19 अप्रैल 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था एवं शासन:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
अर्थव्यवस्था:
शिक्षा:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था एवं शासन:
वाहनों के लिए अतिरिक्त एयरबैग के अधिदेश को समझना:
विषय: विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकार की नीतियां,हस्तक्षेप,उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: एयरबैग पर सामान्य वैधानिक नियमों (जीएसआर) की अधिसूचना।
मुख्य परीक्षा : सरकार के छह एयरबैग के प्रस्ताव का मूल्यांकन।
प्रसंग:
- सरकार द्वारा यात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए सभी यात्री वाहनों (एम1 श्रेणी) में छह एयरबैग लगाने का प्रस्ताव है।
एयर बैग और सड़क सुरक्षा पर पिछला कानून:
- एयर बैग (Air Bags):
- चालक के बगल वाली सीट पर बैठे यात्री के लिए एयरबैग की तैनाती को पूर्व में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा अनिवार्य किया गया था।
- यह नियम 1 अप्रैल 2021 के बाद निर्मित वाहनों के लिए था।
- हालांकि COVID-19 महामारी के कारण इसके कार्यान्वयन की समय सीमा बढ़ा दी गई थी।
- सड़क सुरक्षा:
- सड़क सुरक्षा के सम्बन्ध में एक सरकारी नोटिस जारी किया गया था जो चार साल से कम उम्र के उन बच्चों की सुरक्षा के दिशा निर्देशों से सम्बंधित था जो मोटरसाइकिल पर सवारी करते थे।
- इसके लिए सुरक्षा हार्नेस (कवच) और क्रैश हेलमेट के साथ-साथ 40 किमी प्रति घंटे की गति सीमा के पालना आवश्यक थी।
- वर्ष 2019 के मोटर वाहन (संशोधन) अधिनियम में यातायात नियमों के उल्लंघन को रोकने और इसका सख्त प्रवर्तन सुनिश्चित करने के लिए कठोर दंड का प्रावधान था।
- सड़क सुरक्षा और मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक 2019 के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Road Safety And Motor Vehicles (Amendment) Bill 2019
- एक एयरबैग एक वाहन अधिभोगी-संयम प्रणाली है जिसमें वाहन की टक्कर के दौरान चालक और डैशबोर्ड के बीच हस्तक्षेप से एयरबैग खुल जाते हैं,जिससे गंभीर चोंटें नहीं आती है ।
एयरबैग पर सामान्य वैधानिक नियम (GSR) अधिसूचना:
- सामान्य वैधानिक नियमों (जीएसआर), 2022 के अनुसार, वाहन में दोनों साइड एयरबैग होने चाहिए, उसमें एक उस व्यक्ति के लिए होगा जो फ्रंट रॉ में चालक की बगल वाली सीट पर बैठा हो।
- इस अधिनयम के अनुसार फ्रंट रॉ में चालक की बगल में बैठने वाले व्यक्ति के लिए दो साइड पर्दे / ट्यूब एयरबैग की फिटिंग भी अनिवार्य है।
- 1 अक्टूबर 2022 के बाद निर्मित होने वाले एम1 श्रेणी के सभी वाहन इन नियमों के अधीन हैं।
- इस अधिसूचना द्वारा वाहन के पूरे बाहरी किनारों को कवर करने के लिए पर्दे या ट्यूब एयरबैग लगाने का भी निर्देश दिया गया है।
- इसके साथ ही यह भी सुनिश्चित करना होगा कि एयरबैग परीक्षण के दौरान पीछे से टक्कर की स्थिति में वाहन में बैठने वालों की सुरक्षा के लिए AIS-099 मानकों को भी पूरा करें ।
अतिरिक्त एयरबैग के लाभ:
- सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के मुताबिक उपर्युक्त स्थिति में इन्फ्लेटेबल एयरबैग को लगाने से धड़ की चोटों या वाहन की टक्कर के दौरान सवार की अचनाक निकासी को रोकने में मदद मिलेगी।
- दुर्घटना की स्थिति में ट्यूब एयरबैग से सिर को चोट लगने की सम्भावना कम होगी ।
- वाहन की पीछे से टक्कर की स्थिति में वाहन में सवार लोगों की सुरक्षा के लिए इसे अधिनियमित किया गया है।
- सरकार द्वारा लाया गया यह अधिनियम अंततः वाहन की लागत या संस्करण की परवाह किए बिना सभी खंडों में यात्री सुरक्षा सुनिश्चित करेगा।
- यूएस नेशनल हाईवे ट्रैफिक सेफ्टी एडमिनिस्ट्रेशन (NHTSA) के अनुसार, फ्रंटल एयरबैग्स ने बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई हैं।
- दुर्घटना के दौरान यात्री के शरीर के ऊपरी हिस्से या सिर को वाहन के आंतरिक भाग से टकराने से रोकने के लिए इसमें एयरबैग जोड़े गए हैं।
वाहनों की कीमतों पर असर:
- वाहनों में चार अतिरिक्त एयरबैग लगाने से इसकी लागत 17,600 रुपये बढ़ जाएगी।
- इसके अतिरिक्त कुछ मामलों में लागत अधिक हो सकती है क्योंकि अतिरिक्त एयरबैग को वाहन में समायोजित करने के लिए कंपनियों को कार की संरचना में इंजीनियरिंग परिवर्तन करने की आवश्यकता होगी।
- एक एयरबैग की लागत बाजार की ताकतों और उत्पादन की मात्रा द्वारा निर्धारित की जाएगी।
- सड़क सुरक्षा के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस पर क्लिक कीजिए: Road Safety
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
यूके-रवांडा शरण योजना:
विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव
मुख्य परीक्षा: रवांडा डील और प्रवासी मुद्दे का विश्लेषण।
प्रसंग:
- इस लेख में यूके और रवांडा की सरकारों के बीच हुए रवांडा सौदे का आलोचनात्मक मूल्यांकन किया गया है।
रवांडा डील क्या है?
- रवांडा डील का दूसरा नाम UK और रवांडा प्रवासन और आर्थिक विकास भागीदारी है।
- यह UK और रवांडा सरकारों द्वारा 2022 में हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (MoU) है।
- समझौते की शर्तों के तहत जो व्यक्ति अवैध रूप से सुगम और गैरकानूनी सीमा के माध्यम से यूनाइटेड किंगडम में आते हैं और वहां शरण चाहते हैं उन्हें रवांडा शरण प्रदान करेगा।
- इसके तहत रवांडा उन सभी को भी स्वीकार करेगा जो नाबालिग नहीं है और जिसे कभी किसी अपराध का दोषी नहीं ठहराया गया है।
लाभ:
- यह समझौता “मानव तस्करों” का मुकाबला करेगा जो अक्सर कमजोर प्रवासियों से अत्यधिक शुल्क वसूल करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बड़े पैमाने पर विस्थापित होने की घटनाएं होती हैं।
- यह प्रवासी समस्या का एक मानवीय समाधान है, जिसका उद्देश्य इन अवैध क्रॉसिंगों को संचालित करने वाले गिरोहों को खोज निकालना है।
कमियां:
- कई कार्यकर्ताओं, शरणार्थी और मानवाधिकार संगठनों ने पर्याप्त सुरक्षा उपायों के बिना शरणार्थियों और शरण चाहने वालों को तीसरे देश के गंतव्यों में स्थानांतरित करने के खतरों के बारे में चिंता जताई है।
- इस समझौते की “मानव सीमा निश्चित नहीं ” है जिसका अर्थ हैं की उन प्रवासियों की संख्या की कोई ऊपरी सीमा नहीं है जिन्हें समझौते की पांच साल की अवधि के दौरान रवांडा भेजा जा सकता है।
- इस समझौते में चिंता का विषय यह हैं की जबरन स्थानांतरण के कारण मानवाधिकारों का बहुत ज्यादा उल्लंघन होगा।
- इस समझौते में रवांडा सरकार के काम करने के आर्थिक अधिकार, स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच, या स्थानांतरित व्यक्तियों को प्रदान की जाने वाली किसी भी वित्तीय सहायता का उल्लेख नहीं है।
- जो व्यक्ति खतरनाक समुद्री क्रॉसिंग का प्रयास करते समय पहले से ही असुरक्षित है वे हिरासत के दौरान और भी अधिक असुरक्षित हो जायेंगे।
- रवांडा का मानवाधिकारों का रिकॉर्ड भी खराब है, जहाँ या तो सरकारी आलोचकों को चुप करा दिया जाता है या कैद कर लिया जाता है।
- UK से संवेदनशील बाल शरणार्थियों को अनजाने में रवांडा भेजे जाने के कारण उन्हें “बहुत बड़े जोखिम” का सामना करना पड़ता है।
अन्य अनुभव:
- ऑस्ट्रेलिया-पापुआ न्यू गिनी:ऑस्ट्रेलिया और पापुआ न्यू गिनी के बीच एक समान अपतटीय प्रसंस्करण समझौते को क्लास-एक्शन मुकदमे में चुनौती दी गई थी।
- नाउरू और ऑस्ट्रेलिया: वर्ष 2013 में नाउरू क्षेत्रीय प्रसंस्करण केंद्र में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन शोषण के साथ-साथ कैदियों के बीच एक दंगा हुआ था।
- इज़राइल: शरण चाहने वालों एवं सूडान और इरिट्रिया से अवैध अप्रवासियों की आमद से निपटने के लिए इज़राइल द्वारा तीसरे देशों के साथ इस प्रकार के समझौते किए गए थे।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
रूस के यूक्रेन हमले की आलोचना कर सकता है भारत
विषय: भारत के हितों और भारतीय प्रवासीयों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
प्रीलिम्स: सखालिन -1, वैंकोर और तास-युर्याख तेल क्षेत्र तथा वाडीनार रिफाइनरी।
मुख्य परीक्षा: रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारतीय रुख और सुझाव।
पृष्टभूमि:
- रूस-यूक्रेन विवाद पर भारत ने तटस्थ रुख अपनाया है और भारत ने संयुक्त राष्ट्र महासभा और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद दोनों में ही रूस के खिलाफ मतदान से परहेज किया है। भारत ने अब तक प्रत्यक्ष तौर पर रूस की आलोचना नहीं की है।
- पहले भी विपरीत परिस्थितयों में भारत ने ईरान से तेल आयात में कटौती करने हेतु अमेरिकी दबाव का सामना किया था भारत ने रूस पर प्रतिबंधों की बात करते समय अमेरिकी दबाव के खिलाफ कुछ हद तक मजबूत रुख अपनाया है। भारत ने रूस-यूक्रेन संकट के बीच भी रूस के साथ अपने संबंधों को और मजबूत किया है।
- मार्च और अप्रैल में, भारत ने 2021 की तुलना में छूट के साथ अधिक रूसी तेल खरीदा है, और अब कोयले के आयात को भी बढ़ा रहा है।
- भारत रूस के साथ अपने रक्षा सौदों को जारी रखे हुए है।
- भारत और रूस रुपये-रूबल भुगतान व्यवस्था पर वार्ता कर रहे हैं। यह द्विपक्षीय व्यवस्था रूस के खिलाफ आर्थिक प्रतिबंधों के प्रभाव को कम करेगी।
- भारतीय विदेश मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा है कि भारत रूस के खिलाफ लगाए गए एकतरफा प्रतिबंधों के खिलाफ है और वह केवल संयुक्त राष्ट्र के अनिवार्य प्रतिबंधों का पालन करेगा।
- विशेष रूप से केवल 30 से 40 देश रूस के खिलाफ प्रतिबंध व्यवस्था में शामिल हुए हैं, जबकि भारत, चीन और दक्षिण अमेरिका और अफ्रीका के अधिकांश देश इससे बाहर हैं।
भारत के रुख को प्रभावित करने वाले कारक:
रक्षा:
- रूस पर भारत की रक्षा हार्डवेयर निर्भरता लगभग 60% है, जबकि स्पेयर पार्ट्स पर निर्भरता 85% के करीब है।
- विशेष रूप से, जब बात प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और हथियार प्रणालियों के संयुक्त विकास से संबंधित हो, तब भारत रूस के साथ एक विशेष संबंध साझा करता है।
ऊर्जा:
- जब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें बढ़ रही हैं, रूस से सस्ता तेल आयात भारत के लिए लाभदायक है। यह न केवल ऊर्जा सुरक्षा की दृष्टि से बल्कि आर्थिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। सस्ते तेल आयात से भारत को मुद्रास्फीति और बढ़ते चालू खाता घाटे पर नियंत्रण करने में मदद मिलेगी जो महामारी के बाद आर्थिक सुधार के लिए महत्वपूर्ण है।
- भारतीय सार्वजनिक क्षेत्र की तेल इकाइयों ने पूर्वी रूस में तेल और गैस क्षेत्रों में $16 बिलियन का निवेश किया है, जिसमें सखालिन-1, वेंकोर और तास-युरीख में भारतीय हिस्सेदारी है।
- रूस ने भारत में तेल क्षेत्र में महत्वपूर्ण निवेश किया है, जिसके तहत रोसनेफ्ट, रूसी तेल कंपनी की गुजरात तट पर रणनीतिक रूप से स्थित वाडिनार रिफाइनरी में हिस्सेदारी है।
- कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस खंडों के अलावा, अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में भी रूस भारत के लिए एक महत्वपूर्ण भागीदार रहा है। जबकि भारत ने अमेरिका और फ्रांस सहित कई देशों के साथ असैन्य परमाणु समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। वास्तव में मौजूद एकमात्र विदेशी परमाणु ऊर्जा संयंत्र (तमिलनाडु में कुडनकुलम) रूस द्वारा निर्मित हैं।
चीन कारक:
- भारत को उत्तरी सीमा चीन और पाकिस्तान की चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और भारत को तनाव बढ़ने की ऐसी स्थिति में रूस को अपने पक्ष में करना आवश्यकता होगा।
रूस विश्वसनीय भागीदार:
- रूस ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के P-5 सदस्य के रूप में लगातार भारत का समर्थन किया है।
- वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) और परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह जैसे बहुपक्षीय संस्थानों में भारत को रूस का समर्थन भी उल्लेखनीय रहा है।
- पश्चिमी देशों जिन्होंने भारत के आंतरिक मुद्दों पर टिप्पणी की है के विपरीत, रूस ने अब तक ऐसे मुद्दों पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
दोनों पक्षों के साथ संबंधों को संतुलित करना:
- तटस्थ रुख, भारत को दोनों पक्षों के साथ संबंधों की निरंतरता बनाए रखने और अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने में सहायक होगा।
- एक तटस्थ रुख भारत को BRICS, RIC (रूस-भारत-चीन) और शंघाई सहयोग संगठन (SCO) जैसे समूहों में भाग लेने में सक्षम बनएगा, भले ही वह क्वाड के साथ जुड़ा ही क्यों न हो।
अमेरिका के लिए भारत का महत्व:
- भारत क्वाड समूह और यू.एस. की एशिया प्रशांत नीति का केंद्र बना हुआ है। यू.एस. के लिए भारत के इस रणनीतिक महत्व को देखते हुए यह संभावना कम ही है कि यू.एस. भारत पर प्रतिबंध लगाएगा प्रतिबंधात्मक मंजूरी देगा इसलिए भारत ने रूस के साथ अपने व्यापार संबंधों को जारी रखा है।
सामरिक स्वायत्तता:
- पश्चिमी प्रतिबंधों का पालन करने से इनकार गुटनिरपेक्षता और रणनीतिक स्वायत्तता के सिद्धांतों पर आधारित और राष्ट्रीय हितों से प्रेरित है।
सुझाव:
- भारत पर यूक्रेन में रूस की एकतरफा सैन्य कार्रवाई की निंदा करने का दबाव न केवल अमेरिका से बल्कि यूके, जर्मनी और फ्रांस जैसे यूरोपीय देशों से भी बढ़ने की संभावना है। इस दिशा में, लेखक ने सिफारिश की है कि भारत को एकतरफा प्रतिबंधों पर एक स्वतंत्र रुख बनाए रखते हुए भी यूक्रेन में नागरिक हत्याओं की निंदा करनी चाहिए।
- 2003 में अमेरिका द्वारा इराक पर आक्रमण के दौरान भारत ने भी इसी तरह का रुख अपनाया था। अमेरिका के साथ बढ़ती साझेदारी के बावजूद, भारत ने संप्रभु इराक पर आक्रमण करने के लिए अमेरिका के नेतृत्व वाली गठबंधन सेना की कार्रवाई की “निंदा” की थी। भारत ने यह भी तय किया था कि अमेरिका के साथ मतभेदों के बावजूद, वह यू.एस. के साथ द्विपक्षीय संबंध विकसित करना जारी रखेगा।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
अर्थव्यवस्था:
क्रिप्टो और CBDC में असमानता
विषय: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना से संबंधित मुद्दे, संसाधन जुटाना, विकास और रोजगार।
प्रीलिम्स: ब्लॉकचेन तकनीक।
मुख्य परीक्षा: CBDC के खिलाफ क्रिप्टोकरेंसी के पक्ष में तर्क।
पृष्टभूमि:
क्रिप्टो की बढ़ती लोकप्रियता:
- क्रिप्टोकरेंसी की लोकप्रियता लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में क्रिप्टो का कुल मूल्य $ 2 ट्रिलियन से ऊपर पहुँच चुका है, जो कि वैश्विक सोने के मूल्य से अधिक है।
- कीमतों में उतार-चढ़ाव के बावजूद सबसे प्रमुख क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन की कीमत में 2009 के बाद से वृद्धि हुई है।
- वर्तमान में विभिन्न प्रकार के क्रिप्टो; बिटकॉइन जैसे क्रिप्टो, ऑल्ट सिक्के और स्थिर सिक्के मौजूद हैं।
क्रिप्टो पर भारत का रुख:
- वित्तीय और मैक्रोइकॉनॉमिक स्थिरता के लिए निजी क्रिप्टोकरेंसी के खतरे और उससे जुड़ी किसी अंतर्निहित संपत्ति और अटकलों की कमी को देखते हुए, उन्हें भारत में कराधान और पूंजीगत लाभ प्रावधानों के द्वारा हतोत्साहित किया जा रहा है।
- क्रिप्टोकरेंसी की विकेंद्रीकृत प्रकृति को देखते हुए, अवैध लेनदेन के लिए उनके उपयोग को ट्रैक करना और उन्हें विनियमित करना भी मुश्किल होगा।
- भारतीय रिजर्व बैंक ने घोषणा की है कि वह एक सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) जारी करेगा।
सुझाव:
- लेखक का सुझाव है कि भारत को निम्नलिखित तर्कों के आधार पर एक बहुत ही रक्षात्मक दृष्टिकोण अपनाने के बजाय क्रिप्टोकरेंसी के प्रति अधिक ग्रहणशील होना चाहिए।
क्रिप्टो के उपयोग को कम करने में कठिनाई:
- क्रिप्टो जो इंटरनेट के माध्यम से संचालित होता हैं, केवल तभी प्रतिबंधित किया जा सकता है जब सभी राष्ट्र एक साथ मिलकर इस पर काम करे जिसकी संभावना नहीं है।
CBDC का उपयोग करने की सीमाएं:
- CBDC केवल फिएट मुद्रा के रूप में कार्य कर सकता है, ना कि क्रिप्टो के रूप में। हालाँकि, क्रिप्टो पैसे के रूप में कार्य कर सकता हैं।
- एक केंद्रीकृत CBDC को प्रत्येक लेनदेन को मान्य करने के लिए आरबीआई की आवश्यकता होगी जो वर्तमान परिस्थितियों में मुश्किल है और इसे ट्रैक करना बहुत जटिल होगा जो CBDC जैसी मुद्रा को अनुपयोगी बना सकता है। जब तक कि नए सुरक्षित प्रोटोकॉल तैयार नहीं हो जाते। तब तक, CBDC वर्तमान में क्रिप्टो का विकल्प नहीं हो सकता है।
क्रिप्टोकरेंसी के फायदे:
- क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े मुख्य लाभों में उच्च लेनदेन की गति, कम लेनदेन लागत, बढ़ी हुई पहुंच, सुरक्षा, गोपनीयता और पारदर्शिताआदि शामिल है।
- ब्लॉकचेन और एन्क्रिप्शन जैसी क्रिप्टोकरेंसी की अंतर्निहित तकनीकें मुद्रा की जालसाजी से निपटने की अनुमति देती है।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शिक्षा:
शिक्षा की सहमतिपूर्ण कुंजी
विषय: सामाजिक क्षेत्र तथा शिक्षा से संबंधित सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: राज्य विशिष्ट शिक्षा नीतियों के पक्ष में तर्क।
सन्दर्भ:
- तमिलनाडु राज्य सरकार अपनी राज्य शिक्षा नीति का मसौदा तैयार करने हेतु एक समिति का गठन कर रही है।
राज्य की शिक्षा नीतियों के पक्ष में तर्क:
- तमिलनाडु सरकार के इस कदम को राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लिए चुनौतीपूर्ण मानने के बजाय, लेखक निम्नलिखित तर्कों के आधार पर राज्य की शिक्षा नीतियों के पक्ष में तर्क देता है।
राज्यों को आवाज देना:
- अलग-अलग राज्य शिक्षा नीतियां, राष्ट्रीय शिक्षा नीति को एक सुविचारित तरीके से प्रभावी बनाने में मदद करेंगी। इससे राष्ट्रीय शिक्षा नीति के निर्माण के संबंध में राज्यों की कुछ चिंताओं को दूर करने में मदद मिलेगी, जिसमें राज्यों ने NEP के निर्माण के दौरान उनके विचारों की अनदेखी की शिकायत की थी।
- यह संदर्भ-आधारित नीतियों के निर्माण और नीतिगत जुड़ाव को सक्षम बनाएगा और इस प्रकार जमीनी स्तर से राष्ट्रीय स्तर तक संरेखण सुनिश्चित होगा।
विकेंद्रीकृत दृष्टिकोण की अधिक प्रभावशीलता:
- राज्य, जिला, ब्लॉक और यहां तक कि ग्राम स्तर की नीतियां राष्ट्रीय नीति के अधिक सार्थक कार्यान्वयन को सक्षम बनाती हैं क्योंकि इससे ऐसी नीतियों की बहुलता हो जाएगी जो स्थानीय संदर्भों में राष्ट्रीय विकास के लक्ष्यों को पूरा करने में सहायक होंगी।
- एक अधिक विकेन्द्रीकृत दृष्टिकोण क्षेत्रीय प्राथमिकताओं और बाधाओं पर ध्यान केंद्रित करने में सक्षम होगा।
समवर्ती सूची में शिक्षा:
- शिक्षा 1976 से समवर्ती सूची में है और यह संघ और राज्य सरकारों की संयुक्त और साझा जिम्मेदारी रही है।
- शिक्षा पर नीति बनाने प्रयास के लिए राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय और सहयोग की आवश्यकता है।
केंद्रीकरण से जुड़ी चिंताएं:
- विशेष रूप से उच्च शिक्षा में ‘एक राष्ट्र, एक प्रणाली’ सिद्धांत के अनुरूप शिक्षा प्रणाली में विभिन्न बदलावों के कुछ प्रतिकूल प्रभाव पड़े हैं।
- कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस टेस्ट (CUET), अंडरग्रेजुएट नेशनल एलिजिबिलिटी टेस्ट (NEET UG) जैसे टेस्ट छात्रों के लिए मौद्रिक बोझ और असुविधा का कारण बने है। इस तरह के राष्ट्रीय स्तर के परीक्षण द्वारा केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) के छात्रों को तथा मुख्य रूप से राज्य बोर्डों और CBSE के पाठ्यक्रम एवं परीक्षा के तरीकों में अंतर के कारण अन्य छात्रों को परेशानीयों का सामना करना पड़ता हैं।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. प्रधानमंत्री द्वारा गुजरात में कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया जायेगा:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े समझौते या भारत के हितों को प्रभावित करना।
प्रीलिम्स: WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन।
प्रसंग:
- प्रधान मंत्री जामनगर में पारंपरिक चिकित्सा के एक अंतरराष्ट्रीय केंद्र की आधारशिला रखेंगे।
WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन:
- गुजरात के जामनगर में पारंपरिक चिकित्सा के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का एक नया केंद्र स्थापित किया जा रहा है।
- इस WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन का उद्देश्य पारंपरिक चिकित्सा की क्षमता को तकनीकी प्रगति और साक्ष्य-आधारित अनुसंधान के साथ एकीकृत करना है।
- WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: WHO Global Centre for Traditional Medicine
पारंपरिक औषधि (Traditional Medicine):
- WHO पारंपरिक चिकित्सा को “ज्ञान, कौशल और प्रथाओं के कुल योग के रूप में वर्णित करता है जिसका स्वदेशी और विभिन्न संस्कृतियों ने समय के साथ स्वास्थ्य को बनाए रखने और शारीरिक और मानसिक बीमारी को रोकने, निदान और उपचार करने के लिए उपयोग किया है”।
- भारत में पारंपरिक चिकित्सा को अक्सर प्रथाओं और उपचारों के रूप में परिभाषित किया जाता है – जैसे योग, आयुर्वेद, सिद्ध आदि।
- आयुर्वेद और योग पूरे देश में व्यापक रूप से प्रचलित हैं।
- तमिलनाडु और केरल में सिद्ध प्रणाली का प्रचलन है।
- सोवा-रिग्पा प्रणाली (Sowa-Rigpa system )मुख्य रूप से लेह-लद्दाख और हिमालयी क्षेत्रों जैसे सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, दार्जिलिंग, लाहौल और स्पीति में प्रचलित है।
2. गुरु तेग बहादुर की जयंती का उत्सव लाल किले पर मनाया जायेगा:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
कला और संस्कृति:
विषय: भारत की प्राचीन संस्कृति से लेकर आधुनिक काल तक के कला रूपों, साहित्य और वास्तुकला के मुख्य पहलु।
प्रारंभिक परीक्षा: गुरु तेग बहादुर से सम्बंधित तथ्य।
संदर्भ:
- सरकार गुरु तेग बहादुर की 400वीं जयंती मनाएगी।
गुरु तेग बहादुर:
- गुरु तेग बहादुर सिख धर्म के दस गुरुओं में नौवें थे।
- गुरु हरगोबिंद ने उन्हें गुरु तेग बहादुर नाम दिया था।
- उनके द्वारा लिखे गए श्लोक,दोहे सहित कई भजन गुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं। आदि ग्रंथ में उनकी कृतियों का संग्रह है।
- गुरु तेग बहादुर नानक की शिक्षाओं का प्रचार करने के लिए व्यापक तौर पर यात्रा करने के लिए जाने जाते हैं।
- मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर 1675 में दिल्ली में गुरु तेग बहादुर की हत्या कर दी गई थी।
- गुरु तेग बहादुर के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Guru Tegh Bahadur
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे होंगे नए थल सेना प्रमुख:
- थल सेनाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल मनोज पांडे को 29वां थल सेनाध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
- सेवा प्रमुख का कार्यकाल 62 वर्ष या तीन वर्ष तक, जो भी पहले हो निर्धारित किया गया हैं, जबकि CDS के लिए आयु सीमा 65 है, इस पद की सेवानिवृति का कार्यकाल निर्धारित नहीं है।
2. थोक महंगाई दर मार्च में बढ़कर 14.55 फीसदी हुई:
- मार्च 2022 में भारत की थोक कीमतों के आधार पर मुद्रास्फीति चार महीने के उच्च स्तर 14.55% पर पहुंच गई हैं।
- मुद्रास्फीति में वृद्धि ईंधन और बिजली के साथ सभी श्रेणियों के सामानों तथा प्राथमिक वस्तुओं के मूल्य वृद्धि में तेजी से प्रेरित है।
- उच्च मुद्रास्फीति में तेजी को रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में उत्पन्न व्यवधान हेतु जिम्मेदार ठहराया गया है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारत में, थोक मूल्य सूचकांक किसके द्वारा प्रकाशित किया जाता है:
(a)भारतीय रिजर्व बैंक
(b)राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO)
(c)आर्थिक सलाहकार, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
(d)श्रम ब्यूरो
उत्तर: c
व्याख्या:
- थोक मूल्य सूचकांक थोक वस्तुओं की कीमत का प्रतिनिधित्व करता है। WPI उन वस्तुओं की कीमत पर केंद्रित है जिनका निगमों के बीच कारोबार होता है। यह उपभोक्ताओं द्वारा खरीदे गए सामानों पर ध्यान केंद्रित नहीं करता है।
- WPI डेटा आर्थिक सलाहकार कार्यालय, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय द्वारा प्रकाशित किया जाता है।
- अत: विकल्प c सही है।
प्रश्न 2. भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए :
- संविधान की छठी अनुसूची में 4 राज्यों की 10 स्वायत्त जिला परिषदें शामिल हैं।
- संसद या राज्य विधानमंडल के अधिनियम स्वायत्त जिलों और स्वायत्त क्षेत्रों पर या निर्दिष्ट संशोधनों और अपवादों के साथ लागू नहीं होते हैं।
- भारत के राष्ट्रपति को क्षेत्रों को बढ़ाने या घटाने या स्वायत्त जिलों के नाम बदलने का अधिकार है।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a)केवल 1 और 2
(b)केवल 2 और 3
(c)केवल 1 और 3
(d)उपर्युक्त सभी
उत्तर: a
व्याख्या:
- भारतीय संविधान की छठी अनुसूची आदिवासी आबादी को संरक्षण प्रदान करती है और स्वायत्त विकास परिषदों के निर्माण के माध्यम से समुदायों को स्वायत्तता प्रदान करती है जो भूमि, सार्वजनिक स्वास्थ्य, कृषि और अन्य पर कानून बना सकती हैं।
- अभी तक, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम में 10 स्वायत्त परिषदें मौजूद हैं। इसलिए कथन 1 सही है।
- संसद या राज्य विधानसभाओं के अधिनियम स्वायत्त जिलों और स्वायत्त क्षेत्रों पर लागू नहीं होते हैं, या केवल विशिष्ट संशोधनों और अपवादों के साथ लागू होते हैं। अतः कथन 2 सही है।
- राज्यपाल (राष्ट्रपति नहीं) के पास स्वायत्त जिलों को पुनर्गठित और व्यवस्थित करने का अधिकार है।राज्यपाल के पास स्वायत्त जिलों के आकार को बढ़ाने या घटाने के साथ-साथ उनके नाम बदलने का अधिकार है। अतः कथन 3 सही नहीं है।
प्रश्न 3. खेलो इंडिया कार्यक्रम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के अनुसार ‘खेल’ राज्य का विषय है।
- इस योजना के तहत खेलो इंडिया एथलीटों को प्रतिवर्ष 6.28 लाख रुपये प्रति एथलीट वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें ₹ 1.20 लाख प्रति वर्ष पॉकेट भत्ते के रूप में और ₹ 5.08 लाख अन्य सुविधाओं जैसे कोचिंग, खेल विज्ञान सहायता, आहार आदि के लिए दिया जाता हैं।
- योजना के तहत विभिन्न राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों में जिला स्तर पर अधिसूचित खेलो इंडिया सेंटर एकमुश्त अनुदान के रूप में ₹ 5 लाख प्रति खेल और आवर्ती अनुदान के रूप में ₹ 5 लाख प्राप्त करने के पात्र हैं।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a)केवल 1 और 2
(b)केवल 2 और 3
(c)केवल 1 और 3
(d)उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- भारत के संविधान की सातवीं अनुसूची संघ और राज्यों के बीच विधायी शक्तियों के वितरण से संबंधित है, जैसा कि कई लेखों द्वारा परिभाषित किया गया है। खेल विषय को भारतीय संविधान की राज्य सूची में शामिल किया गया है।
- खेलो इंडिया योजना के ‘प्रतिभा खोज और विकास’ कार्यक्षेत्र के तहत इस योजना के तहत पहचाने और चुने गए खेलो इंडिया एथलीटों को प्रति एथलीट प्रति वर्ष ₹ 6.28 लाख की वार्षिक वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है, जिसमें ₹ 1.20 लाख प्रति वर्ष पॉकेट भत्ते के रूप में और ₹ 5.08 लाख कोचिंग, खेल विज्ञान सहायता, आहार ,उपकरण, उपभोग्य वस्तुएं, बीमा शुल्क जैसी अन्य सुविधाओं के लिए दी जाती हैं।
- इसके अलावा विभिन्न राज्यों/संघ शासित प्रदेशों में जिला स्तर पर योजना के तहत अधिसूचित प्रत्येक खेलो इंडिया केंद्र एकमुश्त अनुदान के रूप में ₹ 5 लाख प्रति खेल और आवर्ती अनुदान के रूप में ₹ 5 लाख प्रतिखेल प्राप्त करने का पात्र है।
- अतः सभी कथन सही हैं।
प्रश्न 4. भारत के सेनाध्यक्ष (COAS) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- कैबिनेट की नियुक्ति समिति (ACC) द्वारा उनकी नियुक्ति की जाती है।
- COAS तीन वर्ष या 62 वर्ष की आयु में, जो भी पहले हो, सेवानिवृत्ति हो जाता है।
- जनरल महाराज श्री राजेंद्रसिंहजी जडेजा भारतीय सेना के पहले सेनाध्यक्ष थे।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a)केवल 1 और 2
(b)केवल 2 और 3
(c)केवल 1 और 3
(d)उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- भारत के सेनाध्यक्ष (COAS) (जिसे सेना प्रमुख भी कहा जाता है) भारतीय सेना मुख्यालय का प्रमुख और भारतीय सेना का सर्वोच्च अधिकारी होता है।
- COAS विशेष रूप से सेना से संबंधित मामलों पर रक्षा मंत्री का प्रमुख सलाहकार होता है और सशस्त्र बलों के सर्वोच्च कमांडर (राष्ट्रपति)का एक प्रमुख सैन्य सलाहकार भी होता है।
- सेना प्रमुख के पद की नियुक्तियां कैबिनेट की नियुक्ति समिति (एसीसी) द्वारा की जाती हैं। केंद्र सरकार की समिति में प्रधान मंत्री, गृह मामलों के मंत्री और रक्षा मंत्रालय शामिल होते हैं।
- भारत के सेनाध्यक्ष (COAS) की सेवानिवृति की आयु 62 वर्ष या तीन वर्ष जो भी पहले हो निर्धारित है।
- जनरल महाराज श्री राजेंद्रसिंहजी जडेजा भारतीय सेना के पहले सेनाध्यक्ष थे और फील्ड मार्शल के एम करियप्पा के बाद भारतीय सेना के कमांडर-इन-चीफ बनने वाले दूसरे भारतीय थे।
- अतः सभी कथन सही हैं।
प्रश्न 5. मानव प्रजनन प्रौद्योगिकी में हालिया प्रगति के संदर्भ में, “प्रोन्यूक्लियर ट्रांसफर” का उपयोग किया जाता है। PYQ (2020)
(a)दाता शुक्राणु द्वारा कृत्रिम परिवेश में अंडे का निषेचन।
(b)शुक्राणु उत्पादक कोशिकाओं का आनुवंशिक रूपांतरण।
(c)कार्यात्मक भ्रूण में स्टेम कोशिकाओं का विकास।
(d)संतानों में माइटोकॉन्ड्रियल रोगों की रोकथाम।
उत्तर: d
व्याख्या:
- पहले पिता के शुक्राणु के साथ मां के अंडे को निषेचित किया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रोन्यूकिलियर हस्तांतरण युग्मनज होता है।
- अंडाणु और शुक्राणु के केंद्रक को फिर युग्मनज से हटा दिया जाता है और एक निषेचित दाता अंडे में डाला जाता है जिसका अपना नाभिक हटा दिया जाता है।फिर मां के गर्भाशय को दाता के अंडे से प्राप्त युग्मनज के साथ प्रत्यारोपित किया जाता है।
- सहायक प्रजनन तकनीकों, विशेष रूप से माइटोकॉन्ड्रियल हेरफेर (या प्रतिस्थापन) प्रौद्योगिकियां तथा एक पुरुष और दो महिलाओं (IVF) के आनुवंशिक तत्त्व से थ्री-पर्सन इन विट्रो निषेचन के उपयोग के माध्यम से मानव संतान उत्पत्ति की प्रक्रिया है।
- सामान्य तौर पर, थ्री-पैरेंट बच्चों को पैदा करने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली प्रजनन तकनीकों का उद्देश्य सेल साइटोप्लाज्म में पाए जाने वाले सेलुलर ऑर्गेनेल जिसे माइटोकॉन्ड्रिया के रूप में जाना जाता है, के डीएनए में उत्परिवर्तन के प्रभावों को बदलना या कम करना है।
- विभिन्न दृष्टिकोण महिलाओं में बांझपन पर काबू पाने में मदद कर सकते हैं और संभावित रूप से दुर्बल करने वाली माइटोकॉन्ड्रियल बीमारियों के संचरण को उनकी संतानों को रोकने में मदद कर सकते हैं।
- अत: विकल्प D सही है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. क्रिप्टोकरेंसी और सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी के बीच अंतर को स्पष्ट कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) जीएस III (अर्थव्यवस्था)
प्रश्न 2. UK और रवांडा प्रवासन एवं आर्थिक विकास साझेदारी क्या है और शरणार्थियों तथा शरण चाहने वालों के लिए इसका क्या अर्थ है? (250 शब्द; 15 अंक) जीएस II (आईआर)
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