30 जुलाई 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था:
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: राजव्यवस्था:
शासन:
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य:
H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
2021 में विधानसभा की बैठक में केरल का शीर्ष स्थान
विषय: संसद और राज्य विधायिका
मुख्य परीक्षा: विधानमंडलों की संरचना एवं उनकी कार्यप्रणाली
संदर्भ: PRS लेजिस्लेटिव रिसर्च की एक हालिया रिपोर्ट में राज्य विधानसभाओं के कामकाज से संबंधित विभिन्न आंकड़े प्रस्तुत किए गए हैं।
विवरण:
- विधानसभा की बैठकें:
- 2021 में सभी राज्य विधानसभाओं में औसतन 21 दिनों की बैठक हुई।
- केरल का स्थान 2021 में 61 दिनों की विधानसभा बैठक के साथ शीर्ष पर है।
- 2020 में केवल 20 दिनों की विधानसभा बैठक के साथ केरल 8वें स्थान पर था। 2021 में इसमें 205% की वृद्धि देखी गई।
- केरल के बाद ओडिशा, कर्नाटक, तमिलनाडु और हिमाचल प्रदेश का स्थान है, जहां विधानसभाओं की क्रमश: 43, 40, 34 और 33 दिनों की बैठक हुई।
- त्रिपुरा का स्थान केवल 07 दिनों के सक्रिय विधानसभा सत्र के साथ अंतिम है, जिसके बाद दिल्ली और आंध्र प्रदेश का स्थान है, जहाँ 08 दिनों तक विधानसभा बैठक हुई।
- 2016 और 2021 के बीच, राज्य विधानसभाओं की औसतन 24 दिनों की बैठक हुई, जिसमें प्रति वर्ष औसतन 49 बैठक के साथ केरल का स्थान शीर्ष पर था। 11 विधानसभा बैठक के साथ त्रिपुरा का स्थान तालिका में सबसे अंतिम था।
चित्र स्रोत: prsindia.org
- न्यूनतम बैठकों की संख्या पर नियम:
- भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम.एन. वेंकटचलैया की अध्यक्षता में संविधान के कामकाज की समीक्षा के लिए राष्ट्रीय आयोग (2000-02), ने निर्धारित किया था कि 70 से कम सदस्यों वाले राज्य / केंद्र शासित प्रदेश विधानसभाओं की वर्ष में कम से कम 50 दिन और अन्य सदनों की न्यूनतम 90 दिनों की बैठक होनी चाहिए।
- 2016 में हुए पीठासीन अधिकारियों के सम्मेलन में सुझाव दिया गया कि राज्य विधानसभाओं में एक वर्ष में कम से कम 60 दिनों की बैठकें होनी चाहिए।
- कई राज्यों ने प्रक्रिया के नियमों के माध्यम से बैठक के दिनों की न्यूनतम संख्या निर्धारित की है, जो उत्तर प्रदेश में 90 दिनों से लेकर पंजाब में 40 दिनों तक है।
- वर्ष 2005 में, कर्नाटक विधानसभा ने न्यूनतम 60 दिनों की बैठक का एक कानून बनाया था।
- अध्यादेश:
- 28 में से 21 राज्यों ने 2021 में अध्यादेश जारी किया।
- केरल ने 144 अध्यादेश जारी किए थे, जो देश में सर्वाधिक थे।
- आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र ने 18 अध्यादेश जारी किए।
- आंध्र प्रदेश और केरल में, इन अध्यादेशों को प्रतिस्थापित करने वाले सभी विधेयक 2021 में अधिनियम बन गए।
चित्र स्रोत :thehindubusinessline
- विधेयकों की संख्या:
- कर्नाटक विधानसभा ने 2021 में 48 विधेयकों को पारित किया, उसके बाद उत्तर प्रदेश ने 38 विधेयक तथा पंजाब, केरल और महाराष्ट्र में 35-35 विधेयक पारित किए गए।
- दिल्ली ने पिछले वर्ष सिर्फ दो विधेयक पारित किए।
- विधेयकों को अंगीकार करने की रीति :
- 28 राज्य विधानसभाओं द्वारा अंगीकार किए गए विधेयकों में से 44% विधेयकों को प्रस्तुत किए जाने के एक दिन के भीतर पारित कर दिया।
- इसके विपरीत, 05 राज्यों – कर्नाटक, मेघालय, केरल, राजस्थान और ओडिशा ने अपने अधिकांश विधेयकों को पारित करने में 05 दिनों से अधिक का समय लिया।
- 2021 में, 73% विधेयकों को 30 दिनों के भीतर राज्यपाल की सहमति प्राप्त हुई।
- उत्तर प्रदेश और बिहार में, राज्यपाल की सहमति प्राप्त करने में लगने वाले दिनों की औसत संख्या 07 दिनों के साथ सबसे तेज थी। त्रिपुरा के लिए यह संख्या 61 दिन और झारखंड के लिए 94 दिन थी।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
भारत के मुख्य न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति
विषय: कार्यपालिका और न्यायपालिका की संरचना, संगठन और कार्यप्रणाली
मुख्य परीक्षा: सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति
संदर्भ: केंद्रीय कानून मंत्री ने लोकसभा को दिए एक लिखित उत्तर में न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में विवरण दिया। हालांकि, अभी भी सार्वजनिक डोमेन में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया की शुरुआत के बारे में कोई जानकारी नहीं है।
विवरण:
- दिसंबर 2021 से 26 जुलाई, 2022 के बीच सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने 140 नामों (127 नए और 13 पुनःनामित) की सिफारिश की है।
- 127 नई सिफारिशों में से 61 नियुक्ति की गई हैं, जिसमें एक अतिरिक्त न्यायाधीश का कार्यकाल बढ़ाया गया है और 66 मामले जिनकी सिफारिश सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम ने हाल ही में की है, सरकार के पास कार्यवाही के विभिन्न चरणों में हैं।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति की प्रक्रिया के ज्ञापन के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया केंद्रीय कानून मंत्री द्वारा उत्तराधिकारी के बारे में निवर्तमान मुख्य न्यायाधीश की सिफारिश की मांग के साथ शुरू होती है।
- ज्ञापन विस्तृत या समयसीमा निर्दिष्ट नहीं करता है।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश के पद पर नियुक्ति सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश की होनी चाहिए जिसे पद धारण करने के लिए उपयुक्त समझा जाए।
- नियुक्ति प्रक्रिया के लिए केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर विभिन्न संवैधानिक प्राधिकरणों से परामर्श और अनुमोदन की आवश्यकता होती है।
भारतीय न्यायपालिका में रिक्तियां:
- भारतीय न्यायपालिका के सभी स्तरों पर रिक्तियों की संख्या अधिक है।
- रिक्तियों की अधिक संख्या लंबित मामलों की बढ़ती संख्या और देरी का एक कारण है।
- 2021 में भारत की सभी न्यायपालिकाओं में 04 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं।
- 2010 और 2020 के बीच सभी स्तरों के न्यायालयों में रिक्तियां 18% से बढ़कर 21% हो गईं।
- उच्च न्यायालयों में स्वीकृत 1098 पदों में से लगभग 406 पद रिक्त हैं।
चित्र स्रोत: prsindia.org
रिक्तियों में वृद्धि के कारण:
- सेवानिवृत्ति
- त्यागपत्र
- न्यायाधीशों की पदोन्नति
- वर्षों से न्यायाधीशों की स्वीकृत संख्या में वृद्धि।
- संबंधित उच्च न्यायालय को रिक्ति होने के कम से कम 06 महीने पहले नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करनी होती है। हालांकि, उच्च न्यायालयों द्वारा इस समय सीमा का विरले ही कभी पालन किया जाता है।
- सर्वोच्च न्यायालय कॉलेजियम से सिफारिशें प्राप्त करने के बाद कार्यकारी अनुमोदन के लिए कोई समय-सीमा निर्धारित नहीं है।
- सिफारिशें प्राप्त करने के बाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति में लगने वाला औसत समय 2018 और 2019 में 5-7 महीने था।
भावी कदम:
- 2020 में, न्यायाधीश-जनसंख्या अनुपात प्रति मिलियन जनसंख्या पर 21 न्यायाधीश थे। भारत के विधि आयोग की सिफारिशों के अनुसार, इस अनुपात को प्रति मिलियन लोगों पर 50 न्यायाधीशों तक बढ़ाया जाना चाहिए। गृह मामलों की स्थायी समिति और सर्वोच्च न्यायालय ने भी इस बात को दोहराया है।
सारांश:
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
व्हिसल ब्लोअर को बचाने की आवश्यकता
विषय: शासन, पारदर्शिता और जवाबदेही के महत्वपूर्ण पहलू
प्रारंभिक परीक्षा: सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम
मुख्य परीक्षा: भारत में व्हिसलब्लोअर और RTI कार्यकर्ताओं से जुड़ी चुनौतियाँ और प्रमुख सिफारिशें।
संदर्भ
- इस आलेख में देश में आरटीआई कार्यकर्ताओं और व्हिसलब्लोअर के लिए सुरक्षा की स्थिति पर चर्चा की गई है।
सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम, 2005
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RTI कार्यकर्ताओं और व्हिसल ब्लोअर के सामने चुनौतियां
- RTI कानून लागू होने के बाद से आरटीआई कार्यकर्ताओं की हत्या और उत्पीड़न के कई मामले सामने आए हैं।
- बिहार उन शीर्ष राज्यों में शामिल है, जहां RTI कार्यकर्ताओं की सर्वाधिक मौतें हुई हैं।
- हत्याओं की इन घटनाओं ने उन लोगों की सुरक्षा पर प्रश्न खड़े किए हैं जो राज्यों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तथा कानूनी सहायता, समयबद्ध शिकायत निवारण, मुआवजा, और मारे गए लोगों के परिवारों की न्याय तक पहुंच प्रदान करने का प्रयास करते हैं।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) और मनरेगा जैसी महत्वपूर्ण सामाजिक कल्याण योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए RTI कार्यकर्ता और व्हिसलब्लोअर सक्रिय रूप से कार्य कर रहे हैं।
- ऐसे कार्यकर्ताओं की हत्या का ऐसे कानूनों के क्रियान्वयन पर गंभीर परिणाम होंगे।
- व्हिसलब्लोअर की निर्मम हत्या, उनके परिवार को डराने-धमकाने तथा सरकार और पुलिस की निष्क्रियता के कारण RTI उपयोगकर्ताओं को न्याय के लिए संघर्ष करना पड़ा है।
- विशेषज्ञों का मानना है कि RTI का उपयोग करने वालों और कार्यकर्ताओं की हत्या की ये घटनाएं लोकतंत्र के लिए खतरा हैं।
सिफारिशें
- कानूनी और संस्थागत सुरक्षा उपाय करना – एक सामाजिक-कानूनी प्रणाली स्थापित करने की आवश्यकता है जो RTI कार्यकर्ताओं और अन्य व्हिसल ब्लोअर को मानवाधिकार रक्षक के रूप में पहचानती है और उन्हें सुरक्षा प्रदान करती है।
- कार्रवाई योग्य जानकारी का खुलासा – यह सर्वविदित है कि मृतक कार्यकर्ताओं द्वारा मांगी गई जानकारी अनिवार्य रूप से नेपथ्य में चली गई होगी जो आरटीआई अधिनियम की धारा 4 के तहत अनिवार्य है ।
- राज्य सरकारों को ऐसी कार्रवाई योग्य जानकारी का खुलासा करने का प्रयास करना चाहिए।
- राजस्थान का जन सूचना पोर्टल और कर्नाटक का माहिती कंजा इस संबंध में स्वागत योग्य कदम है।
- समय पर कार्रवाई – सरकारों को कानून-प्रवर्तन एजेंसियों को उन सभी मामलों में जांच पूरी करने के लिए समयबद्ध तरीके से कार्य करने का आदेश देना चाहिए जहां RTI उपयोगकर्ताओं को परेशान किया जाता है और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि पीड़ितों के परिवारों को उचित मुआवजा दिया जाए।
- अनुरोध की गई जानकारी का प्रकटीकरण – किसी कार्यकर्ता के उत्पीड़न या हत्या के मामले में सूचना का त्वरित प्रकटीकरण अपराधियों को यह संदेश देगा कि इस तरह की अनुचित कार्रवाई के परिणामस्वरूप अधिक सार्वजनिक जांच होगी।
- व्हिसल ब्लोअर की सुरक्षा के लिए प्रभावी कानून – सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए और प्रस्तावित व्हिसल ब्लोअर संरक्षण अधिनियम, 2014 को अधिसूचित करना चाहिए।
- बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में जहां इस तरह के हमले अधिक हुए है, उन्हें व्हिसल ब्लोअर की सुरक्षा के लिए अपने स्वयं के अधिनियम या कानून बनाने चाहिए।
सारांश: सार्वजनिक प्राधिकरणों के कामकाज में जवाबदेही सुनिश्चित करने के साथ-साथ भ्रष्टाचार का पता लगाने और सार्वजनिक धन के कुप्रबंधन में RTI कार्यकर्ताओं और व्हिसलब्लोअर की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, कार्यकर्ताओं और व्हिसलब्लोअर की स्थिति को सही करने के लिए तत्काल उपायों की आवश्यकता है।
सामान्य अध्ययन 2:
शासन:
गुजरात में सांकेतिक निषेध के गंभीर प्रभाव:
विषय-विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन और कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले विषय।
मुख्य परीक्षा: गुजरात में “अवैध शराब त्रासदी” के बारे में विवरण, राज्य में शराब की खपत के खिलाफ कानून और इससे जुड़े विभिन्न मुद्दे तथा चिंताएं।
संदर्भ
गुजरात में जहरीली देशी शराब के सेवन से कई लोगों की मृत्यु की खबर है।
विवरण
- गुजरात के अहमदाबाद और बोटाद के ग्रामीण जिलों में रसायनों युक्त जहरीली शराब के सेवन से 45 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई है।
- इस घटना को “हूच त्रासदी” के रूप में भी माना जाता है,जैसा कि लगभग 75 लोग अभी भी अस्पतालों में उपचार करा रहे हैं।
- जहरीली शराब को मेथनॉल के साथ पानी मिलाकर तैयार किया जाता है, जो कि थिनर, कीटनाशकों और ‘हिमरोधी’ (Antifreeze) जैसे उत्पादों में उपयोग किया जाने वाला एक अत्यधिक जहरीला औद्योगिक विलायक है।
गुजरात में पूर्व में घटित ऐसी घटनाएं
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घटना से संबंधित चिंताएं
- ऐसी घटनाओं और मौतों के समाज पर गंभीर सामाजिक-आर्थिक परिणाम होंगे, क्योंकि कई पीड़ित अपने परिवारों के अकेले आय अर्जक होते हैं।
- शराबबंदी ने बिना किसी विनियमन के निर्मित अवैध और जहरीली शराब की तस्करी को बढ़ावा दिया है।
- विशेषज्ञों और ग्रामीणों ने विभिन्न सरकारी अधिकारियों एवं पुलिस तथा तस्कर एवं स्थानीय शराबखाना चलाने वाले लोगों के साथ कथित सांठगांठ पर प्रश्न उठाए हैं।
- ग्रामीणों और दिहाड़ी मजदूरों को स्थानीय रूप से निर्मित या स्व-निर्मित शराब का सेवन करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है जिसमें हानिकारक रसायन होते हैं, क्योंकि वे भारतीय निर्मित विदेशी शराब (IMFL) और आयातित शराब नहीं खरीद सकते हैं।
घटना के विरुद्ध पुलिस व सरकार की ओर से की गई कार्यवाहियां
- पुलिस जांच में सामने आया है कि जहरीली शराब चोकड़ी गांव से बनाकर आपूर्ति की जाती थी।
- पुलिस ने राज्य निषेध कानून और भारतीय दंड संहिता (IPC) की अन्य धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की है जिसमें शामिल हैं:
- आईपीसी धारा 302 – हत्या
- आईपीसी धारा 328 – विष या नशे के माध्यम से क्षति पहुंचाना
- शराब में मिलावट और शराब बनाने के लिए गुजरात निषेध अधिनियम की धारा 67 (1A)।
- हालांकि, प्राथमिकी में निषेध अधिनियम की धारा 66 को लागू नहीं किया गया है क्योंकि यह शराब के उपभोग के लिए पीड़ितों के विरुद्ध भी शिकायत दर्ज करेगा।
- इसके अलावा, राज्य सरकार ने विभिन्न पुलिस अधिकारियों को निलंबित और स्थानांतरित करके पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की है।
गुजरात में शराब के सेवन के विरुद्ध कानून
- गुजरात एक “शराब निषिद्ध राज्य” है जहां शराब के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध है।
- 1960 के दशक से गुजरात राज्य में शराब के निर्माण, खपत और बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया गया था तथा सरकार द्वारा अधिकृत शराब की कुछ दुकानें हैं, जो उपभोक्ताओं को “स्वास्थ्य परमिट” या “समूह परमिट” के साथ शराब खरीदने की अनुमति देते हैं।
- गुजरात निषेध अधिनियम, 1949 के अनुसार, पुलिस वैध परमिट के बिना शराब खरीदने, उपभोग करने या बेचने के लिए किसी व्यक्ति को गिरफ्तार कर सकती है और अधिनियम में तीन महीने से पांच वर्षों तक की कैद का प्रावधान है।
- यह कानून पुलिस को शराब के नशे में दूसरे राज्यों से प्रवेश करने वाले व्यक्तियों को गिरफ्तार करने का भी अधिकार देता है।
- 2017 में एक संशोधन के माध्यम से, पुलिस को शराब के नशे में हंगामा करने या दूसरों को परेशान करने वाले लोगों को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया गया है।
- इसके अलावा, 2009 में एक संशोधन ने “लट्ठा” (एक देशी शराब) के निर्माण, भंडारण और परिवहन को एक मृत्युदंड योग्य अपराध बना दिया, यदि इसके परिणामस्वरूप इसका सेवन करने वाले लोगों की मृत्यु हो जाती है और उन्हें मृत्यु या आजीवन कारावास की सजा दी जा सकती है।
राज्य के शराबबंदी कानून के विरुद्ध तर्क
- विशेषज्ञ और आलोचक गुजरात के शराब निषेध कानून पर फिर से विचार करने का आह्वान करते हैं क्योंकि अवैध और जहरीली शराब के सेवन से होने वाली मौतों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- आलोचकों का यह भी कहना है कि कानून के कारण न्यायालय में शराबबंदी से संबंधित मामलों का ढेर लग गया है जिससे न्यायपालिका पर बोझ बढ़ गया है।
- इसके अतिरिक्त, विशेषज्ञों का मानना है कि शराब की बिक्री से एकत्र किए गए कर का उपयोग गरीबों और कमजोर वर्गों, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लिए किया जा सकता है।
- शराबबंदी को हटाने से राज्य में बड़े पैमाने पर हो रहे भ्रष्टाचार पर भी अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी, जिसमें पुलिस अधिकारी और राजनेता शामिल हैं।
- आलोचकों का यह भी मानना है कि कानून व्यक्ति के भोजन और पेय पदार्थ चुनने के अधिकार के विरुद्ध है और निजता के अधिकार का उल्लंघन करता है।
- इसके अलावा, स्वास्थ्य के आधार पर सरकार द्वारा जारी किए गए परमिट अधिकांश राज्य के शहरी क्षेत्रों में रहने वाले उच्च-मध्यम वर्ग के नागरिकों के पास होते हैं और इसलिए गाँव और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को जहरीली शराब की ओर धकेल दिया जाता है।
सारांश: माना जाता है कि गुजरात देश का एकमात्र राज्य है जिसने 1960 से शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है। हालांकि, शराबबंदी कानून के परिणामस्वरूप अन्य प्रमुख चुनौतियों के साथ-साथ अवैध रूप से निर्मित देशी शराब के सेवन और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण राज्य में मौतों की संख्या में वृद्धि हुई है, जो सरकार को कानून पर फिर से विचार करने के लिए बाध्य करती है।
प्रीलिम्स तथ्य:
- कोर सेक्टर के उत्पादन में 12.7% की वृद्धि
विषय: अर्थव्यवस्था- अवसंरचना
प्रारंभिक परीक्षा: कोर सेक्टर उद्योग
संदर्भ: आर्थिक सलाहकार कार्यालय, उद्योग और आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग ने हाल ही में जून, 2022 के महीने के लिए आठ प्रमुख उद्योगों का सूचकांक जारी किया।
विवरण:
- जून में भारत के आठ प्रमुख क्षेत्रों में 12.7 फीसदी की वृद्धि देखी गई, जो मई में 18.1% थी।
- कच्चे तेल को छोड़कर, अन्य सभी क्षेत्रों में उत्पादन में वृद्धि दर्ज की गई।
- जून 2021 के उत्पादन स्तरों की तुलना में सीमेंट, कोयला, रिफाइनरी उत्पादों और बिजली में 15% या उससे अधिक की वृद्धि देखी गई।
- उर्वरक (8.2%), प्राकृतिक गैस (1.2%) और स्टील (3.3%) में मामूली वृद्धि हुई।
- जून 2021 के स्तर की तुलना में कच्चे तेल का उत्पादन 1.7% गिर गया।
- मई के साथ साथ जून 2022 में कोर क्षेत्रों में दोहरे अंकों की वृद्धि हुई है, पिछले महीने की तुलना में कुल कोर आउटपुट 4.08% घट गया है।
- पूर्व-कोविड स्तरों की तुलना में, मुख्य क्षेत्रों ने जून में 8% की वृद्धि दर्ज की।
चित्र स्रोत:The Hindu
- भारत का पहला बुलियन एक्सचेंज
विषय: अर्थव्यवस्था-औद्योगिक नीतियां
प्रारंभिक परीक्षा: बुलियन एक्सचेंज और गिफ्ट सिटी
संदर्भ: हाल ही में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गांधीनगर के गिफ्ट सिटी में इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (IIBX) का शुभारंभ किया।
इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (IIBX) क्या है?
- यह भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय बुलियन एक्सचेंज है। यह सिंगापुर, दुबई, हांगकांग, न्यूयॉर्क और लंदन में भारतीय एक्सचेंजों के साथ-साथ अन्य वैश्विक एक्सचेंजों की तुलना में कहीं अधिक प्रतिस्पर्धी लागत पर उत्पादों और प्रौद्योगिकी सेवाओं का एक विविध पोर्टफोलियो प्रदान करता है।
- विश्व स्तर पर सोने के दूसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में, IIBX की स्थापना को कीमती धातु के लिए बाजार में पारदर्शिता लाने के भारत के प्रयास के रूप में देखा जाता है।
- IIBX का विनियमन अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) द्वारा किया जाएगा।
- इससे भारत में सोने का मानक मूल्य निर्धारण हो सकता है और छोटे सर्राफा डीलरों और जौहरियों के लिए कीमती धातु में व्यापार करना आसान हो सकता है।
- यह देश भर में सोने के वित्तीयकरण को प्रोत्साहन देगा।
- यह भारत को एक प्रमुख उपभोक्ता के रूप में अंतरराष्ट्रीय सर्राफा कीमतों को प्रभावित करने के लिए भी सशक्त करेगा।
- IIBX सत्यनिष्ठा और गुणवत्ता के साथ वैश्विक मूल्य श्रृंखला के उद्देश्य को पूरा करेगा।
- भारत में सोने का नियंत्रण सख्त है और वर्तमान में केवल चिन्हित एजेंसियां और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमोदित बैंक ही देश भर के डीलरों और ज्वैलर्स को सोने का आयात और बिक्री कर सकते हैं।
महत्वपूर्ण तथ्य
- एकल उपयोग प्लास्टिक पर प्रतिबंध एक वरदान
- 1 जुलाई,2022 से एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक पर देशव्यापी प्रतिबंध स्थानीय लोगों, विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश के गांवों में महिलाओं के लिए एक वरदान सिद्ध हो गया है, जो पारंपरिक रूप से पत्तों के प्लेट और कटोरे बनाती हैं।
- पर्यावरण के अनुकूल इन उत्पादों की मांग वर्तमान में बढ़ रही है और उन्हें बहुत लाभ मिल रहा है।
- हिमाचल प्रदेश वन विभाग उत्पादन में स्थानीय लोगों की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
- पत्तों के प्लेट की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए, वन विभाग जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) के सहयोग से सामुदायिक समूहों को मशीनों का उपयोग करके उत्पाद तैयार करने हेतु प्रेरित कर रहा है।
- विभाग गुणवत्ता वाले पत्तों की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए प्रशिक्षित सामुदायिक समूहों के गांवों से सटे वन में ‘बौहिनिया वाहली’ जैसी विशिष्ट प्रजातियो को भी लगा रहा है।
- बौहिनिया वाहली एक चढ़ने वाली झाड़ी है, जो जंगल में पेड़ों के ऊपर उगने में सक्षम है।
- इस सहयोग के तहत, औसतन 15 लोगों वाले प्रत्येक समूह को प्लेट बनाने वाली मशीन स्थापित करने के लिए ₹1,29,000 की पूंजी दी जाती है जो प्रतिदिन 1,000 प्लेट बनाते हैं।
- हिमाचल में अब तक लगभग 484 ऐसे स्वयं सहायता समूह विकसित किए जा चुके हैं।
- राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बायोडिग्रेडेबल लीफ प्लेट्स के व्यापार की क्षमता है, बशर्ते गुणवत्ता और मानकों को पूरा किया जाए।
- इस परियोजना को उस क्षेत्र में पारंपरिक पत्ती प्लेट और कटोरे के व्यवसाय के पुनरुद्धार के रूप में देखा जा सकता है जो कारखाने में बनी प्लास्टिक की प्लेटों और कटोरे के सस्ते मूल्य और लंबी शेल्फ-लाइफ के कारण लुप्त हो रहा था।
- स्थानीय लोगों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा प्लास्टिक के स्थान पर कई पारंपरिक विकल्पों को ध्यान में रखते हुए, हिमाचल प्रदेश में किसी भी अन्य राज्यों की तुलना में बेहतर पर्यावरण में सुधार की उम्मीद है।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. भारतीय अर्थव्यवस्था के मुख्य क्षेत्र के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- आठ प्रमुख क्षेत्र कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली हैं।
- आठ प्रमुख क्षेत्र के उद्योग उनके भार के घटते क्रम में: रिफाइनरी उत्पाद> बिजली> स्टील> कोयला> कच्चा तेल> प्राकृतिक गैस> सीमेंट> उर्वरक।\
- वर्तमान में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक का आधार वर्ष 2014-15 है।
सही कूट का चयन कीजिए:
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- उपर्युक्त सभी
उत्तर:a
व्याख्या:
- कथन 1 और 2 सही है, आठ प्रमुख उद्योगों का सूचकांक (ICI) एक उत्पादन मात्रा सूचकांक को संदर्भित करता है जो आठ चयनित मुख्य उद्योगों के सामूहिक और व्यक्तिगत उत्पादन प्रदर्शन को मापता है।
- ये उद्योग प्राकृतिक गैस, कोयला, रिफाइनरी उत्पाद, कच्चा तेल, सीमेंट, बिजली, इस्पात और उर्वरक हैं।
- कथन 3 गलत है IIP का आधार वर्ष 2011-12 है।
प्रमुख उद्योगों के बारे में और पढ़ेंCore Industries
प्रश्न 2. भारत के पहले बुलियन एक्सचेंज इंडिया इंटरनेशनल बुलियन एक्सचेंज (IIBX) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- IIBX के माध्यम से सोना आयात करने हेतु योग्य जौहरी बनने के लिए, उन्हें कीमती धातुओं के रूप में वर्गीकृत वस्तुओं में सौदों के माध्यम से पिछले तीन वित्तीय वर्षों में न्यूनतम शुद्ध मूल्य 25 करोड़ रुपये और औसत वार्षिक कारोबार का 90 प्रतिशत की आवश्यकता होगी।
- योग्य ज्वैलर्स के अलावा, अनिवासी भारतीय और संस्थान भी IFSCA (अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण) के साथ पंजीकरण के बाद एक्सचेंज में भाग ले सकेंगे।
- IIBX में एक ट्रेडिंग सदस्य बनने के लिए, योग्य जौहरी IFSC (अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र) में एक शाखा या सहायक कंपनी स्थापित कर सकता है और IFSCA के लिए आवेदन कर सकता है।
सही कूट का चयन कीजिए:
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- उपर्युक्त सभी
उत्तर : d
व्याख्या:
- कथन 1 और 2 सही हैं, भारत में सोने का विनियमन सख्त है तथा वर्तमान में केवल चिन्हित एजेंसियां और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमोदित बैंक ही देश भर के डीलरों और ज्वैलर्स को सोने का आयात और बिक्री कर सकते हैं।
- IIBX के माध्यम से सोने का आयात करने के लिए योग्य ज्वैलर बनने के लिए, संस्थाओं को पिछले 03 वित्तीय वर्षों में कीमती धातुओं के रूप में वर्गीकृत सामानों के सौदों के माध्यम से न्यूनतम शुद्ध मूल्य 25 करोड़ रुपये और औसत वार्षिक कारोबार का 90 प्रतिशत की आवश्यकता होती है।
- अनिवासी भारतीय और संस्थान भी IFSCA (अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण) के साथ पंजीकरण करने के बाद एक्सचेंज में भाग ले सकते हैं।
- कथन 3 सही है, ज्वैलर्स IIBX में केवल एक ट्रेडिंग सदस्य या किसी ट्रेडिंग सदस्य के ग्राहक के रूप में IFSC में एक शाखा स्थापित करके लेनदेन कर सकते हैं।
प्रश्न 3. राष्ट्रमंडल खेलों के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- महिला अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को 2022 राष्ट्रमंडल खेलों में शामिल किया गया है।
- 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों का आदर्श वाक्य “सभी के लिए खेल” है।
- राष्ट्रमंडल खेलों में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन भारत द्वारा आयोजित 2010 के संस्करण में था।
सही कूट का चयन कीजिए:
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और ३
- उपर्युक्त सभी
उत्तर: d
व्याख्या:
- कथन 2 सही है, यूनाइटेड किंगडम के बर्मिंघम शहर में “सभी के लिए खेल” विषय के साथ राष्ट्रमंडल खेलों का 21वां संस्करण शुरू हुआ।
- कथन 1 सही है, इस संस्करण में पहली बार महिला क्रिकेट टूर्नामेंट को खेलों में शामिल किया गया है। मैच T-20 के अंतरराष्ट्रीय संस्करण के रूप में खेले जा रहे हैं।
- कथन 3 सही है, राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने 181 स्वर्ण, 173 रजत और 149 कांस्य के साथ कुल 503 पदक जीते। 101 पदक के साथ सबसे बेहतर प्रदर्शन 2010 में नई दिल्ली में आयोजित राष्ट्रमंडल खेल थे। 69 पदक के साथ दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2002 में मैनचेस्टर में आयोजित खेल थे।
प्रश्न 4. राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के तहत एक वैधानिक निकाय है।
- इसकी स्थापना 2005 में टाइगर टास्क फोर्स की अनुशंसाओं के बाद की गई थी।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में की गई है।
सही कूट का चयन कीजिए:
- केवल 1 और 2
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- उपर्युक्त सभी
उत्तर: a
व्याख्या:
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के बारे में पढ़ें National Tiger Conservation Authority
प्रश्न 5. निम्नलिखित में से कौन भारत में वाणिज्यिक बैंक की संपत्ति में शामिल नहीं है?
- अग्रिम
- जमा
- निवेश
- मनी एट कॉल और शॉर्ट नोटिस
उत्तर- b
व्याख्या:
- वाणिज्यिक बैंक की परिसंपत्ति निवेश, नकद, अग्रिम, रियायती तथा खरीदे गए बिल, ऋण हैं।
- जबकि देनदारियों पूंजी और आरक्षित, जमा, उधार और अन्य देनदारियां हैं।
- अतः विकल्प b सही है।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- आरटीआई आवेदकों पर हो रहे निरंतर हमलों के परिप्रेक्ष्य में तदर्थ सुधारों के बजाय व्यापक सुधारों की आवश्यकता है। परीक्षण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (सामान्य अध्ययन 2-शासन)
- भारत को शराबबंदी के जोखिमों और लाभों पर अधिक ईमानदार चर्चा की आवश्यकता है। विश्लेषण कीजिए। (15 अंक, 250 शब्द) (सामान्य अध्ययन 2- राजनीति)