विषयसूची:

  1. भारत सरकार और एडीबी ने मध्य प्रदेश हेतु 17 करोड़ 50 लाख डॉलर के ऋण पर हस्ताक्षर किए:
  2. लोक सभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 बिल पारित:
  3. यूनेस्को ने ‘गुजरात के गरबा’ को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया:
  4. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन बल के बीच समन्वय:
  5. इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी स्वैपिंग नीति:
  6. ‘भारत में प्लास्टिक कचरे में कमी के लिए राष्ट्रीय सर्कुलर इकोनॉमी रोडमैप’ पर एक प्रमुख दस्तावेज़ जारी:
  7. स्टार्टअप इंडिया पहल:
  8. राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से 2030 तक आयातित जीवाश्म ईंधन की मात्रा में 1 लाख करोड़ रुपए की कमी आने की संभावना है:

1. भारत सरकार और एडीबी ने मध्य प्रदेश हेतु 17 करोड़ 50 लाख डॉलर के ऋण पर हस्ताक्षर किए:

सामान्य अध्ययन: 2

अंतराष्ट्रीय सम्बन्ध:

विषय: महत्वपूर्ण अंतर्राष्ट्रीय संस्थान,संस्थाएं और मंच,उनकी संरचना,अधिदेश।

प्रारंभिक परीक्षा: एशियाई विकास बैंक (ADB)।

मुख्य परीक्षा: भारत में बुनियादी ढांचे के विकास में एशियाई विकास बैंक (ADB) की भूमिका पर प्रकाश डालिये।

प्रसंग:

  • भारत सरकार और एशियाई विकास बैंक (ADB) ने 06 दिसंबर 2023 को मध्य प्रदेश में सड़कों की कनेक्टिविटी और उसके लचीलेपन में सुधार के लिए 17 करोड़ 50 लाख डॉलर के ऋण पर हस्ताक्षर किए हैं।

उद्देश्य:

  • यह परियोजना मध्य प्रदेश में संतुलित आर्थिक विकास को संभव करने के लिए 14 जिलों में राज्य सड़क नेटवर्क में कनेक्टिविटी बढ़ाएगी।
  • वर्ष 2002 से, एडीबी ने 9,000 किलोमीटर से अधिक राज्य राजमार्गों और प्रमुख जिला सड़कों को उन्नत करके मध्य प्रदेश में सड़क विकास कार्यक्रम में मदद की है।
  • यह परियोजना इन प्रयासों को जारी रखेगी और ग्रामीण क्षेत्रों को विकास केंद्रों और औद्योगिक गलियारों से जोड़ेगी तथा ऐसी सड़कें बनाएंगी जो बेहतर, सुरक्षित और अधिक जलवायु-अनुकूल हों।

विवरण:

  • यह परियोजना लगभग 500 किलोमीटर राज्य राजमार्गों और प्रमुख जिला सड़कों को मानक दो-लेन वाली सड़कों में बदल देगी।
    • इन सड़कों में जलवायु और आपदा प्रतिरोधी डिजाइन, नवीन सड़क सुरक्षा तत्व और वैसी सुविधाएं शामिल होंगी जो बुजुर्गों, महिलाओं, बच्चों और विकलांग लोगों की जरूरतों को पूरा करेंगी।
  • एडीबी सड़क नेटवर्क योजना और प्रबंधन में जलवायु परिवर्तन अनुकूलन और शमन, आपदा लचीलापन और सड़क सुरक्षा पर मध्य प्रदेश सड़क विकास निगम लिमिटेड (एमपीआरडीसी) की क्षमता का निर्माण करेगा।
    • यह परियोजना सड़क निर्माण में हरित प्रौद्योगिकी का उपयोग करने और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए चार्जिंग बुनियादी ढांचे की स्थापना के लिए रणनीति और योजना तैयार करने में मदद करेगी।
  • यह परियोजना एमपीआरडीसी को लैंगिक समानता और सामाजिक समावेशन रणनीति तैयार करने और सड़क निर्माण क्षेत्र में काम करने के लिए महिला छात्रों को आकर्षित करने के लिए एक इंटर्नशिप कार्यक्रम स्थापित करने में सहायता करेगी।
    • इसके तहत सड़क सुरक्षा जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए महिला स्वयं सहायता समूहों को शामिल किया जाएगा।
      • यह परियोजना महिलाओं और लड़कियों के लिए आजीविका और उद्यमिता प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित करेगी और सड़क किनारे कम से कम दो बाजारों का निर्माण करेगी।

2. लोक सभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 बिल पारित:

सामान्य अध्ययन: 2

शासन:

विषय: सरकार की नीतियां और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप एवं उनके डिजाइन तथा इनके अभिकल्पन से उत्पन्न होने वाले विषय।

प्रारंभिक परीक्षा: जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023,जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023

मुख्य परीक्षा: जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023,जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा कीजिए।

प्रसंग:

  • केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने लोक सभा में जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पर चर्चा का जवाब दिया। चर्चा के बाद लोक सभा ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को ध्वनि मत से पारित कर दिया।

विवरण:

  • लोक सभा ने जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 तथा जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 को ध्वनि मत से पारित कर दिया।
  • जम्मू और कश्मीर के इतिहास में पहली बार 9 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित की गई हैं और अनुसूचित जाति के लिए भी सीटों का आरक्षण किया गया है।
  • पहले जम्मू में 37 सीटें थीं जो अब 43 हो गई हैं, कश्मीर में पहले 46 सीटें थीं वो अब 47 हो गई हैं और पाक-अधिकृत कश्मीर की 24 सीटें रिज़र्व रखी गई हैं।
  • पहले जम्मू और कश्मीर विधानसभा में 107 सीटें थीं, अब 114 सीटें हो गई हैं, पहले विधानसभा में 2 नामित सदस्य होते थे, अब 5 होंगे।
  • गौरतलब हैं की 5-6 अगस्त, 2019 को एक ऐतिहासिक बिल को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट ने मंज़ूरी दी थी और इस सदन ने उसे मान्यता देकर धारा 370 को खत्म करने का काम किया।
  • पहले जम्मू और कश्मीर विधानसभा में 107 सीटें थीं, अब 114 सीटें हो गई हैं, पहले विधानसभा में 2 नामित सदस्य होते थे, अब 5 होंगे।
  • इन विधेयकों के ज़रिए वंचितों को कमज़ोर जैसे अपमानित करने वाले शब्दों के स्थान पर पिछड़ा वर्ग का संवैधानिक शब्द इनके लिए रखा।
  • सरकार ने इस मामले में न्याय दिलाने के लिए नया कानून बनाया और इसे पिछली तारीख से लागू कर उन्हें उनकी संपत्ति वापस देने का काम किया।
  • धारा 370 को जब खत्म कर दिया गया। उसके बाद पहली बार कश्मीरी, डोगरी, हिन्दी, अंग्रेज़ी और उर्दू को राज्य की आधिकारिक भाषा बनाया गया।
  • राइट टू एजुकेशन एक्ट, भूमि अधिग्रहण और मुआवज़े का कानून, फॉरेस्ट राइट एक्ट, एससी-एसटी प्रिवेंशन एट्रोसिटी एक्ट, व्हिसल ब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट, जुवेनाइल जस्टिस एक्ट और अल्पसंख्यक आयोग अधिनियम, 1992 को रोक कर रखा गया था और ये अब लागू हो गए हैं और अब वहां की विधानसभा की अवधि भी 5 वर्ष की हो गई है।
  • यह बिल ऐसे लोगों को अधिकार देने का बिल है जो सालों से वंचित थे, अधिकारों से वंचित थे, जो अपना देश अपना प्रदेश अपना घर अपनी भूमि अपनी जायदाद छूटने से अपने ही देश में निराश्रित हो गए।
  • यह पिछड़ा वर्ग के लोगों को संवैधानिक शब्द अन्य पिछड़ा वर्ग से सम्मानित करने का बिल है।

पृष्ठ्भूमि:

  • वर्ष 1947 में 31,779 परिवार पाक-अधिकृत कश्मीर से जम्मू और कश्मीर में विस्थापित हुए और इनमें से 26,319 परिवार जम्मू और कश्मीर में और 5,460 परिवार देशभर के अन्य हिस्सों में रहने लगे।
  • 1965 और 1971 में हुए युद्धों के बाद 10,065 परिवार विस्थापित हुए और कुल मिलाकर 41,844 परिवार विस्थापित हुए। 5-6 अगस्त, 2019 को प्रधानमंत्री मोदी ने इन विस्थापितों की आवाज़ को सुना और अधिकार दिए।
    • न्यायिक डिलिमिटेशन 5 और 6 अगस्त, 2019 को पारित बिल का ही हिस्सा था।
    • डिलिमिटेशन कमीशन, डिलिमिटेशन और डिमार्केटेड असेंबली लोकतंत्र का मूल और जनप्रतिनिधि को चुनने की इकाई तय करने की प्रक्रिया है।
    • इस बिल में प्रावधान किया गया है कि न्यायिक डिलिमिटेशन फिर से किया जाएगा।
    • डिलिमिटेशन कमीशन ने प्रावधान किया है कि 2 सीटें कश्मीरी विस्थापितों और 1 सीट पाक-अधिकृत कश्मीर से विस्थापित लोगों के लिए नामांकित की जाए।

3. यूनेस्को ने ‘गुजरात के गरबा’ को अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर घोषित किया:

सामान्य अध्ययन: 1

भारतीय विरासत और संस्कृति:

विषय: भारतीय संस्कृति में साहित्य और कला के मुख्य पहलु।

प्रारंभिक परीक्षा: यूनेस्को।

प्रसंग:

  • अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर (आईसीएच) की सुरक्षा के लिए अंतर सरकारी समिति की 18वीं बैठक के दौरान 2003 के कन्वेंशन के प्रावधानों के तहत यूनेस्को ने ‘गुजरात के गरबा’ को मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (आईसीएच) की प्रतिनिधि सूची में शामिल किया है। यह बैठक बोत्सवाना के कसाने में 5 दिसंबर को शुरू हुई जो 9 दिसंबर, 2023 तक चलेगी।

उद्देश्य:

  • यह उपलब्धि सामाजिक और लैंगिक समावेशिता को बढ़ावा देने वाली एक एकीकृत शक्ति के रूप में गरबा की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करती है।
  • यूनेस्को की इस सूची में गरबा को शामिल किया जाना विश्व के सामने हमारी समृद्ध संस्कृति, परंपराओं और धरोहर को प्रदर्शित करने के अथक प्रयासों का प्रमाण है।

विवरण:

  • गुजरात का गरबा नृत्य इस सूची में शामिल होने वाला भारत की 15वीं धरोहर (आईसीएच) है।
  • एक नृत्य शैली के रूप में गरबा धार्मिक और भक्ति की जड़ों में गहराई से समाया हुआ है, जिसमें सभी क्षेत्रों के लोग शामिल हैं।
  • गरबा समुदायों को एक साथ लाने वाली एक जीवंत परंपरा के रूप में विकसित हो रहा है।
  • यह उपलब्धि हमारी अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा, प्रचार और संरक्षण के प्रति भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की प्रतिबद्धता और प्रयासों पर प्रकाश डालती है।
  • इस वर्ष 2003 कन्वेंशन के मूल्यांकन निकाय ने अपनी रिपोर्ट में, उत्कृष्ट सहायक सामग्री के साथ अपने डोजियर और एक ऐसे तत्व को नामांकित करने के लिए भारत की प्रशंसा की जो विविधता में एकता का समर्थन करता है और विभिन्न समुदायों के बीच सामाजिक समानता का भाव पैदा करता है।
    • गुजरात की अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर ‘गरबा’ को अपनी सूची में शामिल करने वाली यूनेस्को की यह स्वीकृति इसकी वैश्विक पहचान और प्रामाणिक सार को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाएगी।
  • यूनेस्को के कई सदस्य देशों ने भारत को इस उपलब्धि पर बधाई दी है।
  • यूनेस्को 2003 कन्वेंशन के तहत इस सूचीबद्ध तंत्र का उद्देश्य अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर की पहचान को बढ़ाना, इसके महत्व के बारे में जागरूकता को बढ़ावा देना और सांस्कृतिक विविधता का सम्मान करने वाले संवाद को आगे ले जाना है।
    • भारत को 2022 में 4 वर्षों के कार्यकाल के लिए आईसीएच 2003 कन्वेंशन की 24 सदस्यीय अंतर-सरकारी समिति (आईजीसी) का हिस्सा बनने के लिए चुना गया था।
  • भारत के साथ-साथ, इस वर्ष की अंतर सरकारी समिति (आईजीसी) में अंगोला, बांग्लादेश, बोत्सवाना, ब्राजील, बुर्किना फासो, कोटे डी आइवर, चेकिया, इथियोपिया, जर्मनी, मलेशिया, मॉरिटानिया, मोरक्को, पनामा, पैराग्वे, पेरू, कोरिया गणराज्य, रवांडा, सऊदी अरब, स्लोवाकिया, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, उज्बेकिस्तान और वियतनाम शामिल हैं।

4. राष्ट्रीय आपदा मोचन बल और राज्य आपदा मोचन बल के बीच समन्वय:

सामान्य अध्ययन: 3

आपदा प्रबंधन:

विषय: आपदा एवं आपदा प्रबंधन।

प्रारंभिक परीक्षा: आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005,राष्ट्रीय आपदा मोचन बल,राज्य आपदा मोचन बल।

मुख्य परीक्षा: आपदा प्रबंधन राष्ट्रीय आपदा मोचन बल एवं राज्य आपदा मोचन बल आपदा की स्थिति में जन हानि रोकने में किस प्रकार सहायक हैं। टिप्पणी कीजिए।

प्रसंग:

  • आपदा प्रबंधन का प्राथमिक दायित्व संबंधित राज्य सरकार का है। केंद्र सरकार, जहां भी आवश्यक होता है, गंभीर प्रकृति की प्राकृतिक आपदाओं के मामलों में रसद और वित्तीय सहायता प्रदान करके राज्य सरकारों के प्रयासों के लिए सहायता प्रदान करती है।

विवरण:

  • आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 44 के अंतर्गत राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) का गठन किया गया था।
    • वर्तमान में, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) की 16 बटालियन कार्यरत हैं, जो आपदाओं के दौरान तत्काल सहायता प्रदान करने के लिए देश में जोखिम प्रोफ़ाइल के अनुसार स्थित हैं।
    • राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) खतरनाक आपदा स्थिति या आपदा के लिए विशेषज्ञ सहाता प्रदान करने के लिए अत्याधुनिक उपकरणों से सुसज्जित है।
  • आपदा प्रबंधन पर राष्ट्रीय नीति के अनुसार, राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) का गठन और उन्हें सुसज्जित करने का काम संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों का है।
    • केंद्र सरकार राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) जुटाने और उन्हें पर्याप्त आपदा राहत क्षमताओं से सुसज्जित करने के लिए राज्य/केंद्र शासित प्रदेश सरकारों के साथ नियमित रूप से संपर्क करती रहती है।
    • केंद्र सरकार ने राज्य सरकारों की सुविधा के लिए उनके राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) को राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के अनुरूप सुसज्जित करने के अनुरोध के साथ आपदा राहत उपकरणों की सूची भी उनके साथ साझा की है।
  • राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के बीच उचित समन्वय और तालमेल के लिए और प्राकृतिक आपदाओं के दौरान राहत और पुनर्वास की दिशा में कई गुना अधिक प्रभाव प्रदान करने के लिए, केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए प्रमुख कदम इस प्रकार हैं:
    • राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) सहित अन्य संबंधित हितधारकों का वार्षिक सम्मेलन आयोजित करता है।
    • सम्मेलन किसी भी आपदा की स्थिति में आपसी सहयोग/समन्वय के माध्यम से राहत क्षमताओं में सुधार के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने का अवसर प्रदान करता है।
  • गृह मंत्रालय (एमएचए) दक्षिण-पश्चिम मानसून से पहले आपदा या भविष्य की आपदा स्थिति से निपटने के लिए तैयारियों की स्थिति की समीक्षा करने के लिए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के आपदा प्रबंधन विभाग के राहत आयुक्तों और सचिवों का वार्षिक सम्मेलन आयोजित करता है।
  • राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) नियमित रूप से राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) और अन्य हितधारकों को सम्मिलित करते हुए मॉक ड्रिल/अभ्यास का आयोजन करता है।
  • ये मॉक ड्रिल/अभ्यास राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के बीच प्रभावी समन्वय के लिए मंच प्रदान करते हैं।
  • राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) सामुदायिक क्षमता निर्माण और जन जागरूकता और तैयारी कार्यक्रमों में लगातार लगा हुआ है।
  • राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की क्षमता निर्माण के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करता है।
    • भारत सरकार ने राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) कर्मियों और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) सहित अन्य हितधारकों को प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए नागपुर में एक उत्कृष्ट संस्थान यानी राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) अकादमी की स्थापना की है।
    • इसके अलावा, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) बटालियन विभिन्न आपदा प्रबंधन पाठ्यक्रमों में राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) कर्मियों को प्रशिक्षण भी दे रही है।
  • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों को उनके राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के प्रशिक्षण, उपकरण और तैयारी के संबंध में परामर्श भी प्रदान करता है।
  • केंद्र सरकार ने अपने निरंतर प्रयासों से प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए अपनी तैयारियों में काफी सुधार किया है।
  • विभिन्न स्तरों पर समन्वित प्रयासों से आपदा राहत व्यवस्था में काफी सुधार हुआ है और देश में प्राकृतिक आपदाओं के कारण मानव जीवन की हानि में काफी कमी आई है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1. इलेक्ट्रिक वाहनों के लिए बैटरी स्वैपिंग नीति:

  • बैटरी स्वैपिंग इलेक्ट्रिक वाहन को चार्ज करने का एक विकल्प है जिसमें डिस्चार्ज बैटरी के स्‍थान पर चार्ज की गई बैटरी लगाना शामिल है।
    • बैटरी स्वैपिंग का उपयोग आमतौर पर दुपहिया और तिपहिया वाहनों जैसे छोटी बैटरी वाले वाहनों के लिए किया जाता है।
    • देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रसार में इसके संभावित लाभों को नीति आयोग ने दुपहिया और तिपहिया वाहनों को ध्‍यान में रखते हुए बैटरी स्वैपिंग के लिए एक मसौदा नीति की रूपरेखा तैयार करने के बारे में फरवरी 2022 में एक अंतर-मंत्रालयी चर्चा का आयोजन किया था।
  • हालांकि, प्रस्तावित नीति देश में इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के लिए पहले से ही कार्यान्वित एफएएमई और पीएलआई जैसे कई अन्य नीतिगत उपायों में से एक है।
    • भारत में बैटरी स्वैपिंग पहले से ही चालू है और देश में हर साल नए स्वैपिंग स्टेशन स्‍थापित किए जा रहे हैं।
    • नीति आयोग बैटरी स्वैपिंग ऑपरेटरों, बैटरी निर्माताओं, वाहन ओईएम, वित्तीय संस्थानों, सीएसओ, थिंक टैंक और अन्य विशेषज्ञों का प्रतिनिधित्व करने वाले हितधारकों के व्यापक स्पेक्ट्रम के साथ लगातार चर्चा कर रहा है।
    • इलेक्ट्रिक वाहनों का बैटरी इकोसिस्‍टम एक जटिल क्षेत्र है जिसमें विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकियां शामिल हैं जो अभी भी विकसित हो रही हैं।
    • इसलिए यह भी ध्यान दिया जाना चाहिए कि भारत की मौजूदा बैटरी स्वैपिंग प्रथा वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुसार है।
    • बैटरी स्वैपिंग के लिए एक ऐसी विवेकपूर्ण नीति बनाने के लिए जो तकनीकी नवाचार पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देती हो, के संबंध में नीति आयोग, भारतीय मानक ब्यूरो, विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग और इस विभाग के अन्य हितधारकों के साथ् नीतिगत मसौदे पर व्‍यापक रूप से विचार-विमर्श कर रहा है।

2. ‘भारत में प्लास्टिक कचरे में कमी के लिए राष्ट्रीय सर्कुलर इकोनॉमी रोडमैप’ पर एक प्रमुख दस्तावेज़ जारी:

  • केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने 06 दिसंबर 2023 को ‘भारत में प्लास्टिक कचरे में कमी के लिए राष्ट्रीय सर्कुलर इकोनॉमी रोडमैप’ पर एक प्रमुख दस्तावेज़ जारी किया, जो भारत और ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख अनुसंधान संस्थानों के बीच एक सहयोगात्मक अभ्यास है।
  • दस्तावेज़ का उद्देश्य दोनों देशों के बीच अनुसंधान और उद्योग साझेदारी को बढ़ावा देना और प्लास्टिक क्षेत्र में भारत की एक चक्रीय अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के लिए एक रोडमैप का सह-विकास करना है।
  • भारत और ऑस्ट्रेलिया अगले वर्ष के दौरान अंतिम रूप दी जाने वाली वैश्विक प्लास्टिक संधि के निर्माण के लिए बातचीत में सक्रिय भागीदार हैं।
    • दोनों देशों का लक्ष्य अपशिष्ट प्रबंधन, रीसाइक्लिंग नीतियों और पर्यावरण पहल में अपनी-अपनी ताकत का लाभ उठाना है ताकि एक चक्रीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दिया जा सके जो संसाधन दक्षता और पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता देती है।
  • वर्तमान अनुसंधान जून 2020 में भारतीय और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्रियों द्वारा घोषित भारत-ऑस्ट्रेलिया व्यापक रणनीतिक साझेदारी के हिस्से के रूप में जुलाई 2020 में शुरू हुआ था।
  • भारत ने वर्ष 2070 तक नेट जीरो लक्ष्य प्राप्त करने की दिशा में एक चक्रीय अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने में अग्रणी भूमिका निभाई है।
  • भारत की वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) भारत के कार्बन पदचिह्न को कम करने और रीसाइक्लिंग की दिशा में विभिन्न प्रौद्योगिकियों का विकास कर रही है।
  • देहरादून स्थित भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (सीएसआईआर-आईआईपी) ने संयुक्त रूप से एक रिपर्पज्ड यूज्ड कुकिंग ऑयल (आरयूसीओ) वैन विकसित की है जो इस्तेमाल किए गए खाना पकाने के तेल को इकट्ठा करती है और इसे जैव ईंधन में परिवर्तित करती है।
  • सीएसआईआर- केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई), नई दिल्ली ने एक क्रांतिकारी स्टील स्लैग रोड तकनीक के विकास का बीड़ा उठाया है जो सड़क निर्माण में इस्पात संयंत्रों के अपशिष्ट स्टील स्लैग के बड़े पैमाने पर उपयोग की सुविधा प्रदान करता है।
  • भारत जलवायु परिवर्तन के मुद्दों को संबोधित करने में अग्रणी बनकर उभरा है।
  • भारत की पहल पर, जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन (इंटरनेशनल बायोफ्यूल्स अलायन्स) की स्थापना की गई थी।
  • प्रधानमंत्री ने वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा बिरादरी के साहसिक कदमों के माध्यम से ‘लाइफस्टाइल फॉर एनवायरनमेंट’ (लाइफ) को एक वैश्विक मिशन बनाने के विचार का अनावरण किया है।
  • सर्कुलर इकोनॉमी पर भारत के साथ सहयोग “ऑस्ट्रेलिया के लिए महत्वपूर्ण” है। “प्लास्टिक कचरे को शून्य पर लाना और एक चक्रीय अर्थव्यवस्था हासिल करना एक कठिन प्रस्ताव है, लेकिन यह संभव है।
  • भारत सरकार देश को चक्रीय अर्थव्यवस्था की ओर ले जाने के लिए सक्रिय रूप से नीतियां बना रही है और परियोजनाओं को बढ़ावा दे रही है।
  • इस संबंध में इसने पहले ही विभिन्न नियमों, जैसे प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियम, ई-अपशिष्ट प्रबंधन नियम, निर्माण और विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, धातु रीसाइक्लिंग नीति आदि को अधिसूचित कर दिया है।
  • भारत प्लास्टिक अपशिष्ट चुनौतियों और परिणामी मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिक प्रभाव संबंधी चिंताओं का समाधान करने के लिए प्रतिबद्ध है।
    • भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट को कम करने से भारत में प्लास्टिक अपशिष्ट अर्थव्यवस्था को एक चक्रीय अर्थव्यवस्था में बदलने में मदद मिलेगी।
    • भारत के लिए 2016 में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन नियमों की शुरुआत से नगरपालिका, उद्योग, आवासीय और वाणिज्यिक हितधारकों के लिए कई उपाय किए गए हैं।

3. स्टार्टअप इंडिया पहल:

  • देश के स्टार्टअप इकोसिस्‍टम में नवोन्‍मेषण, स्टार्टअप और निवेश को बढ़ावा देने के लिए एक मजबूत इकोसिस्‍टम बनाने के लिए सरकार द्वारा 16 जनवरी 2016 को स्टार्टअप इंडिया पहल आरंभ की गई थी।
  • सरकार ने इन उद्देश्यों को पूरा करने के लिए स्टार्टअप्स के लिए एक कार्य योजना आरंभ की जिसमें देश में एक जीवंत स्टार्टअप इकोसिस्‍टम बनाने के लिए स्‍कीमों और प्रोत्साहनों की परिकल्पना की गई है।
  • कार्य योजना में “सरलीकरण और आरंभिक सहायता”, “वित्त पोषण सहायता और प्रोत्साहन” और “उद्योग-शिक्षा क्षेत्र भागीदारी और इनक्‍युबेशन” जैसे क्षेत्रों में फैले 19 कार्य मद शामिल हैं।
  • सरकार द्वारा स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत विशिष्ट उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए विभिन्न कार्यक्रम लागू किए जाते हैं।
  • स्टार्टअप इंडिया कार्य योजना के कार्य मदों को ध्यान में रखते हुए, सरकार स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत स्टार्टअप्स को उनके व्यवसाय चक्र के विभिन्न चरणों में सहायता देने के लिए जिससे कि स्टार्टअप उस स्तर तक पहुंच सकें जहां वे निवेश जुटाने या ऋण लेने में सक्षम हों, प्रमुख योजनाओं जैसे स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स (एफएफएस), स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्कीम (एसआईएसएफएस) और स्टार्टअप्स की सहायता के लिए क्रेडिट गारंटी स्कीम (सीजीएसएस) को लागू कर रही है।
  • स्टार्टअप इंडिया पहल के तहत कार्यान्वित तीन प्रमुख स्‍कीमों में से प्रत्येक का संक्षिप्त विवरण:
    • स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्‍कीम (एसआईएसएफएस): स्टार्टअप इंडिया सीड फंड स्‍कीम को 945 करोड़ रुपये की राशि के साथ 2021-22 से आरंभ होने वाले 4 वर्ष की अवधि के लिए मंजूरी दी गई है।
    • इस स्‍कीम का उद्देश्य अवधारणा के प्रमाण, प्रोटोटाइप विकास, उत्पाद परीक्षण, बाजार में प्रवेश और व्यावसायीकरण के लिए स्टार्टअप को वित्तीय सहायता प्रदान करना है।
    • यह योजना 1 अप्रैल 2021 से कार्यान्‍वित की गई है।
    • एसआईएसएफएस के तहत विशेषज्ञ सलाहकार समिति (ईएसी), एसआईएसएफएस के समग्र निष्पादन और निगरानी के लिए उत्‍तरदायी है।
    • स्‍कीम के तहत ईएसी धन के आवंटन के लिए इनक्यूबेटरों का मूल्यांकन और चयन करता है।
    • स्‍कीम के प्रावधानों के अनुसार, चयनित इनक्यूबेटर स्‍कीम दिशानिर्देशों में उल्लिखित मापदंडों के आधार पर स्टार्टअप्स का चयन करते हैं।
  • स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स (एफएफएस) स्‍कीम: स्टार्टअप्स के लिए फंड ऑफ फंड्स स्‍कीम को जून 2016 में 10,000 करोड़ रुपये के कोष के साथ अनुमोदित और आरंभ किया गया था, जिसमें कार्यान्वयन की प्रगति के आधार पर 14वें और 15वें वित्त आयोग चक्र में योगदान दिया गया था जिससे कि भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्‍टम को आवश्‍यक बढ़ावा दिया जा सके और घरेलू पूंजी तक पहुंच को सक्षम बनाए जा सके।
    • यह स्‍कीम भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) द्वारा प्रचालित है। एफएफएस के तहत, यह स्‍कीम सीधे स्टार्टअप्स में निवेश नहीं करती है, बल्कि सेबी-पंजीकृत वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) को पूंजी प्रदान करती है, जिन्हें डॉटर फंड के रूप में जाना जाता है, जो बदले में इक्विटी और इक्विटी-लिंक्ड उपकरणों के माध्यम से बढ़ते भारतीय स्टार्टअप में धन निवेश करते हैं।
    • सिडबी को उपयुक्त डॉटर फंडों के चयन और प्रतिबद्ध पूंजी के संवितरण की देखरेख के माध्यम से इस फंड के प्रचालन का अधिदेश दिया गया है।
    • एफएफएस के तहत समर्थित एआईएफ को स्टार्टअप्स में एफएफएस के तहत प्रतिबद्ध राशि का कम से कम 2 गुना निवेश करना आवश्यक है।
  • स्टार्टअप्स के लिए क्रेडिट गारंटी स्‍कीम (सीजीएसएस): सरकार ने सेबी के तहत पंजीकृत वैकल्पिक निवेश फंडों के तहत अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और वेंचर डेट फंड्स (वीडीएफ) द्वारा डीपीआईआईटी मान्यता प्राप्त स्टार्टअप्स को दिए गए ऋणों पर क्रेडिट गारंटी प्रदान करने के लिए स्टार्टअप्स हेतु क्रेडिट गारंटी स्‍क्रीम की स्थापना की है।
    • सीजीएसएस का उद्देश्य पात्र उधारकर्ताओं अर्थात डीपीआईआईटी द्वारा मान्‍यता प्राप्‍त स्टार्टअप्‍स को वित्तपोषित करने के लिए सदस्य संस्थानों (एमआई) द्वारा दिए गए ऋणों के विरुद्ध एक निर्दिष्ट सीमा तक क्रेडिट गारंटी प्रदान करना है।
    • सीजीएसएस का प्रचालन नेशनल क्रेडिट गारंटी ट्रस्टी कंपनी लिमिटेड (एनसीजीटीसी) द्वारा किया जाता है।

4. राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से 2030 तक आयातित जीवाश्म ईंधन की मात्रा में 1 लाख करोड़ रुपए की कमी आने की संभावना है:

  • केंद्रीय नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा मंत्री ने बताया है कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन से 2030 तक प्रति वर्ष 5 एमएमटी हरित हाइड्रोजन उत्पादन क्षमता के विकास की उम्मीद है।
    • हरित हाइड्रोजन में प्राकृतिक गैस सहित जीवाश्म ईंधन को ऊर्जा के स्रोत के रूप में या फीडस्टॉक के रूप में, प्रतिस्थापित करने की क्षमता है।
    • जिससे जीवाश्म ईंधन के आयात पर निर्भरता में कमी आती है।
  • मिशन में उर्वरक उत्पादन, पेट्रोलियम रिफाइनिंग, स्टील, शिपिंग इत्यादि जैसे उद्योगों में ग्रीन हाइड्रोजन से ग्रे हाइड्रोजन को प्रतिस्थापित करने की परिकल्पना की गई है, जिससे कार्बन पदचिह्न और आयातित जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाएगी।
  • 2030 तक आयात मात्रा में इस तरह की कमी से 1 लाख करोड़ रुपए की कमी होने का अनुमान है।

इस संबंध में मिशन के तहत अन्य बातों के साथ-साथ विशिष्ट रणनीतियाँ या पहल इस प्रकार हैं:

  • घरेलू उपयोग के माध्यम से मांग को बढ़ाना।
  • हरित हाइड्रोजन परिवर्तन (एसआईजीएचटी) कार्यक्रम के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप, जिसमें इलेक्ट्रोलाइज़र के निर्माण और हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन शामिल है;
  • हरित इस्पात, गतिशीलता, शिपिंग, विकेन्द्रीकृत ऊर्जा अनुप्रयोगों, बायोमास से हाइड्रोजन उत्पादन, हाइड्रोजन भंडारण, आदि के लिए पायलट परियोजनाएँ;
  • हरित हाइड्रोजन हब का विकास;
  • अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रम, आदि।
  • इलेक्ट्रोलिसिस के माध्यम से 1 किलोग्राम हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए लगभग 10 लीटर डिमिनरलाइज्ड पानी की आवश्यकता होती है।
    • तदनुसार, प्रति वर्ष 5 एमएमटी ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन के लिए डिमिनरलाइज्ड पानी की आवश्यकता लगभग 50 मिलियन क्यूबिक मीटर (एमसीएम) प्रति वर्ष होगी।
  • उद्योग की प्रतिक्रिया के अनुसार अधिकांश ग्रीन हाइड्रोजन उत्पादन संयंत्र बंदरगाह स्थानों के पास स्थापित होने की संभावना है।
    • ऐसे मामलों में, अलवणीकृत समुद्री पानी का उपयोग हरित हाइड्रोजन उत्पादन के लिए भी किया जा सकता है।
  • चूंकि पानी राज्य का विषय है, इसलिए परियोजना डेवलपर्स को पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए राज्य के नियमों का पालन करना होगा।

Comments

Leave a Comment

Your Mobile number and Email id will not be published.

*

*