विषयसूची:
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15 April 2024 Hindi PIB
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1. “दक्षिण-पश्चिम मानसून के दौरान पूरे देश में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना है”: पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय
सामान्य अध्ययन: 1
भौतिक भूगोल:
विषय:भौतिक भूगोल की मुख्य विशेषताएँ।
प्रारंभिक परीक्षा: दक्षिण पश्चिम मानसून, अल नीनो,ला नीना।
मुख्य परीक्षा: दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन, 2024 के दौरान वर्षा के पूर्वानुमान का सारांश बताइये।
प्रसंग:
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने मीडिया को बताया कि जून से सितंबर 2024 में दक्षिण पश्चिम मानसून के दौरान पूरे देश में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है।
उद्देश्य:
- वर्ष 2024 दक्षिण-पश्चिम मॉनसून सीजन की बारिश ± 5% की मॉडल त्रुटि के साथ इसके लंबी अवधि के औसत (एलपीए) का 106 प्रतिशत रहने की संभावना है।
- 1971-2020 के आंकड़ों के आधार पर पूरे देश में मानसून सीज़न की बारिश का एलपीए 87 सेमी है।
विवरण:
- यह पूर्वानुमान गतिशील और सांख्यिकीय दोनों मॉडल पर आधारित है, और उत्तर-पश्चिम, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के कुछ क्षेत्रों को छोड़कर, जहां सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है, देश के अधिकांश हिस्सों में सामान्य से अधिक बारिश होने की संभावना दिखाते हैं।
- अपेक्षित ला नीना, सकारात्मक आईओडी और उत्तरी गोलार्द्ध में सामान्य से कम बर्फ का आवरण दक्षिण पश्चिम मानसून 2024 सीजन के दौरान वर्षा के लिए अनुकूल होगा।
- वर्तमान में, भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में मध्यम अल नीनो प्रभाव की स्थिति बनी हुई है और जलवायु मॉडल के पूर्वानुमान मानसून सीजन के शुरुआत तक तटस्थ और मानसून के दूसरे भाग में ला नीना के प्रभाव का संकेत देते हैं।
- वर्तमान में तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुवीय (आईओडी) स्थिति प्रचलित है और जलवायु मॉडल पूर्वानुमान से संकेत मिलता है कि मानसून के दौरान इसके सकारात्मक रूप से विकसित होने की संभावना है।
- प्रशांत और हिंद महासागर में समुद्र की सतह का तापमान चूंकि भारतीय मानसून पर एक मजबूत प्रभाव डालता है, इसलिए आईएमडी समुद्र की सतह की स्थिति के बदलाव की सावधानीपूर्वक निगरानी कर रहा है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन, 2024 के दौरान वर्षा के पूर्वानुमान का सारांश इस प्रकार है:
- मानसून (जून से सितंबर) के दौरान पूरे देश में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है (>106% लंबी अवधि का औसत)
- मात्रात्मक रूप से पूरे देश में ऋतुकालिक वर्षा 5% ± की मॉडल त्रुटि के साथ एलपीए का 106% रहने की संभावना है।
- 1971-2020 के आंकड़ों के आधार पर पूरे देश में सीजन की बारिश का एलपीए 87 सेमी है।
- वर्तमान में, भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में मध्यम अल नीनो की स्थिति बनी हुई है। जलवायु मॉडल के पूर्वानुमान मानसून के मौसम की शुरुआत तक अल नीनो की तटस्थ स्थिति और मानसून के उतरार्द्ध के दौरान ला नीना की स्थिति का संकेत देते हैं।
- वर्तमान में, तटस्थ हिंद महासागर द्विध्रुव (आईओडी) स्थितियां कायम हैं। जलवायु मॉडल के पूर्वानुमानों से संकेत मिलता है कि मानसून के मौसम के दौरान सकारात्मक आईओडी स्थितियां विकसित होने की संभावना है।
- पिछले तीन महीनों (जनवरी से मार्च 2024) के दौरान उत्तरी गोलार्द्ध में बर्फ का आवरण सामान्य से कम था।
- उत्तरी गोलार्द्ध के साथ-साथ यूरेशिया में सर्दियों और वसंत ऋतु में बर्फ के आवरण की सीमा का आम तौर पर बाद के मानसून के मौसम की वर्षा के साथ विपरीत संबंध होता है।
- आईएमडी मई 2024 के अंतिम सप्ताह में मानसून सीजन की बारिश के लिए अद्यतन पूर्वानुमान जारी करेगा।
पृष्ठ्भूमि:
- वर्ष 2003 से भारत मौसम विभाग (आईएमडी) पूरे देश में दो चरणों में दक्षिण-पश्चिम मानसून (जून-सितम्बर) की औसत वर्षा के लिए प्रचालनात्मक दीर्घावधि पूर्वानुमान (एलआरएफ) जारी करता रहा है।
- पहले चरण का पूर्वानुमान अप्रैल में जारी किया जाता है और दूसरा चरण या अद्यतन पूर्वानुमान मई के अंत तक जारी किया जाता है।
- वर्ष 2021 से आईएमडी ने मौजूदा दो चरण की पूर्वानुमान रणनीति को संशोधित करके देश भर में दक्षिण-पश्चिम मानसून वर्षा के लिए मासिक और मौसमी परिचालन पूर्वानुमान जारी करने की एक नई रणनीति लागू की है।
- नई रणनीति गतिशील और सांख्यिकीय पूर्वानुमान प्रणाली दोनों का उपयोग करती है।
- आईएमडी के मानसून मिशन जलवायु पूर्वानुमान प्रणाली (एमएमसीएफएस) सहित विभिन्न वैश्विक जलवायु पूर्वानुमान केंद्रों से युग्मित वैश्विक जलवायु मॉडल (सीजीसीएम) पर आधारित मल्टी-मॉडल एन्सेम्बल (एमएमई) पूर्वानुमान प्रणाली का उपयोग गतिशील पूर्वानुमान प्रणाली में किया जाता है.
- उपर्युक्त पूर्वानुमानों के क्रम में, अगले एक महीने के लिए मासिक वर्षा पूर्वानुमान क्रमशः जून, जुलाई और अगस्त के अंत में जारी किए जाते हैं।
- इसके अतिरिक्त, समग्र रूप से देश के लिए मात्रात्मक और संभाव्य पूर्वानुमान तथा मौसम के उत्तरार्ध (अगस्त-सितम्बर) के लिए वर्षा के संभाव्य पूर्वानुमानों का स्थानिक वितरण अगस्त के पूर्वानुमान के साथ जुलाई के अंत के आसपास जारी किया जाता है।
2.भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास डस्टलिक:
सामान्य अध्ययन: 2
अंतर्राष्ट्रीय सम्बन्ध:
विषय: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह और भारत से जुड़े और/ या भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
प्रारंभिक परीक्षा: सैन्य अभ्यास डस्टलिक।
प्रसंग:
- भारतीय सेना की टुकड़ी 15 अप्रैल 2024 को भारत-उज्बेकिस्तान संयुक्त सैन्य अभ्यास डस्टलिक के 5वें संस्करण के लिए रवाना हो गई है।
उद्देश्य:
- डस्टलिक अभ्यास का उद्देश्य सैन्य सहयोग को बढ़ावा देना और पहाड़ी व अर्ध-शहरी इलाकों में संयुक्त अभियानों को अंजाम देने के लिए संयुक्त क्षमताओं को बढ़ाना है।
- यह उच्च स्तर की शारीरिक फिटनेस, संयुक्त योजना, संयुक्त सामरिक अभ्यास और विशेष हथियार कौशल की बुनियादी बातों पर ध्यान केंद्रित करेगा।
विवरण:
- यह अभ्यास 15 से 28 अप्रैल 2024 तक उज़्बेकिस्तान गणराज्य के टर्मेज़ में आयोजित होने वाला है।
- यह अभ्यास डस्टलिक का एक वार्षिक कार्यक्रम है जो भारत और उज्बेकिस्तान में बारी-बारी आयोजित किया जाता है।
- अंतिम संस्करण फरवरी 2023 में पिथौरागढ़ (भारत) में आयोजित किया गया था।
- 60 कर्मियों वाली भारतीय सशस्त्र बल टुकड़ी का प्रतिनिधित्व भारतीय सेना के 45 कर्मियों द्वारा किया जा रहा है, जिनमें प्रमुख रूप से जाट रेजिमेंट की एक बटालियन और भारतीय वायु सेना के 15 कर्मी शामिल हैं।
- उज़्बेकिस्तान सेना और वायु सेना के लगभग 100 कर्मियों वाली उज़्बेकिस्तान टुकड़ी का प्रतिनिधित्व दक्षिण-पश्चिम सैन्य जिले के हिस्से, दक्षिणी ऑपरेशनल कमांड के कर्मियों द्वारा किया जाएगा।
- अभ्यास के दौरान अभ्यास किए जाने वाले सामरिक अभ्यास में एक संयुक्त कमांड पोस्ट का निर्माण, एक खुफिया और निगरानी केंद्र की स्थापना, लैंडिंग साइट की सुरक्षा, छोटी टीम को किसी ऑपरेशन में भीतर भेजना और वहां से बाहर निकालना, विशेष हेलिबोर्न ऑपरेशन, कॉर्डन और सर्च ऑपरेशन, रूम इंटरवेंशन ड्रिल्स व अवैध ढांचों को गिराने के अभ्यास शामिल होंगे।
- एक्सरसाइज डस्टलिक के इस संस्करण की जटिलता को मल्टी डोमेन ऑपरेशन के संचालन के साथ बढ़ाया गया है क्योंकि दल में इन्फैंट्री के अलावा लड़ाकू सहायक हथियारों और सेवाओं के कर्मी शामिल हैं।
- दो महिला अधिकारी भी आईए दल का हिस्सा हैं, जिनमें एक आर्टिलरी रेजिमेंट से और दूसरी आर्मी मेडिकल कोर से हैं।
- अभ्यास ‘डस्टलिक’ दोनों पक्षों को संयुक्त अभियान चलाने की रणनीति, तकनीक और प्रक्रियाओं में अपनी सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को साझा करने में सक्षम बनाएगा।
- यह अभ्यास दोनों देशों के सैनिकों के बीच अंतर-संचालन क्षमता और सौहार्द्र विकसित करने में मदद करेगा।
- इससे रक्षा सहयोग का स्तर भी बढ़ेगा, दोनों मित्र देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ावा मिलेगा।
प्रारंभिक एवं मुख्य परीक्षा की दृष्टि से कुछ महत्वपूर्ण तथ्य:
आज इससे सम्बंधित कुछ नहीं हैं।
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