20 जुलाई 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: सुरक्षा:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: राजव्यवस्था:
शासन:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
बुर्कापाल माओवादी हमले पर फैसला:
सुरक्षा:
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौतियां पैदा करने में बाहरी राज्य और गैर-राज्य अभिनेताओं की भूमिका।
मुख्य परीक्षा: बुर्कापाल माओवादी हमले पर फैसले से सम्बंधित विवरण, आदिवासियों की गिरफ्तारी से जुड़ी चिंताएं और भावी कदम।
संदर्भ:
- छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) की एक अदालत ने वर्ष 2017 के बुर्कापाल नक्सली हमले के सिलसिले में पकड़े गए 121 आदिवासियों को बरी कर दिया है।
पृष्ठभूमि:
- अप्रैल 2017 में, एक संयुक्त गश्ती दल जिसमें केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और जिला पुलिस के 72 जवान जो बुर्कापाल में एक पुल निर्माण की रखवाली कर रहे थे,और उन पर नक्सलियों के एक बड़े समूह द्वारा घात लगाकर हमला किया गया ।
- माओवादियों ने इन जवानों पर गोलियां चलाईं और विस्फोटक फेंका जिसमें 25 सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई।
- जवानो के हताहतों के मामले में यह दूसरा सबसे घातक नक्सली हमला था।
- जांच के बाद 121 आदिवासियों और ग्रामीणों को गिरफ्तार किया गया और उन्हें प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) पार्टी से जोड़ा गया।
- सीपीआई (माओवादी) का गठन 2004 में पीपुल्स वार ग्रुप (PWG) और माओवादी कम्युनिस्ट सेंटर ऑफ इंडिया (MCCI) के विलय के बाद हुआ था।
- इन गिरफ्तार व्यक्तियों पर यह आरोप लगाया गया था कि इन्होने जवानो पर हमले की योजना बनाई थी और हमले के दौरान अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल किया था।
- इन लोगों ने कथित तौर पर डकैती भी की थी।
आरोपितों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी:
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) धाराएं:
- 120 (बी) – आपराधिक साजिश
- 147 – दंगा
- 148 – दंगा, घातक हथियारों से लैस
- 149 – गैर कानूनी सभा
- 302 – हत्या
- 307 – हत्या का प्रयास
- 396 – डकैती
- 397 – मौत या गंभीर चोट पहुंचाने के प्रयास के अतिरिक्त लूट या डकैती
- गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए), 1967 (Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA), 1967) के प्रावधान।
- छत्तीसगढ़ विशेष सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (सीएसपीएसए), 2005 के प्रावधान।
- शस्त्र अधिनियम, 1959 और विस्फोटक अधिनियम, 1908 के प्रावधान।
इन व्यक्तियों की गिरफ्तारी से जुड़ी चिंताएं:
- विशेषज्ञों ने बताया कि इन आदिवासियों को बलि का बकरा बनाया गया था क्योंकि पुलिस ने उचित जांच नहीं की थी और साथ ही घायल सीआरपीएफ कमांडो को गिरफ्तारी से पहले गवाह नहीं बनाया गया था।
- इन व्यक्तियों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के कड़े प्रावधानों के तहत आरोप लगाए गए या उनके खिलाफ बहुत कम सबूत मिलने की आलोचना भी की गई है।
- इससे पहले, आदिवासियों को एनआईए अदालत और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने जमानत देने से इनकार कर दिया था क्योंकि यूएपीए के तहत एक बार आरोपित होने के बाद जमानत मिलना बहुत मुश्किल होता है।
- इसके अलावा, उन्हें पांच साल के लिए गिरफ्तार किया गया था और इस लंबे कारावास ने उनके जीवन और उन पर निर्भर लोगों को बुरी तरह प्रभावित किया है।
- अभियोजन (prosecution) पक्ष को मामले की सुनवाई में चार साल लग गए।
- इन आदिवासी व्यक्तियों को जगदलपुर जेल में रखा गया था और परिवहन सम्पर्क से सम्बंधित समस्यायों के कारण उनके परिवार के सदस्यों और रिश्तेदारों के लिए अपने गांवों से जगदलपुर तक की यात्रा करना बहुत मुश्किल कार्य था।
- इस चरण के दौरान, एनआईए अदालत को विकेंद्रीकृत कर आगे की सुनवाई को जगदलपुर से दंतेवाड़ा स्थानांतरित कर दिया गया जिससे यह और भी कठिन हो गया।
- इस क्षेत्र के पिछड़ेपन को ध्यान में रखते हुए, तथा जागरूकता और आवश्यक सुविधाओं की कमी के कारण कानूनी सहायता प्राप्त करना भी इन व्यक्तियों के लिए एक बड़ी चुनौती थी।
हाल का फैसला:
- अदालत ने माना कि जांच अधिकारी के बयान पर्याप्त सबूतों से मेल नहीं खा रहे थे और हथियारों की जब्ती से यह साबित नहीं हुआ कि इनका इस्तेमाल आरोपीयों द्वारा किया गया था।
- इसके अलावा, अदालत ने पाया कि बड़ी संख्या में पेश किए गए गवाहों को न तो घटना की जानकारी थी और न ही उन्होंने आरोपियों की पहचान की थी।
- साक्ष्य और गवाह की कमी के कारण अभियोजन पक्ष अपने मामले को सच साबित करने में विफल रहा।
उग्रवाद की चुनौतियों से निपटने के लिए भावी कदम:
- ऐसा कहा जाता है कि माओवादी विद्रोह या आंदोलन का मुकाबला करने का सबसे कारगर तरीका कानून के शासन को बनाए रखना और उन कमजोर वर्गों का समर्थन जुटाना है, जिनके लिए विद्रोही यह लड़ाई लड़ते हैं।
- जनता के समर्थन के बिना ऐसे उग्रवादी आंदोलनों को दबाया जा सकता है।
- राज्य को ऐसे उपाय करने चाहिए जो गरीबी, आजीविका संकट और आर्थिक असमानता जैसी प्रमुख चुनौतियों का समाधान करें और आदिवासियों की भावनाओं को आहत करने से भी बचें क्योंकि माओवादी अक्सर ऐसी रणनीति का उपयोग करते हैं जो राज्य के दमन को प्रोहत्साहित करती है और यह भारतीय राज्य की वैधता पर सवाल उठाने के उनके उद्देश्य को पूरा करती है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सम्पादकीय:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
कोई आंतरिक दलीय लोकतंत्र नहीं:
विषय: संसद और राज्य विधानमंडल- संरचना, कार्य, कार्य संचालन, शक्तियां और विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: भारत में आंतरिक पार्टी लोकतंत्र का अभाव- जिम्मेदार कारक, चिंताएं और सिफारिशें।
संदर्भ:
- बोरिस जॉनसन को पार्टी के सांसदों ने ब्रिटिश कंजरवेटिव पार्टी के नेता पद से हटा दिया है। नतीजतन बोरिस जॉनसन को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा है। यह कदम ब्रिटेन में प्रधान मंत्री के मामले में आम सांसदों की शक्ति को प्रदर्शित करता है।
- इस संदर्भ में, लेखक भारतीय प्रणाली का विश्लेषण करता है।
भारतीय प्रणाली के साथ तुलना:
- यूके में अपने समकक्षों के विपरीत, भारत में सांसदों को अपने पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाने और चुनौती देने की कोई स्वायत्तता नहीं है। वास्तव में, भारत में, पार्टी के सांसदों की नियमित नीतिगत मामलों पर आधिकारिक सरकारी लाइन से थोड़ा अलग होने की क्षमता भी लगभग न के बराबर है।
- इसलिए भारत में, प्रधान मंत्री या पार्टी नेतृत्व पार्टी के सांसदों पर लगभग पूर्ण अधिकार का प्रयोग करता है।
ऐसे परिदृश्य को बढ़ाने वाले कारक:
दलबदल विरोधी कानून:
- पार्टी के दृष्टिकोण से अलग होने वाले पार्टी सांसदों को दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किए जाने की लगातार धमकी दी जा रही है। इसलिए, वे पार्टी नेतृत्व को चुनौती देने या सवाल करने में भी लगभग असमर्थ हैं।
चुनाव के लिए उम्मीदवारों के चयन की प्रक्रिया:
- यूके में, जहां सांसदों को पार्टी के नेता के द्वारा नामांकित नहीं किया जाता है, बल्कि स्थानीय निर्वाचन क्षेत्र की पार्टी द्वारा चुना जाता है। भारत में इस व्यवस्था के विपरीत आमतौर पर यह निर्णय पार्टी नेतृत्व द्वारा स्थानीय पार्टी के साथ केवल एक अनौपचारिक परामर्श के साथ उम्मीदवारों का फैसला किया जाता है। जो कि पार्टी नेतृत्व को अपने उम्मीदवारों पर नियंत्रण रखने का एक अवसर प्रदान करता है।
चिंता:
आंतरिक दलीय लोकतंत्र का अभाव:
- यह देखते हुए कि चुने गए सांसदों को सभी मुद्दों पर पार्टी नेतृत्व की लाइन पर चलना होता है। पार्टी नेतृत्व निर्वाचित प्रतिनिधियों पर पूर्ण नियंत्रण रखता है। यह आंतरिक-पार्टी लोकतंत्र की कमी के कारण होता है।
भारत में प्रतिनिधि लोकतंत्र को कमजोर करना:
- भारत में प्रतिनिधि लोकतंत्र प्रणाली एक ऐसी प्रणाली की कल्पना करती है जिसमें लोगों की आवाज उनके प्रतिनिधियों के माध्यम से सुनी जाती है। पार्टी नेतृत्व या प्रधानमंत्री के खिलाफ सांसदों को शक्तिहीन करना इस `को कमजोर करेगा।
सुझाव:
- निर्वाचित प्रतिनिधियों की तुलना में पार्टी नेतृत्व और प्रधानमंत्री को उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सशक्त बनाने पर विचार करने की आवश्यकता है।
- इस दिशा में, यूके के उस मॉडल पर विचार करने की आवश्यकता है जिसमें दल-बदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य ठहराए जाने के डर के बिना सांसद अपने नेतृत्व में अविश्वास व्यक्त कर सकते हैं। यह सांसदों को नेतृत्व पर सवाल उठाने और उनकी जवाबदेही सुनिश्चित करने का अधिकार देगा।
- इसके अलावा, दीर्घ काल में, उम्मीदवारों पर नियंत्रण केंद्रीय पार्टी के नेताओं से स्थानीय पार्टी के सदस्यों के पास स्थानांतरित होना चाहिए। इस दिशा में उपयुक्त परिवर्तन लाया जाना चाहिए। इस तरह की व्यवस्था सांसदों को सशक्त बनाने की दिशा में एक दीर्घ कालिक रास्ता तय करेगी।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शासन:
एक नया कानून जो पुराने को प्रतिबिंबित करता है:
विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप और उनके डिजाइन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: नई दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधन बिल के बारे में चिंताएं।
संदर्भ:
- केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 में परिवर्तन करते हुए एक नया मसौदा विधेयक प्रकाशित किया है।
चिंता:
पुरानी नियामक प्रणाली:
- अधिकांश देशों में अच्छी विनिर्माण प्रथाओं (GMP) के साथ विनिर्माण इकाइयों के अनुपालन के आसपास केंद्रित विनियमन की अधिक प्रभावी प्रणाली के विपरीत, भारत को अभी भी GMP को अपनी नियामक रणनीति का केंद्रबिंदु बनाना है।
- GMP के अनुपालन में निर्मित एक दवा की आंतरिक रूप से इतनी जांच होती है कि यह गुणवत्ता परीक्षणों में विफल हो जाए। इसलिए GMP के अनुपालन पर आधारित नियामक प्रणाली अधिक प्रभावी है।
- ऐसा प्रतीत होता है कि भारत में विनिर्माण इकाइयों का कोई GMP अनुपालन निरीक्षण नहीं किया गया है। साथ ही भारतीय कानून में GMP का अनुपालन करने में विफल रहने वाली दवा कंपनियों के लिए कोई आपराधिक दंड का प्रावधान नहीं है। भारतीय दवा क्षेत्र में GMP अनुपालन को मुख्यधारा में लाने में यह एक बड़ी खामी है।
- नया विधेयकमें भारत में मौजूदा नियामक प्रणाली को बदलाव का प्रावधान नहीं है।
कई नियामक एजेंसियां:
- भारत में केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) के साथ-साथ भारत में दवा विनियमन लागू करने के लिए 37 एजेंसियां हैं, प्रत्येक राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में एक।
- राज्य दवा नियंत्रक, दवा निर्माण का लाइसेंस देता हैं तथा घटिया दवाओं के लिए नमूनाकरण, परीक्षण और अभियोजन जैसी प्रवर्तन कार्रवाई करते हैं। CDSCO आयात को नियंत्रित करता है और तय करता है कि नई दवाओं को बेचने से पहले उनके पास पर्याप्त नैदानिक उपयोग के प्रमाण हैं या नहीं।
- ऐसी कई एजेंसियों के अस्तित्व में आने के कारण पूरे भारत में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट को असमान रूप से लागू किया गया है। हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में दवा निर्माण का एक बड़ा हिस्सा होने के वाबजूद शिथिल नियमन और कर में कमी होना चिंता का विषय बना हुआ है। भारत दवाओं के लिए एकल बाजार है।
- नए बिल में उपरोक्त मुद्दे से निपटने का कोई प्रावधान नहीं है।
विनियमन में लोकतांत्रिक घाटा:
- वर्तमान विनियमन व्यवस्था अनिर्वाचित नौकरशाहों और टेक्नोक्रेट्स को अविश्वसनीय मात्रा में शक्ति प्रदान करती है जिसके कारण विनियमन के दौरान लोकतांत्रिक कमी प्रदर्शित होती है। साथ ही नियमन में पारदर्शिता की कमी नौकरशाही की जवाबदेही को कमजोर करती है।
- पारदर्शिता के इस अहम मुद्दे पर नया कानून खामोश है।
सिफारिशें:
- नई औषधि, चिकित्सा उपकरण और प्रसाधन सामग्री विधेयक पुराना लगता है और इसे पुनः संशोधित करने की आवश्यकता है। इस दिशा में लेखक निम्नलिखित सिफारिशें करता है।
नियामक संरचना को कारगर बनाना:
- इस क्षेत्र के लिए भारत में एक एकीकृत नियामक संरचना की आवश्यकता है।
- माशेलकर समिति ने 2003 में केंद्रीय नियामक के साथ दवा लाइसेंसिंग को केंद्रीकृत करने की सिफारिश की थी।
पारदर्शिता बढ़ाना:
- विनियमन से संबंधित सभी महत्वपूर्ण सूचनाओं का सक्रिय प्रकटीकरण होना चाहिए।
- नई दवाओं के अनुमोदन में, नैदानिक परीक्षण डेटा सहित सभी डेटा का खुलासा किया जाना चाहिए। दवाओं की जांच रिपोर्ट प्रत्येक नागरिक के लिए सुलभ होनी चाहिए। GMP अनुपालन के लिए निरीक्षण रिपोर्ट भी आम जनता के लिए सुलभ होनी चाहिए।
- इस तरह की पारदर्शिता न केवल जवाबदेही सुनिश्चित करने में मदद करेगी बल्कि नियामक में जनता का विश्वास भी पैदा करेगी।
जन भागीदारी सुनिश्चित करना:
- नियामक प्रणाली को निर्णय लेने में लोगों की भागीदारी के अवसर सुनिश्चित करने चाहिए। लोगों तक सूचना की पहुंच सुनिश्चित करने के अलावा, कानूनी रास्ते बनाने की भी आवश्यकता है, ताकि नागरिक नियामक प्रक्रिया में भाग ले सकें साथ ही अधिक से अधिक जन सुनवाई आयोजित करना तथा नागरिकों की याचिकाओं को स्वीकृति प्रदान करना चाहिए।
सारांश:
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प्रीलिम्स तथ्य:
1. राष्ट्रीय प्रतीक (National Emblem):
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
विषय: भारत का संविधान – ऐतिहासिक आधार और विशेषताएं।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय प्रतीक और “सारनाथ का लायन कैपिटल”।
संदर्भ:
- प्रधान मंत्री ने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के हिस्से के रूप में बनाए जा रहे नए संसद भवन के ऊपर राष्ट्रीय प्रतीक का अनावरण किया हैं।
भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक:
Source – https://knowindia.gov.in/
- भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक का प्रतिनिधित्व चार एशियाई शेरों द्वारा किया जाता है, जिसमें तीन शेर नग्न आंखों वाले हैं और चौथा शेर हमेशा सामान्यतौर पर दिखाई नहीं देता है।
- इस प्रतीक को मौर्य सम्राट अशोक के”सारनाथ के लायन कैपिटल” से लिया गया है।
- सारनाथ स्थित ‘लायन कैपिटल ऑफ अशोक’ 26 जनवरी, 1950 को आधिकारिक तौर पर भारत का राष्ट्रीय प्रतीक बनाया गया था ।
- यह प्रतीक स्वतंत्र राष्ट्र की शक्ति, साहस और आत्मविश्वास को प्रदर्शित करता है।
- यह प्रतीक देवनागरी लिपि में लिखे गए “सत्यमेव जयते” (सदा सत्य की विजय होती हैं) शब्दों के साथ एक द्वि-आयामी मूर्तिकला को दर्शाता है जो मुंडक उपनिषद से लिया गया है।
- ‘लायन कैपिटल ऑफ अशोक’ की छोटी मूर्तियों को एक छोटे आधार पर स्थापित किया गया हैं,जिसमें एक घोड़ा, एक शेर, एक बैल और एक हाथी भी शामिल है जो एक दक्षिणावर्त दिशा में घूम रहा है, जिसे एक पहिये द्वारा अलग किया गया है, जो बौद्ध धर्म के धर्मचक्र का प्रतिनिधित्व करता है।
- प्रत्येक पहिये में 24 तीलियाँ हैं, और बाद में इसे राष्ट्रीय ध्वज के हिस्से के रूप में अपनाया गया।
- प्रसिद्ध कलाकार नंदलाल बोस के पांच छात्रों ने इस प्रतीक को बनाया।
- भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए: The Indian National Emblem
सारनाथ स्थित ‘लायन कैपिटल ऑफ अशोक’:
- यह संरचना सात फीट लंबी और पॉलिश बलुआ पत्थर से निर्मित की गई है ।
- इसका निर्माण 250 ईसा पूर्व में गौतम बुद्ध के पहले उपदेश के उपलक्ष्य में किया गया था, जहाँ उनके बारे में कहा जाता है कि वहां उन्होंने “जीवन के चार महान सत्य” साझा किए थे।
- यह साहस, शक्ति और गर्व का प्रतिनिधित्व करता है।
- चारों प्राणियों को चारों दिशाओं का संरक्षक कहा गया है।
- मण्ड ( abacus) एक उल्टे कमल पर अवस्थित हैं, जो बौद्ध धर्म का प्रतीक है।
- चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने लेखन में अशोक के सिंह स्तंभ का विस्तृत विवरण दिया है।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. गत वर्ष 1.6 लाख से ज्यादा भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी:
- गृह मंत्रालय ने कहा कि वर्ष 2021 में करीब 1.6 लाख भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़ी हैं,जो पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा है।
- 78,000 से अधिक भारतीयों ने अमेरिकी नागरिकता हासिल कर ली है, जो अन्य सभी देशों की तुलना में सबसे अधिक है, इसके बाद ऑस्ट्रेलिया (23,533), कनाडा (21,597), यूके (14,637), इटली (5,986), नीदरलैंड (2187), न्यूजीलैंड (2643), सिंगापुर ( 2516), चीन (362), पाकिस्तान (41) और नेपाल (10) है ।
- भारत में नागरिकता के बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए:Citizenship in India
2. भारतीयों में कट्टरता बहुत कम : गृह मंत्रालय
- गृह मंत्रालय ने कहा कि वैश्विक आतंकवादी समूह और विदेशी एजेंसियां लोगों को कट्टरपंथी बनाने की कोशिश कर रही हैं,लेकिन देश की आबादी की तुलना में कट्टरपंथी विचारधाराओं की ओर आम जन का झुकाव बहुत कम है।
- सरकार ने कट्टरपंथी विचारधाराओं के झुकाव को रोकने के लिए कई उपाय किए हैं जैसे कि मिश्रित संस्कृति को बढ़ावा देना और विभिन्न समुदायों के बीच सह-अस्तित्व और अल्पसंख्यकों के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपाय करना।
इसमें निम्न उपाय शामिल हैं:
- विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं का बिना किसी भेदभाव के सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करने के प्रयास।
- जीवन के सभी क्षेत्रों में अल्पसंख्यकों और अन्य कम प्रतिनिधित्व वाले समुदायों का उचित प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने के लिए संस्थागत प्रयास।
- अल्पसंख्यक समुदायों के लिए विकास कार्यक्रमों की समग्र नीति, समन्वय, मूल्यांकन और समीक्षा के लिए एक विशेष अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की स्थापना।
- इसके अलावा, विभिन्न सुरक्षा प्रवर्तन एजेंसियों के साथ मदद और समन्वय करने के लिए मंत्रालय के तहत एक काउंटर टेररिज्म एंड काउंटर रेडिकलाइजेशन डिवीजन (Counter Terrorism and Counter Radicalisation Division) की स्थापना की गई है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारतीय नागरिकता के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – सरल)
- जब कोई व्यक्ति अपनी नागरिकता छोड़ देता है, तो उस व्यक्ति का प्रत्येक नाबालिग बच्चा भी भारतीय नागरिकता खो देता है। हालाँकि, जब ऐसा बच्चा 18 वर्ष का होता है, तो वह भारतीय नागरिकता पुनः प्राप्त कर सकता है।
- भारत सरकार एक भारतीय नागरिक की नागरिकता समाप्त कर सकती है यदि पंजीकरण या देशीयकरण के 5 वर्ष के भीतर, किसी नागरिक को किसी भी देश में 2 साल के कारावास की सजा सुनाई गई हो।
- पूर्ण आयु और योग्यता वाला भारत का कोई भी नागरिक भारतीय नागरिकता का परित्याग करने की घोषणा कर सकता है लेकिन युद्ध के दौरान ऐसी घोषणा को स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: जब कोई व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं रह जाता है, तो उसका प्रत्येक अवयस्क बच्चा भी भारत का नागरिक नहीं रह जाता है।
- हालाँकि, ऐसा बच्चा 18 वर्ष की आयु प्राप्त करने के एक वर्ष के भीतर भारतीय नागरिकता ग्रहण करने के अपने इरादे की घोषणा कर भारतीय नागरिक बन सकता है।
- कथन 2 सही है: नागरिकता अधिनियम, 1955 के अनुसार, केंद्र सरकार, आदेश द्वारा, ऐसे किसी भी नागरिक को भारतीय नागरिकता से वंचित कर सकती है,अगर उस नागरिक को पंजीकरण या देशीयकरण की पांच साल की अवधि के भीतर, किसी भी देश में कम से कम दो साल की कारावास की सजा सुनाई गई हो।
- कथन 3 सही है: पूर्ण आयु और योग्यता वाला भारत का कोई भी नागरिक भारतीय नागरिकता का परित्याग करने की घोषणा कर सकता है लेकिन युद्ध के दौरान ऐसी घोषणा मान्य नहीं होगी।
प्रश्न 2. भारतीय श्रम शक्ति के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सभी आयु समूहों में पुरुषों की तुलना में महिलाएं अधिक अंशकालिक काम करती हैं।
- अखिल भारतीय स्तर पर 3 वर्ष से कम आयु के कम से कम एक बच्चे वाले परिवार में रहने वाली 25-49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं की रोजगार दर 2017-18 से 2019-20 के दौरान 3 साल से कम उम्र के बिना बच्चे वाले घर की महिलाओं की रोजगार दर से कम है।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न हीं 2
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी नवीनतम श्रम संकेतकों के अनुसार, ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में सभी आयु समूहों में पुरुषों की तुलना में अधिक महिलाएं अंशकालिक कार्य करती हैं।
- कथन 2 सही है: अखिल भारतीय स्तर पर 3 वर्ष से कम आयु के कम से कम एक बच्चे वाले परिवार में रहने वाली 25-49 वर्ष की आयु वर्ग की महिलाओं की रोजगार दर 2017-18 से 2019-20 के दौरान 3 साल से कम उम्र के बिना बच्चे वाले घर की महिलाओं की रोजगार दर से कम है।
- हालांकि, पुरुषों के लिए, घरों में 3 साल से कम उम्र के बच्चे की उपस्थिति से उनकी रोजगार दर पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
प्रश्न 3. भारत के राष्ट्रीय प्रतीक के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- चार एशियाई शेर राष्ट्रीय प्रतीक का हिस्सा हैं, जिसमें तीन शेर नग्न आंखों से दिखाई देते हैं और चौथा हमेशा सामान्य रूप से दिखाई नहीं देता हैं।
- चीनी यात्री फाह्यान ने अपने लेखन में अशोक के सिंह स्तंभ का विस्तृत विवरण दिया है।
- प्रसिद्ध कलाकार नंदलाल बोस के पांच छात्रों इनमें जगदीश मित्तल, कृपाल सिंह शेखावत, गौरी भांजा और दीनानाथ भार्गव शामिल थे, ने प्रतीक निर्मित किया।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: c
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक चार एशियाई शेरों द्वारा दर्शाया गया है जिसमें तीन शेर नग्न आंखों से दिखाई दे रहे हैं और चौथा हमेशा सामान्य दृश्य से छिपा हुआ है।
- कथन 2 सही नहीं है: चीनी यात्री ह्वेनसांग ने अपने लेखन में अशोक के सिंह स्तंभ का विस्तृत विवरण लिख छोड़ा है।
- कथन 3 सही है: प्रसिद्ध कलाकार नंदलाल बोस के पांच छात्रों ने प्रतीक बनाया। इनमें जगदीश मित्तल, कृपाल सिंह शेखावत, गौरी भांजा और दीनानाथ भार्गव शामिल थे।
प्रश्न 4. प्राचीन भारतीय ग्रंथों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)
- यज्ञ अनुष्ठानों में विभिन्न आकारों में वेदियों (वेदी) और फायरप्लेस (अग्नि) का निर्माण शामिल था जैसे कि समद्विबाहु त्रिभुज, सममित समलंब और आयत।
- सुल्बसूत्र में इन आकृतियों के निर्धारित आकार के निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन हैं।
- सुल्बसूत्र (लगभग 800 ईसा पूर्व के सबसे पुराने) में पाइथागोरस की प्रमेय,पाइथागोरस त्रिगुणों के उदाहरण और उनके उपयोग का विवरण है।
सही कथन का चयन कीजिए:
(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2 और 3
(c) केवल 1 और 3
(d) उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: यज्ञ अनुष्ठानों में विभिन्न आकारों जैसे समद्विबाहु त्रिभुज, सममित समलंब और आयतों में वेदियों (वेदी) और फायरप्लेस (अग्नि) का निर्माण शामिल था।
- कथन 2 सही है: सुल्बसूत्र में इन आकृतियों के निर्धारित आकार के निर्माण की प्रक्रिया का वर्णन हैं।
- कथन 3 सही है: बौधायन सुल्बसूत्र, जिसे लगभग 800 ईसा पूर्व का कहा जाता है, में एक कथन है जिसे पाइथागोरस प्रमेय कहा जाता है।
प्रश्न 5. ‘‘त्वरित वित्तीयन प्रपत्र (Rapid Financing Instrument)’’ और ‘‘त्वरित ऋण सुविधा (Rapid Credit Facility)’’, निम्नलिखित में किस एक के द्वारा उधार दिए जाने के उपबंधों से संबंधित हैं? (स्तर – सरल)
(a) एशियाई विकास बैंक
(b) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
(c) संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम वित्त पहल
(d) विश्व बैंक
उत्तर: b
व्याख्या:
- ‘‘त्वरित वित्तीयन प्रपत्र (Rapid Financing Instrument)’’ : यह अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की एक उधार सुविधा है जो तेजी से वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- यह भुगतान संतुलन की तत्काल आवश्यकता का सामना कर रहे सभी सदस्य देशों के लिए उपलब्ध है।
- सदस्य देशों की विविध जरूरतों को पूरा करने के लिए आईएमएफ की वित्तीय सहायता को और अधिक लचीला बनाने के लिए आरएफआई को व्यापक सुधार के हिस्से के रूप में बनाया गया था।
- आईएमएफ की ‘‘त्वरित ऋण सुविधा (Rapid Credit Facility)’’ पूर्वव्यापी शर्त के भुगतान संतुलन (बीओपी) की आवश्यकता का सामना कर रहे हैं, जहां एक पूर्ण आर्थिक कार्यक्रम न तो आवश्यक है और न ही संभव है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. माओवादियों के खिलाफ लड़ाई में आदिवासियों को गलत तरीके से बंदी बनाना एक आत्म-पराजय चाल है। कथन का परीक्षण कीजिए। (10 अंक, 150 शब्द) (जीएस-3; सुरक्षा)
प्रश्न 2. भारत में राजनीतिक दलों के आंतरिक कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी, संसदीय लोकतंत्र के स्थिर कामकाज पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं जिसके गंभीर परिणाम होते हैं। चर्चा कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (जीएस -2; राजनीति)