थिरता को धरातल पर संभावित समस्या जनक घटनाओं के साथ चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। जनवरी में ताइवान के चुनावों से तनाव बढ़ने का खतरा है, और अमेरिका के 2024 में चुनाव मोड में जाने से चीन पर तीखी बयानबाजी का खतरा पैदा हो गया है, जिससे हासिल की गई स्थिरता कमजोर हो जाएगी।
  • भविष्य के संबंधों पर अलग-अलग विचार: अमेरिका और चीन अपने संबंधों के भविष्य पर अलग-अलग दृष्टिकोण रखते हैं। राष्ट्रपति शी ने रिश्ते को प्रतिस्पर्धी बनाने की अमेरिका की आलोचना की, “गलत सूचना नीति निर्माण” के खिलाफ बात की और सीमाओं को पार करने से बचने के लिए कहा। राष्ट्रपति बाईडेन प्रतिस्पर्धा को स्वीकार करते हैं लेकिन जिम्मेदार प्रबंधन पर जोर देते हैं।

चीन का रुख

  • दो देश एक-दूसरे से मुंह मोड़ने का जोखिम नहीं उठा सकते।
  • उन्होंने सैन फ्रांसिस्को में यह भी घोषणा की कि दुनिया “चीन और अमेरिका दोनों के लिए काफी बड़ी है”।
  • विश्व में प्रमुख शक्ति के रूप में अमेरिका को प्रतिस्थापित करने का कोई इरादा नहीं है।

ताइवान मुद्दा

  • इस क्षेत्रीय सुरक्षा वार्ता में किसी बड़ी सफलता का कोई संकेत नहीं है।
  • चीन इसे द्विपक्षीय संबंधों में “सबसे संवेदनशील मुद्दा” मानता है।
  • चीन – अमेरिका “ताइवान की स्वतंत्रता” का समर्थन करना करे
  • अमेरिका-चीन ताइवान को पीपुल्स रिपब्लिक के साथ मिलाने के लिए बल प्रयोग को त्याग दे।

संयुक्त राज्य अमेरिका का रुख

  • एशिया में प्रमुख भू-राजनीतिक लाभ – जापान, कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के साथ मजबूत द्विपक्षीय गठबंधन। जापान और दक्षिण कोरिया के साथ त्रिपक्षीय रणनीतिक ढांचे का निर्माण।
  • फिलीपींस के साथ गठबंधन को पुनर्जीवित करना। भारत और वियतनाम के साथ नई रणनीतिक साझेदारी।
  • क्वाड में भागीदारी – फ़ोरम से शिखर सम्मेलन स्तर तक उन्नयन और AUKUS नामक एक नया फ़ोरम बनाया गया।
  • यूरोप-पश्चिम (यूक्रेन पर रूसी आक्रमण को रोकने के लिए संघर्ष) और मध्य पूर्व (गाजा में युद्ध) में प्रमुख संकटों का सामना करना पड़ रहा है।
  • चीन को शामिल करना और रिश्ते को यथोचित रूप से स्थिर रखना आने वाले दिनों में अमेरिका के लिए प्रमुख उद्देश्य बने रहने की संभावना है।

भारत पर प्रभाव

  • इंडो-पैसिफिक रणनीति पर प्रभाव: दो प्रमुख देशों, अमेरिका और चीन की भागीदारी को देखते हुए, शिखर सम्मेलन का इंडो-पैसिफिक में भारत के दृष्टिकोण पर प्रभाव पड़ता है। इस विमर्श में क्षेत्र में शक्ति की गतिशीलता और गठबंधनों को नया आकार देने की क्षमता है, जिससे भारत की रणनीतिक स्थिति प्रभावित होगी।
  • भारत की सुरक्षा रणनीतियों के लिए महत्व – भारत की अपनी सुरक्षा नीतियों को आकार देने के लिए इन वार्ताओं की निगरानी महत्वपूर्ण है।
  • भारत के लिए आर्थिक प्रभाव: अमेरिकी व्यवसायों के साथ फिर से जुड़ने के शी जिनपिंग के प्रयास पश्चिमी निवेश को आकर्षित करने के भारत के प्रयासों के लिए चुनौती पैदा कर सकते हैं। पश्चिमी व्यवसायों के लिए चीन का व्यवहार्य विकल्प बने रहने के लिए भारत को अपना आर्थिक आकर्षण बढ़ाना होगा।
  • अमेरिका और चीन के साथ संबंध बढ़ाना: अमेरिका और चीन के बीच बेहतर संबंध भारत के लिए अधिक संतुलित दृष्टिकोण की सुविधा प्रदान करेंगे। यह रणनीतिक स्वायत्तता को संरक्षित करते हुए दोनों देशों के साथ बेहतर संबंधों का द्वार खोलता है।

APEC- एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग

  • 1989 में स्थापित। एक क्षेत्रीय आर्थिक मंच।
  • उद्देश्य- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय आर्थिक एकीकरण और अधिक समृद्धि को बढ़ावा देना।
  • व्यापार और आर्थिक मामलों पर ध्यान केंद्रित करने के कारण 21 सदस्य अर्थव्यवस्थाओं को “इकोनॉमिज” कहा जाता है।
  • ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, हांगकांग (चीन के हिस्से के रूप में), फिलीपींस, इंडोनेशिया, मलेशिया, वियतनाम, सिंगापुर, थाईलैंड, चीनी ताइपे (ताइवान), चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, रूस, कनाडा, संयुक्त राज्य अमेरिका, मैक्सिको, पेरू और चिली।

APEC में प्रमुख चर्चाएँ

  • AI का विनियमन
  • क्षेत्रीय सुरक्षा मुद्दे
  • उच्च-स्तरीय राजनीतिक और सैन्य संचार चैनलों के नवीनीकरण पर सहमति हुई
  • रणनीतिक साझेदारी बनाने के बजाय अपनी प्रतिस्पर्धा को प्रबंधित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया
  • मध्य पूर्व में संकट और यूक्रेन युद्ध।
  • जलवायु परिवर्तन
    • जलवायु समझौता: दुबई में वैश्विक जलवायु चर्चा।
    • उद्देश्य: 2030 तक वैश्विक नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को तीन गुना करना तथा कोयला, तेल और गैस से दूर जाना।
    • मीथेन उत्सर्जन का शमन – मीथेन उत्सर्जन में कमी के लक्ष्य।
    • रचनात्मक दृष्टिकोण: प्रदूषण के मामले में विश्व के शीर्ष दो योगदानकर्ताओं के बीच सहयोग में उल्लेखनीय प्रगति।

महत्त्व

  • भारत-चीन संबंधों के लिए सबक: अमेरिका-चीन शिखर सम्मेलन भारत के लिए महत्त्वपूर्ण मायने प्रदान करता है क्योंकि भारत, चीन के साथ संबंधों, विशेष रूप से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर जूझ रहा है। प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में बदलने से रोकने के लिए उच्च स्तरीय जुड़ाव और खुले चैनलों का महत्व मायने रखता है।
  • कूटनीति में लक्ष्य का निर्माण: संबंधों में एक लक्ष्य स्थापित करने की अवधारणा, जैसा कि अमेरिका-चीन शिखर सम्मेलन में देखा गया, स्थिरता के लिए नींव रखने के महत्व पर जोर देती है। यह तब आवश्यक हो जाता है जब प्रमुख शक्तियों के संबंधों में बड़े तौर पर अस्थिरता का खतरा हो।
  • निवारक उपाय के रूप में संवाद: अमेरिका और चीन दोनों को यह अहसास है कि प्रतिस्पर्धा को संघर्ष में बदलने से रोकने के लिए उच्च-स्तरीय जुड़ाव और खुले चैनल आवश्यक हैं, जो एक महत्वपूर्ण उपाय है। बातचीत, रियायत नहीं, अपितु एक निवारक उपाय हो सकती है।

सारांश: यू.एस.-चीन शिखर सम्मेलन भारत के लिए मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्रदान करता है क्योंकि भारत चीन के साथ अपने संबंधों को आगे बढाने को लेकर सजग है। चूंकि भारत वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसलिए इन रणनीतियों को लागू करने से स्थिरता में योगदान मिल सकता है और तनाव को संघर्षों में बदलने से रोका जा सकता है।

प्रीलिम्स तथ्य:

1. छत्तीसगढ़, एमपी चुनाव में मतदान प्रतिशत 74% के पार

सन्दर्भ: छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में हाल के चुनावों में 74% से अधिक मतदान हुआ, जो लोकतांत्रिक प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी को दर्शाता है। हालाँकि, चुनावी लड़ाई घटनाओं से रहित नहीं थी, क्योंकि कदाचार की शिकायतें सामने आईं और दोनों राज्यों में हिंसा की दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुईं।

मुद्दे

  • हिंसा की घटनाएँ: कड़े सुरक्षा उपायों के बावजूद, हिंसा की घटनाओं ने छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश दोनों में चुनावों को प्रभावित किया। छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा किए गए विस्फोट में एक ITBP जवान की मौत और मध्य प्रदेश में एक कांग्रेस नेता के सहयोगी की झड़प में मौत चुनावी प्रक्रिया के दौरान आने वाली चुनौतियों को उजागर करती है।
  • नागरिक हताहत: वोट डालने के लिए कतार में लगी एक महिला की मौत और मतदान केंद्र की ओर जाते समय हाथी के हमले में एक व्यक्ति की मौत जैसी दुखद घटनाएं, चुनावी प्रक्रिया की सुरक्षा और पहुंच को लेकर चिंता पैदा करती हैं।
  • कदाचार के आरोप: चुनाव की पूर्व संध्या पर मतदाताओं को पैसे और शराब बांटने के आरोपों के साथ, कदाचार की शिकायतें सामने आईं। यदि ऐसे आरोप प्रमाणित होते हैं, तो चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता को कमजोर कर सकते हैं।

ECI – भारत का चुनाव आयोग:

  • स्वायत्त संवैधानिक प्राधिकरण
  • संघ और राज्य चुनाव प्रक्रियाओं का प्रशासन करता है – भारत में लोकसभा, राज्यसभा और राज्य विधानसभाओं तथा राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव।
  • भाग XV – चुनाव, और इन मामलों के लिए एक आयोग की स्थापना करता है।
  • ECI – 25 जनवरी 1950 को स्थापित। अनुच्छेद 324 से 329 – आयोग और सदस्य की शक्तियां, कार्य, कार्यकाल, पात्रता आदि।
  • मुख्य चुनाव आयुक्त और 2 चुनाव आयुक्त – नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा
  • राजीव कुमार – 25वें ECI
  • छह वर्ष का निश्चित कार्यकाल, या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो।
  • समान स्थिति और वेतन और भत्ते – भारत के उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश।

राज्य चुनाव आयोग (SEC)

  • राज्य में स्थानीय निकायों के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव आयोजित करता है।
  • राज्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा
  • अनुच्छेद 243K(1): पंचायतों (अनुच्छेद 243ZA के तहत नगर पालिकाओं) के सभी चुनावों के लिए मतदाता सूची तैयार करने और उनके संचालन का अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण।
  • अनुच्छेद 243K(2): कार्यकाल और नियुक्ति राज्य विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून के अनुसार निर्देशित की जाएगी।

2. HC ने हरियाणा में निजी क्षेत्र में 75% स्थानीय कोटा रद्द कर दिया

सन्दर्भ: निजी क्षेत्र में हरियाणा के 75% स्थानीय कोटा को रद्द करने का पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का हालिया निर्णय महत्वपूर्ण घटनाक्रम का प्रतीक है, जो राज्य के निवासियों के लिए रोजगार के अवसर सुनिश्चित करने की हरियाणा सरकार की पहल को चुनौती देता है।

अधिनियम के प्रावधान

  • 10 या अधिक कर्मचारियों वाली फर्में। सभी नौकरियों में से 75% आरक्षित करना।
  • राज्य अधिवास के पात्र उम्मीदवारों के लिए 30,000 रुपये से भी कम वेतन प्रति माह।
  • इन सभी नियोक्ताओं के लिए अपने सभी कर्मचारियों को श्रम विभाग, हरियाणा की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध निर्दिष्ट पोर्टल पर पंजीकृत करना अनिवार्य है।

मुद्दे

  • संवैधानिक वैधता: उच्च न्यायालय ने हरियाणा राज्य स्थानीय उम्मीदवार रोजगार अधिनियम-2020 को असंवैधानिक माना है। यह निर्णय विशेष रूप से स्थानीय निवासियों के लिए नौकरियों का एक महत्वपूर्ण प्रतिशत आरक्षित करने की संवैधानिक वैधता पर गंभीर सवाल उठाता है।
  • यह निवेशकों के पलायन को गति देता है और जनशक्ति संसाधनों के मुक्त आवागमन को रोकता है
  • सरकार के लिए झटका: अदालत का फैसला सत्तारूढ़ भाजपा-जेजेपी गठबंधन सरकार के लिए एक झटका है, क्योंकि निजी क्षेत्र में 75% आरक्षण 2019 के विधानसभा चुनावों के दौरान उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला द्वारा किया गया एक प्रमुख चुनावी वादा था।
  • नियोक्ता अनुपालन: अधिनियम में नियोक्ताओं को स्थानीय निवासियों के लिए प्रति माह ₹30,000 से कम वेतन वाली 75% नौकरियां आरक्षित करने का आदेश दिया गया है। कानूनी चुनौती और बाद में कानून को रद्द किए जाने से अब नियोक्ताओं पर अपनी नियुक्ति पद्धतियों का पुनर्मूल्यांकन करने की जिम्मेदारी आ गई है।

महत्त्व

  • रोजगार नीतियों पर प्रभाव: अदालत के फैसले का रोजगार नीतियों के निर्माण पर व्यापक प्रभाव पड़ता है, विशेष रूप से स्थानीय रोजगार के मुद्दों को संबोधित करने का प्रयास करने वालों पर। यह राज्य-केंद्रित पहलों तथा समानता और गैर-भेदभाव के व्यापक सिद्धांतों के बीच संतुलन को चुनौती देता है।
  • राजनीतिक प्रभाव: फैसले का प्रभाव कानूनी पहलुओं से परे तक फैला हुआ है; इसके राजनीतिक प्रभाव हैं, जो भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार की विश्वसनीयता और स्थिति को प्रभावित कर रहे हैं। यह निर्णय राज्य में सार्वजनिक धारणा और राजनीतिक गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है।
  • आर्थिक विचार: अदालत का हस्तक्षेप उद्योगपतियों द्वारा उठाई गई आर्थिक चिंताओं को दर्शाता है, जिन्होंने ₹50,000 तक भुगतान वाली नौकरियों के लिए कोटा के मूल आवेदन का विरोध किया था। ₹30,000 के संशोधन पर अभी भी विवाद था जो आर्थिक नीति निर्धारण में आवश्यक नाजुक संतुलन को सामने लाता है।

3. पीएम मोदी ने डीपफेक के खिलाफ चेताया

सन्दर्भ: प्रधानमंत्री ने दुष्प्रचार से होने वाले संभावित नुकसान पर जोर देते हुए डीपफेक बनाने के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के दुरुपयोग पर चिंता जताई है। दिवाली मिलन में बोलते हुए, उन्होंने मीडिया से जनता को डीपफेक से जुड़े जोखिमों के बारे में शिक्षित करने में सक्रिय भूमिका निभाने का आग्रह किया।

मुद्दे

  • डीपफेक खतरा: प्रधान मंत्री ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से उत्पन्न डीपफेक के उभरते संकट पर प्रकाश डाला, और गलत सूचना फैलाने की इसकी क्षमता पर जोर दिया। समाज के एक बड़े वर्ग के लिए समानांतर सत्यापन प्रणाली के अभाव के कारण असली और नकली की पहचान करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
  • प्रकटीकरण की आवश्यकता: सिगरेट जैसे उत्पादों पर स्वास्थ्य चेतावनियों के साथ समानता दर्शाते हुए सुझाव दिया गया है कि डीपफेक में प्रकटीकरण होना चाहिए। यह मुद्दे की गंभीरता और भ्रामक सामग्री बनाने में AI के हेरफेर के उपयोग के संबंध में सार्वजनिक जागरूकता की आवश्यकता को दर्शाता है।
  • मीडिया सतर्कता: प्रधानमंत्री ने मीडिया से डीपफेक के संभावित खतरे के प्रति सतर्क रहने का आह्वान किया। सूचना के प्रसारकों के रूप में, मीडिया से आग्रह किया गया है कि वह डीपफेक के अस्तित्व और परिणामों के बारे में जनता को शिक्षित करने में सक्रिय भूमिका निभाए।

महत्त्व

  • डीपफेक का प्रभाव: एक नए संकट के रूप में डीपफेक की स्वीकार्यता झूठी बातें फैलाकर, जनता की राय में हेरफेर करके और व्यक्तियों और संस्थानों की विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचाकर नुकसान पहुंचाने की उनकी क्षमता को रेखांकित करती है।
  • सार्वजनिक जागरूकता: जनता को शिक्षित करने में मीडिया की भागीदारी के लिए प्रधानमंत्रियों का आह्वान डीपफेक की भ्रामक प्रकृति को लेकर जागरूकता बढ़ाने के महत्व को इंगित करता है। जागरूकता की कमी लोगों को गलत सूचना के प्रति संवेदनशील बना सकती है।
  • नियामक उपाय: आईटी नियम, 2021 का उल्लेख और एक वायरल डीपफेक वीडियो के बाद मंत्रालय की सलाह नियामक आयाम पर प्रकाश डालती है। प्लेटफार्मों के लिए ऐसे कंटेंट को 36 घंटों के भीतर हटाने की आवश्यकता डीपफेक के खिलाफ त्वरित कार्रवाई की आवश्यकता को रेखांकित करती है।

भारत में डीपफेक विनियमन

  • कोई विशिष्ट कानून नहीं
  • सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (2000) की धारा 67 और 67A – डीप फेक के कुछ पहलू, जैसे मानहानि और स्पष्ट सामग्री प्रकाशित करना।
  • IPC की धारा 500 (1860) – मानहानि।
  • डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण अधिनियम – व्यक्तिगत डेटा का दुरुपयोग।
  • सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2021 – दूसरों का प्रतिरूपण करने वाली और कृत्रिम रूप से छेड़छाड़ की गई छवियों वाले कंटेंट का उन्मूलन 36 घंटे की समय सीमा के भीतर पूरा किया जाना चाहिए।

4. दुबई जलवायु सम्मेलन में भारत की अहम भूमिका है

सन्दर्भ: दुबई में कॉन्फ्रेंस ऑफ पार्टीज (CoP) के आगामी 28वें संस्करण ने अध्यक्ष, सुल्तान अल-जाबेर, जो दुनिया की सबसे बड़ी तेल कंपनियों में से एक के प्रमुख हैं, से जुड़े अनूठे विवाद के कारण ध्यान आकर्षित किया है।

  • आलोचकों का तर्क है कि उनकी भूमिका जीवाश्म ईंधन से दूर रहने के सम्मेलन के उद्देश्य के अनुरूप नहीं है।
  • हालाँकि, CoP-28 के महानिदेशक, माजिद अल-सुवेदी, इन चिंताओं को खारिज करते हैं, और अधिक सतत अर्थव्यवस्था की ओर संक्रमण के लिए UAE की प्रतिबद्धता पर जोर देते हैं।

पार्टियों का सम्मेलन (COP 28) और UNFCCC

  • COP 28 – 2023 में संयुक्त अरब अमीरात द्वारा अबू धाबी में UNFCCC की मेजबानी।
  • UNFCCC – पृथ्वी शिखर सम्मेलन, रियो शिखर सम्मेलन या रियो सम्मेलन में जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन 1992, 21 मार्च 1994 को लागू हुआ और 197 देशों द्वारा अनुमोदित किया गया। UNFCCC सचिवालय – बॉन, जर्मनी।
  • COP- UNFCCC का सर्वोच्च निर्णय लेने वाला प्राधिकरण, हर साल बैठक करता है, जब तक कि पार्टियां अन्यथा निर्णय न लें।
  • पहली COP बैठक मार्च, 1995 में बर्लिन, जर्मनी में आयोजित की गई थी।

मुद्दे

  • CoP अध्यक्ष पर विवाद: CoP अध्यक्ष के रूप में अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी के प्रमुख सुल्तान अल-जबर की नियुक्ति ने विशेष रूप से पश्चिम से आलोचना को जन्म दिया है। चिंताएँ व्यक्त की गई हैं कि एक प्रमुख तेल कंपनी में उनका पद जीवाश्म ईंधन से दूर जाने के प्रयासों में बाधा बन सकता है।
  • परिवर्तन की आवश्यकता: वैश्विक समुदाय को आर्थिक विकास से समझौता किए बिना सतत प्रथाओं में परिवर्तन की चुनौती का सामना करना पड़ता है। CoP अध्यक्षता जैव विविधता संरक्षण और स्वदेशी लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करते हुए विकासशील देशों में लोगों को नई नौकरियों में स्थानांतरित करने के लिए व्यावहारिक समाधान खोजने के महत्व को स्वीकार करती है।
  • उत्सर्जन प्रक्षेपवक्र: वर्तमान प्रक्षेपवक्र 2019 के स्तर की तुलना में 2030 तक उत्सर्जन में 43% की वृद्धि का सुझाव देता है, जो वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने के लिए आवश्यक से अधिक है। CoP अध्यक्षता का उद्देश्य देशों को अपनी प्रतिबद्धताओं को पार करने और डीकार्बोनाइजेशन की दिशा में काम करने के लिए प्रोत्साहित करना है।

महत्त्व

  • CoP-28 की भूमिका: CoP का 28वां संस्करण महत्वपूर्ण है क्योंकि 190 से अधिक देशों के नेता, व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल और जलवायु विशेषज्ञ वैश्विक तापमान वृद्धि को रोकने के लिए जिम्मेदारियों पर चर्चा करने के लिए इकट्ठा होते हैं। CoP अध्यक्ष से जुड़ा विवाद वैश्विक जलवायु लक्ष्यों और आर्थिक हितों के बीच जटिल अंतरसंबंध को उजागर करता है।
  • संयुक्त अरब अमीरात का संक्रमण: संयुक्त अरब अमीरात की जीवाश्म ईंधन से दूर जाने की प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है, इसकी अर्थव्यवस्था वर्तमान में गैर-तेल एवं गैस क्षेत्रों पर 70% निर्भरता में है। देश बदलती वैश्विक गतिशीलता के जवाब में अपनी अर्थव्यवस्था को अनुकूलित करने और बदलने की अपनी क्षमता पर जोर देता है।
  • भारत की महत्वपूर्ण भूमिका: प्रधानमंत्री की संभावित यात्रा CoP में भारत की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है। इस सम्मेलन का उद्देश्य एशियाई देशों के सामने आने वाली अनूठी चुनौतियों का समाधान करना है, जिसमें व्यावहारिक समाधानों पर ध्यान केंद्रित किया जा सकता है जिन्हें विभिन्न राष्ट्र अपना सकते हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

1. निम्नलिखित में से कौन सा विकल्प किसी विशेष राज्य में नौकरियों के लिए अधिवास आवश्यकताओं पर सामान्य नियम का अपवाद प्रदान करता है?

(a) संविधान का अनुच्छेद 14

(b) संविधान का अनुच्छेद 15

(c) संविधान का अनुच्छेद 16(3)।

(d) संविधान का अनुच्छेद 15(3)।

उत्तर: c

व्याख्या: अनुच्छेद 16(3) संसद के लिए सामान्य नियम को अपवाद प्रदान करते हुए, किसी विशेष राज्य में नौकरियों के लिए अधिवास की आवश्यकता निर्धारित करने की सुविधा प्रदान करता है।

2. भारत में विधानसभा चुनाव में मतों की गिनती की प्रक्रिया के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

1. किसी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में मतगणना के मामले में रिटर्निंग ऑफिसर निर्णायक प्राधिकारी होता है।

2. उम्मीदवारों और उनके प्रतिनिधियों को मतगणना कक्ष में जाने की अनुमति होती है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से गलत है/हैं?

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: d

व्याख्या: दोनों कथन सही हैं। चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अपने प्रतिनिधियों के साथ मतगणना कक्ष में जाने की अनुमति होती है।

3. निम्नलिखित देशों पर विचार कीजिए:

1. हांगकांग

2. रूस

3. भारत

4. संयुक्त राज्य अमेरिका

5. चीन

6. कनाडा

उपर्युक्त में से कितने देश एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (APEC) के सदस्य हैं?

(a) केवल दो

(b) केवल तीन

(c) केवल चार

(d) केवल पाँच

उत्तर: d

व्याख्या: APEC 21 सदस्य अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक अंतरसरकारी मंच है जो पूरे एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मुक्त व्यापार को बढ़ावा देता है। भारत APEC का सदस्य नहीं है।

4. डीपफेक के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

1. डीपफेक विजुअल और ऑडियो कंटेंट में हेरफेर करने के लिए जेनरेटिव एडवरसैरियल नेटवर्क (GAN) का उपयोग करके बनाया गया सिंथेटिक मीडिया है।

2. इसके लिए इंटरनेट या सोशल मीडिया से सहमति के बिना एकत्र किए गए डेटा की आवश्यकता होती है।

निम्नलिखित कूट का उपयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:

(a) केवल 1

(b) केवल 2

(c) 1 और 2 दोनों

(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: c

व्याख्या: दोनों कथन सही हैं. डीपफेक में GAN का उपयोग होता है, और इसमें सहमति के बिना एकत्र किए गए डेटा का उपयोग हो सकता है।

5. 2022 संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP27) का विषय निम्नलिखित में से क्या था?

(a) क्लाइमेट एक्शन नाउ

(b) बिल्डिंग रेसिलियंस टुगेदर

(c) टुगेदर फॉर इंप्लीमेंटेशन

(d) सस्टेनेबल फ्यूचर (सतत भविष्य)

उत्तर: c

व्याख्या: 2022 में मिस्र के शर्म अल-शेख में आयोजित COP27 का विषय “टुगेदर फॉर इंप्लीमेंटेशन” था।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

1. हालिया यूएस-चीन शिखर सम्मेलन इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में भारत की रणनीतिक स्थिति को कैसे प्रभावित करता है, एवं भारत को शक्ति गतिशीलता और गठबंधन में संभावित बदलावों को प्रचालित करने के लिए किन उपायों पर विचार करना चाहिए? (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – II, अंतर्राष्ट्रीय संबंध)​

How does the recent US-China summit impact India’s strategic positioning in the Indo-Pacific region, and what measures should India consider to navigate potential shifts in power dynamics and alliances? (250 words, 15 marks) (General Studies – II, International Relations)

2. ‘राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियों’ से संबंधित प्रावधान सरकार और राज्यपाल पद के बीच टकराव के लिए पर्याप्त अवसर प्रदान करते हैं। इस स्थिति का मूल्यांकन कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – II, राजव्यवस्था)​

The provisions pertaining to the ‘discretionary powers of the governor’ provide ample room for conflicts between the government and the Governor’s office. Evaluate this situation. (250 words, 15 marks) (General Studies – II, Polity)

(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)