विषयसूची:

  1. प्रधानमंत्री एक ऐतिहासिक पहल के अंतर्गत, 6 अगस्त को देश भर में 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए आधारशिला रखेंगे:
  2. रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भरता
  3. पराली जलाने के मामलों को शून्य के स्तर पर लाने की दिशा में काम
  4. वैकल्पिक उर्वरकों को प्रोत्साहन देने के लिए उठाए गए कदम

1. प्रधानमंत्री एक ऐतिहासिक पहल के अंतर्गत, 6 अगस्त को देश भर में 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए आधारशिला रखेंगे::

सामान्य अध्ययन: 3

बुनियादी ढाँचा:

विषय: ऊर्जा, बंदरगाह, सड़क, विमानपत्तन, रेलवे आदि।

प्रारंभिक परीक्षा: अमृत भारत स्टेशन योजना

मुख्य परीक्षा: सुव्यवस्थित यातायात सुविधा, इंटर-मोडल एकीकरण और यात्रियों के मार्गदर्शन में रेलवे की भूमिका।

प्रसंग:

  • एक ऐतिहासिक पहल के तहत 6 अगस्त को देश भर में 508 रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए आधारशिला रखी जाएगी।

विवरण:

  • अमृत भारत स्टेशन योजना के तहत 24,470 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से स्टेशनों का पुनर्विकास किया जाएगा।
  • शहर के दोनों किनारों को समुचित रूप से जोड़ते हुए स्टेशनों को ‘सिटी सेंटर’ के रूप में विकसित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किया जा रहा है।
  • यह एकीकृत दृष्टिकोण रेलवे स्टेशन के आसपास के क्षेत्र पर केंद्रित शहर के समग्र शहरी विकास के विज़न से प्रेरित है।
  • स्टेशन भवन का डिजाइन स्थानीय संस्कृति, विरासत और वास्तुकला से प्रेरित होगा।
  • रेलवे को देश भर में लोगों के परिवहन का पसंदीदा साधन बनाते हुए रेलवे स्टेशनों पर विश्वस्तरीय सुविधाएं उपलब्ध कराने के महत्व पर जोर दिया गया है। इस विज़न से प्रेरित, देश भर में 1309 स्टेशनों के पुनर्विकास कार्य के लिए अमृत भारत स्टेशन योजना शुरू की गई थी।
  • इस योजना के हिस्से के रूप में, 508 स्टेशनों के पुनर्विकास के लिए आधारशिला रखी जा रही है। इन स्टेशनों का पुनर्विकास 24,470 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से किया जाएगा।
  • शहर के दोनों किनारों को समुचित रूप से जोड़ते हुए इन स्टेशनों को ‘सिटी सेंटर’ के रूप में विकसित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार किए जा रहे हैं।
  • यह एकीकृत दृष्टिकोण रेलवे स्टेशन के आसपास के क्षेत्र पर केंद्रित शहर के समग्र शहरी विकास के विज़न से प्रेरित है।
  • ये 508 स्टेशन देश के 27 राज्यों और केंद्र-शासित प्रदेशों में स्थित हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश में 55, राजस्थान में 55, बिहार में 49, महाराष्ट्र में 44, पश्चिम बंगाल में 37, मध्य प्रदेश में 34, असम में 32, ओडिशा में 25, पंजाब में 22, गुजरात में 21, तेलंगाना में 21, झारखंड में 20, आंध्र प्रदेश में 18, तमिलनाडु में 18, हरियाणा में 15, कर्नाटक में 13 स्टेशन शामिल हैं।
  • पुनर्विकास कार्य से अच्छी तरह से सुव्यवस्थित यातायात सुविधा, इंटर-मोडल एकीकरण और यात्रियों के मार्गदर्शन के लिए अच्छी तरह से डिजाइन किए गए चिन्हों को सुनिश्चित करने के साथ-साथ यात्रियों के लिए आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

2. रक्षा क्षेत्र में आत्म निर्भरता:

सामान्य अध्ययन: 3

सुरक्षा:

विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियाँ; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।

मुख्य परीक्षा: केंद्र सरकार ने स्वदेशी उन्नत प्रौद्योगिकियों और जटिल प्रणालियों को विकसित करके देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं। टिप्पणी कीजिए।

प्रसंग:

  • केंद्र सरकार ने स्वदेशी उन्नत प्रौद्योगिकियों और जटिल प्रणालियों को विकसित करके देश को आत्मनिर्भर बनाने के लिए पर्याप्त कदम उठाए हैं।

विवरण:

  • प्रौद्योगिकी विशिष्ट रक्षा उपकरणों और हथियारों के विनिर्माण के स्वदेशीकरण और घरेलू रक्षा उत्पादन इको-सिस्टम बनाने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदम निम्नलिखित हैं: –
  • रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया (DAP 2020) का स्वदेशी स्रोतों के माध्यम से रक्षा उपकरणों के अधिग्रहण को अधिकतम बनाने और घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए घोषणा की गई है।
  • भारत सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि पूंजी अधिग्रहण के लिए सबसे पसंदीदा विकल्प ‘स्वदेश में डिजाइन, विकसित और निर्मित (IDDM)’ श्रेणी के उपकरण खरीदे जाएं और उसके बाद ‘खरीदो (भारतीय)’ श्रेणी का अनुसरण किया जाए।
  • ‘मेक’ श्रेणियों का लक्ष्य निजी क्षेत्र सहित भारतीय औद्योगिक पारिस्थितिकी तंत्र की अधिकाधिक भागीदारी को शामिल करके आत्मनिर्भरता के उद्देश्य को प्राप्त करना है।
  • मेक-I, TDF और IDEX परियोजनाओं के लिए सरकारी निधियन के प्रावधान शुरू किए गए हैं।
  • DRDO क्रियान्वित प्रौद्योगिकी विकास निधि (TDF) योजना MSME और स्टार्ट-अप के घटकों, उत्पादों, प्रणालियों और प्रौद्योगिकियों के स्वदेशी विकास का समर्थन करता है।
  • TDF योजना के अंतर्गत निधियन को प्रति परियोजना 10 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 50 करोड़ रुपए और इसे IDEX प्राइम योजना के तहत 1.5 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए कर दिया गया था। इससे ”रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता” के दृष्टिकोण को और बल मिलेगा।
  • रक्षा उपकरणों और प्लेटफार्मों की चार ‘सकारात्मक स्वदेशीकरण सूची’ जिनके आयात पर प्रतिबंध रहेगा।
  • DRDO का ‘विकास सह उत्पादन भागीदार (DCPP)’ मॉडल लागू किया गया है, जिसमें प्रणाली विकास परियोजनाओं में उद्योग को DCPP के रूप में स्वीकार किया गया है। विकास और उत्पादन इकाइयों का जीवन चक्र समर्थन सहित उद्योगों द्वारा निर्माण किया जाता है।
  • DRDO परीक्षण सुविधाएं उद्योगों के उपयोग के लिए खोल दी गई हैं। परीक्षण सुविधाओं को DRDO की वेबसाइट पर सूचीबद्ध किया गया है और उद्योगों को इसके बारे में सूचित कर दिया गया है। इन सुविधाओं का उद्योगों द्वारा उपयोग किया जा रहा है।
  • रक्षा और एयरोस्पेस से संबंधित वस्तुओं के स्वदेशी उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में दो रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित किए गए हैं।
  • रक्षा अनुसंधान एवं विकास को उद्योग, स्टार्ट-अप और शिक्षा क्षेत्र के लिए खोल दिया गया है और रक्षा अनुसंधान एवं विकास बजट का 25 प्रतिशत इस उद्देश्य के लिए निर्धारित किया गया है। इसका कार्यान्वयन विभिन्न वर्तमान योजनाओं के माध्यम से किया जा रहा है और नई योजनाएं प्रस्तावित की गई हैं।
  • स्वदेशी डिजाइन और विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए, स्वदेशी स्रोतों से खरीद के लिए निधि का भी निर्धारण किया गया है।
  • वित्त वर्ष 2023-24 के लिए, रक्षा मंत्रालय के पूंजीगत अधिग्रहण बजट में घरेलू और विदेशी खरीद के बीच 67.75:32.25 के अनुपात में धनराशि निर्धारित की गई है। इसके अलावा, रक्षा मंत्रालय ने स्टार्ट-अप्स से खरीद के लिए 1500 करोड़ रुपये की राशि व्यय करने का भी निर्देश दिया है।
  • उद्योगों को DRDO पेटेंट के लिए निःशुल्क सुविधा प्रदान की गई है।
  • DRDO रक्षा उद्योगों के लिए युवाओं को तैयार करने के लिए (इंटर्नशिप, अप्रेंटिसशिप, बी.टेक, एम.टेक पाठ्यक्रमों में ऐच्छिक) कौशल प्रदान कर रहा है।
  • पिछले तीन वर्षों के दौरान अर्थात 2021 में 11, 2022 में 25 और 2023 में 7, सेनाओं में शामिल करने के लिए DRDO द्वारा विकसित/विकसित की जा रही 43 प्रणालियों के लिए आवश्यकता की स्वीकृति (AON) प्रदान की गई है।
  • पिछले तीन वित्तीय वर्षों (2020-21 से 2022-23 तक) के दौरान, रक्षा उपकरणों की पूंजीगत खरीद के लिए 122 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं, जिनमें से रक्षा उपकरणों की पूंजीगत खरीद के लिए भारतीय विक्रेताओं के साथ 100 अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए गए हैं जो कुल अनुबंध मूल्य का 87 प्रतिशत है।”

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

  1. पराली जलाने के मामलों को शून्य के स्तर पर लाने की दिशा में काम:
    • केन्द्र सरकार का उद्देश्य मौजूदा मौसम में पराली जलाने के मामलों को शून्य के स्तर पर लाने की दिशा में काम करना है।
    • वायु प्रदूषण के अलावा, पराली जलाने से मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उर्वरता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जो कृषि भूमि के लिए भी प्रतिकूल है।
    • फसल अवशेष जलाने के प्रबंधन के मुद्दों पर अंतर-मंत्रालयी बैठक संपन्न हुई।
    • पिछले पांच वर्षों से धान की पराली जलाने से रोकने के प्रयासों के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।
    • वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग जैसी एजेंसियों के ठोस प्रयासों के कारण, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में पराली जलने की घटनाओं में कमी आई है।
    • धान के भूसे के समुचित प्रबंधन को प्रोत्साहन देने की जरूरत है, जो बिजली, बायोमास आदि जैसे उपयोगकर्ता उद्योगों को कच्चा माल मुहैया करेगा।
    • सभी हितधारकों के प्रयासों से धान की पराली जलाने की घटनाओं में लगातार कमी देखी जा रही है।
    • हालांकि, धान की पराली जलाने का संबंध केवल दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों के प्रदूषण से नहीं है, बल्कि यह मिट्टी के स्वास्थ्य और उसकी उर्वरता पर प्रतिकूल प्रभाव डालकर, कृषि भूमि पर भी हानिकारक प्रभाव डाल रहा है।
  2. वैकल्पिक उर्वरकों को प्रोत्साहन देने के लिए उठाए गए कदम:
    • कृषि में रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिए, भारत सरकार जैविक उर्वरक और जैव उर्वरकों के संयोजन के साथ मृदा परीक्षण को मद्देनजर रखते हुए उर्वरकों के संतुलित और विवेकपूर्ण उपयोग को बढ़ावा दे रही है।
    • इसके अलावा, परम्परागत कृषि विकास योजना (PKVY), नमामि गंगे, भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (BPKP), उत्तर-पूर्वी क्षेत्र के लिए मिशन जैविक मूल्य श्रृंखला विकास (MOVCDNER), राष्ट्रीय जैविक खेती परियोजना (NPOF) आदि के तहत किसानों को जैविक और जैव उर्वरकों के उपयोग के लिए सहायता प्रदान की जाती है।
    • इसके अलावा, राष्ट्रीय जैविक खेती केंद्र (NCOF) जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता फैलाने और प्रशिक्षण गतिविधियों में शामिल है।
    • आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) ने 28 जून, 2023 को हुई अपनी बैठक में “पीएम प्रोग्राम फॉर रेस्टोरेशन, अवेयरनेस जनरेशन, नरिशमेंट एंड ऐमेलिओरेशन ऑफ मदर अर्थ (पीएम-प्रणाम)” को मंजूरी दे दी है।
    • इस पहल का उद्देश्य उर्वरकों के टिकाऊ और संतुलित उपयोग को बढ़ावा देने, वैकल्पिक उर्वरकों को अपनाने, जैविक खेती को बढ़ावा देने और संसाधन संरक्षण प्रौद्योगिकियों को लागू करके धरती के स्वास्थ्य को बचाने के लिए राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा शुरू किए गए जन आंदोलन का समर्थन करना है।
    • उक्त योजना के तहत, पिछले तीन वर्षों की औसत खपत की तुलना में रासायनिक उर्वरकों (यूरिया, DAP, NPK, MOP) की खपत में कमी के माध्यम से एक विशेष वित्तीय वर्ष में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश द्वारा उर्वरक सब्सिडी का जो 50 प्रतिशत बचाया जाएगा, उसे अनुदान के रूप में उस राज्य/संघ राज्य क्षेत्र को दे दिया जाएगा।
    • इसके अलावा सीसीई ने 28 जून, 2023 को आयोजित अपनी बैठक में 1500 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से बाजार विकास सहायता (MDA) को मंजूरी दे दी है, ताकि जैविक उर्वरकों को बढ़ावा दिया जा सके।
    • इसका अर्थ है कि गोबरधन पहल के तहत संयंत्रों द्वारा उत्पादित खाद को प्रोत्साहन देना। इस पहल में विभिन्न बायोगैस/सीबीजी समर्थन योजनाएं/कार्यक्रम शामिल हैं।
    • ये सभी हितधारक मंत्रालयों/विभागों से संबंधित हैं, जिनमें पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय की किफायती परिवहन के लिए सतत विकल्प (SATAT) योजना, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय का अपशिष्ट से ऊर्जा’ कार्यक्रम, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग का स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) को शामिल किया गया है।
    • इनका कुल परिव्यय 1451.84 करोड़ रुपये (वित्त वर्ष 2023-24 से 2025-26) है, जिसमें अनुसंधान संबंधी वित्त पोषण के लिए 360 करोड़ रुपये की निधि शामिल है।

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