29 अक्टूबर 2022 : समाचार विश्लेषण
A.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: शासन:
C.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D.सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E.सम्पादकीय: न्यायपालिका:
जैव विविधता और पर्यावरण:
F. प्रीलिम्स तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। G.महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न : |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:
शासन:
यूएपीए ने आतंकवाद से लड़ाई को गति प्रदान की है: प्रधानमंत्री मोदी
विषय: सरकार की नीतियां और हस्तक्षेप तथा उनके डिजाइन और क्रियान्वयन से उत्पन्न होने वाले मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के मुख्य प्रावधान।
मुख्य परीक्षा: गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम का समालोलोचनात्मक मूल्यांकन।
संदर्भ
प्रधान मंत्री ने माना है कि गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) जैसे विभिन्न केंद्रीय कानूनों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में व्यवस्था को गति प्रदान की है।
गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA)
इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए – Unlawful Activities (Prevention) Act (UAPA) and arguments for and against it |
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विवरण
- जहाँ प्रधान मंत्री ने आतंकवाद का मुकाबला करने में इस अधिनियम के महत्व पर प्रकाश डाला है, वहीं आलोचकों और विपक्ष ने सरकार पर अपने राजनीतिक विरोधियों को चुप कराने के लिए इस अधिनियम जैसे अधिनियमों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है।
- आलोचकों के अनुसार, 2018-20 में यूएपीए के तहत लगभग 4,690 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, लेकिन उनमें से केवल 3% को ही दोषी ठहराया जा सका था।
- आलोचकों का आगे दावा है कि यूएपीए (UAPA) ने सरकार को बिना जवाबदेही के किसी पर भी मुकदमा चलाने की पूर्ण शक्ति दी है।
दुष्प्रचार पर प्रधानमंत्री के विचार
- ऑनलाइन दुष्प्रचार के मामलों में वृद्धि के मद्देनजर, प्रधानमंत्री ने देश के नागरिकों से केवल सूचना के एकमात्र स्रोत के रूप में सोशल मीडिया पर भरोसा नहीं करने का आग्रह किया।
- प्रधानमंत्री ने बताया कि कैसे एक छोटी सी फर्जी खबर एक बड़े समस्या में बदल सकती है और राष्ट्रीय चिंता का मुद्दा बन सकती है और उन्होंने सूचना को अग्रेषित करने (फॉरवर्ड) या प्रसारित करने से पहले जनता को विश्लेषण और सत्यापन के बारे में अवगत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
- प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि वैश्विक स्तर पर भारत की प्रगति को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है जैसे:
- भारत की उपलब्धियों को धूमिल करने का प्रयास किया जा सकता है।
- प्रतिद्वंद्वी देश भारत को प्रतिस्पर्धा के लिए लक्षित करेंगे।
- कई मौजूदा वैश्विक शक्तियाँ नहीं चाहेंगी की भारत की प्रगति उनके विशेषज्ञता के बाजारों में प्रवेश करे जो दुश्मनी का कारण बनती है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि फर्जी खबरों से निपटने के लिए नवोन्मेषी तकनीकी समाधान तैयार किए जाने चाहिए और पुलिस को न केवल बंदूक चलाने वालों से निपटने के लिए बल्कि कलम चलाने वालों और युवाओं को उनकी भावनाओं का शोषण करके गुमराह करने वालों से निपटने के लिए भी तैयार किया जाना चाहिए।
सारांश: ऐसे समय में जब उच्चतम न्यायालय यूएपीए की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को देख रहा है, उस स्थिति में आतंकवाद विरोधी कानून पर प्रधान मंत्री की टिप्पणियों तथा अंतर-राज्य और अंतरराष्ट्रीय बन चुके अपराधों से निपटने में उनके प्रभाव को महत्व मिला है।
संपादकीय
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
न्यायपालिका
मृत्युदंड और आपराधिक न्याय
विषय: सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप
मुख्य परीक्षा: भारत में मृत्युदंड
संदर्भ: उच्चतम न्यायालय ने सितंबर 2022 में पांच जजों की संविधान पीठ को मृत्युदंड देने पर दिशानिर्देश तैयार करने को लेकर स्वत: संज्ञान लेते हुए याचिका भेजी थी।
भूमिका:
- उच्चतम न्यायालय ने पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ को निर्देश दिया कि उन मामलों में कैसे और कब संभावित शमन परिस्थितियों पर अदालतों द्वारा विचार किया जाना चाहिए, जिन मामलों में मृत्युदंड अधिकतम सजा होती है।
- इस मामले का शीर्षक था “मृत्युदंड की सजा देते समय संभावित शमन परिस्थितियों के संबंध में दिशानिर्देश तैयार करना”।
- स्वत: संज्ञान वाली याचिका पर सुनवाई कर रही तीन जजों की पीठ ने कहा कि मृत्युदंड की सजा दिए जाने से पहले एक आरोपी को सुनवाई की अनुमति देने के संबंध में “परस्पर विरोधी फैसले” दिए गए हैं।
- पीठ ने कहा कि “मृत्युदंड अपरिवर्तनीय है और अभियुक्त को परिस्थितियों को कम करने पर विचार करने के लिए हर अवसर दिया जाना चाहिए ताकि अदालत यह निष्कर्ष निकाले कि मृत्युदंड की आवश्यकता नहीं है।”
मृत्युदंड की वैधता:
- 1980 में, उच्चतम न्यायालय ने ‘बचन सिंह बनाम पंजाब राज्य’ मामले में मृत्युदंड की सजा की संवैधानिकता को इस शर्त पर बरकरार रखा कि ऐसी सजा “दुर्लभ से दुर्लभ” मामलों में दी जाएगी।
- इस निर्णय में यह भी जोर दिया गया कि सजा से संबंधित एक अलग सुनवाई होगी, जहां एक न्यायाधीश के सामने यह बात राखी जाएगी कि मृत्युदंड क्यों नहीं दिया जाना चाहिए।
मुद्दे क्या हैं?
- दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) की धारा 235 के अनुसार, एक न्यायालय को उचित सजा देने से पहले सजा के मुद्दे के संबंध में दोषसिद्धि के बाद आरोपी का पक्ष सुनना चाहिए।
- सीआरपीसी की धारा 354 (3) के अनुसार, मृत्युदंड की सजा या आजीवन कारावास के मामले में निर्णय में यह बताना होगा कि सजा क्यों दी गई।
- सजा की सुनवाई कब और कैसे होनी चाहिए, इस बारे में अलग-अलग निर्णय हैं, विशेष रूप से इस संबंध में कि क्या दोषसिद्धि के दिन के अलावा किसी अन्य दिन सुनवाई करना आवश्यक है।
- न्यायालय के कई उत्तरवर्ती निर्णयों में इस स्थिति को दोहराया गया था, जिसमें ‘मिठू बनाम पंजाब राज्य’, 1982 मामले में पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने निर्णय सुनाया था, जिसमें अनिवार्य मृत्युदंड की सजा को खारिज कर दिया गया था क्योंकि यह एक आरोपी को सजा से पहले सुने जाने के अधिकार का उल्लंघन करता है।
- हालाँकि, उस पर अलग-अलग सुनवाई कब होनी चाहिए, इस पर परस्पर विरोधी निर्णय मौजूद हैं।
- कम से कम तीन छोटी पीठों के निर्णयों में माना गया है कि एक अलग सजा संबंधित सुनवाई का अनुल्लंघनीय है, क्योंकि इसकी अनुमति उसी दोषसिद्धि वाले दिन दी जा सकती है।
- उच्चतम न्यायालय ने अपने विभिन्न निर्णयों के माध्यम से यह माना था कि “सजा के प्रश्न पर अभियुक्त को पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए”।
- इन सभी निर्णयों के माध्यम से चलने वाला सामान्य बिंदु यह व्यक्त स्वीकृति है कि सजा के प्रश्न के लिए प्रासंगिक बिंदुओं को प्रस्तुत करने के अवसर के साथ अभियुक्त को सार्थक, वास्तविक और प्रभावी सुनवाई का मौक़ा दिया जाना चाहिए।
इस फैसले से क्या आशय है?
- ट्रायल कोर्ट द्वारा दिए गए मृत्युदंड पर जोर देने की नीतियों और मामले में कुछ हद तक एकरूपता सुनिश्चित करने के लिए एक बड़ी पीठ से निर्देश प्राप्त करने की प्रथा और इच्छा को देखते हुए यह निर्णय ध्यान आकृष्ट करता है।
- 5 जजों की संविधान पीठ सजा के फैसले पर पहुंचने के तरीके पर व्यापक दिशा-निर्देश दे सकती है।
- यह मृत्युदंड के न्याय सुधार की दिशा में एक और कदम है जैसे सीआरपीसी में धारा 354 (3) से संबंधित विधायी सीमा, ‘दुर्लभ से दुर्लभ’ मामले से संबंधित न्यायिक सीमा और अभियुक्त को सभी उपायों के बाद प्राप्त ‘मौखिक सुनवाई’ प्रभावहीन हैं।
- विशेषज्ञों द्वारा मनोवैज्ञानिक पहलुओं पर व्यापक अध्ययन का मतलब यह हो सकता है कि ट्रायल कोर्ट को अभी की तुलना में बेहतर तरीके से जानकारी प्राप्त होगी, जहाँ सजा सुनाए जाने से पहले केवल बुनियादी डेटा जैसे कि शैक्षिक और आर्थिक स्थिति का पता लगाया जाता है।
- इसने भारत में आपराधिक न्याय को मानवीय बनाने के लिए एक सकारात्मक छाप छोड़ी है।
भावी कदम:
- उच्चतम न्यायालय के ये कदम न्यायशास्त्र के सिद्धांतों को प्रतिशोधी से सुधारात्मक की ओर परिवर्तन को इंगित करते हैं।
- यह ट्रायल कोर्ट पर नियंत्रण प्रदान करता है और उन्हें एक नियम के रूप में मृत्युदंड की सजा देने से रोकता है।
- विशेषज्ञों द्वारा यह सुझाव दिया गया है कि ट्रायल के चरण में शमन परिस्थितियों पर विचार किया जाएगा।
- इसलिए, संवैधानिक वैधता के आधार पर एक अपवाद के रूप में दोषी को मृत्युदंड दिया जाएगा।
सारांश: भारत के उच्चतम न्यायालय ने स्पष्टता और एकसमान दृष्टिकोण रखने के लिए मृत्युदंड पर दिशानिर्देश तैयार करने को लेकर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले को एक संविधान पीठ को संदर्भित किया। इस हस्तक्षेप को निचली अदालतों अर्थात ट्रायल कोर्ट द्वारा मौत की सजा देने के तरीके में कमियों को दूर करने की दिशा में एक बड़े कदम के रूप में देखा जा रहा है।
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:
जैव विविधता और पर्यावरण:
COP27 में, जलवायु कार्रवाई पर ध्यान केन्द्रित करना:
विषय: अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण एजेंसियां और समझौते।
मुख्य परीक्षा: जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई के प्रयासों को एकजुट करने में UNFCCC की भूमिका।
संदर्भ: पक्षकारों का 27वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP27) 6 से 18 नवंबर, 2022 तक मिस्र के शर्म अल-शेख में होगा।
भूमिका:
- यूएनएफसीसीसी ग्लोबल वार्मिंग का कारण बनने वाली ग्रीनहाउस गैसों (GHG) के उत्सर्जन को नियंत्रित करने हेतु अनुकूलन और शमन प्रयासों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए प्राथमिक बहुपक्षीय संधि है।
- COP यूएनएफसीसीसी का निर्णय लेने वाला सर्वोच्च प्राधिकरण है जिसकी बैठक हर साल होती है।
- COP की पहली बैठक मार्च 1995 में बर्लिन, जर्मनी में हुई थी।
- पक्षकारों का 26वां संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP26) ग्लासगो में आयोजित किया गया।
- COP पक्षकार भाग लेने वाले वे देश हैं जिन्होंने 1992 में मूल संयुक्त राष्ट्र जलवायु समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
- ऐसा पांचवीं बार होगा जब अफ्रीकी महाद्वीप में किसी COP की मेजबानी की गई है।
- क्षेत्र के प्रशासन और जनता को उम्मीद है कि यह महाद्वीप पर जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों की ओर ध्यान आकर्षित करेगा।
- अनुमान है कि वर्तमान में, सूखे के कारण पूर्वी अफ्रीका में 17 मिलियन लोगों को खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ सकता है।
मुख्य मुद्दे:
- भारत सहित दुनिया भर में विकासशील अर्थव्यवस्थाएं कोविड-19 महामारी से आर्थिक विकास को हुए नुकसान, यूक्रेन-रूस युद्ध और वैश्विक अर्थव्यवस्था की मंदी से चिंतित हैं।
- उपरोक्त मुद्दों के साथ जलवायु आपदा ने विकासशील अर्थव्यवस्थाओं और गरीबों को सबसे ज्यादा प्रभावित किया।
- COP 26 में, पेरिस समझौते के सभी 193 पक्षकार अपनी जलवायु योजनाओं पर फिर से विचार करने और उन्हें मजबूत करने के लिए सहमत हुए। 23 सितंबर, 2022 तक केवल 24 नई या अद्यतन जलवायु योजनाएँ प्रस्तुत की गईं।
- संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन की एक नई रिपोर्ट से पता चलता है कि देश पेरिस समझौते के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक महत्वाकांक्षा के स्तर से बहुत दूर हैं।
- COP27 तक के लिए विशिष्ट प्रगति की आवश्यकता वाले क्षेत्रों में शामिल हैं- उत्सर्जन में कमी, जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति अनुकूल, और अनुकूलन के लिए वित्त पर फोकस करते हुए जलवायु वित्त।
- COP26 में, सरकारों ने विकासशील देशों को अधिक सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर सहमति व्यक्त की और अनुकूलन वित्त को दोगुना करने का आह्वान किया।
- संयुक्त राष्ट्र के दस्तावेजों से पता चलता है कि कम आय वाले देशों के लिए जलवायु परिवर्तन आपदाओं के अनुकूल होने की लागत 100 अरब डॉलर प्रति वर्ष के किए गए वादे से कहीं अधिक है।
- 2009 में, कोपेनहेगन में COP 15 में, 2020 तक 100 अरब डॉलर प्रति वर्ष के जलवायु वित्त पोषण पर सहमति हुई थी।
- 2020 तक केवल 83.3 अरब डॉलर जुटाए गए – लक्ष्य से 16.7 अरब डॉलर कम।
चित्र स्रोत: House of Commons Library
COP 27 के लिए लक्ष्य:
- वैश्विक जलवायु आपदा को टालने के लिए सभी प्रमुख उत्सर्जकों के लिए 2050 तक कार्बन तटस्थता तक पहुंचना परम आवश्यक है। COP27 को इस महत्वपूर्ण क्षेत्र पर ध्यान देना चाहिए।
- भारत शुद्ध शून्य लक्ष्य प्राप्त करने के वर्ष को आगे बढ़ाएगा।
- भारत, दुनिया के तीसरे सबसे बड़े ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जक के रूप में कई चुनौतियों का सामना करता है, जिसमें कोयले पर भारी निर्भरता और धन की कमी शामिल है।
- एक मजबूत और प्रभावी नीतिगत ढांचा, साथ ही अक्षय ऊर्जा की ओर परिवर्तन, भारत को अपने अभियान को शुद्ध शून्य तक ले जाने में मदद करेगा।
- ऊर्जा उत्पादन में कोयले और गैस के प्रयोग में चीन की हिस्सेदारी 70% से अधिक बनी हुई है, देश में बड़े पैमाने पर जीवाश्म ईंधन आधारित बुनियादी ढांचे का वित्तपोषण जारी है।
- चीन ने 2060 को शुद्ध शून्य तक पहुँचने का वर्ष निर्धारित किया है।
- भारत और चीन ने COP26 के लक्ष्य को कोयला आधारित बिजली उत्पादन को “चरणबद्ध तरीके से बंद” करने के स्थान पर “चरणबद्ध तरीके से कम” करके कमजोर कर दिया। दोनों देश शुद्ध शून्य के लिए अपनी तिथि को 2050 तक बढ़ा देंगे।
- COP27 को वैश्विक अर्थव्यवस्था को निम्न-कार्बन पथ पर स्थानांतरित करने में मदद करने हेतु बाजारों के व्यापक उपयोग का आह्वान करना चाहिए।
- शिखर सम्मेलन कार्बन मूल्य निर्धारण को अपनाने वाले देशों में एक आमूलचूल बदलाव का समर्थन कर सकता है, उदाहरण के लिए, प्रदूषण के स्रोत पर एक महत्वपूर्ण कार्बन कर आरोपित करना।
- इसे सभी देशों के लिए जीवाश्म ईंधन सब्सिडी को समाप्त करने की आवश्यकता को दोहराना चाहिए।
- विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक जैसे बहुपक्षीय विकास बैंकों द्वारा जलवायु परियोजनाओं को व्यापक रूप से बढ़ाया जा सकता है।
- G20 राष्ट्र महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत कर सकते हैं क्योंकि वे दुनिया के 80 प्रतिशत उत्सर्जन का प्रतिनिधित्व करते हैं।
- COP27 से पहले, सिंगापुर ने घोषणा की है कि वह 2050 तक शुद्ध शून्य उत्सर्जन प्राप्त करेगा, जो केवल 0.1% कार्बन पदचिह्न वाले देश से दिया गया एक शक्तिशाली संकेत है।
सारांश: नवंबर 2022 में मिस्र में होने वाले COP27 को ग्लोबल वार्मिंग के सबसे बुरे प्रभावों को रोकने के लिए वास्तविक प्रगति करने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। यह प्रगति GHG उत्सर्जन में कटौती के लिए राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं पर COP21 के महत्वपूर्ण पेरिस समझौते से आगे बढ़कर प्राप्त की जा सकती है। पक्षकारों, विशेष रूप से विकसित देशों को विकार्बनीकरण और जलवायु वित्तपोषण के लिए तत्काल कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।
महत्वपूर्ण तथ्य:
- हाटी समुदाय के लिए अनुसूचित जनजाति अधिसूचना को लेकर हिमाचल प्रदेश में असंतोष:
- हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में हाटी समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) सूची के तहत लाने की घोषणा के परिणामस्वरूप गुर्जर (जिले में एकमात्र ST समुदाय) और अन्य अनुसूचित जाति समूहों जैसे अन्य वर्गों में असंतोष है।
- 2011 की जनगणना रिपोर्ट के अनुसार, राज्य की लगभग 5.71% आबादी अनुसूचित जनजाति से संबंधित है और 25.19% आबादी को अनुसूचित जाति के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
- गुर्जर समुदाय के नेताओं के अनुसार, जिले में वर्तमान में पांच विधानसभा सीटें हैं, अर्थात् पच्छाद, नाहन, रेणुकाजी, पांवटा साहिब और शिलाई, जिनमें से पच्छाद और रेणुकाजी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं।
- चूंकि गुज्जर समुदाय के अधिकांश सदस्य नाहन निर्वाचन क्षेत्र में रहते हैं और पूरे जिले में उनकी आबादी केवल 10,000-11,000 है, तो 1.6 लाख हाटी सदस्यों को ST सूची में शामिल करने से आरक्षित नौकरी में उनके हिस्से का नुकसान होगा।
- गुज्जर समुदाय के नेताओं को भी लगता है कि चूंकि हाटी समुदाय के लोग आमतौर पर गुज्जरों की तुलना में बेहतर हैं, चूंकि उनमें से अधिकांश अभी भी खानाबदोश हैं, इसलिए उनके लाभों के हिस्से को संरक्षित किया जाना चाहिए।
- इसके अलावा, इस कदम से क्षेत्र में अनुसूचित जाति समुदायों में भी आक्रोश पैदा हो गया है क्योंकि दलित ग्रामीणों को डर है कि अगर हाटी समुदाय जिसमें ज्यादातर भाट, खश और कनैत शामिल हैं और जिन्हें परंपरागत रूप से उच्च जाति माना जाता है को अनुसूचित जनजाति के रूप में अधिसूचित किया गया तो उनके खिलाफ अत्याचार और भेदभाव बढ़ेगा।
- भारत में 2021 में 21.4 लाख टीबी के मामले अधिसूचित: स्वास्थ्य मंत्रालय:
- स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुमानों के अनुसार, भारत में तपेदिक (टीबी) के मामले आधार वर्ष 2015 जिसमें इनकी संख्या प्रति लाख जनसंख्या पर 256 थी की तुलना में वर्ष 2021 में प्रति 1,00,000 जनसंख्या पर लगभग 210 है।
- स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में जारी विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की वैश्विक टीबी रिपोर्ट 2022 पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि भारत में टीबी के प्रसार में 11% की वैश्विक औसत की तुलना में 18% की कमी आई है।
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में लगभग 10.6 मिलियन लोग टीबी से प्रभावित थे, जिसमें 2020 की तुलना में 4.5% की वृद्धि देखी गई, और लगभग 1.6 मिलियन लोगों की मृत्यु टीबी (187000 एचआईवी पॉजिटिव लोगों सहित) के कारण हुई।
- स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, कोविड-19 महामारी के कारण विभिन्न टीबी कार्यक्रमों पर प्रभाव पड़ने के बावजूद भारत ने प्रमुख मानकों में बेहतर प्रदर्शन किया है।
- 2020 और 2021 में महत्वपूर्ण हस्तक्षेपों की शुरूआत की गई, जिसके कारण 21.4 लाख से अधिक टीबी मामलों (2020 की तुलना में 18% अधिक) को अधिसूचित करने वाले राष्ट्रीय टीबी उन्मूलन कार्यक्रम ने इस संदर्भ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- मंत्रालय ने आगे कहा कि आंकड़ों ने मामलों की दर (सर्वाधिक से न्यूनतम संख्या तक) के मामले में भारत को 36वें स्थान पर रखा है।
इसके बारे में और अधिक जानकारी के लिए इस लिंक पर क्लिक कीजिए – Pradhan Mantri TB Mukt Bharat Abhiyaan
- ‘एक देश, एक पुलिस वर्दी’आदर्श : मोदी
- प्रधान मंत्री ने आंतरिक सुरक्षा मुद्दों पर राज्य के गृह मंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए “एक राष्ट्र, एक पुलिस वर्दी” के विचार का प्रस्ताव रखा।
- उन्होंने कहा कि एक समान वर्दी होने से पुलिस की एक अलग पहचान सुनिश्चित होगी और कर्मियों को लाभ होगा क्योंकि बेल्ट, टोपी और वर्दी का उत्पादन बड़े पैमाने पर होने के कारण उन्हें गुणवत्तापूर्ण उत्पाद उपलब्ध होंगे।
- यह प्रस्ताव “एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड”, “एक राष्ट्र, एक गतिशीलता कार्ड” और “एक राष्ट्र, एक सांकेतिक भाषा” को लागू करने के सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. निम्नलिखित में से किन मामलों में एक व्यक्ति को अनुच्छेद 191 के अनुसार किसी राज्य की विधान सभा या विधान परिषद का सदस्य चुने जाने और सदस्य होने से अयोग्य ठहराया जाएगा?
- यदि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया गया है।
- यदि वह अमुक्त (undischarged) दिवालिया है।
- यदि उसने स्वेच्छा से किसी राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ दी है।
- यदि उसे विभिन्न समूहों के बीच शत्रुता को बढ़ावा देने या रिश्वतखोरी के अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है।
- यदि वह कुछ चुनावी अपराधों या चुनावों में भ्रष्ट आचरण का दोषी पाया जाता है।
विकल्प:
- केवल 1 और 2
- केवल 2, 3, 4 और 5
- केवल 1, 3 और 5
- 1, 2, 3, 4 और 5
उत्तर:
विकल्प a
व्याख्या:
- अनुच्छेद 191 के प्रावधानों के अनुसार, कोई व्यक्ति किसी राज्य की विधान सभा या विधान परिषद का सदस्य चुने जाने और सदस्य होने के लिए निरर्हित होगा:
- यदि वह भारत सरकार के या पहली अनुसूची में विनिर्दिष्ट किसी राज्य की सरकार के अधीन, ऐसे पद को छोड़कर जिसको धारण करने वाले का निरर्हित न होना राज्य के विधान-मंडल ने विधि द्वारा घोषित किया है, कोई लाभ का पद धारण करता है।
- यदि वह मानसिक रूप से अस्वस्थ है और सक्षम न्यायालय द्वारा ऐसा घोषित किया जाता है।
- यदि वह अमुक्त दिवालिया है।
- यदि वह भारत का नागरिक नहीं है, या उसने किसी विदेशी राज्य की नागरिकता स्वेच्छा से अर्जित कर ली है, या वह किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा या अनुषक्ति को स्वीकार किए हुए है,
- यदि वह संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस प्रकार निरर्हित कर दिया जाता है।
- अत विकल्प a सही है।
प्रश्न 2. राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के संदर्भ में, निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से गलत है/हैं?
- यह एक अतिरिक्त संवैधानिक निकाय है।
- एक बच्चे को 0 से 18 वर्ष की आयु के बीच के किसी भी व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है।
- यह केंद्र सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत कार्य करता है।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 1 और 2
- केवल 3
- इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर:
विकल्प d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: एनसीपीसीआर 2007 में बाल अधिकार संरक्षण आयोग (CPCR) अधिनियम, 2005 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है।
- कथन 2 सही है: एक बालक को 0 से 18 वर्ष की आयु के बीच के किसी भी व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है।
- कथन 3 सही है: एनसीपीसीआर केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तत्वावधान में काम करता है।
प्रश्न 3. वैश्विक लैंगिक अंतराल (GGG) सूचकांक के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह विश्व आर्थिक मंच (WEF) द्वारा जारी किया जाता है।
- इस सूचकांक में 0 और 1 के बीच स्कोर प्रदान किया जाता है, जहां 1 पूर्ण लैंगिक समानता दिखाता है, वहीं 0 पूर्ण असमानता को प्रदर्शित करता है।
- वर्ष 2022 के इस सूचकांक में, भारत की रैंकिंग अपने पड़ोसियों से खराब है तथा यह बांग्लादेश, नेपाल, श्रीलंका, मालदीव और भूटान से पीछे है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर:
विकल्प d
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: विश्व आर्थिक मंच (WEF) वैश्विक लैंगिक अंतराल रिपोर्ट जारी करता है।
- कथन 2 सही है: यह सूचकांक 0 और 1 के बीच स्कोर प्रदान करता है, जहाँ 1 पूर्ण लैंगिक समानता दर्शाता है और 0 पूर्ण असमानता है।
- कथन 3 सही है: वर्ष 2022 के लिए, भारत को 146 देशों में 135वें स्थान पर रखा गया है और इसने पड़ोसी देशों जैसे बांग्लादेश (71वें स्थान), नेपाल (96), श्रीलंका (110), मालदीव (117) और भूटान (126) की तुलना में खराब प्रदर्शन किया है।
प्रश्न 4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- यह एक सक्रिय ढाल ज्वालामुखी (shield volcano) है।
- इसके विस्फोट से विशाल, तीव्र लावा प्रवाह देखने को मिलता है जो हवाई द्वीप के पूर्व और पश्चिम की ओर के समुदायों को प्रभावित कर सकता है।
उपर्युक्त कथनों में निम्नलिखित में से किसका वर्णन किया गया है?
- बाबुयान क्लारो
- मौना लोआ
- मेरापी
- सकुराजिमा
उत्तर:
विकल्प b
व्याख्या:
- मौना लोआ विस्फोटों से विशाल, तेज गति वाले लावा प्रवाह उत्पन्न होते हैं जो हवाई द्वीप के पूर्व और पश्चिम की ओर समुदायों को प्रभावित कर सकते हैं।
- मौना लोआ पृथ्वी पर सबसे बड़ा ज्वालामुखी है और यह एक सक्रिय शील्ड ज्वालामुखी है।
PYQ (2022)
प्रश्न 5. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- US फेडरल रिजर्व की सख्त मुद्रा नीति पूंजी पलायन की ओर ले जा सकती है।
- पूंजी पलायन वर्तमान विदेशी वाणिज्यिक ऋणग्रहण (External Commercial Borrowings (ECBs)) वाली फर्मों की ब्याज लागत को बढ़ा सकता है।
- घरेलू मुद्रा का अवमूल्यन, ECBs से संबद्ध मुद्रा जोखिम को घटाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-से सही हैं?
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- 1, 2 और 3
उत्तर:
विकल्प a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है: तंग (संकुचित) मौद्रिक नीति आमतौर पर फेडरल रिजर्व जैसे केंद्रीय बैंक द्वारा अत्यधिक तीव्र आर्थिक विकास को धीमा करने और अर्थव्यवस्था में खर्च को बाधित करने के लिए की जाती है।
- हालांकि, तंग मौद्रिक नीति निवेश को हतोत्साहित करती है और इससे पूंजी का पलायन हो सकता है।
- कथन 2 सही है: चूंकि तंत्र में मुद्रा की आपूर्ति कम हो गई है, पूंजी का पलायन मौजूदा विदेशी वाणिज्यिक ऋणग्रहण (External Commercial Borrowings (ECBs)) वाली फर्मों की ब्याज लागत में वृद्धि कर सकता है।
- कथन 3 सही नहीं है: घरेलू मुद्रा का अवमूल्यन ECBs को प्रभावित नहीं करता है क्योंकि यह विदेशी मुद्रा में मूल्यवर्गित है न कि घरेलू मुद्रा में।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न :
प्रश्न 1. अनुसूचित जनजातियों की सूची में एक जनजाति को शामिल करने की प्रक्रिया में सत्ताधारी सरकार के विवेकाधिकार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। क्या आप सहमत हैं? समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन II – राजव्यवस्था)
प्रश्न 2. जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई वित्त की कमी के कारण नहीं बल्कि इच्छा की कमी के कारण धीमी हो रही है। विस्तारपूर्वक चर्चा कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) (सामान्य अध्ययन III – पर्यावरण)