A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं। C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: सुरक्षा
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं। E. संपादकीय: आपदा प्रबंधन
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित समाचार उपलब्ध नहीं हैं।
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
उल्फा शांति समझौता
सुरक्षा
विषय: आंतरिक सुरक्षा के लिये चुनौती उत्पन्न करने वाले शासन विरोधी तत्त्वों की भूमिका
मुख्य परीक्षा: उल्फा शांति समझौते का महत्व
सन्दर्भ: केंद्रीय गृह मंत्रालय, असम सरकार और यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (ULFA) के वार्ता समर्थक गुट के बीच हाल ही में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर असम में स्थायी शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। गृह मंत्री अमित शाह ने असम की शांति के लिए इस त्रिपक्षीय समझौते के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह राज्य में हिंसक विद्रोही समूहों से निपटने में सरकार की सफलता को दर्शाता है।
पृष्ठभूमि
- असमिया – अहोम साम्राज्य- असमिया लोगों की अपनी, अनूठी संस्कृति है
- भाषा, और पहचान की एक मजबूत भावना।
- हालाँकि, 19वीं सदी की शुरुआत में, जैसे-जैसे इस क्षेत्र की चाय, कोयला और तेल अर्थव्यवस्था ने हर जगह से प्रवासियों को आकर्षित किया, वहीं स्थानीय आबादी असुरक्षित महसूस करने लगी।
- मूल निवासियों का मानना था कि असम केवल यान्डाबू संधि के कारण ब्रिटिश भारत को सौंपा गया था, जिस पर 1826 में दो विदेशी शक्तियों – ब्रिटिश और बर्मी अधिवासी के बीच हस्ताक्षर किए गए थे।
- विभाजन और उसके बाद तत्कालीन-पूर्वी पाकिस्तान से राज्य में शरणार्थियों के पलायन से यह और भी बदतर हो गया।
- 1970-71 में अधिक शरणार्थी – बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों का आगमन
- जनसांख्यिकीय परिवर्तन: सामाजिक-जातीय तनाव।
- 1970 और 1980 के दशक में कथित चुनावी कदाचार
- निराशा और आक्रोश की बढ़ती भावना
- असम आंदोलन – 1979
- इन सबके बीच, भीमाकांत बुरागोहेन, अरबिंद राजखोवा, अनुप चेतिया, प्रदीप गोगोई, भद्रेश्वर गोहेन और परेश बरुआ के नेतृत्व में अधिक कट्टरपंथी विचारकों के एक समूह ने 7 अप्रैल, 1979 को उल्फा का गठन किया।
- उल्फा के संस्थापक भारतीय राज्य के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष के माध्यम से एक संप्रभु असमिया राष्ट्र की स्थापना करना चाहते थे।
- 44 वर्षों से अधिक समय से, इस ‘संघर्ष’ के क्रम में अपहरण और जबरन वसूली, और बम विस्फोट हुए हैं, जिससे असम और उसके बाहर जीवन की दुखद हानि हुई है।
सीमा पार समर्थन
- बांग्लादेश, म्यांमार और भूटान में सुरक्षित पनाहगाह
- पाकिस्तान और चीन की खुफिया एजेंसियों से संबंध
- अन्य उत्तर-पूर्व विद्रोहियों के साथ नेटवर्क और म्यांमार सीमा पर संगठित आपराधिक कार्टेल
- हूजी और अल-कायदा से संपर्क
- चरम हिंसा: 1979 से 1990 के दशक के अंत तक
भारत की प्रतिक्रिया
- AFSPA और राष्ट्रपति शासन
- 1990 में ऑपरेशन बजरंग
- 1992 में, एक गुट, जिसे बाद में सरेंडर्ड उल्फा (SULFA) नाम दिया गया, ने आत्मसमर्पण करने और सरकार के साथ बातचीत में शामिल होने की पेशकश की।
- वैचारिक मतभेद – अनेक गुट
- 2009: बांग्लादेश में शेख हसीना सत्ता में आईं
- भारत-बांग्लादेश ने सुरक्षित पनाहगाहों को निशाना बनाया
- अरबिंद राजखोवा और बाद में अनूप चेतिया को भारत को सौंप दिया गया।
शांति प्रक्रिया
- 2011: अरबिंद राजखोवा के नेतृत्व वाले वार्ता समर्थक गुट के साथ ऑपरेशंस समझौते को निलंबित करना।
- परेश बरुआ के नेतृत्व वाले उल्फा (आई) ने वार्ता को खारिज कर दिया और अभी भी म्यांमार-चीन सीमा से गतिविधियों में संलग्न है।
- 2023: उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के साथ त्रिपक्षीय शांति समझौता।
संबोधित मुद्दे:
- दशकों तक हिंसा: असम और पूर्वोत्तर ने दशकों से लंबे समय तक हिंसा का अनुभव किया है, उल्फा जैसे समूहों से अस्थिरता हुई है और जानमाल का नुकसान हुआ है।
- आत्मसमर्पण और पुन:एकीकरण: 700 की संख्या वाले उल्फा कैडर हथियार आत्मसमर्पण करने, अपने शिविर खाली करने और शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भाग लेने पर सहमत हुए हैं। यह पुनर्एकीकरण और मुख्यधारा से जुड़ाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतीक है।
- राजनीतिक असुरक्षा: यह शांति समझौता असम के स्थानीय लोगों के बीच राजनीतिक असुरक्षा के लंबे समय से चले आ रहे मुद्दे का समाधान करता है। 126 विधानसभा सीटों में से 97 को स्वदेशी लोगों के लिए आरक्षित करना और भविष्य में परिसीमन अभ्यास में इस सिद्धांत का अनुपालन करना उनकी चिंताओं को दूर करना है।
- आर्थिक विकास: इस समझौते में ₹1.5 लाख करोड़ के निवेश का वादा किया गया है, जो क्षेत्र में आर्थिक विकास के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाता है। यह राज्य और इसके निवासियों के समग्र कल्याण में योगदान दे सकता है।
- संवैधानिक सुरक्षा उपाय: यह समझौता संवैधानिक सुरक्षा उपायों को सुनिश्चित करता है, जिसमें भूमि अधिकारों की सुरक्षा और निर्वाचन क्षेत्रों के बीच प्रवास पर प्रतिबंध शामिल है। यह क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक ताने-बाने को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।
समाधान और भावी कदम:
- समयबद्ध कार्यक्रम: गृह मंत्री अमित शाह ने उल्फा की मांगों को पूरा करने के लिए समयबद्ध कार्यक्रम की घोषणा की, निगरानी समिति का गठन शांति समझौते के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करता है।
- समावेशी संवाद: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने व्यापक शांति के लिए समावेशी संवाद के महत्व पर जोर देते हुए उल्फा के परेश बरुआ गुट को वार्ता में शामिल होने का निमंत्रण दिया है।
- निरंतर जुड़ाव: शांति बनाए रखने के लिए उल्फा सहित हितधारकों के साथ निरंतर जुड़ाव महत्वपूर्ण है। सरकार को चिंताओं को दूर करने और विश्वास का माहौल बनाने के लिए प्रतिबद्ध रहना चाहिए।
सारांश: उल्फा के वार्ता समर्थक गुट के साथ शांति समझौता स्थायी शांति की दिशा में असम की यात्रा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर दर्शाता है। यह समझौता राजनीतिक प्रतिनिधित्व, आर्थिक विकास और पूर्व विद्रोहियों को मुख्यधारा के समाज में पुनः शामिल करने सहित प्रमुख मुद्दों का समाधान करता है। |
संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित
आपदा राहत पर टकराव
आपदा प्रबंधन
विषय: आपदा प्रबंधन
मुख्य परीक्षा: आपदा राहत पर टकराव
सन्दर्भ: बाढ़ राहत को लेकर केंद्र और तमिलनाडु सरकार के बीच हालिया विवाद ने आपदा राहत प्रदान करने में स्पष्ट मानदंडों की आवश्यकता को प्रकाश में लाया है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सितारमन और राज्य के युवा कल्याण मंत्री उदयणिधि स्टालिन के बीच रिलीफ फंड्स को लेकर टकराव से राज्य में भारी वर्षा के बाद पुनर्निर्माण के महत्वपूर्ण कार्य से ध्यान इस ओर आया है।
मौजूद समस्याएँ:
- मंत्रियों के बीच द्वंद्व: बाढ़ राहत को लेकर निर्मला सितारमन और उदयनिधि स्टालिन के बीच सार्वजनिक टकराव ने तमिलनाडु के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में सामान्य स्थिति को बहाल करने की तत्काल आवश्यकता से ध्यान भटकाया है।
- राहत कोष अनुरोध: मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने चक्रवात मिचौंग से हुए नुकसान के लिए 7033 करोड़ की अंतरिम राहत निधि और 12659 करोड़ की अंतिम राहत निधि तथा हाल की बाढ़ के लिए पीएम राष्ट्रीय राहत कोष से 2000 करोड़ की मांग की। केंद्र सरकार से कुल अनुरोध ₹ 21,692 करोड़ है।
- केंद्र सरकार का पक्ष: केंद्र सरकार, (जैसा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है) हर प्राकृतिक आपदा के लिए राष्ट्रीय आपदा की घोषणा नहीं करता है। आपदा वर्गीकरण के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश आवश्यक हैं।
- स्थायी मरम्मत कार्यों का बहिष्करण: राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) से दीर्घकालिक या स्थायी मरम्मत कार्यों के बहिष्करण की पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता है।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSMES): SDRF/NDRF के राहत मानदंड सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम को शामिल नहीं करते हैं, विदित हो कि सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम राज्य में लगभग 1.4 करोड़ लोगों को रोजगार देता है, तो उनकी चिंताओं का समाधान करना आवश्यक है।
- आपदा प्रबंधन पर मानदंड: राजनीतिक विवादों से बचने के लिए विशेष रूप से आपदा प्रबंधन पर नए मानदंडों की आवश्यकता है, विशेष रूप से चक्रवात-संवेदनशील राज्यों जैसे तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और गुजरात में।
स्पष्ट दिशानिर्देशों का महत्व:
- समय पर सहायता: मानदंडों में स्पष्टता यह सुनिश्चित करती है कि आपदाओं से प्रभावित लोगों की तत्काल आवश्यकताओं का समाधान करते हुए, राहत तुरंत प्रदान की जाएगी।
- राजनीतिक विवाद से बचना: स्पष्ट रूप से परिभाषित मानदंड केंद्र और राज्य सरकारों के बीच विवादों को रोकते हैं, जिससे अधिक कुशल और सहकारी आपदा प्रतिक्रिया की सुविधा मिलती है।
- MSMEs का समावेशन: MSME को शामिल करने के लिए राहत मानदंडों को संशोधित करना उनके आर्थिक महत्व को स्वीकार करता है और एक महत्वपूर्ण कार्यबल की कुशलता सुनिश्चित करता है।
समाधान:
- राहत वर्गीकरण के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश: केंद्र सरकार को प्राकृतिक आपदाओं को वर्गीकृत करने, तत्काल राहत और दीर्घकालिक मरम्मत कार्यों के बीच अंतर करने के लिए पारदर्शी और व्यापक दिशानिर्देश स्थापित करना चाहिए।
- समावेशी राहत मानदंड: स्थायी बहाली कार्यों को शामिल करने के लिए राहत मानदंडों की समीक्षा करना और MSMEs के लिए सहयोग का विस्तार करना आपदा राहत के लिए अधिक समग्र दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है।
- परामर्श और सहयोग: नए आपदा प्रबंधन मानदंडों को तैयार करने के लिए चक्रवात-प्रवण राज्यों के साथ जुड़ना सहयोग को बढ़ावा देता है और राजनीतिक विवादों की संभावना को कम करता है।
सारांश: बाढ़ राहत पर हाल ही में टकराव आपदा राहत के लिए स्पष्ट मानदंडों के महत्व को रेखांकित करता है। समय पर और समावेशी सहायता, राजनीतिक विवादों से बचना, और सभी प्रभावित क्षेत्रों की चिंताओं का समाधान करना महत्वपूर्ण पहलू हैं। |
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित
क़तर की ओर से प्रविलंबन
अंतरराष्ट्रीय संबंध
विषय: भारत के हितों पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: क़तर की ओर से प्रविलंबन
सन्दर्भ: आठ पूर्व भारतीय नौसेना कर्मियों की मृत्युदंड को कम करते हुए कतर कोर्ट ऑफ अपील्स के हालिया फैसले ने व्यक्तियों और उनके परिवारों के लिए महत्वपूर्ण प्रविलंबन (Reprieve) प्रदान की है। यह घटनाक्रम भारत सरकार द्वारा राजनयिक प्रयासों के अनुरूप है और 1 दिसंबर को COP28 के दौरान कतर नेतृत्व के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चर्चा के बाद आया है।
राजनयिक चैनल और कानूनी रणनीति:
- मृत्युदंड सजा में कमी कतर के साथ भारत के राजनयिक चैनलों की सफलता को रेखांकित करती है।
- हालांकि, सजा के बने रहने की चुनौतियां हैं, जिससे कानूनी रणनीति के पुनर्मूल्यांकन की आवश्यकता बनती है।
- विस्तृत निर्णय का इंतजार है, तथा सरकार और परिवारों को कतर के अपीलीय अदालत के पास समीक्षा याचिका दायर करने से पहले निर्दोषता के सबूतों का मूल्यांकन करना चाहिए।
सरकार के लिए विकल्प:
- कतर के सत्तारूढ़ अमीर के पास समीक्षा अपील करना: सरकार शेख तमिम बिन हमद अल-थानी के सामने सजा की समीक्षा के लिए दबाव जारी रख सकती है। यदि यह असफल होता है, तो वैकल्पिक विकल्पों का पता लगाया जाना चाहिए।
- दया और क्षमा: व्यक्ति दया के लिए अपील कर सकते हैं और क्षमा मांग सकते हैं, यह मार्ग कतर के शासकों ने अतीत में प्रदान किया है। इस क्रम में राजनयिक चालाकी और बातचीत कौशल की आवश्यकता होती है।
- सजा पाए व्यक्तियों के ट्रान्सफर पर समझौता : अगर सजा को समाप्त नहीं किया जाता है तो सजा पाए व्यक्तियों को उसके देश भेजे जाने पर 2015 द्विपक्षीय समझौते का उपयोग करते हुए, सरकार अपनी सजा भारत में काटने की उन व्यक्तियों की संभावना का पता लगा सकती है।
राजनीतिक पहुँच का महत्व:
- पीएम मोदी की कतर नेतृत्व के साथ चर्चा के साथ सजा में कमी का यह समय राजनीतिक जुड़ाव के महत्व को रेखांकित करता है। हालांकि यह अनिश्चित है कि क्या पहले की राजनीतिक पहल अधिक फलदायी रही होती, वहीं COP28 पर आउटरीच भारत के लिए विदेशों में अपने नागरिकों के कल्याण पर प्राथमिकता को इंगित करता है।
सार्वजनिक बयानबाजी से बचाव:
- भारत का सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया नहीं करने या बयानबाजी में संलग्न नहीं होने, विशेष रूप से दोहा को लक्षित नहीं करने का निर्णय सराहनीय है।
- अन्य देशों के साथ हुए घटनाक्रमों के विपरीत, भारत ने पूर्ण रूप से सुचिंतित दृष्टिकोण अपनाया है, जिसमें प्रतिकूल व्यवहार वाली सार्वजनिक बयानबाजी से बचाव पर जोर है। यह रणनीति सकारात्मक राजनयिक संबंधों को बनाए रखने में महत्वपूर्ण है।
खुफिया सेवाएं और क्षेत्रीय संवेदनशीलता:
- यदि मामला भारत की खुफिया सेवाओं से जुड़ा हुआ है, तो संबंधित संचालन की गहन समीक्षा भारतीयों को विदेशों में खतरे में डालने से रोकने के लिए आवश्यक है।
- इसके अतिरिक्त, सरकार के रुख में क्षेत्रीय तनावों में बुद्धिमानी से बचाव शामिल है, जैसे कि गाजा में संघर्ष से उत्पन्न होने वाला तनाव। नाजुक राजनयिक स्थिति को संभालने में कैलिब्रेटेड और संवेदनशील स्थिति महत्वपूर्ण हो जाती है।
सारांश: कतर के अदालत का फैसला महत्वपूर्ण प्रविलंबन प्रदान करता है, लेकिन आगे सावधानीपूर्वक योजना की आवश्यकता है। सरकार को कानूनी रास्ते का पता लगाना चाहिए, राजनयिक दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए और संभावित चुनौतियों का अध्ययन करते रहना चाहिए। |
प्रीलिम्स तथ्य
1. भारतीय नौसेना का नया प्रतीक चिन्ह
सन्दर्भ: भारतीय नौसेना ने एडमिरल के लिए नए एपॉलेट का अनावरण किया है, यह कदम 4 दिसंबर को सिंधुदुर्ग में नौसेना दिवस समारोह के दौरान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की घोषणा से प्रेरित है।
संबोधित मुद्दे:
- औपनिवेशिक विरासत: नौसेना रैंकों के लिए ब्रिटिश नामकरण का उपयोग औपनिवेशिक विरासत को दर्शाता है, जिससे भारत की पहचान और विरासत पर जोर देने के लिए एक प्रतीकात्मक बदलाव की आवश्यकता पैदा होती है।
- समुद्री विरासत: छत्रपति शिवाजी और नौसैनिक ध्वज से प्रेरणा लेते हुए नए एपॉलेट्स का उद्देश्य भारत की समृद्ध समुद्री विरासत को प्रतिबिंबित करना है। यह कदम भारतीयता को अपनाने और दासता की मानसिकता से मुक्त होने के व्यापक लक्ष्य के अनुरूप है।
- एपॉलेट्स का प्रतीकवाद: इस डिज़ाइन में एक अष्टकोण, भारतीय तलवार, क्रॉस करता दूरबीन, और रैंकों को इंगित करने वाले सितारे हैं, जो ऐतिहासिक प्रतीकवाद और आधुनिक रैंक भेदों के मिश्रण का प्रतीक है।
- रैंकों का नाम बदलना: भारतीय परंपराओं के अनुरूप रैंकों का नाम बदलने की योजना नौसेना पदानुक्रम के भीतर एक विशिष्ट भारतीय पहचान स्थापित करने की दिशा में एक और कदम है।
पहल का महत्व:
- सांस्कृतिक रंग: नए एपॉलेट्स को अपनाना और रैंकों का नाम बदलना सांस्कृतिक रंग को दर्शाता है, जो भारत की विरासत पर गर्व करने और औपनिवेशिक प्रतीकों से हटने पर जोर देता है।
- दासता की मानसिकता को खत्म करना: इस कदम को “गुलामी की मानसिकता” की अस्वीकृति के रूप में तैयार किया गया है, जो दासता की मानसिकता से मुक्त होने और स्वतंत्रता पर जोर देने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- छत्रपति शिवाजी से प्रेरणा: प्रधानमंत्री मोदी का छत्रपति शिवाजी महाराज पर एक प्रेरणा के रूप में जोर देना ऐसी ऐतिहासिक शख्सियत से प्रतीकात्मक संबंध का प्रतीक है जो अपनी समुद्री शक्ति और स्वतंत्र भावना के लिए विख्यात हैं।
- भारतीयता के साथ तालमेल: नौसेना की भारतीयता को अपनाने की प्रतिबद्धता पर प्रकाश डाला गया है, जिससे इस विचार को बल मिलता है कि सशस्त्र बल की जड़ें भारतीय संस्कृति और मूल्यों में निहित हैं।
स्रोत: The hindu
2. X-37B
सन्दर्भ: स्पेसएक्स ने अनुसंधान मिशन पर गुप्त अमेरिकी अंतरिक्ष यान लॉन्च किया
विवरण:
- स्पेसएक्स के फाल्कन हेवी रॉकेट को एक अनुसंधान मिशन हेतु अमेरिकी सेना के गुप्त X-37B ड्रोन को ले जाने के लिए वापस अंतरिक्ष में भेजा गया।
- पेंटागन ने पिछले महीने कहा था कि उसके प्रयोगों में “नए कक्षीय व्यवस्था में पुन: प्रयोज्य अंतरिक्ष यान का संचालन और नासा द्वारा प्रदान की गई सामग्रियों पर विकिरण प्रभावों की जांच करना” शामिल है।
रहस्यमय X-37B
- संयुक्त राज्य अमेरिका के रक्षा विभाग ने बोइंग द्वारा बनाए गए X-37B के बारे में बहुत कम विवरणों का खुलासा किया है।
- यह एक छोटी सी बस के आकार के आसपास है और इसमें एक डिजाइन भाषा है जो अंतरिक्ष शटल के समय पर वापस आ जाती है। यह कई अलग-अलग पेलोड को तैनात करने और वर्षों तक चलने वाली कक्षीय उड़ानों पर प्रौद्योगिकी प्रयोगों का संचालन करने के लिए बनाया गया है।
- इसे वायुमंडल के माध्यम से वापस आने के लिए डिज़ाइन किया गया है और एक हवाई जहाज की तरह रनवे के जरिए भूमि पर आता है।
- बोइंग के अनुसार, X-37B में एवियोनिक्स तकनीक है जो सभी डी-ऑर्बिट और लैंडिंग फ़ंक्शन को स्वचालित करती है। ऑन बोर्ड कोई हाइड्रोलिक्स नहीं होता है तथा सभी फ्लाइट कंट्रोल और ब्रेक इलेक्ट्रो-मैकेनिकल सक्रियण (electro-mechanical actuation) का उपयोग करके संचालित होते हैं।
- इस विमान को एक अंतरिक्ष ग्रेड कम्पोजिट से भी बनाया गया है जो एल्यूमीनियम की तुलना में हल्का है।
3. अर्जेंटीना ने ब्रिक्स सदस्यता को अस्वीकार किया
सन्दर्भ: अर्जेंटीना के राष्ट्रपति जेवियर माइली ने औपचारिक रूप से ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका से मिलकर ब्रिक्स समूह में शामिल होने के लिए अर्जेंटीना को मिले आमंत्रण को खारिज कर दिया है। 1 जनवरी, 2024 को शुरू होने वाली सदस्यता के साथ, अर्जेंटीना सहित छह नए सदस्यों को शामिल करते हुए, इस ब्लॉक के विस्तार का उद्देश्य था, लेकिन इस बीच अर्जेंटीना ने इसे अस्वीकार किया।
समस्याएँ जो अभी हैं:
- BRICS विस्तार: ब्रिक्स ब्लॉक ने पश्चिमी नेतृत्व वाले वैश्विक आदेश का मुकाबला करने पर जोर दिया, अर्जेंटीना सहित छह नए सदस्यों को शामिल किए जाने की घोषणा की गई। हालांकि, राष्ट्रपति माइली की अस्वीकृति अर्जेंटीना की विदेश नीति के संरेखण और प्राथमिकताओं के बारे में सवाल उठाती है।
- महत्त्वपूर्ण राजनीतिक बदलाव: राष्ट्रपति माइली की हालिया चुनावी जीत में अर्जेंटीना के पारंपरिक राजनीतिक दलों का सत्ता से प्रस्थान देखा गया। BRICS सदस्यता की अस्वीकृति देश के भू -राजनीतिक रुख में बदलाव को रेखांकित करती है।
- अलग -अलग विदेश नीति: ब्रिक्स के नेताओं को राष्ट्रपति माइली के पत्र में इस बात पर जोर दिया गया है कि उनके प्रशासन के तहत अर्जेंटीना की विदेश नीति पिछली सरकार से काफी भिन्न है। यह पिछले प्रशासन द्वारा किए गए निर्णयों के पुनर्मूल्यांकन को इंगित करता है।
- यू.एस. और इज़राइल के साथ संरेखण: अपने चुनाव अभियान के दौरान, राष्ट्रपति माइली ने कहा कि अर्जेंटीना का भू -राजनीतिक संरेखण संयुक्त राज्य अमेरिका और इज़राइल के साथ है, जहां कम्युनिस्ट देशों के साथ सहयोगी बनने की अनिच्छा की भावना निहित है।
समाधान और भावी कदम:
- विदेश नीति में स्पष्टता: राष्ट्रपति माइली के प्रशासन को अर्जेंटीना की विदेश नीति के विशिष्ट पहलुओं पर स्पष्टता प्रदान करनी चाहिए जो पिछली सरकार से अलग है। स्पष्ट संवाद अंतर्राष्ट्रीय अपेक्षाओं के साथ सामंजस्य बनाने में मदद करेगा।
- राजनयिक सहयोग: वैचारिक मतभेदों के बावजूद, सामान्य हितों और चिंताओं पर ब्रिक्स राष्ट्रों के साथ कूटनीतिक रूप से जुड़ने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि अर्जेंटीना सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखता है और सहयोग के अवसरों पर ध्यान देता है।
- गठबंधन में संतुलन: अमेरिकी और इज़राइल के साथ जुड़ाव व्यक्त करते समय, राष्ट्रपति माइली को अंतरराष्ट्रीय मामलों में विविध साझेदारी के महत्व को स्वीकार करते हुए, अन्य देशों के साथ राजनयिक संबंधों को ध्यान से संतुलित करना चाहिए।
4. अर्जेंटीना के साथ लिथियम डील को भारत जल्दी संपन्न करेगा
सन्दर्भ: खान मंत्रालय और राज्य के स्वामित्व वाले खनिज बिडेश इंडिया लिमिटेड (KABIL) के माध्यम से भारत, ऑस्ट्रेलिया और चिली में एक साथ अवसरों की खोज करते हुए अर्जेंटीना के साथ एक लिथियम सौदे की ओर बढ़ रहा है। अर्जेंटीना के माइनर CAMYEN के साथ अन्वेषण और विकास समझौता तथा चिली माइनर ENAMI के साथ गैर-प्रकटीकरण समझौता भारत के रणनीतिक कदम को दर्शाता है जहां भारत का उद्देश्य अपनी हरित ऊर्जा पहल के लिए दुर्लभ खनिज-लिथियम को सुरक्षित करना है।
मौजूदा समस्याएँ:
- लिथियम अधिग्रहण रणनीति: भारत, अपनी हरित ऊर्जा महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित है, विश्व स्तर पर लिथियम अधिग्रहण के अवसरों पर सक्रिय रूप से ध्यान दे रहा है। अर्जेंटीना, चिली और ऑस्ट्रेलिया पर ध्यान अक्षय ऊर्जा स्रोतों की ओर में संक्रमण में लिथियम की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
- आयात निर्भरता: वर्तमान में, भारत अपनी लिथियम आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए आयात पर बहुत निर्भर है, जहां लगभग 24,000 करोड़ का पर्याप्त आयात बिल है। यह देश के मामले में श्रृंखला को आपूर्ति में निहित कमजोरियों को सामने लाता है और घरेलू उत्पादन की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- ग्लोबल लिथियम मार्केट डायनेमिक्स: लैटिन अमेरिकी राष्ट्र, विशेष रूप से चिली और अर्जेंटीना, वैश्विक लिथियम आपूर्ति में बड़ा योगदान देते हैं। CAMYEN के साथ अन्वेषण और विकास समझौते तथा ENAMI के साथ चर्चा इन देशों के प्रभुत्व वाले बाजार में भारत के प्रवेश का संकेत देती है।
- रणनीतिक महत्व: लिथियम, जिसे प्रायः ‘व्हाइट गोल्ड’ कहा जाता है, भारत के हरित ऊर्जा संक्रमण के लिए रणनीतिक महत्व रखता है। विदेशों में लिथियम परिसंपत्तियों को प्राप्त करना महत्वपूर्ण खनिजों के लिए एक स्थिर आपूर्ति श्रृंखला को सुरक्षित करने के भारत के प्रयासों के साथ संरेखित होता है।
पहल का महत्व:
- आपूर्तिकर्ताओं का विविधीकरण: अर्जेंटीना, चिली और ऑस्ट्रेलिया में माइनर (खनिक) के साथ जुड़कर, भारत का उद्देश्य लिथियम के अपने स्रोतों में विविधता लाना है, एक ही क्षेत्र पर निर्भरता को कम करना और आपूर्ति सुरक्षा बढ़ाना है।
- वैश्विक सहयोग: CAMYEN के साथ समझौते और ENAMI के साथ चर्चा दुर्लभ खनिजों को हासिल करने में वैश्विक सहयोग के लिए भारत की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करती है। यह दृष्टिकोण संसाधन-समृद्ध राष्ट्रों के साथ राजनयिक और आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देता है।
- हरित ऊर्जा संक्रमण को बढ़ावा देना: इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण के लिए बैटरी में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में, लिथियम संसाधनों को सुरक्षित करना भारत के हरित ऊर्जा संक्रमण के लिए महत्वपूर्ण है। घरेलू उत्पादन कार्बन पदचिह्न को कम करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
समाधान और भावी कदम:
- कैबिनेट अनुमोदन: अर्जेंटीना में अधिग्रहण की रिपोर्ट की गई लागत संतोषजनक है, और प्रस्ताव कैबिनेट अनुमोदन के लिए रखी है। आवश्यक अनुमोदन हासिल करना लिथियम अधिग्रहण रणनीति की सुचारू प्रगति सुनिश्चित करता है।
- घरेलू नीलामी: भारत को लिथियम ब्लॉकों के लिए घरेलू नीलामी को बढ़ावा देना, निजी क्षेत्र की भागीदारी की सुविधा तथा एक प्रतिस्पर्धी और पारदर्शी प्रक्रिया सुनिश्चित करना चाहिए।
- अन्वेषण में निवेश: ऑस्ट्रेलिया में निवेश योग्य परियोजनाओं की पहचान के लिए कंसल्टेंसी मेजर PwC के साथ सहयोग करना एक रणनीतिक दृष्टिकोण को इंगित करता है। अन्वेषण परियोजनाओं में निरंतर निवेश भारत के लिए अतिरिक्त लिथियम स्रोतों को हासिल करने की संभावना को बढ़ाता है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
Q1. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- प्रोजेक्ट टाइगर केंद्र प्रायोजित योजना है।
- भारत अब दुनिया के 70% से अधिक जंगली बाघों का घर है।
- 5 वीं अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2022 सारांश रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 3167 बाघ हैं।
- अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) को भारत द्वारा लॉन्च किया गया था।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं??
- केवल एक
- केवल दो
- केवल तीन
- सभी चार
उत्तर: d
व्याख्या: प्रोजेक्ट टाइगर केंद्र प्रायोजित योजना है। भारत अब दुनिया के 70% से अधिक जंगली बाघों का घर है। 5 वीं अखिल भारतीय टाइगर अनुमान 2022 सारांश रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 3167 बाघ हैं। अंतर्राष्ट्रीय बिग कैट एलायंस (IBCA) को भारत द्वारा लॉन्च किया गया था।
Q2. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- क्रेटर सीमाउंट अंडमान सागर में मौजूद सक्रिय अंतःसमुद्री ज्वालामुखी है।
- क्रेटर सीमाउंट में किसी किसी भी समय विस्फोट होने की संभावना है जिससे भूकंप और यहां तक कि जावा-सुमात्रा क्षेत्र में सुनामी आ सकती है।
- यह हाल ही में CSIR के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी द्वारा खोजा गया था।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने गलत है/हैं??
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: d
व्याख्या: क्रेटर सीमाउंट अंडमान सागर में मौजूद सक्रिय अन्तःसमुद्री ज्वालामुखी है। इससे किसी भी समय विस्फोट हो सकता है जिससे भूकंप और यहां तक कि जावा-सुमात्रा क्षेत्र में सुनामी आ सकती है। इसकी खोज हाल ही में CSIR के तहत नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशनोग्राफी द्वारा की गई थी।
Q3. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- राज्य के मुख्य सचिव को राज्यपाल द्वारा नियुक्ति के लिए चुना जाता है।
- मुख्य सचिव राज्य स्तर पर सर्वोच्च रैंक सिविल सेवक होते हैं।
- मुख्य सचिव को 5 साल के निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाता है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं??
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: a
व्याख्या: एक राज्य में मुख्य सचिव को मुख्यमंत्री द्वारा राज्यपाल की मंजूरी के साथ नियुक्त किया जाता है। राज्य में मुख्य सचिव का निश्चित कार्यकाल नहीं होता है और इसे मुख्यमंत्री द्वारा स्थानांतरित किया जा सकता है या हटाया जा सकता है। मुख्य सचिव राज्य स्तर पर सर्वोच्च रैंक वाला सिविल सेवक होता हैं।
Q4. निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) में देश में औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण केंद्रों में फैले बाजारों से एकत्र किए गए खुदरा वस्तु की कीमतों के आधार पर मुद्रास्फीति को मापा जाता है।
- यह केंद्रीय बजट से एक साल पहले एक बार प्रकाशित होता है।
- यह श्रम ब्यूरो द्वारा श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत संकलित किया गया है।
उपर्युक्त कथनों में से कितना/कितने सही है/हैं??
- केवल एक
- केवल दो
- सभी तीन
- इनमें से कोई नहीं
उत्तर: b
व्याख्या: बेस 2016 = 100 पर औद्योगिक श्रमिकों (CPI- IW) के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की नई श्रृंखला सितंबर, 2020 से प्रभावी है। ये सूचकांक एक समयावधि में औद्योगिक श्रमिकों द्वारा उपभोग किए गए वस्तुओं और सेवाओं की निश्चित टोकरी की खुदरा कीमतों में सापेक्ष परिवर्तन को मापते हैं। औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक संख्या का उपयोग देश में लाखों श्रमिकों और कर्मचारियों के लिए मजदूरी और महंगाई भत्ता के विनियमन के लिए किया जाता है। इन सूचकांकों का उपयोग मुद्रास्फीति और अन्य नीति सूत्रीकरण को मापने के लिए भी किया जाता है।
यह श्रम ब्यूरो द्वारा श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत संकलित किया गया है।
इस सूचकांक को 88 केंद्रों और अखिल भारतीय के लिए संकलित किया जाता है तथा उत्तरवर्ती महीने के अंतिम कार्य दिवस पर जारी किया जाता है। एक अभिन्न भाग के रूप में, लेबर ब्यूरो देश भर में 88 केंद्रों पर बार-बार घर के किराए के सर्वेक्षणों का संचालन करता है, जिसमें छह महीने के प्रत्येक दौर यानी, जनवरी से जून और जुलाई से दिसंबर में इन केंद्रों के संबंध में हाउसिंग इंडेक्स के संकलन के लिए नियमित आधार पर सैंपल वाले आवासों से घर के किराए के डेटा एकत्र करने का उद्देश्य निहित है।
Q5. निम्नलिखित में से कौन सा देश दशकों से सिविल संघर्ष और भोजन की कमी से पीड़ित रहा है तथा हाल के दिनों में बहुत गंभीर अकाल के लिए चर्चा में था?
- अंगोला
- कोस्टा रिका
- इक्वेडोर
- सोमालिया
उत्तर: d
व्याख्या: सोमालिया दशकों से सिविल संघर्ष और भोजन की कमी से जूझ रहा है और हाल ही में भीषण अकाल के कारण चर्चा में था।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- ULFA के नेतृत्व में विद्रोह भारत के लंबे समय तक चलने वाले सुरक्षा खतरों में से एक रहा है। इस कथन के आलोक में, वार्ता समर्थक गुट (प्रो-टॉक गुट) के साथ शांति समझौते पर हाल ही में हस्ताक्षर कैसे सहायक होगा ? परीक्षण कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – III, सुरक्षा)
- आपदा राहत निधि के संबंध में, केंद्र और राज्यों के बीच लगातार राजनीतिक विवाद सामने आए हैं। समालोचनात्मक चर्चा कीजिए। (250 शब्द, 15 अंक) (सामान्य अध्ययन – III, आपदा प्रबंधन)
(नोट: मुख्य परीक्षा के अंग्रेजी भाषा के प्रश्नों पर क्लिक कर के आप अपने उत्तर BYJU’S की वेव साइट पर अपलोड कर सकते हैं।)