विषयसूची:
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07 March 2024 Hindi PIB
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1. केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने नीति आयोग का ‘राज्यों के लिए नीति’ प्लेटफॉर्म शुरू किया:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: नीति आयोग,राज्यों के लिए नीति’ प्लेटफॉर्म।
मुख्य परीक्षा: नीति आयोग का ‘राज्यों के लिए नीति’ प्लेटफॉर्म का महत्व।
प्रसंग:
- केंद्रीय संचार, रेलवे और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव ने ‘राज्यों के लिए नीति (नीति-एनआईटीआई फॉर स्टेट्स) प्लेटफॉर्म शुरू किया, जो एक व्यापक डिजिटल पहल है और राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों (UT) को राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों की प्राप्ति में सशक्त बनाने के लिए डिज़ाइन की गई है।
उद्देश्य:
- राज्यों के लिए नीति प्लेटफॉर्म की शुरुआत से सहकारी संघवाद को सुदृढ़ करने और डेटा-संचालित शासन को सशक्त बनाने में सहायता मिलेगी।
- राज्यों के लिए नीति का ज्ञान प्लेटफॉर्म विभिन्न क्षेत्रों से डेटा को अंतरसंचालनीय और संगत तरीके से एक ही स्थान पर लाया है।
- यह इसे प्रशासकों के लिए बहुत प्रभावशाली और उपयोगी बनाता है।
विवरण:
- अपने संबोधन में श्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि “भविष्य के विकास के लिए भारत का दृष्टिकोण चार महत्वपूर्ण स्तंभों – (i) भौतिक, डिजिटल और सामाजिक बुनियादी ढांचा, (ii) समावेशी विकास, (iii) विनिर्माण और (iv) कानूनों और प्रक्रियाओं के सरलीकरण पर ध्यान, पर आधारित है।
‘राज्यों के लिए नीति’ मंच की मुख्य विशेषताएं:
- व्यापक ज्ञान आधार: 7,500 क्यूरेटेड सर्वोत्तम प्रथाएँ, 5,000 नीति दस्तावेज़, 900+ डेटासेट, 1,400 डेटा प्रोफ़ाइल और 350 नीति आयोग प्रकाशन।
- बहुभाषी पहुंच: निकट भविष्य में यह मंच 22 प्रमुख भारतीय भाषाओं और 7 विदेशी भाषाओं में उपलब्ध होगा, जो विविध उपयोगकर्ता समूहों के लिए समावेशिता सुनिश्चित करेगा।
- क्षमता निर्माण पहल: संबंधित संस्थानों के सहयोग से विभिन्न स्तरों (ब्लॉक, जिला और राज्य) पर अधिकारियों के लिए तैयार डिजिटल प्रशिक्षण मॉड्यूल।
- विशेषज्ञ सहायता डेस्क: अग्रणी संस्थानों के साथ साझेदारी के माध्यम से विशेष मार्गदर्शन राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को विशिष्ट चुनौतियों का समाधान करने की अनुमति देती है।
- डेटा एकीकरण: व्यापक और कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि के लिए राष्ट्रीय डेटा और एनालिटिक्स प्लेटफ़ॉर्म (एनडीएपी) से डेटा का लाभ उठाता है और डेटा-संचालित निर्णय लेने को बढ़ावा देता है।
राज्यों के लिए नीति मंच का अपेक्षित प्रभाव:
- अधिकारियों को ठोस जानकारी, कार्रवाई योग्य अंतर्दृष्टि और उपयोगकर्ता के अनुकूल डिजिटल उपकरणों से लैस करके शासन के डिजिटल परिवर्तन में तेजी लाएगा।
- सफल पहलों को दोहराने और स्थानीय चुनौतियों का प्रभावी ढंग से समाधान करने के लिए जिला एवं प्रखंड (ब्लॉक) स्तर पर अग्रिम पंक्ति के पदाधिकारियों को सशक्त बनाएगा।
- राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के बीच ज्ञान साझा करने एवं विनिमयी शिक्षा (क्रॉस-लर्निंग) के माध्यम से सहकारी संघवाद को बढ़ावा देना और सुशासन प्रथाओं को सशक्त बनाएगा।
- ‘राज्यों के लिए नीति’ मंच एक ऐसी आधारशिला पहल है जो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को विकसित भारत की सामूहिक दृष्टि में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए सशक्त बनाती है।
- यह मंच देश भर में सहयोगी शासन को बढ़ावा देने और सुशासन प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए नीति आयोग की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करता है।
2. कैबिनेट ने एआई नवाचार इकोसिस्टम को सुदृढ़ करने के लिए महत्वाकांक्षी इंडिया एआई मिशन को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: इंडिया एआई मिशन।
मुख्य परीक्षा: इंडिया एआई मिशन के एआई नवाचार को उत्प्रेरित करने हेतु किस प्रकार एक बड़ा इकोसिस्टम स्थापित करेगा। टिप्पणी कीजिए।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने “मेकिंग एआई इन इंडिया” और “मेकिंग एआई वर्क इन इंडिया” के विज़न पर चलते हुए 10,371.92 करोड़ रुपये के बजट परिव्यय के साथ राष्ट्रीय स्तर के बेहद व्यापक इंडिया एआई मिशन को मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- ये इंडिया एआई मिशन, सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में रणनीतिक कार्यक्रमों और साझेदारी के जरिए एआई नवाचार को उत्प्रेरित करने वाला एक बड़ा इकोसिस्टम स्थापित करेगा।
- कंप्यूटिंग तक पहुंच के लोकतंत्रीकरण, डेटा गुणवत्ता में सुधार, स्वदेशी एआई क्षमताओं के विकास, टॉप एआई टैलेंट को लुभाने, इंडस्ट्री के सहयोग को सक्षम करने, स्टार्टअप जोखिम पूंजी प्रदान करने, सामाजिक रूप से प्रभावशाली एआई परियोजनाओं को सुनिश्चित करने और नैतिक एआई को मजबूत करने से भारत के एआई इकोसिस्टम के जिम्मेदार, समावेशी विकास को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी।
विवरण:
- इस मिशन को डिजिटल इंडिया कॉरपोरेशन (डीआईसी) के अंतर्गत ‘इंडिया एआई’ इंडिपेंडेंट बिजनेस डिवीजन (आईबीडी) द्वारा कार्यान्वित किया जाएगा और इसमें निम्नलिखित घटक होंगे:
- इंडिया एआई कंप्यूट क्षमता – इंडिया एआई का ये कंप्यूटिंग वाला स्तंभ भारत के तेजी से बढ़ते एआई स्टार्ट-अप और रिसर्च इकोसिस्टम की बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए एक उच्च-स्तरीय विस्तार योग्य एआई कंप्यूटिंग इकोसिस्टम का निर्माण करेगा।
- इस इकोसिस्टम में सार्वजनिक-निजी भागीदारी के जरिए निर्मित 10,000 या उससे ज्यादा ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) का एआई कंप्यूट बुनियादी ढांचा शामिल होगा।
- ये एआई नवाचार के लिए महत्वपूर्ण संसाधनों का एकल बिंदु समाधान भी होगा।
- इंडिया एआई नवाचार केंद्र – इंडिया एआई इनोवेशन सेंटर महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्वदेश में निर्मित बड़े मल्टीमोडल मॉडलों (एलएमएम) और डोमेन-विशिष्ट बुनियादी मॉडल के विकास और तैनाती का काम करेगा।
- इंडिया एआई डेटासेट मंच – इंडिया एआई डेटासेट मंच एआई नवाचार के लिए गुणवत्ता वाले गैर-व्यक्तिगत डेटासेट तक पहुंच को सुगम करेगा।
- भारतीय स्टार्टअपों और शोधकर्ताओं की गैर-व्यक्तिगत डेटासेट तक बेरोक पहुंच के लिए वन-स्टॉप समाधान प्रदान करने के लिए एक एकीकृत डेटा प्लेटफ़ॉर्म विकसित किया जाएगा।
- इंडिया एआई एप्लीकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव – इंडिया एआई एप्लीकेशन डेवलपमेंट की पहल केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य विभागों और अन्य संस्थानों से प्राप्त समस्याओं के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में एआई के इस्तेमाल को बढ़ावा देगा।
- ये पहल बड़े पैमाने पर सामाजिक-आर्थिक बदलाव को उत्प्रेरित करने की क्षमता वाले प्रभावशाली एआई समाधानों को विकसित करने/बढ़ाने/अपनाने को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
- इंडिया एआई फ्यूचर स्किल्स – इंडिया एआई फ्यूचर स्किल्स की कल्पना एआई प्रोग्रामों में प्रवेश संबंधी बाधाओं को कम करने के लिए की गई है। ये स्नातक, स्नातकोत्तर स्तर और पीएचडी की पढ़ाई में एआई पाठ्यक्रमों को बढ़ाएगी।
- इंडिया एआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग – इंडिया एआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग के स्तंभ की परिकल्पना डीप-टेक एआई स्टार्टअप को समर्थन और गति देने और उन्हें भविष्य की एआई परियोजनाओं के लिए फंडिंग तक सुगम पहुंच प्रदान करने के लिए की गई है।
- सुरक्षित और भरोसेमंद एआई – एआई के जिम्मेदारी भरे विकास, तैनाती और उसे अपनाए जाने के कार्य को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त सजगता की जरूरत को पहचानते हुए, सुरक्षित और भरोसेमंद एआई का ये स्तंभ जिम्मेदारी भरी एआई परियोजनाओं के कार्यान्वयन को सक्षम करेगा जिनमें स्वदेशी उपकरणों और ढांचे का विकास, नवप्रवर्तकों के लिए आत्म-मूल्यांकन के बिंदु, अन्य दिशानिर्देश और गवर्नेंस फ्रेमवर्क शामिल हैं।
- यह अनुमोदित इंडिया एआई मिशन भारत की तकनीकी संप्रभुता सुनिश्चित करने के लिए नवाचार को बढ़ावा देगा और घरेलू क्षमताओं का निर्माण करेगा।
- ये देश के जनसांख्यिकीय लाभांश का उपयोग करने के लिए बेहद कुशल रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा।
- इंडिया एआई मिशन की मदद से भारत दुनिया को यह दिखला देगा कि इस परिवर्तनकारी तकनीक का उपयोग सामाजिक भलाई के लिए कैसे किया जा सकता है और इसकी वैश्विक स्पर्धात्मकता को बढ़ाया जा सकता है।
3. कैबिनेट ने उत्तर-पूर्व परिवर्तनकारी औद्योगीकरण योजना, 2024 को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
मुख्य परीक्षा: उत्तर-पूर्व परिवर्तनकारी औद्योगीकरण योजना, 2024
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर-पूर्व परिवर्तनकारी औद्योगीकरण योजना, 2024 (उन्नति – 2024) के लिए 10,037 करोड़ रुपये की कुल लागत पर 8 वर्षों के प्रतिबद्ध देनदारियों के साथ 10 साल की अवधि के लिए वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग के प्रस्ताव को अधिसूचना जारी होने की तिथि से मंजूरी दे दी है।
उद्देश्य:
- प्रस्तावित योजना में लगभग 2180 आवेदनों की परिकल्पना की गई है, और अनुमान है कि योजना अवधि के दौरान लगभग 83,000 प्रत्यक्ष रोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। बड़ी संख्या में अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा होने की भी उम्मीद है।
- प्रस्तावित योजना का वित्तीय परिव्यय अधिसूचना की तारीख से 10 वर्षों की योजना अवधि के लिए 10,037 करोड़ रुपये है। यह केंद्रीय क्षेत्र की योजना होगी। योजना को दो भागों में विभाजित करने का प्रस्ताव है।
विवरण:
योजना की मुख्य विशेषताएं:
i. योजना अवधि: यह योजना अधिसूचना की तारीख से 8 साल की प्रतिबद्ध देनदारियों के साथ 31.03.2034 तक प्रभावी रहेगी।
ii. पंजीकरण के लिए आवेदन अवधि: औद्योगिक इकाई को अधिसूचना की तारीख से 31.03.2026 तक पंजीकरण के लिए आवेदन करने की अनुमति होगी
iii. पंजीकरण की मंजूरी: पंजीकरण के लिए सभी आवेदनों का निपटान 31.03.2027 तक करना होगा
iv. उत्पादन या संचालन की शुरूआत: सभी पात्र औद्योगिक इकाइयों को पंजीकरण की मंजूरी से 4 साल के भीतर अपना उत्पादन या संचालन शुरू करना होगा।
v. जिलों को दो क्षेत्रों में वर्गीकृत किया गया है: जोन ए (औद्योगिक रूप से उन्नत जिले) और जोन बी (औद्योगिक रूप से पिछड़े जिले)
vi. निधियों का निर्धारण: भाग ए के परिव्यय का 60 प्रतिशत 8 पूर्वोत्तर राज्यों के लिए और 40 प्रतिशत फर्स्ट-इन-फर्स्ट-आउट (फीफो) आधार पर निर्धारित किया गया है।
vii. सूक्ष्म उद्योगों (एमएसएमई उद्योग मानदंडों के अनुसार परिभाषित) के लिए, पी एंड एम गणना में भवन निर्माण और पूंजी निवेश प्रोत्साहन के लिए पी एंड एम लागत शामिल होगी।
viii. सभी नई औद्योगिक इकाइयां और विस्तारित इकाइयां संबंधित प्रोत्साहन के लिए पात्र होंगी।
कार्यान्वयन संबंधी रणनीति:
- उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवर्धन विभाग (डीपीआईआईटी) राज्यों के सहयोग से इस योजना को लागू करेगा।
- कार्यान्वयन की निगरानी राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर निम्नलिखित समितियों द्वारा की जाएगी।
i. सचिव, डीपीआईआईटी (एसआईआईटी) की अध्यक्षता वाली संचालन समिति, अपने समग्र वित्तीय परिव्यय के भीतर योजना की किसी भी व्याख्या पर निर्णय लेगी और निष्पादन के लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी करेगी।
ii. राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली राज्य स्तरीय समिति पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करते हुए कार्यान्वयन, जांच और संतुलन की निगरानी करेगी।
iii. राज्य के वरिष्ठ सचिव (उद्योग) की अध्यक्षता वाली सचिव स्तरीय समिति, पंजीकरण और प्रोत्साहन दावों की सिफारिश सहित योजना को लागू करने के लिए जिम्मेदार होगी।
पृष्ठ्भूमि:
- भारत सरकार ने उत्तर-पूर्व क्षेत्र के राज्यों में उद्योगों के विकास और रोजगार सृजन के लिए एक केंद्रीय क्षेत्र योजना के रूप में नई औद्योगिक विकास योजना, उन्नति (उत्तर-पूर्व परिवर्तनकारी औद्योगीकरण योजना), 2024 तैयार की है।
- योजना का मुख्य उद्देश्य लाभकारी रोजगार उत्पन्न करना है, जिससे क्षेत्र का समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास होगा। यह विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों में उत्पादक आर्थिक गतिविधि का निर्माण करेगा।
- नए निवेश को आकर्षित करके और मौजूदा निवेशों को पोषित करके रोजगार सृजन, कौशल विकास और सतत विकास पर जोर देने के साथ उत्तर-पूर्व क्षेत्र में औद्योगिक विकास को नए सिरे से जोर देने की जरूरत है।
- हालांकि, एनईआर के औद्योगिक विकास और प्राचीन वातावरण के बीच उचित संतुलन बनाए रखने के लिए, कुछ उद्योगों को सकारात्मक सूची में रखा गया है जैसे कि नवीकरणीय ऊर्जा, ईवी चार्जिंग स्टेशन आदि और कुछ क्षेत्रों के लिए एक नकारात्मक सूची है, जो पर्यावरण में बाधा डाल सकते हैं जैसे कि सीमेंट, प्लास्टिक आदि।
4. केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का लोकार्पण और ‘राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस 2023: एक रिपोर्ट’ का विमोचन करेंगे:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
प्रारंभिक परीक्षा: राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस।
मुख्य परीक्षा:‘राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस 2023: एक रिपोर्ट’ के महत्व एवं भूमिका पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह 8 मार्च 2024 को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का लोकार्पण करेंगे। केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ‘राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस 2023: एक रिपोर्ट’ का विमोचन भी करेंगे।
उद्देश्य:
- प्रधानमंत्री के “सहकार से समृद्धि” के विजन को साकार करने की दिशा में सहकारिता मंत्रालय की यह एक और महत्त्वपूर्ण पहल है।
- इसके तहत सहकारिता मंत्रालय ने भारत के विशाल सहकारी सेक्टर की महत्वपूर्ण सूचनाओं को एकत्र करने के लिए एक सुदृढ़ डेटाबेस की अनिवार्य आवश्यकता को पहचाना है।
- सहकारिता केंद्रित आर्थिक मॉडल को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों, राष्ट्रीय संघों और हितधारकों की सहभागिता से राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का विकास किया गया है।
विवरण:
- राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस में सहकारी समितियों के डेटा को विभिन्न हितधारकों से चरणबद्ध तरीके से एकत्र किया गया है।
- पहले चरण में, तीन क्षेत्रों यानी प्राथमिक कृषि ऋण समिति, डेयरी और मत्स्यिकी की लगभग 2.64 लाख प्राथमिक सहकारी समितियों की मैपिंग पूरी की गई।
- दूसरे चरण में विभिन्न राष्ट्रीय संघों, राज्य संघों, राज्य सहकारी बैंक (StCB), जिला केंद्रीय सहकारी बैंक (DCCB), शहरी सहकारी बैंक (UCB), राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (SCARDB), प्राथमिक कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (PCARDB), सहकारी चीनी मिलों, जिला यूनियनों और बहुराज्य सहकारी समितियों (MSCS) के आंकड़े एकत्रित/मैप किए गए।
- तीसरे चरण में अन्य बाकी क्षेत्रों में 5.3 लाख से अधिक प्राथमिक सहकारी समितियों के डेटा की राज्य/संघ राज्यक्षेत्र, RCS/DRCS कार्यालयों के माध्यम से मैपिंग की गई।
- राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस एक वेब आधारित डिजिटल डैशबोर्ड है जिसमें राष्ट्रीय/राज्य संघों सहित सहकारी समितियों के डेटा को एकत्र किया गया है।
- सहकारी समितियों के डेटा को राज्यों/ संघ राज्यक्षेत्रों के नोडल अधिकारियों द्वारा RCS/DRCS कार्यालयों में प्रविष्ट और सत्यापित किया गया है और संघों के डेटा विभिन्न राष्ट्रीय/राज्य संघों द्वारा प्रदान किए गए हैं।
- डेटाबेस ने विभिन्न सेक्टरों की लगभग 8 लाख सहकारी समितियों के साथ-साथ उनकी 29 करोड़ से भी अधिक की सामूहिक सदस्यता की सूचनाओं को एकत्र/मैप किया है।
- राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस केंद्रीय मंत्रालयों, राज्यों/संघ राज्यक्षेत्रों और सहकारी समितियों के बीच प्रभावशाली संवाद का एक महत्वपूर्ण उपकरण है जिससे सहकारी क्षेत्र के सभी हितधारक लाभान्वित होंगे।
- यह डेटाबेस पंजीकृत समितियों का व्यापक संपर्क विवरण प्रदान करता है जो सरकारी संस्थाओं और इन समितियों के बीच सुचारु संप्रेषण में सहायक है।
- राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस अनेक लाभ प्रदान करता है जिससे सिंगल पॉएंट एक्सेस, समेकित और अद्यतित डेटा, यूजर फ़्रेंडली इंटरफेस, वर्टिकल और हॉरिज़ोंटल लिंकेज, प्रश्न-आधारित रिपोर्टेस और ग्राफ, प्रबंधन सूचना प्रणाली (MIS) रिपोर्टेस, डेटा विश्लेषण और भौगोलिक मैपिंग आदि से सहकारी क्षेत्र की कुशलता और प्रभावशीलता बढ़ाने में मदद मिलती है।
- इस पहल की सफलता प्रभावी सहयोग, सटीक डेटा संग्रह और क्षेत्रीय अंतराल की पहचान करने के लिए डेटाबेस के रणनीतिक उपयोग और तदनुसार रिक्त स्थान को भरने के लिए उपयुक्त नीति और सूचित निर्णय लेने पर निर्भर करती है।
- कुल मिलाकर, राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस सहकारी क्षेत्र में पारदर्शिता और सहभागिता को बढ़ावा देता है।
- राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस का शुभारंभ सहकारिता के क्षेत्र में एक मील का पत्थर साबित होगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों का विकास आर्थिक, सामाजिक और सामुदायिक समस्याओं के समाधान, व्यक्तियों के सशक्तिकरण, गरीबी उन्मूलन और ग्रामीण समुदायों के समग्र कल्याण में अपने योगदान के वादे को पूरा करता है।
- यह पहल जमीनी स्तर पर एक सकारात्मक परिवर्तन का प्रतीक है जो समृद्ध और ‘आत्मनिर्भर’ भारत की परिकल्पना के अनुरूप है।
5. कैबिनेट ने इंडियाएआई मिशन के लिए 10,300 करोड़ रुपये से अधिक की मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: इंडियाएआई मिशन।
मुख्य परीक्षा: इंडियाएआई मिशन के भारत के निहितार्थ।
प्रसंग:
- कैबिनेट ने इंडियाएआई मिशन के लिए 10,300 करोड़ रुपये से अधिक के आवंटन को मंजूरी दे दी है, जो भारत के एआई पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
उद्देश्य:
- अगले पांच वर्षों में यह पर्याप्त वित्तीय निवेश इंडियाएआई मिशन के विभिन्न घटकों को उत्प्रेरित करने के लिए तैयार है, जिसमें इंडियाएआई कंप्यूट कैपेसिटी, इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर (आईएआईसी) इंडियाएआई डेटासेट प्लेटफॉर्म, इंडियाएआई एप्लीकेशन डेवलपमेंट इनिशिएटिव, इंडियाएआई फ्यूचरस्किल्स, इंडियाएआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग और सेफ एंड ट्रस्टेड एआई जैसी महत्वपूर्ण पहल शामिल हैं।
- इस वित्तीय परिव्यय का व्यापक उद्देश्य भारत के एआई नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करने के उद्देश्य से सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के माध्यम से इंडियाएआई मिशन का एक संरचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करना है।
विवरण:
- इस प्रयास की आधारशिला इंडियाएआई कंप्यूट क्षमता है, जिसमें रणनीतिक सार्वजनिक-निजी सहयोग के माध्यम से 10,000 से अधिक ग्राफिक्स प्रोसेसिंग यूनिट (जीपीयू) को तैनात करके एक अत्याधुनिक, स्केलेबल एआई कंप्यूटिंग बुनियादी ढांचे को खड़ा करने की कल्पना की गई है।
- इस मंजूरी से भारतीय नागरिकों को लाभ होगा और भारत की अर्थव्यवस्था के विस्तार में योगदान मिलेगा।
- इससे केरल जैसे राज्यों को लाभ होगा, जो वर्षों से एक मजबूत तकनीकी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने में चूक गए थे।
- केरल में युवा भारतीयों में अपार संभावनाएं हैं और इस वित्तीय परिव्यय से उनकी महत्वाकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।
- यह वित्तीय परिव्यय इंडियाएआई स्टार्टअप फाइनेंसिंग तंत्र को मजबूत करेगा, उभरते एआई स्टार्टअप के लिए फंडिंग तक सुव्यवस्थित पहुंच की सुविधा प्रदान करेगा और उत्पाद विकास से व्यावसायीकरण तक की उनकी यात्रा को उत्प्रेरित करेगा।
- प्रस्ताव में सामाजिक प्रभाव को बढ़ावा देने, नवाचार और उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उद्योग के नेतृत्व वाली एआई परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण प्रावधान भी शामिल हैं।
- इंडियाएआई इनोवेशन सेंटर (आईएआईसी) एक अग्रणी शैक्षणिक संस्थान होगा, जो शीर्ष अनुसंधान प्रतिभाओं के सुव्यवस्थित कार्यान्वयन और प्रतिधारण को सुनिश्चित करेगा।
- कैबिनेट द्वारा अनुमोदित फंड IAIC को स्वदेशी बड़े मल्टीमॉडल मॉडल (LMM) और डोमेन-विशिष्ट मॉडल पर विशेष जोर देने, बढ़त का लाभ उठाने और इष्टतम दक्षता के लिए वितरित कंप्यूटिंग के साथ मूलभूत मॉडल के विकास और तैनाती का नेतृत्व करने में सक्षम करेगा।
- इंडियाएआई के स्वतंत्र व्यापार प्रभाग (आईबीडी) द्वारा विकसित किए जाने वाले इंडियाएआई डेटासेट प्लेटफॉर्म को सार्वजनिक क्षेत्र के डेटासेट की पहुंच, गुणवत्ता और उपयोगिता बढ़ाने, डेटा-संचालित शासन सुनिश्चित करने और एआई-आधारित नवाचार और अनुसंधान को उत्प्रेरित करने के लिए बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।
- इसके साथ ही, इंडियाएआई फ्यूचरस्किल्स कार्यक्रम स्नातक और स्नातकोत्तर एआई कार्यक्रमों की पहुंच बढ़ाकर एआई शिक्षा की पहुंच बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा, साथ ही डेटा और एआई प्रयोगशालाओं की स्थापना भी करेगा जो न केवल प्रमुख भारतीय शहरों में फैले होंगे, बल्कि डेटा और एआई में मूलभूत स्तर के पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए छोटे शहरों और कस्बों में भी फैले होंगे।
- इसके साथ ही, इंडियाएआई फ्यूचरस्किल्स कार्यक्रम स्नातक और स्नातकोत्तर एआई कार्यक्रमों की पहुंच बढ़ाकर एआई शिक्षा की पहुंच बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करेगा, साथ ही डेटा और एआई प्रयोगशालाओं की स्थापना भी करेगा जो न केवल प्रमुख भारतीय शहरों में फैले होंगे, बल्कि डेटा और एआई में मूलभूत स्तर के पाठ्यक्रम प्रदान करने के लिए छोटे शहरों और कस्बों में भी फैले होंगे।
- इंडियाएआई मिशन के व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप, इन पहलों का उद्देश्य एआई में भारत के वैश्विक नेतृत्व को मजबूत करना, तकनीकी आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना, नैतिक और जिम्मेदार एआई तैनाती सुनिश्चित करना और समाज के सभी वर्गों में एआई के लाभों का लोकतंत्रीकरण करना है।
6.कैबिनेट ने गोवा राज्य के विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व के पुनर्समायोजन विधेयक, 2024 को पेश करने को मंजूरी दी:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
मुख्य परीक्षा: अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व के पुन: समायोजन विधेयक, 2024
प्रसंग:
- प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में गोवा राज्य के विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व के पुन: समायोजन विधेयक, 2024 को पेश करने के लिए कानून और न्याय मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
उद्देश्य:
- यह सुनिश्चित करने के लिए कि गोवा राज्य में अनुसूचित जनजातियों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा की जाए, निर्वाचन आयोग को संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन आदेश, 2008 में संशोधन करने और राज्य की अनुसूचित जनजातियों के लिए गोवा राज्य की विधानसभा में सीटों को पुनः समायोजित करने के लिए सशक्त बनाने वाले प्रावधानों को सक्षम करने के लिए एक कानून बनाना अनिवार्य है।
विवरण:
प्रस्तावित विधेयक की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं:
(i) यह जनगणना आयुक्त को उन जनजातियों की जनसंख्या के आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए गोवा राज्य में अनुसूचित जनजातियों की जनसंख्या का पता लगाने और निर्धारित करने का अधिकार देता है, जिन्हें जनगणना 2001 के प्रकाशन के बाद अनुसूचित जनजाति के रूप में घोषित किया गया है।
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- जनगणना आयुक्त भारत के राजपत्र में निर्धारित और निर्धारित विभिन्न जनसंख्या आंकड़ों को अधिसूचित करेगा और उसके बाद, ऐसे जनसंख्या आंकड़ों को अंतिम आंकड़े माना जाएगा और संविधान के अनुच्छेद 332 में अनुसूचित जनजातियों को आनुपातिक प्रतिनिधित्व देने के लिए पहले प्रकाशित सभी आंकड़ों को हटा दिया जाएगा।
(ii) यह निर्वाचन आयोग को संसदीय और विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन आदेश, 2008 में आवश्यक संशोधन करने का अधिकार देता है, जिसका उद्देश्य विधानसभा में निर्वाचन क्षेत्रों के पुनः समायोजन द्वारा गोवा की विधानसभा में अनुसूचित जनजातियों को उचित प्रतिनिधित्व देना है।
(iii) निर्वाचन आयोग अनुसूचित जनजातियों के संशोधित जनसंख्या आंकड़ों पर विचार करेगा और संविधान के अनुच्छेद 170 और 332 तथा परिसीमन अधिनियम, 2002 की धारा 8 के उपबंधों को ध्यान में रखते हुए विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र का पुनः समायोजन करेगा।
(iv) या विधान सभा निर्वाचन क्षेत्रों के पुनः समायोजन का प्रयोजन, भारत का निर्वाचन आयोग अपनी प्रक्रिया स्वयं निर्धारित करेगा और उसके पास सिविल न्यायालय की कुछ शक्तियां होंगी।
(v) यह भारत के चुनाव आयोग को परिसीमन आदेश में किए गए संशोधनों और इसके संचालन की तारीखों को राजपत्र में प्रकाशित करने का भी अधिकार देता है। संशोधित परिसीमन आदेश भंग होने तक मौजूदा विधानसभा के संविधान को प्रभावित नहीं करेगा
(vi) प्रस्तावित विधेयक निर्वाचन आयोग को उक्त परिसीमन आदेश में त्रुटियों में आवश्यक सुधार करने का भी अधिकार देता है।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. ’21वीं पशुधन गणना:
- मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय के पशुपालन और डेयरी विभाग ने ’21वीं पशुधन गणना में चरवाहों और उनके पशुधन की गिनती पर एक कार्यशाला का आयोजन मध्य प्रदेश के इंदौर में किया।
- पशुपालन और डेयरी विभाग 1919 से हर 5 साल में देश भर में पशुधन जनगणना करता है। आखिरी पशुधन जनगणना यानी 20वीं एलसी 2019 में आयोजित की गई थी।
- 21वीं पशुधन जनगणना 2024 में होनी है। इस 21वीं पशुधन जनगणना में पशुपालक और उनके पशुधन पर जानकारी एकत्र करने की मांग है ।
- पशुधन गणना, पशुधन कल्याण कार्यक्रम की उचित योजना और निर्माण और इस क्षेत्र में और सुधार लाने के लिए के लिए डेटा का मुख्य स्रोत है।
- पशुधन जनगणना में आम तौर पर सभी पालतू पशुओं के सिर की गणना को उनकी उम्र, लिंग तथा नस्ल के अनुसार किसी स्थान पर घरों, घरेलू उद्यमों/गैर-घरेलू उद्यमों के पास मौजूद जानवरों की विभिन्न प्रजातियों (मवेशी, भैंस, मिथुन, याक, भेड़, बकरी, सुअर, घोड़ा, टट्टू, खच्चर, गधा, ऊंट, कुत्ता, खरगोश और हाथी) पोल्ट्री पक्षी (मुर्गी, बत्तख और अन्य पोल्ट्री पक्षी) आदि की गणना शामिल है।
2. संयुक्त अभ्यास “सी डिफेंडर्स-2024”:
- भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) और अमरीकी तटरक्षक (यूएससीजी) के बीच द्विपक्षीय सहयोग को सशक्त करने में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए यूनाइटेड स्टेट्स कोस्ट गार्ड का जहाज बर्थोल्फ भारतीय तटरक्षक (आईसीजी) के साथ संयुक्त अभ्यास के लिए 07 मार्च 2024 को पोर्ट ब्लेयर पहुंचा।
- “सी डिफेंडर्स-2024” के कोडनेम वाला यह संयुक्त अभ्यास 09-10 मार्च 2024 को पोर्ट ब्लेयर के तट पर संचालित होने वाला है।
- इस अभ्यास के दौरान समुद्री डकैती और चुनौतीपूर्ण विषम खतरों से संबंधित परिदृश्यों की स्थितियां तैयार की जाएंगी, जिसमें वाणिज्यिक तथा व्यापारी जहाजों के आवागमन पर नकली ड्रोन हमले, संयुक्त समुद्री खोज एवं बचाव अभियान, अग्निशमन, समुद्री प्रदूषण का निपटान तथा नशीली दवाओं की रोकथाम के अभ्यास किये जाएंगे।
- इसके अतिरिक्त, आपातकालीन स्थितियों में तत्परता बढ़ाने के लिए एक कृत्रिम चिकित्सा निकासी प्रक्रिया भी आयोजित की जाएगी।
- बहुउद्देश्यीय-श्रेणी का यूनाइटेड स्टेट्स कोस्ट गार्ड कटर (यूएससीजीसी) बर्थोल्फ उन्नत तकनीक व हथियारों से लैस है, जिसमें हेलीकॉप्टर लैंडिंग पैड, अत्याधुनिक सेंसर और संचार उपकरण सुसज्जित हैं।
- यह युद्धपोत जटिल कानून प्रवर्तन, रक्षा एवं राष्ट्रीय सुरक्षा के मिशनों के लिए परिचालन कार्य करता है, जो समुद्री सुरक्षा और सुरक्षा के उद्देश्य से अमरीकी तटरक्षक बल की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- कैलिफोर्निया के अल्मेडा से 16000 समुद्री मील से अधिक की दूरी तय करके भारत की इस पोत की यह यात्रा समुद्री मानदंडों को बनाए रखने और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने की साझा प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
- यह अभ्यास समुद्री चुनौतियों से निपटने में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के महत्व को उजागर करता है।
- यह भारतीय तट रक्षक और अमरीकी तटरक्षक बल के बीच दीर्घकालिक साझेदारी की पुष्टि करता है, जो दोनों देशों के मध्य रणनीतिक साझेदारी का एक महत्वपूर्ण घटक है।
- भारतीय तटरक्षक बल की यूनाइटेड स्टेट्स कोस्ट गार्ड के साथ व्यापक सहभागिता होती रहती है, विशेष रूप से प्रशिक्षण, अभ्यास और सहकारी सहयोग के क्षेत्र में कई कार्यक्रम सम्पादित होते हैं।
- पेशेवर संबंध बनाए रखने की दिशा में दोनों देशों की इन समुद्री एजेंसियों के बीच उच्च स्तरीय बातचीत होना एक नियमित गतिविधि रही है।
- इससे पहले, 22 सितंबर 2022 को अमरीकी तटरक्षक जहाज मिडगेट ने चेन्नई का दौरा किया था।
3. कैबिनेट ने 2024-25 सीजन के लिए कच्चे जूट के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को मंजूरी दी:
- प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 2024-25 सीज़न के लिए कच्चे जूट के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को अपनी मंजूरी दे दी है।
- कच्चे जूट (टीडीएन-3, पहले के टीडी-5 श्रेणी के बराबर) का एमएसपी 2024-25 सीजन के लिए 5,335 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
- इससे उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर 64.8 प्रतिशत का रिटर्न सुनिश्चित होगा।
- 2024-25 सीजन के लिए कच्चे जूट का घोषित एमएसपी सरकार द्वारा बजट 2018-19 में घोषित उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत के कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर एमएसपी निर्धारित करने के सिद्धांत के अनुरूप है।
- यह निर्णय कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों पर आधारित है।
- 2024-25 सीजन के लिए कच्चे जूट के लिए एमएसपी में पिछले सीजन की तुलना में 285 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि हुई है।
- पिछले 10 वर्षों के दौरान, सरकार ने 122 प्रतिशत की वृद्धि करते हुए कच्चे जूट के लिए एमएसपी को 2014-15 में 2,400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2024-25 में 5,335 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया है।
- वर्तमान सीजन 2023-24 में, सरकार ने 524.32 करोड़ रुपये की लागत से 6.24 लाख गांठ से अधिक कच्चे जूट की रिकॉर्ड मात्रा में खरीद की है, जिससे लगभग 1.65 लाख किसानों को लाभ हुआ है।
- भारतीय जूट निगम (जेसीआई) मूल्य समर्थन संबंधी कार्यों का संचालन करने हेतु केन्द्र सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में जारी रहेगी और ऐसे कार्यों में होने वाले नुकसान, यदि कोई हो, की प्रतिपूर्ति पूरी तरह से केन्द्र सरकार द्वारा की जाएगी।
4. पूरे देश में चिप डिजाइनरों के लिए वन-स्टॉप सेंटर-चिपआईएन:
- पूरे देश में चिप डिजाइनरों के लिए वन-स्टॉप सेंटर-चिपआईएन को सेमीकंडक्टर उद्योग क्षेत्र की प्रमुख हस्तियों का समर्थन मिला।
- चिपआईएन केंद्र मौजूदा सबसे बड़े केंद्रों में एक है। यह बड़ी संख्या में डिजाइन फ्लो को प्रस्तुत करता है।
- इसका उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर डिजाइन समुदाय के लिए चिप डिजाइन बुनियादी ढांचे को उपलब्ध करवाना है।
- यह एक केंद्रीकृत डिजाइन केंद्र है, जो न केवल 5 एनएम या उन्नत नोड तक जाने वाले पूरे चिप डिजाइन चक्र (यानी डिजिटल, एनालॉग, आरएफ और मिश्रित सिग्नल डिजाइन के लिए फ्रंट-एंड डिजाइन, बैक-एंड डिजाइन, पीसीबी डिजाइन और विश्लेषण, आदि) के लिए सबसे उन्नत उपकरणों को प्रस्तुत करता है, बल्कि फाउंड्रीज और पैकेजिंग में डिजाइन की संरचना के लिए समग्र सेवाएं भी प्रदान करता है।
- वर्तमान में 120 शैक्षणिक संस्थानों और 20 स्टार्ट-अप्स के लगभग 10,000 छात्रों के साथ जुड़े चिपआईएन केंद्र का लक्ष्य बी.टेक, एम.टेक और पीएचडी स्तर पर 85,000 छात्रों को सेमीकंडक्टर चिप्स डिजाइन करने के लिए अत्याधुनिक ईडीए टूल्स तक पहुंच प्रदान करना है। फ्यूचरडिजाइन रोडशो के दौरान सेमीकंडक्टर उद्योग ने चिप-इन केंद्र को निम्नलिखित सहायता प्रदान की है:
- की साइट टेक्नोलॉजीज, जो कि इलेक्ट्रॉनिक्स परीक्षण और माप उपकरण व सॉफ्टवेयर का एक प्रमुख आपूर्तिकर्ता है, ने डीएलआई योजना और सी2एस कार्यक्रम के तहत स्टार्ट-अप्स और अकादमिक क्षेत्र तक अपने ईडीए टूल्स की पेशकश का विस्तार करने के लिए चिपआईएन केंद्र के साथ साझेदारी की है।
- सिनोप्सिस ने स्टार्ट-अप्स के लिए अपनी पिछली पेशकशों के अतिरिक्त संस्थानों की संख्या की कोई सीमा तय किए बिना अखिल भारतीय अकादमिक क्षेत्र के लिए चिपआईएन में अपने ईडीए टूल का विस्तार किया है।
- कैडेंस डिजाइन सिस्टम्स और सीमेंस ईडीए ने स्टार्ट-अप्स के लिए उनकी पिछली पेशकशों के अतिरिक्त सी2एस कार्यक्रम के तहत चिपआईएन में अपने ईडीए टूल को 150 शैक्षणिक संस्थानों तक विस्तारित किया है।
- इसके अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने वीएसएससी तिरुवनंतपुरम में फ्यूचरडिजाइन रोडशो के दौरान डीएलआई योजना के तहत 2 और सेमीकंडक्टर डिजाइन स्टार्टअप्स/एमएसएमई के लिए वित्तीय सहायता की घोषणा भी की।
5. कृषि क्षेत्र की तीन प्रमुख पहलों के पोर्टल का शुभारंभ:
- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने नई दिल्ली के कृषि भवन में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री गिरिराज सिंह के साथ संयुक्त सम्मेलन में कृषि क्षेत्र की तीन प्रमुख पहलों यानी संशोधित मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन, स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम और उर्वरक नमूना परीक्षण के लिए केंद्रीय उर्वरक गुणवत्ता नियंत्रण और प्रशिक्षण संस्थान (सीएफक्यूसीटीआई) के पोर्टल का शुभारंभ किया।
- इन पहलों का उद्देश्य दूरदराज के इलाकों में भी किसानों को लाभ पहुंचाना और उन्हें आसानी से खेती करने में सक्षम बनाना है।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल और मोबाइल एप्लिकेशन को नया रूप दिया गया – मृदा स्वास्थ्य कार्ड पोर्टल को नया रूप दिया गया है और मिट्टी के नमूना संग्रह और परीक्षण के लिए मोबाइल एप्लिकेशन प्रस्तुत किया गया है।
- पोर्टल में मृदा प्रयोगशाला रजिस्ट्री है और प्रयोगशालाओं की स्थिति वास्तविक समय के आधार पर देखी जा सकती है।
- प्रयोगशालाओं को पोर्टल पर भू-निर्देशांक के साथ मैप किया जाता है। पोर्टल में मृदा नमूना संग्रह, प्रयोगशालाओं में परीक्षण और मृदा स्वास्थ्य कार्ड के निर्माण का वास्तविक समय डेटा दिखाने की सुविधा है।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड मोबाइल एप्लिकेशन में ऐप आधारित क्यूआर कोड से युक्त मिट्टी नमूना संग्रह प्रणाली शुरू की गई है।
- नए पोर्टल के अंतर्गत राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर केंद्रीकृत डैशबोर्ड उपलब्ध कराया गया है।
- भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) विश्लेषण वास्तविक समय के आधार पर उपलब्ध हैं।
- इस पहल के माध्यम से अब वास्तविक समय के आधार पर प्रगति की निगरानी की जा सकती है।
- अब, जहां से नमूने एकत्र किए जाते हैं, वहां किसानों के भू-निर्देशांक मोबाइल एप्लिकेशन के माध्यम से स्वचालित रूप से कैप्चर किए जा रहे हैं।
- मृदा स्वास्थ्य कार्ड बनने तक किसान अपनी मिट्टी के नमूने का लेखा-जोखा रख सकते हैं।
- स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम- स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग के सहयोग से विभाग ने स्कूल मृदा स्वास्थ्य कार्यक्रम पर एक प्रायोगिक परियोजना शुरू की है।
- परियोजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों के केंद्रीय और नवोदय विद्यालय के 20 स्कूलों में 20 मृदा प्रयोगशालाएं स्थापित की गईं।
- अध्ययन मॉड्यूल विकसित किए गए और विद्यार्थियों और शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया गया।
- मोबाइल एप्लिकेशन को स्कूल कार्यक्रम के लिए अनुकूलित किया गया था और पोर्टल में कार्यक्रम के लिए एक अलग खंड है जहां विद्यार्थियों की सभी गतिविधियों का दस्तावेजीकरण किया गया है।
- अब, इस कार्यक्रम को 1000 स्कूलों में बढ़ाया गया है। इस कार्यक्रम के अंतर्गत केन्द्रीय विद्यालय, नवोदय विद्यालय और एकलव्य मॉडल स्कूलों को शामिल किया गया है।
- स्कूलों को पोर्टल पर जोड़ा जा रहा है और ऑनलाइन समूह बनाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के माध्यम से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय इन स्कूलों में मृदा प्रयोगशालाएं स्थापित करेगा।
- यह कार्यक्रम विद्यार्थियों को प्रयोग करने, मिट्टी के नमूनों का विश्लेषण करने और मिट्टी के भीतर आकर्षक जैव विविधता का पता लगाने का अवसर प्रदान करेगा।
- व्यावहारिक गतिविधियों में संलग्न होकर, विद्यार्थियों में महत्वपूर्ण सोच कौशल, समस्या सुलझाने की क्षमता और इकोसिस्टम के अंतर्संबंध की समग्र समझ विकसित होगी।
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