A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: अंतर्राष्ट्रीय संबंध
भारतीय राजव्यवस्था
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था एवं शासन
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
पीएम मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे से मुलाकात कर तमिलों की आकांक्षाएं बताई
विषय: भारत और उसके पड़ोसी-संबंध
प्रारंभिक परीक्षा: सागर, हिंद महासागर में श्रीलंका
मुख्य परीक्षा:भारत-श्रीलंका संबंध, पड़ोसी प्रथम नीति, हिंद महासागर क्षेत्र
प्रसंग:
- भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे का भारत में स्वागत किया.
सहयोग के क्षेत्र:
समान दृष्टिकोण:
- भारत और श्रीलंका ने दोनों देशों के बीच समुद्री, ऊर्जा और लोगों से लोगों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए एक विज़न दस्तावेज़ को अपनाया।
- यह भारत की ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति और SAGAR (क्षेत्र में सभी की सुरक्षा और विकास) विजन में एक प्रमुख स्तंभ के रूप में श्रीलंका की स्थिति के अनुरूप है।
आधारभूत संरचना:
- उद्योग और ऊर्जा के क्षेत्रीय केंद्र के रूप में त्रिंकोमाली बंदरगाह और उसके आसपास के क्षेत्रों का विकास।
पुनर्रचना एवं सुलह:
- प्रधान मंत्री ने श्रीलंका से तेरहवें संशोधन को लागू करने तथा अपनी तमिल आबादी के लिए गरिमा और सम्मान का जीवन सुनिश्चित करने का आह्वान किया।
- तेरहवां संशोधन भारत-श्रीलंका समझौते 1987 के बाद से चर्चा में है। इसका उद्देश्य देश के सामने आने वाले राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों का समाधान करना था।
- इस संशोधन में श्रीलंका में एक प्रांतीय परिषद प्रणाली की मांग की गई है तथा यह भूमि, कानून प्रवर्तन, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कृषि, आवास और वित्तीय प्रबंधन जैसे क्षेत्रों में प्रांतों को महत्वपूर्ण शक्तियां प्रदान करता है। सत्ता के इस हस्तांतरण का उद्देश्य क्षेत्रीय स्वायत्तता को बढ़ावा देना तथा देश में अल्पसंख्यक समुदायों, विशेषकर श्रीलंकाई तमिलों की चिंताओं को दूर करना था।
- इसे अभी भी पूरी तरह से लागू किया जाना बाकी है। राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने श्रीलंका के विकास के लिए अपनी सरकार की प्रतिबद्धता व्यक्त की, जिससे श्रीलंकाई समाज के सभी वर्गों को लाभ होगा।
कनेक्टिविटी:
- प्रधान मंत्री ने तमिलनाडु के नागापट्टिनम और उत्तरी श्रीलंका के कांकेसंथुराई को जोड़ने के लिए एक यात्री नौका सेवा शुरू करने, साथ ही एक भूमि पुल और पेट्रोलियम पाइपलाइन के निर्माण के लिए व्यवहार्यता अध्ययन की भी घोषणा हुई।
- भारत और श्रीलंका दक्षिण भारत को त्रिंकोमाली, बट्टीकलोआ और अन्य गंतव्यों से जोड़ने की संभावनाएं भी तलाश रहे हैं।
- दोनों नेताओं ने चेन्नई – जाफना हवाई कनेक्टिविटी का आर्थिक विकास पर इसके प्रभाव को देखते हुए स्वागत किया।
विकासात्मक सहायता:
- भारत ने श्रीलंका में भारतीय मूल के तमिल समुदाय हेतु विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए ₹75 करोड़ की घोषणा की है।
आर्थिक सहयोग:
- श्रीलंका में भारत के यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) की स्वीकृति की सुविधा हेतु लंका पे और ECI इंटरनेशनल के बीच डिजिटल लेनदेन के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
मछुआरों का मुद्दा:
- दोनों पक्षों ने मछुआरों के मुद्दे पर चर्चा की और इस मामले को “मानवीय दृष्टिकोण” से देखने का आग्रह किया।
- मछली पकड़ने के क्षेत्रीय अधिकारों पर असहमति, बॉटम ट्रोलिंग के कारण आर्थिक और पर्यावरणीय क्षति, भारतीय मछुआरों पर श्रीलंकाई नौसेना द्वारा बल का प्रयोग स्थायी समाधान के लिए रखे जाने वाले प्रमुख मुद्दे रहे हैं।
लोगों से लोगों की कनेक्टिविटी:
- रामायण ट्रेल और बौद्ध-हिंदू तीर्थ सर्किट को बढ़ावा देने पर भी चर्चा की गई।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारतीय राजव्यवस्था:
राष्ट्रीय महिला आयोग और मणिपुर संकट
विषय: वैधानिक, नियामक और विभिन्न अर्ध-न्यायिक निकाय।
प्रारंभिक परीक्षा:राष्ट्रीय महिला आयोग, संरचना और अधिदेश
मुख्य परीक्षा:महिलाओं के मुद्दों के समाधान में NCW की भूमिका
प्रसंग:
राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) को मणिपुर में एक घटना के बारे में सूचित किया गया। इस घटना का एक वीडियो 19 जुलाई को सोशल मीडिया पर साझा किया गया वहीं एक महीने से अधिक समय पहले 12 जून को महिलाओं को नग्न घुमाने की घटना हुई थी और उन पर बेरहमी से हमला किया गया था।
राष्ट्रीय महिला आयोग:
- राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना जनवरी 1992 में राष्ट्रीय महिला आयोग अधिनियम, 1990 के तहत एक वैधानिक निकाय के रूप में की गई थी।
सदस्य:
- राष्ट्रीय महिला आयोग का गठन केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है और इसमें एक अध्यक्ष और पांच सदस्य होते हैं। सदस्यों को केंद्र सरकार द्वारा नामित किया जाता है और उनके पास कानून, ट्रेड यूनियनवाद, उद्योग, सामाजिक कल्याण और प्रशासन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में अनुभव होता है और आयोग में कम से कम एक सदस्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति से होते हैं।
कार्य:
- संविधान और अन्य कानूनों के तहत महिलाओं के लिए प्रदान किए गए सुरक्षा उपायों से संबंधित सभी मामलों की जांच और परीक्षण करना।
- महिलाओं से संबंधित संविधान और अन्य कानूनों के प्रावधानों के उल्लंघन के मामलों को उचित प्राधिकारियों के समक्ष उठाना।
- शिकायतों पर गौर करना और महिलाओं के अधिकारों के उल्लंघन, कानूनों के गैर-कार्यान्वयन, नीतिगत निर्णयों, दिशानिर्देशों या निर्देशों का अनुपालन न करने से संबंधित मामलों का स्वत: संज्ञान लेना और मुद्दों को उचित अधिकारियों के पास उठाना।
- जेलों, रिमांड होम, महिला संस्थान, या हिरासत के अन्य स्थानों का निरीक्षण करना जहां महिलाओं को कैदी के रूप में रखा जाता है और यदि आवश्यक हो तो उपचारात्मक कार्रवाई के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क करना।
समस्याएँ:
- इसकी कोई वास्तविक विधायी शक्तियाँ नहीं होती हैं। इसके पास केवल संशोधन का सुझाव देने और रिपोर्ट प्रस्तुत करने की शक्तियाँ हैं जो राज्य या केंद्र सरकार पर बाध्यकारी नहीं होती हैं।
- इसके पास अपने सदस्यों को चुनने की शक्ति नहीं होती है। सदस्यों का चयन करने की शक्ति केंद्र सरकार के पास निहित है और देश के अस्थिर राजनीतिक परिदृश्य की प्रकृति के कारण आयोग का राजनीतिकरण हो जाता है।
- यह केंद्र सरकार की वित्तीय सहायता पर निर्भर रहती है और इससे आयोग की स्वतंत्रता से समझौता हो सकता है।
सारांश: NCW के पास महिलाओं के अधिकारों से संबंधित सभी मामलों की जांच और परीक्षण करने एवं उचित अधिकारियों के सामने मामलों को उठाने का अधिकार होता है। हालाँकि, आयोग के पास वास्तविक विधायी शक्तियों का अभाव है, इसका राजनीतिकरण किया गया है, और यह केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता पर निर्भर है, जिससे इसकी स्वतंत्रता से समझौता हो सकता है। |
संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
राजव्यवस्था एवं शासन
जमानत को लेकर समुचित दृष्टिकोण
विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्यप्रणाली
प्रारंभिक परीक्षा: दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), जमानत प्रक्रिया
मुख्य परीक्षा:आपराधिक न्याय सुधार, मौलिक अधिकार
प्रसंग: उच्चतम न्यायालय ने तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत दे दिया है।
उच्चतम न्यायालय का अवलोकन:
- न्यायालयों को जमानत पर विचार करते समय सामान्य समझ और निष्पक्षता का प्रयोग करना चाहिए तथा किसी को सिर्फ इसलिए जेल में नहीं रखना चाहिए क्योंकि पुलिस उनका विरोध करती है।
- न्यायालय ने पाया कि सीतलवाड़ को न्यायिक हिरासत में रखने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि मामला मुख्य रूप से दस्तावेजी साक्ष्य पर निर्भर करता है जो आरोप पत्र का हिस्सा है।
- न्यायालय ने कहा कि जमानत का आदेश तब तक आदर्श होना चाहिए जब तक कि आरोपी के मुकदमे से बचने, सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने आदि की संभावना न हो।
- अपराध की गंभीरता पर ही एकमात्र विचार नहीं किया जाना चाहिए और यह जमानत पर विचार करने के कारकों में से केवल एक है।
आपराधिक न्याय डेटा:
- वर्तमान में भारत में, जेल में बंद आबादी में से 77% विचाराधीन कैदी हैं – जिसका अर्थ है कि उन्हें किसी अपराध के लिए दोषी नहीं ठहराया गया है।
- विचाराधीन कैदियों की हिरासत की अवधि भी बढ़ रही है, जिससे पता चलता है कि मुकदमों में अधिक समय लग रहा है या कम मामलों में जमानत दी जा रही है।
जमानत पर दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC):
- दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) “जमानत” को परिभाषित नहीं करती है, लेकिन भारतीय दंड संहिता (IPC) के तहत अपराधों को जमानती या गैर-जमानती के रूप में वर्गीकृत करती है।
- दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) मजिस्ट्रेटों को अधिकार के तौर पर जमानती अपराधों के लिए जमानत देने का अधिकार देता है, जिसमें मुचलके के बिना या उसके साथ जमानत बांड पर रिहाई शामिल है। गैर-जमानती अपराध संज्ञेय होते हैं, जिससे पुलिस अधिकारियों को बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार मिलता है, और एक मजिस्ट्रेट यह निर्धारित करेगा कि आरोपी जमानत पर रिहाई के लिए उपयुक्त है या नहीं।
जमानत सुधारों पर उच्चतम न्यायालय का पूर्व दृष्टिकोण:
- न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि गिरफ्तारी एक कठोर उपाय है जिसका उपयोग संयम से किया जाना चाहिए, विशेष रूप से गैर-संज्ञेय अपराधों के लिए (ऐसे अपराध जिनके लिए पुलिस को बिना वारंट के गिरफ्तार करने का अधिकार नहीं है)।
- मौलिक अधिकारों का उल्लंघन: न्यायालय ने न्यायालय के निर्णयों में एकरूपता और निश्चितता के महत्व को रेखांकित किया। एकरूपता के अभाव से भारत के संविधान के अनुच्छेद 14 और 15 का उल्लंघन हो सकता है।
- अंधाधुंध गिरफ्तारियों को सीमित करने की आवश्यकता: न्यायालय ने कहा कि बहुत अधिक गिरफ्तारियों की संस्कृति, विशेष रूप से गैर-संज्ञेय अपराधों के लिए, अनुचित है और इस बात पर जोर दिया कि संज्ञेय अपराधों के लिए भी गिरफ्तारी अनिवार्य नहीं है।
- जमानत आवेदनों पर जोर कम किया जा सकता है: न्यायालय ने कहा कि निचली अदालतों को नियमित रूप से जमानत देने पर विचार करना चाहिए और जमानत आवेदनों पर जोर कम किया जा सकता है।
- जमानत पर अलग कानून: न्यायालय ने यह भी कहा कि अंधाधुंध गिरफ्तारियों के मुद्दे का निराकरण करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि आरोपियों के साथ एक ही या अलग-अलग न्यायालयों द्वारा अलग-अलग व्यवहार न किया जाए, जमानत के लिए एक अलग कानून आवश्यक है। न्यायालय ने इस बात पर जोर दिया कि यूनाइटेड किंगडम का जमानत अधिनियम, 1976, भारत में जमानत सुधार के लिए एक अच्छा मॉडल प्रदान करता है।
केस स्टडी : यूनाइटेड किंगडम का जमानत अधिनियम, 1976 जब तक निर्दिष्ट न हो, जमानत का “सामान्य अधिकार” प्रदान करता है। जमानत को अस्वीकार करने के मामले में, अभियोजन पक्ष को यह विश्वास कराने के लिए आधार दिखाना होगा कि प्रतिवादी आत्मसमर्पण नहीं करेगा, अपराध नहीं करेगा, या न्याय में बाधा नहीं डालेगा।
सारांश: उच्चतम न्यायालय ने जमानत के फैसलों में निष्पक्षता और न्याय की जरूरत पर जोर देते हुए तीस्ता सीतलवाड़ को जमानत दे दी है। आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधारों में जमानत निर्णयों के लिए एक समान दृष्टिकोण और जमानत आवेदनों पर जोर कम करना शामिल होना चाहिए। यूनाइटेड किंगडम के जमानत अधिनियम, 1976 का केस स्टडी भारत में जमानत सुधार के लिए एक अच्छा मॉडल प्रदान करता है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
राजव्यवस्था एवं शासन
इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने से मणिपुर में शांति बहाल नहीं होगी
विषय: भारतीय संविधान: विशेषताएँ एवं महत्वपूर्ण प्रावधान
प्रारंभिक परीक्षा: दूरसंचार सेवाओं का अस्थायी निलंबन नियम, 2017
मुख्य परीक्षा:इंटरनेट शटडाउन, मणिपुर में संकट के सुरक्षा निहितार्थ, मौलिक अधिकार, अनुराधा भसीन मामला
प्रसंग:
- मणिपुर राज्य 3 मई, 2023 से हिंसक अशांति के दौर का सामना कर रहा है। इस मुद्दे ने 19 जुलाई को देश भर का ध्यान अपनी ओर खींचा जब मणिपुर में भीड़ द्वारा की गई यौन हिंसा वाला एक वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
इंटरनेट शटडाउन की भूमिका
- मणिपुर में लगभग 2.2 मिलियन लोग इंटरनेट से जुड़े हैं (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण से प्राप्त डेटा)। इनमें इंटरनेट का उपयोग मुख्य रूप से स्मार्टफोन के माध्यम से किया जाता है।
- आदेश मणिपुर के आयुक्त द्वारा दूरसंचार सेवाओं के अस्थायी निलंबन नियम, 2017 के तहत जारी किए गए थे। केंद्र सरकार, राज्य सरकार और जिले सार्वजनिक आपात स्थिति के मामले में इन नियमों के तहत आदेश जारी करने के लिए अधिकृत होते हैं।
- आलोचकों का कहना है कि अधिकारियों ने बिना किसी तथ्यपूर्ण डेटा के इंटरनेट शटडाउन को उचित ठहराने के लिए अस्पष्ट भाषा का प्रयोग किया, ताकि यह दिखाया जा सके कि इंटरनेट शटडाउन ने हिंसा को रोका है।
- यह अनुराधा भसीन बनाम भारत संघ मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों का भी उल्लंघन है।
- बंद के कारण मणिपुर में लोगों को कठिनाइयों का सामना करने की रिपोर्टें सामने आई हैं, जैसे कि छात्रों के पास पैसे खत्म हो गए हैं और निवासी राहत शिविरों में इवेक्युएशन के लिए आवेदन करने में असमर्थ हैं।
न्यायिक प्रतिक्रिया
- इंटरनेट शटडाउन के आदेशों को चुनौती देते हुए मणिपुर उच्च न्यायालय में याचिकाएँ दायर की गई हैं।
- मणिपुर उच्च न्यायालय ने इंटरनेट सेवाओं की आंशिक बहाली का आदेश दिया है, लेकिन शटडाउन आदेशों की वैधता पर फैसला नहीं सुनाया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि न्यायालय पहले यह आकलन करना चाहती है कि क्या जनता के लिए इंटरनेट सेवाओं का सीमित उपयोग प्रदान करना संभव है।
- अनुराधा भसीन मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले के परिणामस्वरूप किसी भी मामले में इंटरनेट पहुंच बहाल नहीं हुई। न्यायालय ने सरकार से केवल इंटरनेट शटडाउन के सभी आदेशों की समीक्षा करने को कहा। पारदर्शिता के लिए कोर्ट के निर्देशों को अब तक लागू नहीं किया गया है.
- न्यायालय के फैसले ने “सीमित इंटरनेट शटडाउन” के लिए अधिक लचीलापन भी तैयार किया। इसका अर्थ यह है कि सरकार अब केवल सरकारी वेबसाइटों, स्थानीय/सीमित ई-बैंकिंग सुविधाओं, अस्पतालों की सेवाओं और अन्य आवश्यक सेवाओं तक इंटरनेट की पहुंच को सीमित कर सकती है।
उच्च न्यायालय के आदेश का प्रभाव
- मणिपुर उच्च न्यायालय ने कुछ प्रतिबंधों के साथ लीज्ड लाइनों, वायर्ड लाइनों और मोबाइल इंटरनेट के लिए इंटरनेट तक अस्थायी पहुंच की अनुमति दे दी है। लीज्ड लाइनों का उपयोग आमतौर पर सार्वजनिक विभागों और कॉर्पोरेट कार्यालयों द्वारा किया जाता है, जबकि वायर्ड लाइन सेवाओं के लिए हस्ताक्षरित वचन पत्र देना होता है तथा सोशल मीडिया, VPN आदि पर प्रतिबंध होता है।
भावी कदम
- सीमित पहुंच से पता चलता है कि मणिपुर में पूर्ण इंटरनेट पहुंच पर प्रतिबंध अभी भी जारी है और उच्चतम न्यायालय ने इस मामले पर अभी तक निर्णय नहीं दिया है।
- इंटरनेट पर प्रतिबंध से गलत सूचनाएं कम होने के बजाय अधिक फैलती हैं।
- प्रेस रिपोर्ट से पता चलता है कि गलत सूचना के कारण कुकी-ज़ो महिलाओं के विरुद्ध यौन हिंसा हुई।
- सत्य, न्याय और सामंजस्य सुनिश्चित करने हेतु राज्य और केंद्र सरकारों को उत्तरदायी बनाए रखने के लिए सूचना का प्रसार महत्वपूर्ण है।
- सरकार की ओर से जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए अनुराधा भसीन मामले में जारी दिशानिर्देशों का अद्यतन और सुधार एक बेहतर कदम हो सकता है।
सारांश: मणिपुर राज्य 3 मई, 2023 से हिंसक अशांति के दौर का सामना कर रहा है। तब से राज्य में इंटरनेट बंद कर दिया गया है, और आलोचकों का कहना है कि इससे केवल गलत सूचना फ़ैली है और लोगों के लिए आवश्यक सेवाओं तक पहुंच कठिन हो गई है। मणिपुर उच्च न्यायालय ने इंटरनेट सेवाओं की आंशिक बहाली का आदेश दिया है, लेकिन न्याय और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय को कदम उठाने की आवश्यकता है। |
प्रीलिम्स तथ्य:
1. CBSE का कहना है कि किसी भी भारतीय भाषा को वैकल्पिक माध्यम के रूप में उपयोग करें
विषय:स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधन से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020
प्रसंग: केंद्र सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सिफारिशों के हिस्से के रूप में इन सिद्धांतों को अपनाने की कोशिश कर रही है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 का लक्ष्य 2030 तक पूर्व-प्राथमिक से माध्यमिक स्तर तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक सार्वभौमिक पहुंच सुनिश्चित करके भारत की शिक्षा प्रणाली को उन्नत करना है।
- यह नीति बहुभाषावाद पर जोर देती है और भारतीय भाषाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। कम से कम ग्रेड 5 तक शिक्षा का माध्यम घरेलू भाषा/मातृभाषा/स्थानीय भाषा/क्षेत्रीय भाषा होगी।
- यह नीति मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (numeracy) पर भी ध्यान केंद्रित करती है, और मूल्यांकन सुधार के लिए एक नया राष्ट्रीय मूल्यांकन केंद्र, PARAKH स्थापित किया जाएगा।
- इस नीति का लक्ष्य 2035 तक उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (GER) को 50% तक बढ़ाना है।
- केंद्र और राज्य शिक्षा क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को जल्द से जल्द जीडीपी के 6% तक बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे।
- यह नीति शिक्षक शिक्षण पर भी जोर देती है, तथा वंचित क्षेत्रों और समूहों के लिए एक भिन्न लैंगिक समावेशन निधि और विशेष शिक्षा क्षेत्र स्थापित किए जाएंगे।
- इस नीति का उद्देश्य एकाधिक प्रवेश/निकास विकल्पों के साथ समग्र और बहु-विषयक शिक्षा को बढ़ावा देना है, तथा अनुसंधान और नवाचार को सहयोग देने के लिए राष्ट्रीय अनुसंधान फाउंडेशन (NRF) की स्थापना की जाएगी।
- चिकित्सा और कानूनी शिक्षा को छोड़कर, उच्च शिक्षा क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए भारतीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI) की स्थापना एक व्यापक निकाय के रूप में की जाएगी।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
कथन-I: राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 युवा शिक्षार्थियों के लिए बहुभाषावाद के महत्वपूर्ण संज्ञानात्मक लाभों को कम करती है।
कथन-II: जब युवा शिक्षार्थियों को बुनियादी स्तर से कई भाषाओं से अवगत कराया जाता है, तो उनमें बेहतर संज्ञानात्मक कौशल विकसित होते हैं।
उपर्युक्त कथनों के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन सा सही है?
- कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या है।
- कथन-I और कथन-II दोनों सही हैं तथा कथन-II, कथन-I की सही व्याख्या नहीं है।
- कथन-I सही है लेकिन कथन-II गलत है।
- कथन-I गलत है लेकिन कथन-II सही है।
उत्तर: (d)
व्याख्या: कथन-I गलत है क्योंकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 युवा शिक्षार्थियों के लिए बहुभाषावाद के संज्ञानात्मक लाभों पर प्रकाश डालती है, विशेषकर जब उन्हें शुरुआत में कई भाषाएँ सिखाई जाती है।
2. ई-सिगरेट के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा सही है?
- ई-सिगरेट का उपयोग मारिजुआना सहित निकोटीन के अलावा अन्य ड्रग्स को डिलीवर करने के लिए किया जा सकता है।
- गर्भावस्था के दौरान ई-सिगरेट का उपयोग सुरक्षित है क्योंकि यह विकासशील भ्रूण को नुकसान नहीं पहुंचाता है।
- ई-सिगरेट एरोसोल में आम तौर पर जले हुए तंबाकू उत्पादों के धुएं की तुलना में अधिक हानिकारक रसायन होते हैं।
- ई-सिगरेट में निकोटीन नहीं होता है, जो जिससे इसके नशे की लत नहीं लगती है।
उत्तर: (a)
व्याख्या: ई-सिगरेट का उपयोग मारिजुआना और अन्य ड्रग्स को डिलीवर करने के लिए किया जा सकता है।
3. राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह एक संवैधानिक निकाय है जिसका काम भारत में महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देना और उनकी रक्षा करना है।
- NCW महिलाओं के अधिकारों से संबंधित नीतियां बनाने और लागू करने के लिए उत्तरदायी है।
- इसमें एक अध्यक्ष और तीन सदस्यों सहित चार सदस्य होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
- इनमें से कोई नहीं
- सभी तीनों
- केवल एक
- केवल दो
उत्तर: (a)
व्याख्या: यह एक वैधानिक निकाय है जो महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने पर ध्यान केंद्रित करता है लेकिन इसका कार्य नीतियां बनाना या लागू करना नहीं है। इसमें एक अध्यक्ष और पांच सदस्य शामिल होते हैं।
4. डीपफेक के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- डीपफेक में किसी चित्र या वीडियो में किसी व्यक्ति की समरूपता को किसी अन्य व्यक्ति के साथ प्रतिस्थापित कर दिया जाता है।
- “डीपफेक” शब्द का प्रयोग पहली बार रेडिट (Reddit) पर 2017 में देखा गया जहाँ उस रेडिट यूजर ने ओपन-सोर्स फेस-स्वैपिंग तकनीक साझा की थी।
- डीपफेक का उपयोग केवल नकारात्मक उद्देश्यों के लिए किया जाता है और इसका कोई संभावित लाभकारी उपयोग नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: (b)
व्याख्या: डीपफेक के कई संभावित लाभकारी उपयोग के मामले हैं, विशेष रूप से व्यवसायों के लिए विपणन और विज्ञापन में इसके विविध प्रयोग हैं।
5. भारत में जमानती और गैर-जमानती अपराधों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- जमानती अपराधों के मामले में मौत या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है, जबकि गैर-जमानती अपराधों के मामले में अधिकतम पांच साल की सजा हो सकती है।
- जमानती अपराध के मामले में आरोपी को अधिकार के रूप में जमानत पर रिहाई के लिए दावे का अधिकार प्राप्त होता है, जबकि गैर-जमानती अपराधों के मामले में जमानत अदालत के विवेकाधिकार पर निर्भर करती है।
- गैर-जमानती अपराधों की तुलना में जमानती अपराध अधिक गंभीर प्रकृति के होते हैं।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं?
- इनमें से कोई नहीं
- सभी तीन
- केवल एक
- केवल दो
उत्तर: (c)
व्याख्या: जमानती अपराध आरोपी को अधिकार के रूप में जमानत का दावा करने की पात्रता प्रदान करते हैं, जबकि गैर-जमानती अपराध में जमानत अदालत के विवेकाधिकार पर निर्भर होता है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- युद्ध के हथियार के रूप में यौन हिंसा के विक्षुब्ध करने वाले उपयोग का आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत इस खतरे को रोकने के लिए उदाहरणों और प्रावधानों के साथ इस मुद्दे को सामने रखिए। (250 शब्द, 15 अंक)
- भारत-श्रीलंका संबंधों में नवीनतम घटनाक्रमों पर विस्तार से चर्चा कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक)