A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: सुरक्षा:
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: भारतीय राजव्यवस्था:
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
साइबर अपराधों के लिए साइबर बीमा:
सुरक्षा:
विषय: साइबर जोखिमों के माध्यम से आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों के लिए साइबर जोखिमों को संबोधित करने में साइबर बीमा का महत्व।
प्रसंग:
- भारत में लघु और मध्यम उद्यम (SMEs) और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) तेजी से साइबर हमलों के प्रति संवेदनशील हो रहे हैं, जिसके कारण साइबर बीमा को अपनाने की आवश्यकता है।
विवरण:
- लघु और मध्यम उद्यम (SMEs) और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMEs) भारत के आर्थिक परिदृश्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, जो सकल घरेलू उत्पाद में 28% से अधिक का योगदान देते हैं और रोजगार के अवसर पैदा करते हैं।
- हालाँकि, वे साइबर हमलों के प्रति तेजी से संवेदनशील हो रहे हैं, भारत में डेटा उल्लंघन, मैलवेयर हमले और फ़िशिंग हमलों सहित बड़ी संख्या में साइबर घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है।
एसएमई और एमएसएमई के सामने चुनौतियां:
- सीमित संसाधन: एसएमई के पास साइबर सुरक्षा में निवेश करने के लिए अक्सर कम संसाधन होते हैं और समर्पित सुरक्षा टीमों की कमी होती है।
- बढ़ी हुई संवेदनशीलता: आंकड़े बताते हैं कि सभी साइबर हमलों में से लगभग 43% छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप पर लक्षित होते हैं।
- बहुआयामी परिणाम: साइबर घटनाओं के परिणामस्वरूप वित्तीय नुकसान, प्रतिष्ठा को नुकसान और परिचालन संबंधी व्यवधान उत्पन्न होते हैं।
साइबर बीमा का महत्व:
- साइबर हमलों से जुड़े वित्तीय और परिचालन जोखिमों को कम करने के लिए एसएमई और एमएसएमई के लिए साइबर बीमा आवश्यक है।
- यह वित्तीय सुरक्षा प्रदान करता है, डेटा उल्लंघनों, रैंसमवेयर हमलों और अन्य साइबर घटनाओं से संबंधित लागतों को कवर करता है।
- नकदी की कमी वाले एसएमई के लिए,साइबर बीमा का अर्थ उत्तरजीविता और दिवालियापन के बीच का अंतर हो सकता है।
एसएमई के लिए अनुकूलित साइबर बीमा:
- बीमाकर्ता अब एसएमई और एमएसएमई की अनूठी जरूरतों और डिजिटल निर्भरता के अनुरूप विशेष साइबर बीमा समाधान प्रदान करते हैं।
- ये नीतियां संचालन के पैमाने, विशिष्ट साइबर जोखिमों पर विचार करती हैं और अक्सर साइबर घटनाओं के कारण होने वाले परिचालन व्यवधान को संबोधित करने के प्रावधानों के साथ आती हैं।
साइबर बीमा द्वारा प्रदान किया जाने वाला कवरेज:
- डेटा उल्लंघनों के बारे में ग्राहकों और प्रभावित पक्षों को सूचित करना।
- डेटा उल्लंघनों से उत्पन्न होने वाले कानूनी खर्चे।
- खोए हुए या समझौता किए गए डेटा को पुनर्स्थापित करना।
- साइबर घटनाओं के कारण परिचालन डाउनटाइम के दौरान खोई हुई आय का मुआवजा।
- उन विशेषज्ञों तक पहुंच जो साइबर घटना के प्रभावों को प्रबंधित करने और कम करने के माध्यम से व्यवसायों का मार्गदर्शन करते हैं।
साइबर बीमा द्वारा संबोधित अमूर्त लागतें:
- प्रतिष्ठा प्रबंधन प्रावधान व्यवसायों को साइबर हमलों के बाद के परिणामों से निपटने और हितधारकों के साथ विश्वास का पुनर्निर्माण करने में मदद करते हैं।
- साइबर बीमा ग्राहक विश्वास, ग्राहक पलायन, राजस्व प्रभाव और प्रतिभा अधिग्रहण चुनौतियों से संबंधित अमूर्त लागतों को स्वीकार करता है।
सारांश:
|
संपादकीय-द हिन्दू
संपादकीय:
कोर्ट का “विवाह का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है” कहना गलत है:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
भारतीय राजव्यवस्था:
विषय: भारतीय संविधान-ऐतिहासिक आधार, विकास, विशेषताएं, संशोधन, महत्वपूर्ण प्रावधान और बुनियादी संरचना।
प्रारंभिक परीक्षा: सुप्रियो बनाम भारत संघ मामला, नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ, मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा, अनुच्छेद 21, विवाह का अधिकार।
मुख्य परीक्षा: विवाह का अधिकार, परिवर्तनकारी संविधान, मौलिक अधिकारों के दायरे का विकास।
प्रसंग:
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया है कि विवाह का कोई मौलिक अधिकार नहीं है, और इसलिए समान-लिंग वाले जोड़े विवाह नहीं कर सकते हैं।
सुप्रियो बनाम भारत संघ मामला:
- हालाँकि अदालत ने एलजीबीटीक्यू+ व्यक्तियों को अपने साथी चुनने और एक साथ रहने के अधिकार को मान्यता दी, लेकिन इसने स्पष्ट रूप से समान-लिंग विवाह या नागरिक संघों को मान्यता नहीं दी।
- मौजूदा कानूनी प्रावधान समलैंगिक जोड़ों को बच्चे गोद लेने के अधिकार से वंचित करते हैं। उन्होंने तर्क दिया कि ये प्रावधान समानता, गैर-भेदभाव और जीवन के उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कार्यपालिका से बच्चों के सर्वोत्तम हितों और कल्याण के मद्देनजर गोद लेने के कानूनों पर पुनर्विचार करने को कहा है।
- अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि समलैंगिक जोड़ों को उत्पीड़न से बचाया जाना चाहिए, और अधिकारियों को इस मुद्दे के प्रति संवेदनशील होने के निर्देश दिए।
- इसने केंद्र सरकार को यह जांचने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया कि समलैंगिक जोड़ों को विवाह के लाभ उपलब्ध कराने के लिए मौजूदा कानूनी ढांचे में संशोधन किया जा सकता है या नहीं।
ऐतिहासिक संदर्भ:
- LGBTQ व्यक्तियों पर धारा 377 का प्रभाव:
- धारा 377 के परिणामस्वरूप, एलजीबीटीक्यू + व्यक्तियों को पुलिस, उनके प्रियजनों और उनके परिवारों से ब्लैकमेल, यातना, हिंसा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा।
- एलजीबीटीक्यू + व्यक्ति भी प्रतिशोध के डर से अपने यौन अभिविन्यास को प्रकट करने से डरते थे।
- धारा 377 के तहत प्रावधानों को निरस्त करना:
- 2009 में, दिल्ली उच्च न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को निरस्त कर दिया, जो गैर-विषमलैंगिक संबंधों को अपराध मानती थी, लेकिन 2013 में उच्चतम न्यायालय ने इसे पलट दिया (सुरेश कुमार कौशल बनाम नाज़ फाउंडेशन मामला), और फिर 2018 में बहाल कर दिया गया ( नवतेज सिंह जौहर बनाम भारत संघ)।
- लॉयर्स कलेक्टिव ने वर्ष 2001 में धारा 377 की संवैधानिकता को चुनौती दी, जिससे वर्ष 2009 और वर्ष 2018 के ऐतिहासिक मामले सामने आए, जिसने निजी तौर पर वयस्कों के बीच सहमति से गैर-विषमलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया।
- अदालत ने यह भी फैसला सुनाया कि लोगों को अपने लिंग की स्वयं-पहचान करने का अधिकार है, जिससे ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम पारित हुआ, जो लिंग परिवर्तन की अनुमति देता है और भेदभाव से बचाता है।
- हालाँकि, किसी भी मामले ने धारा 377 को पूरी तरह से ख़त्म नहीं किया।
- विवाह समानता की मांग:
- भारत में, व्यक्तियों को साथी चयन में स्वायत्तता, गरिमा, गोपनीयता और पसंद का अधिकार है।
- सुप्रीम कोर्ट ने LGBTQ+ व्यक्तियों के अंतरंग संबंध रखने के अधिकार को मान्यता दी है।
- नवतेज जौहर के फैसले के बाद, यह मान लेना तर्कसंगत है कि ऐसे संबंधों में जोड़े विवाह सहित दीर्घकालिक संबंध विकसित करने की इच्छा रख सकते हैं।
- विवाह उत्तराधिकार, गोद लेने, अस्पताल में भर्ती होने में निर्णय लेने, रोजगार लाभ और सामाजिक वैधता सहित विभिन्न लाभ प्रदान करता है।
- LGBTQ+ समुदायों को अपने रिश्तों को कानूनी मान्यता न मिलने के कारण कलंक का सामना करना पड़ता है।
- परिणामस्वरूप, LGBTQ+ समुदायों ने विवाह के अधिकार की मांग की और विभिन्न अदालतों में याचिकाएँ दायर कीं, जिन्हें अंततः सर्वोच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया।
- सर्वोच्च न्यायालय को गैर-विषमलैंगिक जोड़ों के विवाह को मान्यता देने के अधिकार पर निर्णय लेने का काम सौंपा गया था।
LGBTQ+ अधिकार:
- विवाह के अधिकार की अंतर्राष्ट्रीय मान्यता:
- सुप्रियो चक्रवर्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले में कहा गया है कि भारत में शादी करने का कोई मौलिक अधिकार नहीं है।
- यह निर्णय भारत के मानव अधिकारों की सार्वभौम घोषणा (UDHR) का हस्ताक्षरकर्ता होने के बावजूद लिया गया, जो विवाह के अधिकार को मानव अधिकार के रूप में मान्यता देता है।
- भारतीय संविधान और विधान:
- भारतीय संविधान और कानून को यूडीएचआर के साथ संरेखित करने की उम्मीद है, और भारत में अदालतों ने पहले यूडीएचआर और अन्य अंतरराष्ट्रीय अनुबंधों के अनुरूप संविधान और क़ानून की व्याख्या की है।
- यूडीएचआर के अनुच्छेद 16 में प्रावधान है कि पुरुषों और महिलाओं को जाति, राष्ट्रीयता या धर्म की परवाह किए बिना शादी करने और परिवार शुरू करने का अधिकार है।
- आलोचकों का तर्क है कि भारतीय संविधान स्पष्ट रूप से विवाह के अधिकार का प्रावधान नहीं करता है, लेकिन यह भारतीय संवैधानिक न्यायशास्त्र की अनदेखी करता है, जिसने संवैधानिक प्रावधानों की उदार और व्यापक तरीके से व्याख्या की है।
- अनुच्छेद 21 के तहत अधिकारों का विकास:
- सर्वोच्च न्यायालय ने गरिमापूर्ण व्यवहार के अधिकार को संविधान के अनुच्छेद 21 में समाहित माना है, और संविधान के तहत अधिकारों को विस्तृत करने के लिए यूडीएचआर के प्रावधानों का उपयोग किया है।
- न्यायालय ने इस विचार का समर्थन करने के लिए प्रेम शंकर शुक्ला और फ्रांसिस कोरली मुलिन जैसे पिछले मामलों में यूडीएचआर का संदर्भ दिया है कि यातना और अपमानजनक उपचार के खिलाफ सुरक्षा का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित है।
- मेनका गांधी के मामले में, न्यायालय ने प्रशासनिक प्रक्रिया में प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों को पढ़ने के लिए यूडीएचआर के अनुच्छेद 10 पर भरोसा जताया हैं।
भावी कदम:
- सुप्रीम कोर्ट के फैसले से वर्तमान में यह पता चलता है कि केवल जैविक पुरुष और महिला के बीच ही होने वाले विवाह ही वैध होते है, इस तथ्य के बावजूद कि लैंगिक पहचान किसी व्यक्ति की स्वयं/व्यक्तिगत पहचान होती है।
- अदालत का निर्णय समलैंगिक जोड़ों के खिलाफ भेदभाव को कायम रख सकता है और उन्हें दूसरे दर्जे के नागरिकों तक सीमित कर सकता है।
- समलैंगिक जोड़ों के साथ विवाह का विस्तार करने या उन्हें नागरिक संघों में प्रवेश करने में सक्षम बनाने के लिए समलैंगिक समुदाय, धार्मिक नेताओं, सरकारी अधिकारियों और परिवार कानून विशेषज्ञों सहित विभिन्न हितधारकों को शामिल करते हुए एक व्यापक कानूनी सुधार की आवश्यकता है।
सारांश:
|
हिमालय के पारिस्थितिक स्वास्थ्य को बहाल करना:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी:
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव आकलन।
प्रारंभिक परीक्षा: वहनीय क्षमता, भारतीय हिमालयी क्षेत्र को संरक्षित करने के लिए सरकार द्वारा की गई पहल।
मुख्य परीक्षा: भारतीय हिमालयी क्षेत्र का सतत प्रबंधन।
प्रसंग:
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और सिक्किम में आई हाल की आपदाओं के मद्देनजर भारतीय हिमालय क्षेत्र (Indian Himalayan Region (IHR)) की वहनीय क्षमता के संबंध में भावी उपाय सुझाने को कहा है।
वहनीय क्षमता:
- वहनीय क्षमता अधिकतम जनसंख्या आकार को संदर्भित करती है जिसे एक पारिस्थितिकी तंत्र या पर्यावरण अपने प्राकृतिक संसाधनों और समग्र स्वास्थ्य को महत्वपूर्ण गिरावट या नुकसान पहुंचाए बिना एक विशिष्ट समय अवधि में निरंतर वहन कर सकता है।
- यह दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करने और प्राकृतिक पारिस्थितिक तंत्र के संरक्षण के साथ मानवीय गतिविधियों को संतुलित करने के लिए महत्वपूर्ण है।
केंद्र सरकार की पहल:
- केंद्र सरकार के हलफनामे में सिफारिश की गई है कि जीबी पंत राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान के निदेशक को वहनीय क्षमता के मूल्यांकन का नेतृत्व करना चाहिए।
- हलफनामे में प्रस्ताव है कि सभी 13 हिमालयी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की वहनीय क्षमता निर्धारित की जानी चाहिए।
- विभिन्न संस्थानों जैसे राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान, राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान, भारतीय वन्यजीव संस्थान आदि के प्रतिनिधियों का एक तकनीकी सहायता समूह बनाया जाना चाहिए।
- हलफनामे में सुझाव दिया गया है कि राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरणों, भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण, भारतीय सर्वेक्षण विभाग और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और केंद्रीय भूजल बोर्ड के सदस्य सचिवों या नामांकित व्यक्तियों को भी समिति में शामिल किया जाना चाहिए।
- सरकार ने न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह हिमालयी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को संबंधित राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित करने का निर्देश दे, जिसमें मुख्य सचिव द्वारा उचित समझे जाने वाले सदस्यों को शामिल किया जाए।
- भारत सरकार ने भारतीय हिमालयी क्षेत्र (IHR) में समग्र विकास से संबंधित विभिन्न पहल शुरू की हैं, जिनमें शामिल हैं:
- हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र को बनाए रखने के लिए राष्ट्रीय मिशन
- भारतीय हिमालय जलवायु अनुकूलन कार्यक्रम
- सुरक्षित हिमालय परियोजना
- ‘आईएचआर में वहनीय क्षमता’ पर दिशानिर्देश
- पर्यावरण और वन मंत्रालय ने सभी राज्यों को एक कार्य योजना (वहनीय क्षमता) प्रस्तुत करने की याद दिलाई, यदि उन्होंने पहले से ऐसा नहीं किया है।
चुनौतियाँ:
- जनवरी 2020 के दिशानिर्देशों के बावजूद, राज्यों में वहनीय क्षमता के लिए कार्य योजना तैयार करने में बहुत कम प्रगति हुई है।
- आलोचकों का कहना है कि मंत्रालय की अधूरी सिफारिशें और कार्य योजना का मसौदा तैयार करने में पहाड़ विनाश के लिए जिम्मेदार लोगों की भागीदारी देरी का प्रमुख कारण है।
- सभी जैविक प्रजातियों, भोजन, आवास, जल, पारिस्थितिकी और कृषि सहित राज्य के पर्यावरण की समग्र टिकाऊ क्षमता का आकलन नहीं करना एक प्रमुख चुनौती रही है।
- निर्माण परियोजनाओं के बारे में संबंधित नागरिकों की चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप नकारात्मक परिणाम देखने को मिले हैं और नागरिक भागीदारी में कमी आई है।
निष्कर्ष:
- ध्यान सतत विकास पर होना चाहिए जो वहनीय क्षमता के व्यापक आयामों को कवर करता हो और जन-केंद्रित प्रक्रियाओं को शामिल करें।
- केवल कस्बों और शहरों की वहनीय क्षमता को मापना अपर्याप्त है; इसके लिए सम्पूर्ण क्षेत्र पर विचार किया जाना चाहिए।
- विशेषज्ञ समितियों को जनसंख्या स्थिरता के सामाजिक पहलुओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए और पर्याप्त नागरिक प्रतिनिधित्व शामिल करना चाहिए।
- प्रत्येक पंचायत समिति और नगर पालिका को स्थापित जनसंख्या स्थिरता मानदंडों के आधार पर सिफारिशें प्रस्तुत करने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
सारांश:
|
प्रीलिम्स तथ्य:
1. यूरोपीय संघ ने अरबपतियों पर वैश्विक न्यूनतम कर का आह्वान किया:
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विषय: अर्थव्यवस्था
प्रारंभिक परीक्षा वैश्विक न्यूनतम कर (Global Minimum Tax)।
प्रसंग:
- यूरोपीय संघ कर वेधशाला की ‘वैश्विक कर चोरी रिपोर्ट 2024’ अरबपतियों द्वारा की जाने वाली कर चोरी पर प्रकाश डालती है, जिससे वे अपनी संपत्ति के 0% से 0.5% तक की कर दरों का प्रभावी ढंग से भुगतान कर सकते हैं।
विवरण:
- इस रिपोर्ट में अरबपतियों से वैश्विक न्यूनतम कर का आह्वान किया गया है, जो उनकी संपत्ति का 2% है, ताकि इस प्रकार की कर चोरी का मुकाबला किया जा सके और इसे रोककर 3,000 से कम व्यक्तियों से अनुमानित $250 बिलियन वित्त की प्राप्ति की जा सके।
प्रस्तावित कर का औचित्य:
- रिपोर्ट में अरबपतियों के लिए 2% कर दर को “मामूली” के रूप में उचित ठहराया गया है, यह देखते हुए कि उनकी संपत्ति 1995 से मुद्रास्फीति को छोड़कर सालाना 7% की औसत से बढ़ी है।
कर चोरी रोकने में सफलता:
- यह रिपोर्ट पिछले दशक में तीन कारकों द्वारा अपतटीय कर चोरी (offshore tax evasion) को कम करने में बैंक जानकारी के स्वचालित साझाकरण की प्रभावशीलता को बताती है।
- इसमें कहा गया है कि अभी भी अपतटीय वित्त धन की एक महत्वपूर्ण राशि है, लेकिन वर्तमान में इसका केवल 25% कराधान से बचता है।
कर चोरी रोकने में चुनौतियाँ:
- रिपोर्ट अपतटीय कर चोरी के लिए दो मुख्य चुनौतियों की पहचान करती है:
- कुछ अपतटीय वित्तीय संस्थान बैंक सूचना आवश्यकताओं के स्वचालित आदान-प्रदान का अनुपालन नहीं करते हैं।
- धनी व्यक्तियों ने अपनी संपत्ति को गैर-कवर परिसंपत्ति वर्गों, विशेषकर रियल एस्टेट में स्थानांतरित करना शुरू कर दिया है।
उपायों के विस्तार के लिए सिफ़ारिशें:
- रिपोर्ट में कर चोरी को और कम करने के लिए सूचना प्रणाली के स्वचालित आदान-प्रदान द्वारा कवर की गई परिसंपत्तियों के विस्तार का आह्वान किया गया है।
वैश्विक न्यूनतम कर संबंधी चिंताएँ:
- 2012 में बहुराष्ट्रीय निगमों (MNC) पर अपनाए गए 15% के वैश्विक न्यूनतम कर को चुनौतियों का सामना करना पड़ा है, क्योंकि बढ़ती खामियां अपेक्षित राजस्व को कम करती हैं।
- रिपोर्ट में वैश्विक न्यूनतम कर में “ग्रीनवॉशिंग” की प्रवृत्ति का उल्लेख किया गया है, जहां बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपनी कर दरों को 15% से कम करने के लिए कम कार्बन संक्रमण के लिए “ग्रीन” टैक्स क्रेडिट का उपयोग कर सकती हैं।
कर प्रतिस्पर्धा को लेकर चिंताएं:
- रिपोर्ट धनी विदेशी व्यक्तियों हेतु लक्षित आक्रामक कर प्रतिस्पर्धा के उभरते रूपों पर प्रकाश डालती है, ऐसी व्यवस्थाएं आने वाले निवासियों को कर छूट या कटौती की पेशकश करती हैं।
- ये अधिमान्य कर व्यवस्थाएं समग्र कर संग्रह को कमजोर करती हैं और अन्य देशों पर नकारात्मक प्रभाव डालती हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
1. दूसरा थॉमस शोल (Second Thomas Shoal):
प्रसंग:
- हाल ही में विवादित दक्षिण चीन सागर में दूसरे थॉमस शोल के पास चीनी जहाजों और फिलीपीन नौकाओं के बीच टक्कर हुई।
- दोनों देशों ने इन घटनाओं के लिए एक-दूसरे को दोषी ठहराया है, जिससे क्षेत्र में दीर्घकालिक तनाव बढ़ गया है।
पहली टक्कर-चीन तटरक्षक और स्वदेशी पुनः आपूर्ति नाव:
- फिलीपींस सरकार के कार्य बल ने पहली टक्कर का कारक “चीन तटरक्षक पोत 5203 के खतरनाक अवरोधक युद्धाभ्यास” को ठहराया है।
- चीन का दावा है कि टक्कर इसलिए हुई क्योंकि पुनः आपूर्ति वाली नाव ने चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया और गैर-पेशेवर और खतरनाक तरीके से कानून प्रवर्तन से गुजरी गयी।
दूसरी टक्कर – फिलीपीन तट रक्षक और चीनी समुद्री मिलिशिया पोत:
- दूसरी टक्कर में फिलीपीन तट रक्षक जहाज और “चीनी समुद्री मिलिशिया जहाज” शामिल थे।
- फिलीपीन टास्क फोर्स का कहना है कि फिलीपीन की नाव को चीनी जहाज ने “टक्कर” मारी थी, जबकि चीन का आरोप है कि फिलीपीन की नाव जानबूझकर चीनी मछली पकड़ने वाले जहाज से टकरा गई थी।
पृष्ठभूमि:
- चीन अपने दावों के खिलाफ एक अंतरराष्ट्रीय फैसले के बावजूद लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर दावा करता है, जो वैश्विक व्यापार के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है।
- दूसरा थॉमस शोल स्प्रैटली द्वीप समूह के पास स्थित है, जो एक बेहद विवादित क्षेत्र है और इसके स्वामित्व पर कई देशों में विवाद है।
- यह स्थिति दक्षिण चीन सागर में चल रहे तनाव में योगदान करती है, जो परस्पर विरोधी क्षेत्रीय दावों और पड़ोसी देशों और चीन से जुड़ी लगातार घटनाओं के कारण एक विवादास्पद क्षेत्र रहा है।
2. कनाडा की हरकतें वियना कन्वेंशन का उल्लंघन हैं: जयशंकर
प्रसंग:
- कनाडा द्वारा हाल ही में भारत से 41 राजनयिकों की वापसी और भारत में कनाडा के वाणिज्य दूतावासों में वॉक-इन सेवाओं के निलंबन ने राजनयिक तनाव बढ़ा दिया है।
- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कनाडा में भारतीय राजनयिकों की सुरक्षा के बारे में चिंता व्यक्त की और कहा कि यह राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के “सबसे बुनियादी पहलू” को चुनौती देता है।
पृष्ठभूमि:
- कनाडा ने अपने राजनयिकों की वापसी के बाद भारत पर वियना कन्वेंशन का उल्लंघन करने का आरोप लगाया हैं।
- कनाडा में भारतीय दूतावासों ने राजनयिकों की सुरक्षा चिंताओं का हवाला देते हुए सितंबर में वीजा जारी करने पर रोक लगा दी थी।
प्रमुख बिंदु:
- एस जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि राजनयिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना वियना कन्वेंशन का एक बुनियादी पहलू है।
- उन्होंने उम्मीद जताई कि स्थिति में सुधार होगा, जिससे भारत में कनाडाई लोगों के लिए वीजा सेवाएं फिर से शुरू हो सकेंगी।
- भारत कथित तौर पर सुरक्षा स्थिति की समीक्षा कर रहा है जिसके कारण वीजा सेवाओं को निलंबित कर दिया गया।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रियाएँ:
- यूनाइटेड किंगडम और संयुक्त राज्य अमेरिका ने कनाडा की स्थिति का समर्थन करते हुए चिंता व्यक्त की कि भारत के इस कदम से वियना कन्वेंशन के सिद्धांत प्रभावित होंगे।
- अमेरिकी विदेश विभाग ने भारत में जमीनी स्तर पर राजनयिकों के माध्यम से देशों के बीच मतभेदों को सुलझाने के महत्व पर जोर दिया हैं।
3. भारत ने गाजा को भेजी मदद:
प्रसंग:
- भारत गाजा पट्टी में नागरिक आबादी को मानवीय सहायता प्रदान करने वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है।
- भारत की ओर से यह राहत सामग्री गाजा सीमा के पास एल-अरिश एयरबेस पर मिस्र के रेड क्रीसेंट तक पहुंचाई गई हैं।
सहायता की प्रकृति:
- भारतीय वायु सेना (IAF) की C-17 उड़ान लगभग 6.5 टन चिकित्सा सहायता और 32 टन आपदा राहत सामग्री ले गई हैं।
- इस सहायता में जीवन बचाने के लिए दवाएं, शल्य चिकित्सा उपकरण, सोने की सामग्री (sleeping materials), स्वच्छता उपयोगिताएं, टेंट, जल शोधन की गोलियां, सुरक्षात्मक तिरपाल और विभिन्न अन्य आवश्यक वस्तुएं शामिल हैं।
फिलिस्तीन के राजदूत की ओर से प्रशंसाः
- फिलिस्तीन के राजदूत अदनान अबू अलहैजा ने भारत की सहायता के लिए आभार व्यक्त किया है।
- उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि पिछले दो हफ्तों की इजरायली नाकाबंदी ने गाजा पट्टी में ऑक्सीजन जैसी आवश्यक वस्तुओं के प्रवेश को रोक दिया था।
- फिलिस्तीनी लोगों द्वारा भारत की समय पर और अवांछित सहायता की अत्यधिक सराहना की गई हैं।
आपूर्ति का हस्तांतरण:
- भारतीय खेप मिस्र में उतरी, जहां राजदूत अजीत वी. गुप्ते ने मिस्र के रेड क्रिसेंट को आपूर्ति सौंपी।
- मिस्र का रेड क्रिसेंट गाजा और मिस्र के बीच सीमा पार करके फिलिस्तीन को सहायता भेजने के लिए जिम्मेदार है।
दो-राज्य समाधान के लिए समर्थन:
- भारत ने इजरायल-फिलिस्तीन संघर्ष को हल करने के लिए दो-राज्य समाधान के लिए लगातार अपना समर्थन व्यक्त किया है।
- हाल की सहायता आपूर्ति मानवीय सहायता प्रदान करने और शांतिपूर्ण समाधान प्रयासों में योगदान करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. राजनयिक संबंधों पर वियना कन्वेंशन के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. इसे 1961 में ऑस्ट्रिया के विएना में आयोजित राजनयिक संपर्क और प्रतिरक्षा पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के दौरान अपनाया गया था।
2. यह संधि केवल उन राजनयिकों पर लागू होती है, जो राजनयिक मिशन के प्रमुख के अधिकार के तहत देश में मौजूद हैं।
3. राजनयिक के रूप में काम करने वाले किसी भी व्यक्ति को हिरासत में या गिरफ्तार नहीं किया जा सकता है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने गलत है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या:
- वियना कन्वेंशन न केवल राजनयिकों पर लागू होता है, बल्कि सैन्य विभागों के सैन्य और नागरिक दोनों कर्मियों पर भी लागू होता है, जो राजनयिक मिशन के प्रमुख के अधिकार के तहत देश में मौजूद होते हैं।
प्रश्न 2. वैश्विक कॉर्पोरेट न्यूनतम कर प्रस्ताव के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन गलत है/हैं?
1. इस प्रस्ताव का उद्देश्य बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा कर-प्रेरित लाभ स्थानांतरण और कर आधार क्षरण को प्रोत्साहित करना है।
2. यह प्रस्ताव आर्थिक सहयोग और विकास संगठन द्वारा वर्ष 2021 में पेश किया गया था।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है, क्योंकि प्रस्ताव बहुराष्ट्रीय निगमों द्वारा कर-प्रेरित लाभ स्थानांतरण और कर आधार क्षरण को हतोत्साहित करने के लिए बनाया गया है।
प्रश्न 3. अंटार्कटिक क्रिल के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
1. अंटार्कटिक क्रिल छोटे, झींगे जैसे समुद्री क्रस्टेशियन हैं जो अंटार्कटिका के आसपास के पानी में पाए जाते हैं।
2. वे दक्षिणी महासागर में एक प्रमुख प्रजाति हैं, जो व्हेल, सील और पेंगुइन सहित विभिन्न समुद्री जीवों के लिए प्राथमिक भोजन स्रोत के रूप में काम करती हैं।
3. इसे IUCN रेड लिस्ट में “असुरक्षित” (Vulnerable) के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कितने सही है/हैं?
(a) केवल एक
(b) केवल दो
(c) सभी तीनों
(d) कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- अंटार्कटिक क्रिल वास्तव में छोटे क्रस्टेशियंस हैं जो विभिन्न समुद्री जानवरों सहित दक्षिणी महासागर के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण हैं। उन्हें IUCN रेड लिस्ट में “संकटमुक्त (Least Concern या LC)” के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
प्रश्न 4. गाजा पट्टी के संदर्भ में, निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
1. गाजा पट्टी भूमध्यसागरीय तट पर स्थित है, जिसकी सीमा इज़राइल और मिस्र से लगती है।
2. संयुक्त राष्ट्र ने गाजा पट्टी को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता दी है।
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1 और न ही 2
उत्तर: a
व्याख्या:
- संयुक्त राष्ट्र ने गाजा पट्टी को एक स्वतंत्र राज्य के रूप में मान्यता नहीं दी है। इसे फ़िलिस्तीनी क्षेत्र माना जाता है। इसलिए, कथन 2 गलत है।
प्रश्न 5. दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के निम्नलिखित शहरों को दक्षिण से उत्तर की ओर व्यवस्थित करें?
1. मनीला
2. नेपीडॉ
3. जकार्ता
4. सिंगापुर
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
(a) 3-1-4-2
(b) 1-3-4-2
(c) 3-4-1-2
(d) 1-4-3-2
उत्तर: c
व्याख्या:
- दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के शहरों का दक्षिण से उत्तर की ओर व्यवस्थित क्रम इस प्रकार है – जकार्ता, सिंगापुर, मनीला और नेपीडॉ।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा गया है कि विवाह का अधिकार मौलिक अधिकार नहीं है। आलोचनात्मक परीक्षण कीजिए। (जीएस-2 – राजव्यवस्था एवं शासन) (The Supreme Court has rules that Right to Marry is not a fundamental right. Critically discuss. (250 words, 15 marks) (General Studies – II, Polity and Governance))
प्रश्न 2. भारतीय हिमालय श्रृंखला की पारिस्थितिक संवेदनशीलता का वर्णन करें और इसकी वहनीय क्षमता को प्रबंधित करने के लिए स्थिरता को बढ़ावा देने के उपाय सुझाइये। (जीएस-1 – भूगोल) (Illustrate the ecological sensitivity of the Indian Himalayan Range and suggest measures to promote sustainability in order to manage its carrying capacity. (250 words, 15 marks) (General Studies – I, Geography) )
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)