A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: सामाजिक न्याय:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पहल
सामाजिक न्याय:
विषय: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन आदि जैसे सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पहल, डब्ल्यूएचओ
मुख्य परीक्षा: वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पहल, सतत विकास लक्ष्य, राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन
- वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पहल (GIDH) डिजिटल स्वास्थ्य 2020-2025 पर वैश्विक रणनीति के कार्यान्वयन की सुविधा हेतु WHO की एक पहल है।
इसकी आवश्यकता क्यों है?
- डिजिटल स्वास्थ्य को स्वास्थ्य परिणामों में सुधार करने तथा सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और सतत विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के एक प्रमाणित तरीके के रूप में देखा जा रहा है।
- उदाहरण के लिए, भारत के राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का लक्ष्य निम्नलिखित की स्थापना है:
- स्वास्थ्य आईडी: आधार आईडी के समान, व्यक्तियों के लिए एक विशिष्ट स्वास्थ्य पहचानकर्ता।
- डिजी डॉक्टर: संपर्क की जानकारी, योग्यता और विशेषज्ञता के साथ डॉक्टरों की एक रिपॉजिटरी।
- स्वास्थ्य सुविधा रजिस्टर (HFR): भारत में स्वास्थ्य सुविधाओं की एक रिपॉजिटरी, जिसमें उनकी संपर्क जानकारी और दी जाने वाली सेवाएं शामिल हैं।
- व्यक्तिगत स्वास्थ्य रिकॉर्ड (PHR): किसी व्यक्ति की स्वास्थ्य जानकारी का एक इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड, जिसे वे नियंत्रित और अद्यतन कर सकते हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक मेडिकल रिकॉर्ड्स (EMR): एक वेब-आधारित प्रणाली जिसमें रोगी की मेडिकल हिस्ट्री और उपचार की जानकारी होती है।
- डिजिटल स्वास्थ्य परिवर्तन की गति को संसाधन आवंटन में विभाजन, डिजिटल समाधानों की समान परिभाषा की कमी और गुणवत्ता आश्वासन की कमी से चुनौती मिलती है।
- देशों को भिन्न-भिन्न डिजिटल स्वास्थ्य पहलों के स्थान पर एक राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य अवसंरचना की स्थापना हेतु सहयोग की भी आवश्यकता है जो सभी डिजिटल स्वास्थ्य पहलों को एक विंग के अंतर्गत लाता है।
- डिजिटल स्वास्थ्य में निवेश के संरेखण की कमी है, जिससे दोहराव को कम करना और प्रभाव को अनुकूलित करना कठिन हो जाता है।
- वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पहल निवेश को संरेखित करके, सक्षम वातावरण को मजबूत करके और गुणवत्ता सुनिश्चित तकनीकी सहायता को बढ़ाकर डिजिटल स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एक वैश्विक मंच के रूप में कार्य करती है।
वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पहल के 4 स्तंभ क्या हैं?
- देश की आवश्यकता ट्रैकर: यह स्तंभ यह सुनिश्चित करने में मदद करेगा कि डिजिटल स्वास्थ्य निवेश देशों की आवश्यकता के अनुरूप हो। यह देश की प्राथमिकताओं, जरूरतों और डिजिटल स्वास्थ्य में अंतराल पर डेटा एकत्र करके ऐसा करेगा। इस जानकारी का उपयोग डिजिटल स्वास्थ्य हस्तक्षेपों के विकास और कार्यान्वयन को सूचित करने के लिए किया जाएगा।
- देश संसाधन पोर्टल: यह स्तंभ डिजिटल स्वास्थ्य के लिए पारंपरिक और नवीन संसाधनों वाले देशों की पहचान करने और उन्हें आपस में जोड़ने में मदद करेगा। इसमें फंडिंग, तकनीकी सहायता और अन्य प्रकार की सहायता शामिल है। यह पोर्टल उपलब्ध संसाधनों पर जानकारी का एक केंद्रीय भंडारण प्रदान करके दोहराव (duplication) के जोखिम को कम करने में भी मदद करेगा।
- परिवर्तन टूलबॉक्स: यह स्तंभ देशों को उनकी डिजिटल स्वास्थ्य परिवर्तन यात्रा में सहयोग करने के लिए गुणवत्ता-सुनिश्चित उपकरण और संसाधन प्रदान करेगा। इसमें योजना, कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन के साधन शामिल हैं।
- संयोजन और ज्ञान आदान-प्रदान: यह स्तंभ डिजिटल स्वास्थ्य में वैश्विक, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय नेटवर्क में सहयोग और ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देगा।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
भारत-जापान तकनीकी कूटनीति को संचालित करने का एक ‘शानदार’ तरीका
अंतरराष्ट्रीय संबंध
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: क्वाड, सोसाइटी 5.0, सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले फैब इकोसिस्टम के लिए संशोधित कार्यक्रम
मुख्य परीक्षा: भारत-जापान संबंध, भारत-जापान तकनीकी कूटनीति, क्वाड
संदर्भ:
- भारत और जापान जुलाई 2023 में अर्धचालक पर सहयोग करने पर सहमत हुए।
- यह साझेदारी पांच क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी: सेमीकंडक्टर डिजाइन, विनिर्माण, उपकरण अनुसंधान, सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में लचीलापन स्थापित करना और प्रतिभा विकास।
भारत और जापान के बीच तालमेल क्यों है?
- आपसी सहयोग: सेमीकंडक्टर उद्योग में तेजी से विस्तार हो रहा है और विशेष चिप्स का महत्व बढ़ रहा है। जैसा कि जापान अपने सेमीकंडक्टर उद्योग को विकसित करने की आकांक्षा रखता है, तो भारत सेमीकंडक्टर उत्पादों के लिए एक तैयार बाजार प्रदान करता है। इससे भारत को चिप प्राप्तकर्ता के बजाय चिप निर्माता बनने में भी मदद मिलेगी।
- नीति: भारत की “मेक इन इंडिया” पहल और जापान की “सोसाइटी 5.0” दृष्टिकोण प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता का आह्वान करती है।
- रणनीतिक हित: आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान के कारण वैश्विक चिप की कमी हो गई है तथा भू-राजनीतिक तनाव (संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच) की स्थिति में सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला में विविधता लाने की आवश्यकता महसूस हुई है। संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान जैसे देश चीन के उदय को रोककर एक स्वतंत्र और खुले इंडो-पैसिफिक के विचार को और अधिक बढ़ावा देने के इच्छुक हैं।
- अमेरिका का चिप्स एंड साइंस एक्ट 2022 चीन सहित अमेरिका के लिए सीधा खतरा पैदा करने वाले देशों में सेमीकंडक्टर विनिर्माण सुविधाओं के विस्तार पर प्रतिबंध लगाता है।
- अमेरिका, जापान और नीदरलैंड ने उन्नत चिप्स बनाने के लिए आवश्यक चीन के सेमीकंडक्टर निर्माण सामग्री निर्यात को प्रतिबंधित कर दिया है।
- सुरक्षा: सेमीकंडक्टर तकनीक राष्ट्रीय सुरक्षा और अगली पीढ़ी के युद्ध के लिए महत्वपूर्ण है। उदाहरण के लिए, हथियार प्रणालियों, क्वांटम कंप्यूटिंग और संचार, ब्लॉकचेन और बड़े डेटा में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) उन्नत सेमीकंडक्टर चिप्स की उपलब्धता के साथ संभव है।
- मानव पूंजी: यह साझेदारी कौशल विनिमय कार्यक्रमों, कार्यशालाओं और प्रशिक्षण के माध्यम से मानव संसाधन विकास में मदद करेगी।
प्रौद्योगिकी (तकनीकी) के क्षेत्र में अग्रणी बनने के लिए भारत द्वारा की गई पहल?
- भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन पहल का हिस्सा हैं।
- सेमीकंडक्टर डिजाइन और विनिर्माण उद्योग में एक प्रमुख भागीदार के रूप में उभरने के लिए भारत द्वारा संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ साझेदारी में प्रयास किए जा रहे हैं।
- सेमीकंडक्टर अनुसंधान और विकास पर सहयोग के लिए जॉर्जिया टेक यूनिवर्सिटी के साथ समझौता।
- भारत में एक सेमीकंडक्टर इकाई तथा एक अनुसंधान और विकास केंद्र स्थापित करने के लिए माइक्रोन टेक्नोलॉजी एंड एप्लाइड मैटेरियल्स द्वारा निवेश।
- केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 76,000 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले इकोसिस्टम के विकास हेतु प्रोत्साहन के लिए “सेमीकंडक्टर्स और डिस्प्ले फैब इकोसिस्टम के लिए संशोधित कार्यक्रम” को मंजूरी दी।
- “भारत में सेमीकंडक्टर और डिस्प्ले मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम के विकास के लिए कार्यक्रम” के हिस्से के रूप में, सरकार का लक्ष्य अगले छह वर्षों में कम से कम 20 सेमीकंडक्टर डिजाइन, घटक निर्माण और डिस्प्ले फैब्रिकेशन इकाइयां स्थापित करना है।
निष्कर्ष:
- भारत-जापान साझेदारी वैश्विक सेमीकंडक्टर परिदृश्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की राह पर है।
- इस साझेदारी का वैश्विक प्रौद्योगिकी पारिस्थितिकी तंत्र और भारत-प्रशांत (इंडो-पैसिफ़िक) में भू-राजनीतिक साझेदारी के आयामों पर भी दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
सारांश: भारत और जापान सेमीकंडक्टर पर सहयोग करने पर सहमत हुए। यह साझेदारी सेमीकंडक्टर डिजाइन, विनिर्माण आदि जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी। यह भारत-प्रशांत (इंडो-पैसिफिक) में देशों के बीच रणनीतिक और आर्थिक हितों के संरेखण का संकेत है।
प्रीलिम्स तथ्य:
- विशेषाधिकार प्रस्ताव:
- सदन में कोई भी सदस्य विशेषाधिकार का प्रश्न उठा सकता है यदि वह दो शर्तों को पूरा करता हो:
- यह हाल की घटना के एक विशिष्ट मामले तक ही सीमित हो।
- इस मामले में सदन के हस्तक्षेप की आवश्यकता हो।
- अध्यक्ष/राज्यसभा सभापति किसी विशेषाधिकार प्रस्ताव की जांच का पहला स्तर है।
- वे या तो विशेषाधिकार प्रस्ताव पर स्वयं निर्णय ले सकते हैं या इसे संसद की विशेषाधिकार समिति को भेज सकते हैं।
- विशेषाधिकार प्रस्ताव की शुरुआत सदन के किसी भी सदस्य द्वारा अध्यक्ष या सभापति की सहमति से की जा सकती है।
- राज्यसभा और लोकसभा दोनों में विशेषाधिकार समितियाँ होती हैं।
- लोकसभा की विशेषाधिकार समिति में अध्यक्ष द्वारा मनोनीत 15 सदस्य होते हैं। राज्यसभा के मामले में इसमें 10 सदस्य होते हैं और इसका गठन सदन के सभापति द्वारा किया जाता है।
- जब सदन में विशेषाधिकार का प्रश्न उठाया जाता है तो उसे जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के पास भेज दिया जाता है। समिति मामले के तथ्यों की जांच करती है और निर्धारित करती है कि क्या विशेषाधिकार का उल्लंघन हुआ है। यदि समिति इस निष्कर्ष पर पहुंचती है कि विशेषाधिकार का उल्लंघन हुआ है, तो वह उचित कार्रवाई के लिए सदन को सिफारिशें करती है।
- LK-99: क्या यह एक सुपरकंडक्टर है?
- LK-99 एक भौतिक यौगिक है जिसके बारे में दावा किया गया था कि कमरे के तापमान पर इसमें सुपरकंडक्टर गुण होते हैं।
- वैज्ञानिक समुदाय ने कमरे के तापमान पर LK-99 के सुपरकंडक्टर होने के दावों का खंडन कर दिया है।
- जिस दक्षिण कोरियाई समूह ने LK-99 के खोज की घोषणा की थी, उसने अभी तक अपने निष्कर्षों को किसी सहकर्मी-समीक्षा पत्रिका में प्रकाशित नहीं किया है।
- LK-99 के सुपरकंडक्टर न होने के दो मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
- जब एक पारंपरिक सुपरकंडक्टर को उसके क्रांतिक तापमान से कम तापमान पर ठंडा किया जाता है, तो यह अपने आंतरिक भाग से सभी चुंबकीय क्षेत्रों को निष्कासित कर देता है। LK-99 किसी चुंबक को आंशिक रूप से प्रतिकर्षित कर सकता है। हालाँकि, शोधकर्ताओं ने पाया कि यह तत्व वास्तव में एक इन्सुलेटर थी, और चुंबकीय प्रतिकर्षण सामग्री में शामिल अशुद्धियों के कारण होता था।
- LK-99 की विद्युत प्रतिरोधकता लगभग 104 डिग्री सेल्सियस पर तेजी से गिरती है (विद्युत प्रतिरोधकता का गिरना सुपरकंडक्टर का संकेत है), लेकिन यह अशुद्धता के रूप में कॉपर सल्फाइड की उपस्थिति के कारण होता है जो सामग्री की प्रतिरोधकता को विकृत कर देता है।
विशेषाधिकार समिति:
प्रसंग:
कारण:
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. त्सुशिमा जलडमरूमध्य
- त्सुशिमा जलडमरूमध्य एक जलमार्ग है जो जापान सागर, पीला सागर और पूर्वी चीन सागर को जोड़ता है। यह जापानी द्वीप त्सुशिमा और कोरियाई प्रायद्वीप के बीच स्थित है।
- त्सुशिमा जलडमरूमध्य एक प्रमुख शिपिंग मार्ग है, और यह मछली पकड़ने और पर्यटन के लिए भी महत्वपूर्ण है।
2. हैती:
- यह कैरेबियन सागर और अटलांटिक महासागर के बीच स्थित एक देश है।
- मुलट्टोज एक जातीय समूह है जो इस देश से जुड़ा हुआ है।
- हैती का संबंध विवादित नवासा द्वीप से भी है। इस द्वीप पर हैती दावा करता है लेकिन वर्तमान में इस पर संयुक्त राज्य अमेरिका का नियंत्रण है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
Q1. WHO ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन (GCTM) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए
- इसका उद्देश्य वैश्विक स्वास्थ्य और सतत विकास में पारंपरिक चिकित्सा के योगदान को अनुकूलित करना है।
- इसकी स्थापना WHO द्वारा भारत सरकार के सहयोग से गुजरात के जामनगर में की गई है।
- इस केंद्र की स्थापना स्थानीय विरासत और अधिकारों के संरक्षण के सिद्धांत के अनुरूप है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नही
उत्तर: d
व्याख्या: सभी तीनों कथन सही हैं। GCTM स्थानीय विरासतों और अधिकारों का सम्मान करते हुए साक्ष्य, नवाचार और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करता है।
Q2. संसद में विशेषाधिकार प्रस्ताव और विशेषाधिकार समिति के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- विशेषाधिकार प्रस्ताव संसद के किसी भी सदस्य द्वारा लाया जा सकता है जिसे लगता हो कि विशेषाधिकार का उल्लंघन हुआ है।
- विशेषाधिकार समिति में प्रत्येक सदन से 10 सदस्य होते हैं तथा इन्हें अध्यक्ष या सभापति द्वारा मनोनीत किया जाता है।
- विशेषाधिकार समिति का कार्य मामलों की जांच करना और सिफारिशें करना है, लेकिन इसके पास लोगों को समन करने या संबंधित दस्तावेजों की जांच करने का अधिकार नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या: इसमें लोकसभा में अध्यक्ष द्वारा मनोनीत 15 सदस्य होते हैं, तथा इसके पास लोगों को समन करने और संबंधित दस्तावेजों की जांच करने का अधिकार होता है।
Q3. त्सुशिमा जलडमरूमध्य निम्नलिखित में से किन दो जल निकायों को जोड़ती है?
- पूर्वी चीन सागर और फिलीपीन सागर
- दक्षिण चीन सागर और जापान सागर
- पूर्वी चीन सागर और जापान सागर
- दक्षिण चीन सागर और फिलीपीन सागर
उत्तर: c
व्याख्या: त्सुशिमा जलडमरूमध्य उत्तर पश्चिमी प्रशांत महासागर में पूर्वी चीन सागर और जापान सागर को जोड़ता है।
Q4. निम्नलिखित में से कौन सा विकल्प ब्रिक्स प्लस संवाद के प्राथमिक उद्देश्य को सबसे अच्छी तरह से परिभाषित करता है?
- ब्रिक्स देशों तथा अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं एवं विकासशील देशों के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाना।
- ब्रिक्स देशों तथा अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं एवं विकासशील देशों के बीच राजनीतिक संबंधों को गहरा करना।
- जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद जैसे विश्वव्यापी मुद्दों का सामना करना।
- उपर्युक्त सभी।
उत्तर: d
व्याख्या: ब्रिक्स प्लस संवाद का उद्देश्य ब्रिक्स देशों तथा अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं एवं विकासशील देशों के बीच आर्थिक, राजनीतिक और वैश्विक चुनौती से संबंधित सहयोग हासिल करना है।
Q5. वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य पहल (GIDH) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह डिजिटल स्वास्थ्य 2020-2025 तथा WHO मानदंडों और मानकों पर वैश्विक रणनीति को लागू करने के लिए WHO द्वारा प्रबंधित एक नेटवर्क है।
- यह पहल सदस्य राज्यों की जरूरतों का आकलन करने, रणनीतिक उद्देश्यों की उपलब्धि का समर्थन करने और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा देने जैसे क्षेत्रों को प्राथमिकता देती है।
- यह मौजूदा प्रयासों का दोहराव करने और नए डिजिटल स्वास्थ्य उत्पाद बनाने का काम करेगा।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या: कथन 3 ग़लत है; इसका उद्देश्य प्रयासों के दोहराव और “उत्पाद-केंद्रित” डिजिटल स्वास्थ्य परिवर्तन जैसी चुनौतियों का समाधान करना है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- भारत और श्रीलंका के बीच कच्चातिवु द्वीप विवाद का परीक्षण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (GS-II; अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
- वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत करने में भारत और जापान की भूमिका का वर्णन कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (GS-II; अंतर्राष्ट्रीय संबंध)
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)