विषयसूची:
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07 May 2024 Hindi PIB
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1. मेडिटेक स्टैकथॉन 2024 का शुभारंभ:
सामान्य अध्ययन: 2
स्वास्थ्य:
विषय: स्वास्थ्य,शिक्षा,मानव संसाधनों से सम्बंधित सामाजिक क्षेत्र /सेवाओं के विकास एवं उनसे प्रबंधन से सम्बंधित मुद्दे।
प्रारंभिक परीक्षा: मेडिटेक स्टैकथॉन 2024
मुख्य परीक्षा: देश के मेडटेक उद्योग की संभावनाओं पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- रसायन और उर्वरक मंत्रालय के फार्मास्यूटिकल्स विभाग के सचिव डॉ. अरुणीश चावला ने नई दिल्ली में भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से मेडिटेक स्टैकथॉन 2024 का शुभारंभ किया।
उद्देश्य:
- मेडिटेक स्टैकथॉन एक अभूतपूर्व पहल है जिसे कुछ चयनित विशेष चिकित्सा उपकरणों के व्यापक मूल्य श्रृंखला विश्लेषण के माध्यम से भारत के बढ़ते मेडटेक क्षेत्र के भीतर परिवर्तनकारी परिवर्तन पहल को आगे बढ़ाने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- स्टैकथॉन का उद्देश्य शीर्ष उद्योगपतियों, नीति निर्माताओं और विशेषज्ञों के साथ परामर्श के माध्यम से महत्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करना, घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देना और आयात निर्भरता को कम करना है, जिससे भारत को चिकित्सा प्रौद्योगिकी में वैश्विक अग्रज के रूप में स्थापित किया जा सके।
विवरण:
- देश के मेडटेक उद्योग में अपार संभावनाएं हैं। अनुमान है कि इस उद्योग में 28 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर रहेगी, जो वर्ष 2030 तक 50 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच जाएगी।
- वर्तमान में, भारत एशिया में चिकित्सा उपकरणों के लिए चौथा सबसे बड़ा बाजार है और विश्व स्तर पर शीर्ष 20 देशों में शामिल है।
- 2022-23 के लिए शुद्ध आयात 0.45 के आयात कवरेज अनुपात के साथ 4101 मिलियन अमरीकी डालर है।
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इस क्षेत्र में आयात में वृद्धि देखी गई है, जो मुख्य रूप से अमेरिका, चीन और जर्मनी जैसे देशों द्वारा संचालित है।
- भारत का सुदृढ़ नीति पारिस्थितिकी तंत्र निर्यात को बढ़ावा देने और घरेलू विनिर्माण के माध्यम से आयात निर्भरता को कम करने के अवसर प्रदान करता है।
- देश में चिकित्सा उपकरण उद्योग के विकास के लिए एक सुदृढ़ नीति तैयार करने के लिए नीति निर्माताओं और उद्योग जगत को एक साथ मिलकर काम करने की आवश्यकता हैं।भारत को गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है ताकि वह विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बने।
- पिछले वर्ष के दौरान उपभोग्य सामग्रियों और डिस्पोज़ेबल्स में निर्यात ने आयात को पीछे छोड़ दिया है, और उद्योग से मीडिया-टेक क्षेत्र के अन्य स्तंभों में इसी तरह की गति को जारी रखने का आग्रह किया।
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इन चुनौतियों का समाधान करने और क्षेत्र में व्यापार करने की आसानी और लागत दोनों को बढ़ाने के लिए हितधारकों के बीच सहयोग आवश्यक है।
- साझेदारी और अनुसंधान तथा नवाचार में निवेश को बढ़ावा देकर और मूल्य श्रृंखला प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करके सभी के लिए सुलभ और किफायती स्वास्थ्य देखभाल के अपने साझा लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
- स्टैकथॉन के माध्यम से, प्रतिभागी अपनी अनूठी चुनौतियों और अवसरों के बारे में जानकारी हासिल करने के लिए चिकित्सा उपकरण उद्योग के भीतर विभिन्न उत्पाद खंडों की जटिलताओं पर ध्यान देंगे और प्रमुख हितधारकों, प्रक्रियाओं की पहचान करने के लिए चिकित्सा उपकरण उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों में मूल्य श्रृंखलाओं का विश्लेषण और मानचित्रण करेंगे।
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स्टैकथॉन आठ केंद्रित समूहों जैसे कैंसर थेरेपी, इमेजिंग, क्रिटिकल केयर, सहायक चिकित्सा उपकरण, शारीरिक प्रत्यारोपण, सर्जिकल उपकरण और अस्पताल उपकरण, उपभोग्य वस्तुएं और डिस्पोजेबल, और विट्रो डायग्नोस्टिक डिवाइस (आईवीडी) और अभिकर्मकों पर विचार-विमर्श करेगा।
- प्रत्येक की खंड-वार पहचान सहित विशिष्ट उद्देश्यों के साथ महत्वपूर्ण चिकित्सा उपकरणों का मूल्यांकन, आयात-निर्यात की गतिशीलता का आकलन, शुल्क संरचनाओं की जांच और संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में उनके निहितार्थों पर विचार-विमर्श का काम सौंपा जाएगा।
- इस क्षेत्र में लागत प्रतिस्पर्धात्मकता, गुणवत्ता आश्वासन और नियामक बाधाओं सहित चुनौतियां बनी हुई हैं।
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भारत का मेडटेक निर्यात 4 बिलियन डॉलर से अधिक होने के साथ, उद्योग उल्लेखनीय विस्तार के पथ पर खड़ा है।
- भारत में उत्पाद की खपत और उत्पादन में अंतर को दूर करने के लिए उन्नत डेटा संकलन तंत्र की आवश्यकता है।
- भारत का मेडटेक परिदृश्य संभावनाओं से पूर्ण है, जो अगले दशक में वैश्विक बाजार हिस्सेदारी का 10 प्रतिशत हासिल करने के लिए तैयार है।
- विश्व स्तरीय अस्पतालों, कुशल जनशक्ति और अत्याधुनिक संसाधनों से युक्त एक सुदृढ़ पारिस्थितिकी तंत्र से संपन्न, भारत वैश्विक मेडटेक क्षेत्र में अग्रणी के रूप में उभरने के लिए तैयार है।
- अपार संभावनाओं की इस पृष्ठभूमि में, मेडिटेक स्टैकथॉन 2024 उद्योग को नवाचार और आत्मनिर्भरता की अभूतपूर्व ऊंचाइयों की ओर ले जाने के लिए हितधारकों की सामूहिक विशेषज्ञता का उपयोग करने का प्रयास करता है।
2. सीमा सड़क संगठन ने अपना 65वां स्थापना दिवस मनाया:
सामान्य अध्ययन: 2,3
राजव्यवस्था एवं शासन, रक्षा एवं सुरक्षा:
विषय: विकास प्रक्रिया एवं संगठन,संस्थागत उपाय। विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएं तथा उनके अधिदेश।
प्रारंभिक परीक्षा: सीमा सड़क संगठन (बीआरओ)।
मुख्य परीक्षा: सीमा सड़क संगठन का राष्ट्र के रणनीतिक उद्देश्यों में योगदान।
प्रसंग:
- सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) 07 मई, 2024 को अपना 65वां स्थापना दिवस मना रहा है। इस अवसर पर नई दिल्ली में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया, इसकी अध्यक्षता रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने ने की।
उद्देश्य:
- दुर्गम इलाकों और मौसम की विपरीत दुरूह स्थिति में सीमा सड़क संगठन ने अपने दायित्व का सफलतापूर्वक निर्वहन किया है।
- सीमा सड़क संगठन को एक अत्यंत महत्वपूर्ण संगठन हैं, जो सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी मूलभूत परियोजनाओं के माध्यम से, दूर-दराज के क्षेत्रों की सामाजिक-आर्थिक प्रगति सुनिश्चित करने के अतिरिक्त, देश की सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
विवरण:
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सीमा सड़क संगठन की स्थापना 1960 में हुई थी उस समय संगठन के पास केवल दो परियोजनाएं – पूर्व में प्रोजेक्ट टस्कर (अब वर्तक) और उत्तर में प्रोजेक्ट बीकन थी।
- आज इस संगठन का 11 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में विस्तार हो चुका है और इस समय सीमा सड़क संगठन 18 परियोजनाओं पर कार्य करने वाला एक महत्वपूर्ण संगठन बन गया है।
- इसने अब ऊंचाई वाले और कठिन बर्फीले क्षेत्रों में अग्रणी बुनियादी ढांचा निर्माण एजेंसी के रूप में अपनी साख स्थापित कर ली है।
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सीमा सड़क संगठन मुख्य रूप से सशस्त्र बलों की रणनीतिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए उत्तरी और पश्चिमी सीमाओं पर 9,000 फीट से 19,000 फीट तक की ऊंचाई पर सड़क निर्माण और रखरखाव कार्यों को निष्पादित करता है।
- छह दशकों से अधिक समय में, इसने भारत की सीमाओं के साथ-साथ भूटान, म्यांमा, अफगानिस्तान और ताजिकिस्तान सहित मित्र देशों में प्रतिकूल जलवायु और भौगोलिक परिस्थितियों में 62,214 किलोमीटर से अधिक सड़कों, 1,005 पुलों, सात सुरंगों और 21 हवाई क्षेत्रों का निर्माण किया है।
- इस प्रकार सीमा सड़क संगठन ने राष्ट्र के रणनीतिक उद्देश्यों में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
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2023-24 में, सीमा सड़क संगठन ने 3,611 करोड़ रुपये की कुल 125 बुनियादी ढांचा परियोजनाएं पूरी कीं।
- इसमें अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारद्वार-तवांग रोड पर सेला सुरंग का निर्माण शामिल है।
- यह सुरंग हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने ईटानगर से राष्ट्र को समर्पित की थी।
- सीमा सड़क संगठन शीघ्र ही 4.10 किलोमीटर लंबी शिंकुन ला सुरंग पर निर्माण कार्य शुरू करेगा।
- इसका निर्माण कार्य पूर्ण होने पर यह सुरंग चीन में 15,590 फीट की मिला सुरंग को पीछे छोड़ते हुए 15,800 फीट की दुनिया की सबसे ऊंची सुरंग बन जाएगी।
- सीमा सड़क संगठन ने बागडोगरा और बैरकपुर नाम की दो महत्वपूर्ण हवाई क्षेत्र परियोजनाओं को पूर्ण किया है, ये परियोजनाएं संगठन की उत्कृष्टता यात्रा में एक और मील का पत्थर है। रक्षा मंत्री ने हाल ही में मुध एयरफील्ड परियोजना की आधारशिला रखी थी। सीमा सड़क संगठन का लक्ष्य इस परियोजना को केवल दो कार्य सत्रों के अंतराल में ही पूरा करना है।
- कुछ वर्षों में, सीमा सड़क संगठन के बजट व्यय में तेजी से वृद्धि देखी गई है, इससे पता चलता है कि संगठन अपनी क्षमताओं के अनुरूप कार्यों को तीव्र गति से पूर्ण करने के लिए निरंतर गतिशील है।
- बजट प्रावधान में वृद्धि ने सीमा सड़क संगठन को महत्वपूर्ण परियोजनाएं शुरू करने, महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास में तेजी लाने और इसकी परिचालन तैयारी को बढ़ाने के लिए सशक्त बनाया है।
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सीमा सड़क संगठन स्त्री-पुरुष समानता और समावेशिता को बढ़ावा देने, महिलाओं को महत्वपूर्ण भूमिकाएं और अवसर प्रदान करने में अग्रणी रहा है।
- कर्नल पोनुंग डोमिंग जैसे अधिकारी पूर्वी लद्दाख में महत्वपूर्ण परियोजनाओं का नेतृत्व कर रहे हैं।
- सहायक कार्यकारी अभियंता (सिविल) श्रीमती निकिता चौधरी ने सेला सुरंग परियोजना को सफलतापूर्वक पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पृष्ठ्भूमि:
- इस कार्यक्रम में रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने ने सेला सुरंग पर एक सार-संग्रह के साथ-साथ ‘ऊंचिन सदाकेन’, ‘पथ प्रदर्शक’ और ‘पथ विकास’ सहित कुछ पुस्तकों का अनावरण भी किया।
- उन्होंने वर्ष 2023-24 के लिए सीमा सड़क संगठन कर्मियों को उत्कृष्टता पुरस्कार दिए और संगठन में शामिल महिला कर्मियों को विशिष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया।
- सेला टनल जैसी विभिन्न परियोजनाओं के साथ-साथ सिक्किम बाढ़ के दौरान काम करने वाले आकस्मिक भुगतान वाले मजदूरों को भी सम्मानित किया गया।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. भारत और भूटान के बीच 5वीं संयुक्त सीमा शुल्क समूह (जेजीसी) की बैठक आयोजित की गई:
- भारत और भूटान के बीच 5वें संयुक्त सीमा शुल्क समूह (जेजीसी) की बैठक 6-7 मई, 2024 को लेह, लद्दाख में आयोजित की गई।
- बैठक की सह-अध्यक्षता भारत सरकार के केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड के विशेष सचिव और सदस्य (सीमा शुल्क) श्री सुरजीत भुजबल और भूटान की शाही सरकार के वित्त मंत्रालय के राजस्व और सीमा शुल्क विभाग के महानिदेशक श्री सोनम जामत्शो ने की।
- 5वीं जेजीसी बैठक में नए भूमि सीमा शुल्क स्टेशन खोलना और नए व्यापार मार्गों को अधिसूचित करना, बुनियादी ढांचे का विकास, पारगमन प्रक्रियाओं का स्वचालन और डिजिटलीकरण, तस्करी की रोकथाम, समन्वित सीमा पार प्रबंधन, सीमा शुल्क डेटा के आगमन पूर्व आदान-प्रदान, सीमा शुल्क सहयोग पर द्विपक्षीय समझौता और इलेक्ट्रॉनिक कार्गो प्रणाली के तहत पारगमन कार्गो की आवाजाही आदि कई द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई।
- साथ ही, भूटान ने विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से भूटान के साथ सीमा पार व्यापार और आर्थिक गतिविधियों को शुरू करने और बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार की सराहना की।
- सीमा शुल्क प्रक्रियाओं को फिर से परिभाषित करने और फिर से व्यवहारिक बनाने, सीमा शुल्क सहयोग को बढ़ावा देने और वैश्विक सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरूप सीमा पार व्यापार सुविधा से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए भारत-भूटान संयुक्त सीमा शुल्क समूह की बैठकें हर साल आयोजित की जाती हैं।
- ये बैठकें भूमि सीमाओं पर सुचारू सीमा शुल्क निकासी के लिए संपर्क बढ़ाने और व्यापार बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- पश्चिम बंगाल (6) और असम (4) राज्यों में भारत-भूटान सीमा पर 10 भूमि सीमा शुल्क स्टेशन (लैंड कस्टम स्टेशन) हैं।
- भारत आयात के स्रोत और निर्यात गंतव्य दोनों के रूप में भूटान का शीर्ष व्यापारिक भागीदार है।
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2014 के बाद से, भूटान के साथ भारत का व्यापार 2014-15 में 484 मिलियन डॉलर से तीन गुना बढ़कर 2022-23 में 1,615 मिलियन डॉलर हो गया है, जो भूटान के कुल व्यापार का लगभग 80 प्रतिशत है।
- भूमि सीमा शुल्क स्टेशनों के माध्यम से भूटान के साथ व्यापार उसके लिए खासा महत्वपूर्ण है क्योंकि भूटान एक भूमि से घिरा हुआ देश है।
- भूटान के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाना भारत की ‘पड़ोसी पहले’ और ‘एक्ट ईस्ट’ नीति के लिहाज से महत्वपूर्ण है।
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यह बैठक आशावादी रुख के साथ संपन्न हुई। दोनों देश भारत और भूटान के बीच पूरकताओं यानी एक दूसरी की जरूरतों को पूरा करने के नए पहलुओं की खोज करने पर सहमत हुए, जिन्हें पारस्परिक लाभ के लिए अधिकतम किया जा सकता है, युवाओं की अपेक्षाओं और आकांक्षाओं का जवाब दिया जा सकता है और नई प्रौद्योगिकियों और सामाजिक नवाचारों से संबंधित तेजी से हो रहे बदलावों को अपनाया जा सकता है।
- दोनों पक्ष आपसी समृद्धि के लिए सीमा शुल्क और व्यापारिक सहयोग को सुविधाजनक बनाने के लिए विचार करने पर भी सहमत हुए।
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