विषयसूची:
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04 May 2024 Hindi PIB
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1.भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी ने 16वीं हितधारकों की बैठक का आयोजन किया
सामान्य अध्ययन: 3
पर्यावरण :
विषय:पर्यावरण संरक्षण एवं ऊर्जा दक्षता/संरक्षण
प्रारंभिक परीक्षा: भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए)
प्रसंग
- भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) ने 4 मई, 2024 को नई दिल्ली के इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में अपनी 16वीं हितधारकों की बातचीत बैठक का आयोजन किया।
विवरण
- हितधारकों की बैठक में सौर ऊर्जा, पवन, जल, जैव ऊर्जा, और नई एवं उभरती प्रौद्योगिकियां सहित नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में फैले व्यापार भागीदारों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। विशेष रूप से, यह 16 में से दूसरी बैठक व्यक्तिगत रूप से आयोजित की गई। इसमें से 14 बैठकें वर्चुअल माध्यम से आयोजित की गईं थीं।
- इस कार्यक्रम में भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) की हालिया उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए एक प्रस्तुति दी गई, जिसमें वित्तीय वर्ष 2023-24 में इसके ऐतिहासिक वार्षिक प्रदर्शन पर बल दिया गया। चर्चा में नवीकरणीय ऊर्जा विकास के लिए की गई प्रमुख पहल, पिछली बातचीत बैठकों के सुझावों का कार्यान्वयन और भारत सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्यों के अनुरूप भविष्य की योजनाएं शामिल रहीं।
- बैठक में उल्लेखनीय वित्तीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया, जिसमें भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) की टियर-1 पूंजी 31 मार्च, 2024 तक 8,265.20 करोड़ रुपये तक पहुंच गई। यह पर्याप्त पूंजी आधार परियोजना वित्तपोषण में बड़े निवेश को सक्षम बनाता है।
- भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) की निवल संपत्ति में वित्तीय वर्ष 2020-21 में 2,995 करोड़ से वित्तीय वर्ष 2023-24 में 8,559 करोड़ रुपये की उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। यह इसकी वित्तीय ताकत और स्थिरता को प्रदर्शित करता है।
- हितधारकों को संबोधित करते हुए, भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक श्री प्रदीप कुमार दास ने व्यवसाय करने में सुगमता की सुविधा और सूचना प्रौद्योगिकी बुनियादी ढांचे को अनुकूलित करने के महत्व को रेखांकित किया।
- उन्होंने क्षेत्र की आवश्यकताओं के अनुरूप वित्तीय उत्पादों को तैयार करने के प्रति कंपनी के समर्पण और भागीदारों की प्रतिक्रिया के आधार पर भारत सरकार द्वारा सीओपी-26 में उल्लिखित दृष्टिकोण के साथ तालमेल बिठाते हुए नए उत्पादों को पेश करने की उसकी तत्परता पर जोर दिया।
- उन्होंने कहा कि भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) का लक्ष्य वर्ष 2030 तक गैर-जीवाश्म स्रोतों से 500 गीगावॉट स्थापित बिजली क्षमता के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाना है।
भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) के बारे में
- भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय (एमएनआरई) के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत भारत सरकार का एक ‘नवरत्न’ उद्यम है। आईआरईडीए एक सार्वजनिक लिमिटेड सरकारी कंपनी है जिसे 1987 में एक गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थान के रूप में स्थापित किया गया था। आईआरईडीए का मिशन है “स्थायी विकास के लिए नवीकरणीय स्रोतों, ऊर्जा दक्षता और पर्यावरण प्रौद्योगिकियों से ऊर्जा उत्पादन में आत्मनिर्भर निवेश के वित्तपोषण और प्रचार के लिए एक अग्रणी, भागीदार-अनुकूल और प्रतिस्पर्धी संस्थान बनें।” IREDA का आदर्श वाक्य “हमेशा के लिए ऊर्जा” है।
2. भारत और ऑस्ट्रेलिया सहयोगी परियोजनाओं के लिए मिलकर काम करने के साथ ही बाजार पहुंच के मुद्दों को समय पर हल करेंगे
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौता ।
मुख्य परीक्षा: भारत-ऑस्ट्रेलिया सम्बन्ध।
प्रसंग: वाणिज्य सचिव श्री सुनील बर्थवाल के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने सिडनी और मेलबोर्न में व्यापार के साथ ही दोनों अर्थव्यवस्थाओं में विद्यमान व्यापार पूरकताओं और विशेषज्ञता तथा अज्ञात संभावनाओं का लाभ उठाने के उद्देश्य से केनबरा में विदेश मामलों और व्यापार विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ़ फॉरेन अफेयर्स एंड ट्रेड -डीएफएटी) के उप सचिव श्री जॉर्ज मीना के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलियाई प्रतिनिधिमंडल के साथ विभिन्न व्यापार और संभावित निवेश संबंधी मुद्दों पर बहुत रचनात्मक एवं सार्थक चर्चा की ।
विवरण
- भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (इंड-ऑस्ट्रेलिया इकॉनोमिक कोऑपरेशन एंड ट्रेड एग्रीमेंट-ईसीटीए) के अंतर्गत पहली संयुक्त समिति की बैठक (जेसीएम) में दोनों पक्षों ने ईसीटीए के सुचारु कार्यान्वयन को स्वीकार करते हुए जैविक उत्पादों पर परस्पर मान्यता प्रबन्धन (म्यूचुअल रिकग्निशन एरेंजमेंट–एमआरए) सहित भिंडी, अनार, अंगूर, पनीर, मैकाडामिया नट्स, दाल और एवोकैडो जैसे उत्पादों से संबंधित बाजार पहुंच के मुद्दे, टैरिफ दर कोटा (टीआरक्यू) की व्यवस्था, विशेष रूप से जेनरिक औषधियों पर ऑस्ट्रेलिया में औषधि (फार्मास्युटिकल) मूल्य निर्धारण नियंत्रण, व्हिस्की और वाइन पर नियामक चुनौतियों को संबोधित करने के उद्देश्य से कार्य समूह द्वारा की गई प्रगति और त्तथा ईसीटीए उप-समिति की बैठकों के परिणामों के साथ ही समय पर समाधान के लिए उनकी नियमित बैठकों की आवश्यकता और इन उत्पादों के व्यापार को बढ़ावा देने त्तथा तटीय पर्यटन, महत्वपूर्ण खनिजों सहित पारस्परिक हित के क्षेत्र और भारत में झींगा और केकड़ों के लिए रोग-मुक्त क्षेत्र स्थापित करने के लिए सहयोग हेतु आर्थिक सहयोग और व्यापार समझौते (ईसीटीए) के कार्यान्वयन मुद्दों पर संक्षेप में विवरण दिया।
- जेसीएम ने संयुक्त समिति के लिए प्रक्रिया के नियमों को भी अपनाया और मासिक आधार पर प्राथमिकता वाले आयात डेटा के नियमित आदान-प्रदान के उद्देश्य से मुक्त व्यापार समझौते (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट –एफटीए) के लिए अपनी तरह का पहला संस्थागत तंत्र स्थापित किया। इसमें विशेष रूप से स्टार्ट-अप पर निवेश को बढ़ावा देने के लिए आगामी मुख्य कार्कारी अधिकारी मंच (सीईओ फोरम) कार्यक्रम के लिए एकीकृत दृष्टिकोण पर भी संक्षेप में विचार-विमर्श किया गया।
- जेसीएम बैठक में कुछ महत्वपूर्ण सेवा मुद्दों पर भी चर्चा हुई, जिसमें सीमा पार ई-भुगतान की सुविधा के लिए भारत के अनुरोध और नर्सिंग और दंत चिकित्सा जैसे व्यवसायों में पारस्परिक मान्यता समझौतों पर विचार शामिल है। इसके अलावा, ब्रिटेन (यूके) -ऑस्ट्रेलिया मुक्त व्यापार समझौते के अनुरूप ईएनटी/एलएमटी आवश्यकता को हटाने की प्रतिबद्धता दोहराई गई, साथ ही दोनों देशों के बीच स्वास्थ्य कर्मियों के आवागमन को सुविधाजनक बनाने एवं टेली-मेडिसिन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करने पर भी चर्चा की गई।
- कुल मिलाकर, संयुक्त समिति की बैठक (जेसीएम) ने ठोस और पारस्परिक रूप से लाभप्रद आर्थिक संबंधों को बढ़ावा देने के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया दोनों की प्रतिबद्धता की पुष्टि की, जिससे दोनों देशों के लिए सहयोग और समृद्धि में वृद्धि का मार्ग प्रशस्त होगा। बैठक में विश्व व्यापार संगठन (वर्ल्ड ट्रेड आर्गेनाईजेशन) के मुद्दों पर भी चर्चा हुई, जिसमें दोनों पक्षों ने वाणिज्य सचिव की सराहना करते हुए सार्वजनिक स्टॉक होल्डिंग (पीएसएच) के स्थायी समाधान के लंबे समय से लंबित मुद्दे के शीघ्र समाधान के लिए ऑस्ट्रेलिया के समर्थन के महत्व को स्पष्ट किया। ऑस्ट्रेलिया ने सेवाओं के लिए घरेलू समर्थन की बहुपक्षीय व्यवस्था के लिए भारत से समर्थन मांगा। दोनों पक्ष आवश्यकता पड़ने पर इन मामलों पर अंतर-सत्रीय (इन्टरसेशन्ली) चर्चा करने पर भी सहमत हुए।
- ऑस्ट्रेलिया ओशिनिया क्षेत्र में भारत का एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार हैI भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच वाणिज्यिक व्यापार 2023-24 में लगभग 24 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचा है, जो आगे भी विकास की महत्वपूर्ण संभावना का संकेत देता है। इस हेतु संयुक्त समिति की बैठक दोनों देशों के लिए व्यापार संबंधों को और सुदृढ़ करने एवं व्यापार सुविधा, निवेश प्रोत्साहन के साथ ही प्रौद्योगिकी के समर्थन सहित अन्य क्षेत्रों में सहयोग जैसे क्षेत्रों में द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग के नए अवसरों की खोज करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करती है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. गोवा शिपयार्ड लिमिटेड में आधुनिक पीढ़ी के पहले समुद्रगामी गश्ती जहाज (एक्स-जीएसएल) के निर्माण कार्य का औपचारिक शुभारंभ
- आधुनिक पीढ़ी के पहले समुद्रगामी गश्ती जहाज (एक्स-जीएसएल) के निर्माण कार्य का औपचारिक शुभारंभ कार्यक्रम 03 मई, 2024 को मेसर्स गोवा शिपयार्ड लिमिटेड, गोवा में आयोजित किया गया। इस समारोह की अध्यक्षता युद्धपोत निर्माण एवं अधिग्रहण नियंत्रक वाइस एडमिरल बी शिव कुमार ने की।
- आधुनिक पीढ़ी के समुद्र तट से काफी दूर तैनात होने वाले इस तरह के 11 गश्ती समुद्रगामी जहाजों (एनजीओपीवी) के स्वदेशी डिजाइन एवं निर्माण के लिए अनुबंध 30 मार्च, 2023 को रक्षा मंत्रालय और मैसर्स गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (जीएसएल), गोवा तथा मैसर्स गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई), कोलकाता के बीच किया गया था। इनमें से सात जहाजों का निर्माण लीड शिपयार्ड मेसर्स जीएसएल द्वारा होना है और चार युद्धपोतों को फॉलो शिपयार्ड मेसर्स जीआरएसई द्वारा तैयार किया जाना है।
- नई एवं आधुनिक पीढ़ी के इन समुद्रगामी गश्ती जहाजों का इस्तेमाल समुद्री डकैती रोकने, तटीय सुरक्षा और निगरानी, खोज एवं बचाव तथा अपतटीय संपत्तियों की रक्षा व संरक्षण जैसे मिशनों को पूरा करने के लिए किया जाएगा। ये जहाज भारतीय नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र में देश के आर्थिक एवं भू-राजनीतिक हितों की रक्षा के लिए अपनी लड़ाकू क्षमता विस्तृत रखने में सक्षम बनाएंगे। यह पहल स्वदेशी युद्धपोत के निर्माण की दिशा में और भारतीय नौसेना की प्रगति के पथ पर महत्वपूर्ण मील का पत्थर है तथा देश की ‘आत्मनिर्भर भारत’ व ‘मेक इन इंडिया’ पहल के अनुरूप है।
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