13 मई 2022 : PIB विश्लेषण
विषयसूची:
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- ‘भारत मक्का शिखर सम्मेलन-2022’
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: पारंपरिक कृषि के क्षेत्र में निवेश और नवाचार बढ़ाना ।
प्रारंभिक परीक्षा: ’भारत मक्का शिखर सम्मेलन-2022’ ।
प्रसंग:
- ‘भारत मक्का शिखर सम्मेलन-2022’ के 8वें संस्करण को भारत के केंद्रीय कृषि मंत्री ने संबोधित किया।
उद्देश्य:
- सरकार फसलों के विविधीकरण कार्यक्रम के तहत, विभिन्न पहलों के जरिये किसानों को मक्का उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
- पिछले 8 साल के दौरान मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 43 प्रतिशत बढ़ाया गया हैं।
विवरण:
- केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा है कि भोजन के साथ ही कुक्कट पालन व एथनाल उत्पादन सहित विविध क्षेत्रों में मक्का का इस्तेमाल होने से न केवल भारत में बल्कि विश्व में भी मक्का की लोकप्रियता तेजी से बढ़ रही है।
- साथ ही, सरकार ने विभिन्न पहल व पैकेजों से उद्यमियों को भी प्रोहत्साहित किया है।
- उन्होंने कहा कि पिछले लगभग 8 साल के दौरान मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 43 प्रतिशत बढ़ाया गया है।
- इसके साथ ही मक्का का उत्पादन बढ़ने से किसानों को भी इसका काफी लाभ मिला है।
- केंद्रीय मंत्री ने यह बात देश के प्रमुख वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की द्वारा आयोजित ’भारत मक्का शिखर सम्मेलन-2022’ के 8वें संस्करण में मुख्य अतिथि के रूप में कही।
- कृषि क्षेत्र में काफी निवेश की आवश्यकता है, जिसके लिए एक लाख करोड रु. के कृषि अवसंरचना कोष सहित कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए डेढ़ लाख करोड़ रु. से ज्यादा के पैकेज दिया गया हैं।
- कृषि क्षेत्र की बेहतरी के लिए इसमें अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाए जाने की जरूरत है।
- खाद्यान्न व पोषण सुरक्षा के मामले में मक्का में बेहतर संभावनाएं मौजूद हैं।
- यह फसल विविधिकरण के लिए भी उचित है, साथ ही किसानों की आय बढ़ाने, खासतौर से वर्षा सिंचित क्षेत्र के छोटे एवं सीमांत किसानों की आय बढ़ाने में यह उपयोगी है।
- दुनिया में मक्का सबसे महत्वपूर्ण फसलों में से एक है। इससे ज्यादातर विकासशील देशों को खाद्य सुरक्षा उपलब्ध कराती है।
- भारत में गेहूं व चावल के बाद यह तीसरी सबसे महत्वपूर्ण फसल के तौर पर विकसित हो रही है।
- भारत में कुल मक्का उत्पादन में बिहार का 9 प्रतिशत योगदान है।
- देश में आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद बिहार पांचवां सबसे बड़ा मक्का उत्पादक राज्य है।
- मुर्गी पालन में मक्का की बढ़ती मांग से भारतीय मक्का क्षेत्र को फायदा होने की संभावना है।
- मक्का क्षेत्र में प्रौद्योगिकी व नवोन्मेष से न केवल उन चुनौतियों का मुकाबला करने में मदद मिली हैं, जिनका किसान सामना करते हैं बल्कि उनका निदान भी संभव हुआ है।
- निजी क्षेत्र व सरकार सामूहिक तौर पर चुनौतियों का सामना कर सकते हैं और कृषि क्षेत्र के लिए दीर्घकालिक टिकाऊ आर्थिक वृद्धि का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।
- घरेलू स्तर पर मक्का की मांग इसके उत्पादन के मुकाबले काफी तेजी से बढ़ रही है, हमें मक्का आपूर्ति श्रृंखला के विभिन्न स्तरों पर उठाए जाने वाले कदमों की पहचान करनी चाहिए तथा मक्का की सतत आपूर्ति के लिए सार्वजनिक- निजी क्षेत्र को मिलकर समाधान निकालना चाहिए।
- इस अवसर पर फिक्की व यस बैंक की ’भारतीय मक्का क्षेत्र पर तैयार रिपोर्ट-’’इंडियन मैज सेक्टर-सिक्यूरिंग सप्लाई सस्टेनेबली’’ को भी जारी किया गया।
- वस्तु व्यापार के निर्यात अप्रैल 2021 की तुलना में 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई :
सामान्य अध्ययन: 3
अर्थव्यवस्था:
विषय: भारत का वस्तु और सेवा क्षेत्र का आयत निर्यात।
प्रारंभिक परीक्षा: भारत की आयत निर्यात मदें।
प्रसंग:
- पिछले वित्त वर्ष में रिकॉर्ड प्रदर्शन के बाद, अप्रैल 2022 में निर्यात में मजबूत बढोत्तरी का क्रम जारी रहा और वस्तु व्यापार के निर्यात ने 40 बिलियन डॉलर की सीमा को पार कर एक नई ऊंचाई छू ली। अप्रैल 2021 की तुलना में इसमें 30 प्रतिशत की वृद्धि हुई ।
उद्देश्य:
- पेट्रोलियम उत्पादों, इलेक्ट्रोनिक वस्तुओं, प्रसंस्कृत खाद्य, कॉफी, चमड़ा उत्पादों ने निर्यात में उल्लेखनीय वृद्धि के साथ अग्रणी भूमिका निभाई, सेवा निर्यात में 53 प्रतिशत से अधिक बढोत्तरी, समग्र निर्यात ने 39 प्रतिशत से अधिक की छलांग लगाई हैं।
- पेट्रोलियम उत्पादों ( 127.69 प्रतिशत ) , इलेक्ट्रोनिक वस्तुओं ( 71.69 प्रतिशत ), अनाज ( 60.83 प्रतिशत ), कॉफी ( 59.38 प्रतिशत ), प्रसंस्कृत खाद्य ( 38.82 प्रतिशत ) और चमड़ा उत्पादों ( 36.68 प्रतिशत ) ने निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि के साथ अग्रणी भूमिका निभाई।
- सेवा क्षेत्र ने 27.60 बिलियन डॉलर तक पहुंचने के लिए अत्यधिक अच्छा प्रदर्शन किया जो अप्रैल 2021 की तुलना में 53 प्रतिशत की बढोत्तरी को दर्शाता है।
विवरण:
- अप्रैल 2022* में भारत के समग्र निर्यात ( वस्तु व्यापार एवं सेवा निर्यात को मिला कर ) के 67.79 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 38.90 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित करता है।
- अप्रैल 2022 * में भारत के समग्र आयात के 75.87 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान है जो पिछले वर्ष की समान अवधि की तुलना में 36.31 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि प्रदर्शित करता है।
वस्तु व्यापार:
- अप्रैल 2022 में वस्तु निर्यात 40.19 बिलियन डॉलर का रहा जबकि अप्रैल 2021 के दौरान यह 30.75 बिलियन डॉलर रहा था और इस प्रकार इसमें 30.70 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि हुई ।
- अप्रैल 2022 में वस्तु आयात 60.30 बिलियन डॉलर का रहा था जो अप्रैल 2021 के 46.04 बिलियन डॉलर के आयातों की तुलना में 30.97 प्रतिशत अधिक है।
- अप्रैल 2022 में वस्तु व्यापार घाटा के 20.11 बिलियन डॉलर रहने का अनुमान लगाया गया है.जबकि अप्रैल 2021 की समान अवधि के दौरान यह 15.29 बिलियन डॉलर था और इस प्रकार इसमें 31.50 प्रतिशत की वृद्धि हुई।
- अप्रैल 2022 में गैर पेट्रोलियम तथा गैर रत्न एवं आभूषण निर्यात 28.46 बिलियन डॉलर का था जोकि अप्रैल 2021 के 23.74 बिलियन डॉलर के बराबर के गैर पेट्रोलियम तथा गैर रत्न एवं आभूषण निर्यात की तुलना में 19.89 प्रतिशत की सकारात्मक बढ़ोत्तरी को दर्शाता है।
- अप्रैल 2022 में गैर पेट्रोलियम तथा गैर रत्न एवं आभूषण ( स्वर्ण, रजत एवं बहुमूल्य धातुएं ) का आयात 35.68 बिलियन डॉलर का रहा था जोकि अप्रैल 2021 के 26.55 बिलियन डॉलर के बराबर के गैर पेट्रोलियम तथा गैर रत्न एवं आभूषण आयात की तुलना में 34.37 प्रतिशत की सकारात्मक बढ़ोत्तरी को दर्शाता है।
- नोट : रत्न एवं आभूषण आयातों में स्वर्ण, रजत तथा मोती, बहुमूल्य एवं अर्ध बहुमूल्य पत्थर शामिल हैं
सेवा क्षेत्र व्यापार
- अप्रैल 2022 * के दौरान सेवा निर्यात का अनुमानित मूल्य 27.60 बिलियन डॉलर है जिसमें अप्रैल 2021 की समान अवधि ( 18.06 बिलियन डॉलर ) की तुलना में 52.87 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि हुई ।
- अप्रैल 2022 * के दौरान सेवा आयात का अनुमानित मूल्य 15.57 बिलियन डॉलर है जो अप्रैल 2021 की समान अवधि ( 9.62 बिलियन डॉलर ) की तुलना में 61.87 प्रतिशत की सकारात्मक वृद्धि को प्रदर्शित करता है।
- अप्रैल 2022 * के दौरान सेवा क्षेत्र व्यापार संतुलन 12.03 बिलियन डॉलर अनुमानित है जो अप्रैल 2021 की समान अवधि ( 8.44 बिलियन डॉलर ) की तुलना में 42.61 प्रतिशत की वृद्धि को प्रदर्शित करता है।
- जापान-भारत आईसीटी संयुक्त कार्य समूह की 7वीं बैठक आयोजित:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध:
विषय: भारत-जापान डिजिटल भागीदारी के तहत सहयोग।
प्रारंभिक परीक्षा: जापान-भारत आईसीटी संयुक्त कार्य समूह ।
मुख्य परीक्षा: संयुक्त कार्य समूह की इस बैठक में भारत और जापान के बीच सहयोग ज्ञापन (एमओसी) ढांचे के तहत जिन जिन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई गई हैं, उनके निहितार्थ ?
प्रसंग:
- भारत-जापान आईसीटी व्यापक सहयोग ढांचे के तहत जापान-भारत आईसीटी संयुक्त कार्य समूह की 7वीं बैठक 13 मई 2022 को वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर आयोजित की गई।
उद्देश्य:
- दोनों पक्षों ने डिजिटल बदलाव के लिए संयुक्त परियोजनाओं को बढ़ावा देते हुए डिजिटल अर्थव्यवस्था को बेहतर करने, जापान एवं जापानी कंपनियों में काम करने के लिए भारतीय आईटी पेशेवरों को अवसर उपलब्ध कराने में मदद और आईओटी, एआई एवं अन्य उभरती प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग को ध्यान में रखते हुए भारत-जापान डिजिटल भागीदारी के तहत सहयोग बढ़ाने की आवश्यकता पर बल दिया ।
- संयुक्त कार्य समूह की बैठक में चर्चा 5जी, ओपन आरएएन, दूरसंचार नेटवर्क सुरक्षा, समुद्री केबल प्रणाली और क्वांटम कम्युनिकेशन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर हुई ।
विवरण:
- भारत और जापान एक शांतिपूर्ण, स्थिर एवं समृद्ध दुनिया के साझा दृष्टिकोण को अपनाते हैं और अब इसने ‘विशेष सामरिक एवं वैश्विक साझेदारी’ का रूप ले लिया है।
- मार्च 2022 में भारत-जापान शिखर सम्मेलन की बैठक आयोजित की गई थी।
- वर्ष 2022 भारत-जापान राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ है और भारत अमृत काल में भी प्रवेश कर रहा है जो इंडिया @ 100 तक पहुंचने से पहले के 25 साल की अवधि है।
- विकास का एक प्रमुख वाहक होने के कारण आईसीटी वर्तमान एवं भविष्य की दुनिया की एक मजबूत बुनियाद के लिए दोनों देशों के बीच सहयोग बढाने का व्यापक अवसर प्रदान करता है।
- दूरसंचार क्षेत्र के हालिया घटनाक्रमों को रेखांकित करते हुए कहा कि भारतीय 4जी एलटीई दूरसंचार स्टैक का परीक्षण सीडीओटीटी द्वारा एक कंसल्टेंसी सर्विसेज- तेजस नेटवर्क कंसोर्टियम में किया गया है।
- भारत में 8 अनुसंधान संस्थानों में 3.5 करोड़ डॉलर की अनुमानित लागत से 5G फेडरेटेड टेस्ट बेड स्थापित किया गया है।
- संयुक्त कार्य समूह की 7वीं बैठक के प्रतिभागियों में भारत और जापान के सरकारी अधिकारी, उद्योग एवं शिक्षा जगत के हितधारक शामिल थे।
- बैठक में ओपन आरएएन, मैसिव एमआईएमओ, क्वांटम कम्युनिकेशंस, कनेक्टेड कार, 5जी उपयोग के मामलों और 6जी नवाचार के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं एवं अनुभवों पर विचार-विमर्श किया गया।
- संयुक्त कार्य समूह की 7वीं बैठक में भारत और जापान के बीच सहयोग ज्ञापन (एमओसी) ढांचे के तहत इन क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर सहमति जताई गई।
- इंटरसोलर यूरोप 2022:
सामान्य अध्ययन: 3
ऊर्जा :
विषय:भारत का सौर ऊर्जा बाजार,ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश और नवाचार बढ़ाना ।
प्रारंभिक परीक्षा: हरित हाइड्रोजन मिशन।
प्रसंग:
- नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्यमंत्री ने जर्मनी के म्यूनिख में आयोजित इंटरसोलर यूरोप 2022 में सम्मिलित हुये। उन्होंने “इंडियाज़ सोलर एनर्जी मार्केट” (भारत का सौर ऊर्जा बाजार) विषय पर होने वाले निवेश प्रोत्साहन कार्यक्रम में प्रमुख वक्तव्य दिया।
उद्देश्य:
- उन्होंने कहा कि भारत में पिछले सात वर्षों में नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में असाधारण वृद्धि हुई है तथा भारत ने 2021 में गैर-जीवाश्म ईंधन की समग्र ऊर्जा क्षमता का 40 प्रतिशत लक्ष्य पूरा कर लिया है।
- इस तरह भारत 2030 तक निर्धारित अवधि से पूरे नौ वर्ष आगे है।
विवरण:
- इस बात पर जोर दिया कि भारत उच्च दक्षता वाले सौर पीवी मॉड्यूल का स्वदेशी निर्माण बढ़ाने के लिये संकल्पित है और इसके लिये 24,000 करोड़ रुपये का बजट परिव्यय का प्रावधान किया गया है।
- इसके अलावा भारत की हरित हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने के लिये 25,425 करोड़ रुपये का अनुमानित परिव्यय का प्रावधान किया गया है।
- हरित हाइड्रोजन मिशन से वह हर वर्ष 4.1 मिलियन टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन करेगा।इसके साथ ही भारत निवेश के अपार अवसर उपलब्ध कराता है।
- इस समय भारत में लगभग 196.98 अरब अमेरिकी डॉलर की परियोजनायें प्रक्रिया में हैं।
- कॉप-26 इंडिया के दौरान तय किया गया था, जिसके तहत भारत 2070 तक नेट-ज़ीरो का लक्ष्य प्राप्त करेगा तथा 2030 तक गैर-जीवाश्म 500 गेगावॉट ऊर्जा की क्षमता स्थापित करेगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे सम्बंधित कोई समाचार नहीं हैं।
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