विषयसूची:

  1. पहली बार मेड-इन-इंडिया एएसटीडीएस टग (बड़े जहाजों को खिंचने वाली छोटी नाव) राष्ट्र को समर्पित:
  2. एमएच 60आर ‘सीहॉक’ हेलीकॉप्टर को आईएनएएस 334 स्क्वाड्रन के रूप में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा:
  3. डेफकनेक्ट 2024:

03 March 2024 Hindi PIB
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1. पहली बार मेड-इन-इंडिया एएसटीडीएस टग (बड़े जहाजों को खिंचने वाली छोटी नाव) राष्ट्र को समर्पित:

सामान्य अध्ययन: 3

विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी:

विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

प्रारंभिक परीक्षा: ‘ओशन ग्रेस’।

प्रसंग:

  • केंद्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग (एमओपीएसडब्‍ल्‍‍यू) और आयुष मंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने 2 मार्च, 2024 को वर्चुअल तरीके से ‘ओशन ग्रेस’ नामक 60टी बोलार्ड पुल टग और मेडिकल मोबाइल यूनिट (एमएमयू) का उद्घाटन किया।

उद्देश्य:

  • इसका उद्घाटन समुद्री बुनियादी ढांचे की उत्कृष्टता की हमारी खोज में एक महत्वपूर्ण छलांग है, जिससे आने वाले वर्षों में निर्बाध और दोषरहित पत्तन संचालन में मदद मिलेगी।

विवरण:

  • ओशन ग्रेस भारत में निर्मित पहला एएसटीडीएस टग है जिसे एमओपीएसडब्‍ल्‍‍यू के तहत कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने विकसित किया है। यह मेडिकल मोबाइल यूनिट (एमएमयू) कॉर्पोरेट सामाजिक जिम्मेदारी के प्रति पत्तन की प्रतिबद्धता का हिस्सा है। यह पहल ‘आत्मनिर्भर भारत’ पहल को दर्शाती है।
  • 45 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित ‘ओशन ग्रेस’ टग (बड़े जहाजों को खिंचने वाली छोटी नाव) समुद्री इंजीनियरिंग की बेहतरीन देन है, जो अत्याधुनिक तकनीक से सुसज्जित है और 60 टन का उल्लेखनीय बोलार्ड पुल का दावा करता है।
  • यह पहला एएसटीडीएस टग निगाटा मुख्य इंजन और पावर जेड-पेलर जेडपी प्रोपल्शन इंजन से संचालित होता है।
  • इस टग को अधिकतम दक्षता और विश्वसनीयता के लिए सावधानीपूर्वक डिजाइन किया गया है जो निर्बाध नेविगेशन और कुशल पोत सहायता की गारंटी देता है, खासकर वीएलसीसी और यूएलसीसी जैसे बड़े जहाजों के लिए।
  • ग्रीन टग ट्रांज़िशन प्रोग्राम (जीटीटीपी) का लक्ष्य 2030 तक सभी टगों में से कम से कम 50% को ग्रीन टग में बदलना और सभी प्रमुख पत्तनों पर ग्रीन टग की तैनाती करना है।
    • जेएनपीए, डीपीए, पीपीए और वीओसीपीए पहले चरण के हिस्से के रूप में 2027 तक कोचीन शिपयार्ड से दो बिल्कुल नए ग्रीन टग (बैटरी-इलेक्ट्रिक चालित) खरीदेंगे।
    • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के उपायों को लागू करके, घरेलू/लघु समुद्री शिपिंग घाटों, बंदरगाह जहाजों (टग/जहाज/खींच कर निकालने वाला यंत्र), और ओएसवी/पीएसवी का लक्ष्य पहले 2030 तक 50% की उल्लेखनीय कमी करना और फिर इसे 2047 तक 70% तक कम करना है।
  • समुद्री अमृत काल विजन 2047 के तहत, आने वाले वर्षों में डीकार्बोनाइजेशन सेल अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी जहाजों के निर्माण में अग्रणी बनने के लिए तैयार है, जो विभिन्न श्रेणियों में प्रायोगिक पहल (पायलट रन) शुरू करेगा।
    • इस महत्वाकांक्षी पहल में पांच इलेक्ट्रिक वॉटर टैक्सियां, दो हाइब्रिड इलेक्ट्रिक रो-रो घाट और दो हाइब्रिड एलएनजी इलेक्ट्रिक कार्गो कैरियर शामिल हैं।
    • इसके अलावा, इस योजना में जेएनपीए में तीन दोहरे ईंधन कंटेनर वाले रो-रो नाव के साथ एक हाइब्रिड टग तैनात करना शामिल है।
    • इस प्रयास में चार प्रमुख पत्तनों पर हरित हाइड्रोजन और अमोनिया-संचालित टगों को शामिल करना है।
    • इसके अतिरिक्त, इस पहल में एक अपतटीय जहाज के साथ-साथ एक हरित हाइड्रोजन या अमोनिया-चालित तटीय कार्गो वाहक की तैनाती शामिल है, जो टिकाऊ समुद्री प्रथाओं और पर्यावरणीय प्रबंधन के प्रति समर्पित प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

पृष्ठ्भूमि:

  • ओडिशा में सागरमाला कार्यक्रम इसके तटीय क्षेत्रों में महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचागत विकास को आगे बढ़ाने में सहायक रहा है।

पत्तन के बारे में:

  • पारादीप पत्तन की उल्लेखनीय उप‍लब्धि तटीय नौवहन में इसकी केंद्रीय भूमिका से उजागर होती है।
  • यह देश के सभी पत्तनों से संचालित लगभग 25% तटीय यातायात का प्रबंधन करता है।
  • यह पूरे देश में उद्यमों को किफायती और प्रभावी पत्तन सेवाएं प्रदान करता है, जो 80% से अधिक बर्थ मशीनीकरण पर काम करती है।
  • पारादीप पत्तन उत्पादकता में प्रमुख पत्तनों की सूची में सबसे ऊपर है। वित्तीय वर्ष 2022-2023 में, इसने प्रति जहाज बर्थ दिन 32,500 मीट्रिक टन हासिल किया, जिससे भारतीय समुद्री क्षेत्र में यह प्रमुख भागीदार के रूप में सामने आया है।
  • पारादीप पत्तन शिक्षा, पर्यावरण, स्वास्थ्य देखभाल, स्वच्छता, बिजली, खेल और संस्कृति सहित कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) गतिविधियों में महत्वपूर्ण योगदान देता है। मेडिकल मोबाइल यूनिट (एमएमयू) का उद्घाटन इस प्रतिबद्धता का उदाहरण है।
  • उल्लेखनीय है कि पारादीप पत्तन के विस्तार पर अभी विशेष ध्‍यान दिया जा रहा है। 3,004.63 करोड़ रुपये की वेस्टर्न डॉक परियोजना अगले दो वर्षों में इसकी क्षमता 300 एमटीपीए से अधिक बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • इस परियोजना में एक नई जहाज गोदाम (डॉक) का निर्माण शामिल है, जो अत्याधुनिक बुनियादी ढांचे और संचालन की बेहतरीन सुविधाओं से सुसज्जित है।
  • इसे बड़ी संख्‍या में कई खाली जहाजों को रखने के लिए तैयार किया गया है।
  • इसके अलावा, इस परियोजना में केप जहाजों को समायोजित करने के लिए आंतरिक पत्तन को गहरा करना शामिल है, जिसके लिए 18 मीटर तक की गहराई की आवश्यकता होती है।
  • इस परियोजना में पारादीप पत्तन पर सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) मोड के तहत निर्माण, संचालन और हस्तांतरण (बीओटी) के आधार पर पश्चिमी डॉक के विकास सहित आंतरिक पत्तन सुविधाओं को बेहतरीन और अनुकूलित करना शामिल है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. एमएच 60आर ‘सीहॉक’ हेलीकॉप्टर को आईएनएएस 334 स्क्वाड्रन के रूप में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा:

  • भारतीय नौसेना अभी हाल में ही नए शामिल किए गए एमएच 60आर सीहॉक (ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर का एक समुद्री संस्करण) बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर को 06 मार्च 2024 को आईएनएस गरुड़, कोच्चि में कमीशन करेगी, जो भारत की रक्षा आधुनिकीकरण यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण है।
  • सीहॉक्स स्क्वाड्रन को आईएनएएस 334 के रूप में भारतीय नौसेना में शामिल किया जाएगा।
  • ये हेलीकॉप्टर फरवरी 2020 में अमरीका के साथ हस्ताक्षरित 24-विमान एफएमएस अनुबंध का एक हिस्सा हैं।
  • सीहॉक्स के शामिल होने से भारतीय नौसेना अपनी समुद्री ताकत में उल्लेखनीय वृद्धि का अनुभव करने को तैयार है।
  • हेलीकॉप्टर को पनडुब्बी रोधी युद्ध (एएसडब्ल्यू), सतह पर होने वाले संघर्ष (एएसयूडब्लू), खोज एवं बचाव (एसएआर), चिकित्सा व निकासी (मेडीवैक) और वर्टिकल रिप्लेनिशमेंट (वर्टरेप) के लिए तैयार किया गया है।
  • इस हेलीकॉप्टर का भारतीय संदर्भ वातावरण (आईआरए) स्थितियों में कड़ाई से परीक्षण किया गया है और यह बेड़े में पूरी तरह से एकीकृत हो रहे हैं।
    • उन्नत हथियार, सेंसर और एवियोनिक्स सूट सीहॉक हेलीकॉप्टर को भारतीय नौसेना की समुद्री सुरक्षा आवश्यकताओं के लिए महत्वपूर्ण बनाते हैं, जो पारंपरिक एवं असंयमित दोनों तरह खतरों से निपटने के लिए उन्नत क्षमताएं प्रदान करते हैं।
  • एमएच 60आर हेलीकॉप्टर भारत की समुद्री क्षमताओं को बढ़ावा देंगे, नौसेना की परिचालन पहुंच का विस्तार करेंगे और रक्षा स्पेक्ट्रम तथा विशाल समुद्री डोमेन में निरंतर नौसैन्य संचालन का सहयोग करेंगे।
    • हिंद प्रशांत क्षेत्र में सीहॉक की तैनाती भारतीय नौसेना की समुद्री उपस्थिति को सशक्त करेगी, संभावित खतरों को दूर करेगी और रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण इस क्षेत्र में एक सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित करेगी।
  • सीहॉक हेलीकॉप्टर की नियुक्ति समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भारतीय नौसेना के दृढ़ समर्पण को उजागर करती है, जो इस क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा एवं विकास सुनिश्चित करने के भारत सरकार के दूरदर्शी लक्ष्य के साथ सहजता से जुड़ती है।

2. डेफकनेक्ट 2024:

  • स्वदेशी नवाचार को प्रोत्साहन देने और बढ़ती सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए साझेदारी को सुगम बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के तत्वावधान में रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार- रक्षा नवाचार संगठन (आईडीईएक्स-डीआईओ) डेफकनेक्ट का आयोजन 04 मार्च, 2024 को मानेकशॉ सेंटर, नई दिल्ली में कर रहा है। इस कार्यक्रम का उद्घाटन रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह द्वारा किया जाएगा।
  • डेफकनेक्ट 2024 देश के रक्षा नवाचार परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है, जो सशस्त्र बलों, रक्षा उद्योग के नेताओं, स्टार्ट-अप, शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं सहित प्रमुख हितधारकों को एक मंच पर प्रस्तुत करता है।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य अर्थपूर्ण जुड़ाव को बढ़ावा देना, अत्याधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन करना है और यह रक्षा क्षेत्र में सहयोग, नवाचार और उद्यमिता को प्रोत्साहन देने के लिए एक परिवर्तित मंच के रूप में कार्य करने को तैयार है।
  • यह आयोजन रक्षा क्षेत्र में भारत के अग्रणी उद्योगों से बड़ी संख्या में नवप्रवर्तकों और निवेशकों कोआकर्षित करेगा।
  • रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) ढांचा सैन्य कर्मियों को सह-विकास मॉडल में नवप्रवर्तकों के साथ कार्य करने की अनुमति प्रदान करता है।
    • वे अंतिम उपभोगकर्ता, नोडल और डोमेन विशेषज्ञ के रूप में अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं।
    • यह सहयोग अंतिम उपयोगकर्ता की विशेषज्ञता और अंतर्दृष्टि से लाभान्वित नवाचार को दिशा-निर्देश देने और वर्तमान मंच की प्रगति को सुचारू रूप से एकीकृत करने में सहयोग करता है।
  • अभी तक, रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) ने डिफेंस इंडिया स्टार्ट-अप चैलेंज (डीआईएससी) के 10 राउंड और ओपन चैलेंज (ओसी) के 11 राउंड लॉन्च किए हैं, जिसमें ट्राई-सर्विसेज, डिफेंस स्पेसएजेंसी, रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, भारतीय तटरक्षक बल, सीमा सड़क संगठन और अन्य एजेंसियों के व्यक्तिगत इनोवेटर्स और स्टार्ट-अप्स से 9,000 से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं।
  • यह कार्यक्रम आगामी 08 मार्च, 2024 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस से पूर्व ‘महिलाएं परिवर्तन की चालक के रूप में’विषय पर एक अखिल महिला पैनल चर्चा के आयोजन का साक्षी भी रहेगा।
  • यह रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स) स्टार्ट-अप से मिलने और उनकी नवाचार तकनीकों को जानने का एक विशिष्ट अवसर प्रदान करेगा।
  • वर्ष 2018 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लॉन्च किये गये रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स), अनिवार्य रूप से रक्षा और एयरोस्पेस क्षेत्रों में विभिन्न हितधारकों के लिए एक एकीकृत मंच प्रस्तुत करता है।
  • यह इस विशिष्ट क्षेत्र में प्रौद्योगिकी विकास और संभावित सहयोग के निरीक्षण हेतु एक छत्र संगठन की तरह कार्य करता है।

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