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06 अक्टूबर 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. राष्ट्रपति ’अनुसंधान से असर तकः न्यायसंगत व लचीली कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगी
  2. वस्त्र मंत्रालय ने कृषि और बागवानी उत्पादों की उत्पादकता में तेजी लाने के लिए एग्रोटेक पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया
  3. भारत को लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए एशिया-पैसिफिक इंस्टीट्यूट फॉर ब्रॉडकास्टिंग डेवलपमेंट (एआईबीडी) के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया

1. राष्ट्रपति ’अनुसंधान से असर तकः न्यायसंगत व लचीली कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर’ विषय पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करेंगी:

सामान्य अध्ययन: 2,3

सामाजिक न्याय, कृषि:

विषय: न्यायसंगत व लचीली कृषि-खाद्य प्रणालियां।

प्रारंभिक परीक्षा: सीजीआईएआर जेंडर इम्पैक्ट प्लैटफॉर्म,भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research (ICAR))।

प्रसंग:

  • राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 9 अक्टूबर 2023 को होने जा रहे अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान सम्मेलन का उद्घाटन करेंगी।

विवरण:

  • जी 20 शिखर सम्मेलन के मद्देनजर यह सम्मेलन महत्वपूर्ण है, जिसमें महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास का स्पष्ट रूप से समर्थन किया गया है
  • इस सम्मेलन का शीर्षक- ’अनुसंधान से असर तकः न्यायसंगत व लचीली कृषि-खाद्य प्रणालियों की ओर’ (From research to impact: Towards just and resilient agri-food systems) है।
  • इस चार दिवसीय सम्मेलन की मेज़बानी सीजीआईएआर जेंडर इम्पैक्ट प्लैटफॉर्म (CGIAR GENDER Impact Platform) और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (Indian Council of Agricultural Research (ICAR)) द्वारा की जाएगी।
  • ये दोनों संस्थान मिलकर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधानों का उपयोग करते हुए यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हर जगह महिलाएं कृषि व खाद्य प्रणालियों में नेतृत्व की भूमिका निभाएं, यह उनका अधिकार है और वे इस मोर्चे पर बदलाव की अगुआई करें।
  • यह सम्मेलन इस तरह तैयार किया गया है कि अनुसंधान और अभ्यास के बीच का जो फासला है उसे दूर करने के लिए नवीन ज्ञान का आदान-प्रदान किया जाए।
    • इसका उद्देश्य यह है कि खाद्य प्रणालियों में लैंगिक समानता को बढ़ावा दिया जाए तथा उसे सामाजिक रूप से समावेशी व लचीला बनाया जाए।
  • दुनिया भर में कृषि-खाद्य प्रणालियों में जेंडर असमानता बहुत अहम चुनौती बनी हुई है – और कोविड-19 व जलवायु परिवर्तन जैसे संकटों के चलते वर्तमान असमानताएं बदत्तर हो रही हैं।
  • कुल मिलाकर पुरुषों की तुलना में महिलाओं की खाद्य सुरक्षा कम है और उन्हें बाहरी सदमों की भी कड़ी मार झेलनी पड़ती है जैसे बाढ़ व सूखा।
  • अनुसंधान, साक्ष्य और व्यावहारिक समझ को एकजुट कर के नीति-निर्माताओं व निवेशकों का मार्गदर्शन किया जा रहा है ताकि वे सर्वश्रेष्ठ समाधानों की ओर अग्रसर हों जिससे हम लैंगिक समानता एवं महिला सशक्तिकरण के वैश्विक लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सही रास्ते पर आ जाएं।
  • इस सम्मेलन में सीजीआईएआर जेंडर इम्पैक्ट प्लैटफॉर्म और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद लैंगिक अनुसंधानकर्ताओं के एक विशिष्ट वैश्विक नेटवर्क का संयोजन कर रहे हैं तथा उन्हें अन्य अनुसंधानकर्ताओं, प्रैक्टिशनरों व नीति निर्माताओं के साथ एकजुट कर रहे हैं ताकि आज तक हुए कृषि लैंगिक अनुसंधान का जायज़ा लिया जाए और नवप्रवर्तन का प्रस्ताव दिया जाए जो कृषि-खाद्य प्रणालियों को ज्यादा समान, न्यायसंगत व लचीला बनाने में मददगार साबित हों।
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, और उसके साथ सीजीआईएआर और अन्य अनुसंधान सहयोगी भारत के 12.60 करोड़ (126 million) छोटे किसानों के भविष्य को मार्गदर्शन व आकार देने का काम जारी रखेंगे।
  • सीजीआईएआर इम्पैक्ट प्लैटफॉर्म के नाते GENDER का लक्ष्य है ज्ञान का प्रसार कर के उन कृषि समाधानों का सह-रचनाकार बनना जो महिलाओं के लिए काम करते हैं तथा न्यायसंगत, लचीले व समृद्ध समाजों के निर्माण में योगदान देते हैं।
  • आईसीएआर दुनिया के सबसे बड़े राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं विस्तार प्रणालियों में से एक है, इसके साथ साझेदारी सीजीआईएआर व उसके सहयोगियों को एक खास मौका देती है जिससे वे सहयोग करें, जमीनी स्तर पर मांग के साथ जुड़ें और बड़े पैमाने पर प्रभाव कायम कर सकें।
  • आईसीएआर के 113 संस्थान और 76 कृषि विश्वविद्यालय भारत भर में फैले हुए हैं, ये साक्ष्य-आधारित प्राथमिकताओं की पहचान करने और नवप्रवर्तन में एक अहम भूमिका निभाएंगे जिससे कि जी20 की प्रतिबद्धताओं को अमलीजामा पहना कर जलवायु परिवर्तन, खाद्य सुरक्षा व पोषण के मामले में महिलाओं को नेतृत्व की भूमिका में स्थापित किया जा सके।
  • इससे महिला व पुरुष, दोनों किसानों के लिए और उनके समस्त समुदायों के लिए भी सकारात्मक परिणाम हासिल किए जा सकेंगे।
  • सीजीआईएआर विश्व स्तरीय विशेषज्ञता, साक्ष्य व साबित समाधानों को उपलब्ध कराकर इस प्रक्रिया में योगदान दे सकती है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.वस्त्र मंत्रालय ने कृषि और बागवानी उत्पादों की उत्पादकता में तेजी लाने के लिए एग्रोटेक पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित किया:

  • वस्त्र मंत्रालय ने एग्रो टेक्सटाइल्स में उत्पादों की बेहतर गुणवत्ता, सुरक्षा और विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिए एग्रो टेक्सटाइल्स के तहत 20 मदों के लिए क्यूसीओ अधिसूचित किया।
  • वस्त्र मंत्रालय ने अपनी प्रमुख योजना राष्ट्रीय तकनीकी वस्त्र मिशन (एनटीटीएम) के तहत आईटीटीए और एसएएसएमआईआरए के सहयोग से भारत में कृषि और बागवानी उत्पादों की उत्पादकता में तेजी लाने के महत्व पर जोर देते हुए एग्रोटेक पर राष्ट्रीय संगोष्‍ठी का आयोजन किया।
  • इस कार्यक्रम में 5 तकनीकी सत्र शामिल थे, जो टिकाऊ और लचीली कृषि के लिए नवाचारों, एग्रो टेक्सटाइल्स के तहत भारतीय मानकों और क्यूसीओ, एग्रो टेक्सटाइल्स के प्रदर्शन और स्थिरता और कृषि और बागवानी में डिजिटल परिवर्तन सहित एग्रोटेक प्रौद्योगिकी में हाल में हुई प्रगति पर केन्‍द्रित थे।
  • एक विशेष सत्र में एग्रो टेक्सटाइल्स में भविष्य के विकास और अवसरों पर भी चर्चा हुई।
    • राष्ट्रीय संगोष्‍ठी के दौरान संगोष्‍ठी से जुड़ी एक पुस्तिका और भारतीय एग्रोटेक उद्योग के अवसर: फाइबर टू फील्ड पर एक रिपोर्ट जारी की गई।
  • एग्रो टेक्सटाइल जलवायु परिवर्तन, पानी की कमी और सीमित कृषि योग्य भूमि के साथ कृषि उपज की उच्च मांग जैसी अनूठी कृषि चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
  • एग्रो टेक्सटाइल्स का उपयोग फसलों के बढ़ते चक्र को बढ़ाकर, पौधों को मौसम की स्थिति और कीटों आदि से बचाकर कृषि उत्पादकता और कृषि-आधारित उत्पादों की गुणवत्ता में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • शोध और अध्ययनों से पता चला है कि बागवानी में एग्रो टेक्सटाइल्स के उपयोग से कृषि उत्पादकता में 2-5 गुना की वृद्धि होती है, फसल की सघनता में वृद्धि होती है, पानी की खपत में 30-45 प्रतिशत की कमी आती है, उर्वरक के उपयोग में 25-30 प्रतिशत की कमी आती है और प्रति वर्ष उच्च फसल चक्र मिलता है।

2. भारत को लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए एशिया-पैसिफिक इंस्टीट्यूट फॉर ब्रॉडकास्टिंग डेवलपमेंट (एआईबीडी) के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया:

  • भारत एक अभूतपूर्व विकास के तौर पर 2018-2021 और 2021-2023 तक पहले ही एशिया-पैसिफिक इंस्टीट्यूट फॉर ब्रॉडकास्टिंग डेवलपमेंट (एआईबीडी) जनरल कॉन्फ्रेंस (जीसी) के अध्यक्ष के रूप में दो कार्यकाल पूर्ण कर चुका है।
  • भारत को इस प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय संगठन का नेतृत्व करने के लिए लगातार तीसरे कार्यकाल के लिए एआईबीडी जीसी के अध्यक्ष के रूप में फिर से चुना गया है।
  • एआईबीडी, यूनेस्को के तत्वावधान में 1977 में स्थापित एक विशिष्ट क्षेत्रीय अंतर-सरकारी संगठन है।
  • इस संगठन में वर्तमान में 44 देशों के 92 सदस्य संगठन हैं, जिनमें 26 सरकारी सदस्य (देश) शामिल हैं, जिनका प्रतिनिधित्व 48 प्रसारण प्राधिकरण और प्रसारक एवं 44 सहयोगी (संगठन) करते हैं।
  • इनमें एशिया, प्रशांत, यूरोप, अफ्रीका, अरब राज्यों और उत्तरी अमेरिका के 28 देशों और क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व है।
  • भारत एआईबीडी के संस्थापक सदस्यों में से एक है और भारत का सार्वजनिक सेवा प्रसारक, प्रसार भारती एआईबीडी में भारत सरकार के सूचना और प्रसारण मंत्रालय का एक प्रतिनिधि निकाय है।
  • दो दिवसीय सम्मेलन का उद्देश्य नीति और संसाधन विकास के माध्यम से एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक जीवंत और सामंजस्यपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक मीडिया वातावरण बनाना है।
  • एक अंतरराष्ट्रीय प्रसारण संस्थान में इस तरह के प्रतिष्ठित पद पर रहना न केवल भारत और प्रसार भारती के प्रति अंतरराष्ट्रीय मीडिया के मजबूत भरोसे को दर्शाता है, बल्कि प्रसारण के क्षेत्र में रणनीतिक रूप से भविष्य की उपलब्धियां हासिल करने हेतु भारत के लिए मजबूत आधारशिला भी रखता है।

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