विषयसूची:
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1. संसद ने संविधान (जम्मू -कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक 2024 पारित किया:
सामान्य अध्ययन: 2
शासन:
विषय: संसद और राज्य विधायिका-संरचना,कार्य,कार्य संचालन,शक्तियां एवं विशेषाधिकार और इनसे उत्पन्न होने वाले विषय,सरकारी नीतियों और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिये हस्तक्षेप और उनके अभिकल्पन तथा कार्यान्वयन के कारण उत्पन्न विषय।
मुख्य परीक्षा: संविधान (जम्मू -कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक 2024 से सम्बन्धित जानकारी।
प्रसंग:
- संसद ने संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 और संविधान (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 भी पारित किया।
उद्देश्य:
- संसद द्वारा संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024, ‘पहाड़ी जातीय समूह, पद्दारी जनजाति, कोली और गड्डा ब्राह्मण’ समुदायों के केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की एसटी की सूची में समावेशन के लिए पारित किया गया।
- राज्यसभा ने 9 फरवरी 2024 को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के संबंध में संविधान (जम्मू-कश्मीर) अनुसूचित जनजाति आदेश, 1989 में संशोधन संबंधी विधेयक पारित किया था। इससे पहले यह विधेयक 6 फरवरी 2024 को लोकसभा में पारित हो चुका था।
विवरण:
- इससे पहले, 8 फरवरी 2024 को लोकसभा द्वारा आंध्र प्रदेश के संबंध में संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 और ओडिशा के संबंध में संविधान (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024, उनकी संबंधित सूची में अनुसूचित जनजातियों के समावेशन को प्रभावी बनाने के लिए पारित किए गए थे।
- इस विधेयक से विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूहों को न्याय मिलेगा।
- संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 का उद्देश्य आंध्र प्रदेश के संबंध में अनुसूचित जनजातियों की सूची को संशोधित करने के लिए संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करना है।
- आंध्र प्रदेश की अनुसूचित जनजातियों की सूची में निम्नलिखित का समावेशन किया जाएगा:
- आंध्र प्रदेश की एसटी सूची में प्रविष्टि 25 पर ‘बोंडो पोरजा’ और ‘खोंड पोरजा’ का समावेशन, जो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) हैं।
- आंध्र प्रदेश की एसटी सूची में प्रविष्टि 28 पर ‘कोंडा सावरस’ का समावेशन, जो विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी) हैं।
- संविधान (अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति) आदेश (संशोधन) विधेयक, 2024 ओडिशा के संबंध में अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति की सूची को संशोधित करने के लिए संविधान (अनुसूचित जाति) आदेश, 1950 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश, 1950 में संशोधन करने को प्रस्तावित करता है।
- ओडिशा की अनुसूचित जनजातियों की सूची में निम्नलिखित परिवर्तन/समावेशन किए जाएंगे: –
- I. चार विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह (पीवीटीजी), जिन्हें एसटी की सूची में स्वयं उन्हीं के नाम से शामिल करने का प्रस्ताव है:
- i. भुइया के पर्यायवाची के रूप में पौरी भुइयां, पौडी भुइयां, भुइयां;
- ii. भुंजिया के पर्यायवाची के रूप में चुकटिया भुंजिया;
- iii. एसटी के अंतर्गत उप-प्रविष्टि के रूप में बोंडो “बोंडो पोरजा, बोंडा परोजा। बांदा परोजा” और,
- iv. एसटी मैनकिडिया के पर्यायवाची के रूप में “मैनकिर्डिया”।
अनुसूचित जाति की सूची से दो नाम हटाये गये
तमाडिया,
तमुडिया,
- उन समुदायों के नामों को राज्य की एसटी की सूची में शामिल करना,जो पहले से मौजूद प्रविष्टियों के ध्वन्यात्मक विभाजन या पर्यायवाची हैं:
- तमाड़िया*, तमारिया, तमुड़िया*, तमोदिया भूमिज, तमुड़िया भूमिज, तमुंडिया भूमिज, तमुलिया भूमिज, तमाड़िया भूमिज मुख्य प्रविष्टि “भूमिज”।
- (*इन समुदायों को अनुसूचित जाति की सूची से हटाने का प्रस्ताव है।)
- बांदा पाराजा, बोंडा पाराजा, बोंडा, बांदा को एसटी की “बोंडो पोराजा, बोंडा परोजा।
- दुरुआ, धुरुआ, धुरवा को धारुआ, धुरुबा, धुरवा के उपसमूह।
- कौर, कुंवर, कावोनर, कुआनर, कोंवर, कौआनार, कानर, कौआनर, कोआनर एसटी “कावर कंवर”,के पर्यायवाची के रूप में।
- कुई (कांधा) को एसटी खोंड के तहत एक नई उप-प्रविष्टि के रूप में और कांधा कुंभार समुदाय को कांधा अनुसूचित जनजाति के उपसमूह के रूप में शामिल करना।
- उराम, ओरम, उरांव, धंगरा और उरांव मुदी समुदाय उरांव के पर्यायवाची के रूप में, क्रम संख्या 53 पर सूचीबद्ध।
- बरेंग झोडिया परोजा, पेंगा परोजा, पेंगू परोजा, पोरजा, सेलिया परोजा, एसटी परोजा।
- राजुआल, राजुआद एसटी राजुआर के पर्यायवाची के रूप में।
- साओरा, सावर, सौरा, सहारा आदि के अंतर्गत पर्यायवाची के रूप में।
नई प्रविष्टि के माध्यम से समुदायों का समावेशन:
- ii. मुका डोरा, मूका डोरा, नुका डोरा, नूका डोरा क्षेत्र प्रतिबंध के साथ (अविभाजित कोरापुट जिले में यानी, कोरापुट, नौरंगपुर, रायगडा और मल्कानगिरी जिलों में)।
- iii. कोंडा रेड्डी, कोंडा रेड्डी।
- इन विधेयकों के अधिनियम बनने के बाद, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश और ओडिशा की अनुसूचित जनजातियों की संशोधित सूची में नए सूचीबद्ध समुदायों के सदस्य भी सरकार की मौजूदा योजनाओं के एसटी के लिए नियत लाभों को प्राप्त कर सकेंगे।
- जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा संचालित कुछ प्रमुख योजनाओं में प्री व पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय प्रवासी छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय अध्येतावृत्ति और छात्रवृत्ति योजनाओं के साथ ही साथ राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त और विकास निगम से रियायती ऋण, एसटी लड़कों और लड़कियों के लिए छात्रावास आदि शामिल हैं।
- उपरोक्त के अलावा, वे सरकारी नीति के अनुसार सेवाओं और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण का लाभ प्राप्त करने के भी हकदार होंगे।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. संगीत नाटक अकादमी हैदराबाद में दक्षिण भारत सांस्कृतिक केंद्र स्थापित करेगी:
- संगीत नाटक अकादमी हैदराबाद में दक्षिण भारत सांस्कृतिक केंद्र स्थापित करेगी।
- संगीत नाटक अकादमी का अपनी तरह का पहला क्षेत्रीय केंद्र हैदराबाद में स्थापित किया जाएगा।
- पूर्व उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू और केंद्रीय मंत्री श्री जी किशन रेड्डी 12 फरवरी को केंद्र का उद्घाटन करेंगे।
- दक्षिण भारत सांस्कृतिक केंद्र के साथ ही भारत कला मंडपम ऑडिटोरियम का भी शिलान्यास होगा।
- संस्कृति मंत्रालय की संगीत नाटक अकादमी (एसएनए), जो एक स्वायत्त संगठन है और देश में प्रदर्शन कला के क्षेत्र में एक शीर्ष निकाय है, के अनेकों कामों में से एक भारत की संगीत, नृत्य और नाटक के रूप में विविध संस्कृति की इस विशाल सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण और प्रचार करना है।
- दक्षिण भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को और बढ़ावा देने के लिए, संस्कृति मंत्रालय अब हैदराबाद में संगीत नाटक अकादमी का एक क्षेत्रीय केंद्र स्थापित करने का इरादा रखता है जिसे दक्षिण भारत सांस्कृतिक केंद्र के रूप में जाना जाएगा।
- दक्षिण भारत की समृद्ध और विविध सांस्कृतिक विरासत जो विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है, संगीत नाटक अकादमी के इस समर्पित दक्षिण भारत सांस्कृतिक केंद्र के माध्यम से और मजबूत होगी।
- अकादमी की अभी तक दक्षिण भारत में कोई उपस्थिति नहीं है।
- इस केंद्र की परिकल्पना संगीत, लोक और जनजातीय कलाओं, रंगमंच और कठपुतली के अनुसंधान और डॉक्युमेंटेशन को बढ़ावा देने के लिए की गई है और इसे एक अत्याधुनिक क्षेत्रीय केंद्र और एक अग्रणी सांस्कृतिक स्थान के रूप में विकसित किया जाएगा जो राज्य के सांस्कृतिक विकास और प्रदर्शन परिवेश को बढ़ावा देगा।
- इसके अलावा, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने हाल ही में दिसंबर 2022 से शुरू होने वाले और दिसंबर 2023 में समाप्त होने वाले वार्षिक समारोहों के माध्यम से प्रसिद्ध उत्कृष्ट संगीतकार, स्वतंत्रता सेनानी और पद्म पुरस्कार विजेता श्री घंटासला वेंकटेश्वर राव की 100 वीं जयंती मनाई।
- घंटाशाला की विरासत- उनका संगीत और उनकी भावनात्मक आवाज़ अभी भी भारत और दुनिया भर के संगीत प्रेमियों के घरों में पनप रही है। वह सिर्फ एक गायक नहीं बल्कि एक स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के लिए एक वर्ष से अधिक समय जेल में बिताया।
- घंटाशाला के योगदान को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत संगीत नाटक अकादमी ने माधापुर, हैदराबाद में सीसीआरटी परिसर में “दक्षिण भारत सांस्कृतिक केंद्र” के भीतर एक सभागार के निर्माण का प्रस्ताव रखा है जिसे “भारत कला मंडपम” के रूप में जाना जाएगा।
2. नई दिल्ली में ‘स्वाति’ (महिलाओं के लिए विज्ञान-एक प्रौद्योगिकी और नवाचार) पोर्टल लॉन्च किया गया:
- STEMM (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा/ STEMM (Science, Technology, Engineering, Mathematics & Medicine)) में भारतीय महिलाओं और लड़कियों का प्रतिनिधित्व करने वाला एक ऑनलाइन पोर्टल बनाने के लिए नई दिल्ली में ‘स्वाति’ (महिलाओं के लिए विज्ञान-एक प्रौद्योगिकी और नवाचार/‘SWATI’ (Science for Women-A Technology & Innovation)) पोर्टल लॉन्च किया गया।
- स्वाति पोर्टल का डेटाबेस लिंग-अंतर की चुनौतियों का समाधान करने के लिए नीति निर्माण में काम आएगा।
- यह पोर्टल एक संपूर्ण इंटरैक्टिव डेटाबेस है; और भारत में अपनी तरह का पहला, जिसे नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ प्लांट जीनोम रिसर्च (एनआईपीजीआर), नई दिल्ली द्वारा विकसित, होस्ट और रखरखाव किया गया है।
- यह एक गतिशील रूप से विकसित होने वाला पोर्टल है और इसका प्रयास है कि इसमें देश की सभी महिला वैज्ञानिकों का डेटा शामिल हो।
- यह विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग, गणित और चिकित्सा (एसटीईएमएम) में महिलाओं पर इंटर अकादमी पैनल (आईएपी) की पहल है।
- यह संभवतः अपनी तरह का दुनिया का पहला इंटरैक्टिव पोर्टल है।
- इससे ‘विज्ञान में महिलाएं’ और ‘महिलाओं के लिए विज्ञान’ पर चर्चा करने और एक रोडमैप विकसित करने का अवसर भी मिलेगा।
- स्वाति पोर्टल के उद्देश्यों में शिक्षा जगत और उद्योग दोनों क्षेत्रों में करियर के सभी चरणों और विषयों में प्रत्येक भारतीय महिला को विज्ञान में शामिल करने के प्रयास को तेजी से बढ़ाना, समानता के मुद्दों पर विश्वसनीय और सांख्यिकीय रूप से महत्वपूर्ण दीर्घकालिक अनुसंधान को सक्षम करना, भारत में विविधता और समावेशिता शामिल है।
- मानव संसाधन का 50% हिस्सा महिलाएं हैं, जो समाज की प्रगति के लिए महत्वपूर्ण है। महिलाओं को सशक्त बनाने का अर्थ निर्णय लेने में उनकी भूमिका को बढ़ाना है जो घर के भीतर और बाहर दोनों जगह उनके जीवन को प्रभावित करता है।
- विशेष रूप से विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अधिक महिलाओं को शिक्षित करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि विज्ञान शिक्षा न केवल जागरूकता के स्तर को बढ़ाती है बल्कि सही और गलत के बीच निर्णय लेने की क्षमता के साथ एक मानसिकता भी बनाती है। यह महिलाओं के सामने आने वाली समस्याओं से निपटने, उनके सामाजिक-आर्थिक विकास को सुनिश्चित करने के लिए एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण प्रदान करता है।
- महिला वैज्ञानिक कई वैज्ञानिक और सामाजिक मुद्दों पर उन्हें जागरूक करके अवसर प्रदान कर सकती हैं, जिससे लिंग अंतर को कम किया जा सकता है और नकारात्मकता की बाधाओं को दूर किया जा सकता है।
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