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UPSC परीक्षा कम्प्रेहैन्सिव न्यूज़ एनालिसिस - 30 March, 2023 UPSC CNA in Hindi

30 मार्च 2023 : समाचार विश्लेषण

A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:

  1. रूस-बेलारूस गठजोड़ को समझना:

C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

  1. भारत की सौर पीवी अपशिष्ट समस्या का प्रबंधन कैसे करें?

D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

E. संपादकीय:

शासन:

  1. भारत में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना:

राजव्यवस्था:

  1. भारत में हड़ताल का अधिकार:

F. प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

G. महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. सेना को सैटेलाइट मिलने से मिशन-क्रिटिकल डेटा मुहैया कराने में मिलेगी मदद:
  2. ग्रेट निकोबार परियोजना के लिए कोई विस्थापन/निष्कासन नहीं:
  3. भारत द्वारा उपहार में दी गई श्रीलंका की प्रमुख एम्बुलेंस सेवा,की ‘गोद लेने’ की मांग:

H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

रूस-बेलारूस गठजोड़ को समझना:

अंतर्राष्ट्रीय संबंध:

विषय: विकसित एवं विकासशील देशों की नीतियां और राजनीति का प्रभाव।

मुख्य परीक्षा: रूस-बेलारूस गठजोड़ और चल रहे युद्ध पर इसके प्रभाव।

प्रसंग:

  • रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच, रूसी राष्ट्रपति ने हाल ही में घोषणा की है कि रूस बेलारूस में अपने सामरिक परमाणु हथियार रखेगा।

मुख्य विवरण:

  • रूसी राष्ट्रपति के अनुसार यूके द्वारा यूक्रेन को घटिया यूरेनियम युक्त आर्मर-पियर्सिंग राउंड की आपूर्ति करने की घोषणा के विरुद्ध बेलारूस में सामरिक परमाणु हथियारों को तैनात करने का नवीनतम कदम उठाया गया है।
  • संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) द्वारा “रासायनिक और रेडियोलॉजिकल रूप से विषाक्त भारी धातु” के रूप में माने जाने वाले अपक्षेपित यूरेनियम की आपूर्ति से यूक्रेन को टैंकों पर बचाव की क्षमता को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
  • इसलिए रूस अपने सामरिक परमाणु हथियारों को तैनात करना चाहता है,जो कि बेलारूस में सीमित हमलों के लिए युद्ध के दौरान इस्तेमाल किए जाने वाले छोटे परमाणु हथियार और डिलीवरी सिस्टम को संदर्भित करते हैं।
  • रूस के अनुसार बेलारूस में अपने सामरिक परमाणु हथियारों को रखने से रूस द्वारा हस्ताक्षरित किसी भी अंतरराष्ट्रीय संधि का उल्लंघन नहीं होता है क्योंकि हथियारों पर नियंत्रण रूस के पास रहेगा, जिस तरह से अमेरिका अपने सहयोगी देशों के क्षेत्रों पर अपने परमाणु हथियारों पर नियंत्रण रखता है।
  • अमेरिका ने बेल्जियम, जर्मनी, इटली, नीदरलैंड और तुर्की जैसे देशों के क्षेत्रों में अपने परमाणु हथियार तैनात किए हैं।
  • इसके अलावा, यह पहली बार नहीं है कि रूस अपने क्षेत्रों के बाहर परमाणु हथियार तैनात कर रहा है।

रूस-बेलारूस गठजोड़:

चित्र स्रोत: Al Jazeera

  • बेलारूस, जो एक पूर्व सोवियत देश है, के रूस के साथ घनिष्ठ सैन्य और राजनीतिक सम्बन्ध है और बेलारूस को रूस के कुछ विशेष सहयोगियों में से एक के रूप में देखा जाता है।
  • बेलारूस की अधिकांश आबादी रूसियों की तरह रूढ़िवादी है और पूरी तरह से रूसी भाषा बोलती है।
  • बेलारूस रूस के नेतृत्व वाले सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन (Collective Security Treaty Organization (CSTO) ) और यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (Eurasian Economic Union (EAEU)) का भी सदस्य है।
  • रूस ने बेलारूस में दो सैन्य प्रतिष्ठान भी लीज पर ले रखे हैं।
  • बेलारूस को रूस से सब्सिडी युक्त तेल और प्राकृतिक गैस भी मिलती है।
  • फरवरी 2022 में, रूस ने बेलारूस में सरकार विरोधी प्रदर्शनों को दबाने में मदद की थी।
  • बेलारूस की भू-रणनीतिक स्थिति, जो रूस के लिए लाभप्रद बनाती है,क्योंकि यह रूस और यूक्रेन के बीच स्थित है।
  • इसके अतिरिक्त, बेलारूस भी तीन नाटो सदस्यों अर्थात लिथुआनिया, लातविया और पोलैंड के साथ सीमाएँ साझा करता है।
  • बेलारूस में हथियार रखने से रूस को आसान और तेज हमले करने में मदद मिलेगी।

भावी कदम:

  • रूस पहले ही बेलारूस को अपने युद्धक विमानों को उन्नत करने में मदद कर चुका है ताकि वे परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम हो सकें।
  • रूस के नवीनतम कदम से रूस-यूक्रेन युद्ध के परमाणु क्षेत्र की ओर भी बढ़ने की उम्मीद है।
  • नाटो के कुछ सदस्यों के निकट सामरिक परमाणु हथियार रखकर, रूस पश्चिम द्वारा यूक्रेन को और अधिक उन्नत हथियार देने से रोकना चाह रहा है।
  • हालाँकि, नवीनतम कदम पश्चिम को अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में रूस को अलग-थलग करने और दोष देने के कारण के रूप में उपयोग करने का अवसर प्रदान कर सकता है।
  • यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन (EAEU) से सम्बंधित अधिक जानकारी के लिए निम्न लिंक पर क्लिक कीजिए: Eurasian Economic Union (EAEU)

सारांश:

  • रूस ने अपने पड़ोसी देश बेलारूस के साथ अपने क्षेत्र में सामरिक परमाणु हथियार तैनात करने का समझौता किया है। हालाँकि, इस कदम को पश्चिमी दुनिया द्वारा रूस-यूक्रेन युद्ध को बढ़ाने के प्रयास के रूप में देखा जाता है और इसकी भारी आलोचना की जा रही है।

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित:

भारत की सौर पीवी अपशिष्ट समस्या का प्रबंधन कैसे करें?

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: प्रौद्योगिकी का स्वदेशीकरण।

मुख्य परीक्षा: सोलर पीवी सेक्टर के अपशिष्ट प्रबंधन से जुड़ी चुनौतियाँ और प्रमुख सिफारिशें।

प्रसंग:

  • इस लेख में भारत में सौर फोटोवोल्टिक (photovoltaic (PV)) क्षेत्र में अपशिष्ट प्रबंधन की समस्याओं के बारे में चर्चा की गई है।

सौर फोटोवोल्टिक (PV) क्षेत्र में अपशिष्ट प्रबंधन:

  • भारत में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी सौर पीवी क्षमता है।
    • नवंबर 2022 में इसकी कुल स्थापित सौर क्षमता 62 GW के करीब थी।
  • इस स्तर के सौर पीवी परिनियोजन के परिणामस्वरूप भारी मात्रा में अपशिष्ट उत्पन्न हुआ है।
  • अंतर्राष्ट्रीय अक्षय ऊर्जा एजेंसी की 2016 की रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2030 तक लगभग 50,000-3,25,000 टन और 2050 तक 40 लाख टन से अधिक पीवी अपशिष्ट उत्पन्न कर सकता है।
  • इसके अलावा भारत में अधिकांश सौर पीवी में क्रिस्टलीय सिलिकॉन (crystalline silicon (c-Si)) प्रौद्योगिकी का प्रभुत्व है।
  • ऐसी तकनीक में, एक पीवी पैनल आमतौर पर c-Si मॉड्यूल (93%) और कैडमियम टेल्यूराइड थिन-फिल्म मॉड्यूल (7%) से बना होता है।
  • इसके अलावा c-Si मॉड्यूल ग्लास शीट, एल्यूमीनियम फ्रेम, एनकैप्सुलेंट, बैकशीट, तांबे के तार और सिलिकॉन वेफर्स से बने होते हैं।
  • जिसकी वजह से यह अपशिष्ट में योगदान देता है।

सौर पीवी अपशिष्ट का पुनर्चक्रण:

  • वर्ष 2021 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, सिलिकॉन और चांदी की सामग्री सहित कुल सामग्रियों का लगभग 50% सौर पीवी पैनलों से प्राप्त किया जा सकता है।
  • हालाँकि, वर्तमान में भारत में लगभग 20% अपशिष्ट ही बरामद किया जाता है।
  • जैसे ही सौर पीवी पैनल अवसान/समाप्ति की ओर बढ़ते हैं, इसके फ्रेम के कुछ हिस्से निकाले जाते हैं और स्क्रैप (कबाड़) के रूप में बेचे जाते हैं, तथा ई-अपशिष्ट दिशानिर्देशों के अनुसार जंक्शनों और केबलों को पुनर्चक्रित किया जाता है, कांच के लेमिनेशन को भी एक हद तक पुनर्चक्रित किया जाता है और बाकी को सामान्य अपशिष्ट के रूप में छोड़ दिया जाता है।
  • सामान्य अपशिष्ट के रूप में इन सामग्रियों का बड़े पैमाने पर डंपिंग के कारण लैंडफिल में कचरा तेजी से जमा हो रहा है जिससे आसपास के के वातावरण में प्रदूषण फैलता है।
  • ऐसे पीवी घटकों और सामग्रियों को जलाने से वातावरण में हानिकारक सल्फर डाइऑक्साइड, हाइड्रोजन फ्लोराइड और हाइड्रोजन साइनाइड भी निकलता है।

प्रमुख चुनौतियां:

  • पीवी कचरे को सामान्य ई-कचरे के साथ मिलाने से भ्रम पैदा होता है जिसके कारण प्रबंधकीय चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
  • भारत भी इससे संबंधित महत्वपूर्ण संग्रह, भंडारण, पुनर्चक्रण और पुनः उद्देश्य जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
  • इसके अलावा भारत में पुनर्नवीनीकरण किये गए पीवी कचरे का पुन: उपयोग करने के लिए बहुत कम बाजार है जिसमें आवश्यक प्रोत्साहन और योजनाओं का अभाव है।

भावी कदम:

  • भारत को ई-कचरा दिशानिर्देशों के दायरे में पीवी अपशिष्ट उपचार के लिए विशिष्ट प्रावधानों को लागु करते हुए इस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए।
  • अपशिष्ट संग्रह और उपचार में होने वाले वित्तीय नुकसान के मामले में सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक केंद्रीय बीमा निकाय की स्थापना की जा सकती है।
  • पीवी अपशिष्ट प्रबंधन पर अखिल भारतीय स्तर पर संवेदीकरण और जागरूकता अभियान चलाया जा सकता है।
  • अभिनव पुनर्चक्रण और पुनर्प्राप्ति तंत्र और प्रौद्योगिकियों को डिजाइन और विकसित करने के लिए घरेलू अनुसंधान एवं विकास प्रयासों पर ध्यान केंद्रित किया जाना चाहिए।

सारांश:

  • हाल के कुछ वर्षों में भारत की चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ने के बावजूद, भारत में अभी भी सौर फोटोवोल्टिक (PV) क्षेत्र में अपशिष्ट प्रबंधन के क्षेत्र में स्पष्ट निर्देशों का अभाव है। भारत के वर्ष 2050 तक दुनिया भर में शीर्ष फोटोवोल्टिक अपशिष्ट उत्पादकों में से एक बनने की उम्मीद है,अतः भविष्य की कठिनाइयों को देखते हुए इस दिशा में स्पष्ट नीति निर्देश, अच्छी तरह से स्थापित रीसाइक्लिंग रणनीतियाँ, और अधिक से अधिक सहयोग समय की आवश्यकता है।

संपादकीय-द हिन्दू

संपादकीय:

भारत में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

शासन:

विषय: सरकार की नीतियां और विकास के लिए हस्तक्षेप।

मुख्य परीक्षा: भारत में DPI पारिस्थितिकी तंत्र।

संदर्भ:

  • इस आलेख में भारत के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) पर चर्चा की गई है।

भूमिका:

  • डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI) एक बहुमुखी ओपन-सोर्स आइडेंटिटी प्लेटफॉर्म है जो नवीन अनुप्रयोगों और उत्पादों के विकास के माध्यम से विभिन्न सरकारी एवं निजी सेवाओं तक पहुंच की सुविधा प्रदान करता है।
  • इस प्लेटफ़ॉर्म में डिजिटल लेनदेन और धन हस्तांतरण, डेटा एक्सचेंज और सूचना प्रणाली सहित डिजिटल पहचान तथा सत्यापन उपकरण, नागरिक पंजीकरण क्षमताएं और भुगतान सुविधाएँ शामिल हैं।
  • भारत ने इंडिया स्टैक के माध्यम से DPI का संचालन किया, जिसने नागरिकों को निम्नलिखित में सक्षम बनाया:
    • डिजिटल पहचान (आधार) के माध्यम से औपचारिक प्रणाली का हिस्सा बनने में।
    • तीव्र भुगतान प्रणाली (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस; UPI) के माध्यम से राष्ट्रीय (और, तीव्र, अंतरराष्ट्रीय) बाजार तक पहुंचने में सक्षम होने में।
    • डेटा एम्पावरमेंट एंड प्रोटेक्शन आर्किटेक्चर (DEPA) पर निर्मित अकाउंट एग्रीगेटर प्लेटफॉर्म के माध्यम से गोपनीयता से समझौता किए बिना व्यक्तिगत डेटा को सुरक्षित रूप से साझा करने में।

आधार की भूमिका:

  • आधार इंडिया स्टैक का पहला बिल्डिंग ब्लॉक था, और इसके बाद से अन्य लेगो ब्लॉकों (Lego blocks) का विकास हुआ जिससे एक सुपर स्ट्रक्चर निर्मित हुआ है।
  • वर्तमान में, 1,700 से अधिक केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के वितरण हेतु आधार एक महत्वपूर्ण अवसंरचना के रूप में है।
  • एक नवीन निजी क्षेत्र-अनुकूल भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) इसे समृद्ध और अधिक सार्थक बनाने के लिए आधार उपयोग को प्रोत्साहित कर रहा है।
    • आधार धारक निजी क्षेत्र के प्रयोजनों के लिए स्वेच्छा से अपने आधार का उपयोग कर सकते हैं, और निजी क्षेत्र की संस्थाओं को ऐसे उपयोग के लिए विशेष अनुमति लेने की आवश्यकता नहीं है।
    • साथ ही, नागरिक की पूर्व सूचित सहमति के साथ सरकारी विभागों (राज्य के भीतर और अंतरराज्यीय) के बीच आधार डेटा साझा किया जा सकता है।
    • बैंक और अन्य विनियमन संस्थाएं आधार संख्या को तब तक संग्रहीत कर सकती हैं जब तक वे UIDAI सुरक्षा नियमों के अनुसार उसकी सुरक्षा करते हैं।
    • इन परिवर्तनों से समग्र रूप से भारत स्टैक में वृद्धि होगी।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें Aadhar and Right to Privacy

डिजीयात्रा और डिजिलॉकर:

  • डिजीयात्रा और डिजिलॉकर ग्रीनफील्ड बाजार नवोन्मेष के उदाहरण हैं जो संभावित रूप से आधार के शीर्ष पर बनाए जा सकते हैं।
  • यूनाइटेड स्टेट्स क्लियर(CLEAR) प्रोग्राम (एक त्वरित हवाई अड्डा सुरक्षा/हवाई अड्डा पहचान सत्यापन प्रक्रिया) की लागत चार लोगों के एक परिवार के लिए प्रति वर्ष $369 है।
  • जबकि, लगभग दो लाख यात्रियों ने भारत में डिजीयात्रा के अलग संस्करण का उपयोग किया है, जो भारतीय यात्रियों के लिए पूरी तरह से निःशुल्क है।
    • वित्तीय वर्ष 2022 में पूरे भारत के हवाई अड्डों पर हवाई यात्रियों की संख्या 188 मिलियन से अधिक होने का अनुमान लगाया गया था, जिनमें से 22 मिलियन से अधिक अंतरराष्ट्रीय यात्री थे।
  • डिजिलॉकर, सबसे कम ज्ञात DPI में से एक है, जिसके 150 मिलियन उपयोगकर्ता और छह बिलियन संग्रहीत दस्तावेज़ हैं। यह उपयोगकर्ताओं को डिजिटल दस्तावेज़ों को संग्रहीत करने, सत्यापित करने और साझा करने के लिए दस्तावेजों और प्रमाण पत्रों को सुरक्षित रूप से प्रमाणित करने की अनुमति देता है।
    • उदाहरण के लिए, पासपोर्ट आवेदन पत्र पर एक साधारण सहमति के साथ पीडीएफ दस्तावेजों को अपलोड करना समाप्त कर दिया गया है, जिससे डिजीलॉकर से संबंधित डेटा प्राप्त करने की प्रक्रिया आसान और त्वरित हो गई है।
    • जब डिजिलॉकर का उपयोग कर्नाटक पुलिस भर्ती अभियान में उम्मीदवारों की शैक्षणिक साख को सत्यापित करने के लिए किया गया था, तो इस प्रक्रिया की अवधि लगभग छह महीने कम हो गई थी।
  • उपयोगकर्ता की पहचान को प्रमाणित करने के लिए UIDAI सूचना प्रणाली द्वारा एक इलेक्ट्रॉनिक KYC सेवा उपयोग की जाती है। यह कागज की लागत को कम करता है और तत्काल सत्यापन प्रदान करता है। जनवरी 2023 से अब तक 13.8 अरब से अधिक लोगों ने e-KYC कराया है।

UPI का प्रभाव:

  • यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) बिना जटिल ऑनलाइन या ऑफलाइन प्रक्रियाओं के VPA (वर्चुअल पेमेंट एड्रेस) पर उपभोक्ताओं को पंजीकृत करके किसी भी बैंक खाते से किसी अन्य बैंक खाते (व्यक्तियों या व्यापारियों) में डिजिटल, सुरक्षित और तत्काल पैसे के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करके एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • यह अब प्रति माह आठ बिलियन लेनदेन को पार कर गया है और प्रति माह $180 बिलियन के मूल्य का लेनदेन करता है, या प्रति वर्ष भारत के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 65% है।

DPI का महत्व:

  • DPI नागरिकों को कहीं से भी, कभी भी स्मार्टफोन, लैपटॉप आदि जैसे डिजिटल उपकरणों का उपयोग करके सरकारी और निजी संगठनों से सेवाओं और सूचनाओं तक पहुंचने में सक्षम बनाता है।
  • DPI सरकार को अधिक कुशलतापूर्वक और पारदर्शी रूप से सेवाएं प्रदान करने, भ्रष्टाचार को कम करने और शासन में सुधार करने में सक्षम बनाता है।
  • DPI राष्ट्रों को उनकी डिजिटलीकरण प्रक्रियाओं पर रणनीतिक नियंत्रण बनाए रखने, डिजिटल सहयोग सुनिश्चित करने और दीर्घकालिक क्षमता को मजबूत करने की भी अनुमति देता है।
  • DPI खुले नवाचार मॉडल का समर्थन करने के लिए सार्वजनिक डेटा का उपयोग करता है, नए उत्पादों और सेवाओं के विकास को प्रोत्साहित करता है जो नागरिकों और व्यवसायों को लाभान्वित कर सकते हैं।

सारांश:

  • भारत का DPI , जिसे इंडिया स्टैक के रूप में भी जाना जाता है, सरकार, नियामकों, निजी क्षेत्र, स्टार्टअप, शिक्षाविदों और स्वयंसेवकों के बीच एक महत्वपूर्ण सहयोग है। इसने नागरिकों, व्यवसायों और सरकारों को सुसंगत, किफायती और व्यापक मूल्य वितरण में सक्षम किया है।

भारत में हड़ताल का अधिकार:

सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित:

राजव्यवस्था:

विषय: विवाद निवारण तंत्र और संस्थान।

मुख्य परीक्षा: आवश्यक सेवा अधिनियम के गुण और दोष।

संदर्भ:

  • इस आलेख में भारत में हड़तालों के प्रति सरकार की प्रतिक्रिया और अधिकारों पर इसके प्रभाव पर चर्चा की गई है।

भूमिका:

  • महाराष्ट्र विधानसभा ने हाल ही में पुरानी पेंशन योजना (OPS) को पुनः लागू करने वाली मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल के जवाब में महाराष्ट्र आवश्यक सेवा रखरखाव और सामान्य सामुदायिक जीवन अधिनियम (MESMA) पारित किया है।
  • सरकार से पुरानी पेंशन योजना (OPS) को पुनः लागू करने की मांग को लेकर स्कूल, कॉलेज, जिला परिषद और सरकारी अस्पताल के अनुमानित 19 लाख सरकारी और अर्ध-सरकारी कर्मचारी हड़ताल पर हैं।
  • आवश्यक सेवाओं के अंतर्गत वो सेवाएँ आती हैं “जिसके बाधित होने से पूरे या आबादी के एक हिस्से का जीवन, व्यक्तिगत सुरक्षा या स्वास्थ्य को खतरा होगा” (ILO)।

अधिक जानकारी के लिए पढ़ें- Old Pension Scheme Controversy

एक अपरिवर्तित प्रतिक्रिया:

  • भारत में आवश्यक सेवा अधिनियम सरकार को कुछ सेवाओं को आवश्यक घोषित करने और इन सेवाओं में श्रमिकों को हड़ताल पर जाने से प्रतिबंधित करने की अनुमति देता है।
  • इस अधिनियम को पहली बार भारत में 1951 में प्रस्तुत किया गया था, और वर्षों से विभिन्न सरकारों द्वारा इसका उपयोग आवश्यक सेवाओं में हड़ताल को रोकने के लिए किया जाता रहा है।
  • कुछ मामलों में, इस अधिनियम का उपयोग स्वास्थ्य सेवा, परिवहन और बिजली जैसी सेवाओं में हड़ताल को रोकने के लिए किया गया है, जो समाज के कामकाज के लिए आवश्यक हैं।
  • सरकार ने तर्क दिया है कि इन सेवाओं में हड़ताल से व्यापक व्यवधान और जनता को नुकसान हो सकता है, और इसलिए इसे रोकने की आवश्यकता है।
  • हालांकि, आवश्यक सेवा अधिनियम के उपयोग की कुछ लोगों द्वारा इस आधार पर आलोचना की गई है कि यह सरकार की बेहतर कार्य परिस्थितियों और मजदूरी की मांग करने के लिए हड़ताल करने के अधिकारों पर अंकुश लगाने का तरीका है।
  • आलोचकों का तर्क है कि अधिनियम सरकार को किसी भी आर्थिक गतिविधि को आवश्यक सेवा के रूप में परिभाषित करने का अधिकार देता है, जो सरकार के अधिक शक्ति का एक उदाहरण है क्योंकि यह सरकारी क्षेत्र और औद्योगिक संबंधों में संतुलन को सरकार की ओर झुका सकता है।
  • आवश्यक सेवाओं को परिभाषित करने के लिए मानदंडों पर भी आलोचना की गई है और हड़ताल या विरोध प्रदर्शनों को प्रतिबंधित करने के लिए एक उद्योग को एक आवश्यक सेवा कहा जाना चाहिए।

वैश्विक परिदृश्य:

  • अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की पर्यवेक्षी संस्था, संघ बनाने की स्वतंत्रता पर समिति (समिति), हड़ताल के अधिकार पर सिद्धांतों का निर्माण करती है। वे सरकार के कार्यों का आकलन करने के लिए मार्गदर्शक के रूप में कार्य करते हैं।
  • समिति आवश्यक सेवाओं में लोक सेवकों और श्रमिकों की कुछ श्रेणियों द्वारा हड़ताल पर प्रतिबंध लगाने की अनुमति देते हुए “हड़ताल करने का सामान्य अधिकार” (जो उनके आर्थिक और सामाजिक हितों को वैध रूप से बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने का एक प्रमुख साधन है) को मान्यता देती है।
  • समिति के अनुसार, आवश्यक सेवाओं के कर्मचारियों को हड़ताल करने का अधिकार नहीं है।
    • राष्ट्रीय आपात स्थितियों के दौरान हड़ताल की कार्रवाई पर रोक हो सकती है।
    • लोक सेवक जो “राज्य के नाम पर अधिकार” का प्रयोग करते हैं, उन्हें हड़ताल के अधिकार नहीं है- उदाहरण सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (संघ या राज्य), तेल, बैंकिंग और महानगरीय परिवहन उपक्रमों में कार्यरत लोक सेवक हैं, और वे जो शिक्षा क्षेत्र में कार्यरत हैं ।
  • इसने अस्पताल क्षेत्र और देशों में प्रचलित विशिष्टताओं के आधार पर बिजली, पानी की आपूर्ति, टेलीफोन और हवाई यातायात नियंत्रण जैसी सेवाओं की पहचान आवश्यक सेवाओं के रूप में की है।
    • समिति ने इन सेवाओं में हड़तालों के सख्त नियमन या निषेध की सिफारिश की है।

भावी कदम:

  • समिति ने व्यापक निषेध के बजाय वैकल्पिक विवाद-समाधान तंत्र स्थापित करने की सिफारिश की है।
  • इसमें उन उद्योगों की एक नकारात्मक सूची का उल्लेख किया गया है जो आवश्यक नहीं हैं जिनमें परिवहन और शिक्षा क्षेत्र शामिल हैं।
  • सरकारों को आवश्यक रूप से नकारात्मक सूची से आर्थिक गतिविधियों को शामिल करने से बचना चाहिए।
  • भारत एक बहुलवादी लोकतंत्र है जहां विरोध महत्वपूर्ण है और सरकार द्वारा उनकी शुचिता का सम्मान करने की आवश्यकता है। अधिनायकवादी उपायों के बजाय सामाजिक संवाद सौहार्दपूर्ण और दीर्घकालिक समाधानों को बढ़ावा देगा।

सारांश:

  • सरकारी कर्मचारियों द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल के मद्देनजर महाराष्ट्र विधानसभा ने अपना आवश्यक सेवा अधिनियम पारित किया। विभिन्न सरकारों द्वारा आवश्यक सेवा अधिनियम का उपयोग वर्षों से बहस और विवाद का विषय रहा है।

प्रीलिम्स तथ्य:

आज इससे संबंधित कुछ नहीं है।

महत्वपूर्ण तथ्य:

1. सेना को सैटेलाइट मिलने से मिशन-क्रिटिकल डेटा मुहैया कराने में मिलेगी मदद:

  • रक्षा मंत्रालय (MoD) ने ₹5,400 करोड़ के तीन अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए हैं।
  • तीन अनुबंधों में से दो भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) के पास हैं, जिनकी कीमत 2,400 करोड़ रुपये है।
  • इसके साथ ही ₹2,963 करोड़ का एक अन्य अनुबंध न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) के साथ है, जो अंतरिक्ष विभाग के तहत एक केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र का उद्यम है।
  • बीईएल के साथ अनुबंध में भारतीय सेना के लिए स्व-चालित वायु रक्षा नियंत्रण और रिपोर्टिंग सिस्टम “प्रोजेक्ट आकाशीर” और भारतीय नौसेना के लिए सारंग इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेज़र (Electronic Support Measure (ESM) ) सिस्टम की खरीद शामिल है।
  • NSIL के साथ ₹2,963 करोड़ का यह अनुबंध भारतीय सेना के लिए एक उन्नत संचार उपग्रह, GSAT 7B के लिए किया गया है।
  • जियोस्टेशनरी उपग्रह अपनी तरह का पहला होगा और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किया जाएगा।
  • यह उपग्रह सैनिकों और संरचनाओं के साथ-साथ हथियार और हवाई प्लेटफार्मों को दृष्टि संचार की रेखा से परे मिशन-महत्वपूर्ण प्रदान करके भारतीय सेना की संचार क्षमता में काफी सुधार करेगा।
  • “प्रोजेक्ट आकाशीर” से अत्याधुनिक क्षमताओं को एकीकृत करके सेना की वायु रक्षा इकाइयों में सुधार की उम्मीद है।
  • आकाशीर भारतीय सेना के युद्ध क्षेत्रों पर निम्न स्तर के हवाई क्षेत्र की निगरानी में भी मदद करेगा।
  • सारंग इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेज़र (ESM) सिस्टम नौसेना के हेलीकॉप्टरों के लिए एक उन्नत ESM सिस्टम है, जिसे समुद्रिका कार्यक्रम (Samudrika programme) के तहत रक्षा इलेक्ट्रॉनिक्स अनुसंधान प्रयोगशाला, हैदराबाद द्वारा स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और विकसित किया गया है।

2.ग्रेट निकोबार परियोजना के लिए कोई विस्थापन/निष्कासन नहीं:

  • जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अनुसार, केंद्र सरकार ₹72,000 करोड़ की ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना के विकास की सुविधा के लिए आदिवासियों के विस्थापन की अनुमति नहीं देगी।
  • ग्रेट निकोबार द्वीप परियोजना अंडमान और निकोबार द्वीप समूह एकीकृत विकास निगम (Andaman and Nicobar Islands Integrated Development Corporation (ANIIDCO)) ) द्वारा कार्यान्वित की जा रही है और इसमें एक ट्रांसशिपमेंट बंदरगाह, एक हवाई अड्डे, एक बिजली संयंत्र और एक ग्रीनफील्ड टाउनशिप का निर्माण शामिल है।
  • इस परियोजना को नवंबर 2022 में केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय से 130.75 वर्ग किमी भूमि को वन प्रयोजन उद्देश्य हेतु चरण 1 की मंजूरी मिली थी।
  • जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने आगे कहा कि आदिवासी आरक्षित क्षेत्र का उपयोग क्षेत्र में रहने वाले स्थानीय आदिवासियों के हितों के अधीन होगा, विशेष रूप से शोम्पेन जनजाति, जिसे विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (Particularly Vulnerable Tribal Group (PVTG)) के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
  • शर्तों में आदिवासियों के विस्थापन की अनुमति नहीं देने और प्रभावी तरीके से इको-टूरिज्म के विनियमन को रोकने के लिए आदिवासी जनजाति संरक्षण (PAT) विनियमन के प्रावधानों का कड़ाई से कार्यान्वयन भी शामिल है।
  • इस विषय पर अधिक जानकारी के लिए 22 मार्च 2023 का यूपीएससी परीक्षा विस्तृत समाचार विश्लेषण का आलेख देखें।

3.भारत द्वारा उपहार में दी गई श्रीलंका की प्रमुख एम्बुलेंस सेवा,की ‘गोद लेने’ की मांग:

  • चूंकि श्रीलंका की ट्रेजरी “1990 सुवासेरिया एम्बुलेंस” के संचालन को पूरी तरह से वित्त पोषित करने में असमर्थ है,अतः श्रीलंका LKR 5 मिलियन में “एम्बुलेंस अपनाने” के लिए कंपनियों और व्यक्तियों की ओर देख रहा है।
  • श्रीलंका की पहली प्री-हॉस्पिटल आपातकालीन एम्बुलेंस सेवाओं को संचालित करने के लिए वित्त की अपील ऐसे समय में हुई है जब सरकार अपनी संकटग्रस्त अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना चाह रही है।
  • “1990 सुवासेरिया एम्बुलेंस” सेवाओं को पहली बार 2016 में श्रीलंका के पश्चिमी और दक्षिणी प्रांतों में 7.56 मिलियन डॉलर के भारतीय अनुदान के साथ 88 एम्बुलेंस के साथ शुरू किया गया था।
  • अगले कुछ वर्षों में, 15.09 मिलियन डॉलर के अतिरिक्त भारतीय अनुदान के साथ इस सेवा का पूरे द्वीप में विस्तार किया गया।
  • लगभग 700 तकनीशियनों के पहले बैच ने भी भारत में प्रशिक्षण प्राप्त किया और तब से यह सेवा पूरी तरह से श्रीलंका द्वारा स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत एक अर्ध-सरकारी, गैर-लाभकारी संगठन के रूप में चलाई जा रही है।

UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. उच्च शिक्षा अनुदान एजेंसी ( Higher Education Funding Agency (HEFA)) के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – कठिन)

  1. HEFA भारतीय स्टेट बैंक और मानव संसाधन विकास मंत्रालय की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है।
  2. सभी केंद्रीय वित्तपोषित उच्च शिक्षण संस्थान HEFA के सदस्य के रूप में शामिल होने के पात्र होंगे।
  3. इस एजेंसीं के सदस्य के रूप में शामिल होने के लिए शैक्षणिक संस्थान को 10 वर्ष की अवधि के लिए अपने आंतरिक स्रोतों से एक विशिष्ट राशि HEFA को एस्क्रो (निलंब) करने के लिए सहमत होना चाहिए।

सही कूट का चयन कीजिए:

  1. केवल एक कथन गलत है
  2. केवल दो कथन गलत हैं
  3. सभी कथन गलत हैं
  4. कोई भी कथन गलत नहीं है

उत्तर:

विकल्प a

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: उच्च शिक्षा वित्तपोषण एजेंसी (HEFA) केनरा बैंक और केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय की एक संयुक्त उद्यम कंपनी है।
  • कथन 2 सही है: सभी केंद्रीय वित्तपोषित उच्च शिक्षण संस्थान HEFA के सदस्य के रूप में शामिल होने के पात्र होंगे।
  • कथन 3 सही है: सदस्यों के रूप में शामिल होने के लिए, संस्थान को 10 साल की अवधि के लिए अपने आंतरिक संसाधनों से एक विशिष्ट राशि HEFA को एस्क्रो (निलंब) करने के लिए सहमत होना चाहिए।

प्रश्न 2. विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए (FCRA): (स्तर – मध्यम)

  1. सन 1976 में आपातकाल के दौरान ऐसी आशंकाओं के बीच कि विदेशी शक्तियाँ स्वतंत्र संगठनों के माध्यम से देश में धन प्रवाहित करके भारत के मामलों में हस्तक्षेप कर रही हैं, FCRA को लागू किया गया था।
  2. FCRA प्रत्येक व्यक्ति या NGO को केवल अपने भारतीय स्टेट बैंक खाते में विदेशी दान प्राप्त करने की अनुमति देता है।
  3. FCRA पंजीकरण 3 साल के लिए वैध है, और NGO को इसमें पंजीकरण की समाप्ति की तारीख के छह महीने के भीतर नवीनीकरण के लिए आवेदन कर देना चाहिए।

सही कूट का चयन कीजिए:

  1. केवल 1 और 3
  2. केवल 2 और 3
  3. केवल 1 और 2
  4. उपर्युक्त सभी

उत्तर:

विकल्प c

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: सन 1976 में आपातकाल के दौरान ऐसी आशंकाओं के बीच कि विदेशी शक्तियाँ स्वतंत्र संगठनों के माध्यम से देश में धन प्रवाहित करके भारत के मामलों में हस्तक्षेप कर रही हैं, विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) को लागू किया गया था।
  • कथन 2 सही है: FCRA के लिए विदेशी चंदा प्राप्त करने के इच्छुक प्रत्येक व्यक्ति या NGO को भारतीय स्टेट बैंक, दिल्ली में विदेशी धन की प्राप्ति के लिए बैंक खाता खोलने की आवश्यकता होती है।
  • कथन 3 गलत है: एक बार FCRA पंजीकरण प्रदान किए जाने के बाद पांच साल के लिए वैध होता है।
    • NGO को पंजीकरण की समाप्ति की तारीख के छह महीने के भीतर नवीनीकरण के लिए आवेदन करने की आवश्यकता होती है।

प्रश्न 3. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए: (स्तर – मध्यम)

  1. भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) भारत सरकार का एक सांविधिक निकाय (statutory body) है जो प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 को लागू करने के लिए जिम्मेदार है, इसका विधिवत गठन मार्च, 2009 में किया गया था।
  2. इस आयोग में एक अध्यक्ष और छह सदस्य होते हैं जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाता हैं।
  3. सरकार ने वर्ष 2017 में प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (COMPAT) को राष्ट्रीय कम्पनी विधि अपील अधिकरण (NCLAT) से प्रतिस्थापित कर दिया हैं।

सही कूट का चयन कीजिए

  1. केवल एक कथन गलत है
  2. केवल दो कथन गलत हैं
  3. सभी कथन गलत हैं
  4. कोई भी कथन गलत नहीं है

उत्तर:

विकल्प d

व्याख्या:

  • कथन 1 सही है: भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) की स्थापना मार्च 2009 में भारत सरकार द्वारा प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 के तहत एक सांविधिक निकाय के रूप में की गई थी।
  • कथन 2 सही है: CCI में केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त एक अध्यक्ष और 6 सदस्य होते हैं।
  • कथन 3 सही है: सरकार ने 2017 में प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण (COMPAT) को राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय न्यायाधिकरण (NCLAT) से प्रतिस्थापित कर दिया।

प्रश्न 4. निम्नलिखित में से किस मंत्रालय द्वारा ‘सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन’ (Integrated Management of Public Distribution System) योजना शुरू की गई है? (स्तर – सरल)

  1. ग्रामीण विकास मंत्रालय
  2. उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
  3. सहकारिता मंत्रालय
  4. इनमे से कोई भी नहीं

उत्तर: b

व्याख्या:

  • सार्वजनिक वितरण प्रणाली का एकीकृत प्रबंधन (IMPDS) एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है जिसे उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग द्वारा शुरू और कार्यान्वित किया गया है।

प्रश्न 5. किसी राज्य में राष्ट्रपति शासन की उद्घोषणा के निम्नलिखित में से कौन-से परिणामों का होना आवश्यक नहीं है? PYQ (2017) (स्तर-सरल)

  1. राज्य विधान सभा का विघटन
  2. राज्य के मंत्रिपरिषद का हटाया जाना
  3. स्थानीय निकायों का विघटन

निम्नलिखित कूट का प्रयोग कर सही उत्तर का चयन कीजिए:

  1. केवल 1 और 2
  2. केवल 1 और 3
  3. केवल 2 और 3
  4. 1, 2 और 3

उत्तर: b

व्याख्या:

  • कथन 1 गलत है: जब राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है, तो राज्य विधान सभा को राष्ट्रपति द्वारा निलंबित या भंग कर दिया जाता है।
    • इसलिए जरूरी नहीं कि राज्य विधान सभा का विघटन ही परिणाम हो।
  • कथन 2 सही है: राष्ट्रपति शासन लागू होने पर कोई मंत्रिपरिषद नहीं होगी।
    • हालांकि राज्य विधानसभा को भंग करने की शक्ति राज्यपाल के पास होती है, फिर भी इसका प्रयोग संसद के दोनों सदनों द्वारा निर्णय को मंजूरी देने के बाद ही किया जा सकता है।
  • कथन 3 गलत है: राष्ट्रपति शासन के कारण स्थानीय निकायों का विघटन नहीं होता है।

UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:

प्रश्न 1. हड़ताल का अधिकार वैश्विक स्तर पर श्रमिकों का एक महत्त्वपूर्ण अधिकार है और इसे ‘आवश्यक सेवाओं’ की आड़ में कम नहीं किया जाना चाहिए। समालोचनात्मक विश्लेषण कीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) [सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2; राजव्यवस्था]

प्रश्न 2. भारत के डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में तेजी से सुधार भारत की महाशक्ति बनने की महत्वाकांक्षाओं की कुंजी है। क्या आप इससे सहमत हैं? उदाहरण दीजिए। (250 शब्द; 15 अंक) [सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2; शासन]