25 सितंबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: सामाजिक न्याय :
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
ऑपरेशन मेघ चक्र
सामाजिक न्याय:
विषय: महिला और बच्चों से संबंधित मुद्दे
मुख्य परीक्षा: समाज पर चाइल्ड पोर्नोग्राफी का प्रभाव
संदर्भ: हाल ही में, केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने ऑपरेशन ‘मेघ चक्र’ के तहत देश भर में 56 स्थानों पर छापेमारी की और बाल यौन शोषण सामग्री(child sex abuse material) के खिलाफ कार्रवाई की।
पृष्ठभूमि:
- सीबीआई ने नवंबर 2021 में “ऑपरेशन कार्बन” नामक एक अभियान शुरू किया था, जिसमें बाल यौन शोषण सामग्री के प्रसार और साझा करने के खिलाफ 76 स्थानों की तलाशी की गई थी।
- सीबीआई ने आरोपी व्यक्तियों पर IPC और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत मामला दर्ज किया था, जो कथित तौर पर ऐसी सामग्री को अपलोड करने, प्रसारित करने, बेचने और देखने वाले सिंडिकेट का हिस्सा थे।
- बाद में, सीबीआई ने अपराध के लिए जिम्मेदार लोगों पर पारस्परिक कानूनी सहायता संधियों (MLATs) के तहत सूचना साझा करने और संग्रह के लिए कई देशों से अनुरोध किया।
- जांच में तुर्की, पोलैंड, सूडान, दक्षिण कोरिया, युगांडा, कुवैत, इटली, जर्मनी, स्पेन, ऑस्ट्रेलिया और रोमानिया सहित लगभग 100 देशों के नागरिकों सहित 5,000 से अधिक अपराधियों के 50 से अधिक समूहों का पता चला था।
ऑपरेशन मेघ चक्र:
- न्यूजीलैंड में अधिकारियों से प्राप्त जानकारी के आधार पर इंटरपोल की सिंगापुर स्थित विशेष इकाई से प्राप्त इनपुट के आधार पर, सीबीआई ने बाल यौन शोषण सामग्री के प्रसार और साझा करने के खिलाफ अखिल भारतीय अभियान के हिस्से के रूप में देश भर में कई स्थानों पर तलाशी ली। .
- इस ऑपरेशन को क्लाउड स्टोरेज सुविधाओं पर लक्षित किया गया, जिसका उपयोग पेडलर्स द्वारा नाबालिगों के साथ अवैध यौन गतिविधियों के ऑडियो-विजुअल प्रसारित करने के लिए किया जाता है, इस प्रकार इसका नाम ‘मेघ चक्र’ रखा गया।
- सीबीआई ने क्लाउड-आधारित स्टोरेज का उपयोग करके ऑनलाइन सर्कुलेशन, डाउनलोडिंग और ऐसी सामग्री के प्रसारण में बड़ी संख्या में भारतीय नागरिकों के शामिल होने का आरोप लगाते हुए मामले दर्ज किए हैं।
- जब्त किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की प्रारंभिक जांच में कथित तौर पर बड़ी मात्रा में चाइल्ड पोर्नोग्राफी कंटेंट मौजूद होने का पता चला।
- यह ऑपरेशन हाल के दिनों में अंतरराष्ट्रीय रूप से जुड़े ऑनलाइन बाल यौन शोषण के मामलों पर त्वरित प्रतिक्रिया के लिए सीबीआई के नेतृत्व वाले वैश्विक अभियानों में से एक था।
- अधिकारी ने कहा कि इस ऑपरेशन में भारत में विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों से जानकारी एकत्र करने, वैश्विक स्तर पर संबंधित कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ जुड़ने और इस मुद्दे पर इंटरपोल चैनलों के माध्यम से निकटता से समन्वय किया गया है।
बाल यौन शोषण सामग्री (Child Sexual Abuse Material-CSAM):
- केवल 2021 में, ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म द्वारा संदिग्ध बाल यौन शोषण की 29 मिलियन से अधिक रिपोर्टें नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लोइटेड चिल्ड्रन साइबर टिपलाइन को रिपोर्ट की गई।
- ऑनलाइन प्राप्त बाल यौन शोषण सामग्री (CSAM) के वैश्विक संकलन में, भारत कुल रिपोर्ट में 11.7% के साथ सूची में सबसे ऊपर है, इसके बाद कुल रिपोर्ट में 6.8% के साथ पाकिस्तान का स्थान है।
- शीर्ष चार देशों में से तीन देश दक्षिण एशिया से थे, जो इस क्षेत्र में बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के बारे में चिंता जता रहे थे।
- 3.3% की हिस्सेदारी के साथ बांग्लादेश का स्थान चौथा है।
भारत में पोर्नोग्राफी के लिए कानून:
- उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद, दूरसंचार विभाग ने बाल अश्लील सामग्री वाली कई वेबसाइटों पर प्रतिबंध लगा दिया।
- सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2002 के अनुसार, बच्चों को किसी भी प्रकार की अश्लील सामग्री दिखाना दंडनीय अपराध है।
चित्र स्त्रोत: India Today
CSAM पर महामारी का प्रभाव:
- कोविड महामारी और बड़े पैमाने पर लॉकडाउन के कारण इंटरनेट पर समय व्यतीत करने में अभूतपूर्व वृद्धि हुई। ऑनलाइन काम करने वाले पीडोफाइल ने ऊब गए बच्चों की स्थिति का फायदा उठाया जिसके कारण CSAM में वृद्धि हुई।
- सामुदायिक सहायता सेवाओं, बाल देखभाल और शैक्षिक कर्मियों जो अक्सर बाल यौन शोषण के मामलों का पता लगाने और रिपोर्ट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, तक सीमित पहुंच के कारण भी मामलों में वृद्धि हुई है।
बच्चों को ऑनलाइन सुरक्षित रखने के उपाय:
- सामाजिक नेटवर्क और ऑनलाइन मंचों जिससे अवांछित यौन हमला और उत्पीड़न हो सकता है, के माध्यम से व्यक्तिगत जानकारी को साझा न करके पहचान की सुरक्षा करना।
- टेक्स्ट सन्देश या ऑनलाइन के माध्यम से प्राप्त अनुचित चित्रों की रिपोर्ट कानून प्रवर्तन एजेंसी को करना ताकि एजेंसी को अपराधी को रोकने में मदद मिल सके।
- नेशनल सेंटर फॉर मिसिंग एंड एक्सप्लोइटेड चिल्ड्रेन (NCMEC) आम लोगों से अपने ऑनलाइन प्लेटफॉर्म साइबर टिपलाइन पर दुनिया भर में मौजूद ऑनलाइन CSAM की रिपोर्ट करने का आग्रह करता है।
- सुरक्षित इंटरनेट कनेक्शन का उपयोग करना।
- सोशल मीडिया का उपयोग करते समय गोपनीयता सेटिंग्स की जाँच करना, जैसे लोकेशन सेवाएँ और संपर्क जानकारी।
- खुले संचार के लिए आधार तैयार करने से बच्चे किसी भी असामान्य ऑनलाइन बातचीत या सड़क पर की गतिविधियों को साझा करने के लिए प्रोत्साहित हो सकते हैं।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
लम्पी स्किन डिजीज वायरस:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विभिन्न रोग-स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे
मुख्य परीक्षा:नोवेल वायरस द्वारा उत्पन्न खतरे
संदर्भ: लम्पी स्किन वायरस से भारत में अब तक 197 जिलों में 16 लाख से अधिक मवेशी संक्रमित हुए हैं और लगभग 75000 मवेशियों की मृत्यु हो गई है।
लम्पी स्किन रोग क्या है और यह कैसे फैलता है?
- लम्पी स्किन रोग, लम्पी स्किन डिज़ीज वायरस (LSDV) के कारण होता है, जो कि कैप्रिपोक्सवायरस जीनस से संबंधित है और पॉक्सविरिडे वंश (चेचक और मंकीपॉक्स वायरस भी इसी परिवार का हिस्सा हैं) का एक हिस्सा है।
- लम्पी स्किन डिज़ीज वायरस की एंटीजेनिक विशेषताएँ शीप पॉक्स वायरस (SPPV) और गोट पॉक्स वायरस (GTPV) से मेल खाती हैं या इन वायरस की प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में समान है।
- यह एक जूनोटिक वायरस नहीं है। यह एक संक्रामक रोग वाहक जनित रोग है जो मच्छरों, मक्खियों और किलनी जैसे रोग वाहक द्वारा फैलता है तथा आमतौर पर गाय और भैंस जैसे मेजबान जानवरों को प्रभावित करता है।
- संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार, संक्रमित जानवर के मुख और नाक स्राव के माध्यम से वायरस बाहर फैलता है जिससे चारा और पानी दूषित हो सकता है। इस प्रकार, रोग या तो रोगवाहकों के सीधे संपर्क से या दूषित चारे और पानी के माध्यम से फैल सकता है।
- अध्ययनों से यह भी पता चला है कि कृत्रिम गर्भाधान के दौरान यह जानवरों के वीर्य से फैल सकता है।
लम्पी स्किन डिज़ीज वायरस की उत्पत्ति:
- यह रोग पहली बार 1929 में जाम्बिया में देखा गया था, इसके बाद यह बड़े पैमाने पर अधिकांश अफ्रीकी देशों, पश्चिम एशिया, दक्षिण पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में फैल गया। हाल ही में इससे संबंधित मामले दक्षिण एशिया और चीन में भी प्रकाश में आए हैं।
- एफएओ के अनुसार, LSD रोग वर्तमान में अफ्रीका, पश्चिम एशिया के कुछ हिस्सों (इराक, सऊदी अरब, सीरियाई अरब गणराज्य) और तुर्की के कई देशों में स्थानिक है।
- पॉक्सवायरस के अनुकूलन में जीनोमिक उत्परिवर्तन, विलोपन और पुनर्संयोजन का प्रभाव अधिक होता है।
- 2015 और 2016 से अलग वायरस 2001 से पूर्व के जीनोम के समान था।
- 2018 तक, रूस में LSDV के सभी फील्ड आइसोलेट्स के स्थान पर LSDV वैक्सीन के आनुवंशिक तत्त्व वाले वायरस को रखा गया था, जिससे ज्ञात होता है कि 2017-2019 के दौरान रूस में LSD का प्रकोप एक नोवल LSDV री- कांबिनेंट वेरिएंट के कारण था।
- पुनर्संयोजन की घटनाओं को अब पॉक्सवायरस में अच्छी तरह से सूचीबद्ध किया गया है और समान या अलग जीनस के वायरस द्वारा सह-संक्रमित कोशिकाओं में पॉक्सवायरस डीएनए पोलीमरेज़ बीच में होता है।
- रोगजनक और टीके के स्ट्रेन के पुनर्संयोजन की संभावना तब होती है जब एक संक्रमित जानवर का टीकाकरण किया जाता है या टीकाकरण के बाद पूर्व-प्रतिरक्षा चरण में संक्रमण होता है।
भारत से जीनोम:
- भारत में LSD के फैलने की प्रयोगशाला की ओर से पहली पुष्टि नवंबर 2019 में हुई थी।
- 2019 के प्रकोप के वायरस के विशेष जीन के सीक्वेंस, आनुवंशिक रूप से केन्या के स्ट्रेन के समान थे।
- हालांकि, 2022 का LSDV, 2019 के वेरिएंट से भिन्न है। काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च-इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (CSIR-IGIB) और स्टेट डिजीज डायग्नोस्टिक सेंटर, जयपुर के वैज्ञानिकों द्वारा रोग के पूर्व में हुए प्रकोप की जीनोम सीक्वेंसिंग से पता चला है कि इसमें “वैश्विक जीनोम की तुलना में थोड़ी समानता” थी।
- इसके अलावा, एक ही जानवर से लिए गए दो नमूनों में एक अतिरिक्त म्यूटेशन और बड़ी संख्या में म्यूटेशन से संभावित रूप से ज्ञात होता है कि LSDV मेजबान के भीतर तेजी से विकसित होने में सक्षम हो सकता है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध
पुतिन की लामबंदी यूक्रेन को कैसे प्रभावित करेगी?
विषय: भारत के हितों पर विकसित तथा विकासशील देशों की नीतियों तथा राजनीति का प्रभाव; प्रवासी भारतीय।
प्रारंभिक परीक्षा: समाचारों में महत्वपूर्ण स्थान
मुख्य परीक्षा: रूस-यूक्रेन टकराव
संदर्भ:
- हाल ही में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन में रूसी “विशेष सैन्य अभियान” की सहायता के लिए आंशिक सैन्य लामबंदी की घोषणा की।
पृष्ठभूमि:
- एक सीमित युद्ध के माध्यम से यूक्रेन में त्वरित क्षेत्रीय लाभ प्राप्त करने की रूस की मूल योजना बहुत सफल नहीं रही है। यद्यपि रूस को यूक्रेन के पूर्व और दक्षिण में पर्याप्त क्षेत्रीय बढ़त मिली है, वहीं रूस को संसाधनों और जनशक्ति के रूप में भारी कीमत चुकानी पड़ी है।
- उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) समर्थित यूक्रेन के सैनिक कुछ हद तक रूसी हमले का विरोध करने में सक्षम हैं। वे पूर्व में रूसी आक्रमण का विरोध करने में सक्षम रहे हैं और एक जवाबी हमले के माध्यम से रूसियों को खारकीव ओब्लास्ट से खदेड़ने में सक्षम हुए हैं।
- यूक्रेन में रूस समर्थित चार अलग-अलग क्षेत्रों – पूर्व में डोनेट्स्क और लुहान्स्क और दक्षिण में खेरसॉन और ज़ापोरिज्ज्या में रूस में शामिल होने को लेकर जनमत संग्रह हो रहा है।
स्रोत: The Hindu
आंशिक सैन्य लामबंदी:
- एक सामान्य लामबंदी जिसमें राष्ट्रव्यापी भर्ती शामिल है, के विपरीत आंशिक सैन्य लामबंदी का मतलब है कि केवल वे लोग जो वर्तमान में रिजर्व में हैं और जिन्होंने सशस्त्र बलों में सेवा दी है और सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त किया है, उन्हें ही भर्ती किया जाएगा।
लामबंदी के कारण:
- रूस द्वारा सामना किया जा रहा सैन्य झटका आंशिक लामबंदी के रूसी कदम के पीछे प्रमुख कारक प्रतीत होता है।
- यह भी देखते हुए कि फ्रंटलाइन अब 1,000 किमी जितनी लंबी है, तो रूस को यूक्रेनी पलटवार का सामना करने के लिए फ्रंटलाइन पर अपनी स्थिति बनाए रखने के लिए अधिक जनशक्ति की आवश्यकता है। यूक्रेन में प्राप्त अपनी सैन्य बढ़त को बनाए रखने के लिए रूस को सेना जुटाने की जरूरत है।
- साथ ही रूस में कट्टरपंथियों की ओर से यूक्रेन ऑपरेशन के लिए अधिक सैनिकों और संसाधनों को प्रयोग में लाने का घरेलू दबाव, लामबंदी के प्रयासों का एक और प्रमुख कारण प्रतीत होता है।
रूस की ओर से मिश्रित संकेत:
- ऐसा लगता है कि रूस यूक्रेनी संघर्ष में अपने इरादों पर मिश्रित संकेत भेज रहा है।
समस्या के बढ़ने का खतरा:
- रूसी राष्ट्रपति ने रूस की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की धमकी दी है। यह क्रीमिया पर हमला करने के खिलाफ यूक्रेन के लिए एक सीधा खतरा है, ज्ञात हो कि रूस ने क्रीमिया पर 2014 में कब्जा कर लिया था।
- इसके अलावा यूक्रेन के अलग-अलग क्षेत्रों में रूस समर्थक अलगाववादियों द्वारा रूस में शामिल होने पर जनमत संग्रह कराने की घोषणा रूसी पक्ष द्वारा टकराव में एक और बड़ी वृद्धि का प्रतीक है। रूस द्वारा जनमत संग्रह को मान्यता देने और इन क्षेत्रों पर कब्जा करने की संभावना से संघर्ष के और खराब स्थिति में जाने का खतरा है।
सुलह के स्वर:
- रूसी राष्ट्रपति का हालिया भाषण, सकारात्मक रूप से रूस और यूक्रेन के बीच इस्तांबुल वार्ता को संदर्भित करता है, जो शांति प्रस्तावों से संबंधित है, एवं एक संकेत है कि वार्ता के समझौते की उम्मीद अभी भी सही दिशा में है।
- इस्तांबुल वार्ता ढांचे के तहत, यूक्रेन ने बहुपक्षीय सुरक्षा गारंटी के बदले में नाटो सदस्यता को छोड़ने का प्रस्ताव रखा था। यूक्रेन रूसी राष्ट्रपति के साथ डोनबास क्षेत्र की स्थिति पर चर्चा करने के लिए भी सहमत हुआ और क्रीमिया के लिए 15 साल की मंत्रणा अवधि के लिए सहमत हुआ, जिसके दौरान वह यथास्थिति बनाए रखेगा।
भावी कदम:
- रूस, अतिरिक्त सैन्य लामबंदी के साथ युद्ध को अपने पक्ष में मोड़ सकता है। इससे रूस यूक्रेन में अन्य क्षेत्रों पर कब्जा कर सकता है और इस प्रकार शांति का मार्ग बंद हो सकता है। यदि रूस की लामबंदी विफल हो जाती है, तो अपने देश में रूसी राष्ट्रपति की स्थिति कमजोर हो जाएगी, जिससे उन्हें अधिक कठोर उपाय करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। तो युद्ध का वर्तमान चरण शांति को आगे बढ़ाने और तनाव में वृद्धि, दोनों का अवसर प्रदान करता है।
- चूंकि शांति प्रक्रिया के लिए अवसर की खिड़की हमेशा के लिए खुली नहीं रहेगी, इसलिए संबंधित हितधारकों को टकराव का शीघ्र अंत सुनिश्चित करने और क्षेत्र में शांति लाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
सारांश:
यूक्रेन में अपने “विशेष सैन्य अभियान” में सहायता के लिए आंशिक सैन्य लामबंदी के आदेश का रूसी कदम टकराव में रूसी पक्ष की ओर से एक और बड़ी वृद्धि का प्रतीक है। दोनों पक्षों के बीच शांति वार्ता को पुनर्जीवित करने और सहयोग के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए ताकि टकराव को तेजी से समाप्त किया जा सके और क्षेत्र में शांति लाया जा सके।
प्रीलिम्स तथ्य:
1. रोहिणी RH-200
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
संदर्भ: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) रोहिणी RH -200 साउंडिंग रॉकेट का लगातार 200वां सफल प्रक्षेपण करने की तैयारी कर रहा है।
साउंडिंग रॉकेट:
- साउंडिंग रॉकेट आमतौर पर एक या दो चरण के ठोस प्रणोदक रॉकेट होते हैं जिसमें मुख्य रूप से रॉकेट-जनित यंत्रों का उपयोग होता है एवं ऊपरी वायुमंडलीय क्षेत्रों में अनुसंधान करते हैं।
- ये लॉन्च वाहनों और उपग्रहों में उपयोग के लिए नए घटकों या उप-प्रणालियों के प्रोटोटाइप के परीक्षण के लिए प्लेटफार्म के रूप में भी काम करते हैं।
- रोहिणी साउंडिंग रॉकेट का उपयोग करते हुए राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय भागीदारी के साथ कई वैज्ञानिक मिशनों का संचालन किया गया है।
- 21 नवंबर, 1963 को केरल के तिरुवनंतपुरम के पास थुंबा से अमेरिका द्वारा निर्मित पहले साउंडिंग रॉकेट ‘नाइक अपाचे’ के प्रक्षेपण के साथ भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम की शुरुआत हुई।
- बाद के दिनों में रूस (एम-100) और फ्रांस (सेंटौर) से आयातित दो चरणों वाले रॉकेटों का प्रक्षेपण हुआ।
- 1967 में, इसरो ने थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन(TERLS) से रोहिणी नाम के अपने साउंडिंग रॉकेटों की एक श्रृंखला शुरू की।
- RH-75, 75mm के व्यास के साथ, सही मायने में पहला भारतीय साउंडिंग रॉकेट था, जिसके बाद क्रमशः RH-100 और RH-125 रॉकेट प्रयुक्त हुए।
- वर्तमान में, ऑपरेशनल साउंडिंग रॉकेट में तीन संस्करण शामिल हैं, जैसे RH-200, RH-300-Mk-II और RH-560-Mk-III। ये 8 से 100 किलोग्राम की पेलोड रेंज और 80 से 475 किमी की अपभू रेंज को कवर करते हैं।
रोहिणी RH-200:
- RH-200 का पहला और दूसरा चरण ठोस मोटरों द्वारा संचालित होता है। इसमें पॉलीविनाइल क्लोराइड (PVC) आधारित प्रणोदक का उपयोग किया जाता है। इसके नाम में ‘200’ मिमी में रॉकेट के व्यास को दर्शाता है।
- हाइड्रॉक्सिल-टर्मिनेटेड पॉलीब्यूटाडाइन (HTPB) पर आधारित एक नए प्रणोदक का उपयोग करने वाला पहला RH-200 का प्रक्षेपण सितंबर 2020 में TERLS से सफलतापूर्वक किया गया था।
- रॉकेट ने 15 जुलाई, 2015 को अपना 100वां सफल मिशन पूरा किया।
- ये छोटे रॉकेट थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (TERLS) और सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा दोनों से लॉन्च किए गए हैं।
2. सित्तनवासल भित्ति चित्र
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:
कला एवं संस्कृति:
संदर्भ: हाल ही में, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने सित्तनवासल शैल गुफा मंदिर के संरक्षण के कई उपाय किए हैं।
मुख्य विवरण:
- सित्तनवासल गुफा भारत के तमिलनाडु के पुडुकोट्टई जिले के सित्तनवासल गांव में गुफाओं की एक दूसरी शताब्दी का तमिल श्रमण परिसर है।
- यह स्मारक एक रॉक-कट मठ या मंदिर है। इसका निर्माण तमिल श्रमण द्वारा किया गया, इसे अरिवर कोइल (Arivar Koil) भी कहा जाता है।
- भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सित्तनवासल गुफा को एक आदर्श स्मारक के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- सित्तनवासल के जैन मंदिरों में तीसरी शताब्दी ईस्वी के ब्राह्मी और ‘वट्टाएज़ुथु(vattaezhuthu)’ लिपि के शिलालेख और मूर्तियां हैं।
- जैन मुनि इलन-गौतमन के नौवीं शताब्दी ई. के प्रारंभिक तमिल शिलालेख भी यहां मौजूद हैं।
- अरिवर कोइल के डिजाइन तत्व, शैव तीर्थ के रूप में इसके पूर्व संभावित अस्तित्व का संकेत देते हैं।
सित्तनवासल के भित्ति चित्र:
- सित्तनवासल शैल गुफा मंदिरों में 7वीं शताब्दी के उल्लेखनीय भित्तिचित्रों के अवशेष हैं।
- गर्भगृह की छत पर कलाकृति और अरिवर कोइल का अर्ध मंडप चौथी से छठी शताब्दी के बाद के अजंता गुफा चित्रों का एक प्रारंभिक उदाहरण है, जिसका पता फ्रेस्को-सेको तकनीक का उपयोग करके किया गया है।
- छत की पेंटिंग में ‘भव्या’ (मोक्ष या आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने के लिए काम करने वाली श्रेष्ठ आत्माएं) को खिलते हुए कमल से भरे कुंड में आनंद लेते हुए दर्शाया गया है।
- सबसे महत्वपूर्ण भित्ति चित्र, समव-शरण, एक कमल का तालाब है जिसमें एक शिष्य को फूल एकत्रित करते हुए दर्शाया गया है एवं जीव और मछलियाँ उछल-कूद कर रही हैं।
- ये सुंदर एनिमेटेड आकृतियां जिनकी विशेषता चौड़े कूल्हे, सुगठित कमर और विस्तृत आभूषण हैं, पौराणिक कथाओं की अप्सरा के सौंदर्य की याद दिलाती हैं; इसकी मुद्रा और अभिव्यक्ति लय और गतिशील प्रवृत्ति को रेखांकित करती है।
- बरामदे के स्तंभ (1900 के दशक में तत्कालीन दीवान अलेक्जेंडर टोटेनहम के कहने पर पुदुकोट्टई के महाराजा द्वारा जोड़े गए), कुडुमियानमलाई से लाए गए थे।
- इनमें उपयोग किए गए रंग पौधे के रंगों और खनिज जैसे चूना, लैम्प ब्लैक, और मिट्टी के रंगद्रव्य जैसे पीले रंग के लिए गेरू और भूरे-हरे रंग के लिए तेरे वर्ते का मिश्रण होते हैं।
- तमिलनाडु में पांड्या चित्रकला वाला यह एकमात्र स्थान है।
- अप्रतिबंधित सार्वजनिक पहुंच और खुला होने के कारण इसकी तीन-चौथाई कला पहले से ही क्षतिग्रस्त हो गई है।
अजंता भित्ति चित्र बनाम सित्तनवासल भित्ति चित्र:
- अजंता के भित्ति चित्रों को शुष्क तकनीक का उपयोग करते हुए, टेम्पेरा शैली में चित्रित किया गया है। इसमें खुरदरी दीवारों पर एक आधार तैयार किया गया है और फिर चूने के प्लास्टर के लेप से ढक दिया गया है। पेंट को सूखी सतह पर लगाया जाता है।
- सित्तनवासल भित्ति चित्रों को वनस्पति और खनिज रंगों से चित्रित किया गया है जो चूने के प्लास्टर की एक पतली गीली सतह पर लगाए जाते हैं। एक बार पेंट सूख जाने के बाद उस पर नया पेंट नहीं लगाया जा सकता, जैसा कि अजंता तकनीक में होता है।
- अजंता में, चित्रकारी ज्यादातर बौद्ध विषयों को दर्शाती हैं, जबकि सित्तनवासल जैन विषयों को दर्शाती हैं।
- जैसे अजंता में दरबारियों के भी भित्ति चित्र हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- एबोड ऑफ द यूनिकॉर्न’
- असम के काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान में गैंडे के जले हुए सींगों की राख से एक स्मारक का निर्माण किया गया है।
- “एबोड ऑफ द यूनिकॉर्न” नाम से, इसमें गैंडे की तीन मूर्तियां हैं – एक वयस्क नर, एक वयस्क मादा और एक गैंडे का बच्चा।
- इसमें वन रक्षकों की तीन मूर्तियाँ भी हैं, जिन्हें विभिन्न सामग्रियों का उपयोग करके बनाया गया है।
- गैंडों की मूर्तियों को बनाने के लिए शिकारियों और तस्करों से जब्त किए गए 2,479 गैंडों के सींगों को जलाने से प्राप्त राख और प्राकृतिक रूप से मरने वाले जानवरों से एकत्र की गई राख का उपयोग कंक्रीट मिश्रण में किया गया था।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- शाशा समिति ने जनजातीय समूहों में कम विकसित आदिम जनजातीय समूहों (PTG) को एक अलग श्रेणी के रूप में रखा।
- भारत के ओडिशा में विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) की संख्या सबसे अधिक है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- दोनों
- इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है, आदिवासी समूहों में PVTG अधिक असुरक्षित होते हैं। 1973 में, ढेबर आयोग ने आदिवासी समूहों के बीच कम विकसित आदिम जनजातीय समूहों (PTG) को एक अलग श्रेणी के रूप में रखा। 2006 में, भारत सरकार ने इसका नाम बदलकर PVTG कर दिया।
- कथन 2 सही है, भारत में ओडिशा में सबसे अधिक विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (PVTG) हैं जबकि पंजाब और हरियाणा राज्यों में कोई PVTG नहीं पाए जाते हैं।
- 75 विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों (PVTG) में से 13 ओडिशा में हैं।
प्रश्न 2. निम्नलिखित कथनों में से कौन सा पेरिस क्लब का सर्वोत्तम वर्णन है?
- लेनदार राष्ट्रों का एक ऐसा अनौपचारिक समूह जो उन ऋण लेने वाले राष्ट्रों के साथ लेन-देन पर ध्यान केंद्रित करता है जिन्हें अपने ऋणों का भुगतान करने में कठिनाई आती है।
- देशों का एक समूह जिसने 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन तक पहुंचने के प्रति कानूनी रूप से प्रतिबद्धता व्यक्त की है।
- ऐसे देशों का एक गठबंधन जिसका प्राथमिक उद्देश्य जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने हेतु सौर ऊर्जा की कुशल खपत के लिए काम करना है।
- एक अनौपचारिक समूह, जिसमें 40-सदस्य राज्य शामिल हैं, एवं उनमें से ज्यादातर मध्यम आकार के राज्य हैं जो स्थायी सीट रखने वाली बड़ी क्षेत्रीय शक्तियों का विरोध करते हैं।
उत्तर: a
व्याख्या:
- पेरिस क्लब लेनदार राष्ट्रों का एक अनौपचारिक समूह है जिसका उद्देश्य देनदार राष्ट्रों द्वारा सामना की जाने वाली भुगतान समस्याओं का व्यावहारिक समाधान खोजना है।
- पेरिस क्लब में 22 स्थायी सदस्य हैं।
- पेरिस क्लब अपनी अनौपचारिक प्रकृति पर जोर देता है। एक अनौपचारिक समूह के रूप में, इसकी कोई आधिकारिक स्थिति नहीं है और कोई औपचारिक स्थापना तिथि नहीं है, हालांकि देनदार राष्ट्र के साथ इसकी पहली बैठक 1956 में अर्जेंटीना के साथ हुई थी।
- भारत 2019 से पेरिस क्लब का पर्यवेक्षक राज्य है।
प्रश्न 3. मसाला बॉन्ड के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- ये रुपये मूल्यवर्ग के बॉन्ड हैं। यह एक भारतीय संस्था द्वारा विदेशी बाजारों में पैसा जुटाने के लिए जारी किया गया एक ऋण साधन है।
- भारत में एक बुनियादी ढांचा परियोजना को निधि देने के लिए 2014 में विश्व बैंक द्वारा पहला मसाला बांड जारी किया गया था।
- ये बांड केवल ऐसे देश के निवासी को जारी किए जा सकते हैं जो फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) का सदस्य है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 3
- 1, 2 और 3
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है, मसाला बांड रुपये के मूल्यवर्ग का बांड हैं। यह एक भारतीय संस्था द्वारा विदेशी बाजारों में डॉलर या स्थानीय मूल्यवर्ग के बजाय भारतीय मुद्रा में वित्त जुटाने के लिए जारी किया गया एक ऋण साधन है।
- 2019 में, केरल लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर 2,150 करोड़ रुपये के मसाला बांड जारी करने वाला पहला भारतीय राज्य बन गया। राज्य के स्वामित्व वाले केरल इंफ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (KIIFB) ने विदेशी बाजार में वित्त जुटाने के लिए बांड जारी किए थे।
- कथन 2 सही है, पहला मसाला बांड विश्व बैंक द्वारा 2014 में भारत में एक बुनियादी ढांचा परियोजना को निधि देने के लिए जारी किया गया था
- विश्व बैंक की निवेश शाखा, अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (IFC) ने भारत में विदेशी निवेश को बढ़ाने और देश में बुनियादी ढांचे के विकास का समर्थन करने के लिए अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाजार से वित्त जुटाने के लिए नवंबर 2014 में 10 वर्षीय, 10 अरब रुपये का बांड जारी किया।
- कथन 3 सही है, ये बांड केवल ऐसे देश के निवासी को जारी किए जा सकते हैं जो वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) का सदस्य है।
प्रश्न 4. निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:
मिशनग्रह
- कैसिनी शनि
- डेविन्सी शुक्र
- यूरोपा क्लिपर बृहस्पति
- इनसाइट मंगल
उपर्युक्त युग्मों में से कौन/कितने सुमेलित है/हैं?
- केवल एक युग्म
- केवल दो युग्म
- केवल तीन युग्म
- सभी चार युग्म
व्याख्या:
- युग्म 1 सुमेलित है, कैसिनी-ह्यूजेन्स एक मानव रहित अंतरिक्ष यान है जिसे कैसिनी मिशन के एक भाग के रूप में शनि ग्रह पर भेजा गया है।
- युग्म 2 सुमेलित है, डेविन्सी मिशन शुक्र के लिए एक फ्लाईबाई मिशन है और यह 2029 में इसके कठोर वातावरण पर अनुसंधान करेगा।
- यह पहला मिशन होगा जिसमें फ्लाईबाई और डिसेंट दोनों के माध्यम से शुक्र का अध्ययन किया जाएगा।
- युग्म 3 सुमेलित है, यूरोपा क्लिपर एक मिशन है जो नासा द्वारा बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा की विस्तृत सर्वेक्षण और यह जांचने के लिए है कि बर्फीले चंद्रमा में जीवन के लिए उपयुक्त परिस्थितियां हो सकती हैं या नहीं।
- युग्म 4 सुमेलित है, इनसाइट (इंटीरियर एक्सप्लोरेशन यूजिंग सिस्मिक इन्वेस्टिगेशंस जियोडेसी एंड हीट ट्रांसपोर्ट) मिशन एक रोबोटिक लैंडर है जिसे मंगल ग्रह के गहरे आंतरिक भाग का अध्ययन करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इनसाइट मिशन नासा के डिस्कवरी प्रोग्राम (1992) का हिस्सा है।
प्रश्न 5.भारत सरकार अधिनियम 1919 में, प्रांतीय सरकार के कार्य “आरक्षित (रिजर्व्ड)” और “अंतरित (ट्रांसफर्ड)” विषयों के अंतर्गत बांटे गए थे। निम्नलिखित में से कौन से “आरक्षित” विषय माने गए थे?
- न्याय प्रशासन
- स्थानीय स्वशासन
- भू-राजस्व
- पुलिस
निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:
- 1, 2 और 3
- 2, 3 और 4
- 1, 3 और 4
- 1, 2 और 4
उत्तर: c
व्याख्या:
- भारत सरकार अधिनियम 1919 ने केंद्रीय और प्रांतीय विषयों को अलग-अलग करके प्रांतों पर केंद्रीय नियंत्रण में ढील दी।
- केंद्रीय और प्रांतीय विधायिकाओं को उनके संबंधित विषयों की सूची पर कानून बनाने के लिए अधिकृत किया गया था।
- इसने प्रांतीय विषयों को अंतरित (ट्रांसफर्ड) और आरक्षित के रूप में दो भागों में विभाजित किया ।
- आरक्षित विषयों में कानून व्यवस्था, पुलिस, वित्त, भू-राजस्व, सिंचाई आदि विषय शामिल थे।
- अंतरित विषयों में शिक्षा, स्वास्थ्य, स्थानीय सरकार, उद्योग, कृषि, उत्पाद शुल्क आदि जैसे विषय शामिल थे।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
- सित्तनवासल भित्ति चित्रों के संदर्भ में, हमारी विरासत की अपरिवर्तनीय क्षति को कम करने के उपायों पर चर्चा कीजिए? (150 शब्द, 10 अंक) (सामान्य अध्ययन 1; कला और संस्कृति)
- “रोहिणी RH -200 रॉकेट हमारे अंतरिक्ष कार्यक्रम के आधार थे”। स्पष्ट कीजिए। (150 शब्द, 10 अंक) (सामान्य अध्ययन-3; विज्ञान और प्रौद्योगिकी)