विषयसूची:
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1. सरकार ने एसएसएलवी के प्रक्षेपण के लिए तमिलनाडु में एक नए स्पेसपोर्ट की स्थापना को स्वीकृती दी:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां;देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV)।
प्रसंग:
- सरकार ने इसरो द्वारा विकसित लघु उपग्रह प्रक्षेपण यान (SSLV) के प्रक्षेपण के लिए तमिलनाडु के कुलशेखरपट्टिनम में एक नए स्पेसपोर्ट की स्थापना को स्वीकृति दी है।
उद्देश्य:
- भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 में गैर-सरकारी संस्थाओं (NGI) द्वारा प्रक्षेपण गतिविधियों को पूरा करने के लिए स्पेसपोर्ट के उपयोग का प्रावधान है, जो तकनीकी व्यवहार्यता और रेंज सुरक्षा सीमाओं के अधीन होगा।
विवरण:
- भारतीय अंतरिक्ष नीति-2023 को स्वीकृति दे दी गई है। इसे सार्वजनिक रूप से जारी कर दिया गया है और क्षेत्र के लिए खोल दिया गया है।
- अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था की संपूर्ण मूल्य श्रृंखला में गैर-सरकारी संस्थाओं (NGE) की भागीदारी बढ़ाने के लिए विभिन्न हितधारकों जैसे इन-स्पेस, इसरो, एनएसआईएल और डॉस की भूमिकाओं को स्पष्ट रूप से रेखांकित किया गया है।
- सरकार ने एकल खिड़की एजेंसी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र की स्थापना की है।
- भारत सरकार द्वारा लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी – भारत (LIGO-India) परियोजना को 2600 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत के साथ मंजूरी दे दी गई है। इसकी अग्रणी एजेंसी परमाणु ऊर्जा विभाग हैं।
- परियोजना के पूरा होने के बाद, एलआईजीओ-इंडिया को गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने और खगोल विज्ञान के संबंधित क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए एक राष्ट्रीय सुविधा के रूप में संचालित किया जाएगा।
- सरकार ने अंतरिक्ष गतिविधियों को बढ़ावा देने और प्राधिकरण के लिए एकल-खिड़की एजेंसी के रूप में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (IN-SPACe) की स्थापना की है।
- IN-SPACe के लिए बजट आवंटन:
- 2021-22 10 करोड़ रु.।
- 2022-23 33 करोड़ रु.।
- 2023-24 95 करोड़ रु.।
- एलवीएम-3 14 जुलाई 2023 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, एसएचएआर से 14:35 बजे उड़ान भरी थी। वर्तमान में, अंतरिक्ष यान लूनर-ऑर्बिट इंसर्शन (एलओआई) के साथ ट्रांस लूनर कक्षा में है।
2. प्रधानमंत्री गतिशक्ति की 53वीं बैठक में 6 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सिफारिश की गई:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: सरकारी नीतियां और हस्तक्षेप।
प्रारंभिक परीक्षा: प्रधानमंत्री गतिशक्ति परियोजना।
मुख्य परीक्षा: प्रधानमंत्री गतिशक्ति परियोजना पर चर्चा कीजिए।
मुख्य परीक्षा: लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रेविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी – भारत (LIGO-India) परियोजना।
प्रसंग:
- प्रधानमंत्री गतिशक्ति के अंतर्गत 53वीं राष्ट्रीय योजना समूह (NPG) की बैठक 9 अगस्त 2023 को नई दिल्ली में आयोजित की गई।
उद्देश्य:
- क्षेत्र विकास दृष्टिकोण के लिए यह परियोजनाएं सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए मल्टीमॉडल कनेक्टिविटी प्रदान करेंगी और मौजूदा शहर और रेल बुनियादी ढांचे की भीड़-भाड़ को कम करेंगी।
- ये परियोजनाएं भविष्य की क्षमता वृद्धि के लिए महत्वपूर्ण हैं और परियोजना क्षेत्र की लॉजिस्टिक क्षमता में वृद्धि करेगी।
विवरण:
- बैठक के दौरान, छह परियोजनाएं, 3 रेलवे मंत्रालय की परियोजनाएं और 3 सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की परियोजनाओं का का मूल्यांकन किया गया।
- इनकी कुल परियोजना लागत 28,875.16 करोड़ रुपये है।
- इन परियोजनाओं से भीड़-भाड़ और अत्यधिक आबादी वाले क्षेत्रों को दरकिनार करके विभिन्न गांवों और प्रमुख औद्योगिक व्यापार केंद्रों तक कनेक्टिविटी में सुधार होने और यात्रा के समय को कम करने की आशा है।
- प्रस्तावित परियोजनाओं से व्यावसायिक अवसरों का विस्तार होने और स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा होने की भी संभावना है।
- राष्ट्रीय योजना समूह (NPG) ने महाराष्ट्र में वैभववाड़ी-कोल्हापुर को जोड़ने वाली 3411.17 करोड़ रुपये लागत की प्रस्तावित लाइन की भी सिफारिश की।
- नई लाइन से अन्य उद्योगों के अलावा क्षेत्र के विभिन्न ताप विद्युत संयंत्रों, विशेष रूप से महाराष्ट्र और कर्नाटक में थर्मल कोयला यातायात को पूरा करने की संभावना है।
- भारतमाला परियोजना के अंतर्गत सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MORTH) की एक सड़क परियोजना हसन-रायचूर आर्थिक गलियारा 20 (ईसी 20), जिसकी कुल परियोजना लागत 6,274.75 करोड़ रुपये है, का मूल्यांकन राष्ट्रीय योजना समूह द्वारा किया गया था।
- आर्थिक गलियारा 20 दो राज्यों और 5 जिलों से होकर गुजरता है, जैसे कर्नाटक में हासन, तुमकुर, बेल्लारी, आंध्र प्रदेश में कुरनूल और कर्नाटक में रायचूर।
- इससे क्षेत्र के आर्थिक और सामाजिक नोड्स के लिए कनेक्टिविटी बढ़ने की संभावना है।
- इन परियोजनाओं से मौजूदा राजमार्गों पर यातायात की भीड़ कम होने और राजमार्ग पर माल ढुलाई की मात्रा और आवाजाही के स्वरूप का बेहतर प्रबंधन होने की संभावना है।
3. सिडनी, ऑस्ट्रेलिया में मालाबार-2023:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक समूह और भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: मालाबार अभ्यास-2023।
प्रसंग:
- भारतीय नौसेना के अग्रिम पंक्ति के स्वदेशी युद्धपोत आईएनएस सह्याद्री और आईएनएस कोलकाता अमेरिकी नौसेना (यूएसएन), जापान मैरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स (जेएमएसडीएफ) और रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना (आरएएन) के जहाजों और विमानों के साथ 11 से 21 अगस्त, 23 तक सिडनी में निर्धारित मालाबार 2023 अभ्यास में भाग लेंगे।
उद्देश्य:
- यह अभ्यास भारतीय नौसेना को अंतर-परिचालन को बढ़ाने और प्रदर्शित करने तथा अपने सहयोगी देशों से समुद्री सुरक्षा संचालन में सर्वोत्तम तौर-तरीकों से लाभ उठाने का अवसर प्रदान करता है।
विवरण:
- मालाबार 2023 का आयोजन दो चरणों में किया जाएगा।
- समुद्र तट चरण में एक-दूसरे के जहाजों में दौरे, पेशेवर आदान-प्रदान, खेल और समुद्री चरण की योजना तथा संचालन के लिए बातचीत जैसी व्यापक गतिविधियां शामिल हैं।
- समुद्री चरण में युद्ध के सभी तीन क्षेत्रों में विभिन्न जटिल और उच्च तीव्रता वाले अभ्यास शामिल होंगे, जिनमें हथियार चलाने के लाइव अभ्यास समेत सतह-रोधी, वायु-रोधी तथा पनडुब्बी रोधी अभ्यास किये जाएंगे।
- आईएनएस सह्याद्री स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित प्रोजेक्ट-17 श्रेणी के बहु-भूमिका वाले स्टील्थ फ्रिगेट का तीसरा जहाज है।
- आईएनएस कोलकाता स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित प्रोजेक्ट -15 ए श्रेणी के का पहला विध्वंसक जहाज है।
- दोनों जहाजों को मझगांव डॉक लिमिटेड, मुंबई में निर्मित किया गया है और ये जहाज सतह, हवा और पानी के नीचे के क्षेत्रों में खतरों का पता लगाने और उन्हें बेअसर करने के लिए अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर से लैस हैं।
पृष्ठभूमि:
- मालाबार समुद्री अभ्यास की श्रृंखला 1992 में भारतीय नौसेना और अमेरिकी नौसेना के बीच एक द्विपक्षीय अभ्यास के रूप में शुरू हुई थी और भारत-प्रशांत क्षेत्र में चार प्रमुख नौसेनाओं को शामिल करने के साथ इस अभ्यास का विस्तार हुआ।
- 2020 में केवल रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना (आरएएन) की भागीदारी हुई थी।
- इस वर्ष मालाबार का 27वां अभ्यास है, जिसकी मेजबानी रॉयल ऑस्ट्रेलियाई नौसेना (आरएएन) द्वारा की जा रही है।
4. देश में प्राकृतिक आपदाएँ:
सामान्य अध्ययन: 3
पर्यावरण:
विषय: जलवायु परिवर्तन प्रभाव का आकलन
मुख्य परीक्षा: जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के बारे में चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (MOES) ने 2020 में ‘भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन का आकलन’ शीर्षक से एक जलवायु परिवर्तन रिपोर्ट प्रकाशित की, जिसमें भारतीय उपमहाद्वीप पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का व्यापक मूल्यांकन शामिल है।
विवरण:
- रिपोर्ट की मुख्य बातें इस प्रकार हैं:
- 1901-2018 के दौरान भारत का औसत तापमान लगभग 0.7oC बढ़ गया है।
- 1950-2015 के दौरान दैनिक चरम वर्षा की आवृत्ति (प्रतिदिन 150 मिमी से अधिक वर्षा की तीव्रता) में लगभग 75% की वृद्धि हुई।
- 1951-2015 के दौरान भारत में सूखे की आवृत्ति और स्थानिक सीमा में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- पिछले ढाई दशकों (1993-2017) में उत्तरी हिंद महासागर में समुद्र के स्तर में प्रति वर्ष 3.3 मिमी की वृद्धि हुई।
- 1998-2018 के मानसून के बाद के मौसम के दौरान अरब सागर के ऊपर गंभीर चक्रवाती तूफानों की आवृत्ति बढ़ गई है।
- आईएमडी ने हाल ही में प्रभाव आधारित पूर्वानुमान (आईबीएफ) लागू किया है जो मौसम कैसा होगा के बजाय यह बताता है कि मौसम क्या करेगा।
- इसमें गंभीर मौसम तत्वों से अपेक्षित प्रभावों का विवरण और आम जनता के लिए गंभीर मौसम के संपर्क में आने पर क्या करें और क्या न करें के बारे में दिशानिर्देश शामिल हैं।
- इन दिशानिर्देशों को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सहयोग से अंतिम रूप दिया गया है और चक्रवात, लू, तूफान और भारी वर्षा के लिए पहले से ही सफलतापूर्वक लागू किया गया है।
- आईएमडी ने नवीनतम उपकरणों और प्रौद्योगिकियों के आधार पर मौसम पूर्वानुमान और चेतावनी सेवाओं के प्रसार में सुधार के लिए हाल के वर्षों में विभिन्न पहल की हैं।
- 2020 में, आईएमडी ने जनता के उपयोग के लिए ‘उमंग’ मोबाइल ऐप के साथ अपनी सात सेवाएं (वर्तमान मौसम, नाउकास्ट, शहर पूर्वानुमान, वर्षा सूचना, पर्यटन पूर्वानुमान, चेतावनियां और चक्रवात) लॉन्च की हैं।
- इसके अलावा, 2020 में, आईएमडी ने मौसम पूर्वानुमान के लिए मोबाइल ऐप ‘मौसम’, एग्रोमेट सलाह प्रसार के लिए ‘मेघदूत’ और बिजली की चेतावनी के लिए ‘दामिनी’ विकसित किया था।
- हाल ही में आईएमडी ने तेरह सबसे खतरनाक मौसम संबंधी घटनाओं के लिए एक वेब आधारित ऑनलाइन “क्लाइमेट हैज़र्ड एंड वल्नरेबिलिटी एटलस ऑफ़ इंडिया” तैयार किया है, जो व्यापक क्षति, आर्थिक, मानवीय और पशु हानि का कारण बनता है।
- जलवायु खतरा और भेद्यता एटलस राज्य सरकार के अधिकारियों और आपदा प्रबंधन एजेंसियों को विभिन्न चरम मौसम की घटनाओं से निपटने के लिए योजना बनाने और उचित कार्रवाई करने में मदद करेगा।
- यह एटलस आईएमडी को विभिन्न चरम मौसम की घटनाओं के लिए प्रभाव-आधारित पूर्वानुमान जारी करने में भी मदद करता है।
- मौसम और जलवायु सेवाओं में आधुनिकीकरण, विस्तार और सुधार के लिए, आईएमडी में “वायुमंडल और जलवायु अनुसंधान-मॉडलिंग अवलोकन प्रणाली और सेवाएं (एक्रॉस)” नामक केंद्रीय क्षेत्र योजना के तहत विभिन्न गतिविधियां चल रही हैं।
- ACROSS के अंतर्गत IMD की 4 उप-योजनाएँ हैं, अर्थात् वायुमंडलीय अवलोकन नेटवर्क (AON), पूर्वानुमान प्रणाली का उन्नयन (UFS), मौसम और जलवायु सेवाएँ (WCS) और पोलारिमेट्रिक डॉपलर मौसम रडार (PDWR) की कमीशनिंग।
5. मैंग्रोव वृक्षारोपण की स्थिति:
सामान्य अध्ययन: 3
पर्यावरण:
विषय: जैव विविधता का संरक्षण एवं पर्यावरणीय प्रभाव का आकलन।
प्रारंभिक परीक्षा: रामसर स्थल,मैंग्रोव,मिष्टी योजना।
मुख्य परीक्षा: भारत में मैंग्रोव वनरोपण पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MOEFCC) भारत में चार रामसर स्थलों पर ‘जैव विविधता और जलवायु संरक्षण के लिए आर्द्रभूमि प्रबंधन’ नामक एक परियोजना लागू कर रहा है।
उद्देश्य:
- इस परियोजना के तहत, जलवायु जोखिम मूल्यांकन (सीआरए) अध्ययन चार स्थानों पर आयोजित किए गए हैं, अर्थात् हिमाचल प्रदेश में पोंग बांध झील और रेणुका झील, ओडिशा में भितरकनिका मैंग्रोव और तमिलनाडु में प्वाइंट कैलिमेरे वेटलैंड कॉम्प्लेक्स।
विवरण:
- इस परियोजना के तहत, जलवायु जोखिम मूल्यांकन (सीआरए) अध्ययन चार स्थानों पर आयोजित किए गए हैं, अर्थात् हिमाचल प्रदेश में पोंग बांध झील और रेणुका झील, ओडिशा में भितरकनिका मैंग्रोव और तमिलनाडु में प्वाइंट कैलिमेरे वेटलैंड कॉम्प्लेक्स।
- परियोजना ने साइट-स्तरीय जलवायु जोखिम मूल्यांकन के लिए एक मूल्यांकन पद्धति विकसित की है और प्रदर्शित किया है कि आर्द्रभूमि पर रामसर कन्वेंशन के बुद्धिमान उपयोग दृष्टिकोण को बनाए रखते हुए जलवायु सह-लाभों को हासिल करने की दिशा में साइट स्तर पर आर्द्रभूमि प्रबंधन योजना में जलवायु जोखिमों को कैसे एकीकृत किया जा सकता है।
- MoEFCC तटीय राज्यों को मैंग्रोव वृक्षारोपण, शेल्टरबेल्ट वृक्षारोपण, मूंगा प्रत्यारोपण, क्षमता निर्माण सहित तटीय समुदायों की आजीविका सुरक्षा में वृद्धि जैसे तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण और प्रबंधन से संबंधित गतिविधियों को करने के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- मैंग्रोव के संरक्षण और प्रबंधन के लिए प्रबंधन कार्य योजनाएं (एमएपी) 9 तटीय राज्यों में 38 पहचाने गए मैंग्रोव स्थलों को कवर करते हुए तैयार और कार्यान्वित की गई हैं।
- भारत राज्य वन रिपोर्ट, 2021 के अनुसार, देश में मैंग्रोव कवर 2019 की तुलना में वर्ष 2021 में 17 वर्ग किमी की शुद्ध वृद्धि के साथ 4992 वर्ग किमी होने का अनुमान लगाया गया है।
- वनीकरण में भारत के प्रयासों को बढ़ाने के लिए, केंद्रीय बजट 2023-24 में ‘तटरेखा आवास और मूर्त आय के लिए मैंग्रोव पहल (MISHTI)’ कार्यक्रम की घोषणा की गई।
- मिष्टी योजना का उद्देश्य तटीय समुदायों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बढ़ाते हुए भारतीय तट पर मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा और पुनर्जीवित करना है।
- यह कार्यक्रम केंद्र और राज्य स्तर पर चल रही और प्रस्तावित विभिन्न योजनाओं के संसाधनों के अभिसरण पर आधारित है, जिसका उद्देश्य राज्य सरकारों की मदद से मैंग्रोव के संभावित स्थलों को विकसित और पुनर्स्थापित करना है।
- मैंग्रोव के संरक्षण और प्रबंधन के लिए चिन्हित स्थलों की सूची:
राज्य/संघ राज्य क्षेत्र |
मैंग्रोव साइट |
पश्चिम बंगाल |
सुंदरवन |
ओडिशा |
भितरकनिका,महानदी डेल्टा,स्वर्णरेखा,देवी कडुआ मुहाना,धमरा,मैंग्रोव आनुवंशिक संसाधन केंद्र,चिल्का। |
आंध्र प्रदेश |
कोरिंगा,कृष्णा,पूर्वी गोदावरी |
तमिलनाडु |
पिचावरम,मुथुपेट,रामनाद,पुलिकट,काज़ुवेली |
अण्डमान और निकोबार |
उत्तरी अंडमान, निकोबार |
केरल |
वेम्बानाड, कन्नूर |
कर्नाटक |
होन्नावर/दक्षिण कन्नड़, कूंडापुर,कारवार, मैंगलोर वन प्रभाग |
गुजरात |
कच्छ की खाड़ी, खंभात की खाड़ी, डुमास उबरत |
गोवा |
गोवा |
महाराष्ट्र |
अचरा-रत्नागिरी,देवगढ़-विजय दुर्ग, वेलदुर,कुण्डलिका-रेवदण्ड, मुंब्रा-दिवा,विक्रोली,श्रीवर्धन, वैतरणा, वसई- मनोरी, मालवन |
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण के लिए वन आवरण के विशेष अभियान के प्रभाव का मूल्यांकन:
- द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण के लिए वन आवरण के विशेष अभियान के प्रभाव का मूल्यांकन अध्ययन किया गया हैं इसके अनुसार देश में लगभग 150 ग्रेट इंडियन बस्टर्ड हैं।
- मंत्रालय गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों और उनके प्राकृतिक निवास स्थलों की रक्षा और केंद्र प्रायोजित योजना- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण और सुरक्षा के लिए वन्यजीव आवास के विकास के घटकों के तहत गुजरात सहित सभी राज्यों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराती है।
- इसके अलावा मंत्रालय ने ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का पर्यावास सुधार और संरक्षण प्रजनन-एक एकीकृत दृष्टिकोण’ नामक कार्यक्रम के लिए सात वर्षों की अवधि के लिए वर्ष 2016 में सीएएमपीए के तहत 33.85 करोड़ रुपये का परिव्यय मंजूर किया था।
- ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के संरक्षण के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान और होउबारा संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय कोष (आईएफएचसी), संयुक्त अरब अमीरात के बीच एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए हैं।
2. माइक्रोग्रिड पावर प्लांट:
- इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने नेशनल मिशन ऑन पावर इलेक्ट्रॉनिक्स टेक्नोलॉजी (एनएएमपीईटी) कार्यक्रम के अंतर्गत सी-डैक, तिरुवनंतपुरम द्वारा ग्रामीण समुदायों की विद्युत ऊर्जा जरूरतों के लिए बनाई गई हाइब्रिड ग्रीन एनर्जी माइक्रोग्रिड की स्वदेशी तकनीक का कोट्टूर, तिरुवनंतपुरम स्थित हाथी पुनर्वास केंद्र में शुभारंभ किया।
- माइक्रोग्रिड: नवीकरणीय ऊर्जा माइक्रोग्रिड एक स्वायत्त, स्थानीयकृत और आत्मनिर्भर ऊर्जा प्रणाली है जो नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को अपने प्राथमिक उत्पादन इनपुट के रूप में शामिल करती है।
- नवीकरणीय ऊर्जा माइक्रोग्रिड के प्रमुख आधारों में विभिन्न घटक और सिस्टम शामिल हैं जो स्थानीय और टिकाऊ तरीके से बिजली पैदा करने, उसके भंडारण, प्रबंधन और वितरण के लिए मिलकर काम करते हैं।
- माइक्रोग्रिड के ऑफ-ग्रिड मोड परिचालन में, जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करने और उसके पर्यावरण पर प्रभाव को कम करने के लिए नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को प्राथमिकता देते हुए एक विशिष्ट क्षेत्र या समुदाय के भीतर बिजली का उत्पादन, भंडारण और वितरण किया जाता है।
- इसके ऑन-ग्रिड मोड परिचालन में, अगर बिजली उत्पादन स्थानीय ज़रूरत से ज्यादा होता है तो यह माइक्रोग्रिड उपयोगिता ग्रिड के साथ संवाद करके बिजली के निर्यात में सक्षम होगा।
- सिलिकॉन कार्बाइड का उपयोग करने वाली एक विशिष्ट 25 किलोवाट पावर कंडीशनिंग यूनिट (पीसीयू) तकनीक, 50 किलो हर्ट्ज पर चलने वाला एक वाइड बैंड गैप (डब्ल्यूबीजी) सेमीकंडक्टर डिवाइस और भारी 50 हर्ट्ज ट्रांसफार्मर को टालते हुए इस हाथी पुनर्वास केंद्र में लागू माइक्रोग्रिड योजना में सिस्टम को बहुत कॉम्पैक्ट बनाया गया है और दूरस्थ एक कंटेनर आधारित तैनाती को सक्षम किया गया है।
- उपरोक्त प्रौद्योगिकी सीडीएसी द्वारा विकसित की गई है।
3. 21 नये ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों की स्थापना करने के लिए ‘सैद्धांतिक’ रूप से स्वीकृति दी गई:
- हवाईअड्डों पर अवसंरचनाओं/सुविधाओं को बेहतर बनाने सहित हवाईअड्डों का विस्तार एक निरंतर प्रक्रिया है जो भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण (एएआई) अथवा संबंधित हवाईअड्डा संचालकों द्वारा प्रचालन संबंधी आवश्यकताओं, यातायात, मांग, वाणिज्यिक संभावनाओं आदि के आधार पर किया जाता है।
- भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण और अन्य हवाईअड्डा संचालकों ने 2019-24 के दौरान 98,000 करोड़ रुपये से अधिक के पूंजीगत व्यय की योजना शुरू की है, जिसमें विभिन्न ब्राउनफील्ड हवाई अड्डों के विकास/उन्नयन/आधुनिकीकरण और बढ़ती मांगों को पूरा करने के लिए ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का विकास करना शामिल है जिसमें एएआई की लगभग 25000 करोड़ रुपये की राशि भी शामिल हैं।
- भारत सरकार ने देश में ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों के विकास के लिए एक ग्रीनफील्ड हवाईअड्डा (जीएफए) नीति, 2008 भी तैयार की है। इस नीति का उद्देश्य पूरे देश में ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों की स्थापना के लिए विस्तृत दिशानिर्देश, प्रक्रियाएं और कदम प्रदान करना है।
- इस नीति के अनुसार, यदि राज्य सरकार सहित कोई विकासकर्ता हवाई अड्डा विकसित करना चाहता है, तो उन्हें उपयुक्त स्थल की पहचान करनी होगी और हवाई अड्डे के निर्माण के लिए पूर्व-व्यवहार्यता अध्ययन करना होगा और सैद्धांतिक अनुमोदन के बाद स्थल स्वीकृति के लिए केन्द्र सरकार को एक प्रस्ताव प्रस्तुत करना होगा।
- अब तक, भारत सरकार ने 21 नए ग्रीनफील्ड हवाईअड्डों की स्थापना के लिए सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान किए हैं।
- इनमें से 12 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों ने अपना परिचालन शुरू कर दिया है।
- इसके अलावा, देश में अभी तक वंचित और कम सेवित हवाई अड्डों से क्षेत्रीय हवाई संपर्क को बढ़ाने के लिए, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने 21 अक्टूबर, 2016 को क्षेत्रीय कनेक्टिविटी योजना (आरसीएस)- उड़ान (उड़े देश का आम नागरिक) शुरू की, जिससे हवाई यात्रा आम लोगों के लिए सस्ती हो गई।
- अंतर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन (आईसीएओ), अंतर्राष्ट्रीय हवाई परिवहन संघ (आईएटीए) आदि जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा विनिर्दिष्ट अंतर्राष्ट्रीय मानकों/मानदंडों को पूरा करने के लिए हवाई अड्डों का उन्नयन भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण या संबंधित हवाईअड्डा संचालकों द्वारा वाणिज्यिक पहलू, यात्री आवश्यकताओं, भूमि की स्थिति और एयरलाइन प्राथमिकताओं सहित विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए कार्य किया जाता है।
- किसी हवाईअड्डे को अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे के रूप में घोषित करना यातायात संभाव्यता, अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के प्रचालन के लिए एयरलाइनों की मांग और द्विपक्षीय हवाई सेवा करार पर निर्भर करता है।
- वर्तमान में, देश में 30 अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं।
4. केंद्र ने स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती से जुड़े सेलिब्रिटिज़, इनफ्लुएंसर और वर्चुअल इनफ्लुएंसर के लिए अतिरिक्त दिशानिर्देश जारी किए:
- उपभोक्ता कार्य, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के तहत उपभोक्ता कार्य विभाग ने स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती क्षेत्र से जुड़े सेलिब्रिटी, इनफ्लुएंसर और वर्चुअल इनफ्लुएंसर के लिए अतिरिक्त दिशानिर्देश जारी किए हैं।
- ये दिशा-निर्देश 9 जून, 2022 को जारी भ्रामक विज्ञापनों की रोकथाम और भ्रामक विज्ञापनों के लिए समर्थन हेतु दिशा निर्देश, 2022 का एक महत्वपूर्ण विस्तार हैं , और 20 जनवरी 2023 को जारी की गई “अनुमोदन जानकारी!” मार्गदर्शक पुस्तिका के स्थान पर हैं।
- केंद्र ने स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती से जुड़े सेलिब्रिटी, इनफ्लुएंसर और वर्चुअल इनफ्लुएंसर के लिए अतिरिक्त प्रभावशाली दिशा निर्देश स्वास्थ्य मंत्रालय, आयुष मंत्रालय, भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) और भारतीय विज्ञापन मानक परिषद (एएससीआई) सहित सभी हितधारकों के साथ विस्तृत विचार-विमर्श के बाद तैयार किए गए हैं।
- अतिरिक्त दिशानिर्देशों का उद्देश्य भ्रामक विज्ञापनों, निराधार दावों से निपटना और स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के समर्थन में पारदर्शिता सुनिश्चित करना है।
- दिशानिर्देशों के तहत, मान्यता प्राप्त संस्थानों से प्रमाणित चिकित्सकों और स्वास्थ्य और फिटनेस विशेषज्ञों को जानकारी साझा करते समय, उत्पादों या सेवाओं को बढ़ावा देने या स्वास्थ्य संबंधी कोई भी दावा करते समय यह बताना होगा कि वे प्रमाणित स्वास्थ्य/फिटनेस विशेषज्ञ और चिकित्सा व्यवसायी हैं।
- स्वास्थ्य विशेषज्ञ या चिकित्सा व्यवसायी के रूप में प्रस्तुत करने वाली सेलिब्रिटी, इनफ्लुएंसर और वर्चुअल इनफ्लुएंसर को जानकारी साझा करते समय, उत्पादों या सेवाओं को बढ़ावा देते समय या कोई स्वास्थ्य संबंधी दावे करते समय स्पष्ट डिस्क्लेमर देना होगा।
- उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि देखने वाले यह समझें कि उनकी पुष्टि को पेशेवर चिकित्सा सलाह, निदान या उपचार के विकल्प के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।
- यह डिस्क्लोजर या डिस्क्लेमर तब आवश्यक है जब खाद्य पदार्थों और न्यूट्रास्यूटिकल्स से प्राप्त होने वाले स्वास्थ्य लाभ, बीमारी की रोकथाम, उपचार या इलाज, चिकित्सा स्थितियों, स्वास्थ्य लाभ के तरीकों या प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने आदि जैसे विषयों पर बात या दावा किया जाए।
- यह डिस्क्लोजर या डिस्क्लेमर किसी वस्तु का समर्थन, प्रचार, या स्वास्थ्य संबंधी दावे करने के किसी भी अवसर पर प्रदर्शित किया जा सकता है।
- सामान्य तंदुरुस्ती और स्वास्थ्य सलाह जैसे ‘पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें’, ‘नियमित रूप से व्यायाम करें और शारीरिक रूप से सक्रिय रहें’, ‘बैठने का समय और स्क्रीन समय कम करें’, ‘पर्याप्त अच्छी नींद लें’, ‘तेजी से ठीक होने के लिए हल्दी वाला दूध पिएं’, हानिकारक यूवी किरणों से बचने के लिए रोजाना’ ‘सनस्क्रीन का उपयोग करें,’ ‘बेहतर वृद्धि के लिए बालों में तेल लगाएं’ आदि जो विशिष्ट उत्पादों या सेवाओं से जुड़े नहीं हैं या विशिष्ट स्वास्थ्य स्थितियों या परिणामों को लक्षित नहीं करते हैं, उन्हें इन नियमों से छूट दी गई है।
- हालांकि, खुद को स्वास्थ्य विशेषज्ञ या चिकित्सकों के रूप में प्रस्तुत करने वाली इन सेलिब्रिटीज, इनफ्लुएंसर और वर्चुअल इनफ्लुएंसर के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे अपने व्यक्तिगत विचारों और पेशेवर सलाह के बीच स्पष्ट रूप से अंतर करें और बिना ठोस तथ्यों के विशिष्ट स्वास्थ्य दावे करने से बचें।
- डीओसीए सक्रिय रूप से इन दिशानिर्देशों की निगरानी और कार्यान्वयन करेगा।
- उल्लंघन करने पर उपभोक्ता संरक्षण कानून 2019 और कानून के अन्य प्रासंगिक प्रावधानों के तहत जुर्माना लगाया जा सकता है।
- विभाग विशेष रूप से तेजी से बढ रहे प्रभावशाली डिजिटल क्षेत्र में उपभोक्ता हितों की रक्षा करने और एक निष्पक्ष और पारदर्शी बाजार को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।
- यह दिशा निर्देश उद्योग को और मजबूत करेगा और उपभोक्ता हितों की रक्षा करेगा।
5. संयुक्त अरब अमीरात से एलएनजी का आयात:
- सरकार द्वारा ऊर्जा मिश्रण में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी वर्तमान में लगभग 6% से बढ़ाकर 2030 में 15% करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।
- इनमें राष्ट्रीय गैस ग्रिड पाइप लाइन का विस्तार, सिटी गैस वितरण (सीजीडी) नेटवर्क का विस्तार, तरलीकृत प्राकृतिक गैस (एलएनजी) टर्मिनलों की स्थापना, संपीड़ित प्राकृतिक गैस (परिवहन) / पाइप्ड प्राकृतिक गैस (घरेलू) के लिए घरेलू गैस,सीएनजी (टी)/पीएनजी (डी) बिना किसी कटौती श्रेणी का आवंटन शामिल है।
- 10 जुलाई 2023 को, इंडियन ऑयल ने 2026 से शुरू होने वाले 10 वर्षों के लिए 0.8 एमएमटीपीए तक की आपूर्ति के लिए टोटल एनर्जी गैस एंड पावर लिमिटेड (टोटल एनर्जी) के साथ प्रमुख समझौते (एचओए) पर हस्ताक्षर किए। यह अनुबंध कुल एनर्जी के पोर्टफोलियो से एलएनजी की डिलीवरी के लिए है।
- 13 जुलाई 2023 को इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (इंडियन ऑयल) ने 2026 से 14 साल की अवधि के लिए 1.2 मिलियन मीट्रिक टन प्रति वर्ष (एमएमटीपीए) तक की आपूर्ति के लिए अबू धाबी गैस द्रवीकरण कंपनी लिमिटेड (एडीएनओसी एलएनजी), संयुक्त अरब अमीरात के साथ प्रमुख समझौते (एचओए) पर हस्ताक्षर किए हैं। .
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