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10 जुलाई 2023 : PIB विश्लेषण

विषयसूची:

  1. FPOs के माध्यम से PACS को मजबूत करना:
  2. संस्कृति कार्य समूह ने ‘लंबानी कढ़ाई की वस्तुओं का सबसे बड़ा प्रदर्शन’ कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया:
  3. ग्रेन-एक्स प्रणाली का शुभारंभ:

1. FPOs के माध्यम से PACS को मजबूत करना:

सामान्य अध्ययन: 3

कृषि:

विषय: किसानो की सहायता के लिए ई-प्रौद्योगिकी, प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता,बफर स्टॉक ,खाद सुरक्षा से सम्बंधित विषय।

प्रारंभिक परीक्षा:राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC),FPO योजना ।

मुख्य परीक्षा: सरकार द्वारा FPOs के माध्यम से PACS को किस प्रकार मजबूत किया जा रहा हैं।

प्रसंग:

  • केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री 14 जुलाई को नई दिल्ली में “FPOs के माध्यम से PACS को मजबूत करना” विषय पर एक दिवसीय मेगा कॉन्क्लेव का उद्घाटन करेंगे।

उद्देश्य:

  • कॉन्क्लेव का उद्देश्य किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) के माध्यम से प्राथमिक कृषि ऋण समितियों (PACS) को मजबूत करने के तरीकों पर चर्चा करना है।

विवरण:

  • कॉन्क्लेव में क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ-साथ देशभर के FPOs के सदस्य भी भाग लेंगे। इस मेगा कॉन्क्लेव का आयोजन केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के सहयोग से राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (NCDC) द्वारा किया जा रहा है।
  • FPOs किसानों द्वारा गठित, संसाधनों को एकत्रित करने और उन्हें अच्छा बारगेन करने में सक्षम बनाने वाली सामूहिक संस्थाएं, होने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में परिवर्तन के प्रमुख कारकों में से एक हैं।
  • FPOs किसानों द्वारा गठित, संसाधनों को एकत्रित करने और उन्हें अच्छा बारगेन करने में सक्षम बनाने वाली सामूहिक संस्थाएं, होने के साथ-साथ कृषि क्षेत्र में परिवर्तन के प्रमुख कारकों में से एक हैं।
  • “सहकार से समृद्धि” के विज़न को साकार करने के प्रयासों से, हाल ही में सहकारिता क्षेत्र में 1100 नए FPOs गठित का निर्णय लिया गया है।
  • सहकारिता मंत्रालय की एक महत्वपूर्ण पहल के साथ, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में सहकारिता क्षेत्र को बढ़ावा देने और व्यापक समर्थन प्रदान करने की योजना के तहत पैक्स को मजबूत करने के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों को सहायता देने के लिए सहकारी क्षेत्र में 1100 FPOs बनाने और उन्हें प्रोत्साहन देने के लिए एनसीडीसी को अतिरिक्त ब्लॉक आवंटित किए हैं।
  • FPO योजना के तहत, हर FPO को 33 लाख रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है, FPOs को प्रोत्साहन देने और सहायता करने के लिए क्लस्टर आधारित व्यावसायिक संगठनों (CBBOs) को प्रति FPO 25 लाख रुपये दिए जाते हैं।
  • FPOs खेती को टिकाऊ बनाने, आजीविका को बढ़ावा देने और कृषि पर निर्भर लोगों के जीवनस्तर में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • FPOs छोटे और सीमांत किसानों/उत्पादकों को उनके उत्पादों की बेहतर कीमत प्राप्त करने, परिवहन लागत कम करने और पूर्ण उत्पादकता बढ़ाने में मदद करते हैं।
  • सरकार FPO योजना में PACS के एकीकरण पर जोर दे रही है जिससे किसान अपनी व्यावसायिक गतिविधियों का दायरा, उत्पादन इनपुट की आपूर्ति, कल्टीवेटर, टिलर, हार्वेस्टर आदि जैसे कृषि उपकरण और प्रसंस्करण और मूल्यवर्धन, जिसमें सफाई, परख, छंटाई, ग्रेडिंग, पैकिंग, भंडारण, परिवहन आदि शामिल हैं, जैसी गतिविधियों के विस्तार से बढ़ाने में सक्षम हो सकें।
  • देशभर में PACS के सदस्य किसानों की संख्या लगभग 13 करोड़ है, जो मुख्य रूप से अल्पकालिक ऋण और बीज, उर्वरक आदि के वितरण जैसी गतिविधियों में लगे हैं। वर्तमान में, देश में 86% से अधिक किसान छोटे और सीमांत हैं।
  • किसानों को उच्च गुणवत्ता वाली वस्तुओं का उत्पादन करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए बेहतर प्रौद्योगिकी, ऋण, इनपुट और अधिक बाजारों तक पहुंच की सुविधा प्रदान करने की आवश्यकता है और इसके लिए सरकार ने पहले ही पैक्स से जुड़े किसानों को FPO गठन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कई कदम उठाए हैं।
  • इस संबंध में, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के तत्वाधान में केंद्र-प्रायोजित योजना “10,000 किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) का गठन और संवर्धन” शुरू की गई थी।

पृष्ठ्भूमि:

  • NCDC, सहकारिता मंत्रालय के तहत एक वैधानिक संगठन है, जिसे उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाने और फसल कटाई के बाद की सुविधाएं प्रदान करने के लिए सहकारी समितियों के लिए योजना बनाने, उन्हें बढ़ावा देने और उनका वित्त पोषण करने का अधिकार है।
  • वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान, NCDC ने कृषि प्रसंस्करण, सहकारी समितियों के कम्प्यूटरीकरण, सेवा, ऋण, युवा सहकारी समितियों और कमजोर वर्गों सहित विभिन्न क्षेत्रों में 41,031.39 करोड़ रुपये का वितरण किया है।

2. संस्कृति कार्य समूह ने ‘लंबानी कढ़ाई की वस्तुओं का सबसे बड़ा प्रदर्शन’ कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया:

सामान्य अध्ययन: 1

भारतीय विरासत एवं संस्कृति:

विषय: भारतीय संस्कृति में प्राचीन काल से आधुनिक काल तक के कला के रूप के मुख्य पहलू शामिल होंगे।

प्रारंभिक परीक्षा: लंबानी कढ़ाई,संदुर कुशल कला केन्‍द्र (SKKK),जीआई-टैग ।

मुख्य परीक्षा: लंबानी कढ़ाई के सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक महत्व को बताते हुए इसकी विशेषताओं पर प्रकाश डालिये।

प्रसंग:

  • हम्पी में जी20 के तीसरे संस्कृति कार्य समूह की बैठक के तहत, ‘संस्कृति सभी को एकजुट करती है’ अभियान के तहत, संस्कृति मंत्रालय के संस्कृति कार्य समूह ने ‘लंबानी कढ़ाई की वस्तुओं का सबसे बड़ा प्रदर्शन’ कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है।

उद्देश्य:

  • संदुर कुशल कला केन्‍द्र (SKKK) से जुड़ी 450 से अधिक लंबानी महिला कारीगरों और सांस्कृतिक कलाकारों ने 1755 पैचवर्क वाली जीआई-टैग वाली संदूर लंबानी कढ़ाई का उपयोग करके इन वस्तुओं को तैयार किया।
  • गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड का यह प्रयास मिशन ‘लाइफ’ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली) अभियान और सीडब्ल्यूजी की पहल पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवनशैली और स्थिरता की दिशा में एक ठोस कार्य ‘जीवन के लिए संस्कृति’ से जुड़ा हुआ है।

विवरण:

  • लंबानी कढ़ाई पैचों की इस अनूठी प्रदर्शनी का उद्घाटन संसदीय कार्य और कोयला और खान मंत्री श्री प्रल्‍हाद जोशी ने हम्पी में किया।
  • प्रदर्शनी का विषय है ‘संस्कृति सभी को जोड़ती है।’
  • जैसे एक पैचवर्क के रूप में, छोटे-छोटे टुकड़े जुड़कर एक बड़े वस्त्र का निर्माण करते हैं, ‘संस्कृति सभी को जोड़ती है’,यह इस बात की वकालत करती है कि दुनिया की संस्कृतियाँ अलग-अलग हैं फिर भी एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं।
    • इस प्रदर्शन का शीर्षक ‘एकता के धागे’ है और यह लंबानी कढ़ाई की कलात्‍मक अभिव्यक्ति और डिजाइन पारिभाषिकी का प्रचार करता है।
  • भारत में लंबानी पैचवर्क कढ़ाई निरंतर चली आ रही अनेक पारंपरिक टिकाऊ कार्य प्रणालियों का उदाहरण है और यह परम्‍परा प्रधानमंत्री के अभियान, मिशन ‘लाइफ’ (पर्यावरण के लिए जीवन शैली), और संस्कृति कार्य समूह की ‘जीवन के लिए संस्कृति’ पहल से जुड़ी हुई है जो पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवनशैली और स्थिरता की दिशा में ठोस कार्रवाई को बढ़ावा देती है।
  • लंबानी गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड परियोजना सीडब्ल्यूजी अभियान ‘संस्‍कृति सभी को एकजुट करती है’ की उत्‍पत्ति है, जो मानव जाति की विविध और गतिशील सांस्कृतिक अभिव्यक्तियों का प्रसार करती है।
  • लंबानी कढ़ाई:
    • लंबानी कढ़ाई रंगीन धागों, कांच या मिरर वर्क और सिलाई पैटर्न की एक समृद्ध श्रृंखला द्वारा चित्रित कपड़ा अलंकरण का एक जीवंत और जटिल रूप है।
    • यह समृद्ध कढ़ाई परंपरा, मुख्य रूप से लंबानी समुदाय की कुशल महिलाओं ने जीवित रखी हुई है, जो आर्थिक सशक्तीकरण के साथ जीवन पद्धतियों को जोड़कर इसे आजीविका का एक महत्वपूर्ण स्रोत समझकर कार्य करती है।
  • इस शिल्प को बढ़ावा देने से न केवल भारत की जीवित विरासत प्रथा का संरक्षण होगा बल्कि महिलाओं की आर्थिक स्वतंत्रता को भी समर्थन मिलेगा।
    • यह पहल सीडब्ल्यूजी की तीसरी प्राथमिकता, ‘सांस्कृतिक और रचनात्मक उद्योगों और रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा’ देने के अनुरूप है।
  • यह लंबानी कढ़ाई की समृद्ध कलात्मक परंपरा पर प्रकाश डालती है, जिससे कर्नाटक और भारत की रचनात्मक अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है।
  • पैचवर्किंग का टिकाऊ अभ्यास भारत और दुनिया भर की कई कपड़ा परंपराओं में पाया जाता है। लंबानी शिल्प परंपरा में एक सुंदर कपड़ा बनाने के लिए फेंके गए कपड़े के छोटे टुकड़ों को कुशलतापूर्वक एक साथ सिलाई करना शामिल है।
  • लंबानी की कढ़ाई परंपराएं तकनीक और सौंदर्यशास्त्र के संदर्भ में पूर्वी यूरोप, पश्चिम और मध्य एशिया में कपड़ा परंपराओं के साथ साझा की जाती हैं।
    • यह ऐतिहासिक रूप से ऐसे क्षेत्रों में खानाबदोश समुदायों के आंदोलन की ओर इशारा करती है, जो एक साझा कलात्मक संस्कृति का निर्माण करते हैं।
    • संस्कृतियों के माध्यम से शिल्प ‘संस्कृति सबको जोड़ती है’ अभियान के लिए एक आदर्श प्रतीक बनाता है।
    • इस कला के माध्यम से, हम अपनी साझा विरासत का जश्न मनाते हैं और विविध समुदायों के बीच संवाद और समझ को बढ़ावा देते हैं।
  • हमारी साझा विरासत का जश्न मनाते हुए और टिकाऊ प्रथाओं को बढ़ावा देकर, यह प्रदर्शन ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के सार को समाहित करते हुए, संस्कृतियों के बीच एकता, विविधता, परस्पर जुड़ाव और सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व की शक्ति के प्रमाण के रूप में कार्य करता है।

पृष्ठ्भूमि:

संदूर कुशल कला केंद्र (SKKK):

  • एक सोसायटी के रूप में 1988 में पंजीकृत संदुर कुशल कला केन्‍द्र (SKKK) का उद्देश्य पारंपरिक शिल्प को पुनर्जीवित करना और शिल्पकारों की आजीविका को बढ़ाना, उनके कौशल को बढ़ावा देना, उनके उत्पादों को बढ़ावा देना और इस प्रकार एक स्थिर आय सुनिश्चित करना है।
  • वर्तमान में, SKKK लगभग 600 कारीगरों के साथ काम करता है और बीस स्वयं सहायता समूहों का पोषण किया है।
  • यह पिछले कुछ वर्षों में विकसित हुआ है और लंबानी शिल्प ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त की है।
  • इन वर्षों में SKKK ने लंबानी शिल्प के लिए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त की है, 2004 और 2012 में दक्षिण एशिया में हस्तशिल्प के लिए प्रतिष्ठित यूनेस्को सील ऑफ़ एक्सीलेंस अर्जित की है।
  • एसकेकेके ने शिल्प ‘संदूर लम्बानी हाथ की कढ़ाई’ के लिए वर्ष 2008 में जीआई (भौगोलिक संकेत) टैग प्राप्त किया है।

प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:

1.ग्रेन-एक्स प्रणाली का शुभारंभ:

  • इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) ने कोलकाता के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस्ड कंप्यूटिंग (सी-डीएसी) में स्थापित उत्पाद डिजाइन केंद्र (पीडीसी) का उद्घाटन किया है।
    • केंद्र में प्रोटोटाइपिंग और सिस्टम डिजाइनिंग सुविधाएं उपलब्ध हैं जो सिस्टम डिजाइनिंग, प्रोटोटाइपिंग, आइडिएशन और फैब्रिकेशन के लिए सभी सॉफ्टवेयर तथा प्रिंटिंग प्रौद्योगिकियों से सुसज्जित हैं।
  • यह सुविधा देश के पूर्वी क्षेत्र के स्टार्टअप्स, उद्यमियों और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमियों (एमएसएमई) के लिए लाभदायक होगी।
  • इस अवसर पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली के साथ ‘कृषि और पर्यावरण में इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना व संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) अनुप्रयोगों पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (एग्रीएनआईसी)’ के अंतर्गत विकसित दालों के लिए मशीन दृष्टिकोण तकनीक के माध्यम से एक उपस्थिति आधारित पहचान प्रणाली यानी ग्रेन-एक्स का भी शुभारंभ किया गया।
    • 14 प्रकार की दालों (ग्रेन-एक्स) के लिए उपस्थिति आधारित ई-गुणवत्ता पहचान प्रणाली, गुणवत्ता आधारित मूल्य निर्धारण के लिए ई-नाम यानी राष्ट्रीय कृषि बाजारों में परिवर्तनकारी बदलाव लाएगी।
    • यह 1,200 से अधिक ई-नाम से जुड़े बाजारों के लिए सहायक होगा।

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