विषयसूची:
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1. सी-डॉट और भरतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की ने 6जी और 140 गीगाहर्ट्ज हेतु मॉड्यूल विकसित करने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए:
सामान्य अध्ययन: 3
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी:
विषय: विज्ञानं एवं प्रौद्योगिकी में भारत कि उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
प्रारंभिक परीक्षा: 6जी प्रौद्योगिकी।
मुख्य परीक्षा: सी-डॉट और भरतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के बीच हुए समझौते के महत्व पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- भारत सरकार के दूरसंचार विभाग (डीओटी) के प्रमुख दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र सी-डॉट और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूड़की (आईआईटी-आर) ने 6जी और उससे आगे” के लिए 140 गीगाहर्ट्ज पूरी तरह से एकीकृत ट्रांसमीटर और रिसीवर मॉड्यूल विकसित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए।
उद्देश्य:
- “इस समझौते का उद्देश्य 6जी और उससे आगे के अनुप्रयोगों को सक्षम करने के लिए 140 गीगाहर्ट्ज पूरी तरह से एकीकृत ट्रांसमीटर और रिसीवर मॉड्यूल विकसित करना है।
- इस प्रणाली की नवीनता एक चिप पर टेराहर्ट्ज तरंगों के उत्पादन, ट्रांसमिशन और एंटीना एकीकरण में निहित है; जिससे सिस्टम के आकार में कमी आती है, वजन और बिजली की खपत कम होती है, इसलिए इसे स्मार्टफोन, लैपटॉप आदि जैसे पोर्टेबल उपकरणों में उपयोग के लिए उपयुक्त बनाया गया है।
- यह चिप प्रति सेकंड कई गीगाबाइट तक की डेटा दरों का समर्थन करेगी, जिससे चिप्स के साथ या बीच में उच्च गति डेटा ट्रांसफर सक्षम हो सकेगा।
विवरण:
- इस समझौते पर भारत सरकार के दूरसंचार विभाग की दूरसंचार प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीटीडीएफ) योजना के अंतर्गत हस्ताक्षर किए गए हैं, जिसे प्रौद्योगिकी डिजाइन, विकास, दूरसंचार उत्पादों के व्यावसायीकरण और समाधानों में सम्म्लित घरेलू कंपनियों और संस्थानों को ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में किफायती ब्रॉडबैंड और मोबाइल सेवाएं सक्षम करने के लिए वित्त पोषण सहायता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह प्रौद्योगिकी देश में स्वदेशी 6जी इकोसिस्टम के विकास के अनुरूप होगी।
- सिंगल चिप पर विकसित इस प्रौद्योगिकी से सिस्टम के आकार, वजन और बिजली की खपत में काफी कमी आएगी, जिससे यह 6जी उपकरणों में उपयोग के लिए उपयुक्त हो जाएगी। यह अल्ट्रा-लो लेटेंसी के साथ घरेलू 6जी समाधान/एप्लिकेशन बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।
- दूरसंचार अनुसंधान एवं विकास केंद्र (सी-डॉट) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी)-रुड़की ने दोहराया कि इस परियोजना के सफल समापन से अगली पीढ़ी के अल्ट्रा-फास्ट, कम-विलंबता वाले 6जी नेटवर्क के विकास में योगदान मिलेगा, जो विभिन्न उद्योग क्षेत्रों में व्यापक परिवर्तन में योगदान देगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. नीति आयोग ने कृषि वानिकी रिपोर्ट और पोर्टल के साथ बंजर भूमि की हरियाली और बहाली की शुरुआत की:
- नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद द्वारा कृषि वानिकी के साथ बंजर भूमि की हरियाली और बहाली (Greening and Restoration of Wasteland with Agroforestry (GROW)) रिपोर्ट और पोर्टल लॉन्च किया गया।
- नीति आयोग के नेतृत्व में इस बहु-संस्थागत प्रयास ने भारत के सभी जिलों में कृषि वानिकी उपयुक्तता का आकलन करने के लिए रिमोट सेंसिंग और जीआईएस का उपयोग किया।विषयगत डेटासेट का उपयोग करते हुए, राष्ट्रीय स्तर की प्राथमिकता के लिए एक कृषि वानिकी उपयुक्तता सूचकांक (एएसआई) विकसित किया गया था। रिपोर्ट राज्य-वार और जिला-वार विश्लेषण प्रदान करती है, जो हरियाली और बहाली परियोजनाओं के लिए सरकारी विभागों और उद्योगों का समर्थन करती है।
- “कृषि वानिकी रिपोर्ट और पोर्टल के साथ बंजर भूमि की हरियाली और बहाली – उपयुक्तता मानचित्रण” पोर्टल भुवन राज्य और जिला-स्तरीय डेटा तक सार्वभौमिक पहुंच की अनुमति देता है।
- वर्तमान में, कृषिवानिकी भारत के कुल भौगोलिक क्षेत्र का 8.65%, यानी लगभग 28.42 मिलियन हेक्टेयर को कवर करती है। वर्तमान रिपोर्ट कृषि वानिकी के लिए कम उपयोग वाले क्षेत्रों, विशेष रूप से बंजर भूमि को परिवर्तित करने के संभावित लाभों को रेखांकित करती है।
- GROW पहल राष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के अनुरूप है, जिसका लक्ष्य 2030 तक 26 मिलियन हेक्टेयर ख़राब भूमि को बहाल करना और 2.5 से 3 बिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड के बराबर अतिरिक्त कार्बन सिंक बनाना है।
- नीति आयोग के सदस्य, प्रोफेसर रमेश चंद ने साझा किया कि तीन चीजों के लिए कृषि वानिकी को बढ़ावा देने की आवश्यकता है, अर्थात् लकड़ी और लकड़ी के उत्पादों के आयात को कम करना, वैश्विक और राष्ट्रीय स्तर पर जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए कार्बन पृथक्करण और उप-इष्टतम को संबोधित करना।
- इस परियोजना से दीर्घकालिक लाभ मिलेगा और कृषि में अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा मिलेगा।
- पोर्टल विभिन्न कार्यक्रमों में सहायक होगा क्योंकि भारत सरकार कृषि वानिकी को बढ़ावा देने और विस्तार की भूमिका को संवेदनशील बनाने के लिए काम कर रही है।
- कृषिवानिकी द्वारा प्रदान की जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं के महत्व के कारण, भारत सरकार के केंद्रीय बजट (वित्त वर्ष-2022-23) ने कृषिवानिकी और निजी वानिकी को बढ़ावा देने को प्राथमिकता के रूप में रेखांकित किया है।
- भारत, वैश्विक स्तर पर सातवां सबसे बड़ा देश, बढ़े हुए निर्माण क्षेत्रों, निम्नीकृत भूमि और असंतुलित संसाधनों जैसे मुद्दों का सामना करता है।
- कुल भौगोलिक क्षेत्र (टीजीए) का लगभग 16.96% बंजर भूमि है, जिसके उत्पादक उपयोग के लिए परिवर्तन की आवश्यकता है।
- कृषि वानिकी हस्तक्षेपों के लिए इन बंजर भूमि को मैप करने और प्राथमिकता देने के लिए भू-स्थानिक प्रौद्योगिकियों और जीआईएस को नियोजित किया जाता है।
2. भारत के विधि आयोग ने “महामारी रोग अधिनियम, 1897 की एक व्यापक समीक्षा” शीर्षक से रिपोर्ट प्रस्तुत की:
- भारत के 22वें विधि आयोग ने अपनी रिपोर्ट संख्या 286 जिसका शीर्षक “महामारी रोग अधिनियम, 1897 की एक व्यापक समीक्षा” है, भारत सरकार को सौंप दी है।
- इस रिपोर्ट में बताया गया हैं की कोविड-19 महामारी ने भारतीय स्वास्थ्य ढांचे के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती खड़ी कर दी।
- सरकार ने इस उभरती स्थिति पर तुरंत प्रतिक्रिया दी, जबकि इस संकट से निपटने के दौरान, स्वास्थ्य से संबंधित कानूनी ढांचे में कुछ सीमाएं महसूस की गईं।
- कोविड-19 पर तत्काल प्रतिक्रिया जैसे कि लॉकडाउन लगाना आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत लागू किया गया था।
- इसके अलावा, तात्कालिक चुनौतियों, विशेषकर स्वास्थ्य कर्मियों के सामने आने वाली चुनौतियों के मद्देनजर, संसद ने 2020 में महामारी रोग अधिनियम, 1897 में संशोधन किया।
- इस अत्यधिक वैश्वीकृत और परस्पर जुड़ी दुनिया में, भविष्य में महामारी का प्रकोप एक वास्तविक संभावना है।
- इसके अलावा, यह देखते हुए स्वास्थ्य का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 में निहित एक मौलिक अधिकार है और राज्य नागरिकों के लिए इसे सुनिश्चित करने के लिए बाध्य है, भविष्य में ऐसी किसी भी स्वास्थ्य आपात स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कानून पर फिर से विचार करना और उसे मजबूत करना अनिवार्य हो जाता है।
- 22वें विधि आयोग का मानना है कि मौजूदा कानून देश में भविष्य की महामारियों की रोकथाम और प्रबंधन से संबंधित चिंताओं को व्यापक रूप से संबोधित नहीं करता है क्योंकि नए संक्रामक रोग या मौजूदा रोगजनकों के नए प्रकार उभर सकते हैं।
- उपरोक्त के आलोक में विधि आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इस विषय पर मौजूदा कानूनी ढांचे की व्यापक जांच की।
- आयोग ने सिफारिश की है कि मौजूदा कमियों को दूर करने के लिए या तो मौजूदा कानून में उचित संशोधन करने की जरूरत है या इस विषय पर एक नया व्यापक कानून बनाया जाना चाहिए।
3. श्रीलंका और मॉरीशस में यूपीआई सेवाओं का शुभारंभ:
- प्रधानमंत्री ने मॉरीशस के प्रधानमंत्री और श्रीलंका के राष्ट्रपति के साथ संयुक्त रूप से यूपीआई सेवाओं की शुरूआत की।
- प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने 12 फरवरी 2024 को श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री रानिल विक्रमसिंघे और मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद जुगनाथ के साथ संयुक्त रूप से श्रीलंका और मॉरीशस में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सेवाओं और मॉरीशस में रुपे कार्ड सेवाओं का वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से शुभारंभ किया।
- मॉरीशस के प्रधानमंत्री श्री प्रविंद जुगनाथ ने बताया कि सह-ब्रांडेड रुपे कार्ड को मॉरीशस में घरेलू कार्ड के रूप में नामित किया जाएगा।
- श्रीलंका के राष्ट्रपति श्री रानिल विक्रमसिंघे ने दोनों देशों के बीच सदियों पुराने आर्थिक संबंधों पर जोर दिया।
- इस अवसर पर अपने संबोधन में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि आज तीन मित्र देशों भारत, श्रीलंका और मॉरीशस के लिए विशेष दिन है, क्योंकि आज उनके ऐतिहासिक संबंध आधुनिक डिजिटल संबंध का रूप ले रहे हैं।
- प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि फिनटेक कनेक्टिविटी सीमा पार लेनदेन और संबंधों को पहले से और मजबूत करेगी।
- प्रधानमंत्री ने कहा, “भारत का यूपीआई या यूनाइटेड पेमेंट्स इंटरफेस आज एक नई भूमिका- ‘भारत के साथ साझेदारों को एकजुट करना’ में आ गया है।”
- यूपीआई से जुड़ने से श्रीलंका और मॉरीशस को लाभ होगा और डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं में सकारात्मक बदलाव आएगा तथा पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
- श्रीलंका और मॉरीशस में रहने वाले भारतीय मूल के लोगों और वहां पढ़ने वाले छात्रों को भी इससे विशेष लाभ मिलेगा।
- एशिया में नेपाल, भूटान, सिंगापुर और खाड़ी देशों के यूएई के बाद अब मॉरीशस से अफ्रीका में रुपे कार्ड लॉन्च किया जा रहा है। इससे मॉरीशस से भारत आने वाले लोगों को भी सुविधा होगी। इससे हार्ड करेंसी खरीदने की जरूरत भी कम हो जाएगी। यूपीआई और रुपे कार्ड प्रणाली हमारी अपनी मुद्रा में वास्तविक समय, लागत प्रभावी और सुविधाजनक भुगतान सक्षम करेगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि आने वाले समय में हम सीमा पार रुपए का लेन-देन यानी पर्सन टू पर्सन (पी2पी) भुगतान सुविधा की ओर बढ़ सकते हैं।
- वर्तमान में यूपीआई का शुभारंभ वैश्विक दक्षिण सहयोग की सफलता का प्रतीक है। प्रधानमंत्री मोदी ने तीनों देशों- भारत, श्रीलंका और मॉरीशस के बीच लोगों से लोगों के संबंधों की ताकत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हमारे संबंध केवल लेन-देन तक सीमित नहीं हैं, हमारा ऐतिहासिक संबंध रहा है। पिछले दस वर्षों में भारत की ओर से अपने पड़ोसी देशों को मदद देने की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत संकट की हर घड़ी में अपने मित्रों के लिए खड़ा है, चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो, स्वास्थ्य संबंधी मुद्दे हों, आर्थिक या अंतरराष्ट्रीय मंच पर समर्थन करना हो। प्रधानमंत्री ने जोर देते हुए कहा कि पड़ोसी मित्र देशों को मदद देने में भारत हमेशा तत्पर रहा है और आगे भी रहेगा। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान भी वैश्विक दक्षिण की चिंताओं पर विशेष ध्यान देने पर प्रकाश डाला। उन्होंने भारत के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे का लाभ वैश्विक दक्षिण के देशों तक पहुंचाने के लिए एक सामाजिक प्रभाव कोष की स्थापना का उल्लेख किया।
- प्रधानमंत्री ने राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त किया, जिन्होंने आज यूपीआई के शुभारंभ में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने यूपीआई की इस शुरूआत को सफल बनाने के लिए तीनों देशों के केंद्रीय बैंकों और एजेंसियों को भी धन्यवाद दिया।
पृष्ठभूमि:
- भारत फिनटेक नवाचार और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचा में अग्रणी बनकर उभरा है।
- प्रधानमंत्री ने हमारे विकास अनुभवों और नवाचार को साझेदार देशों के साथ साझा करने पर जोर दिया है।
- श्रीलंका और मॉरीशस के साथ भारत के मजबूत सांस्कृतिक और जनता से जनता के सीधे संपर्कों को देखते हुए यूपीआई की इस शुरूआत से इन तीन देशों के बीच तेज और निर्बाध डिजिटल लेनदेन होने से बड़ी संख्या में लोगों को लाभ होगा और देशों के बीच डिजिटल कनेक्टिविटी बढ़ेगी।
- यूपीआई का यह शुभारंभ श्रीलंका और मॉरीशस की यात्रा करने वाले भारतीय नागरिकों के साथ-साथ भारत की यात्रा करने वाले मॉरीशस के नागरिकों के लिए यूपीआई लेन-देन सेवाओं की उपलब्धता को सक्षम करेगा।
- मॉरीशस में रुपे कार्ड सेवाओं के विस्तार से मॉरीशस के बैंक मॉरीशस में रुपे तंत्र के आधार पर कार्ड जारी कर सकेंगे और भारत तथा मॉरीशस में लेन-देन के लिए रुपे कार्ड के उपयोग की सुविधा प्रदान करेंगे।
4. एम्स-एसबीआई स्मार्ट पेमेंट कार्ड की शुरूआत:
- केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण तथा रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने एम्स-एसबीआई स्मार्ट पेमेंट कार्ड की शुरूआत की।
- एम्स-एसबीआई स्मार्ट पेमेंट कार्ड एम्स नई दिल्ली में बिना किसी परेशानी के इलाज के लिए भुगतान सुनिश्चित करेगा।
- एम्स स्मार्ट पेमेंट कार्ड दूर-दराज के इलाकों के मरीजों की नकदी ले जाने की लंबे समय से चली आ रही समस्या का समाधान करेगा।
- स्मार्ट पेमेंट कार्ड का ‘वन एम्स, वन कार्ड’ एम्स, नई दिल्ली में इलाज करा रहे मरीज के लिए भुगतान संबंधी किसी भी तत्काल आवश्यकता के मामले में अब कोई भी व्यक्ति देश भर से आसानी से और तेजी से धनराशि स्थानांतरित कर सकता है।
- निकट भविष्य में इन कार्डों की सेवाएं देश के सभी एम्स में विस्तारित की जाएंगी।
- एसबीआई-एम्स नई दिल्ली स्मार्ट कार्ड प्रणाली के कार्यान्वयन के संबंध में एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर किए गए।
पृष्ठभूमि:
- एसबीआई-एम्स स्मार्ट कार्ड सभी मरीजों को मुफ्त प्रदान किया जा रहा है और इसमें कोई सेवा शुल्क नहीं है।
- प्रवेश पर सभी मरीजों को स्मार्ट कार्ड जारी किया जाएगा। कार्ड को मरीज के विशिष्ट अस्पताल पहचान (यूएचआईडी) नंबर और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के तहत जारी आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाता (एबीएचए) आईडी से जोड़ा जाएगा।
- कार्ड से टॉप-अप और रिफंड केवल मरीज के यूएचआईडी से जुड़े मोबाइल नंबर पर प्राप्त वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) के प्रावधान पर किया जा सकता है।
- इससे धोखाधड़ी और चोरी रोकने में मदद मिलेगी, यदि कोई मरीज कार्ड खो देता है, तो मरीज को बदले में मुफ्त में दूसरा कार्ड प्रदान किया जाएगा और शेष राशि (यदि कोई हो) उस एवजी कार्ड में स्थानांतरित कर दी जाएगी।
- एक बार जारी किया गया कार्ड पांच साल की अवधि के लिए वैध होगा। इस कार्ड का उपयोग करके किए गए सभी लेनदेन एम्स में ई-हॉस्पिटल फ़ंक्शनल से जुड़े हुए हैं। एम्स और बैंक के बीच दोतरफा जुड़ाव के कारण सभी वित्तीय लेनदेन का समाधान वित्त प्रभाग, एम्स द्वारा किया जा सकता है।
- सभी मरीज़ भूतल पर स्थित परिभाषित स्मार्ट कार्ड काउंटर, मातृ एवं शिशु ब्लॉक और स्मार्ट कार्ड जारी करने वाले काउंटर, स्टाफ कैफेटेरिया से स्मार्ट कार्ड प्राप्त कर सकते हैं।
- स्मार्ट कार्ड जारी करने के लिए, रोगी/कर्मचारी को एम्स में उत्पन्न अपना यूएचआईडी देना होगा।
- यूएचआईडी के प्रावधान पर, मरीज को उनके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर एक ओटीपी प्राप्त होगा जो कार्ड को कार्यशील बनाने के लिए काउंटर पर प्रदान किया जाएगा।
- स्मार्ट कार्ड को एक बार टॉप अप और सक्रिय करने के बाद संस्थान में प्राप्त सेवाओं के लिए 24 x 7 आधार पर विभिन्न कैश काउंटरों पर भुगतान के लिए उपयोग किया जा सकता है।
- रोगी के लिए टॉप-अप के लिए नकदी का उपयोग करने के अलावा, टॉप-अप ऑनलाइन तौर-तरीकों, क्रेडिट/डेबिट कार्ड के माध्यम से कहीं से भी किसी भी रिश्तेदार/मित्र द्वारा किया जा सकता है।
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