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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 27 August, 2022 UPSC CNA in Hindi

27 अगस्त 2022 : समाचार विश्लेषण

A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

पर्यावरण

  1. 2070 शुद्ध-शून्य का लक्ष्य हासिल करने से भारत की जीडीपी को बढ़ावा मिल सकता है: रिपोर्ट

D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E.सम्पादकीय:

सुरक्षा:

  1. सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम 1958

राजव्यवस्था:

  1. निजता का अधिकार

सामाजिक न्याय:

  1. हाथ से मैला ढोने की प्रथा

F. प्रीलिम्स तथ्य:

  1. जोरावर टैंक

G.महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. कम से कम एक संविधान पीठ वर्ष भर काम करेगी : जस्टिस ललित
  2. विष्णुगढ़ परियोजना को जांच का सामना करना पड़ सकता है
  3. ‘समुद्री चुनौतियों के लिए एक प्रणाली की आवश्यकता’

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

2070 शुद्ध-शून्य का लक्ष्य हासिल करने से भारत की जीडीपी को बढ़ावा मिल सकता है: रिपोर्ट

पर्यावरण :

विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण।

प्रारंभिक परीक्षा: ग्लासगो में आयोजित COP26 में भारत की प्रतिबद्धताएं

मुख्य परीक्षा: भारत के लिए “शुद्ध शून्य” उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने का महत्व और भावी कदम

संदर्भ

  • एशिया को शुद्ध शून्य पर लाने के लिए उच्च स्तरीय नीति आयोग द्वारा एक रिपोर्ट जारी किया गया।

ग्लासगो में आयोजित COP26 में भारत की प्रतिबद्धता

कॉप 26 में, भारतीय प्रधानमंत्री ने पांच प्रतिबद्धताएं की जिन्हें “पंचामृत” के नाम से जाना जाता है। इसमें निम्नलिखित सम्मिलित हैं:

  • भारत अपनी गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 2030 तक बढ़ाकर 500 गीगावाट कर देगा।
  • 2030 तक “नवीकरणीय ऊर्जा” के माध्यम से भारत की 50% ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करना।
  • 2030 तक कुल अनुमानित कार्बन उत्सर्जन को एक अरब टन कम करना।
  • भारत की अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45% से अधिक कम करना।
  • वर्ष 2070 तक “शुद्ध शून्य” के लक्ष्य को प्राप्त करना, जब ऊर्जा स्रोतों से उत्सर्जित शुद्ध कार्बन डाइऑक्साइड नहीं होगा।

भारत द्वारा निर्धारित “शुद्ध शून्य” लक्ष्य को प्राप्त करने का महत्व

  • हाल ही में एशिया को शुद्ध शून्य पर लाने के लिए उच्च स्तरीय नीति आयोग द्वारा जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2070 तक “शुद्ध शून्य कार्बन” उत्सर्जन लक्ष्य प्राप्त करने से भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को 2036 तक अनुमानित बेसलाइन विकास के 4.7% से अधिक बढ़ाने में मदद मिलेगी जो 371 बिलियन डॉलर से अधिक का है।
  • रिपोर्ट के अनुसार, समय सीमा को बनाए रखने और ठोस प्रयास करने से 2047 तक करीब 15 मिलियन नई नौकरियां पैदा करने में मदद मिल सकती है।
  • गैर-जीवाश्म ईंधन की ओर बढ़ने के कारण जीवाश्म ईंधन की मांग में कमी से देश के व्यापार संतुलन में लगभग 236 बिलियन डॉलर का सुधार होगा।
  • रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 2050 तक शुद्ध शून्य लक्ष्य प्राप्त करके, भारत अपने वार्षिक सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 7.3% का सुधार कर सकता है, जो कि $ 470 बिलियन से अधिक होगा और 2032 तक 20 मिलियन नई नौकरियां सृजन करने में सहायक हो सकता है।

भावी कदम

  • 2070 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्य हासिल करने के लिए 10.1 ट्रिलियन डॉलर से अधिक के निवेश की आवश्यकता होगी।
    • यद्यपि 2050 तक लक्ष्य को हासिल करने के लिए 13.5 ट्रिलियन डॉलर के निवेश की जरूरत होगी।
  • निवेश के अलावा, भारत के ऊर्जा बुनियादी ढांचे और अर्थव्यवस्था को डीकार्बोनाइज करने के लिए व्यवहार्य नीति विकल्पों के उचित क्रियान्वयन से भारत को सदी के मध्य तक अपने शुद्ध शून्य लक्ष्य तक पहुंचने में मदद मिल सकती है।
  • व्यापक योजना से अतिरिक्त निवेश को आकर्षित करने में सहायता मिलेगी जिससे मौजूदा संसाधनों का उपयोग सुनिश्चित होगा ताकि कार्बन टैक्स जैसी जलवायु नीतियों के प्रतिकूल प्रभावों को दूर किया जा सके।
  • 2023 तक नए कोयले का उपयोग बंद करने और 2040 तक अक्षय कोयले का उपयोग बंद करने से भी भारत को अपने लक्ष्य बहुत पहले हासिल करने में मदद मिलेगी।

सारांश:

  • भारत के शुद्ध शून्य उत्सर्जन लक्ष्यों की उपलब्धि से न केवल देश को जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से लड़ने में मदद मिलेगी बल्कि सतत और समावेशी विकास को बढ़ावा देने में भी मदद मिलेगी क्योंकि इसमें अर्थव्यवस्था में विकास को बढ़ावा देने, रोजगार के अवसर पैदा करने और स्वास्थ्य सुधार की क्षमता है।

संपादकीय-द हिन्दू

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित

सुरक्षा

सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम 1958

विषय:आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका।

मुख्य परीक्षा: आंतरिक सुरक्षा प्रबंधन में AFSPA की भूमिका

संदर्भ: प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2022 में असम में एक रैली को संबोधित करते हुए कहा कि भारत सरकार सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम 1958, या AFSPA को इस क्षेत्र से पूरी तरह से वापस लेने का इरादा रखती है।

भूमिका:

  • AFSPA का आधार सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अध्यादेश 1942 है, जिसे भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, विशेष रूप से अक्टूबर 1942 में असम और बंगाल में, विद्रोह को दबाने के लिए औपनिवेशिक शासन द्वारा अधिनियमित किया गया था।
  • उक्त कानून का नए प्रारूप में सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम 1958 के रूप में लागू किया जाना जारी है।
  • 1950 के दशक में इस कानून की आवश्यकता थी जब नागा विद्रोहियों ने बड़े पैमाने पर हिंसा का सहारा लिया, जिसके परिणामस्वरूप सैकड़ों भारतीय सेना के सैनिकों और अर्धसैनिक बलों के जवानों पर घात लगाकर हमला किया गया और उनकी हत्या कर दी गई।

सारांश: केंद्र सरकार द्वारा कठोर कानून को वापस लेने का निर्णय एक साहसिक निर्णय है। हालाँकि, AFSPA को पूरी तरह से वापस लेने तक एक व्यापक आवधिक समीक्षा किए जाने की आवश्यकता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

राजव्यवस्था

निजता का अधिकार

विषय: भारतीय संविधान- मौलिक अधिकार

मुख्य परीक्षा: भारतीय संदर्भ में निजता का अधिकार

संदर्भ: 24 अगस्त, 2022 को भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति के.एस. पुट्टस्वामी (सेवानिवृत्त) बनाम भारत संघ मामला जिसमें निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई थी, के पाँच वर्ष पूरे हो गए।

भूमिका:

  • नौ न्यायाधीशों की पीठ ने औपचारिक रूप से निजता के अधिकार को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार के तहत मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी।
  • निर्णय में यह भी कहा गया है कि निजता का अधिकार किसी व्यक्ति की शारीरिक स्वायत्तता का प्रयोग करने की क्षमता के लिए अंतर्भूत है, फिर भी यह अपने आप में एक “पूर्ण अधिकार” नहीं है, जो कि वाक् एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार पर रखी गई सीमाओं के समान है।

जमीनी वास्तविकता:

  • इस निर्णय के बाद निजता के अधिकार के संबंध में बहुत कुछ नहीं बदला है।
  • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक, 2021, लंबे समय तक रुके रहने के बाद, अगस्त 2022 में वापस ले लिया गया है।
  • डेटा सुरक्षा उल्लंघनों, जिसके परिणामस्वरूप व्यक्तिगत, संवेदनशील डेटा की हानि और चोरी होती है, मापने योग्य आवृत्ति या उनके प्रभाव के संदर्भ में कम नहीं हुई है।
  • भारत के भीतर और बाहर कोई भी व्यक्ति या व्यवसाय अभी भी ऐसी स्थिति में है, जहां, मामूली सौदेबाजी के साथ, वे उपयोग और उपभोग के लिए, जहां भी संभव हो, वर्गीकृत और लेबल की गई विशाल आबादी की व्यक्तिगत जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
  • इस डेटा का उपयोग अक्सर कुछ वैध विज्ञापन एजेंसियों, विवेकहीन टेलीमार्केटिंग फर्मों और साइबर अपराधियों द्वारा किया जाता है।
  • इस तरह के डेटा के ब्रोकर वास्तव में इतने विवेकहीन हो गए हैं कि उन्होंने मुख्यधारा के ई कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर बिक्री के लिए अपने सामान को सूचीबद्ध करना शुरू कर दिया है।
  • ऐसी यथास्थिति से सामान्य आबादी के सामने व्यापक फ़िशिंग हमलों और वित्तीय घोटालों के रूप में नुकसान का ख़तरा बढ़ जाता है, जो व्यक्तिगत जानकारी तक हमलावर की पहुंच के साथ-साथ अन्य हानिकारक गतिविधियों के रूप में देखी जाती है जो किसी व्यक्ति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी रखने वाले हमलावर पर निर्भर करता है।
  • कुछ राजनीतिक और बौद्धिक आधार वाले व्यक्तियों की निजता भी खतरे में है क्योंकि उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों की सुरक्षा और अखंडता भारत में पेगासस स्पाइवेयर के कथित उपयोग से प्रभावित होने की आशंका है।
  • पेगासस का उपयोग करके भारत सरकार द्वारा भारतीय नागरिकों को कथित रूप से निशाना बनाने को उन उद्देश्यों की अवहेलना के रूप में देखा जा सकता है, जिन्हें पुट्टास्वामी निर्णय में समाहित किया गया हो सकता है।
  • भारत की साइबर सुरक्षा को बढ़ाने के उद्देश्य से बनाए गए नए VPN नियम, भारतीय नागरिकों को वीपीएन सेवाओं की सदस्यता लेने और उन तक पहुंच से प्रतिबंधित करते हैं निजता के अधिकार पर निर्णय की अवहेलना है, जिसमें सूचनात्मक निजता एक भाग है।

सारांश: पुट्टास्वामी निर्णय उस उद्देश्य से चूक गया है जिसे समाहित किया गया था, और यह भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए पूर्वनिश्चित अवसर को दर्शाता है, जबकि सरकार के अतिरेक और सत्ता के दुरुपयोग को रोकने के लिए आवश्यक सभी प्रकार के नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था सुनिश्चित करता है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित

सामाजिक न्याय

हाथ से मैला ढोने की प्रथा

विषय: सुभेद्य वर्गों से संबंधित मुद्दे

मुख्य परीक्षा: देश भर में हाथ से मैला ढोने की प्रथा की जड़ता

संदर्भ: हाल ही में, तमिलनाडु की राज्य सरकार ने मैला ढोने वालों के रोजगार और पुनर्वास हेतु नियमों को अधिसूचित किया।

भूमिका:

  • तमिलनाडु ने हाल ही में मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम, 2013 के नियमों को अधिसूचित किया है।
  • ऐसा श्रम की गरिमा को बनाए रखने के लिए किया जाता है। मशीनों के काम करने में सक्षम होने पर मनुष्यों को मल निकालने और सीवरों की सफाई का कार्य आवंटित करना मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है।
  • केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, सीवर और सेप्टिक टैंक की खतरनाक सफाई के कारण 1993 से कम से कम 971 मौतें हुई हैं। 1993 में में हाथ से मैला ढोने वालों के रोजगार पर रोक लगाने वाला कानून लागू किया गया था।
  • तमिलनाडु इस सूची में शीर्ष राज्यों में शामिल है। सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई करते समय होने वाली मौतों का कारण हानिकारक गैसें हैं, इन मौतों को रोकने के उपाय नहीं करना आपराधिक होगा।
  • मैनुअल रूप से ‘मैला ढोना’ पूरी तरह से प्रतिबंधित है, लेकिन नियम विशिष्ट परिस्थितियों में मैनुअल सफाई की अनुमति देते हैं, जहां समस्या को ठीक करने के लिए यांत्रिक उपकरणों को तैनात नहीं किया जा सकता है, या जब इस तरह की प्रक्रिया को अनुमति देने के लिए वैध कारण बताते हुए मानवीय हस्तक्षेप करना आवश्यक हो।

मैनुअल स्कैवेंजिंग:

  • मैनुअल स्कैवेंजिंग (Manual Scavenging) या हाथ से मैला ढोने को “सार्वजनिक सड़कों और सूखे शौचालयों से मानव मल को हटाने, सेप्टिक टैंक, नालियों एवं सीवर की सफाई” के रूप में परिभाषित किया गया है।
  • भारत में यह पेशा जाति से जुड़ा हुआ है। सभी प्रकार की सफाई को नीच माना जाता है और सामाजिक पदानुक्रम की तथाकथित निम्नतम जाति के लोगों को यह काम सौंपा जाता है।
  • सरकार के पास 43,797 चिन्हित हाथ से मैला ढोने वालों का जाति-संबंधी डेटा है, और उनमें से 42,500 से अधिक अनुसूचित जाति, 421 अनुसूचित जनजाति और 431 अन्य पिछड़ा वर्ग के हैं।

मैला ढोने की चुनौतियों से निपटने के लिए उठाए गए कदम:

  • मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोज़गार के निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम, 2013 – जो अस्वच्छ शौचालयों, खुली नालियों या गड्ढों की मैनुअल सफाई को अवैध बनाता है।
  • यह मैला ढोने वाले समुदायों को वैकल्पिक रोजगार और अन्य सहायता प्रदान करने की संवैधानिक जिम्मेदारी भी प्रदान करता है।
  • 2020 संशोधन विधेयक- में सीवर सफाई को पूरी तरह से मशीनीकृत करने का प्रस्ताव है।
  • अस्वच्छ शौचालयों का निर्माण और रखरखाव अधिनियम 2013- अस्वच्छ शौचालयों के निर्माण और वहाँ हाथ से मैला ढोने के लिए व्यक्तियों को काम पर रखने पर रोक लगाता है।
  • केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय द्वारा सफाई मित्र सुरक्षा चुनौती, मशीनीकृत सफाई को बढ़ावा देने और सेप्टिक टैंकों की खतरनाक सफाई को रोकने के लिए है।
  • ‘स्वच्छता अभियान एप्लीकेशन’ – अस्वच्छ शौचालयों और हाथ से मैला ढोने वालों के डेटा की पहचान और जियो टैग करना।
  • संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत संवैधानिक अधिकार जो गरिमा के साथ ‘जीवन के अधिकार’ की गारंटी देता है।

तमिलनाडु सरकार द्वारा अधिसूचित नियम:

  • सीवर या सेप्टिक टैंक को साफ करने के लिए लगे किसी भी व्यक्ति को उसके नियोक्ता द्वारा सुरक्षात्मक गियर और सुरक्षा उपकरणों की 44 वस्तुओं की एक सूची प्रदान करनी होगी।
  • इसमें एयर लाइन ब्रीदिंग उपकरण, क्लोरीन मास्क, एयर प्यूरीफायर गैस मास्क, कृत्रिम श्वसन के लिए एक उपकरण, मास्क और श्वास उपकरण, आपातकालीन चिकित्सा किट, हाइड्रोलिक उपकरण शामिल हैं। यह सूची उन उपकरणों तक ही सीमित नहीं है जिनका उल्लेख किया गया है।
  • नियमों द्वारा उपकरणों और डिवाइस के नियमित रखरखाव को भी अनिवार्य किया गया है।
  • एक सीवर या एक सेप्टिक टैंक की सफाई “केवल दिन के उजाले में” और एक बार में 90 मिनट से अधिक की अवधि के लिए नहीं की जाएगी।
  • दो हिस्सों के बीच और सफाई प्रक्रिया के बाद 30 मिनट के अनिवार्य अंतराल की अनुमति दी जानी चाहिए।

सारांश: अदालतों और सरकारों के प्रयासों के बावजूद, कानून और प्रवर्तन से मैनुअल मैला ढोने वालों की चुनौतियों को कम करना संभव नहीं हो पा रहा है। इस मुद्दे को हल करने के लिए नियमों का उचित क्रियान्वयन और पर्याप्त निगरानी नितांत आवश्यक है। साथ ही, मौजूदा योजनाओं के तहत, मरने वालों के परिवार के सदस्यों को मुआवजा प्रदान करने और उन्हें पेशे से बाहर निकलने का रास्ता प्रदान करने के लिए सभी प्रयास किए जाने चाहिए।

प्रीलिम्स तथ्य

  1. जोरावर टैंक

विषय: सुरक्षा-विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएँ तथा उनके अधिदेश।

प्रारंभिक परीक्षा: जोरावर टैंक के बारे में

संदर्भ

  • भारतीय सेना गतिरोध के दौरान चीनी सुरक्षा बलों की आवाजाही का मुकाबला करने के लिए पूर्वी लद्दाख में तैनाती के लिए जोरावर टैंकों की खरीद को प्राथमिकता दे रही है।

जोरावर टैंक

  • जोरावर टैंक स्वदेश में विकसित हल्के टैंकों का एक बेड़ा है।
  • जोरावर टैंकों का नाम लीजेंडरी जोरावर सिंह कहलुरिया के नाम पर रखा गया है, जो एक सैन्य जनरल थे और पर्वतीय युद्ध में विशेषज्ञ थे, जिन्होंने जम्मू के डोगरा राजा राजा गुलाब सिंह के अधीन काम किया था।
  • जोरावर टैंक हल्के टैंक होने के कारण “हवा में ले जाने योग्य” होते हैं और इसलिए रणनीतिक संचालन के दौरान आसानी से एयरलिफ्ट किए जा सकते हैं।
  • यह टैंक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), ड्रोन एकीकरण, सक्रिय सुरक्षा प्रणाली और उच्च स्तर की स्थितिजन्य जानकारी जैसी विशिष्ट तकनीकों से लैस हैं।
  • जोरावर टैंक को उनके हल्के तेज प्लेटफॉर्म, वजन के अनुपात में उच्च शक्ति, उल्लेखनीय मारक क्षमता, सुरक्षा, निगरानी और संचार क्षमताओं के लिए जाना जाता है।
  • जोरावर टैंक उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों, सीमांत इलाकों और द्वीपों में आने वाली चुनौतियों को दूर करने में मदद कर सकते हैं तथा मैदानी, अर्ध-रेगिस्तान और रेगिस्तान जैसे क्षेत्रों में भी तैनात किए जा सकते हैं।

महत्त्वपूर्ण तथ्य:

  1. कम से कम एक संविधान पीठ वर्ष भर काम करेगी : जस्टिस ललित
  • न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित, जो भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश होंगे, ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय पूरे वर्ष में कम से कम एक संविधान पीठ के कामकाज के लिए प्रयास करेगा।
  • उन्होंने सर्वोच्च न्यायालय में मामलों की तत्काल सूची में स्पष्टता और पारदर्शिता का आश्वासन दिया, जिसके लिए एक स्पष्ट तंत्र स्थापित किया जाएगा जो न्यायाधीशों को उन मामलों की पहचान करने, सुनने और राहत प्रदान करने में सहायक होगा, जिन पर तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।
  • वर्तमान में उच्चतम न्यायालय में 2017 के 55,000 की तुलना में 71, 000 से अधिक मामले लंबित है।
  • लंबित मामलों की बढ़ती संख्या से निपटने के लिए अगस्त 2019 में उच्चतम न्यायालय की स्वीकृत न्यायिक क्षमता को बढ़ाकर 34 न्यायाधीश कर दिया गया था।
  1. विष्णुगढ़ परियोजना को जांच का सामना करना पड़ सकता है
  • 444 मेगावाट की विष्णुगढ़ पीपलकोटी जलविद्युत परियोजना (VPHEP) का निर्माण टिहरी जलविद्युत विकास निगम (THDC) द्वारा किया जा रहा है, जिसे विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित किया जा रहा है।
    • यह परियोजना मुख्य रूप से विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित है और 2011 में स्वीकृत की गई थी। इसके जून 2023 तक पूरा होने की उम्मीद है।
  • उत्तराखंड के चमोली जिले के हाट गांव के निवासियों की शिकायत के साथ कि बांध से मलबा गिरने से स्थानीय लक्ष्मी नारायण मंदिर को काफी खतरा है, विश्व बैंक के एक स्वतंत्र पैनल को बांध निर्माण के कारण होने वाले पर्यावरणीय नुकसान की जांच करने के लिए कहा गया है।
    • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा इस मंदिर को ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का बताया गया है।
  • निवासियों की शिकायत है कि पारिस्थितिकी क्षति के अलावा, इस परियोजना के कारण जबरन पुनर्वास, आजीविका का नुकसान हुआ है और इसके अंतर्गत दी गई मुआवजे की राशि अपर्याप्त थी।
  1. ‘समुद्री चुनौतियों के लिए एक प्रणाली की आवश्यकता’
  • हंबनटोटा बंदरगाह पर एक चीनी युआन वांग 5 ट्रैकिंग पोत की उपस्थिति पर भारत की चिंता की पृष्ठभूमि में, भारत में श्रीलंका के दूत ने भविष्य में इस तरह की समुद्री सुरक्षा चिंताओं से निपटने के लिए एक नया ढांचा विकसित करने की आवश्यकता को दोहराया।
  • इसके अलावा, दूत ने कहा कि संबंधों के भविष्य को देखना महत्वपूर्ण है। भारत ने अब तक 3.8 बिलियन डॉलर की आर्थिक सहायता की सुविधा प्रदान की है जिसमें भारत से क्रेडिट लाइन शामिल हैं, दोनों देश अधिक व्यापार संबंधों, एक बिजली-साझाकरण ग्रिड, नवीकरणीय ऊर्जा और तेल भंडारण में बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर भी चर्चा कर रहे हैं।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. अनुच्छेद 26 प्रदत्त चार अधिकार संविधान के तहत निम्नलिखित में से किन सीमाओं के अधीन हैं?

  1. सार्वजनिक व्यवस्था
  2. मानहानि या अपराध के लिए उकसाना
  3. नैतिकता
  4. स्वास्थ्य
  5. राज्य की सुरक्षा

विकल्प:

  1. केवल 1, 2 और 3
  2. केवल 1, 3 और 4
  3. केवल 2, 4 और 5
  4. केवल 1, 3, 4 और 5

उत्तर:

विकल्प b

व्याख्या:

  • अनुच्छेद 26 में यह प्रावधान है कि प्रत्येक धार्मिक संप्रदाय को निम्नलिखित का अधिकार प्राप्त है:
    • धार्मिक और धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए संस्थानों का गठन और रखरखाव।
    • अपने धर्म विषयक कार्यों का प्रबंध करने का।
    • चल-अचल संपत्ति के अर्जन और स्वामित्व का।
    • ऐसी संपत्ति का विधि के अनुसार प्रशासन करने का।
  • अनुच्छेद 26 द्वारा गारंटीकृत अधिकार नैतिकता, स्वास्थ्य और सार्वजनिक व्यवस्था के तहत सीमाओं के अधीन हैं।

प्रश्न 2. अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF) के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. यह फ्लैविविरिडे परिवार के जीनस पेस्टीवायरस वायरस के कारण होता है।
  2. यह मनुष्य को प्रभावित नहीं करता है।

उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से गलत है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 2
  3. दोनों
  4. इनमें से कोई भी नहीं

उत्तर:

विकल्प a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है, अफ्रीकन स्वाइन फीवर (ASF) एक अत्यधिक संक्रामक वायरल रोग है जो सूअरों में पाया जाता है, जो एसफेरविरिडे (Asfarviridae) परिवार के अफ्रीकन स्वाइन फीवर वायरस (ASFV) के कारण होता है।
  • कथन 2 सही है, स्वाइन फ्लू की तुलना में ASF एक भिन्न रोग है क्योंकि ASF मनुष्य को प्रभावित नहीं करता है और मानव स्वास्थ्य पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

प्रश्न 3. विधानसभा अध्यक्ष के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?

  1. अध्यक्ष अर्थात स्पीकर का चुनाव विधानसभा द्वारा अपने सदस्यों में से ही किया जाता है।
  2. यदि अध्यक्ष अपने पद से हटना चाहता है, तो वह राज्यपाल को त्यागपत्र देकर ऐसा कर सकता है।
  3. अध्यक्ष दल-बदल के आधार पर उत्पन्न होने वाले राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता के प्रश्न पर चुनाव आयोग के परामर्श से निर्णय लेता है।

विकल्प:

  1. केवल 1
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर:

विकल्प a

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है, अध्यक्ष का चुनाव विधानसभा के सदस्यों में से किया जाता है।
  • कथन 2 सही नहीं है, यदि अध्यक्ष अपना पद छोड़ना चाहता है, तो वह उपाध्यक्ष को त्याग पत्र देकर ऐसा कर सकता है।
  • कथन 3 सही नहीं है, दल-बदल के आधार पर राज्य विधानमंडल के सदस्यों की अयोग्यता के प्रश्न पर अध्यक्ष/स्पीकर स्वयं निर्णय लेता है और इसके लिए उसे चुनाव आयोग से परामर्श करने की आवश्यकता नहीं होती है

प्रश्न 4. हाल ही में चर्चा में रहा जोरावर निम्नलिखित में से क्या है?

  1. भारतीय नौसेना का विमानवाहक पोत
  2. डिजाइन और विकास के मामले में स्वदेशी लाइट टैंक
  3. स्कॉर्पीन श्रेणी की पनडुब्बी
  4. भारत के वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (ADE) द्वारा विकसित मानव रहित हवाई वाहन (UAV)

उत्तर:

विकल्प b

व्याख्या:

  • जोरावर टैंक स्वदेश में विकसित हल्के टैंकों का एक बेड़ा है।
  • जोरावर टैंकों का नाम लीजेंडरी जोरावर सिंह कहलुरिया के नाम पर रखा गया है, जो एक सैन्य जनरल थे और पर्वतीय युद्ध में विशेषज्ञ थे, जिन्होंने जम्मू के डोगरा राजा राजा गुलाब सिंह के अधीन काम किया था।

प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:

  1. परासूक्ष्मकण (नैनोपार्टिकल्स) मानव निर्मित होने के सिवाय, प्रकृति में अस्तित्व में नहीं हैं।
  2. कुछ धात्विक ऑक्साइडों के परासूक्ष्मकण, प्रसाधन-सामग्री (कॉस्मेटिक्स) के निर्माण में काम आते हैं।
  3. कुछ वाणिज्यिक उत्पादों के परासूक्ष्मकण, जो पर्यावरण में आ जाते हैं, मनुष्यों के लिए असुरक्षित हैं।

उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?

  1. केवल 1
  2. केवल 3
  3. 1 और 2
  4. 2 और 3

उत्तर:

विकल्प d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही नहीं है, ऐसी विभिन्न भौतिक और रासायनिक प्रक्रियाएं हैं जो मानव और प्राकृतिक रूप से निर्मित परासूक्ष्मकण का उत्पादन करती हैं।
    • परासूक्ष्मकण प्राकृतिक रूप से ज्वालामुखी की राख, समुद्री स्प्रे, महीन रेत और धूल में पाए जाते हैं।
  • कथन 2 सही है, नैनो प्रौद्योगिकी के विकास से सौंदर्य प्रसाधन उद्योग को लाभ प्राप्त हुआ है। कई कॉस्मेटिक उत्पादों में नैनो टेक्नोलॉजी और परासूक्ष्मकण (नैनोपार्टिकल्स) के अनुप्रयोग हैं जिनमें मॉइस्चराइज़र, बालों की देखभाल में प्रयुक्त होने वाले उत्पाद, मेकअप और सनस्क्रीन शामिल हैं।
  • कथन 3 सही है, कुछ व्यावसायिक उत्पादों के परासूक्ष्मकण (नैनोपार्टिकल्स) जो पर्यावरण में आ जाते हैं, मनुष्यों के लिए असुरक्षित हैं क्योंकि ये यकृत, हृदय या रक्त कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

  1. भारत में हाथ से मैला ढोने की प्रथा को प्रतिबंधित करने वाले विविध कानूनों के बावजूद, यह प्रथा अभी भी एक वृहद समस्या बनी हुई है। टिप्पणी कीजिए।

(250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र II – सामाजिक न्याय)

  1. ‘शुद्ध शून्य’ लक्ष्य को हासिल करना न सिर्फ पर्यावरण के लिए बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी वरदान होगा। टिप्पणी कीजिए।

(250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र III – आर्थिक विकास)