विषयसूची:
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1. मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के लिए फसल वर्ष 2023-24 में अफीम पोस्त की खेती के लिए वार्षिक लाइसेंसिंग नीति की घोषणा:
सामान्य अध्ययन: 3
कृषि:
विषय: मुख्य फसलें- सम्बन्धित विषय ,कृषि-प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कृषि सहायता।
प्रारंभिक परीक्षा: अफीम पोस्त की खेती, मॉर्फिन (एमक्यूवाई-एम)।
मुख्य परीक्षा: अफीम पोस्त की खेती के उपयोग पर चर्चा कीजिए।
प्रसंग:
- केंद्र सरकार ने 14 सितम्बर 2023 को मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए फसल वर्ष 2023-24 में अफीम पोस्त की खेती के संबंध में लाइसेंस की वार्षिक लाइसेंसिंग नीति की घोषणा की है।
उद्देश्य:
- यह बढ़ोतरी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शारीरिक दर्द कम करने संबंधी देखभाल और अन्य चिकित्सा उद्देश्यों के लिए औषध (फार्मास्युटिकल) तैयारियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के उद्देश्य से की गई है।
- साथ ही, इससे यह भी सुनिश्चित होगा कि अल्केलॉइड उत्पादन घरेलू मांग के साथ-साथ भारतीय निर्यात उद्योग की जरूरतों को भी पूरा कर सके।
विवरण:
- इस नीति में शामिल सामान्य शर्तों के अनुसार इन राज्यों में लगभग 1.12 लाख किसानों को लाइसेंस दिए जाने की संभावना है।
- इसमें पिछले फसल वर्ष की तुलना में 27,000 अतिरिक्त किसान शामिल हैं।
- इस लाइसेंस को प्राप्त करने वाले लगभग 54,500 योग्य अफीम किसान मध्य प्रदेश से हैं। वहीं, राजस्थान के लगभग 47,000 और उत्तर प्रदेश के 10,500 किसान हैं।
- इस वार्षिक लाइसेंस नीति की मुख्य विशेषताओं में पहले की तरह यह प्रावधान शामिल है कि वैसे मौजूदा अफीम किसान, जिन्होंने मॉर्फिन (एमक्यूवाई-एम) की औसत उपज 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के बराबर या उससे अधिक की है, उनके लाइसेंस को जारी रखा जाएगा।
- इसके अलावा अन्य मौजूदा अफीम गोंद की खेती करने वाले किसान, जिन्होंने मॉर्फीन सामग्री उपज (3.0 किलोग्राम से 4.2 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर) के साथ गोंद की खेती की है, अब केवल पांच साल की लाइसेंस वैधता के साथ कंसेंट्रेटेड पॉपी (पोस्त) स्ट्रॉ (खसखस या भूसा) (सीपीएस) आधारित विधि के लिए योग्य होंगे।
- इसके अलावा, साल 2022-23 के सभी सीपीएस-आधारित किसान, जिन्होंने सरकार को अफीम की आपूर्ति की है, लेकिन किसी भी आदेश या निर्देश के तहत वंचित नहीं किया गया है, उनके लाइसेंस को भी इस साल सीपीएस-आधारित खेती के लिए बनाए रखा गया है।
- केंद्र सरकार ने इस नीति के दायरे में आने वाले किसानों की संख्या बढ़ाने के लिए सीपीएस पद्धति जारी करने को लेकर सामान्य लाइसेंस शर्तों में और अधिक छूट दी है।
- साल 2020-21 से अनलांस्ड पोस्त के लिए लाइसेंस की व्यवस्था सामान्य तरीके से शुरू की गई थी और तब से इसका विस्तार किया गया है।
- वहीं, केंद्र सरकार ने अपने खुद के अल्केलॉइड कारखानों की क्षमता में बढ़ोतरी की है।
- यह इन कारखानों में अच्छे प्रबंधन अभ्यासों को अपनाने के लिए आगे बढ़ रही है और भारत में अफीम प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने को लेकर पहले से ही अफीम गोंद के प्रसंस्करण के साथ-साथ पॉपी स्ट्रॉ के प्रसंस्करण के लिए निजी क्षेत्र के साथ जुड़ चुकी है।
- सरकार का उद्देश्य अनलांस्ड पोस्त के लिए लाइसेंसिंग को और अधिक विस्तारित करने का है।
- केंद्र सरकार ने कंसेंट्रेटेड पॉपी स्ट्रॉ के लिए इसके लिए पीपीपी आधार पर 100 मीट्रिक टन क्षमता की एक प्रसंस्करण इकाई स्थापित करने का निर्णय लिया है।
- इससे भारत न केवल अपनी घरेलू मांग को पूरा करने में सक्षम होगा, बल्कि अल्केलॉइड और अल्केलॉइड-आधारित उत्पादों का निर्यात भी कर सकेगा।
- केंद्र सरकार देश में मांग और प्रसंस्करण क्षमता बढ़ाने पर लगातार काम कर रही है। मांग और प्रसंस्करण क्षमता में बढ़ोतरी के साथ यह आशा की जाती है कि आने वाले तीन वर्षों में अफीम पोस्त की खेती के लिए लाइसेंसधारी किसानों की संख्या बढ़कर 1.45 लाख हो जाएगी।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
1. भारत इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर लीगल मेट्रोलॉजी प्रमाणपत्र जारी करने वाला दुनिया का 13वां देश बना:
- भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त ओआईएमएल (इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर लीगल मेट्रोलॉजी) प्रमाणपत्र जारी करने वाला दुनिया का 13वां देश बन गया हैं।
- ओआईएमएल एक अंतर सरकारी संगठन है जिसकी स्थापना वर्ष 1955 में हुई थी। भारत 1956 में इसका सदस्य बना।
- इसके 63 सदस्य देश और 64 सहयोगी सदस्य हैं। भारत अब विश्व में कहीं भी बाट और मापन उपकरणों को बेचने के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत ओआईएमएल प्रमाण पत्र जारी करने वाला प्राधिकरण बन गया है।
- अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में वज़न या माप बेचने के लिए ओआईएमएल मॉडल अनुमोदन प्रमाणपत्र अनिवार्य है। यह अब उपभोक्ता मामले विभाग द्वारा प्रदान किया जा सकता है।
- भारत ओआईएमएल की अनुशंसाओं तथा वजन एवं माप के परीक्षण और कैलिब्रेशन की प्रक्रियाओं का पालन करता है। वैधानिक भार एवं मापन (लीगल मेट्रोलॉजी) की क्षेत्रीय संदर्भ मानक प्रयोगशालाओं द्वारा तैयार की गई रिपोर्टें अब ओआईएमएल जारी करने वाले अधिकारियों को स्वीकार्य हैं।
- इसके साथ ही भारत अब ओआईएमएल प्रारूप वाले अनुमोदन प्रमाण पत्र जारी करने के लिए सक्षम प्राधिकरण है और स्वदेशी निर्माताओं के लिए सहायता प्रणाली के रूप में कार्य कर सकता है।
- घरेलू निर्माता अब किसी अतिरिक्त परीक्षण शुल्क के बिना ही अपने भार और माप उपकरणों को विश्व भर में निर्यात कर सकते हैं जिससे लागत में महत्वपूर्ण बचत होगी।
- भारत अब क्षेत्रीय संदर्भ मानक प्रयोगशालाओं (आरआरएसएलएस) से ओआईएमएल प्रारूप वाले अनुमोदन प्रमाण पत्र जारी करके विदेशी निर्माताओं का भी समर्थन कर सकता है।
- विदेशी निर्माताओं को भार एवं माप के ओआईएमएल प्रमाण पत्र जारी करके भारत अब शुल्क आदि से भी विदेशी मुद्रा का अर्जन कर सकेगा।
- अब भारत ओआईएमएल की नीतियों को प्रभावित करने के साथ ही ओआईएमएल की रणनीति में भी अपने सुझाव दे सकता है।
- यह व्यवस्था ओआईएमएल सदस्य देशों में इस संगठन के प्रमाण पत्र जारीकर्ता प्राधिकारियों द्वारा निर्गत ओआईएमएल प्रमाण पत्रों को अन्य प्रतिभागियों द्वारा माप उपकरणों के लिए राष्ट्रीय अथवा क्षेत्रीय प्रकार के अनुमोदन जारी करने के आधार के रूप में स्वीकार करने की अनुमति प्रदान करती है।
- इस प्रकार ओआईएमएल के अन्य सदस्य देश इन प्रमाण पत्रों पर विश्वास करके महंगी परीक्षण सुविधा की आवश्यकता के बिना ही राष्ट्रीय प्रकार के अनुमोदन प्रमाण पत्र जारी कर सकते हैं।
- भारत अब आस्ट्रेलिया, स्विट्जरलैंड, चीन, चेक गणराज्य, जर्मनी, डेनमार्क, फ्रांस, ब्रिटेन (युनाइटेड किंगडम), जापान, नीदरलैंड्स, स्वीडन और स्लोवाकिया सहित उन देशों के एक विशिष्ट समूह का हिस्सा बन गया है और अब विश्व में 13 वां ऐसा देश है जो ओआईएमएल अनुमोदन प्रमाण पत्र जारी करने के लिए अधिकृत हैं।
- भारत के विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त ओआईएमएल प्रमाण पत्र जारी करने वाले प्राधिकारियों की उस श्रेणी में पहुंचने की घोषणा की गई हैं जो गुणवत्ता के मानकों एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार सुविधा के प्रति हमारे देश की प्रतिबद्धता का प्रमाण है।
2. भारत के सर्वोच्च न्यायालय के राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड पोर्टल पर शामिल होने के साथ प्रमुख ई-कोर्ट परियोजना पूरी हो गई:
- भारत के सर्वोच्च न्यायालय के राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) पोर्टल पर शामिल होने के साथ ई-कोर्ट परियोजना का प्रमुख प्रोजेक्ट पूरा हो गया है।
- अब हमारे लिए एनजेडीजी पोर्टल पर भारतीय न्यायपालिका के सभी तीन स्तर उपलब्ध हैं।
- एनजेडीजी को भारत सरकार की ‘इज ऑफ डूइंग बिजनेस’ पहल के तहत एक महत्वपूर्ण नवाचार के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- एनजेडीजी पोर्टल देश भर की अदालतों में चल रहे, लंबित और निपटाए गए मामलों से संबंधित डेटा का एक राष्ट्रीय भंडार है।
- अब एक क्लिक पर, कोई भी व्यक्ति मामले से संबंधित जानकारी हासिल कर सकता है। इसके जरिये लंबित मामलों और मामलों के निपटान, मामले के प्रकार, भारत के सर्वोच्च न्यायालय के वर्ष-वार विवरण जैसे आंकड़े प्राप्त किए जा सकते हैं।
- एनजेडीजी को राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (एनआईसी) द्वारा कंप्यूटर सेल, रजिस्ट्री की इन-हाउस सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट टीम के साथ एक इंटरैक्टिव इंटरफ़ेस और एनालिटिक्स डैशबोर्ड के साथ मिलकर विकसित किया गया है। संपूर्ण डेटाबेस को एनजेडीजी पोर्टल पर समय-समय पर अद्यतन किया जाएगा।
- एनजेडीजी अद्वितीय है क्योंकि यह शुरू हुए, लंबित और निपटाए गए मामलों के सभी प्रासंगिक डेटा को साझा करके भारतीय न्यायिक प्रणाली के दायरे में पारदर्शिता और जवाबदेही लाया है।
एनजेडीजी पोर्टल के लाभों को निम्नानुसार संक्षेप में समझा जा सकता है:
- पारदर्शिता में वृद्धि
- जवाबदेही और जिम्मेदारी
- बेहतर दक्षता
- समन्वय में वृद्धि
- सूचित निर्णय लेना
- संसाधनों और जनशक्ति की अधिकतम तैनाती
- डेटा का एकल स्रोत
- उच्च गुणवत्ता वाले शोध कार्य की अपार संभावनाएं
- एनजेडीजी-एससीआई पोर्टल पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट के माध्यम से टैब बटन – एनजेडीजी पर क्लिक करके पहुंचा जा सकता है।
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