31 जुलाई 2022 : समाचार विश्लेषण
A. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 1 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। B. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2 से संबंधित: राजव्यवस्था एवं सामाजिक न्याय:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
C. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3 से संबंधित: पर्यावरण
D. सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 4 से संबंधित: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। E. संपादकीय: आंतरिक सुरक्षा
F. प्रीलिम्स तथ्य:
G. महत्वपूर्ण तथ्य: आज इससे संबंधित कुछ नहीं है। H. UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: I. UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न: |
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सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र-2 से संबंधित:
राजव्यवस्था:
नए एंटी-ट्रैफिकिंग विधेयक के लिए कार्यकर्ताओं का दबाव
विषय: सरकार की नीतियां एवं हस्तक्षेप, महिलाओं से संबंधित मुद्दे।
मुख्य परीक्षा: मानव तस्करी
संदर्भ:
- संयुक्त राष्ट्र ने 30 जुलाई को विश्व मानव तस्करी निरोधक दिवस के रूप में मनाया।
विवरण:
- विश्व मानव तस्करी निरोधक दिवस 2022 का विषय – प्रौद्योगिकी का उपयोग और दुरुपयोग था।
- मानव तस्करी के प्रवर्तक के रूप में प्रौद्योगिकी
- मानव तस्करी को सीमा-पार विस्तार देती है।
- रंगरूटों, ग्राहकों आदि तक पहुँचने में दक्षता और गति प्रदान करती है।
- पीड़ितों के आसान परिवहन की सुविधा प्रदान करती है।
- अपराध का पता लगाने से आसानी से बचा जा सकता है।
- धोखाधड़ी के माध्यम से शिकार करना और जबरदस्ती करना आसान बन जाता है।
- मानव तस्करी को अक्षम करने के रूप में प्रौद्योगिकी
- प्रौद्योगिकी के माध्यम से जांच और कानून का प्रवर्तन।
- डिजिटल साक्ष्य के माध्यम से अभियोजन में सुधार किया जा सकता है।
- प्रौद्योगिकी तस्करों के विशाल नेटवर्क का भंडाफोड़ करने में सहायता कर सकती है।
- इसके अलावा, इसका उपयोग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से इस खतरे के बारे में सामुदायिक जागरूकता बढ़ाने के लिए किया जा सकता है।
भावी कदम:
- सामुदायिक स्तर:
- स्थानीय जनता और नागरिक समाज संगठनों को अपने ऑनलाइन क्षेत्र में सतर्क रहना चाहिए।
- संपर्कों के बीच जागरूकता का प्रसार।
- संदेह की स्थिति में रिपोर्ट करना।
- सरकार/प्राधिकारी:
- तकनीकी विकास के अनुरूप उचित कानून और नीतिगत उपाय सुनिश्चित करना।
- ऑनलाइन पहुंच के साथ पर्याप्त पुनर्वास उपाय भी प्रदान करना।
- प्रौद्योगिकी कंपनियां:
- अवैध गतिविधियों को सक्रिय रूप से रिपोर्ट करना और तस्करों के नेटवर्क का भंडाफोड़ करने के लिए राज्य के अधिकारियों के साथ सहयोग करना।
सारांश: यद्यपि प्रौद्योगिकी मानव तस्करी के लिए एक सहायक के रूप में कार्य करती है, लेकिन इसका उपयोग समाज के लाभ हेतु भी किया जा सकता है। |
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सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 से संबंधित:
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
अमेरिका-चीन के मध्य गतिरोध
विषय: भारत से संबंधित समूह और समझौते और/या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार, भारत के हितो पर विकसित और विकासशील देशों की नीतियों और राजनीति का प्रभाव।
मुख्य परीक्षा: अमेरिका चीन संबंध
संदर्भ: अमेरिकी सदन के स्पीकर द्वारा स्व-शासित द्वीप ताइवान की यात्रा ने अमेरिका और चीन के बीच तनाव उत्पन्न कर दिया है।
पृष्ठभूमि :
- इसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि वर्ष 1949 की है, जब कुओमिन्तांग (KMT) दल के नेता चियांग काई शेक माओत्से तुंग के कम्युनिस्ट दल से गृह युद्ध हारने के बाद ताइवान भाग गए थे।
- ताइवान स्वशासित था और एक लोकतंत्र के रूप में विकसित हुआ था।
- ताइवान संबंध अधिनियम(Taiwan Relation Act) 1979 के अनुसार, अमेरिका ताइवान का बचाव करने में सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
ताइवान का महत्त्व:
- रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण स्थिति।
- भारत-प्रशांत क्षेत्र में भू-राजनीतिक महत्व।
- आपूर्ति श्रृंखला नेटवर्क, विशेष रूप से सेमीकंडक्टर चिप में इसकी भूमिका महत्त्वपूर्ण है ।
चीन का रुख:
- ताइवान केवल चीन का भाग है और एक चीन नीति का पक्षधर है।
- ताइवान पर चीन का आधिकारिक श्वेत पत्र घोषित करता है कि यह “बल के प्रयोग से इनकार करने के लिए स्वयं को प्रतिबद्ध करने के लिए बाध्य नहीं है”, एक ऐसी स्थिति जो अभी भी उसके द्वारा समर्थित है।
अमेरिका का रुख:
- अमेरिका और ताइवान दोनों ने वायु रक्षा क्षेत्र में सैन्य गतिविधियों में हो रही वृद्धि पर आपत्ति जताई है।
- वे द्वीप को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग करने की चीन की नीति से भी सशंकित हैं।
सारांश:
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सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-2 से संबंधित:
शासन:
विचाराधीन कैदियों की रिहाई में तेजी
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
मुख्य परीक्षा: विचाराधीन कैदी
संदर्भ: प्रधानमंत्री ने कहा है कि न्याय प्राप्ति में सुगमता जीवन में सुगमता और व्यवसाय सुगमता के समान ही महत्वपूर्ण है।
विवरण:
- भारत के मुख्य न्यायाधीश और केंद्रीय कानून मंत्री दोनों ने विचाराधीन कैदियों को कानूनी सहायता प्रदान करने की आवश्यकता पर जोर दिया है।
- भारत के मुख्य न्यायाधीश ने वृहद सामाजिक-आर्थिक विषमताओं को भी रेखांकित किया था।
- इस बात पर भी जोर दिया गया था कि लोकतंत्र में सभी देशवासियों को भागीदारी के लिए स्थान प्रदान करना चाहिए।
आँकड़े:
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा 2020 में जारी ‘प्रिज़न स्टैटिस्टिक्स इंडिया’ की रिपोर्ट में कहा गया है कि 4,88,511 कैदी जेल में थे, जिनमें से 76% या 3,71,848 कैदी विचाराधीन थे।
विचाराधीन कैदियों का समर्थन करने की पहल:
- नालसा(NALSA)
- राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड
सारांश: लोकतंत्र के प्रभावी कामकाज हेतु न्यायपालिका संपर्क का पहला बिंदु है और इसलिए विचाराधीन कैदियों के मुद्दे की ओर उचित रूप से पर्याप्त ध्यान दिलाया जाना चाहिए। |
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सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र-3 से संबंधित:
अपशिष्ट प्रबंधन:
नए ई-अपशिष्ट नियमों से नौकरियों, संग्रह नेटवर्क को संकट
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण
मुख्य परीक्षा: ई-अपशिष्ट
संदर्भ: ई-अपशिष्ट के नियमन के लिए एक मसौदा प्रस्ताव।
विवरण:
- इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट या एंड-ऑफ-लाइफ (EOL) इलेक्ट्रॉनिक सामानों की बढ़ती वृद्धि और इसके द्वारा उत्पन्न मुद्दों के कारण ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम 2016 जारी किए गए।
- इन नियमों ने विस्तारित निर्माता उत्तरदायित्व की अवधारणा को प्रस्तुत किया जिसमें इलेक्ट्रॉनिक सामान के निर्माता को ई-कचरे के एक निश्चित प्रतिशत का पुनर्चक्रण करना होता है।
- इसके परिणामस्वरूप निर्माता उत्तरदायित्व संगठन (PRO) में वृद्धि हुई है। ये सरकार द्वारा पंजीकृत थे और इनकी सामूहिक पुनर्चक्रण क्षमता 1.3 मिलियन थी।
इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट के साथ चुनौतियां:
- प्लास्टिक प्रदूषण में वृद्धि होती है।
- रसायन मृदा को दूषित करते हैं।
- ई-अपशिष्ट पुनर्चक्रण उद्योग में बाल श्रम का उपयोग किया जाता है।
- खतरनाक निष्कर्षण उद्योग श्रमिकों के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
- इसके अलावा पुनर्चक्रण उद्योग काफी सीमा तक अनौपचारिक है।
नया प्रस्ताव
- इस मसौदे में निर्माता उत्तरदायित्व संगठन (PRO) और ‘डिस्मेंटलर्स’ (प्रयुक्त किए जा चुके इलेक्ट्रॉनिक सामान का विघटन करने वाले लोग या संस्था) के स्थान पर पुनर्चक्रणकर्ता का उपयोग करने का प्रस्ताव है।
- ये पुनर्चक्रणकर्ता कचरे का पुनर्चक्रण करेंगे और बदले में इलेक्ट्रॉनिक प्रमाण पत्र जारी करेंगे।
नए प्रस्ताव के कारण:
- कम पुनर्चक्रण– 2018-19 में 7.7 लाख टन और 2019-20 में 1 मिलियन टन अपशिष्ट उत्पन्न हुआ था। हालांकि, दोनों वर्षों में केवल 22% का पुनर्चक्रण किया गया।
- इलेक्ट्रॉनिक ट्रैकिंग सिस्टम को शामिल करने के कारण जवाबदेही में वृद्धि हुई है।
- दोहरी गिनती के मुद्दों के कारण निर्माता उत्तरदायित्व संगठन (PRO) पर अविश्वसनीयता।
प्रस्तावित मसौदे के साथ चुनौतियां:
- हजारों अकुशल श्रमिकों की आजीविका को खतरा है।
- ई-अपशिष्ट श्रेणियों की संख्या 21 से बढ़कर 95 हो गई है।
- PRO कुशल जाँच और संतुलन प्रदान करता है और सत्यापन योग्य पुनर्चक्रण सुनिश्चित करता है।
- कुछ शहरों में पुनर्चक्रणकर्ताओं की सीमित संख्या के परिणामस्वरूप माल के परिवहन की समस्या होगी।
भावी कदम:
- चूंकि उपभोक्तावाद में वृद्धि के साथ ई-अपशिष्ट में वृद्धि होगी, इसलिए सभी हितधारकों के साथ आम सहमति बनाई जानी चाहिए।
- भोपाल की ई-अपशिष्ट क्लिनिक और नॉर्वे ई-अपशिष्ट प्रबंधन की सर्वोत्तम प्रथाओं का अनुकरण किया जाना चाहिए।
सारांश: नए ई-अपशिष्ट नियमों के मसौदे के प्रस्ताव ने चक्रीय अर्थव्यवस्था में कार्य कर रहे लोगों के लिए कई तरह के विवाद उत्पन्न कर दिए हैं। वर्तमान समय की मांग है कि आम सहमति बनाई जाए जिससे सभी हितधारकों और समाज को लाभ मिले। |
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संपादकीय-द हिन्दू
सामान्य अध्ययन 3:
आंतरिक सुरक्षा:
PMLA की वैधता पर उच्चतम न्यायालय ने क्या कहा?
विषय: मनी लॉन्ड्रिंग और इसकी रोकथाम
प्रारंभिक परीक्षा: धन शोधन निवारण अधिनियम के प्रावधान
संदर्भ:
- धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के प्रावधानों पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय।
PMLA के प्रावधानों के बारे में विस्तृत जानकारी के लिए निम्नलिखित पढ़ें:
https://byjus.com/free-ias-prep/prevention-of-money-laundering-act-pmla/.
पृष्ठभूमि:
- मौजूदा सरकार के कार्यकाल में विपक्षी राजनीतिक पदाधिकारियों के खिलाफ की गई विभिन्न जांच के क्रम में हाल के दिनों में प्रवर्तन निदेशालय (ED) के कामकाज और धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के क्रियान्वयन की बहुत आलोचना हुई है।
विवरण:
- सर्वोच्च न्यायालय ने इसकी वैधता को चुनौती देने वाले धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के कई प्रावधानों जिसमें कई ‘कठोर’ प्रावधान शामिल हैं, को मान्यता दी है।
- इस आलेख में निम्नलिखित व्यापक विषयों पर सर्वोच्च न्यायालय की टिप्पणियों पर चर्चा की गई है।
PMLA की वैधता:
- PMLA की वैधता और आवश्यकता पर सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार के इस तर्क को स्वीकार किया कि PMLA के प्रावधान वैध और आवश्यक थे, जो मनी-लॉन्ड्रिंग के खतरे का सामना करने के उद्देश्य से गठित अंतरराष्ट्रीय अभिसमयों का पालन करने हेतु भारत के दायित्वों को पूरा करने के लिए आवश्यक थे।
- 1988 में अपनाए गए ‘मादक पदार्थों और मन:प्रभावी पदार्थों की अवैध तस्करी के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र अभिसमय’ (वियना अभिसमय) ने देशों से नशीले पदार्थों के अवैध स्रोत को छुपाने के लिए नशीले पदार्थों के कारोबार से प्राप्त संपत्ति के रूपांतरण या हस्तांतरण पर रोक लगाने के लिए देशों से आह्वान किया।
- 2000 के सीमा पार संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र अभिसमय (पलेर्मो अभिसमय) ने ‘अपराध से अर्जित संपत्ति के लॉन्ड्रिंग को आपराधिक बनाने’ का आह्वान किया।
- भारत मनी लॉन्ड्रिंग से निपटने के लिए 1989 में स्थापित फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) का भी सदस्य है।
- 2002 में अधिनियमित PMLA का उद्देश्य उपर्युक्त अंतरराष्ट्रीय अभिसमयों का पालन करने के लिए भारत के दायित्वों को प्रभावी बनाना था।
मनी लॉन्ड्रिंग की परिभाषा:
- सर्वोच्च न्यायालय ने धारा 3 के तहत मनी लॉन्ड्रिंग की परिभाषा को बरकरार रखा।
- न्यायालय ने इस चुनौती को खारिज कर दिया जिसके तहत भ्रष्ट रूप से अर्जित धन को स्वच्छ एवं निष्कलंक धन के रूप में प्रस्तुत करना और अर्थव्यवस्था में इसका एकीकरण ही अपराध माना जाता है। यह उल्लेखित किया गया कि अपराध से अर्जित आय को रखना या उसका उपयोग करना उतना ही अपराध है जितना कि आय को कानूनी धन या संपत्ति के रूप में प्रस्तुत करना या परिवर्तित करना।
- न्यायालय ने अपराध के माध्यम से धन के सृजन तथा औपचारिक अर्थव्यवस्था के साथ इसके एकीकरण को संबंधित होने के रूप में उल्लेखित किया तथा मनी लॉन्ड्रिंग की परिभाषा को केवल गलत तरीके से अर्जित धन को एकीकृत करने के प्रयासों तक सीमित करने को गलत माना।
ED की कार्यप्रणाली:
- प्रवर्तन निदेशालय एक ‘एनफोर्समेंट केस इनफार्मेशन रिपोर्ट’ (ECIR) दर्ज करता है, जो सामान्य मामलों में दर्ज FIR के समान होती है। उल्लेखनीय है कि, यह ECIR एक सार्वजनिक दस्तावेज नहीं है, और ED इसे आरोपी के साथ साझा नहीं करता है।
- इस पहलू को इस तर्क के आधार पर चुनौती दी गई थी कि इससे जांच, समन जारी करना और तलाशी, जब्ती या गिरफ्तारी का आदेश पूरी तरह से ED अधिकारियों के विवेक और न्यायिक निरीक्षण पर छोड़ दिया जाएगा। इस प्रावधान के दुरुपयोग की संभावना है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वेक्षण, तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी की पूरी प्रक्रिया में पर्याप्त सुरक्षा उपायों की मौजूदगी की ओर संकेत करते हुए इन तर्कों को अस्वीकार कर दिया।
प्रवर्तन निदेशालय की सम्मन और जांच जारी करने की शक्ति:
- सर्वोच्च न्यायालय ने किसी भी व्यक्ति को तलब करने की ED की शक्तियों को बरकरार रखा। न्यायालय ने कहा कि ED के पास अधिनियम की धारा 50 के तहत किसी व्यक्ति को समन जारी करने के लिए एक सिविल न्यायालय की शक्ति है।
- न्यायालय ने उन प्रावधानों को भी बरकरार रखा, जिनमें सम्मन किये गए व्यक्ति को अनिवार्य रूप से बयान देने और मांगे गए दस्तावेज प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है। ऐसा करने में विफलता एक अपराध होगा और झूठा बयान देना झूठी गवाही के बराबर होगा। समन किए गए व्यक्ति द्वारा दिए गए बयान पर हस्ताक्षर किए जाने चाहिए और इसे उसके विरुद्ध मुकदमे में इस्तेमाल किया जा सकता है।
- सर्वोच्च न्यायालय ने इस धारा को दी गई चुनौती को खारिज कर दिया। इस धारा को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि यह धारा असंवैधानिक है क्योंकि यह लोगों को अपने विरुद्ध गवाह बनने के लिए मजबूर करती है, इस प्रकार यह संविधान के अनुच्छेद 20 के विरुद्ध है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 20 (3) में कहा गया है कि किसी भी अपराध के आरोपी व्यक्ति को स्वयं के विरुद्ध गवाह बनने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा।
- सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह गवाही की बाध्यता के समान नहीं था और यह केवल एक जांच के बराबर था। ED व्यक्ति को आरोपी समझे बिना तथ्य जुटा सकता है।
जमानत प्रावधान:
- इस अधिनियम के तहत आरोपी को जमानत देने से संबंधित PMLA की धारा 45 में दो शर्तें लगाई गई हैं। सबसे पहले न्यायालय को संतुष्ट होना चाहिए कि यह मानने के लिए उचित आधार हैं कि आरोपी अपराध का दोषी नहीं है और दूसरी बात यह है कि जमानत पर रहते हुए आरोपी द्वारा कोई अपराध करने की संभावना नहीं है। इस प्रावधान को इस आधार पर चुनौती दी गई थी कि यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा गारंटीकृत व्यक्तिगत स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के विरुद्ध है।
- यह देखते हुए कि आर्थिक अपराधों के लिए सख्त जमानत शर्तों को लागू करने में राज्य के ठोस हित हैं, सर्वोच्च न्यायालय ने धन शोधन निवारण अधिनियम के तहत कठोर जमानत शर्तों को बरकरार रखा, जो आरोपी पर साक्ष्यों का उल्टा बोझ डालते हैं।
- साक्ष्यों के उल्टे बोझ के मामले में, आरोपी, जिसे अब दोषी माना जाता है, को अपनी निर्दोषिता सिद्ध करने तथा दोषमुक्त होने के लिए उचित संदेह से परे साक्ष्य प्रस्तुत करना चाहिए। यह निर्दोषता की पूर्वधारणा के सिद्धांत के विरुद्ध है, जो किसी भी अपराध के आरोपी व्यक्ति के लिए मौलिक है।
- न्यायालय ने संविधान के अनुच्छेद 39 पर भरोसा किया, जो राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों का हिस्सा है, जो राज्य को धन की एकाग्रता को रोकने के लिए, PMLA के तहत कठोर जमानत शर्तों को बनाए रखना अनिवार्य करता है।
- उल्लेखनीय है कि, सर्वोच्च न्यायालय ने अपने पहले के फैसले में इस जमानत मानदंड को असंवैधानिक घोषित किया था।
- 2018 में, सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत की धारा को इस आधार पर रद्द कर दिया था कि शर्तें केवल उन अपराधों पर लागू होती हैं जो अनुसूची के भाग A में सूचीबद्ध हैं, जिनमें तीन वर्ष या उससे अधिक की जेल की सजा है, लेकिन मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए नहीं। .
- संसद ने एक संशोधन के साथ धारा को फिर से अधिनियमित किया था जिसमें कहा गया था कि जमानत की शर्तें PMLA के तहत सभी मामलों पर बिना किसी अनुसूचित अपराध के संदर्भ के लागू होंगी।
- सर्वोच्च न्यायालय ने इन संशोधनों की चुनौती को खारिज करते हुए, सर्वोच्च न्यायालय द्वारा चिन्हित त्रुटि को ठीक करने के प्रावधान को लागू करने की संसद की शक्ति को बरकरार रखा।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई सिफारिशें:
- सर्वोच्च न्यायालय ने ED को अधिनियम के तहत प्राधिकरण के दायरे, उसके पदाधिकारियों द्वारा अपनाए गए उपायों और अभियुक्तों के लिए उपलब्ध विकल्पों या उपायों के बारे में अपनी वेबसाइट के माध्यम से जनता को सूचित करने की संभावना पर विचार करने का सुझाव दिया।
इस संदर्भ में अधिक जानकारी के लिए 28 जुलाई 2022 के विस्तृत समाचार विश्लेषण का अध्ययन करें
सारांश:
- PMLA प्रावधानों पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवाद जैसे अपराधों पर अंकुश लगाने की आवश्यकता के संदर्भ में आरोपी और राज्य के हितों के बीच एक संतुलित व्यवस्था प्रदान करने का प्रयास किया गया है।
प्रीलिम्स तथ्य:
- आक्रामक मेंढक और सांप की प्रजातियां विश्व अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर रही हैं
विषय: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण,
प्रारंभिक परीक्षा: जैवविविधता
संदर्भ:
- आक्रामक प्रजातियों के वैश्विक परिवहन को नियंत्रित करना।
विवरण:
- अमेरिकन बुलफ्रॉग (lithobates catesbeianus):
- भूरा और हरा मेंढक।
- प्रभावित क्षेत्र = यूरोप
- प्रभाव = फसल की क्षति
- ब्राउन ट्री स्नेक (boiga irregularis):
- इसे द्वितीय विश्व युद्ध में अमेरिकी सेना द्वारा प्रवेशित किया गया था।
- प्रभावित क्षेत्र = प्रशांत द्वीप (मैरियाना द्वीप और गुआम)।
- प्रभाव = बिजली के उपकरणों पर रेंगने के कारण बिजली की कटौती।
UPSC प्रारंभिक परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
प्रश्न 1. शहीद उधम सिंह के संबंध में, निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- वह गदर पार्टी का हिस्सा थे।
- उन्होंने लाला लाजपत राय की हत्या का बदला लेने के लिए माइकल ओ’डायर की हत्या कर दी।
उपर्युक्त कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर:a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है– उधम सिंह गदर पार्टी से संबंधित थे।
- कथन 2 गलत है उन्हें 13 मार्च 1940 को भारत में पंजाब के पूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर माइकल ओ’डायर की हत्या के लिए जाने जाता है। उन्होंने यह हत्या 1919 में अमृतसर में हुए जलियांवाला बाग हत्याकांड का बदला लेने के लिए की गई थी।
प्रश्न 2. हाथी रिजर्व और संबंधित राज्य के निम्नलिखित युग्मों पर विचार कीजिए:
हाथी रिजर्व राज्य
- सोनितपुर असम
- इंतंकी नागालैंड
- अनामुडी तमिलनाडु
- श्रीविलिपुथुर आंध्र प्रदेश
उपर्युक्त युग्मों में से कितने सुमेलित है/हैं?
- केवल एक युग्म
- केवल दो युग्म
- केवल तीन युग्म
- सभी चार युग्म
उत्तर: b
व्याख्या –
- सोनितपुर टाइगर रिजर्व अरुणाचल प्रदेश और असम के पूर्वी पहाड़ी जंगल में स्थित है।
- इंटंकी वन्यजीव अभयारण्य नागालैंड के कोहिमा में स्थित विभिन्न वन्य जीवों का आवास है।
- अनामुडी भारतीय राज्य केरल के एर्नाकुलम जिले और इडुक्की जिले में स्थित एक पर्वत है। यह पश्चिमी घाट और दक्षिण भारत की सबसे ऊँची चोटी है।
- ग्रिजल्ड गिलहरी वन्यजीव अभयारण्य (GSWS), जिसे श्रीविलिपुथुर वन्यजीव अभयारण्य के रूप में भी जाना जाता है, तमिलनाडु में स्थित है।
प्रश्न 3. संथाल विद्रोह (1855-56) के संबंध में निम्नलिखित कथनों में से कौन सा/से सही है/हैं?
- विद्रोह का नेतृत्व मुर्मु भाइयों- सिद्धू और कान्हू ने किया था।
- विद्रोह को उलगुलान के नाम से भी जाना जाता है।
- अंग्रेजों ने संथालों को शांत करने के लिए विद्रोह के बाद संथाल बसे हुए क्षेत्रों में दामिन-ए-कोह जिला बनाया।
विकल्प:
- केवल 1
- केवल 2 और 3
- केवल 1 और 3
- केवल 2
उत्तर: a
व्याख्या:
- कथन 1 सही है – 30 जून 1855 को, दो संथाल विद्रोही नेताओं, सिद्धू और कान्हू मुर्मु ने लगभग 60,000 संथालों को लामबंद किया और ईस्ट इंडिया कंपनी के विरुद्ध विद्रोह की घोषणा की। इसका मूल उद्देश्य अपने स्वयं के कानून बनाकर और उसे लागू करके कर एकत्र करना था।
- कथन 2 गलत है-उलगुलान विद्रोह 19वीं सदी में बिरसा मुंडा के नेतृत्व में हुआ एक आदिवासी विद्रोह था। यह 1899-1900 में रांची के दक्षिण क्षेत्र में हुआ था।
- कथन 3 गलत है – संथाल परगना संथाल विद्रोह के बाद अंग्रेजों द्वारा संथालों के लिए निर्धारित क्षेत्र बना।
प्रश्न 4. फ्लोटिंग सोलर प्लांट के संबंध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए:
- तेलंगाना में रामागुंडम फ्लोटिंग सोलर प्लांट भारत में इस तरह का सबसे बड़ा ऑपरेटिंग प्लांट है और दुनिया में सबसे बड़ा भी है।
- सौर मॉड्यूल के नीचे का जल निकाय उनके परिवेश के तापमान को बनाए रखने में सहायता करता है, जिससे उनकी दक्षता और उत्पादन में सुधार होता है।
निम्नलिखित में से कौन सा/से कथन सही है/हैं?
- केवल 1
- केवल 2
- 1 और 2 दोनों
- न तो 1, न ही 2
उत्तर: b
व्याख्या:
- कथन 1 गलत है– यह भारत का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट है न कि विश्व का। विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट चीन में है।
- कथन 2 सही है – सौर मॉड्यूल के नीचे का जल उनके परिवेश के तापमान को बनाए रखने में मदद करता है, जिससे उनकी दक्षता और उत्पादन में सुधार होता है।
प्रश्न 5. सेवा क्षेत्र दृष्टिकोण को किसके दायरे में लागू किया गया था?
- एकीकृत ग्रामीण विकास कार्यक्रम
- अग्रणी बैंक योजना
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना
- राष्ट्रीय कौशल विकास योजना
उत्तर: b
व्याख्या-
- सेवा क्षेत्र दृष्टिकोण (SAA) अप्रैल 1989 में प्रस्तुत किया गया था, देश के ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों के एक व्यवस्थित और नियोजित विकास हेतु इसे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) सहित सभी भारतीय अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों तक विस्तारित किया गया था।
UPSC मुख्य परीक्षा के लिए अभ्यास प्रश्न:
- धन शोधन निवारण अधिनियम पर सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय इसके सख्त प्रावधानों से व्यक्तिगत स्वतंत्रता को सुरक्षित करने में विफल रहा है। क्या आप सहमत हैं? न्यायसंगत रूप से स्पष्ट कीजिए । (15 अंक, 250 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 3-सुरक्षा)
- ई-अपशिष्ट (प्रबंधन) नियम, 2016 की व्याख्या कीजिए और किस प्रकार केंद्र द्वारा प्रस्तावित नियमों से हजारों लोगों की आजीविका को खतरा है। परीक्षण कीजिए (10 अंक, 250 शब्द) (सामान्य अध्ययन प्रश्न पत्र 2-पर्यावरण एवं पारिस्थितिकी)